विज्ञान की नित नयी जानकारी इन्द्रजाल मे उपलब्ध कराने का एक प्रयास !
ब्रह्माण्ड : क्या ? क्यों ? कैसे ?
श्याम उर्जा (Dark Energy)(11/2/2006)-यह विषय एक विज्ञान फैटंसी फिल्म की कहानी के जैसा है। श्याम ऊर्जा(Dark Energy), एक रहस्यमय बल जिसे कोई समझ नहीं पाया है, लेकिन इस बल के प्रभाव से ब्रह्मांड के पिंड एक दूसरे से दूर और दूर होते जा रहे है। यह वह काल्पनिक बल है जिसका दबाव ऋणात्मक है और सारे ब्रह्मांड में फैला हुआ है। सापेक्षता वाद के…
श्याम पदार्थ(Dark Matter)(11/3/2006)-भौतिकी में श्याम पदार्थ उस पदार्थ को कहते है जो विद्युत चुंबकीय विकिरण (प्रकाश, क्ष किरण) का उत्सर्जन या परावर्तन पर्याप्त मात्रा में नहीं करता जिससे उसे महसूस किया जा सके किंतु उसकी उपस्थिति साधारण पदार्थ पर उसके गुरुत्व प्रभाव से महसूस की जा सकती है। श्याम पदार्थ की उपस्थिति के लिये किये गये निरीक्षणों…
ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 01 : मूलभूत कण और मूलभूत बल(3/28/2011)-यह श्रंखला ‘पदार्थ और उसकी संरचना‘ पर आधारित है। इस विषय पर हिन्दी में लेखो का अभाव है ,इन विषय को हिन्दी में उपलब्ध कराना ही इस श्रंखला को लिखे जाने का उद्देश्य है। इन श्रंखला के विषय होंगे: 1. मूलभूत कण(Elementary particles) 2.मूलभूत बल(Elementary Forces) 3.मानक प्रतिकृति(Standard Model) 4.प्रति पदार्थ(Antimatter) 5. ऋणात्मक पदार्थ(Negative Matter) 6. ग्रह, तारे, आकाशगंगा और निहारिका…
ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 02 : मूलभूत कण और मूलभूत बल(4/4/2011)-भौतिकी मे विभिन्न कणो द्वारा एक दूसरे कणो पर डाला गया प्रभाव मूलभूत बल कहलाता है। यह प्रभाव दूसरे किसी प्रभाव के द्वारा प्रेरीत नही होना चाहीये। अब तक चार ज्ञात मूलभूत बल है, विद्युत-चुंबकिय बल, कमजोर नाभिकिय बल, मजबूत नाभिकिय बल तथा गुरुत्वाकर्षण। क्वांटम भौतिकी के अनुसार पदार्थ के कणो के मध्य विभिन्न बल…
ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 03 : मूलभूत बल – महा एकीकृत सिद्धांत(GUT)(4/11/2011)-महा एकीकृत सिद्धांत(Grand Unified Theory) विद्युत-चुंबकिय बल, कमजोर नाभिकिय बल तथा मजबूत नाभिकिय बल के एकीकरण का सिद्धांत है। यह नाम प्रचलित है लेकिन उचित नही है क्योंकि यह महा नही है ना ही एकीकृत है। यह सिद्धांत गुरुत्वाकर्षण का समावेश नही करता है अर्थात पूर्ण एकीकरण नही हुआ है। यह सिद्धांत पूर्ण सिद्धांत भी नही है क्योंकि…
ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 04 : मानक प्रतिकृति(Standard Model)(4/18/2011)-इस श्रंखला मे अब तक मूलभूत कण तथा मूलभूत बल की चर्चा हुयी है। मानक प्रतिकृति (Standard Model) मूलभूत बल तथा मूलभूत कणों के सम्पूर्ण ज्ञात सिद्धांतो का समावेश करता है। अब तक के लेखो मे वर्णीत महा एकीकृत सिद्धांत(Grand Unified Theory) मानक प्रतिकृती का ही एक भाग है। यह सिद्धांत 20 वी शताब्दी की शुरुवात से लेकर…
ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 05 : मानक प्रतिकृति की कमियाँ और आलोचनाएं(4/25/2011)-मानक प्रतिकृति(Standard Model) एक सफल सिद्धांत है लेकिन इसमे कुछ कमीयां है। यह कुछ मूलभूत प्रश्नो का उत्तर देने मे असमर्थ है जैसे द्रव्यमान का श्रोत, मजबूत CP समस्या, न्युट्रीनो का दोलन, पदार्थ-प्रतिपदार्थ असममिती और श्याम पदार्थ तथा श्याम उर्जा का श्रोत। एक समस्या मानक प्रतिकृति(Standard Model) के गणितिय समिकरणो मे है जो साधारण सापेक्षतावाद…
ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 06 : श्याम पदार्थ (Dark Matter)(5/2/2011)-1928 मे नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी मैक्स बार्न ने जाट्टीन्जेन विश्वविद्यालय मे कहा था कि “जैसा कि हम जानते है, भौतिकी अगले छः महिनो मे सम्पूर्ण हो जायेगी।” उनका यह विश्वास पाल डीरेक के इलेक्ट्रान की व्यवहार की व्याख्या करने वाले समीकरण की खोज पर आधारित था। यह माना जाता था कि ऐसा ही समिकरण प्रोटान…
ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 07 : श्याम पदार्थ (Dark Matter) का ब्रह्माण्ड के भूत और भविष्य पर प्रभाव(5/9/2011)-श्याम पदार्थ की खोज आकाशगंगाओं के द्रव्यमान की गणनाओं मे त्रुटियों की व्याख्या मात्र नही है। अनुपस्थित द्रव्यमान समस्या ने ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के सभी प्रचलित सिद्धांतों पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिये हैं। श्याम पदार्थ का अस्तित्व ब्रह्माण्ड के भविष्य पर प्रभाव डालता है। महाविस्फोट का सिद्धांत(The Big Bang Theory) 1950 के दशक के मध्य…
ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 08 : श्याम ऊर्जा(Dark Energy)(5/16/2011)-ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के सबसे प्रचलित तथा मान्य सिद्धांत के अनुसार अरबो वर्ष पहले सारा ब्रह्माण्ड एक बिंदू के रूप मे था। किसी अज्ञात कारण से इस बिंदू ने एक विस्फोट के साथ विस्तार प्रारंभ किया और ब्रह्माण्ड आस्तित्व मे आया। ब्रह्माण्ड का यह विस्तार वर्तमान मे भी जारी है। इसे हम महाविस्फोट का सिद्धांत(The Big Bang Theory) कहते है। एडवीन हब्बल…
ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 09 :प्रति पदार्थ(Anti matter)(5/23/2011)-प्रकृति(१) ने इस ब्रह्माण्ड मे हर वस्तु युग्म मे बनायी है। हर किसी का विपरीत इस प्रकृति मे मौजूद है। भौतिकी जो कि सारे ज्ञान विज्ञान का मूल है, इस धारणा को प्रमाणिक करती है। भौतिकी की नयी खोजों ने सूक्ष्मतम स्तर पर हर कण का प्रतिकण ढूंढ निकाला है। जब साधारण पदार्थ का कण प्रतिपदार्थ के कण से टकराता है दोनो…
ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 10 : क्या प्रति-ब्रह्माण्ड(Anti-Universe) संभव है?(6/6/2011)-सैद्धांतिक रूप से तथा प्रायोगिक रूप से यह प्रमाणित हो चुका है कि प्रति पदार्थ का अस्तित्व है। अब यह प्रश्न उठता है कि क्या प्रति-ब्रह्माण्ड का अस्तित्व संभव है ? हम जानते है कि किसी भी आवेश वाले मूलभूत कण का एक विपरीत आवेश वाला प्रतिकण होता है। लेकिन अनावेशित कण जैसे फोटान (प्रकाश कण), ग्रैवीटान(गुरुत्व बल धारक कण) का…
ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 11 : प्रतिपदार्थ(Antimatter) के उपयोग(6/13/2011)-प्रति पदार्थ यह मानव जाति के लिए एक वरदान साबित हो सकता है। वर्तमान मे यह चिकित्सा जैसे क्षेत्रो मे प्रयोग किया जा रहा है, तथा भविष्य मे इसे ईंधन , अंतरिक्ष यात्रा के लिए रॉकेट ईंधन तथा विनाशक हथियारों के निर्माण के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 12 : श्याम विवर (Black Hole) क्या है?(6/27/2011)-श्याम विवर (Black Hole) एक अत्याधिक घनत्व वाला पिंड है जिसके गुरुत्वाकर्षण से प्रकाश किरणो का भी बच पाना असंभव है। श्याम विवर मे अत्याधिक कम क्षेत्र मे इतना ज्यादा द्रव्यमान होता है कि उससे उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण किसी भी अन्य बल से शक्तिशाली हो जाता है और उसके प्रभाव से प्रकाश भी नही बच पाता है। श्याम…
ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 13 : श्याम विवर के विचित्र गुण(7/4/2011)-श्याम विवर कैसे दिखता है ? कल्पना कीजिए की आप किसी श्याम विवर की सुरक्षित दूरी पर(घटना क्षितीज Event-Horizon से बाहर) परिक्रमा कर रहे है। आप को आकाश कैसा दिखायी देगा ? साधारणतः आपको पृष्ठभूमी के तारे निरंतर खिसकते दिखायी देंगे, यह आपकी अपनी कक्षिय गति के कारण है। लेकिन किसी श्याम विवर के पास गुरुत्वाकर्षण दृश्य…
ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 14 : श्याम विवर कैसे बनते है?(7/11/2011)-जब तक तारे जीवित रहते है तब वे दो बलो के मध्य एक रस्साकसी जैसी स्थिति मे रहते है। ये दो बल होते है, तारो की ‘जीवनदायी नाभिकिय संलयन से उत्पन्न उष्मा’ तथा तारों का जन्मदाता ‘गुरुत्वाकर्षण बल’। तारे के द्रव्यमान से उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण उसे तारे पदार्थ को केन्द्र की ओर संपिड़ित करने का प्रयास करता है, इस संपिड़न…
ब्रह्माण्ड का केन्द्र कहाँ है?(9/13/2013)-सरल उत्तर है कि ब्रह्माण्ड का कोई केन्द्र नही है! ब्रह्माण्ड विज्ञान की मानक अवधारणाओं के अनुसार ब्रह्माण्ड का जन्म एक महाविस्फोट(Big Bang) मे लगभग 14 अरब वर्ष पहले हुआ था और उसके पश्चात उसका विस्तार हो रहा है। लेकिन इस विस्तार का कोई केण्द नही है, यह विस्तार हर दिशा मे समान है। महाविस्फोट…
ब्रह्मांड का अंत कैसे होगा ?(3/5/2014)-वैज्ञानिक को “ब्रह्मांड की उत्पत्ति” की बजाय उसके “अंत” पर चर्चा करना ज्यादा भाता है। ऐसे सैकड़ों तरिके है जिनसे पृथ्वी पर जीवन का खात्मा हो सकता है, पिछले वर्ष रूस मे हुआ उल्कापात इन्ही भिन्न संभावनाओं मे से एक है। लेकिन समस्त ब्रह्मांड के अंत के तरिके के बारे मे सोचना थोड़ा कठिन है।…
ब्रह्माण्ड की 13 महत्वपूर्ण संख्यायें(7/29/2014)-इलेक्ट्रानिक्स फ़ार यु के अक्टूबर 2014/फ़रवरी 2018 अंक मे प्रकाशित लेख कुछ संख्याये जैसे आपका फोन नंबर या आपका आधार नंबर अन्य संख्याओं से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। लेकिन इस लेख मे हम जिन संख्याओं पर चर्चा करेंगे वे ब्रह्मांड के पैमाने पर महत्वपूर्ण है, ये वह संख्याये है जो हमारे ब्रह्मांड को पारिभाषित करती…
तापमान : ब्रह्माण्ड मे उष्णतम से लेकर शीतलतम तक(9/12/2014)-उष्ण होने पर परमाणु और परमाण्विक कण तरंगीत तथा गतिमान होते है। वे जितने ज्यादा उष्ण रहेंगे उतनी ज्यादा गति से गतिमान रहेंगे। वे जितने शीतल रहेंगे उनकी गति उतनी कम होगी। परम शून्य तापमान पर उनकी गति शून्य हो जाती है। इस तापमान से कम तापमान संभव नही है। यह कुछ ऐसा है कि…
गुरुत्विय लेंस क्या होता है?(9/27/2014)-गुरुत्विय लेंस अंतरिक्ष में किसी बड़ी वस्तु के उस प्रभाव को कहते हैं जिसमें वह वस्तु अपने पास से गुज़रती हुई रोशनी की किरणों को मोड़कर एक लेंस जैसा काम करती है। भौतिकी के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत की वजह से कोई भी वस्तु अपने इर्द-गिर्द के व्योम (“दिक्-काल” या स्पेस-टाइम) को मोड़ देती है और बड़ी वस्तुओं में यह मुड़ाव अधिक होता…
अंतरिक्ष से संबधित 25 अजीबोगरिब तथ्य जो आपको चकित कर देंगे(5/27/2015)-1. अंतरिक्ष पुर्णत: निःशब्द है। ध्वनि को यात्रा के लिये माध्यम चाहिये होता है और अंतरिक्ष मे कोई वातावरण नही होता है। इसलिये अंतरिक्ष मे पुर्णत सन्नाटा छाया रहता है। अंतरिक्ष यात्री एक दूसरे से संवाद करने के लिये रेडियो तरंगो का प्रयोग करते है। 2. एक ऐसा भी तारा है जिसकी सतह का तापमान…
ब्रह्माण्ड का अंत : अब से 22 अरब वर्ष पश्चात(7/11/2015)-जो भी कुछ हम जानते है और उसके अतिरिक्त भी सब कुछ एक महाविस्फोट अर्थात बिग बैंग के बाद अस्तित्व मे आया था। अब वैज्ञानिको के अनुसार इस ब्रह्मांड का अंत भी बड़े ही नाटकीय तरिके से होगा, महाविच्छेद(The Big Rip)।
ये नये सैद्धांतिक माडेल के अनुसार ब्रह्मांड के विस्तार के साथ, सब कुछ, आकाशगंगाओं से लेकर, ग्रह, तारे, परमाण्विक कण से लेकर काल-अंतराल (Space-Time)तक अंततः दृश्य से बाहर होने से पहले विदीर्ण हो जायेंगे!
अभी से घबराने की बात नही है लेकिन इस महा-भयानक प्रलयंकारी घटना का प्रारंभ अब से 22 अरब वर्ष बाद होगा।
ब्रह्माण्ड के बाहर क्या है?(8/12/2015)-मान ही लिजिये की आपके मन मे कभी ना कभी यह प्रश्न आया होगा कि ब्रह्माण्ड के बाहर क्या है? खगोलशास्त्री जानते है कि बिग बैंग के पश्चात से ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है, लेकिन यह विस्तार किसमे हो रहा है? किसी भी खगोल शास्त्री से आप यह प्रश्न पूछें, आपको एक असंतोषजनक उत्तर…
श्याम विवर: 10 विचित्र तथ्य(10/26/2015)-श्याम विवर या ब्लैक होल! ये ब्रह्मांड मे विचरते ऐसे दानव है जो अपनी राह मे आने वाली हर वस्तु को निगलते रहते है। इनकी भूख अंतहीन है, जितना ज्यादा निगलते है, उनकी भूख उतनी अधिक बढ़्ती जाती है। ये ऐसे रोचक विचित्र पिंड है जो हमे रोमांचित करते रहते है। अब हम उनके बारे…
अब तक का सबसे ताकतवर सुपरनोवा ASASSN-15lh(1/17/2016)-खगोलविदों ने अब तक के सबसे ताक़तवर सुपरनोवा ASASSN-15lh की खोज की है। इस सुपरनोवा का मूल तारा भी काफ़ी विशाल रहा होगा- संभवतः हमारे सूर्य के मुक़ाबले 50 से 100 गुना तक बड़ा। इस फट रहे तारे/मृत्यु को प्राप्त हो रहे तारे को पहली बार बीते साल जून 2015 में देखा गया था लेकिन…
प्रकाशगति का मापन(2/8/2016)-प्रकाशगति का मापन कैसे किया गया ? यह प्रश्न कई बार पुछा जाता है और यह एक अच्छा प्रश्न भी है। 17 वी सदी के प्रारंभ मे और उसके पहले भी अनेक वैज्ञानिक मानते थे कि प्रकाश की गति जैसा कुछ नही होता है, उनके अनुसार प्रकाश तुरंत ही कोई कोई भी दूरी तय कर…
गुरुत्वाकर्षण तरंग की खोज : LIGO की सफ़लता(2/12/2016)-लगभग सौ वर्ष पहले 1915 मे अलबर्ट आइंस्टाइन (Albert Einstein)ने साधारण सापेक्षतावाद का सिद्धांत(Theory of General Relativity) प्रस्तुत किया था। इस सिद्धांत के अनेक पुर्वानुमानो मे से अनुमान एक काल-अंतराल(space-time) को भी विकृत(मोड़) कर सकने वाली गुरुत्वाकर्षण तरंगो की उपस्थिति भी था। गुरुत्वाकर्षण तरंगो की उपस्थिति को प्रमाणित करने मे एक सदी लग गयी और…
विश्व को बदल देने वाले 10 क्रांतिकारी समीकरण(2/26/2016)-विश्व के सर्वाधिक प्रतिभावान मस्तिष्को ने गणित के प्रयोग से ब्रह्माण्ड के अध्ययन की नींव डाली है। इतिहास मे बारंबार यह प्रमाणित किया गया है कि मानव जाति के प्रगति पर्थ को परिवर्तित करने मे एक समीकरण पर्याप्त होता है। प्रस्तुत है ऐसे दस समीकरण। 1.न्युटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम न्युटन का नियम बताता…
तारों की अनोखी दुनिया(3/5/2016)-लेखक -प्रदीप (Pk110043@gmail.com) आकाश में सूरज, चाँद और तारों की दुनिया बहुत अनोखी है। आपने घर की छत पर जाकर चाँद और तारों को खुशी और आश्चर्य से कभी न कभी जरुर निहारा होगा। गांवों में तो आकाश में जड़े प्रतीत होने वाले तारों को देखने में और भी अधिक आनंद आता है, क्योंकि शहरों…
GN-Z11: सबसे प्राचीन तथा सबसे दूरस्थ ज्ञात आकाशगंगा(3/11/2016)-लेख संक्षेप : GN-z11 यह एक अत्याधिक लाल विचलन(high redshift) वाली आकाशगंगा है जोकि सप्तऋषि तारामंडल मे स्थित है। वर्तमान जानकारी के आधार पर यह सबसे प्राचीन तथा दूरस्थ आकाशगंगा है। GN-z11 के प्रकाश के लालविचलन का मूल्य z=11.1 है जिसका अर्थ पृथ्वी से 32 अरब प्रकाशवर्ष की दूरी है। GN-z11 की जो छवि हम…
LIGO ने दूसरी बार गुरुत्वाकर्षण तरंग देखने मे सफ़लता पायी(6/16/2016)-वैज्ञानिको ने दूसरी बार गुरुत्वाकर्षण तरंगो को पकड़ने मे सफ़लता पायी है। गुरुत्वाकर्षण तरंगे काल-अंतराल(space-time) मे उत्पन्न हुयी लहरे है, ये लहरे दूर ब्रह्माण्ड मे किसी भीषण प्रलय़ंकारी घटना से उत्पन्न होती है। वैज्ञानिको ने पाया है कि ये तरंगे पृथ्वी से 1.4 अरब प्रकाशवर्ष दूर दो श्याम विवरो(black hole) के अर्धप्रकाशगति से टकराने से उत्पन्न…
प्रतिपदार्थ(Antimatter) से ऊर्जा(11/3/2016)-प्रतिपदार्थ(Antimatter) से ऊर्जा के निर्माण का सिद्धांत अत्यंत सरल है। पदार्थ(matter) : साधारण पदार्थ जो हर जगह है। नाभिक मे धनात्मक प्रोटान और उदासीन न्युट्रान, कक्षा मे ऋणात्मक इलेक्ट्रान से निर्मित। प्रतिपदार्थ(Antimatter) : इसके गुणधर्म पदार्थ के जैसे ही है लेकिन इसका निर्माण करने वाले कणो का आवेश पदार्थ का निर्माण करने वाले कणो से…
ब्रह्मांड का व्यास उसकी आयु से अधिक कैसे है ?(11/7/2016)-ब्रह्मांड के मूलभूत और महत्वपूर्ण गुणधर्मो मे से एक प्रकाश गति है। इसे कई रूप से प्रयोग मे लाया जाता है जिसमे दूरी का मापन, ग्रहों के मध्य संचार तथा विभिन्न गणिति गणनाओं का समावेश है। और यह तो बस एक नन्हा सा भाग ही है। निर्वात मे प्रकाश की गति 299,792 किमी/सेकंड है, यह…
ब्लैक होल की रहस्यमय दुनिया(11/14/2016)-कृष्ण विवर(श्याम विवर) अर्थात ब्लैक होल (Black hole) अत्यधिक घनत्व तथा द्रव्यमान वाले ऐसें पिंड होते हैं, जो आकार में बहुत छोटे होते हैं। इसके अंदर गुरुत्वाकर्षण इतना प्रबल होता है कि उसके चंगुल से प्रकाश की किरणों निकलना भी असंभव होता हैं। चूंकि यह प्रकाश की किरणों को अवशोषित कर लेता है, इसीलिए यह…
श्याम पदार्थ : इन्फ़ोग्राफ़िक(3/10/2017)-खगोल वैज्ञानिकों के सामने एक अनसुलझी पहेली है जो उन्हे शर्मिन्दा कर देती है। वे ब्रह्मांड के 95% भाग के बारे मे कुछ नहीं जानते है। परमाणु, जिनसे हम और हमारे इर्द गिर्द की हर वस्तु निर्मित है, ब्रह्मांड का केवल 5% ही है! पिछले 80 वर्षों की खोज से हम इस परिणाम पर पहुँचे…
ब्रह्मांड मे कितने आयाम ?(3/21/2017)-ब्रह्मांड की उत्पत्ति सदियो से ही मनुष्य के लिए रहस्य से भरा विषय रहा है हालांकि ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति को समझने के लिए कई वैज्ञानिक शोध किये गए कई सिद्धान्तों का जन्म भी हुआ फिर बिग बैंग सिद्धान्त को सर्वमान्य माना गया। हम अपने आसपास ही यदि लोगो से पूछे की ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति कैसे…
समय एक भ्रम : ब्रायन ग्रीन(4/20/2017)-“एक समय की बात है(Once Upon a time)”……..। बहुत सारी अच्छी कहानियों की शुरुआत इस जादुई वाक्यांश से शुरू होती है लेकिन समय की कहानी क्या है ? हमलोग हमेशा कहते है समय व्यतीत होता है, समय धन है, हम समय नष्ट करते है, हम समय बचाने की कोशिश कर रहे है लेकिन वास्तव में…
हम तारों की धूल है : बिग बैंग से लेकर अब तक की सृजन गाथा(11/5/2017)-मान लीजिये आपको एक कार बनानी है तो आपको क्या क्या सामग्री चाहिये होगी ? एक इंजन , कार का फ्रेम , पहिये , कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स , सीट्स, ट्रांसमिशन सिस्टम , स्क्रूज , ईंधन और भी बहुत सारा सामान। और अब अगर मैं कहु की आपको एक इंजन बनाना है तब आपको चहियेगा बहुत सी…
आधुनिक खगोलशास्त्र के पितामह : एडवीन हबल(11/20/2017)-एडविन हबल ब्रह्मांड के विस्तार सिद्धांत के प्रवर्तक और आधुनिक खगोल विज्ञान के पितामह थे । हबल बीसवीं सदी के अग्रणी खगोलविदों में से एक थे । उन पर ही हबल अंतरिक्ष टेलीस्कोप का नामकरण हुआ था । 1920 के दशक में हमारी अपनी मंदाकिनी(milky way) आकाशगंगा के परे अनगिनत आकाशगंगाओं की उनकी खोज ने…
स्टीफन विलियम हॉकिंग : ब्लैक होल को चुनौती देता वैज्ञानिक(3/14/2018)-विश्व प्रसिद्ध महान वैज्ञानिक और बेस्टसेलर रही किताब ‘अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ के लेखक स्टीफन हॉकिंग ने शारीरिक अक्षमताओं को पीछे छोड़ते हु्ए यह साबित किया कि अगर इच्छा शक्ति हो तो व्यक्ति कुछ भी कर सकता है। हमेशा व्हील चेयर पर रहने वाले हॉकिंग किसी भी आम मानव से इतर दिखते हैं। कम्प्यूटर…
हम तारों की दूरी कैसे ज्ञात कर लेते है ?(4/1/2018)-हम तारों की दूरी कैसे ज्ञात कर लेते है ? हम कैसे बता पाते है की उस तारे की दूरी उतनी है इस तारे की दूरी इतनी है ? यह ऐसे सवाल है जो विज्ञान विश्व पृष्ठ पर सबसे ज्यादा लोगो ने सबसे ज्यादा बार पूछा है। ब्रह्माण्ड में स्थित तारों, ग्रहों या आकाशगंगाओं की…
अंतरिक्ष – क्या है अंतरिक्ष ? : भाग 1(5/28/2018)-हम सब लोग इस पृथ्वी पर रहते है और अपनी दुनियाँ के बारे में हमेशा सोचते भी रहते है जैसे- सामानों, कारों, बसों, ट्रेनों और लोगो के बारे में भी। लगभग सारे संसार मे हमारी रोजमर्रा की जिंदगी के सभी चीज हमारे आसपास ही मौजूद है किसी बड़े महानगर जैसे- न्यूयॉर्क, मुम्बई, दिल्ली इन भीड़-भाड़…
सर आर्थर स्टेनली एडिंगटन(Sir Arthur Stanley Eddington).(12/28/2018)-अल्बर्ट आइंस्टीन ! यह नाम आज किसी परिचय का मोहताज नही है। आइंस्टीन द्वारा प्रतिपादित सापेक्षवाद सिद्धान्त आज आधुनिक भौतिकी का आधार स्तंभ माना जाता है। आज यह सिद्धान्त हमलोग भलीभांति समझते है और दूसरों को भी समझा सकते है लेकिन क्या यह सिद्धान्त को समझना शुरुआती दिनों में भी इतना ही सरल था ?…
खगोल भौतिकी 6 : स्टीफ़न का नियम और उसका खगोलभौतिकी मे महत्व(4/30/2019)-लेखक : ऋषभ इस लेख मे हम भौतिकी के एक बहुत ही महत्वपूर्ण नियम की चर्चा कर रहे है जो कि बहुत ही सरल है इसके खगोलभौतिकी मे बहुत से प्रयोग है। यह बहुत लोकप्रिय नियम नही है और हम मे से बहुत इसके महत्व को समझ पाने मे असफ़ल रहते है। ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics…
खगोल भौतिकी 7 : खगोलीय निर्देशांक प्रणाली(CELESTIAL COORDINATE SYSTEMS)(5/2/2019)-लेखिका: सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar) यदि आप कहीं जा रहे हों तो वहाँ पहुंचने के लिये आपके लिये क्या जानना सबसे महत्वपूर्ण क्या होगा ? उस स्थल का पता! खगोलभौतिकी मे हमे किसी भी पिंड की जानकारी ज्ञात करने के लिये, उस पिंड पर अपने उपकरणो को फ़ोकस करने के लिये हमे उस पिंड की स्थिति…
खगोल भौतिकी 8 : खगोलभौतिकी मे परिमाण (MAGNITUDE) की अवधारणा(5/4/2019)-लेखक : ऋषभ जब हम आकाश मे देखते है तो हम भिन्न आकाशीय पिंडो को देखते है। इनमे से कुछ(सूर्य और चंद्रमा) अत्याधिक चमकदार है जबकि कुछ अन्य(धुंधले तारे, निहारिका) नग्न आंखो से मुश्किल से ही दिखाई देते है। किसी पिंड की चमक बहुत से कारको पर निर्भर होती है। किसी पिंड से दूरी निश्चय…
खगोल भौतिकी 9 : तारों का वर्णक्रम के आधार पर वर्गीकरण (SPECTRAL CLASSIFICATION)(5/6/2019)-लेखक : ऋषभ यह लेख ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला मे नंवा लेख है और अब तक की यात्रा रोचक रही है। हमने एक सरल प्रश्न से आरंभ किया था कि खगोलभौतिकी क्या है? इसके पश्चात हमने इस क्षेत्र मे प्रयुक्त होने आधारभूत उपकरणो और तकनीकी शब्दो, दूरी की इकाईयों, खगोलीय निर्देशांक प्रणाली, परिमाण(magnitud)…
खगोल भौतिकी 10 : मेघनाद साहा का समीकरण और महत्व(5/8/2019)-लेखिका याशिका घई(Yashika Ghai) ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के इस लेख मे हम आज एक आधारभूत गणितीय उपकरण की चर्चा करेंगे। इस उपकरण को साहा का समीकरण कहा जाता है। इस समीकरण ने खगोलभौतिकी की एक विशिष्ट शाखा की नींव रखी थी और यह प्लाज्मा के अध्ययन मे मील का पत्थर साबीत हुई…
खगोल भौतिकी 12 : हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख(THE HERTZSPRUNG RUSSELL DIAGRAM)(5/12/2019)-लेखक : ऋषभ जब आप खगोलभौतिकी का अध्ययन करते है, विशेषत: तारो का तो यह असंभव है कि आपने हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख(THE HERTZSPRUNG RUSSELL DIAGRAM) ना देखा हो। ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के बारहवें लेख मे हम खगोल विज्ञान के सबसे महत्वपूर्ण आरेख HR आरेख के बारे मे जानेंगे। यह सबसे महत्वपूर्ण आरेख क्यों…
खगोल भौतिकी 13 :सूरज की संरचना – I(5/14/2019)-लेखिका याशिका घई(Yashika Ghai) मंदाकिनी आकाशगंगा(The Milky way) मे लगभग 1 खरब तारे है। हमारे लिये सबसे महत्वपूर्ण तारा सूर्य है। यह वह तेजस्वी तारा है जिसकी परिक्रमा पृथ्वी अन्य ग्रहों के साथ करती है। आज इस लेख मे हम सूर्य को करीब से जानेंगे। ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के तेरहंवे लेख मे…
खगोल भौतिकी 14 :सूर्य की संरचना 2 – सौरकलंक, सौरज्वाला और सौरवायु(5/16/2019)-लेखिका याशिका घई(Yashika Ghai) पिछले लेख मे हमने अपने सौर परिवार के सबसे बड़े सदस्य सूर्य की संरचना का परिचय प्राप्त किया था। । ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के चौदहवें लेख मे हम सूर्य की संरचना की अधिक जानकारी प्राप्त करेंगे। इस लेख मे हम सूर्य की संरचना और उसकी सतह पर सतत…
खगोल भौतिकी 16 :युग्म तारा प्रणाली(THE BINARY STAR SYSTEMS)(5/22/2019)-लेखिका: सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar) जैसे हमारे भाई/बहन होते है, वैसे ही हमारे ब्रह्मांड मे अधिकतर तारों के भाई/बहन होते है। हमारे सौर मंडल जिसमे हमारा सूर्य अकेला है वास्तविकता मे यह एक दूर्लभ संयोग है। अधिकतर तारों के साथ उनके जुड़वा होते है। ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के सोलहंवे लेख मे हम युग्म…
खगोल भौतिकी 19 :न्यूट्रान तारे और उनका जन्म(5/29/2019)-लेखक : ऋषभ ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के पिछले लेख मे हमने सूर्य के जैसे मध्यम आकार के तारों के विकास और जीवन की चर्चा की। हमने देखा कि वे कैसे श्वेत वामन(white dwarfs) तारे बनते है। इस शृंखला के उन्नीसवें लेख मे हम महाकाय तारो के जीवन और विकास की चर्चा करेंगे…
खगोल भौतिकी 20 : तीन तरह के ब्लैक होल(5/31/2019)-लेखक : ऋषभ ब्लैक होल का वर्गीकरण पिछले कुछ लेखों मे तारकीय खगोलभौतिकी पर विस्तार से चर्चा के पश्चात हम लोकप्रिय विज्ञान से सबसे पसंदीदा विषय की ओर नजर डालते है : ब्लैक होल। इसके पहले के लेख मे हमने देखा था कि किस तरह ब्लैक होल बनते है, यह ब्लैक होल तारकीय द्रव्यमान वाले…
खगोल भौतिकी 21 : सुपरनोवा और उनका वर्गीकरण(6/2/2019)-लेखिका: सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar) जब भी हम रात्रि आकाश मे देखते है, सारे तारे एक जैसे दिखाई देते है, उन तारों से सब कुछ शांत दिखाई देता है। लेकिन यह सच नही है। यह तारों मे होने वाली गतिविधियों और हलचलो की सही तस्वीर नही है। तारों की वास्तविक तस्वीर भिन्न होती है। हर तारा…
खगोल भौतिकी 23 : आकाशगंगा और उनका वर्गीकरण(6/6/2019)-लेखिका: सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar) अपने स्कूली दिनो से हम जानते है कि हम पृथ्वी मे रहते है जोकि सौर मंडल मे है और सौर मंडल एक विशाल परिवार मंदाकिनी आकाशगंगा(Milkyway Galaxy) का भाग है। लेकिन हममे से अधिकतर लोग नही जानते है कि आकाशगंगा या गैलेक्सी क्या है ? इसके अतिरिक्त मंदाकिनी आकाशगंगा ब्रह्माण्ड मे…
खगोल भौतिकी 24 : क्वासर और उनके प्रकार(QUASAR AND ITS TYPES)(6/10/2019)-लेखिका: सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar) क्वासर की सर्वमान्य परिभाषा के अनुसार क्वासर अत्याधिक द्रव्यमान वाले अंत्यत दूरस्थ पिंड है जो असाधारण रूप मे अत्याधिक मात्रा मे ऊर्जा उत्सर्जन करते है। दूरबीन से देखने पर क्वासर किसी तारे की छवि के जैसे दिखाई देता है। लेकिन वह तारकीय गतिविधियो की बजाय शक्तिशाली रेडीयो तरंगो के स्रोत होते…
खगोल भौतिकी 26 :ब्रह्माण्डीय पृष्ठभूमी विकिरण और उसका उद्गम (THE COSMIC MICROWAVE BACKGROUND RADIATION AND ITS ORIGIN)(6/12/2019)-लेखिका याशिका घई(Yashika Ghai) ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के छब्बीसवें लेख मे हम बिग बैंग के प्रमाण अर्थात ब्रह्माण्डीय पृष्ठभूमी विकिरण(THE COSMIC MICROWAVE BACKGROUND RADIATION) की चर्चा करेंगे। 1978 मे इसकी खोज ने इसके खोजकर्ताओं को नोबेल पुरस्कार दिलवाया था। अब इस महान खोज के बारे मे कुछ आधारभूत जानकारी देखते है। इस…
खगोल भौतिकी 27 :सर्वकालिक 10 शीर्ष खगोलभौतिकी वैज्ञानिक (TOP 10 ASTROPHYSICISTS OF ALL TIME)(6/13/2019)-लेखक : ऋषभ ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला अब समाप्ति की ओर है। इसके अंतिम कुछ लेखो मे हम खगोलभौतिकी के कुछ सामान्य विषयों पर चर्चा करेंगे। इस शृंखला के सत्ताइसवें लेख मे हम इतिहास मे जायेंगे और कुछ प्रसिद्ध खगोलभौतिक वैज्ञानिको(Astrophysicists) के बारे मे जानेंगे जिन्होने इस खूबसूरत विषय पर महत्वपूर्ण योगदान दिया…
खगोल भौतिकी 28 : खगोलशास्त्र और खगोलभौतिकी मे अध्ययन हेतु शीर्ष 5 विश्वविद्यालय(6/19/2019)-लेखक : ऋषभ खगोलशास्त्र भौतिकी की एक ऐसी शाखा है जिसकी लोकप्रियता तकनीक के विकास के साथ बढ़ी है। समस्त विश्व से छात्र विश्व के शीर्ष विद्यालयो मे बैचलर, मास्टर तथा डाक्टरल डीग्री के लिये प्रवेश लेने का प्रयास करते है। मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के अठ्ठाईसवें लेख मे हम खगोलशास्त्र और खगोलभौतिकी…
खगोल भौतिकी 29 :खगोलभौतिकी वैज्ञानिक कैसे बने ?(6/20/2019)-लेखक : ऋषभ मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के उपान्त्य लेख मे हम सबसे अधिक पुछे जाने वाले प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे कि खगोलभौतिकी वैज्ञानिक कैसे बने ? यह प्रश्न दर्जनो छात्रों तथा शौकीया खगोलशास्त्र मे रूची रखने वालों ने पुछा है। यही वजह है कि हमने इसका उत्तर एक लेख…
खगोल भौतिकी 30 :खगोलभौतिकी की शीर्ष 5 अनसुलझी समस्यायें(6/25/2019)-लेखक : ऋषभ यह मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला का तींसवाँ और अंतिम लेख है। हमने खगोलभौतिकी के बुनियादी प्रश्नो से आरंभ किया था और प्रश्न किया था कि खगोलभौतिकी क्या है? हमने इस विषय को समझने मे सहायक कुछ सरल आधारभूत उपकरणो की चर्चा की थी जिसमे विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम(EM Spectrum), दूरी, परिमाण…
रात्रि आसमान मे अंधेरा क्यों छाया रहता है ? ओल्बर्स का पैराडाक्स(7/14/2020)-ब्रह्मांड मे अरबो आकाशगंगाये है, हर आकाशगंगा मे अरबो तारे है। यदि हम आकाश की ओर नजर उठाये तो इन तारों की संख्या के आधार पर आकाश के हर बिंदु पर कम से कम एक तारा होना चाहिये? तो रात्रि आसमान मे अंधेरा क्यों छाया रहता है ? अंतरिक्ष मे भी अंधेरा क्यों रहता है…
ब्लैक होल: एक झटके में निकली आठ सूर्यो के तुल्य ऊर्जा(9/9/2020)-सोचिए कि अगर आठ सूर्य की ऊर्जा एकसाथ अचानक निकले तो क्या होगा? यह दो ब्लैक होल्स के बीच अब तक के देखे गए सबसे बड़े विलय से निकलने वाली यह गुरुत्वाकर्षण “शॉकवेव” है। पिछले साल मई में इस निरिक्षित की गई इस घटना के संकेत करीब सात अरब प्रकाश वर्ष की दूरी तय कर…
मैं भी ईश्वर जैसी फालतू चीजो पर विश्वास नही करता । पहले जब लोग अल्पज्ञानी थे तो हर चीज का जिम्मेदार भगवान को मानते थे पर अब हमारे पास विज्ञान है अब हमारे पास हर घटना का तर्क है और जो अनसुलझे रहस्य है उन्हें हम सुलझाने की कोशिश कर रहे है
(यहाँ ‘हम’ से मतलब वैज्ञानिकों से है)।
अभी दोनो सिद्धांत मे एकरूपता नही है। क्वांट्म सिद्धांत के अनुसार ग्रेविटान होना चाहिये, जबकि सापेक्षतावाद के अनुसार काल-अंतराल मे गुरुत्वाकर्षण से वक्रता आती है। दोनो भिन्न सिद्धांत है, दोनो गुरुत्वाकर्षण के मामले मे मेल नही खाते है।
सौर मंडल का आकार निश्चित नही है, जिससे उसके व्यास के बार मे कहना कठीन है। सौर मंडल की सीमा किसे माना जाये यह भी कहना कठीन है, नेपच्युन अंतिम ग्रह है, लेकिन उसके बाद प्लूटो, सेडना माकेमाकी जैसे बौने ग्रह है। इसके अलावा हजारो अज्ञात पिंड हो सकते है। नेपच्युन के बाद हजारो ज्ञात अज्ञात धूमकेतु भी है।
यदि हम नेपच्युन को सौर मंडल की सीमा माने तो सौर मंडल का व्यास 9.09 अरब किमी होगा।
वायेजर 1 सौर मंडल के बाहर जा चुका है। वायेजर 2 अभी भी सौर मंडल के अंदर है।
सौर मंडल मे शुक्र, पृथ्वी और मंगल ही गोल्डीलाक क्षेत्र मे है। लेकिन शुक्र पर वायुमंडल अत्यंत घना होने से उष्णता अत्याधिक है, मंगल पर वायुमंडल अत्यंत पतला होने से तापमान अत्यंत कम है।
नदियो का जल इतनी मात्रा मे नही होता कि चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण से उसपर कोई विशेष प्रभाव पडे। समुद्र मे जल की अत्याधिक मात्रा होने से चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव ज्वार भाटा के रूप मे दिखायी दे जाता है।
चन्द्रयान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के एक अभियान व यान का नाम है। चंद्रयान चंद्रमा की तरफ कूच करने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष यान है। इस अभियान के अन्तर्गत एक मानवरहित यान को २२ अक्टूबर, २००८ को चन्द्रमा पर भेजा गया और यह ३० अगस्त, २००९ तक सक्रिय रहा।
प्राकृतिक मोती को समुद्री जीव सीप (नैकर) जन्म देता है। जिन सीपों के ऊपर मौलस्क का कठोर आवरण होता है, वे सभी मोती उत्पन्न करने की क्षमता रखते हैं। कभीकभार किसी सीप में छेद हो जाता है जिसके कारण रेत के कण सीप के अंदर घुस जाते हैं। तब सीप उस हानिकारक रेत कण से प्रतिकार हेतु कैल्शियम कार्बोनेट नामक पदार्थ का उत्सर्जन करता है। कैल्शियम कार्बोनेट उस रेत कण के ऊपर परत दर परत चढ़ता जाता हैं। धीरे-धीरे यह एक सुंदर सफेद रंग के गोले का रूप धारण करने लगता है, जोकि अंततः सुंदर एवं दुर्लभ मोती का रूप धारण कर लेता है। मोती एकमात्र ऐसा रत्न है, जिसे एक समुद्री जीव अपनें शरीर के अंदर जन्म देता है। मोती को अंग्रेजी में ‘पर्ल’ के नाम से जाना जाता है। पर्ल शब्द की उत्पत्ति लातिनी भाषा के शब्द ‘प्रीग्ल’ से हुई है, जिसका अर्थ गोलाकार होता है। आजकल मोतियों का निर्माण कृत्रिम ढंग से अत्यधिक मात्रा में होने लगा है। इसे ‘मोती की खेती’ (पर्ल कल्चर फॉर्मिंग) के नाम से जाना जाता है। इस ढंग से खेती होता है जिसमें सीप में छेद करके रेत कणों को प्रविष्ट करा दिया जाता है और उसके बाद कण पर कैल्शियम कार्बोनेट की परत जमने लगती है और आखिरकार मोती का रूप लेता है। कुछ ही दिनों के बाद सीप को चीरकर मोती को निकाल लिया जाता है। कृत्रिम ढंग से मोतियों का उत्पादन जापान में सबसे ज्यादा किया जा रहा है। बाज़ार में नकली मोतियों का भी प्रचलन है, जिसे सीप से नहीं बनाया जाता। बल्कि जिप्सम अथवा शीशे से बनाया जाता है।
गुरुत्वाकर्षण से। जब भी कोई भी दो पिंड एक दूसरे के समीप होते होते है तब वे गुरुत्वाकर्षण से बंध जाते है और एक दूसरे की परिक्रमा शुरु कर देते है। इस परिक्रमा का बिंदु दोनो के मध्य एक ऐसा बिंदु होता है जिस पर दोनो का गुरुत्वाकर्षण संतुलित होता है, इसे गुरुत्व केंद्र कहते है।
ग्रह और तारे के संदर्भ मे यह गुरुत्व केंद्र तारे के निकट या तारे के आंतरिक भाग मे होता है। जिससे ग्रह तारे की परिक्रमा करता है।
पृथ्वी ही नही सभी ग्रह तारे अपनी धुरी पर घूर्णन करते है। यह प्रक्रिया ग्रह और तारे के जन्म से जुड़ी हुयी होती है। ग्रह और तारो का निर्माण धूल और गैस के विशाल बादल से होता है जिसमे यह बादल गुरुत्वाकर्षण से घूर्णन प्रारंभ कर देता है। यह बादल धीरे धीरे तारे और ग्रहों मे बदल जाता है। इस बादल के प्रारंभिक घूर्णन के कारण इससे बने ग्रह और तारे भी घूर्णन करते रहते है। इस कोणीय संवेग के संरक्षण का नियम(Law of conservation of angular momentum) भी कहते है।
सूर्य या किसी अन्य तारे के चारों ओर परिक्रमा करने वाले खगोल पिण्डों को ग्रह कहते हैं।
तारे (Stars) स्वयंप्रकाशित (self-luminous) उष्ण गैस की द्रव्यमात्रा से भरपूर विशाल, खगोलीय पिंड हैं। इनका निजी गुरुत्वाकर्षण (gravitation) इनके द्रव्य को संघटित रखता है। मेघरहित आकाश में रात्रि के समय प्रकाश के बिंदुओं की तरह बिखरे हुए, टिमटिमाते प्रकाशवाले बहुत से तारे दिखलाई देते हैं।
कण कैसे भार प्राप्त करते हैं, हिग्स कण इस संदर्भ में एक उत्तर प्रस्तुत करता है। भौतिकविदों ने परिकल्पना की कि करीब 13.7 बिलियन वर्ष पहले बिग बैंग के बाद जब ब्रह्माण्ड ठंडा हुआ, तब कणों के साथ हिग्स फील्ड बना।
इस परिदृश्य के तहत, हिग्स फील्ड ब्रह्माण्ड में व्याप्त हो गया और जिस किसी कण ने इसके साथ पारस्परिक क्रिया की, हिग्स बोसन के ज़रिए उसे भार मिल गया। जितना ज्यादा उनमें पारस्परिक क्रिया हुई, वो उतने ज्यादा भारी बने। वो कण जो हिग्स फील्ड के साथ नहीं जुड़ते, वो बगैर भार के रह जाते हैं।
“ये शहद के एक बड़े कुंड की भांति है,जैसे-जैसे कण इससे होकर गुज़रते हैं, उनकी गति प्रकाश की गति से कम होती है और ऐसा लगता है कि वो भार हासिल कर रहे हैं।”
प्रकाश ऊर्जा का रूप है। तारो मे हायड्रोजन के संलयन से हिलीयम बनती है, इस प्रक्रिया मे कुछ पदार्थ ऊर्जा मे परिवर्तित होता है जिसका कुछ भाग प्रकाश के रूप मे मुक्त होता है। बल्ब मे ऊर्जा इलेक्ट्रान के गर्म होने पर फोटान के उत्सर्जन के रूप मे मुक्त होती है, जोकि प्रकाश ही है। इसी तरह की प्रक्रिया अग्नि मे भी होती है। यह एक सतत प्रक्रिया है और सारे ब्रह्मांड मे भिन्न भिन्न रूप मे चलते रहती है।
परमाणु (एटम) किसी तत्व का सबसे छोटा भाग है जिसमें उस तत्व के रासायनिक गुण निहित होते हैं। परमाणु के केन्द्र में नाभिक (न्यूक्लिअस) होता है जिसका घनत्व बहुत अधिक होता है। नाभिक के चारो ओर ऋणात्मक आवेश वाले एलेक्ट्रान चक्कर लगाते रहते है.
अणु पदार्थ का वह छोटा कण है तो प्रकृति के स्वतंत्र अवस्था में पाया जाता है लेकिन रासायनिक प्रतिक्रिया में भाग नहीं ले सकता है। रसायन विज्ञान में अणु दो या दो से अधिक, एक ही प्रकार या अलग अलग प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बना होता है।
Sir. quantum entanglement me ek bastu per agar hum koi karya karte hai to uska asar dusari bastu par bhe hota hai .but mai yah nahi samaz pa raha hu ke yah asar ketne time me dekhne lagta hai? please bataye
sir main kabhi kabhi jab chat pe jata hu tb tare jaise ek vastu dikhayi deti hai aur achanak tez chamkti hai fir bujh jati hai aur ye tara jaisa kuch gati bhi karta hai sir kya ap mujhe iske bare mein btayenge?
आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का (meteor) और साधारण बोलचाल में ‘टूटते हुए तारे’ अथवा ‘लूका’ कहते हैं। उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुँचता है उसे उल्कापिंड (meteorite) कहते हैं। प्रायः प्रत्येक रात्रि को उल्काएँ अनगिनत संख्या में देखी जा सकती हैं, किंतु इनमें से पृथ्वी पर गिरनेवाले पिंडों की संख्या अत्यंत अल्प होती है। वैज्ञानिक दृष्टि से इनका महत्व बहुत अधिक है क्योंकि एक तो ये अति दुर्लभ होते हैं, दूसरे आकाश में विचरते हुए विभिन्न ग्रहों इत्यादि के संगठन और संरचना (स्ट्रक्चर) के ज्ञान के प्रत्यक्ष स्रोत केवल ये ही पिंड हैं।
hello my name is sushil &my contect no.is 9235126388 vigyan prasar.com me stuents ke liye pcm full knowlege hona chahiye cepter vise
mera mannahai ki esa telivision ke sahare computer se jankari lene ke liye forse kiya jay sabhi students ko .
शानदार पोस्ट
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Sir, mera weight 55kg hai ya mass??
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मास या द्रव्यमान
भार/wieght की इकाई N (न्यूटन) है।
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Sir thanku so Mitch you and your team i have a quation that when will the last of earth ?
Thanku …
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आज से ५ अरब वर्ष बाद
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sir,pahle mail aapka aur aapke team ka dhanyawad Karna chahuga ki aap log qus ka bakhubi ans Dene ka prayash karte hai.
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Very nice sir
Sir mera q he ki God ke baare me apka kya khyal he
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मुजीब, ईश्वर, धर्म और धार्मिक ग्रंथों पर प्रश्नो के उत्तर हम नहीं देते है।
निजी तौर पर मैं ईश्वर पर विश्वास नहीं करता।
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सर नमस्ते हमे आप ही के जैसे गुरू की आवश्यकता है
कृपया हमारा निवेदन स्वीकार करे ।,
धन्यवाद
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मैं भी ईश्वर जैसी फालतू चीजो पर विश्वास नही करता । पहले जब लोग अल्पज्ञानी थे तो हर चीज का जिम्मेदार भगवान को मानते थे पर अब हमारे पास विज्ञान है अब हमारे पास हर घटना का तर्क है और जो अनसुलझे रहस्य है उन्हें हम सुलझाने की कोशिश कर रहे है
(यहाँ ‘हम’ से मतलब वैज्ञानिकों से है)।
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Aur “Exotic Matter” matter kya hita hai ??? iss par koi lekh … Plzz
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If gravity is caused by curved spacetime, how do gravitons fit in?
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अभी दोनो सिद्धांत मे एकरूपता नही है। क्वांट्म सिद्धांत के अनुसार ग्रेविटान होना चाहिये, जबकि सापेक्षतावाद के अनुसार काल-अंतराल मे गुरुत्वाकर्षण से वक्रता आती है। दोनो भिन्न सिद्धांत है, दोनो गुरुत्वाकर्षण के मामले मे मेल नही खाते है।
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sir, universe ka anti-universe exist krta h????.
hr matter ka anti- matter exist krta h……..
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एन्टी मैटर का अस्तित्व प्रमाणित है लेकिन एंटी युर्निवर्स केवल अवधारणाओं मे है, इसका अस्तित्व प्रमाणित नही है, वह हो भी सकता है, ना भी हो सकता है।
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SIR, ANTARKATIKA MAHADWEEP SE SUN KAISA (KIS RANG KA) DIKHAI PADTA HAI?
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हल्का पीला
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SIR, HAMARE SOURMANDAL KA VYAS KITNA HAI & VAJEYAR 1 SOURMANDAL KI SEEMA KO AB TAK PAR KIYA KI NAHI?
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सौर मंडल का आकार निश्चित नही है, जिससे उसके व्यास के बार मे कहना कठीन है। सौर मंडल की सीमा किसे माना जाये यह भी कहना कठीन है, नेपच्युन अंतिम ग्रह है, लेकिन उसके बाद प्लूटो, सेडना माकेमाकी जैसे बौने ग्रह है। इसके अलावा हजारो अज्ञात पिंड हो सकते है। नेपच्युन के बाद हजारो ज्ञात अज्ञात धूमकेतु भी है।
यदि हम नेपच्युन को सौर मंडल की सीमा माने तो सौर मंडल का व्यास 9.09 अरब किमी होगा।
वायेजर 1 सौर मंडल के बाहर जा चुका है। वायेजर 2 अभी भी सौर मंडल के अंदर है।
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SIR, DHRUV TARA AKASH ME HAMESA NORTH DIRECTION ME HI KYU DIKHAI DETA HAI?
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ध्रुव तारा पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के ठीक उपर है। जिससे उसकी स्थिति पर पृथ्वी के घूर्णन से अंतर नही आता है।
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SIR, KYA JUPITER SOURMANDAL ME GOLDILOUK KSHETRA ME NAHI HAI?
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सौर मंडल मे शुक्र, पृथ्वी और मंगल ही गोल्डीलाक क्षेत्र मे है। लेकिन शुक्र पर वायुमंडल अत्यंत घना होने से उष्णता अत्याधिक है, मंगल पर वायुमंडल अत्यंत पतला होने से तापमान अत्यंत कम है।
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SIR, YADI KOI VYAKTI MARS PAR JAYE TO USKO MARS PAR PAHUNCHANE ME KITNA SAMAY LAGEGA?
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वर्तमान राकेटों से काम से काम छः महीने।
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SIR, NEEL ARMSTRONG MOON PAR KITNE SAMAY ME PAHUNCHE THE & KITNE SAMAY BAAD WO MOON PAR SE EARTH KO RAVANA HUYE THE? please reply>>>>>
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इस लेख मे आपके प्रश्नो का उत्तर है : https://vigyanvishwa.in/2007/02/14/apollo11/
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SIR, KYA SAMUDRA ME BHI VARSHA HOTI HAI?
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हाँ, वर्षा समुद्र मे भी होती है।
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SIR, JVAR AUR BHATA SAMUDRA ME HI KYU AATA HAI? NADIYO ME KYU NAHI?
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नदियो का जल इतनी मात्रा मे नही होता कि चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण से उसपर कोई विशेष प्रभाव पडे। समुद्र मे जल की अत्याधिक मात्रा होने से चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव ज्वार भाटा के रूप मे दिखायी दे जाता है।
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SIR, CHANDRAYAN-1 KAB BHEJA GAYA THA?
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चन्द्रयान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के एक अभियान व यान का नाम है। चंद्रयान चंद्रमा की तरफ कूच करने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष यान है। इस अभियान के अन्तर्गत एक मानवरहित यान को २२ अक्टूबर, २००८ को चन्द्रमा पर भेजा गया और यह ३० अगस्त, २००९ तक सक्रिय रहा।
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bramhand ka Astitva Q Hai Ham Is Bramhand Main Kya Kar Rahe Hai Tab Bramhand Nahi Tha Tab Kya Tha
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इन प्रश्नो के संतोषजनक उत्तर तो शायद ही मिल पायें
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sir moti kaise banta hai
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प्राकृतिक मोती को समुद्री जीव सीप (नैकर) जन्म देता है। जिन सीपों के ऊपर मौलस्क का कठोर आवरण होता है, वे सभी मोती उत्पन्न करने की क्षमता रखते हैं। कभीकभार किसी सीप में छेद हो जाता है जिसके कारण रेत के कण सीप के अंदर घुस जाते हैं। तब सीप उस हानिकारक रेत कण से प्रतिकार हेतु कैल्शियम कार्बोनेट नामक पदार्थ का उत्सर्जन करता है। कैल्शियम कार्बोनेट उस रेत कण के ऊपर परत दर परत चढ़ता जाता हैं। धीरे-धीरे यह एक सुंदर सफेद रंग के गोले का रूप धारण करने लगता है, जोकि अंततः सुंदर एवं दुर्लभ मोती का रूप धारण कर लेता है। मोती एकमात्र ऐसा रत्न है, जिसे एक समुद्री जीव अपनें शरीर के अंदर जन्म देता है। मोती को अंग्रेजी में ‘पर्ल’ के नाम से जाना जाता है। पर्ल शब्द की उत्पत्ति लातिनी भाषा के शब्द ‘प्रीग्ल’ से हुई है, जिसका अर्थ गोलाकार होता है। आजकल मोतियों का निर्माण कृत्रिम ढंग से अत्यधिक मात्रा में होने लगा है। इसे ‘मोती की खेती’ (पर्ल कल्चर फॉर्मिंग) के नाम से जाना जाता है। इस ढंग से खेती होता है जिसमें सीप में छेद करके रेत कणों को प्रविष्ट करा दिया जाता है और उसके बाद कण पर कैल्शियम कार्बोनेट की परत जमने लगती है और आखिरकार मोती का रूप लेता है। कुछ ही दिनों के बाद सीप को चीरकर मोती को निकाल लिया जाता है। कृत्रिम ढंग से मोतियों का उत्पादन जापान में सबसे ज्यादा किया जा रहा है। बाज़ार में नकली मोतियों का भी प्रचलन है, जिसे सीप से नहीं बनाया जाता। बल्कि जिप्सम अथवा शीशे से बनाया जाता है।
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sir kya future mein moon par life possible hai
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Nhi kabhi nhi….
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sir jagran beuro k according Nasa ne pusti ki h ki 15 nov se 30 Nov tak prithvi par andhera rahega kya yah possible hai
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यह एक अफवाह है। नासा ने ऐसा कुछ नही कहा है।
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SIR, KYA 15 NOV SE 30 NOV TAK EARTH ANDHERE ME RAHEGI?
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नहीं,यह केवल एक अफवाह है। नासा ने ऐसा कुछ नहीं कहा है।
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GOOD MORNING SIR JEE
BARISH KYO HOTI HAI ,
KYA SAMUNDRA ME BHI BARISH (VARSHA) HOTI HAI
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VARSH 2014 – 2015 KA NOBAL PRIZE PHYSICS, CHEMISTRY, BIOLOGY ME KISE MILA HAI?
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http://www.nobelprize.org/nobel_prizes/lists/year/?year=2014&images=yes
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Sir, sabhi grah apne taare ki parikrama karte hai aisa kyu.
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गुरुत्वाकर्षण से। जब भी कोई भी दो पिंड एक दूसरे के समीप होते होते है तब वे गुरुत्वाकर्षण से बंध जाते है और एक दूसरे की परिक्रमा शुरु कर देते है। इस परिक्रमा का बिंदु दोनो के मध्य एक ऐसा बिंदु होता है जिस पर दोनो का गुरुत्वाकर्षण संतुलित होता है, इसे गुरुत्व केंद्र कहते है।
ग्रह और तारे के संदर्भ मे यह गुरुत्व केंद्र तारे के निकट या तारे के आंतरिक भाग मे होता है। जिससे ग्रह तारे की परिक्रमा करता है।
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sir, earth apne dhuri par chakkar laga rahi hai, kyo.
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पृथ्वी ही नही सभी ग्रह तारे अपनी धुरी पर घूर्णन करते है। यह प्रक्रिया ग्रह और तारे के जन्म से जुड़ी हुयी होती है। ग्रह और तारो का निर्माण धूल और गैस के विशाल बादल से होता है जिसमे यह बादल गुरुत्वाकर्षण से घूर्णन प्रारंभ कर देता है। यह बादल धीरे धीरे तारे और ग्रहों मे बदल जाता है। इस बादल के प्रारंभिक घूर्णन के कारण इससे बने ग्रह और तारे भी घूर्णन करते रहते है। इस कोणीय संवेग के संरक्षण का नियम(Law of conservation of angular momentum) भी कहते है।
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ग्रह और तारे me kya antar hai
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सूर्य या किसी अन्य तारे के चारों ओर परिक्रमा करने वाले खगोल पिण्डों को ग्रह कहते हैं।
तारे (Stars) स्वयंप्रकाशित (self-luminous) उष्ण गैस की द्रव्यमात्रा से भरपूर विशाल, खगोलीय पिंड हैं। इनका निजी गुरुत्वाकर्षण (gravitation) इनके द्रव्य को संघटित रखता है। मेघरहित आकाश में रात्रि के समय प्रकाश के बिंदुओं की तरह बिखरे हुए, टिमटिमाते प्रकाशवाले बहुत से तारे दिखलाई देते हैं।
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Sir, kisi vastu me bhar kaha se aata hai.
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कण कैसे भार प्राप्त करते हैं, हिग्स कण इस संदर्भ में एक उत्तर प्रस्तुत करता है। भौतिकविदों ने परिकल्पना की कि करीब 13.7 बिलियन वर्ष पहले बिग बैंग के बाद जब ब्रह्माण्ड ठंडा हुआ, तब कणों के साथ हिग्स फील्ड बना।
इस परिदृश्य के तहत, हिग्स फील्ड ब्रह्माण्ड में व्याप्त हो गया और जिस किसी कण ने इसके साथ पारस्परिक क्रिया की, हिग्स बोसन के ज़रिए उसे भार मिल गया। जितना ज्यादा उनमें पारस्परिक क्रिया हुई, वो उतने ज्यादा भारी बने। वो कण जो हिग्स फील्ड के साथ नहीं जुड़ते, वो बगैर भार के रह जाते हैं।
“ये शहद के एक बड़े कुंड की भांति है,जैसे-जैसे कण इससे होकर गुज़रते हैं, उनकी गति प्रकाश की गति से कम होती है और ऐसा लगता है कि वो भार हासिल कर रहे हैं।”
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Gravity in science are explained in the simplest terms,,
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हिग्स फील्ड का काम भार प्रदान करना नही होता,
भार देने का काम उस पर्टिकुलर जगह का लोकल ग्रेविटी करता है ||
हिग्स मैकेनिज्म तो बस द्रव्यमान प्रदान करता है |
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Sir, Bramhand kahi khatam bhi hai.
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नही, ब्रह्मांड असिमित है, इसका कोई छोर नही है।
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प्रकाश कि उत्पति केसे हुई
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प्रकाश ऊर्जा का रूप है। तारो मे हायड्रोजन के संलयन से हिलीयम बनती है, इस प्रक्रिया मे कुछ पदार्थ ऊर्जा मे परिवर्तित होता है जिसका कुछ भाग प्रकाश के रूप मे मुक्त होता है। बल्ब मे ऊर्जा इलेक्ट्रान के गर्म होने पर फोटान के उत्सर्जन के रूप मे मुक्त होती है, जोकि प्रकाश ही है। इसी तरह की प्रक्रिया अग्नि मे भी होती है। यह एक सतत प्रक्रिया है और सारे ब्रह्मांड मे भिन्न भिन्न रूप मे चलते रहती है।
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hamare bramhand Ka kendr hamse kitna dur h
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ये लेख देखे : https://vigyanvishwa.in/2013/09/13/centerofuniverse/
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Electron ki utpatti kaha se hui hai
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इलेकट्रान मूलभूत कण है और इसका निर्माण बिगबैंग के समय हुआ था।
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sir mai satellite ke bare me janna chahta hun pls koi lekh likhe. mai apka aabhari hounga.
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sir bio ki b koi website h kya Jo Hindi me ho
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मेरी जानकारी के अनुसार नही है
😦
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Define the Atoms and Molecules ?
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परमाणु (एटम) किसी तत्व का सबसे छोटा भाग है जिसमें उस तत्व के रासायनिक गुण निहित होते हैं। परमाणु के केन्द्र में नाभिक (न्यूक्लिअस) होता है जिसका घनत्व बहुत अधिक होता है। नाभिक के चारो ओर ऋणात्मक आवेश वाले एलेक्ट्रान चक्कर लगाते रहते है.
अणु पदार्थ का वह छोटा कण है तो प्रकृति के स्वतंत्र अवस्था में पाया जाता है लेकिन रासायनिक प्रतिक्रिया में भाग नहीं ले सकता है। रसायन विज्ञान में अणु दो या दो से अधिक, एक ही प्रकार या अलग अलग प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बना होता है।
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Sir. quantum entanglement me ek bastu per agar hum koi karya karte hai to uska asar dusari bastu par bhe hota hai .but mai yah nahi samaz pa raha hu ke yah asar ketne time me dekhne lagta hai? please bataye
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Bahunt Achachha Laga JI,
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I like that
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sushi ji aap isme keplar ke rules and vigyan pragati ke kuch lekh dalen
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I like this and my teacher sudhanshu sir told me about this website
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quantam sankhya kitani prakar ki hoti hai
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https://vigyan.wordpress.com/2012/02/20/qphum2/
इस लेख को देखें!
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sir main kabhi kabhi jab chat pe jata hu tb tare jaise ek vastu dikhayi deti hai aur achanak tez chamkti hai fir bujh jati hai aur ye tara jaisa kuch gati bhi karta hai sir kya ap mujhe iske bare mein btayenge?
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आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का (meteor) और साधारण बोलचाल में ‘टूटते हुए तारे’ अथवा ‘लूका’ कहते हैं। उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुँचता है उसे उल्कापिंड (meteorite) कहते हैं। प्रायः प्रत्येक रात्रि को उल्काएँ अनगिनत संख्या में देखी जा सकती हैं, किंतु इनमें से पृथ्वी पर गिरनेवाले पिंडों की संख्या अत्यंत अल्प होती है। वैज्ञानिक दृष्टि से इनका महत्व बहुत अधिक है क्योंकि एक तो ये अति दुर्लभ होते हैं, दूसरे आकाश में विचरते हुए विभिन्न ग्रहों इत्यादि के संगठन और संरचना (स्ट्रक्चर) के ज्ञान के प्रत्यक्ष स्रोत केवल ये ही पिंड हैं।
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Ye sab janana bada surprise lagara hai
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achcha hai
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bahot acha lekh
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hello my name is sushil &my contect no.is 9235126388 vigyan prasar.com me stuents ke liye pcm full knowlege hona chahiye cepter vise
mera mannahai ki esa telivision ke sahare computer se jankari lene ke liye forse kiya jay sabhi students ko .
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सुशिल जी, भतिकी पर तो इस ब्लाग पर लेख है लेकिन गणित और रसायनशास्त्र उपेक्षित है। कोशीश रहेगी कि उन पर भी कुछ लिखा जाये।
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E=mc2 detail me jankari dijiye. aur sir kisi bhi padarth ka speed light k speed she adhik kyun nhi ho salt a hair?
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Very nice
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like you
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! “अत्यन्त सराहनीय प्रयाष” !
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बहुत बढ़िया लेख
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i am very surprise to know about everything .
plz update to me all acknowledgement about this matter.
thank you
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