खगोल भौतिकी 20 : तीन तरह के ब्लैक होल


लेखक : ऋषभ

ब्लैक होल का वर्गीकरण

पिछले कुछ लेखों मे तारकीय खगोलभौतिकी पर विस्तार से चर्चा के पश्चात हम लोकप्रिय विज्ञान से सबसे पसंदीदा विषय की ओर नजर डालते है : ब्लैक होल। इसके पहले के लेख मे हमने देखा था कि किस तरह ब्लैक होल बनते है, यह ब्लैक होल तारकीय द्रव्यमान वाले ब्लैक होल है। सैद्धांतिक रूप से ब्लैक होल को तीन वर्गो मे रखा जा सकता है। ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के बींसवे लेख मे हम ब्लैक होल के विभिन्न वर्गो के बारे मे चर्चा करते है। सबसे पहले जानते है कि ब्लैक होल क्या होते है?

इस शृंखला के सारे लेखों को पढने के लिये इस लिंक पर क्लिक करें।

ब्लैक होल क्या होते है?

ब्लैक होल ऐसे अंतरिक्ष मे ऐसे पिंड होते है जिनका गुरुत्वाकर्षण इतना अधिक शक्तिशाली होता है कि प्रकाश भी उससे बचकर नही निकल सकता है। साधारण सापेक्षतावाद के सिद्धांत के अनुसार द्रव्यमान से अंतरिक्ष और समय मे वक्रता आती है। जितना अधिक द्रव्यमान उतनी ही अधिक व्रकता। यदि किसी पिंड के द्रव्यमान को संपिडित कर एक क्रांतिक मूल्य की त्रिज्या वाले गोले मे समेट दिया जाये तो वह ब्लैक होल बन जाता है। यह क्रांतिक मूल्य की त्रिज्या स्क्वार्जस्चिल्ड त्रिज्या(Schwarzchild Radius) कहलाती है। यह त्रिज्या भिन्न पिंडो के लिये भिन्न होती है और उस पिंड के द्रव्यमान पर निर्भर करती है। सूर्य के द्रव्यमान के लिये यह त्रिज्या 3 किमी है, यदि सूर्य को हम 3 किमी की त्रिज्या मे समेट दें तो वह ब्लैक होल बन जायेगा। पृथ्वी के लिये यह केवल 9mm है।

ब्लैक होल का वर्गीकरण

मोटे तौर पर ब्लैक हो को तीन मुख्य वर्गो मे रखा जाता है। वे है :

  1. सूक्ष्म ब्लैक होल(Micro black holes)
  2. तारकीय द्रव्यमान ब्लैकहोल(Stellar mass black holes)
  3. महाकाय ब्लैकहोल(Supermassive black holes)

अब इन तीनो की चर्चा एक के बाद एक करते है।

सूक्ष्म ब्लैक होल(Micro Black Holes)

इन्हे क्वांटम यांत्रिकी ब्लैक होल(quantum mechanical black holes) भी कहा जाता है, ये परिकल्पित(hypothetical) ब्लैक होल है, अर्थात इनकी उपस्थिति के अब तक कोई प्रमाण नही है। तारकीय द्रव्यमान से कम द्रव्यमान वाले ब्लैक होल की अवधारणा स्टीफ़न हाकिंग ने 1971 मे दी थी। इन सूक्ष्म ब्लैक होल के द्रव्यमान की सीमा है। स्क्वार्जस्चिल्ड त्रिज्या और कांप्टन तरंगदैर्ध्य(Compton wavelength) के सिद्धांतो के अनुसार किसी ब्लैक होल का न्यूनतम द्रव्यमान 22माइक्रो ग्राम हो सकता है, जिसे प्लैंक द्रव्यमान (Planck mass)कहते है।

क्वांटम यांत्रिकी ब्लैक होल ने ब्रह्मांड के आरंभ के अत्याधिक ऊर्जा और घनत्व के वातावरण मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई होगी। लेकिन इस तरह के ब्लैक होल अस्थिर थे और वे हाकिंग विकिरण (Hawking radiation) उत्सर्जन से विलुप्त हो गये होंगे। 1975 मे हाकिंग मे एक शोध पत्र मे दर्शाया था कि क्वांटम यांत्रिकी प्रभाव के प्रभाव मे जितना छोटा ब्लैक होल होगा वह उतनी तेजी से विलुप्त होगा। इसके परिणाम स्वरूप अचानक ही ब्लैकहोल के विस्फोटों से अचानक ही नये कणो की बौछार हुई होगी।

गणितिय गणनाओं के अनुसार किसी सूक्ष्म ब्लैक होल के निर्माण के लिये आवश्यक ऊर्जा 1019GeV होना चाहीये। यह वर्तमान मे उप्लब्ध तकनीक द्वारा उत्पन्न की जा सकने वाली ऊर्जा से अत्याधिक है।

तारकीय द्रव्यमान के ब्लैक होल(Stellar Mass Black Holes)

ब्लैक होल के दूसरे वर्ग मे तारकीय द्रव्यमान के ब्लैक होल आते है। इन ब्लैकहोल पर सर्वाधिक शोध हुआ है। सूक्ष्म ब्लैकहोल के विपरीत ये प्रकृति मे पाये जाते हओ। इनके निर्माण की प्रक्रिया भी वैज्ञानिको को ज्ञात है। नाम के अनुसार ही इन ब्लैक होल का निर्माण किसी महाकाय तारे की मृत्यु के दौरान संपिड़न/संकुचन से होता है। इन महाकाय तारो के केंद्रक मे पूरे पैमाने पर भारी तत्वों के संलयन की क्षमता होती है। और ये तारे कार्बन, निआन, आक्सीजन , सिलिकान, सल्फ़र जैसे तत्वों का संलयन करते है।
जैसे ही अल्फा सीढी(alpha ladder) के द्वारा संलयन निकेल-56 तक पहुंचता है , अभिक्रिया शृंखला रूक जाती है। निकेल से जिंक का संलयन उष्मागति के अनुसार अनुकूल नही है जिससे केंद्रक मे नाभिकिय अभिक्रिया बंद हो जाती है, केंद्रक निष्क्रिय हो जाता है। इस स्तिथि मे तारा अपने ही गुरुत्वाकर्षण से संकुचित होना शुरु हो जाता है। यदि तारे का द्रव्यमान अधिक हो तो उसके संकुचन को कोई नही रोक सकता है और वह संपिडित होकर ब्लैक होल बन जाता है। हमने इस प्रक्रिया पर पिछले लेख मे चर्चा की है।(कृपया पढ़े : खगोल भौतिकी 19 :न्यूट्रान तारे और ब्लैक होल का जन्म कैसे होता है?)

ब्लैक होल की वह क्रांतिक सीमा जिसके पार कुछ भी नही बच सकता है, प्रकाश भी नही, घटना क्षितिज(event horizon) कहलाती है। ब्लैकहोल मे गिरते पदार्थ के संदर्भ मे सब कुछ सामान्य है। लेकिन बाह्य निरीक्षक के संदर्भ मे उसे गुरुत्वीय समय विस्तारण (gravitational time dilation)से सब कुछ भिन्न लगेगा। जैसे जैसे गुरुत्विय खिंचाव बड़ेगा, ब्लैक होल मे गिरते पदार्थ से निकलने वाले प्रकाश मे लाल विचलन बढ़ते जायेगा और जैसे ही वह घटना क्षितिज पहुंचेगा, अत्याधिक लाल विचलन से फ़ेड हो जायेगा। इसलिये एक बाह्य निरीक्षक ब्लैक होल के घटना क्षितिज के निर्माण को कभी नही देख पायेगा।

महाकाय ब्लैकहोल(Supermassive Black Holes)

जैसे की नाम से ही स्पष्ट है, ये ब्लैक होल विशालकाय होते है और आकाशगंगाओं के केंद्र मे पाये जाते है। ये सूर्य से अरबो गुणा अधिक द्रव्यमान रखते है। लेकिन इन ब्लैकहोल का घनत्व जल के घनत्व से कम हो सकता है। कारण आसान है कि स्क्वार्जस्चिल्ड त्रिज्या उसके द्रव्यमान के अनुपात मे होती है और आयतन त्रिज्या के घन के अनुपात मे होता है। जिससे ब्लैक होल का घनत्व उसमे द्रव्यमान के वर्ग के विलोमानुपात(inversely proportional) मे होता है। ब्लैक होल का जितना अधिक द्रव्यमान होगा, उसका घनत्व उतना कम होगा।

साथ ही इन ब्लैक होल का ज्वारीय बल(tidal force) भी बहुत कम होता है। ब्लैक होल के घटना क्षितिज पर ज्वारीय बल उसके द्रव्यमान के वर्ग के विलोमानुपात मे होता है। इस तरह से पृथ्वी की सतह पर खड़े व्यक्ति के सर और पैर के मध्य उतना ही ज्वारीय बल महसूस होगा जितना किसी 1 करोड़ M☉ (सूर्य के द्रव्यमान) वाले ब्लैक होल के घटना क्षितिज पर खड़े व्यक्ति के सर और पैर के मध्य होगा।

इस तरह के विचित्र पिंड के निर्माण की प्रक्रिया अज्ञात है और यह खगोलभौतिकी के क्षेत्र मे शोध का विषय है। इस बारे मे कई अवधारणायें है। एक अवधारणा के अनुसार इन ब्लैक होल के बीज दस या कुछ सौ सौर द्रव्यमान वाले वे ब्लैक होल है जो महाकाय तारों की मृत्यु से बने है और आस पास के तारो, गैस के बादलो से सामग्री खींच खींच कर विस्तार करते गये है। कुछ वैज्ञानिक मानते है कि ब्रह्माण्ड के आरंभीक तारो की मृत्यु से बने आरंभीक तारकीय द्रव्यमान वाले ब्लैक होल ही महाकाय ब्लैक होल बने है। सही अवधारणा और सिद्धांत अब तक सामने नही आया है।

लेखक का संदेश

पिछले कुछ वर्षो मे लोगो से चर्चा करते हुये विशेषत: विद्यार्थीयों से बातचीत मे मैने पाया है कि लोकप्रिय विज्ञान कितना प्रभावी होता है। विज्ञान फ़तांशी फ़िल्मे देखना और प्रसिद्ध वैज्ञानिकों जैसे स्टीफ़न हाकिंग या मिचिओ काकू की लिखी वैज्ञानिक पुस्तके पढ़ना अच्छा है। ये पुस्तके खगोलशास्त्र को सरल भाषा मे प्रस्तुत करने मे बेहतरीन है। लेकिन जो व्यक्ति खगोलशास्त्र मे करीयर बनाना चाहते है उन्हे सावधान रहना चाहिये। इसमे कोई शक नही कि ये पुस्तके ब्रह्मांड की अच्छी जानकारी देती है , साथ ही वे खगोलभौतिकी को अत्याधिक “ग्लैमरस” शोध क्षेत्र बनाती है। श्वेत विवर, ब्लैक होल, समय यात्रा, वर्महोल जैसे लोकप्रिय विषय विद्यार्थीयों को आकर्षित करते है और वे खगोलशास्त्र की ओर मुड़ते है और वे उन्हे भौतिकी और गणित के विषयो जैसे सांख्यकिय यांत्रिकी(Statistical Mechanics), क्वांटम यांत्रिकी(Quantum Mechanics), विद्युत गतिकी(Electrodynamics), गणितिय भौतिकी(Mathematical Physics),सापेक्षतावाद(Relativity), आप्टीक्स(Optics), स्पेक्ट्रोस्कोपी(Spectroscopy) का सामना करना होता है। ये सभी विषय खगोलभौतिकी की नींव है और अधिकतर छात्र इनमे महारत हासिल करने मे संघर्ष करते है।

हम अपने अनुभव से हम नये खगोलवैज्ञानिको को सलाह देना चाहेंगे कि आप जितनी पुस्तके पढ़ना चाहते है, उतनी पढ़ीये, अच्छी आदत है। लेकिन ध्यान रहे कि आप भौतिकी और गणित पर भी ध्यान देना आरंभ करें। ध्यान मे रखीये कि खगोलभौतिकी का रास्ता भौतिकी से जाता है। यदि आप उसमे महारत हासिल कर लेते है तो खगोलभौतिकी आपके लिये बच्चो का खेल है।

मूल लेख :THE CLASSIFICATION OF BLACK HOLES

लेखक परिचय

लेखक : ऋषभ

Rishabh Nakra
Rishabh Nakra

लेखक The Secrets of the Universe के संस्थापक तथा व्यवस्थापक है। वे भौतिकी मे परास्नातक के छात्र है। उनकी रूची खगोलभौतिकी, सापेक्षतावाद, क्वांटम यांत्रिकी तथा विद्युतगतिकी मे है।

Admin and Founder of The Secrets of the Universe, He is a science student pursuing Master’s in Physics from India. He loves to study and write about Stellar Astrophysics, Relativity, Quantum Mechanics and Electrodynamics.

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2 विचार “खगोल भौतिकी 20 : तीन तरह के ब्लैक होल&rdquo पर;

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