अपोलो 11 यह पहला मानव अभियान था जो चन्द्रमा पर उतरा था। यह अपोलो अभियान की पांचवी मानव उडान थी और चन्द्रमा तक की तीसरी मानव उडान थी। 16 जुलाई 1969 को प्रक्षेपित इस यान से कमांडर नील आर्मस्ट्रांग, नियंत्रण यान चालक माइकल कालींस और चन्द्रयान चालक एडवीन आलड्रीन गये थे। 20 जुलाई को आर्मस्ट्रांग और आल्ड्रीन चन्द्रमा पर कदम रखने वाले पहले मानव बने।
इस अभियान ने अमरीकी राष्ट्रपति के 1960के दशक मे चन्द्रमा पर मानव के सपने को पूरा किया था।यह 20 वी शताब्दी के सबसे महत्वपूर्ण क्षणो मे से एक था।
अंतरिक्ष यात्री
- नील आर्मस्ट्रांग (Neil Armstrong) -2 अंतरिक्ष यात्राये, कमांडर
- माइकल कालींस (Michael Collins) -2 अंतरिक्ष यात्राये, नियंत्रण यान चालक
- एडवीन ‘बज़’ आल्ड्रीन(Edwin ‘Buzz’ Aldrin )– 2 अंतरिक्ष यात्राये, चन्द्रयान चालक

वैकल्पिक यात्री
- जेम्स लावेल (James Lovell) -जेमिनी 7, जेमिनी 12, अपोलो 8 और अपोलो 13 की उडान, कमांडर
- बील एंडर्स (Bill Anders) – अपोलो 8 मे उडान ,नियंत्रण यान चालक
- फ्रेड हैसे (Fred Haise) – अपोलो 13 मे उडान, चन्द्र यान चालक
अपोलो 11 का प्रक्षेपण
10 लाख लोग जो राजमार्गो , प्रक्षेपण स्थल के निकट के समुद्री बिचो पर थे के अलावा 60 करोड लोगो ने इस प्रक्षेपण को अपने टीवी पर देखा था जोकि अपने समय का एक किर्तीमान था। अमरिकी राष्ट्रपति निक्सन ने यह व्हाइट हाउस के ओवल आफिस से यह टीवी पर देखा था।
अपोलो 11 यह सैटर्न 5 राकेट से केनेडी अंतरिक्ष केन्द्र से 16 जुलाई 1969 को सुबह के 9 बजकर 32 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया था। वह पृथ्वी की कक्षा मे 12 मिनट बाद प्रवेश कर गया। पृथ्वी की एक और आधी परिक्रमा के बाद SIVB तृतीय चरण के राकेट ने उसे चण्द्रमा की ओर के पथ पर डाल दिया। इसके 30 मिनट बाद मुख्य नियंत्रण यान सैटर्न 5 राकेट के अंतिम चरण से अलग हो गया और चन्द्रयान को लेकर चन्द्रमा की ओर रवाना हो गया।

19 जुलाई को अपोलो 11 चन्द्रमा के पिछे पहुंच गय और अपने राकेट के एक प्रज्वलन की सहायता से चन्द्रमा की कक्षा मे प्रवेश कर गया। चन्द्रमा की अगली कुछ परिक्रमाओ मे यात्रीयो ने चन्द्रयान के उतरने की जगह का निरिक्षण किया। उतरने के लिये “सी आफ ट्रैन्क्युलीटी-Sea of Tranquility” का चयन किया गया था क्योंकि यह एक समतल जगह थी। यह सुचना रेन्जर 8, सर्वेयर 5 और लुनर आर्बीटर यानो ने दी थी।
20 जुलाई 1969 जब अपोलो 1 1चंद्रमा की पृथ्वी से विपरीत दिशा मे था, तब चन्द्रयान जिसे इगल(Eagle) नाम दिया गया था, मुख्य यान (जिसका नाम कोलंबीया था) से अलग हो गया। कालींस जो अब अकेले कोलंबिया मे थे, इगल चन्द्रयान का निरिक्षण कर रहे थे कि उसे कोई नुकसान तो नही पहुंचा है। आर्मस्ट्रांग और आल्ड्रीन ने इगल का अवरोह इंजन दागा और धीरे धीरे चन्द्रमा पर यान को उतारने मे जुट गये।
जैसे ही यान उतरने की प्रक्रिया शुरु हुयी, आर्मस्ट्रांग ने यान के अपने पथ से दूर जाने का संकेत भेजा। इगल अपने निर्धारित पथ से 4 सेकंड आगे था जिसका मतलब यह था कि वे निर्धारित जगह से मिलो दूर उतरेंगे। चन्द्रयान नियंत्रण और मार्गदर्शक कम्प्युटर ने खतरे के संकेत देने शुरू कर दिये, जिससे आर्मस्ट्रांग और आल्ड्रीन जो खिडकी से बाहर देखने मे व्यस्त थे; का ध्यान कम्प्युटर की ओर गया। नासा मे होस्टन मे अभियान नियंत्रण केन्द्र मे अभियान नियंत्रक स्टीव बेल्स ने अभियान के निर्देशक को सुचना दी कि खतरे के संकेत के बावजुद यान को उतारना सुरक्षित है क्योंकि कम्प्युटर सिर्फ सुचना दे रहा है क्योंकि उसके पास काम ज्यादा है लेकिन यान को कुछ नही हुआ है। आर्मस्ट्रांग का ध्यान अब यान के बाहर की ओर गया, उन्होने देखा कि कम्प्युटर यान को एक बडे गढ्ढे(क्रेटर) के पास बडी बडी चटटानो की ओर ले जा रहा है। आर्मस्ट्रांग ने स्वचालीत प्रणाली को बंद यान का नियंत्रण अपने हाथो मे लिया और आल्ड्रीन की सहायता से 20 जुलाई को रात के 8 बजकर 17 मिनट पर इगल को चन्द्रमा की सतह पर उतार लिया। उस समय अवरोह इंजन मे सिर्फ 15 सेकंड का ईंधन बचा था।
कम्प्युटर के खतरे के संकेत इसलिये थे कि वह दिये गये समय मे अपना कार्य पूरा नही कर पा रहा था। उस गणना करने मे ज्यादा समय लग रहा था जबकि यान अपनी गति से उतरते हुये उसे नये आंकडे देते जा रहा था। अपोलो 11 ऐसे भी कम ईंधन के साथ चन्द्रमा पर उतरा था लेकिन उसे खतरे का संकेत ऐसा होने के पहले ही मिल गया था जो कि चन्द्रमा के कम गुरुत्व का परिणाम था।
आर्मस्ट्रांग ने अपोलो 11 के उतरने के स्थल को ट्रैक्युलीटी बेस का नाम दिया और होस्टन को संदेश भेजा
“होस्टन, यह ट्रैक्युलीटी बेस है, इगल उतर चुका है!”
यान से निचे उतर कर यान बाह्य गतिविधीयां प्रारंभ करने से पहले आलड्रीन ने संदेश प्रसारीत किया
“मै चन्द्रयान का चालक हूं। मै इस प्रसारण को सुन रहे सभी लोगो जो जहां भी हैं जैसे भी है निवेदन करता हूं कि वे एक क्षण मौन रह कर पिछले कुछ घंटो मे हुयी घटनाओ का अवलोकन करें और उसे(भगवान को) अपने तरिके से धन्यवाद दे।”
मानव का एक छोटा कदम
21जुलाई को रात के 2.56 बजे, चन्द्रमा पर चन्द्रयान के उतरने के साढे छह घंटो के बाद आर्मस्ट्रांग ने चन्द्रमा पर अपने कगम रखे और कहा
मानव का यह एक छोटा कदम, मानवता की एक बडी छलांग है।(That’s one small step for (a) man, one giant leap for mankind)

आल्ड्रीन उसके साथ आये और कहा
सुंदर सुंदर, विशाल उजाड़ स्थान (Beautiful. Beautiful. Magnificent desolation)
आर्मस्ट्रांग और आल्ड्रीन ने अगले ढाई घंटे तस्वीरे लेने, गढ्ढे खोद कर नमुने जमा करने और पत्त्थर जमा करने मे लगाये।


इसके बाद उन्होने EASEP-Early Apollo Scientific Experiment Package की स्थापना और अमरीकी ध्वज लहराने की तैयारीयां शुरू की। इसके लिये उन्हे निर्धारीत दो घंटो से ज्यादा समय लगा। तैयारीयो के बाद तकनिकी बाधाओ और खराब मौसम के बावजुद सारे विश्व मे चन्द्रमा की सतह से सीधा प्रसारण शुरू हो गया जो कि श्वेत श्याम था जिसे कम से कम 60 करोड लोगो ने देखा।
यह राष्ट्रपति केनेडी के सपने को पूरा करने के अलावा यह अपोलो अभियान का एक अभियांत्रीकी कौशलता की भी जांच थी। आर्मस्ट्रांग ने चन्द्रयान की तस्वीरे ली जिससे उसके चन्द्रमा पर उतरने के बाद की हालात की जांच हो सके। इसके बाद उसने धूल , मिट्टी के कुछ और नमुने लिये और अपनी जेब मे रखे। टीवी कैमरा से आर्मस्ट्रांग ने चारो ओर का एक दृश्य लिया।
आल्ड्रीन उसके साथ आ गया और कंगारू के जैसे छलांग लगाते हुये आसपास घुमते रहा। दोनो ने बाद मे बताया कि उन्हे चलते हुये छह साथ कदम पहले से योजना बनानी होती थी। महीन धूल फिसलन भरी थी।

दोनो ने चन्द्रमा पर अमरीकी ध्वज लहराया उसके बाद राष्ट्रपति निक्सन से फोन पर बातें की।
उसके बाद उन्होने EASEP की स्थापना की। इसके बाद दोनो तस्वीरे लेने और नमुने जमा करने मे व्यस्त रहे
वापिसी की यात्रा
आल्ड्रीन इगल मे पहले वापिस आये। उन दोनो ने मिलकर कीसी तरह 22 किग्रा नमुनो के बाक्स और फिल्मो को यान मे एक पूली की सहायता से चढाया। आर्मस्ट्रांग उसके बाद यान मे सवार हुये।चन्द्रयान के जीवन रक्षक वातावरण मे आने के बाद उन्होने अपने जुते और बैकपैक सूट उतारे। उसके बाद वे सोने चले गये।

सात घंटो की नींद के बाद होस्टन केन्द्र ने उन्हे जगाया और वापिसी की यात्रा की तैयारी के लिये कहा। उसके ढाई घंटो के बाद शाम के 5.54 बजे उन्होने इगल के आरोह इंजन को दागा। चन्द्रमा की कक्षा मे नियंत्रण यान कोलंबिया मे उनका साथी कालींस उनका इंतजार कर रहा था।
चन्द्रमा की सतह पर के ढाई घंटो के बाद वे चन्द्रमा की सतह पर ढेर सारे उपकरण , अमरीकी ध्वज और सीढीयो पर एक प्लेट छोडकर आये। इस प्लेट पर पृथ्वी का चित्र, अंतरिक्ष यात्रीयो एवं राष्ट्रपति के हस्ताक्षर और एक वाक्य था। यह वाक्य था
इस स्थान पर पृथ्वी ग्रह के मानवो अपने पहले कदम रखे। हम मानवता की शांति के लिये यहां आये।(Set Foot Upon the Moon, July 1969 A.D. We Came in Peace For All Mankind.)

इगल के कोलंबिया से जुडने के बाद वापिस पृथ्वी की यात्रा प्रारंभ हो गयी। 24 जुलाई को अपोलो 11 पृथ्वी पर लौट आया। यान प्रशांत महासागर मे गीरा, उसे यु एस एस हार्नेट से उठाया गया। उनके स्वागत के लिये राष्ट्रपति निक्सन स्वयं जहाज मे मौजुद थे। यात्रीयो को कुछ दिनो तक अलग रखा गया। यह चन्द्रमा की धूल मे किसी अज्ञात आशंकित परजिवी की मौजुदगी के पृथ्वी के वातावरण मे फैलने से बचाव के लिये किया गया। बाद मे ये आशंका निर्मूल साबीत हुयी। 13 अगस्त 1969 अंतरिक्ष यात्री बाहर आये।

उसी शाम को इन यात्रीयो के सम्मान के लिये लास एन्जिल्स मे एक भोज दिया गया , जिसमे अमरीकी कांग्रेस के सदस्य, 44गव र्नर,मुख्य न्यायाधीस और 83 देशो के राजदूत आये। यात्रीयो को अमरीकी सर्वोच्च सम्मान “प्रेसेडेसीयल मेडल ओफ़ फ्रीडम” दिया गया। 16 सीतंबर 1969 को तीनो यात्रीयो ने अमरीकी कांग्रेस को संबोधीत किया।
इस यात्रा का मुख्य नियंत्रण कक्ष कोलंबीया वाशींगटन मे नेशनल एअर एन्ड स्पेस म्युजियम मे रखा है।
इस अभियान से जुडी एक दिलचस्प तथ्य यह है कि किसी दूर्घटना की स्थिती मे राष्ट्रपति निक्सन द्वारा दिया जाने वाला संदेश तैयार रखा गया था। इस संदेश के प्रसारण के बाद चन्द्रमा से संपर्क तोड दिया जाता और एक पादरी द्वारा उनकी आत्मा की शांती के लिये प्रार्थना की जाने वाली थी।
कुछ तस्वीरे और भी
Thanks for the information… 😘😘
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to good
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Bekar chand p hawa nhi h to picture me flag lahra q rha h
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उस झंडे को ध्यान से देखीये। उसके उपर और बाजु मे उल्टे L के जैसे डंडा है। झंडा किसी पर्दे के जैसे है।
जब झंडे को गाड़ा गया तो उसके डंडे को घुमा घुमा कर गाड़ा गया था, इस तरह से झंडे मे सिलवटे आयेंगी और लहर बनेंगी।
पृथ्वी पर हवा है तो ये लहरे जल्दी ही शांत हो जाती है। चंद्रमा पर हवा नही है तो बिना किसी प्रतिरोध के लहरे अधिक देर तक बनी रहती है।
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achha laga thanks
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bahut hi achha laga is janjari ke thanka
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jo aj hum sochte hai wo humare kal kaa bhavishy hotaa hai jesaa humne bite huye kal me socha thaa jo aj hai or jo hum aj sochenge vo humara kal hoga hum uper to jate ja rahe hai per apne piche apne baccho ko kya bhavishy dennge hume uske bare me sochna hai kya hum soch rahe hai ? ? ?
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