लेखिका: सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar)
जैसे हमारे भाई/बहन होते है, वैसे ही हमारे ब्रह्मांड मे अधिकतर तारों के भाई/बहन होते है। हमारे सौर मंडल जिसमे हमारा सूर्य अकेला है वास्तविकता मे यह एक दूर्लभ संयोग है। अधिकतर तारों के साथ उनके जुड़वा होते है। ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के सोलहंवे लेख मे हम युग्म तारा प्रणाली के बारे मे विस्तार से चर्चा करेंगे।
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युग्म तारे क्या होते है ?
युग्म तारा प्रणाली वह तारा प्रणाली होती है जिसमे दो तारे एक दूसरे से गुरुत्चाकर्षण मे बंधे होते है। इस तरह की तारा प्रणाली मे या तो एक तारा दूसरे तारे की परिक्रमा करता है या दोनो तारे उन दोनो के मध्य स्थित एक गुरुत्वाकर्षण केंद्र की परिक्रमा करते है। ब्रह्मांड मे अधिकतर तारे युग्म तारा प्रणाली मे है। इन तारो मे अधिक दीप्तीमान तारा प्राथमिक तारा(A) कहलाता है जबकि दूसरा कम दीप्तीमान तारा द्वितियक तारा (B) कहलाता है। यदि दोनो तारो की दीप्ती समान हो दो उन्हे खोजने वाला उन्हे प्राथमिक और द्वितियक दर्जा प्रदान करता है। एक अनुमान के अनुसार हमारे रात्रि आकाश मे दिखने वाले तारों मे 85% तारे युग्म तारे है। इनमे से कुछ तीन तारा प्रणाली और कुछ प्रणालीयो मे इससे भी अधिक तारे है।
युग्म तारा प्रणाली का वर्गीकरण
युग्म तारा प्रणाली मूल रूप से दूरस्थ या समीप के युग्म तारों के रूप मे वर्गीकृत होती है। जैसे कि नाम से ही स्पष्ट है कि दूरस्थ युग्म तारो मे उनकी कक्षा एक दूसरे को दूरी पर रखती है। अपने जीवनकाल मे ये तारे एक दूसरे पर अत्यल्प या नगण्य प्रभाव डालते है। जबकी समीप के युग्म तारों मे इसके विपरित ये तारे इतने पास होते है कि वे एक दूसरे से भौतिक रूप मे प्रतिक्रिया करते है। इसमे एक तारे का गुरुत्वाकर्षण दूसरे तारे को विकृत या भक्षण कर देता है। कुछ मामलो मे एक तारे का पदार्थ दूसरे तारे द्वारा हड़प लिया जाता है।

इस आधारभूत वर्गीकरण के अतिरिक्त युग्म तारा प्रणाली उनके अन्वेषण के प्रकार पर भी वर्गीकृत किये जाते है।
दृश्य युग्म तारे(Visual Binaries)
दृश्य युग्म तारों के मध्य इतनी दूरी होती है कि उन्हे किसी दूरबीन से अलग अलग देखा जा सकता है। इनके दीर्घकालीन निरीक्षण से सदस्य तारों की सापेक्ष स्तिथियों को आलेखित किया जा सकता है और इस निरीक्षण से उनकी कक्षाओं की गणना की जा सकती है। हमारे लिये दृश्य तारों के 5 से 10% तारे दृश्य युग्म तारे है।

स्पैक्ट्रोस्कोपी युग्म तारे(Spectroscopic Binaries)
स्पैक्ट्रोस्कोपी युग्म तारों मे दूरबीन से देखे जाने पर पर भी वे अत्याधिक समीप नजर आते है, उन्हे अलग अलग देखा नही जा सकता है। इन तारों के स्वतंत्र निरीक्षण और अध्ययन के लिये उनके वर्णक्रम रेखाओं का अध्ययन किया जाता है। अधिकांश युग्मतारों को उनकी वर्णक्रम रेखाओं मे डाप्लर विचलन से खोजा गया है। यदि युग्म तारो को अलग अलग पहचाना नही गया है तो उसका वर्णक्रम उस तारा प्रणाली के सदस्य तारों के वर्णक्रम का मिश्रण होगा। इन वर्णक्रम रेखाओं के समय के साथ अध्ययन से इसके सदस्य तारों की कक्षिय गति की जानकारी प्राप्त होती है। युग्म तारो के स्पेक्ट्रोस्कोपीक अध्ययन के लिये बहुत से अन्य कारको का भी ध्यान रखा जाता है।

ग्रहण लगाते युग्म तारे(Eclipsing Binaries)
इस तारा प्रणाली मे तारे एक दूसरे की परिक्रमा एक ऐसे कोण से करते है कि जब हम पृथ्वी से उनका निरीक्षण करते है तो उनमे से एक दूसरे के सामने से गुजरता है। यह एक तारे द्वारा दूसरे तारे पर लगाया हुआ ग्रहण होता है। इस विधि से युग्म तारो की खोज पृथ्वी से उन तारों की कक्षा एक रेखा पर होने से ही हो पाती है और उस तारा प्रणाली के किसी गुण के प्रभाव पर निर्भर नही है।

खगोलमितिक युग्म तारे(Astrometric Binaries)
कुछ तारों का निरीक्षण बारंबार किया जाये तो समय के साथ उनकी गति मे रोचक परिवर्तन नजर आता है। यदि यह परिवर्तन सावधिक हो तो हम यह मान कर चलते है कि उसकी गति मे यह विचलन(perturbations) किसी अज्ञात साथी तारे के गुरुत्चाकर्षण का प्रभाव है। सरल शब्दो मे यदि कोई तारा किसी रिक्त स्थान के आसपास नृत्य करते नजर आता है जिसमे उसका साथी तारा निरीक्षण अयोग्य रूप से धुंधला है। खगोलमितिक युग्म तारा पद्धति से बहुत कम ही तारे खोजे गये है क्योंकि इस विधि के लिये लंबे समय तक निरीक्षण करने होते है और उसमे उनकी स्तिथि और गति के मापन मे अधिक अनिश्चितता की संभावना होती है।

युग्म तारा प्रणालीयों का महत्च
युग्म तारे किसी दूरस्थ तारे के द्रव्यमान की गणना के लिये सर्वश्रेष्ठ विधि प्रदान करते है। इन साथी तारों के मध्य गुरुत्विय आकर्षण उन्हे अपने मध्य के द्रव्यमान केंद्र की परिक्रमा करने बाध्य करता है। दृश्य युग्म तारो की कक्षाओं के पैटर्न या स्पेक्ट्रोस्कोपी तारो के वर्णक्रम मे समय के अनुसार विचलन से भी उन तारों के द्रव्यमान की गणना की जा सकती है। इन आंकड़ो की सहायता से, उस तारे की दीप्ती और द्रव्यमान के मध्य संबध का अध्ययन संभव है। इस अध्ययन से अकेले तारों के द्रव्यमान का अनुमान लगाया जा सकता है। इन युग्म तारों मे से कुछ युग्म तारों ने सामान्य सापेक्षतावाद और गुरुत्विय तरंगो के अध्ययन के लिये एक अच्छी प्रयोगशाला भी उपलब्ध कराई है। युग्म तारों द्वारा जीवन के विकास के लिये आवश्यक परिस्थितियों के निर्माण की भी संभावना है।
लेखिका का संदेश
इस लेख मे हमने युग्म तारों से संबधित आधारभूत जानकारी दी है। तकनीक मे नई खोजो के साथ एकाधिक तारा प्रणालीयों की खोज अब नियमित रूप से होते जा रही है। युग्म तारों पर शोध वर्तमान मे एक लोकप्रिय और आकर्षक विषय है। एक चर्चा का विषय यह भी है कि क्या सूर्य कभी किसी युग्म तारा प्रणाली का भाग रहा है ? हम बहुत कुछ जान चुके है लेकिन बहुत कुछ जानना बाकी है। यदि आप खगोलशास्त्र या खगोलभौतिकी कुछ नये शोध विषय पर काम करना चाहते है तो युग्म तारो पर कार्य कर सकते है।
मूल लेख : THE BINARY STAR SYSTEMS
लेखक परिचय
सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar)
संपादक और लेखक : द सिक्रेट्स आफ़ युनिवर्स(‘The secrets of the universe’)
लेखिका भौतिकी मे परास्नातक कर रही है। उनकी रुचि ब्रह्मांड विज्ञान, कंडेस्ड मैटर भौतिकी तथा क्वांटम मेकेनिक्स मे है।
Editor at The Secrets of the Universe, She is a science student pursuing Master’s in Physics from India. Her interests include Cosmology, Condensed Matter Physics and Quantum Mechanics
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