1. अंतरिक्ष पुर्णत: निःशब्द है।
ध्वनि को यात्रा के लिये माध्यम चाहिये होता है और अंतरिक्ष मे कोई वातावरण नही होता है। इसलिये अंतरिक्ष मे पुर्णत सन्नाटा छाया रहता है। अंतरिक्ष यात्री एक दूसरे से संवाद करने के लिये रेडियो तरंगो का प्रयोग करते है।
2. एक ऐसा भी तारा है जिसकी सतह का तापमान केवल 27 डीग्री सेल्सीयस है।
हमारे सूर्य की सतह का तापमान अत्याधिक है, 5778 डीग्री सेल्सीयस! लेकिन एक तारा WISE 1828+2650 की सतह का तापमान 26.7 डीग्री सेल्सीयस है। यह एक भूरा वामन तारा (Brown Dwarf) है। तकनिकी तौर पर भूरे वामन तारे और ग्रह के मध्य होते है। इनका द्रव्यमान ग्रहो से काफ़ी ज्यादा लेकिन तारे से कम होता है। इनका द्र्व्यमान इतना नही होता कि द्रव्यमान से संकुचित होकर वह तारों के जैसे हायड्रोजन संलयन प्रारंभ कर चमकना प्रारंभ कर सके।
3.अंतरिक्ष की गंध गर्म धातु तथा भूनते हुये मांस के जैसी है।
बहुत सारे अंतरिक्ष यात्रीयो ने अंतरिक्ष की गंध गर्म धातु तथा भूनते हुये मांस के जैसी बतायी है।
4.मानव शनि के चंद्रमा टाइटन पर अपनी बांहो पर कृत्रिम पंख बांधकर फड़फड़ाते हुये उड़ सकता है।
ऐसा इसलिये कि टाइटन का वातावरण अत्याधिक घना है तथा गुरुत्वाकर्षण अत्याधिक कम है। लेकिन मानव का टाइटन पर जीवित रहना एक चुनौति है दूसरा यह अभी तक सिद्धांत ही है।
5. ब्रह्माण्ड तारो की कुल संख्या ज्ञात करना असंभव है।
हम ब्रह्माण्ड के तारो को कभी गीन नही सकते है। हम एक मोटे तौर पर केवल अनुमान ही लगा सकते है क्योंकि ब्रह्माण्ड मे हर क्षण लाखो तारे जन्म भी लेते रहते है। दूसरी बात यह है कि हमारे अनुमान के अनुसार इनकी संख्या अत्याधिक है, लगभग 70 सेक्सीट्रीलियन अर्थात 70 करोड़ करोड़ करोड़ तारे!
6. हमारा सूर्य सौर मंडल के कुल द्र्व्यमान का 99% भाग रखता है।
7. चंद्रमा पर हमारे अंतरिक्षयात्रीयों के पदचिह्न अगले 10 करोड़ वर्ष तक रहेंगे।
चंद्रमा पर हवा नही है, बारिश होती नही है, पानी बहता नही है, तो पदचिह्न मिटेंगे कैसे?
8.सूर्य अंतरिक्ष से सफ़ेद दिखायी देता है।
पृथ्वी पर वातावरण है। सूर्य प्रकाश वातावरण की परतो से गुजरता हुआ प्रकिर्णन के प्रभाव से लाल, केसरिया और पीला दिखायी देता है। अंतरिक्ष मे वातावरण नही है इसलिये सूर्य सफेद दिखायी देता है।
9. वैज्ञानिको ने अंतरिक्ष मे तैरते हुये पानी के एक विशालकाय भंडार को खोज निकाला है।
इस भंडार मे हमारे सारे महासागरो के जल से 140 ट्रीलीयन गुणा पानी है।
10. यदि सूर्य का आकार किसी फुटबाल के तुल्य होतो पृथ्वी का आकार एक मटर के दाने के बराबर होगा।
और बृहस्पति का आकार एक गोल्फ की गेंद के बराबर
11. एक रूसी शोध के अनुसार अंतरिक्ष मे पैदा हुये 33 काक्रोच पृथ्वी पर पैदा हुये काक्रोचो से मजबूत, ताकतवर और तेज है।
12. चंद्रमा पृथ्वी से हर वर्ष 1.5 इंच दूर होते जा रहा है।
13. गुरुत्विय लेंसीग प्रभाव
यह एक ऐसा प्रभाव है जिसमे किसी महाकाय पिंड के गुरुत्वाकर्षण से प्रकाश किरणे मुड़ जाती है जिससे वह पिंड अपनी वास्तविक स्थिति से हटकर दिखायी देता है।
14.सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह का नाम सेरस है और वह विशालकाय है।
इसका व्यास 600 मील है। अब इसे क्षुद्रग्रह ना कहकर प्लूटो के जैसे ही वामन ग्रह कहा जाता है।
15. बृहस्पति अपनी धुरी पर 10 घंटे पर एक चक्कर लगाता है।
इसका अर्थ है कि उसकी सतह लगभग 50,000 किमी/घंटा की गति से घूम रही है।
16.अंतरिक्ष यात्री अपनी यात्रा मे दो इंच लंबे हो जाते है।
अंतरिक्ष मे गुरुत्वाकर्षण नही होने से उनकी रीढ़ के जोड़ लगभग तीन प्रतिशत ढीले हो जाते है।
17. शुक्र का एक दिन शुक्र के एक वर्ष से ज्यादा होता है।
शुक्र अपनी धुरी पर एक चक्कर पृथ्वी के 243 दिन मे लगाता है, जबकि सूर्य की परिक्रमा 225 दिन मे करता है। अर्थात एक दिन एक वर्ष से ज्यादा।
18. अंतरिक्ष मे धातु के टूकड़े एक दूसरे को स्पर्श करे तो वे हमेशा के लिये जुड़ जाते है।
ये धातुओं का मूल गुण है लेकिन हमारे वातावरण मे आक्सीजन हर धातु की सतह पर आक्साइड की एक छोटी परत बना देती है जो किसी धातु को अन्य धातु से जुड़ने नही देती है। लेकिन अंतरिक्ष मे आक्सीजन नही होने वे एक दूसरे से जुड़ जाती है। इस प्रक्रिया को शीत वेल्डींग(cold welding)कहते है।
19.अंतरिक्ष मे शराब के महासागर है!
हमारी आकाशगंगा के केंद्र से 390 प्रकाशवर्ष दूर सेगेटेरीयस B2 नामक बादल एथायील अल्कोहल का बना है। अर्थात खरबो लिटर बियर….
20. अंतरिक्ष मे आप अपने ईश्वर की आकृति खोज सकते है.. अपनी कंपनी के लिये लोगो भी।
इस चित्र मे दिखायी द रही आकृति किसी मधुमख्खी की नही एक आकाशगंगा की है जिसका नाम 3C303 है और पृथ्वी से 2 अरब प्रकाशवर्ष दूर है। इ्सी तरह की अजिबोगरिब आकृति वाली अनेक आकाशगंगा और निहारिकायें है।



21.किसी ग्रह के आकार का विशालकाय हीरा!
55 कैंसरी E पृथ्वी से 8 गुणा बड़ा ग्रह है और कर्क तारामंडल मे स्थित है। इस ग्रह का केंद्र हीरे से बना है और वह पृथ्वी से तीन गुणा बड़ा है।
22. दृश्य ब्रह्माण्ड की सबसे बड़ी ज्ञात संरचना 6-10 अरब प्रकाश वर्ष चौड़ी है।
NQ2-NQ4 GRB की चौड़ाई 6-10 अरब प्रकाश वर्ष है। वैज्ञानिक आश्चर्य मे है कि इतनी बड़ी संरचना कैसे बनी होगी ?
23.हर पंद्रह वर्ष पश्चात शनि के वलय पृथ्वी से दिखायी नही देते है।
ऐसा दुर्लभ समय उस समय आता है जब पृथ्वी शनि और शनि के वलय एक प्रतल मे आ जाते है और वे पृथ्वी से दिखायी नही देते है।
24. चंद्रमा एक समय पृथ्वी का भाग था।
चंद्रमा की उत्पत्ति के सिद्धांत के अनुसार चंद्रमा पृथ्वी का एक भाग था और किसी कारण से वह पृथ्वी से अलग हो गया।
25. हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी की गति 552 किमी/सेकंड है।
और इस गति से वह हमारी पड़ोसी आकाशगंगा देव्यानी(एंड्रोमीडा) से 5 अरब वर्ष पश्चात टकरायेगी।
श्रीमान,
धन्यवाद, रोचक जानकारी हेतु….
मै ब्रहमाण्ड के बारे मे अधिक और अधिक जानने का इच्छुक हूँ, परन्तु सही मार्गदर्शन के अभाव मे हर बार भटक जाता हूँ और यही निष्कर्ष पर पहुँच पाता हूँ कि Black Matter और Black Energy ही वो अदृष्य शक्तियां हे जो हमारे उद्भव का कारण है। काल की गणना हम मानवो ने की तो जरूर है परन्तु ये गणना हमारी आकाशगंगा मिल्की वे तक ही सार्थक है।
अत: कृपया मुझे सही मार्गदर्शन करे ताकि मै अधिक और अधिक जानकारी पा सकू।
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Nice info
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sach me bahut achchi jankari hai .. Kaafi Interesting hai is post ko padhna
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SIR,
shukra ki prihvi se doori taha 1 warsh me uski chal kya hogi.
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शुक्र की पृथ्वी से न्यूनतम दूरी ३८० लाख किमी अधिकतम दूरी २६१० लाख किमी!
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बहुत अच्छी जानकारी है धन्यवाद
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कर्क तारामण्डल पर स्थित 55 कैसरी E के केन्द् के बारे मे पृथ्वी के वैज्ञानिकों को कैसे पता चला। किसी दूसरे तारामण्डल के गृह के केन्द् के बारे में कैसे पता लगाया जाया जा सकता है।
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55 Cancri E ग्रह हमारी ही आकाशगंगा मे है। इसे केप्लर अंतरिक्ष वेधशाला मे खोजा है। हमारी ही आकाशगंगा मे हम हर उस तारामंडल को देख सकते है जिसके और पृथ्वी के मध्य कोई और पिंड ना हो।
किसी ग्रह की संरचना के बारे मे ग्रह का आकार और द्रव्यमान से पता किया जा सकता है। ग्रह के आकार और द्रव्यमान से घनत्व ज्ञात किया जाता है। यदि उस ग्रह का घनत्व कार्बन के घनत्व के तुल्य हो तो पूरी संभावना है कि उसका केंद्र हीरे का बना होगा।
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सर मेरा एक और प्रशन हैं कि यदि कभी कोई 100 या 200 या इससे ज्यादा के व्यास का कोई पिण्ड अंतरिक्ष से पृथ्वी पर टकराया तो इसके परिणाम कितने घातक हो सकते हैं और क्या ये धरती से जीवन का नामो निशान मिटा सकता हैं और क्या हमारे विज्ञानिको के पास इससे बचने का कोई उपाय हैं
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आकार विस्फोट की क्षमता Crater प्रभाव
(Megatons) (km)
………………………………………………
75 m 100 1.5 न्युयार्क , दिल्ली जैसे शहर के बराबर का क्षेत्र नष्ट
160 m 500 3.0 बड़ा शहरी क्षेत्र नष्ट
350 m 5000 6.0 किसी छोटे राज्य के बराबर का क्षेत्र नष्ट, सागर मे गिरने पर सुनामी
700 m 15,000 12 धरती पर गिरने पर एक बड़ा राज्य जैसे तैवान के बराबर का क्षेत्र नष्ट, सागर मे गिरने पर महासुनामी
1.7 km 200,000 30 धरती पर गिरने पर वातावरण मे परिवर्तन, ओजोन परत नष्ट,, सागर मे गिरने पर महासुनामी, समस्त विश्व के तटीय क्षेत्र बर्बाद
3.0 km 1 million 60 बड़ा देश के बराबर का क्षेत्र नष्ट, वातावरण मे परिवर्तन
7.0 km 50 million 125 विश्वस्तर पर विशाल जनहानि, लंबे समय के लिये वातावरण मे परिवर्तन,
16 km 200 million 250 विश्व स्तर पर जनहानि, लगभग सारा जीवन नष्ट
वर्तमान मे इससे बचने का कोइ उपाय नही है।
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जानकारी देने के लिये धन्यबाद
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Planet X, nibiru ये क्या हैँ ?
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जब सौर मंडल मे युरेनस और नेपच्युन ग्रह खोजे गये तब वैज्ञानिको को लगा कि इनके बाद एक ग्रह और होना चाहिये। उन्होने खोज जारी रखी और इस अज्ञात ग्रह का नाम Planet X रखा। बाद मे प्लूटो को खोजा गया लेकिन यह ग्रह अपेक्षाकृत छोटा था, प्लूटो को Planet X नही माना गया खोज जारी रही।
लेकिन वायेजर १/२ तथा Wise Survey ने युरेनस और नेपच्युन के बाद कोई ग्रह नही पाया। इनके अनुसार इन दोनो ग्रह के बाद कोई ग्रह नही है। अर्थात Planet X का अस्तित्व नही है।
Nibiru कुछ भय बेचकर कर पैसे कमाने वालो की मानसिक उपज है। वे मानते है कि ऐसा कोई ग्रह है और पृथ्वी से टकराने वाला या पृथ्वी के पास से गुजरने वाला है। वे इस घटना से बचने के उपायो की पुस्तके/DVD बेचते है। वास्तविकता यह है कि ऐसे किसी ग्रह का कोई अस्तित्व नही है। ऐसा कोई ग्रह होता तो वह Wise Survey मे पकड़ मे आ जाता।
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Sir,ye planet x/nibiru kya h?
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Planet X, nibiru का कोई अस्तित्व नही है। इस बारे मे इंटरनेट पर जो भी कुछ है, सब बकवास है। कुछ लोग इंटरनेट पर अपनी पुस्तक, डी वी डी बेचने के लिये इस तरह की अपवाह फैलाते है। आप जितनी भी लिंक देखेंगे तो पायेंगे कि वे कुछ ना कुछ बेच रहे होते है।
किसी भी भरोसेमंद साईट पर आपके इस विषय पर कुछ नही मिलेगा।
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सही कहा आप ने…Planet X, nibiru और अनुनाकी जैसी सब बाते बेकार हैं….यह चीज़े लोगो को डराने और भ्रम फ़ैलाने के लिए हैं…
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Sir mujhe inme se kuch pr doubt hai .. for ex.
3. Space me koi smell kaise ho sakti .. vaha to vacuum h ..
7. Chand pr koi air nhi h .. na hi vaha pr paani behta h to fir vaha 10 crore years me hi sahi hmaare astronauts ke footprints mitenge kaise ..??
16. kya astronauts earth pr vapas aakar phir se apni original height paa lete h ya nhi .. ??
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अजय 1. अंतरिक्ष मे हवा नही है लेकिन अल्प मात्रा मे विभिन्न धातु तथा अन्य तत्व है। जब ये सभी किसी अंतरिक्ष यात्री के सूट की वायु से संपर्क मे आते है तो वे एक गंध का निर्माण करते है।
2. चंद्रमा पर हवा/पानी नही है। लेकिन चंद्रमा पर अल्प मात्रा मे गुरुत्वाकर्षण है। इस गुरुत्वाकर्षण से चंद्रमा पर अत्यंत धीमी गति से अंतरिक्ष से धूल आती रहती है। अंतरिक्ष मे यह धूल उल्काओं, धुमकेतुओं और क्षुद्रग्रहो द्वारा बनती है। यह धुल दस करोड़ वर्ष मे पैरो के निशान दबा सकती है।
3. हाँ गुरुत्वाकर्षण अंतरिक्ष यात्रीयों को वापिस पुरानी लंबाई मे ला देता है।
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Thnks sir .. I was so curious about these questions .. Thanks Again ..
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रचनाकार पर इसे डाला है –
http://www.rachanakar.org/2015/05/blog-post_28.html
बढ़िया जानकारी.
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Reblogged this on oshriradhekrishnabole.
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शानदार सचित्र लेख 🙂 🙂 🙂
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bahut hi gyanvardhak!
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बहुत अच्छी जानकारी हैं
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