खगोल वैज्ञानिकों के सामने एक अनसुलझी पहेली है जो उन्हे शर्मिन्दा कर देती है। वे ब्रह्मांड के 95% भाग के बारे मे कुछ नहीं जानते है। परमाणु, जिनसे हम और हमारे इर्द गिर्द की हर वस्तु निर्मित है, ब्रह्मांड का … पढ़ना जारी रखें श्याम पदार्थ : इन्फ़ोग्राफ़िक
ब्रह्मांड के मूलभूत और महत्वपूर्ण गुणधर्मो मे से एक प्रकाश गति है। इसे कई रूप से प्रयोग मे लाया जाता है जिसमे दूरी का मापन, ग्रहों के मध्य संचार तथा विभिन्न गणिति गणनाओं का समावेश है। और यह तो बस … पढ़ना जारी रखें ब्रह्मांड का व्यास उसकी आयु से अधिक कैसे है ?
जो भी कुछ हम जानते है और उसके अतिरिक्त भी सब कुछ एक महाविस्फोट अर्थात बिग बैंग के बाद अस्तित्व मे आया था। अब वैज्ञानिको के अनुसार इस ब्रह्मांड का अंत भी बड़े ही नाटकीय तरिके से होगा, महाविच्छेद(The Big Rip)।
ये नये सैद्धांतिक माडेल के अनुसार ब्रह्मांड के विस्तार के साथ, सब कुछ, आकाशगंगाओं से लेकर, ग्रह, तारे, परमाण्विक कण से लेकर काल-अंतराल (Space-Time)तक अंततः दृश्य से बाहर होने से पहले विदीर्ण हो जायेंगे!
नई वैज्ञानिक खोजो के समाचार मे प्रोटान, इलेक्ट्रान, न्युट्रान, न्युट्रीनो तथा क्वार्क का नाम आते रहता है। ये सभी के परमाण्विक कणो के एक चिड़ीयाघर के सदस्य है और ये इतने सूक्ष्म है कि उन्हे सूक्ष्मदर्शी से देखा जाना भी संभव नही है। हम आम तौर पर अपने आसपास जो भी कुछ देखते है वे सभी अणुओ और परमाणुओं से बने है, लेकिन हमे परमाण्विक मूलभूत कणो के अध्ययन के लिये अणु और परमाणु के भीतर भी झांकना होता है जिससे हम ब्रह्माण्ड की प्रकृति को समझ सके । इस विज्ञान की इस शाखा के अध्ययन को कण भौतिकी(Particle Physics),मूलभूतकण भौतिकी( Elementary Particle Physics) या उच्चऊर्जाभौतिकी(High Energy Physics (HEP)) कहा जाता है।
परमाणु की संकल्पना ग्रीक दार्शनिक डेमोक्रिट्स तथा भारतीय ऋषी कणाद ने सदियो पहले दी थी, पिछली सदी(20 वीं) के प्रारंभ तक इन्हे हर तरह के पदार्थ के निर्माण के लिये आवश्यक मूलभूत कण माना जाता रहा था। प्रोटान, न्युट्रान और इलेक्ट्रान के बारे मे हमारा ज्ञान रदरफोर्ड के प्रसिद्ध प्रयोग के पश्चात ही विकसित हुआ है, जिसमे हम पाया था कि परमाणु का अधिकतर भाग रिक्त होता है तथा इसके केंद्र मे प्रोटान और न्युट्रान से बना एक घना केंद्रक होता है और बाह्य लगभग रिक्त स्थान मे इलेक्ट्रान गतिमान रहते है।
परमाणू संरचना
कण भौतिकी विज्ञान को कणत्वरको ( particle accelerators) के अविष्कार के पश्चात तीव्र गति प्राप्त हुयी, जो कि प्रोटान या इलेक्ट्रान को अत्यंत तेज ऊर्जा देकर उन्हे ठोस परमाणु नाभिक से टकरा सकते है। इन टकरावों के परिणाम वैज्ञानिको के लिये आश्चर्यजनक थे, जब उन्होने इन टकरावो मे उत्पन्न ढेर सारे नये कणो को देखा।
1960 के दशक के प्रारंभ तक कण त्वरक कणों को अत्याधिक ऊर्जा देने मे सक्षम हो गये थे और इन टकरावो मे उन्होने 100 सेज्यादा नये कणो का निरीक्षण किया था। क्या ये सभी उत्पन्न कण मूलभूत है? वैज्ञानिक एक लंबी अवधि तक पिछली सदी के अंत तक संशय मे रहे। सैद्धांतिक अध्ययन और प्रयोगों कि एक लंबी श्रॄंखला के पश्चात ज्ञात हुआ कि इन मूलभूत कणो के दो वर्ग है जिन्हे क्वार्क(quark) और लेप्टान(lepton) कहा गया। लेप्टान कणो के उदाहरण इलेक्ट्रान(electron) , न्युट्रीनो(neutrino)) है। इनके साथ मूलभूत बलों(fundamental forces) का एक समूह है जो इन कणो से प्रतिक्रिया करता है। ये मूलभूत बल भी ऊर्जा का संवहन विशेष तरह के कणो की पारस्परिक अदलाबदली से करते है जिन्हे गाज बोसान(gauge bosons) कहते है। इसका एक उदाहरण फोटान है जोकि प्रकाशऊर्जा का पैकेट है और विद्युत-चुंबकिय बल (electromagnetic force)का संवहन करता है। पढ़ना जारी रखें “कण भौतिकी(Particle Physics) क्या है?”
वैज्ञानिक को “ब्रह्मांड की उत्पत्ति” की बजाय उसके “अंत” पर चर्चा करना ज्यादा भाता है। ऐसे सैकड़ों तरिके है जिनसे पृथ्वी पर जीवन का खात्मा हो सकता है, पिछले वर्ष रूस मे हुआ उल्कापात इन्ही भिन्न संभावनाओं मे से एक है। लेकिन समस्त ब्रह्मांड के अंत के तरिके के बारे मे सोचना थोड़ा कठिन है। लेकिन हमे अनुमान लगाने, विभिन्न संभावनाओं पर विचार करने से कोई रोक नही सकता है।
ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के सबसे ज्यादा मान्य सिद्धांत “महाविस्फोट(The Big Bang)” के अनुसार अब से लगभग 14 अरब वर्ष पहले एक बिन्दु से ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति हुयी है। उस समय ब्रह्मांड के सभी कण एक दूसरे से एकदम पास पास थे। वे इतने ज्यादा पास पास थे कि वे सभी एक ही जगह थे, एक ही बिंदु पर। सारा ब्रह्मांड एक बिन्दु की शक्ल में था। यह बिन्दु अत्यधिक घनत्व(infinite density) का, अत्यंत छोटा बिन्दु(infinitesimally small ) था। ब्रह्मांड का यह बिन्दु रूप अपने अत्यधिक घनत्व के कारण अत्यंत गर्म(infinitely hot) रहा होगा। इस स्थिती में भौतिकी, गणित या विज्ञान का कोई भी नियम काम नहीं करता है। यह वह स्थिती है जब मनुष्य किसी भी प्रकार अनुमान या विश्लेषण करने में असमर्थ है। काल या समय भी इस स्थिती में रुक जाता है, दूसरे शब्दों में काल या समय के कोई मायने नहीं रहते है। इस स्थिती में किसी अज्ञात कारण से अचानक ब्रह्मांड का विस्तार होना शुरू हुआ। एक महा विस्फोट के साथ ब्रह्मांड का जन्म हुआ और ब्रह्मांड में पदार्थ ने एक दूसरे से दूर जाना शुरू कर दिया।
खगोल वैज्ञानिकों के सामने एक अनसुलझी पहेली है जो उन्हे शर्मिन्दा कर देती है। वे ब्रह्मांड के 95% भाग के बारे मे कुछ नहीं जानते है। परमाणु, जिनसे हम और हमारे इर्द गिर्द की हर वस्तु निर्मित है, ब्रह्मांड का केवल 5% ही है! पिछले 80 वर्षों की खोज से हम इस परिणाम पर पहुँचे हैं कि ब्रह्मांड का 95% भाग रहस्यमय श्याम ऊर्जा और श्याम पदार्थ से बना है। श्याम पदार्थ को 1933 मे खोजा गया था जो कि आकाशगंगा और आकाशगंगा समूहों को एक अदृश्य गोंद के रूप मे बाँधे रखे है।। 1998 मे खोजीं गयी श्याम ऊर्जा ब्रह्मांड के विस्तार गति मे त्वरण के लिये उत्तरदायी है। लेकिन वैज्ञानिकों के सामने इन दोनो की वास्तविक पहचान अभी तक एक रहस्य है!
2 जीवन कैसे प्रारंभ हुआ?
चार अरब वर्ष पहले किसी अज्ञात कारक ने मौलिक आदिम द्रव्य(Premordial Soup) मे एक हलचल उत्पन्न की। कुछ सरल से रसायन एक दूसरे से मील गये और जीवन का आधार बनाया। ये अणु अपनी प्रतिकृति बनाने मे सक्षम थे। हमारा और समस्त जीवन इन्हीं अणुओं के विकास से उत्पन्न हुआ है। लेकिन ये सरल मूलभूत रसायन कैसे, किस प्रक्रिया से इस तरह जमा हुये कि उन्होंने जीवन को जन्म दिया? डी एन ए कैसे बना? सबसे पहली कोशीका कैसी थी? स्टेनली-मिलर के प्रयोग के 50 वर्ष बाद भी वैज्ञानिक एकमत नहीं है कि जीवन का प्रारंभ कैसे हुआ? कुछ कहते है कि यह धूमकेतुओ से आया, कुछ के अनुसार यह ज्वालामुखी के पास के जलाशयों मे प्रारंभ हुआ, कुछ के अनुसार वह समुद्र मे उल्कापात से प्रारभ हुआ। लेकिन सही उत्तर क्या है?