चित्रकार की कल्पना के अनुसार एक केंद्र मे महाकाय ब्लैक होल वाला क्वासर

खगोल भौतिकी 24 : क्वासर और उनके प्रकार(QUASAR AND ITS TYPES)


लेखिका:  सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar)

क्वासर की सर्वमान्य परिभाषा के अनुसार क्वासर अत्याधिक द्रव्यमान वाले अंत्यत दूरस्थ पिंड है जो असाधारण रूप मे अत्याधिक मात्रा मे ऊर्जा उत्सर्जन करते है। दूरबीन से देखने पर क्वासर किसी तारे की छवि के जैसे दिखाई देता है। लेकिन वह तारकीय गतिविधियो की बजाय शक्तिशाली रेडीयो तरंगो के स्रोत होते है। इसी कारण से उन्हे क्वासी-स्टेलर-रेडीयो-सोर्स(QUASAR) नाम दिया गया, जिसका अर्थ है तारे के जैसा रेडीयो स्रोत। ये अत्याधिक दीप्तीमान पिंड होते है और कभी कभी इतने अधिक दीप्तीमान होते है कि वे अपनी आकाशगंगा से भी अधिक चमकदार दिखाई देते है। अपनी खोज के बाद से ही अपने इन अद्भूत गुणो की वजह से ये पिंड खगोलशास्त्रीयों को चमत्कृत करते रहे है। ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ के पच्चीसवें लेख मे हम इन पिंडो के बारे मे जानकारी प्राप्त करेंगे।

इस शृंखला के सभी लेखों को आप इस लिंक पर पढ़ सकते है।

क्वासर की खोज(Discovery of Quasars)

क्वासर की खोज रेडीयो खगोलशास्त्र और आप्टीकल खगोलशास्त्र के संयुक्त उद्यम का सबसे सफ़ल परिणाम है। 1932 मे अमरीकी इंजीनियर कार्ल जान्स्की(Karl Janskey) ने सौर मंडल के बाहर से उत्पन्न होते रेडीयों संकेतो की खोज की थी। 1950 के दशक के मध्य से बहुत से खगोल शास्त्रीयों ने प्रकाशीय रूप से धूंधले तारकीय स्रोतो से रहस्यमयी रेडीयो तरंगो के उत्सर्जन को पाया था। इन सभी खोजो के पश्चात 1950 के दशक के अंत मे सबसे पहला क्वासर खोजा गया था, इस खोज के पहले सभी रेडीयो संकेतो के स्रोत के साथ कोई दृश्य खगोलीय पिंड नही पाया गया था। लेकिन 1963 मे एक रेडीयो स्रोत 3C48 को पाया गया जो कि एक दृश्य पिंड के साथ जुड़ा हुआ था और इन रहस्यमयी पिंडो को क्वासर नाम दिया गया।

क्वासर 3C 273 की हब्बल दूरबीन द्वारा लिया चित्र। दायें वाले चित्र मे क्रोनोग्राफ़ के प्रयोग से क्वासर के चारो ओर के प्रकाश को दबाया गया है जिससे इसकी मातृ आकाशगंगा को देखा जा सके।(Hubble's image of Quasar 3C 273. At right, a coronagraph has been used to block the Quasar's surrounding light to easily detect the host galaxy.)
क्वासर 3C 273 की हब्बल दूरबीन द्वारा लिया चित्र। दायें वाले चित्र मे क्रोनोग्राफ़ के प्रयोग से क्वासर के चारो ओर के प्रकाश को दबाया गया है जिससे इसकी मातृ आकाशगंगा को देखा जा सके।(Hubble’s image of Quasar 3C 273. At right, a coronagraph has been used to block the Quasar’s surrounding light to easily detect the host galaxy.)

क्वासर का निर्माण तथा गुणधर्म

यह एक विवादास्पद सिद्धांत है और सभी वैज्ञानिक इस पर एक मत नही है। लेकिन अधिकतर अवधारणाओं के अनुसार अधिकतर विशाल आकाशगंगाओ के केंद्र मे एक महाकाय ब्लैक होल होता है। सैद्धांतिक रूप से क्वासर और अन्य प्रकार के सक्रिय आकाशगंगीय नाभिको(Active Galactic Nuclei) मे इन महाकाय ब्लैक होल के आसपास एक गैसीय अक्रिशन डिस्क(accretion disk) होती है। जब भी गैस इन ब्लैक होल की ओर गीरती है विद्युत चुंबकीय विकिरण के रूप मे ऊर्जा उत्सर्जन होता है। किसी क्वासर के निरीक्षण किये जाने वाले गुण बहुत से कारक पर निर्भर करते है, जिसमे संबधित सैद्धांतिक ब्लैक होल का द्रव्यमान, गैस के जमा होने की दर तथा निरीक्षक के सापेक्ष अक्रिशन डिस्क के झुकाव की दिशा , जेट की उपस्थिति या अनुपस्थिति, मातृ आकाशगंगा की गैस और धुल के द्वारा रेडीयो संकेत के मार्ग मे उत्पन्न बाधा जैसे कारको समावेश होता है।

 

चित्रकार की कल्पना के अनुसार एक केंद्र मे महाकाय ब्लैक होल वाला क्वासर
चित्रकार की कल्पना के अनुसार एक केंद्र मे महाकाय ब्लैक होल वाला क्वासर

क्वासर सामान्य तारों से आश्चर्यजनक ढंग से भिन्न होते है क्योंकि वे शक्तिशाली पराबैंगनी उत्सर्जन करते है। सामान्य मुख्य अनुक्रम(main sequence) के तारे इतनी अधिक मात्रा मे पराबैंगनी(ultraviolet) विकिरण उत्सर्जन नही करते है। क्वासर सक्रिय आकाशगंगाओ के समान ही बहुत से गुणधर्म रखते है। ये विद्युत वर्णक्रम(electromagnetic spectrum) के बहुत से भागो मे देखे जा सकते है जिसमे रेडीयो, अवरक्त(infrared), दृश्य, पराबैंगनी, एक्स किरण और शक्तिशाली गामा किरण का भी समावेश है। सभी देखे गये वर्णक्रम मे महत्त्वपूर्ण मात्रा मे लाल विचलन(Red shift) पाया गया है जिसका मूल्य 0.06 से अधिकतम 6.4 तक है। लाल विचलन की यह निरीक्षित मात्रा यदि 3 से अधिक हो तो इसका अर्थ होता है कि वह क्वासर अत्यंत तेज गति से हमसे दूर जा रहा है और हमसे अत्याधिक अधिक दूरी पर स्थित है।

क्वासर के प्रकार

क्वासर के प्रकार निम्नलिखित है :

रेडीयो कोलाहलपूर्ण क्वासर(Radio-loud Quasars)

इन क्वासर के साथ शक्तिशाली जेट होती है जोकि रेडीयो तरंग वाले विकिरण का शक्तिशाली स्रोत होते है। कुल क्वासरों का दस प्रतिशत इन्ही क्वासरो का है।

रेडीयो-शांत क्वासर(Radio-quiet Quasars)

रेडीयो कोलाहलपूर्ण क्वासर के विपरीत इन क्वासरो मे रेडीयो उत्सर्जन करने वाली जेट नही होती है। इनसे उत्पन्न रेडीयो उत्सर्जन अपेक्षाकृत रूप से कमजोर होता है। अधिकतर क्वासर(90%) इसी श्रेणी मे आते हओ।

विस्तृत अवशोषण रेखाओं वाले क्वासर(Broad absorption-line (BAL) Quasars)

इन क्वासरो मे नीले विचलन वाला वर्णक्रम अन्य शेष वर्णक्रम के सापेक्ष विस्तृत अवशोषण रेखाओं को प्रदर्शित करता है। ये विस्तृत अवशोषण रेखायें 10% क्वासरो मे पाई जाती है। ये क्वासर सामान्यत: रेडीयो शांत क्वासर होते है।

टाईप 2 क्वासर(Type 2 Quasars)

इन क्वासर मे घनी गैस और दुल अक्रीशन डिश्क और विस्तृत अवशोषण रेखाओं को ढंक लेती है।

लाल क्वासर(Red Quasars)

इन क्वासरों का रंग अन्य सामान्य क्वासरो की तुलना मे अधिक लाल होता है। शायद यह लालिमा उस क्वासर की मातृ आकाशगंगा मे मध्यम मात्रा मे धुल के विलोपन का परिणाम हो सकती है। अवरक्त सर्वेक्षण ने यह दर्शाया है कि लाल क्वासर की संख्या कुल क्वासर की संख्या का एक बड़ा भाग है।

दृश्य तीव्र परिवर्तनशील क्वासर(Optically Violent Variable (OVV) Quasars)

ये रेडीयो कोलाहल पूर्ण क्वासर है जिसमे जेट की दिशा सीधे निरीक्षक की ओर होती है। इस जेट उत्सर्जन की आपेक्षिकीय दीप्ती (Relativistic beaming)के परिणाम से इन क्वासर की चमक मे तेज और अधिक मात्रा मे परिवर्तन दिखाई देता है।

कमजोर उत्सर्जन रेखाओं वाले क्वासर(Weak emission line Quasars)

इन क्वासरो मे असामान्य रूप से पराबैंगनी/दृश्य वर्णक्रम मे धूंधली उत्सर्जन(emission lines) रेखाये होती है।

क्वासर का महत्व

क्वासर अत्याधिक दूरी वाले , दीप्तीमान लेकिन आभासी आकार मे छोटे पिंड होते है। इस कारण से वे आकाश मे किसी बिंदु के मापन के लिये संदर्भ बिंदु का कार्य करते है। इस कारण से वैज्ञानिको ने अंतत अंतराष्ट्रीय खगोलीय संदर्भ प्रणाली(International Celestial Reference System) मे इन पिंडो को मूलभूत आधार के रूप मे माना है।
दिसंबरा 2017 मे वैज्ञानिको ने अब तक का सबसे दूरस्थ क्वासर पाया है जो कि पृथ्वी से 13 अरब प्रकाश वर्ष दूर है और इसका नाम J1342+0928। यह क्वासर बिग बैंग के केवल 69 करोड़ वर्ष पश्चात निर्मित हुआ होगा। इतनी कम आयु के क्वासर के अध्ययन से समय के आकाशगंगाओ के निर्माण और विकास के अध्ययन मे महत्वपूर्ण सहायता मिल सकती है। इसके अतिरिक्त इन क्वासरो से उत्सर्जित ऊर्जा को पृथ्वी तक पहुंचने मे अरबो वर्ष का समय लगा है, जिससे खगोल शास्त्रीयों को इन क्वासरो के अध्ययन से ब्रह्मांड के विकास की आरंभिक अवस्थाओं की जानकारी प्राप्त हो सकती है।

लेखिका का संदेश

हम इन रेडीयो तरंग ऊर्जा केंद्रो के बारे मे अधिक नही जानते है। इन दीप्तीमान और खूबसूरत पिंडॊ मे बारे मे अधिक जानने के लिये शायद हमे बरसो का इंतजार करना पढ़ सकता है जिसमे इनका उद्देश्य और इन गतिविधियों के पीछे की भौतिकी का समावेश है। लेकिन यह वह पिंड है जिनके बारे मे जानना आवश्यक है।

मूल लेख : QUASAR AND ITS TYPES

लेखक परिचय

सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar)
संपादक और लेखक : द सिक्रेट्स आफ़ युनिवर्स(‘The secrets of the universe’)

लेखिका भौतिकी मे परास्नातक कर रही है। उनकी रुचि ब्रह्मांड विज्ञान, कंडेस्ड मैटर भौतिकी तथा क्वांटम मेकेनिक्स मे है।

Editor at The Secrets of the Universe, She is a science student pursuing Master’s in Physics from India. Her
interests include Cosmology, Condensed Matter Physics and Quantum Mechanics

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खगोल भौतिकी 24 : क्वासर और उनके प्रकार(QUASAR AND ITS TYPES)&rdquo पर एक विचार;

  1. बहुत अच्छे में काफी समय से कासर्स के बारे में जानना चाहरहा था इस लेख से काफी कुछ जाना जिसकी सहयता से में कासर्स का और गहराई से अध्ययन करूँगा

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