केप्लर अंतरिक्ष वेधशाला :सौर मंडल के बाहर जीवन की खोज को समर्पित वेधशाला


केप्लर अंतरिक्ष वेधशाला नासा का सौर मंडल से बाहर पृथ्वी सदृश ग्रहों को खोजने का अबतक का सबसे सफ़ल अभियान रहा है। इस अभियान का नाम महान खगोल शास्त्री योहानस केप्लर को समर्पित था। इसे 7 मार्च 2009 को अंतरिक्ष मे … पढ़ना जारी रखें केप्लर अंतरिक्ष वेधशाला :सौर मंडल के बाहर जीवन की खोज को समर्पित वेधशाला

KIC-8462852 के आसपास संभावित डायसन स्फियर

KIC 8462852 : एलीयन सभ्यता ? एक बार फ़िर से चर्चा मे


हमारे ब्रह्मांड मे ढेर सारी अबूझ पहेलीयाँ है, लेकिन पिछले कुछ समय से विश्व के खगोलशास्त्री एक अजीब सी उलझन में फंसे हुए हैं। इसकी वजह है एक अनोखा तारा। यह तारा काफी रहस्यमय है। इससे जुड़ी बातें इसे किसी … पढ़ना जारी रखें KIC 8462852 : एलीयन सभ्यता ? एक बार फ़िर से चर्चा मे

KIC 8462852 का व्यवहार विचित्र क्यों है ? क्या यह धुल, ग्रहो के मलबे से है या एलियन सभ्यता के कारण ?

KIC 8462852 : एलीयन सभ्यता ? रहस्य और गहराया!


अक्टूबर मे हमने एक लेख मे एक विचित्र तारे KIC 8462852 से उत्सर्जित प्रकाश मे आने वाली विचित्र कमी के बारे मे चर्चा की थी। इस तारे के प्रकाश मे आने वाली कमी का एक संभावित कारण किसी एलियन सभ्यता … पढ़ना जारी रखें KIC 8462852 : एलीयन सभ्यता ? रहस्य और गहराया!

एलीयन-यु एफ़ ओ

क्या एलीयन है ? क्या वे पृथ्वी पर आते है?


यह प्रश्न अक्सर सामने आते रहता है कि क्या पृथ्वी के बाहर जीवन है? यदि पृथ्वी के बाहर जीवन है तो क्या उस जीवन मे मानव जैसे बुद्धिमान जीवन की उपस्थिति है? सारे विश्व मे UFO/उड़नतश्तरी के दिखायी देने की … पढ़ना जारी रखें क्या एलीयन है ? क्या वे पृथ्वी पर आते है?

परग्रही जीवन श्रंखला भाग 09 : उड़नतश्तरीयां


१९५२ मे न्युजर्सी स रा अमरीका मे दिखायी दी कथित उड़नतश्तरी का चित्र
1952 मे न्युजर्सी स रा अमरीका मे दिखायी दी कथित उड़नतश्तरी का चित्र

कुछ लोगो का विश्वास है कि परग्रही प्राणी उड़नतश्तरीयो से पृथ्वी की यात्रा कर चूके है। वैज्ञानिक सामान्यतः उड़नतश्तरी के समाचारो पर विश्वास नही करते है और तारो के मध्य की विशाल दूरी के कारण इसकी संभावना को रद्द कर देते है। वैज्ञानिको इस ठंडी प्रतिक्रिया के बावजूद उड़नतश्तरी दिखने के समाचार कम नही हुये है।

उड़नतश्तरीयो के देखे जाने के दावे लिखित इतिहास की शुरुवात तक जाते है। बाईबल मे ईश्वर के दूत इजेकील ने रहस्यमय ढंग से आकाश मे ’चक्र के अंदर चक्र’ का उल्लेख किया है जिसे कुछ लोग उड़नतश्तरी मानते है। 1450 ईसा पूर्व मिश्र के फराओ टूटमोस तृतिय के काल मे मिश्री(इजिप्त) इतिहासकारो ने आकाश मे 5 मीटर आकार के ’आग के वृत’ का उल्लेख किया है जो सूर्य से ज्यादा चमकदार थे और काफी दिनो तक आकाश मे दिखायी देते रहे तथा अंत मे आकाश मे चले गये। ईसापूर्व 91 मे रोमन लेखक जूलियस आब्सक्युन्स ने एक ग्लोब के जैसे गोलाकार पिंड के बारे मे लिखा है आकाशमार्ग से गया था। 1234 मे जनरल योरीतसुमे और उसकी सेना ने क्योटो जापान के आकाश मे रोशनी के गोलो को आकाश मे देखा था। १५५६ मे नुरेमबर्ग जर्मनी मे आकाश मे किसी युद्ध के जैसे बहुत सारे विचित्र पिंडो को देखा था। पढ़ना जारी रखें “परग्रही जीवन श्रंखला भाग 09 : उड़नतश्तरीयां”

परग्रही जीवन श्रंखला भाग 08 : परग्रही सभ्यता मे वैज्ञानिक विकास : परग्रही जीवन श्रंखला भाग 08


यदि हम मानव इतिहास के पिछले 100,000 वर्षो मे विज्ञान के विकास पर दृष्टिपात करे तो हम पायेंगे कि यह अफ्रिका मे मानव के जन्म से लेकर अब तक यह उर्जा की खपत मे बढो़त्तरी का इतिहास है। रशियन खगोल विज्ञानी निकोलाइ कार्दाशेव के अनुसार सभ्यता के विकास के विभिन्न चरणो को ऊर्जा की खपत के अनुसार श्रेणीबद्ध लिया जा सकता है। इन चरणो के आधार पर परग्रही सभ्यताओं का वर्गीकरण किया जा सकता है। भौतिकी के नियमो के अनुसार उन्होने संभव सभ्यताओं को तीन प्रकार मे बांटा। 1 पढ़ना जारी रखें “परग्रही जीवन श्रंखला भाग 08 : परग्रही सभ्यता मे वैज्ञानिक विकास : परग्रही जीवन श्रंखला भाग 08”