आप पदार्थे की तीन अवस्थाओं को जानते ही होंगे, ये है ठोस, द्रव तथा गैस। लेकिन इनके अतिरिक्त पदार्थ एक और अवस्था मे पाया जाता है जिसे प्लाज्मा कहते है।
प्लाज्मा (Plasma): भौतिक और रसायनशास्त्र में प्लाज्मा आंशिक रूप से आयनीकृत एक गैस है जिसमे इलेक्ट्रान का एक निश्चित अनुपात, किसी परमाणु या अणु के साथ बन्ध होने के वजाय स्वतंत्र हो जाता है।प्लाज्मा में धनावेश और ऋणावेश की स्वतंत्र रूप से गमन करने की क्षमता प्लाज्मा को विद्युत चालक बना देती है।प्लाज्मा के गुण ठोस,द्रव्य और गैस के गुण से काफी विपरीत होते है इसलिए इसे पदार्थ की चौथी अवस्था माना जाता है।प्लाज्मा आमतौर पर एक गैस के बादल का रूप ले लेता है गैस की तरह प्लाज्मा का कोई निश्चित आकार या निश्चित आयतन नही होता है।गैस के विपरीत किसी चुम्बकीय क्षेत्र के प्रभाव में यह एक फिलामेंट,पुंज या दोहरी परत जैसी संरचनाओं का निर्माण करता है।प्लाज्मा की पहचान सर्वप्रथम सर विलियम क्रुक्स द्वारा 1879 में की गई थी इन्होंने इसे “चमकते पदार्थ” का नाम दिया था।इरविंग लैंगम्युडर ने इसे प्लाज्मा का नाम दिया।
प्लाज्मा अवस्था (Plasma State):हमारे चारों ओर के परिवेश को देखने पर हम पातें हैं कि पदार्थ की तीन अवस्थाएँ होती है-ठोस,द्रव एवं गैस। पदार्थ की अवस्थाएँ पदार्थ में परमाणुओं के बन्ध तथा उनकी संरचना पर निर्भर करता है। ऊर्जा के आदान-प्रदान से ये अवस्थाएँ अपनी एक अवस्था से दूसरी अवस्था में परिवर्तित होती है ।
उदाहरण के लिए जब हम बर्फ को गर्म करतें है तो यह द्रव अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। इसे और अधिक गर्म करने पर यह द्रव से वाष्प अवस्था में परिवर्तित हो जाता है।
इस प्रकार हम पाते है कि किसी पदार्थ को ऊर्जा देने पर वह ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में तथा द्रव अवस्था से गैसीय अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। जब हम गैसीय पदार्थ को गैसीय अवस्था में और अधिक ऊर्जा देते है तो वह इसके परमाणु से घटक कणों इलेक्ट्रोनों तथा प्रोटॅान उत्सर्जित होते है। जिससे पदार्थ आयनीकृत हो जाता है। इस प्रकार हमें परमाणुओं,इलेक्ट्रोनो,प्रोटॅानों तथा आवेशित कणों की एक गैस मिलती है इसे हम पदार्थ की चतुर्थ अवस्था कहते है जिसे हम प्लाज्मा भी कहते है। यह आयनीकरण की प्रक्रिया अति उच्च ताप तथा दाब पर सम्पन्न होती है।
प्लाज्मा प्राकृतिक रूप से आकाशीय पिण्डों जैसे गर्म तारों के वायुमंडल तथा पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में पाया जाता है।सुर्य से उत्सर्जित सौर पवनें जो कि आवेशित कणों से बनी है उनमे से कुछ आवेशित कण पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में आ जाते है, वायुमंडल के इस भाग को आयनमंडल कहते है।पृथ्वी सतह पर प्लाज्मा नहीं पाया जाता है,क्योंकि पृथ्वी सतह पर उच्च घनत्व तथा कम तापमान पाया जाता है।सूर्य भी एक प्लाज्मा का उदाहरण है,जिसके भीतर का ताप बहुत उच्च (10000000 K) होता है|
जब बात प्लाज्मा की हो तो हमारे मन में प्लाज्मा टेलीविज़न का ख्याल जरूर आता है संक्षेप रूप में एक नजर प्लाज्मा टीवी पर।
प्लाज्मा टीवी (Plasma tv)
प्लाज्मा टीवी एक प्रकार का हाई डिफिनिशन (HD) टीवी होता है।प्लाज्मा टीवी में हजारो की संख्या में छोटे छोटे फ्लुओरेसेंस ट्यूब लगे होते है।सामान्यतः टेलीविज़न में हजारो या लाखो की संख्या में छोटे छोटे घटक (Dots) होते है जिसे पिक्सेल कहते है रंगीन टीवी में तीन वर्ण मिलाकर एक पिक्सेल का निर्माण किया जाता है इसमे प्रकाश के तीन प्राथमिक रंग लाल,हरा और नीला का प्रयोग किया जाता है।लेकिन प्लाज्मा टीवी में प्रत्येक पिक्सेल अक्रिय गैस नियॉन और जिनॉन के छोटे छोटे पात्रो से मिलकर बना होता है।प्रत्येक पिक्सेल को दो विद्युत आवेशित प्लेटो के बीच रखा जाता है जब विद्युत धारा प्रवाहित किया जाता है तब प्लाज्मा (नियॉन और जिनॉन) चमकने लगता है।टीवी में लगा एक उपकरण विद्युत क्षेत्र को नियंत्रित करता रहता है जिससे विभिन्न रंगो का मिश्रण सतत बनता रहता है जो की दृश्य पटल (Display) पर दिखाई देता है।वैसे तो प्लाज्मा टीवी को उन्नत टेलीविज़न माना जाता है लेकिन प्लाज्मा टीवी में भी कुछ खासियत और कुछ कमियाँ मौजूद है।
क्या आपने प्लाज्मा का निर्माण होते कभी भी नंगी आँखों से देखा है सामान्यतः लोगो का जवाब “नही” ही होगा क्योंकि प्लाज्मा का निर्माण करने के लिए उच्च ताप और दाव की जरूरत होती है और पृथ्वी पर प्लाज्मा मुक्त अवस्था में नही पायी जाती।लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा की आप सरल प्रयोग से अपने घर में ही प्लाज्मा का निर्माण कर सकते है और निर्माण होते देख भी सकते है।
यदि आप प्लाज्मा को बनते देखना चाहते है तो आपको एक सरल प्रयोग करना होगा।इस प्रयोग के लिए कुछ उपकरण आपके पास होने जरूरी है
- माइक्रोवेव ओवन:Microwave Oven
- पारदर्शी काँच का गिलास
- काला अंगूर
- चाकू या ब्लेड।
सबसे पहले आप अंगूर को बीच से काट दे और दोनों टूकड़े को माइक्रोवेव ओवन में रख दे ध्यान रखे कटा हुआ भाग ऊपर की ओर हो। अंगूर के टूकड़े को काँच के पारदर्शी गिलास से ढ़क दे अब माइक्रोवेव ओवन के door को बंद कर दे।अब माइक्रोवेव ओवन को चालू कर दे। अब आप उस काँच के गिलास पे नजर बनाये रखे क्योंकि प्लाज्मा का निर्माण उस गिलास के अंदर ही होने वाला है।लगभग 15~20 सेकंड में गिलास के अंदर प्लाज्मा बनते आप देख सकते है।
चेतावनी : आप इस प्रयोग को घर में या कही भी करने की कोशिश बिलकुल न करे इस प्रयोग से कुछ गैस जैसे ओजोन, नियॉन भी बनती है जो आपके लिए हानिकारक है। यह प्रयोग आपके माइक्रोवेव ओवन को खराब कर सकता है इसलिए आप इस प्रयोग का अनुसरण न करे क्योंकि ऐसा करने से आपको शारीरिक और आर्थिक क्षति या दोनों हो सकती है।
लेख : पल्लवी कुमारी
लेखिका परिचय
पलल्वी कुमारी, बी एस सी प्रथम वर्ष की छात्रा है। वर्तमान मे राम रतन सिंह कालेज मोकामा पटना मे अध्यनरत है।

Thanks
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बहुत ही अच्छी जानकारियां आपने उपलब्ध करवाई है इसके लिए आपको कोटि-कोटि धन्यवाद
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Very good.adhyatm science ki param avastha hai.hamare rishi uchh koti ke scientist the .jo padarth ki param esthit ka anusandhan kar lete the. Hamare desh me scietidto ko srvoch mahatv dena chahiye jo unhe nahi milta.yadyapi ye apane kaaryo me khoye log hote hai.
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Reblogged this on oshriradhekrishnabole.
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