खगोल भौतिकी 12 : हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख(THE HERTZSPRUNG RUSSELL DIAGRAM)


लेखक : ऋषभ

जब आप खगोलभौतिकी का अध्ययन करते है, विशेषत: तारो का तो यह असंभव है कि आपने हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख(THE HERTZSPRUNG RUSSELL DIAGRAM) ना देखा हो। ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के बारहवें लेख मे हम खगोल विज्ञान के सबसे महत्वपूर्ण आरेख HR आरेख के बारे मे जानेंगे। यह सबसे महत्वपूर्ण आरेख क्यों है ? प्रथम आप इसमे ब्रह्मांड के सभी तारों को इस पर चित्रित कर सकते है और द्वितिय इस आरेख मे तारे के संपूर्ण जीवन चक्र को चित्रित किया जा सकता है। अब हम हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख और इसके खगोलभौतिकी मे अनुप्रयोगो को देखते है।

हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख(THE HERTZSPRUNG RUSSELL DIAGRAM)

ब्रह्मांड मे एक अनुमान के आधार पर ट्रिलीयन ट्रिलियन(1024) तारे है। हर तारा अपने आप मे अद्वितिय है, हर तारे का अपना भिन्न द्रव्यमान, सतही तापमान, आकार, घनत्व, सतह पर घनत्व इत्यादि है। जब खगोलवैज्ञानिक तारों का अध्ययन कर रहे थे तो उन्होने इन तारों के मध्य एक विशिष्ट पैटर्न देखा। वे चाहते थे कि एक ऐसा आरेख(graph) बनाया जाये जिसमे ब्रह्मांड के हर तारे को चित्रित किया जा सके। हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख एक ऐसा ही आरेख है। यह उपर दिखाये गये चित्र के अनुसार बिंदु आरेख(scatter graph) है।

हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख के अक्ष(Axes of HR Diagram)

हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख  के अक्ष(Axes of HR Diagram)
हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख के अक्ष(Axes of HR Diagram)

जब भी आप कोई आरेख बनाते है तो सबसे पहले आपको उसके अक्षो को परिभाषित करना होता है। हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख के अक्ष मे Y अक्ष दीप्ती(Luminosity) का प्रतिनिधित्व करता है जो कि Y के मूल्य के साथ बढ़ती जाती है। दीप्ती(Luminosity) किसी तारे का कुल ऊर्जा उत्पादन होता है। इसकी चर्चा हमने इस शृंखला के आंठवे आलेख ’खगोलभौतिकी मे परिमाण (MAGNITUDE) की अवधारणा’ मे की है। वैकल्पिक रूप से दीप्ती को मोटे तौर पर किसी पिंड की चमक के रूप मे भी परिभाषित कर सकते है। खगोलभौतिकी मे हम चमक को परिमाण (magnitude)के रूप मे मापते है। यह एक ऐसी संख्या है जो बताती है कि कोई पिंड कितना चमकदार है। यह संख्या जितनी छोटी होगी, पिंड उतना अधिक चमकदार होगा। इस आरेख मे जैसे हम उपर जाते है(Y मे वृद्धि), परिमाण कम होता है और दीप्ती मे वृद्धि होती है।

तारे के रंग और सतह के तापमान के मध्य संबंध( The relation between a star's color and surface temperature)
तारे के रंग और सतह के तापमान के मध्य संबंध( The relation between a star’s color and surface temperature)

अब हम x अक्ष पर आते है। यह तारे की सतह तापमान का प्रतिनिधित्व करता है। इस शृंखला के नवम लेख ’तारों का वर्णक्रम के आधार पर वर्गीकरण (SPECTRAL CLASSIFICATION)’ मे हमने देखा था कि तारों को उनके सतह के तापमान के आधार पर सात मुख्य वर्गो मे रखा जा सकता है। तारों की सतह के तापमान के घटते क्रम मे यह वर्ग है O,B,A,F,G,K तथा M। अब आप ध्यान मे रखिये कि इस आरेख मे x के मूल्य मे वृद्धि के साथ सतह का तापमान घटता है। चित्र मे नीले तीर पर ध्यान दिजिये। उष्णतम O वर्ग के तारे इस आरेख मे बायें है जबकि शितलतम K तथा M तारे दायें भाग मे है।

आरेख मे तारों का अंकन(Plotting The Stars On The Diagram)

इस आरेख मे अक्षो को समझने के पश्चात हम ब्रह्मांड के किसी भी तारे को लेकर इस आरेख मे अंकित कर सकते है। इस आरेख मे हर बिंदु एक तारे का प्रतिनिधित्व कर रहा है। ध्यान दिजिये कि इस आरेख मे तारे समूहों के रूप मे दिख रहे है। अब हम इन समूहों को देखते है।

समूह (Group) A

सर्वाधिक तारे समूह A मे के भाग प्रतित होते है। इन तारों को मुख्य अनुक्रम के तारे(the Main Sequence stars) कहते है।एक मुख्य अनुक्रम का तारा अपने केंद्रक मे हायड्रोजन के संलयन से हिलियम का निर्माण कर रहा होता है। हमारा सूर्य भी एक मुख्य अनुक्रम का तारा है और समूह A का सदस्य है, इसकी सतह का तापमान लगभग 5,900 K है। इसका अर्थ यह है कि यह G वर्ग का तारा है। सूर्य का निरपेक्ष कांतिमान (absolute magnitude)+4.8 है। हम सूर्य के दोनो कारको को जानते है और उसे आसानी से आरेख मे अंकित कर सकते है। मुख्य अनुक्रम के अन्य तारों मे अल्फ़ा सेंटारी (alpha centuri) और लुब्धक(Sirius) भी है।

समूह (Group) B

अपनी सारी हाइड्रोजन को हिलियम मे जलाने के बाद तारे मुख्य अनुक्रम पट्टे से बाहर चले जाते है। अधिकतर तारे लाल दानव(red giants) बन जाते है और समूह B मे आ जाते है। लाल दानव का अर्थ है तारे की सतह का तापमान कम हो रहा है(वे K या M वर्ग मे है) लेकिन उसकी दीप्ती या ऊर्जा उत्पादन बढ़ रहा है। तो अब तारा आरेख मे कहाँ जायेगा ? यह तारा X अक्ष मे दायें और Y अक्ष मे उपर की ओर जायेगा अर्थात तापमान मे कमी और दीप्ती मे वृद्धि। इस क्षेत्र को लाल दानव शाखा(Red Giant Branch) कहते है। समूह B के कुछ परिचित तारे अल्डेबरान(Aldebaran) और मिरा(Mira) है।

समूह (Group) C

समूह C के तारे दानव तारों से भी अधिक दीप्तीमान होते है। इन्हे महादानव(supergiants) कहते है , ऐसे तारे जिनकी दीप्ती अत्याधिक ज्यादा है। बीटलगुज(Betelgeuse) के जैसे महादानव तारे इतने विशाल है कि यदि उन्हे सूर्य की जगह रखे तो इनका आकार बृहस्पति(Jupiter) की कक्षा से भी बाहर चला जायेगा। ध्यान दिजिये कि दानव और महादानव का x अक्ष साझा है, लेकिन Y अक्ष अलग है क्योंकि उनकी दीप्ती अधिक है। लेकिन नीले महादानव तारे इसका अपवाद है जो कि चित्र के उपरी बायें कोने मे है, उनकी सतह का तापमान अधिक होता है।

समूह (Group) D

समूह D के तारे श्वेत वामन(white dwarfs) कहलाते है। यदि आप इन तारों को आरेखे मे देखे तो इनके गुणो को आसानी से जान जायेंगे। यह आरेख मे बायें नीचे है, आप देख सकते है कि इनकी सतह का तापमान अधिक है और रंग नीला सफ़ेद है। ये आरेख के निचले भाग मे है अर्थात इनकी दीप्ती या ऊर्जा उत्पादन कम है। ये गुण न्युट्रान तारों और श्वेत वामन तारों के है। ये वास्तविकता मे मृत तारे है।

हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख(THE HERTZSPRUNG RUSSELL DIAGRAM)

मूल लेख :THE HERTZSPRUNG RUSSELL DIAGRAM

लेखक परिचय

लेखक : ऋषभ

Rishabh Nakra
Rishabh Nakra

लेखक The Secrets of the Universe के संस्थापक तथा व्यवस्थापक है। वे भौतिकी मे परास्नातक के छात्र है। उनकी रूची खगोलभौतिकी, सापेक्षतावाद, क्वांटम यांत्रिकी तथा विद्युतगतिकी मे है।

Admin and Founder of The Secrets of the Universe, He is a science student pursuing Master’s in Physics from India. He loves to study and write about Stellar Astrophysics, Relativity, Quantum Mechanics and Electrodynamics.

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