बिग बैंग समय रेखा

हम तारों की धूल है : बिग बैंग से लेकर अब तक की सृजन गाथा


मान लीजिये आपको एक कार बनानी है तो आपको क्या क्या सामग्री चाहिये होगी ? एक इंजन , कार का फ्रेम , पहिये , कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स , सीट्स, ट्रांसमिशन सिस्टम , स्क्रूज , ईंधन और भी बहुत सारा सामान। और अब अगर मैं कहु की आपको एक इंजन बनाना है तब आपको चहियेगा बहुत सी धातुएँ जिनसे आप इंजन बनाएंगे पर अगर आपको धातु ही बनानी हो तब?

या सोचिये की धरती पर इतने सारे तत्व है ये सब कहाँ बनते है या बने होंगे? जब कभी बिग बैंग की घटना घटी होगी तब ब्रह्माण्ड में केवल इलेक्ट्रान , प्रोटोन और न्यूट्रॉन रहे होंगे अगर स्ट्रिंग थ्योरी को माने तो शायद इनसे पहले भी कुछ रहा होगा पर फिलहाल के लिए इलेक्ट्रान , प्रोटोन और न्यूट्रॉन की मौज़ूदगी ही मान लेते है और ये तीनो भी अलग अलग रहे होंगे। इसके अलावा बहुत ज्यादा तापमान और बेहिसाब ऊर्जा। तब और कुछ नहीं था न ही पृथ्वी न ही सूरज , न ही कोई मन्दाकिनी न ही सितारे कुछ नहीं बस केवल ये तीनो कण इलेक्ट्रान , प्रोटोन और न्यूट्रॉन बहुत तेजी से इधर उधर घूमते हुए। इनके अलावा कोई और कण रहे होंगे तो फिलहाल उन्हें नजरअंदाज करते है।

प्रश्न ये आता है कि उस स्थिति से ये सब कैसे बना जो आज है ?

कैसे बने चाँद , सूरज और सितारे और ये पृथ्वी ?

परमाणु केण्द्रक
परमाणु केण्द्रक

इसे समझने के लिए सबसे पहले इस बात को समझ लीजिये कि सभी तत्वों में इलेक्ट्रान, प्रोटोन और न्यूट्रॉन एक से ही है केवल परमाणु केंद्रक मे इनकी अलग अलग संख्याओं के अनुसार अलग अलग तत्व बनते है। किसी तत्व के गुणधर्म इस बात से तय होते है कि उसका परमाणु कैसा है और परमाणु के दो आधारभूत गुणधर्म परमाणु संख्या और परमाणु भार इस बात पर निर्भर करते है कि उसमे इलेक्ट्रान, प्रोटोन और न्यूट्रॉन की संख्या कितनी है। इसका मतलब ये है की आप के अंदर भी वही इलेक्ट्रान. प्रोटोन और न्यूट्रॉन है जो मेरे अंदर है या जो दूर किसी सितारे के अंदर है या वह किसी ग्रह पर रहने वाले एलियन के अंदर।

कहने का त्तात्पर्य यह है की हम सबका सृजन एक है स्रोत से हुआ है। सभी तत्व एक ही स्रोत से बने है।

हायड्रोजन संलयन से हिलियम तथा ऊर्जा का निर्माण
हायड्रोजन संलयन से हिलियम तथा ऊर्जा का निर्माण

हाइड्रोजन ब्रह्माण्ड का सबसे साधारण तत्व है। जो एक इलेक्ट्रान और एक प्रोटोन से बना है। हाइड्रोजन का बनना भी ब्रह्माण्ड के काफी ठंडा होने के बाद ही संभव हो पाया होगा। लेकिन फिर भी ये भारी तत्वों के बनने की विधि से अपेक्षाकृत आसान रहा होगा। हीलियम का निर्माण भी उसी दौर में शुरू हुआ था।

बिग बैंग के करीब चालीस करोड़ साल बाद पहले सितारे बने होंगे ये सितारे हाइड्रोजन के बड़े बड़े गोले रहे होंगे और इनमे लगभग हाइड्रोजन और हीलियम रही होगी। इसके बाद के तत्व लिथियम, बेरेलियम, बाॅरान, कार्बन, आक्सीजन, नाइट्रोजन आदि का निर्माण इन सितारों के केन्द्र में शुरू हुआ था। आपके मोबाइल की लिथियम आयन बैटरी का लिथियम क्या पता कब बना होगा। सितारों के केन्द्र में उत्पन्न अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा और दाब ही इन हल्के परमाणुओं को मिलाकर भारी परमाणुओं में बदलते हैं और इससे उत्पन्न ऊर्जा प्रकाश, ऊष्मा आदि के रूप में बाहर निकलती हैं। इस प्रक्रिया को नाभिकीय संलयन कहा जाता है।

किसी तारें में नाभिकीय संलयन शुरू होने के लिए उसका द्रव्यमान इतना होना चाहिए कि केन्द्र में इतना दाब उत्पन्न हो सके जो दो हाइड्रोजन के परमाणुओं को संलयित करा कर हीलियम में बदल सके और इसके बाद और भारी तत्वों के परमाणु बनाये जा सके ।

अगर मैं आपको दो हाइड्रोजन के परमाणु देकर कहु की इन्हे मिलकर हीलियम बना दीजिये तो ये आसान काम नहीं रहेगा। चलिए कुछ और आसान काम देता हूँ। आप ऐसा करिये अपने पास रखी किसी चीज को छू कर दिखाइए। ये आसान काम था? – नहीं। बल्कि ये हाइड्रोजन के दो परमाणुओं को मिला कर हीलियम में बदल देने से भी मुश्किल काम है। असलियत में आपने उस चीज को छुआ ही नहीं और आप किसी चीज को छू भी नहीं सकते। जब दो वस्तुए परस्पर संपर्क में रखी जाती है तो सबसे पहले उनका इलेक्ट्रान क्लाउड संपर्क में आते है अब क्योंकि इलेक्ट्रान क्लाउड ऋणात्मक आवेशित होते है तो एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते है और बीच में कुछ कुछ न जगह बच ही जाती है। कोई परमाणु भी अपने आप में बहुत खाली जगह लिए होता है। अब अगर दो परमाणुओ को आपस में मिलाना चाहते है तो उन्हें परमाण्विक दूरी (10 -15 मीटर ) तक पास लाना पड़ता है और ऐसा करने के लिए बहुत अधिक दाब और ताप चाहिए होता है क्यूंकि इस दूरी पर नाभिकीय बल काम करना शुरू कर देते है और नाभिकीय बल कुदरत के सबसे शक्तिशाली बल है। जो लिए चाहिए ये ऊर्जा या तो किसी नाभिकीय भट्टी में बनाई जा सकती है या किसी सितारे के पेट में होती है। ( सितारे के पेट मतलब उसकी कोर से है। ) क्योंकि इतना दाब और ताप किसी तारे के केंद्र में ही संभव हो पाता है जहाँ तारे की समस्त गैसों का दाब गुरुत्वाकर्षण के कारण इतना ताप और दाब उत्पन्न कर देता है।

परमाणु जितने भारी तत्व के होंगे उन्हें मिलाकर नया तत्व बनाना उतना ही मुश्किल होगा। इसीलिए हाइड्रोजन के दो परमाणुओं को मिलाना किसी वस्तु को छू सकने से अपेक्षाकृत आसान काम है।

तारों मे नाभिकिय संलयन द्वारा हल्के तत्वों का निर्माण
तारों मे नाभिकिय संलयन द्वारा हल्के तत्वों का निर्माण

तारें अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करते हैं परन्तु फिर भी किसी तारे की भी एक सीमा होती है। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं। हाइड्रोजन का संलयन करने के लिए किसी तारे का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का केवल 1/100 भाग होना चाहिए। इतना द्रव्यमान होने पर उस तारे के केन्द्र में हाइड्रोजन का संलयन शुरू हो जायेगा। वही नियॉन का संलयन शुरू करने के लिए उसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का कम से आठ गुना ज्यादा होना चाहिए। सूर्य का द्रव्यमान जितना है इसमें अधिक मात्रा में हाइड्रोजन ही हीलियम में बदल रही है। इसे प्रोटोन प्रोटोन साइकिल कहा जाता है। सूर्य से उत्पन्न ऊर्जा का 99 प्रतिशत इसी क्रिया से बनता है। इसके बाद की जो क्रिया है जिसमें हीलियम के तीन नाभिक संलयित होकर कार्बन में बदल जाते हैं उस प्रक्रिया का सूर्य में होना संभव नहीं है। परंतु फिर भी सूर्य की कुल ऊर्जा का करीब 0.8 प्रतिशत CNO साइकिल से आता है जिसमें कुछ भारी तत्व कार्बन, नाइट्रोजन और आक्सीजन का प्रोटोन के साथ संलयन होता है।

परंतु जब कोई तारा अपने अंतिम समय में पहुंचता है तो इसकी कोर सिकुडना शुरू कर देती है और तापमान बढ़ने लगता है। जबकि इसकी सतह फैलती है। यह बात तारे के द्रव्यमान पर निर्भर करती है कि उसका अंत सुपरनोवा बनकर होगा या नहीं। सूर्य सुपरनोवा विस्फोट नहीं कर पायेगा। इसकी कोर हीलियम में बदल जायेगी और फिर कार्बन में तथा इसके अलावा नाइट्रोजन, आक्सीजन आदि तत्व भी इसकी कोर में बन पायेंगे।

सुपरनोवा के अवशेष
सुपरनोवा के अवशेष

जो तारे सूर्य से कई गुना ज्यादा द्रव्यमान के हैं उनकी कोर अंत में लोहे में बदल जाती है। लोहे  के बाद के तत्व तारें के केन्द्र में नहीं बन पाते हैं इन्हें बनने के अधिक ऊर्जा चाहिए होती है। ये ऊर्जा किसी सुपरनोवा विस्फोट में उत्पन्न होती है। भारी तत्व किसी सुपरनोवा के दौरान ही बन पाता है और इसी विस्फोट से ये तत्व सुदूरवर्ती अंतरिक्ष में फेंक दिये जाते हैं। वही से ये तत्व पृथ्वी जैसे ग्रह पर पहुंच पाते हैं। इनके बनने की क्रिया काफी तीव्र गति से होती है और बहुत भारी तारे ही एक अच्छे खासे सुपरनोवा विस्फोट को कर पाते हैं।

इसके अलावा भी एक और विधि रहती हैं भारी तत्व के बनने की, इस विधि में किसी न्यूट्रान पर दूसरा न्यूट्रान आकर जुड़ जाता है और तब तक और न्यूट्रान जुड़ते रहते जब यह जुड़ाव स्थायी बना रहता है जैसे ही यह जुड़ाव अस्थाई होता है तभी इससे बीटा क्षय होता है और एक न्यूट्रान बीटा कण का त्याग कर प्रोटोन में बदल जाता है। इससे नाभिक में फिर से ‌‌सि्थरता आ जाती है। परन्तु यह क्रिया बड़ी धीमी गति से होती है। इस विधि में भी अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा चाहिए होती है परन्तु धीमी दर से और इसीलिए साधारण से कुछ बड़े तारें भी कुछ मात्रा में भारी तत्वों का निर्माण कर पाते हैं लेकिन यह मात्रा बहुत कम होती है । इसीलिए ब्रह्मांड में इन तत्वों की बहुत कम मात्रा पायी जाती है। अधिकतर भारी तत्व इसी तरह से बने हैं। चांदी, आयोडीन, जेनाॅन , इरीडियम, प्लेटिनम, गोल्ड, बिस्मिथ आदि तत्व इसी तरह बने हुए हैं। यह क्रिया सूर्य पर तब और तेजी से होगी जब यह रक्तदानव की अवस्था में पहुंच जायेगा।

“तो इस तरीके से हम सब सितारों की कोर में जन्मे थे। जैसा कि कार्ल सेगन ने कहा है।”

लेखक : भारत मित्तल

Advertisement

22 विचार “हम तारों की धूल है : बिग बैंग से लेकर अब तक की सृजन गाथा&rdquo पर;

    1. ब्लैक होल मे पदार्थ गैसे के रूप मे नही अत्यंत संपिडित अवस्था मे होता है जोकि हमारे अब तक देखे, महसूस किये गये पदार्थो की अवस्थाओं से भिन्न है।

      Liked by 1 व्यक्ति

  1. आशीष सर। जब कोई परमाणु मैं कोई इलेक्ट्रोन बाहरी कक्षा से अंदर की कक्षा में प्रवेश करता तो वो अपनी अतिरिक्त ऊर्जा फोटोन के रूप में बाहर निकालता है लेकिन जब वह इलेक्ट्रोन बाहर की कक्षा में वापसी करता है तो उसे ऊर्जा कहा से मिलती है।

    पसंद करें

  2. रात्रि आकाश मे दिखाई देने वाले तथा टीम-टीम करते क्या यह सभी अपने सुरज की तरह तारे है?
    बिटरगूज किस तारकासमुह में दिखाई देता है?

    पसंद करें

  3. सर ये इलेक्ट्रान क्लाउड कैसे बनते है
    तारा न्यूट्रॉन स्टार या ब्लेक होल में से एक बनता है कैसे और क्यों
    सुपर नोवा विस्फोट किन तारो में कब होता है

    पसंद करें

    1. परमाणु के चारो ओर परिक्रमा करते इल्केट्रानो को इलेक्ट्रान क्लाउड कहते है।
      तारा अपने द्रव्यमान के अनुसार न्युट्रान तारा या ब्लैक होल बनेगा। यदि उसका द्रव्यमान 1.4 to 3.2 सूर्य के द्रव्यमान के तुल्य हो तो न्युट्रान तारा, उससे अधिक हो तो ब्लैक होल बनेगा।
      सुपरनोवा विस्फोट सूर्य के द्रव्यमान से 1.4 गुणा अधिक द्रव्यमान वाले तारों की मृत्यु के समय होता है, इस समय वे अपना इंधन समाप्त कर चुके होते है। अधिक जानकारी इस लेख मे https://vigyanvishwa.in/2007/01/26/stardeath/

      Liked by 1 व्यक्ति

      1. हम जानते हैं कि सभी पदार्थ , proton and nutron से बने हैं तथा electron कक्षा में चक्कर लगाता है, ऐसी स्थिति में पदार्थ स्थिर क्यों नजर आता है? जबकि इस स्थिति में उसे हिलता नजर आना चाहिए

        पसंद करें

इस लेख पर आपकी राय:(टिप्पणी माड़रेशन के कारण आपकी टिप्पणी/प्रश्न प्रकाशित होने मे समय लगेगा, कृपया धीरज रखें)

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s