लेखिका: सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar) अपने स्कूली दिनो से हम जानते है कि हम पृथ्वी मे रहते है जोकि सौर मंडल मे है और सौर मंडल एक विशाल परिवार मंदाकिनी आकाशगंगा(Milkyway Galaxy) का भाग है। लेकिन हममे से अधिकतर लोग नही … पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 23 : आकाशगंगा और उनका वर्गीकरण
खगोल वैज्ञानिकों के सामने एक अनसुलझी पहेली है जो उन्हे शर्मिन्दा कर देती है। वे ब्रह्मांड के 95% भाग के बारे मे कुछ नहीं जानते है। परमाणु, जिनसे हम और हमारे इर्द गिर्द की हर वस्तु निर्मित है, ब्रह्मांड का … पढ़ना जारी रखें श्याम पदार्थ : इन्फ़ोग्राफ़िक
नई वैज्ञानिक खोजो के समाचार मे प्रोटान, इलेक्ट्रान, न्युट्रान, न्युट्रीनो तथा क्वार्क का नाम आते रहता है। ये सभी के परमाण्विक कणो के एक चिड़ीयाघर के सदस्य है और ये इतने सूक्ष्म है कि उन्हे सूक्ष्मदर्शी से देखा जाना भी संभव नही है। हम आम तौर पर अपने आसपास जो भी कुछ देखते है वे सभी अणुओ और परमाणुओं से बने है, लेकिन हमे परमाण्विक मूलभूत कणो के अध्ययन के लिये अणु और परमाणु के भीतर भी झांकना होता है जिससे हम ब्रह्माण्ड की प्रकृति को समझ सके । इस विज्ञान की इस शाखा के अध्ययन को कण भौतिकी(Particle Physics),मूलभूतकण भौतिकी( Elementary Particle Physics) या उच्चऊर्जाभौतिकी(High Energy Physics (HEP)) कहा जाता है।
परमाणु की संकल्पना ग्रीक दार्शनिक डेमोक्रिट्स तथा भारतीय ऋषी कणाद ने सदियो पहले दी थी, पिछली सदी(20 वीं) के प्रारंभ तक इन्हे हर तरह के पदार्थ के निर्माण के लिये आवश्यक मूलभूत कण माना जाता रहा था। प्रोटान, न्युट्रान और इलेक्ट्रान के बारे मे हमारा ज्ञान रदरफोर्ड के प्रसिद्ध प्रयोग के पश्चात ही विकसित हुआ है, जिसमे हम पाया था कि परमाणु का अधिकतर भाग रिक्त होता है तथा इसके केंद्र मे प्रोटान और न्युट्रान से बना एक घना केंद्रक होता है और बाह्य लगभग रिक्त स्थान मे इलेक्ट्रान गतिमान रहते है।
परमाणू संरचना
कण भौतिकी विज्ञान को कणत्वरको ( particle accelerators) के अविष्कार के पश्चात तीव्र गति प्राप्त हुयी, जो कि प्रोटान या इलेक्ट्रान को अत्यंत तेज ऊर्जा देकर उन्हे ठोस परमाणु नाभिक से टकरा सकते है। इन टकरावों के परिणाम वैज्ञानिको के लिये आश्चर्यजनक थे, जब उन्होने इन टकरावो मे उत्पन्न ढेर सारे नये कणो को देखा।
1960 के दशक के प्रारंभ तक कण त्वरक कणों को अत्याधिक ऊर्जा देने मे सक्षम हो गये थे और इन टकरावो मे उन्होने 100 सेज्यादा नये कणो का निरीक्षण किया था। क्या ये सभी उत्पन्न कण मूलभूत है? वैज्ञानिक एक लंबी अवधि तक पिछली सदी के अंत तक संशय मे रहे। सैद्धांतिक अध्ययन और प्रयोगों कि एक लंबी श्रॄंखला के पश्चात ज्ञात हुआ कि इन मूलभूत कणो के दो वर्ग है जिन्हे क्वार्क(quark) और लेप्टान(lepton) कहा गया। लेप्टान कणो के उदाहरण इलेक्ट्रान(electron) , न्युट्रीनो(neutrino)) है। इनके साथ मूलभूत बलों(fundamental forces) का एक समूह है जो इन कणो से प्रतिक्रिया करता है। ये मूलभूत बल भी ऊर्जा का संवहन विशेष तरह के कणो की पारस्परिक अदलाबदली से करते है जिन्हे गाज बोसान(gauge bosons) कहते है। इसका एक उदाहरण फोटान है जोकि प्रकाशऊर्जा का पैकेट है और विद्युत-चुंबकिय बल (electromagnetic force)का संवहन करता है। पढ़ना जारी रखें “कण भौतिकी(Particle Physics) क्या है?”
खगोल वैज्ञानिकों के सामने एक अनसुलझी पहेली है जो उन्हे शर्मिन्दा कर देती है। वे ब्रह्मांड के 95% भाग के बारे मे कुछ नहीं जानते है। परमाणु, जिनसे हम और हमारे इर्द गिर्द की हर वस्तु निर्मित है, ब्रह्मांड का केवल 5% ही है! पिछले 80 वर्षों की खोज से हम इस परिणाम पर पहुँचे हैं कि ब्रह्मांड का 95% भाग रहस्यमय श्याम ऊर्जा और श्याम पदार्थ से बना है। श्याम पदार्थ को 1933 मे खोजा गया था जो कि आकाशगंगा और आकाशगंगा समूहों को एक अदृश्य गोंद के रूप मे बाँधे रखे है।। 1998 मे खोजीं गयी श्याम ऊर्जा ब्रह्मांड के विस्तार गति मे त्वरण के लिये उत्तरदायी है। लेकिन वैज्ञानिकों के सामने इन दोनो की वास्तविक पहचान अभी तक एक रहस्य है!
2 जीवन कैसे प्रारंभ हुआ?
चार अरब वर्ष पहले किसी अज्ञात कारक ने मौलिक आदिम द्रव्य(Premordial Soup) मे एक हलचल उत्पन्न की। कुछ सरल से रसायन एक दूसरे से मील गये और जीवन का आधार बनाया। ये अणु अपनी प्रतिकृति बनाने मे सक्षम थे। हमारा और समस्त जीवन इन्हीं अणुओं के विकास से उत्पन्न हुआ है। लेकिन ये सरल मूलभूत रसायन कैसे, किस प्रक्रिया से इस तरह जमा हुये कि उन्होंने जीवन को जन्म दिया? डी एन ए कैसे बना? सबसे पहली कोशीका कैसी थी? स्टेनली-मिलर के प्रयोग के 50 वर्ष बाद भी वैज्ञानिक एकमत नहीं है कि जीवन का प्रारंभ कैसे हुआ? कुछ कहते है कि यह धूमकेतुओ से आया, कुछ के अनुसार यह ज्वालामुखी के पास के जलाशयों मे प्रारंभ हुआ, कुछ के अनुसार वह समुद्र मे उल्कापात से प्रारभ हुआ। लेकिन सही उत्तर क्या है?
श्याम पदार्थ की खोज आकाशगंगाओं के द्रव्यमान की गणनाओं मे त्रुटियों की व्याख्या मात्र नही है। अनुपस्थित द्रव्यमान समस्या ने ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के सभी प्रचलित सिद्धांतों पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिये हैं। श्याम पदार्थ का अस्तित्व ब्रह्माण्ड के भविष्य पर प्रभाव डालता है।
महाविस्फोट का सिद्धांत(The Big Bang Theory)
1950 के दशक के मध्य मे ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति का नया सिद्धांत सामने आया, जिसे महाविस्फोट का सिद्धांत(The Big Bang) नाम दिया गया। इस सिद्धांत के अनुसार ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति एक महा-विस्फोट के साथ हुयी। इस सिद्धांत के पीछे आकाशगंगाओं के प्रकाश मे पाया जाने वाला डाप्लर प्रभाव(Dopler Effect) का निरीक्षण था। इसके अनुसार किसी भी दिशा मे दूरबीन को निर्देशित करने पर भी आकाशगंगाओं के केन्द्र से आने वाले प्रकाश मे लाल विचलन(Red Shift) था। (आकाशगंगाओं के दोनो छोरो मे पाया जाने वाला डाप्लर प्रभाव आकाशगंगा का घूर्णन संकेत करता है।) हर दिशा से आकाशगंगाओं के केन्द्र के प्रकाश मे पाया जाने वाला लाल विचलन यह दर्शाता है कि वे हमसे दूर जा रही हैं। अर्थात हर दिशा मे ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है।