लेखक : ऋषभ
मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के उपान्त्य लेख मे हम सबसे अधिक पुछे जाने वाले प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे कि खगोलभौतिकी वैज्ञानिक कैसे बने ? यह प्रश्न दर्जनो छात्रों तथा शौकीया खगोलशास्त्र मे रूची रखने वालों ने पुछा है। यही वजह है कि हमने इसका उत्तर एक लेख के रूप मे इस शृंखला मे दिया है।
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खगोलभौतिकी वैज्ञानिक(ASTROPHYSICIST) किसे कहते है ?
खगोलभौतिकी वैज्ञानिक बनने के रास्ते पर चर्चा करने से पहले हम देखते है कि खगोलभौतिकी वैज्ञानिक किसे कहते है। खगोलभौतिकी शब्द के दो भाग है : खगोल + भौतिकी। इसका अर्थ है कि ऐसा व्यक्ति जो भौतिकी के नियमो के प्रयोग से इस ब्रह्मांड के खगोलीय पिंडो के गुण और अन्य गतिविधियों की व्याख्या करता हो खगोलभौतिकी वैज्ञानिक कहलाता है। इस व्यक्ति के लिये भौतिकी एक उपकरण है। ऐसा व्यक्ति जो तारो, आकाशगंगाओ, निहारिकाओं , CMBR की गतिकी और गुणधर्मो का अध्ययन करता है खगोलभौतिकी वैज्ञानिक है। व्यक्ति जो बड़े पैमाने पर ब्रह्मांड की संरचना, जन्म और अंत का अध्ययन करता है, ब्रह्मांड वैज्ञानिक(Cosmologist) है।

आपको क्या पढ़ना चाहिये ?
यह वह महत्वपूर्ण तथ्य है जिसे छात्रो को अवश्य जानना चाहिये क्योंकि इसी बिंदु पर अधिकतर छात्र गलती करते है। गणित और भौतिकी दोनो खगोलभौतिकी की रीढ़ है। इसलिये आपको हाईस्कूल मे गणित , भौतिकी के साथ रसायन शास्त्र पढ़ना आवश्यक है। जीहाँ खगोलभौतिकी मे रसायनशास्त्र भी महत्वपूर्ण है। हाई स्कूल के बाद आप भौतिकी मे स्नातक डीग्री लेने का लक्ष्य रखें। स्नातक स्तर पर खगोलभौतिकी का चयन सही नही है। ऐसा इसलिये कि स्नातक स्तर पर भौतिकी और गणित का अध्ययन खगोलभौतिकी के लिये नींव तैयार करेगा। आप जितने अधिक प्रश्नो को हल कर सकते है किजिये। इन तीन-चार वर्षो के कोर्स मे अपनी भौतिकी को मजबूत करें और इसके साथ आप शौकिया तौर पर खगोलभौतिकी को पढ़ना आरंभ करे। इससे आपको पता चलेगा कि भौतिकी कितनी महत्वपूर्ण है।

भौतिकी मे स्नातक करने के पश्चात आप भौतिकी मे परास्नातक स्तर की डीग्री की ओर जायें। यदि आप ऐसा महसूस करते है कि आपकी भौतिकी की नींव मजबूत है और सभी आधारभूत सिद्धांतो पर आपकी पकड़ है तो परास्नातक स्तर पर आप खगोलभौतिकी चून सकते है लेकिन अधिकतर प्रोफ़ेशनल ऐसा नही करते है। वे आपको भौतिकी मे ही परास्नातक की सलाह देंगें। इस स्तर पर आपको उन्नत भौतिकी विषयो की जानकारी प्राप्त होगी जोकि आपकी खगोलभौतिकी के अध्ययन मे सहायक होगी। इस स्तर पर जब आप स्वयं खगोलभौतिकी की पुस्तको को पढ़ेंगे तो आपको इस विषय की गणित समझ मे आने लगेगी। अब आप समझना आरंभ करेंगे कि सारी भौतिकीय गतिविधियाँ बाह्य अंतरिक्ष पर भी उसी तरह से लागु होती है। इसलिये भौतिकी मे परास्नातक डीग्री महत्वपूर्ण है।
प्रशिक्षण और कार्यशालाओं की भूमिका(ROLE OF INTERNSHIPS AND WORKSHOPS)
स्नातक और परास्नातक स्तर के शिक्षण मे सबसे महत्वपूर्ण प्रशिक्षण और कार्यशालायें होती है। अपनी छुट्टीयों मे कम से कम 1-2 महिने खगोलभौतिकी मे शोध कार्यक्रमों मे प्रवेश ले। ऐसे कई संस्थान है जो ऐसे कार्यक्रमो का आयोजन करते है। लेकिन इन कार्यक्रमों के लिये अच्छे ग्रेड का होना भी आवश्यक है। इसलिये अपने ग्रेड के महत्व का आंकलन कम ना करेण। ग्रेड सब कुछ नही है लेकिन वे महत्वपूर्ण है। इसके साथ साथ आपको खगोलशास्त्र के समुदायो मे भाग लेना चाहीये जोकि आपको सैद्धांतिक और निरीक्षण खगोलशास्त्र की आवश्यक जानकारी देंगे।
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खगोलभौतिकी मे शोध(PHD IN ASTROPHYSICS)
किसी भी क्षेत्र मे शोध के लिये PhD आवश्यक डीग्री नही है लेकिन यह खगोलभौतिकी मे करीयर बनाने के लिये सबसे महत्वपूर्ण डीग्री है। लगभग सभी प्रोफ़ेशनल अपने कार्यक्षेत्रो मे PhD डीग्री रखते है। PhD मे आपको शोध के लिये पूरे पैमाने पर जानकारी मिलती है। इस स्तर पर आप अपने क्षेत्र से संबधित समस्याओं पर कार्य करते है और शोध के लिये आवश्यक तकनीक और उपकरणो के प्रयोग को सीखते है। इस स्तर पर शोध के लिये ऐसा विषय चुने जिसमे आपकी रूची हो और अपने गाईड के मार्गदर्शन मे शोध आरंभ करे। PhD मे सबसे महत्वपूर्ण धैर्य होता है। अपने शोध मे धैर्य बनाये रखे। महत्वपूर्ण खोजे रातोरात नही होती है।
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खगोलभौतिकी मे कंप्युटर प्रोग्रामींग की भूमिका
यह कंप्युटर टेक्नालाजी का युग है और खगोलभौतिकी इससे अछुती नही है। सैद्धांतिक भौतिकी संबधित सभी शोधो मे कंप्युटर प्रोग्रामिंग और सिमुलेशन की आवश्यकता होती है। क्यों ? मान लिजिये आपको सूर्य की आंतरिक संरचना का अध्ययन करना है। आप सूर्य के अंदर नही जा सकते है, ना ही उसके अंदर निरीक्षण करने के लिये उपकरण भेज सकते है। इसी स्तिथियों मे सिमुलेशन कार्य मे आता है। खगोलभौतिकी मे हमारा अधिकतर ज्ञान इन सिमुलेशन से प्राप्त हुआ है। इसलिये आवश्यक है कि आपको किसी एक प्रोग्रामिंग भाषा मे महारत हासिल हो। वर्तमान मे पायथन(Python) सबसे अधिक लोकप्रिय है। अन्य प्रमुख कंप्युटर भाषाओं मे C, C++, Java तथा FORTRAN आती है। कुछ महत्वपूर्ण साफ़्टवेयर मे MATLAB तथा WOLFRAM MATHEMATICA की जानकारी और प्रयोग भी आना चाहीये।

खगोलभौतिकी वैज्ञानिक बनने आपको क्या पढ़ना चाहीये ?
यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है कि आपको क्या पढ़ना चाहिये ? इस जगह एक खगोलभौतिकी वैज्ञानिक बनने का सपना देखने वाले को सावधान हो जाना चाहिये। होता यह है कि हाई स्कूल स्तर पर छात्र विज्ञान फतांशी फ़िल्मे देखते है। और वे बहुत परिकल्पित भौतिकी अवधारणाओं से परिचित होते है, जिनमे समय यात्रा , वर्महोल प्रमुख होते है। इसके अतिरिक्त लोकप्रिय विज्ञान की बहुत सी पुस्तके उन्हे खगोलभौतिकी का आधारभूत स्तर पर परिचय देती है। इन सबसे इन छात्रो को यह क्षेत्र बहुत ग्लैमरस महसूस होता है जिसमे उन्हे ब्लैक होल, तारों और आकाशगंगाओं का अध्ययन करना होगा। इसी उत्साह मे वे खगोलभौतिकी वैज्ञानिक बनने की ठान लेते है। लेकिन खगोलभौतिकी का मार्ग गणित और भौतिकी से होकर गुजरता है, और अधिकतर छात्र इन दोनो विषयों का सामना करने मे संघर्ष करते है।
तो हमे क्या करना चाहिये ? उत्तर सरल है। विज्ञान फ़तांशी फ़िल्मे देखना और खगोलशास्त्र पर लोकप्रिय विज्ञान पुस्तके पढ़ना अच्छा है। हर किसी को अपनी उत्सुकता बढ़ाने के लिये यहीं से यहाँ से शुरुवात करना चाहिये, इस विषय पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देने के लिये सभी की समझ मे आ जाने वाली ये पुस्तके अच्छी होती है। लेकिन इसके अतिरिक्त भौतिकी और गणित की आधारभूत जानकारी मजबूत होना चाहिये। आपको इस विषय के प्रश्नो को हल करते आना चाहिये और इसे अच्छे से समझना चाहिये। यदि आप भौतिकी और गणित मे संघर्ष करते है तो आप खगोलभौतिकी मे आगे नही बढ़ सकते है और आपको या तो गणित और भौतिकी मजबूत करना चाहिये या खगोल भौतिकी मे करीयर बनाने का सपना छोड़ देना चाहीये। लोकप्रिय खगोलशास्त्र की किताबो और भौतिकी मे संतुलन होना चाहीये।
सबसे महत्वपूर्ण विषय
भौतिकी मे कुछ विषय है जो अन्य क्षेत्रो की अपेक्षा खगोलभौतिकी मे अधिक महत्वपूर्ण है। ये विषय खगोलभौतिकी मे लिये उपकरणो का कार्य करते है। इन विषयो मे महत्वपूर्ण है : सांख्यकिय यांत्रिकी(Statistical Mechanics), स्पेक्ट्रोस्कोपी( Spectroscopy), विद्युत गतिकी( Electrodynamics), दृश्यिकी(Optics), क्वांटम यांत्रिकी( Quantum Mechanics), सापेक्षतावाद(Theory of Relativity) और नाभिकिय तथा कण भौतिकी( Nuclear and Particle Physics)। इस शृंखला के आरंभ से हम ने खगोलभौतिकी मे विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम के महत्व की चर्चा की है, यह विषय अत्याधिक महत्वपूर्ण है। तारकीय खगोलभौतिकी(Stellar Astrophysics) के लिये उष्मागतिकी(Thermodynamics) तथा सांख्यिकिय यांत्रिकी(Statistical Mechanics) अन्य विषयो के साथ महत्वपूर्ण है। खगोलभौतिकी की हर उपशाखा के लिये उस शाखा की भौतिकी चाहिये। इसलिये खगोलभौतिकी वैज्ञानिक बनने के लिये भौतिकी महत्वपूर्ण है।
लेखक का संदेश
वर्तमान मे लेखक भौतिकी मे परास्नातक कर रहे है और वे भारतीय खगोलभौतिकी संस्थान(Indian Institute of Astrophysics) मे शोध प्रशिक्षु (research intern)है। उनका यह लेख उनके अपने अनुभव पर आधारित है और इस लेख की सामग्री के लिये उन्होने विश्व के कई अन्य खगोलभौतिकी प्रोफ़ेशनलो से चर्चा की है। लेखक का नवजवान और खगोलभौतिकी के छात्रो के लिये संदेश है कि उन्हे अपने सपनो को यथार्थ के धरातल पर उतारने के लिये कड़ी मेहनत करनी चाहीये। रास्ते मे कई असफ़लताये आयेंगी। लेकिन सफ़लता के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिये एक जिद और जूनून आवश्यक है। ध्यान रहे कि आप अपने अकेडेमिक्स और खगोलशास्त्र के जूनून मे एक संतुलन बनाये रखे। ग्रेड भी महत्वपूर्ण होते है। इस शृंखला मे हमने खगोलभौतिकी को मूलभूत स्तर पर सरल रूप से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। अगले लेख मे हम खगोलभौतिकी की कुछ अनसुलझी पहेलीयों पर चर्चा करते हुये इस शृंखला को समाप्त करेंगे।
मूल लेख :Becoming An Astrophysicist
लेखक परिचय
लेखक : ऋषभ

लेखक The Secrets of the Universe के संस्थापक तथा व्यवस्थापक है। वे भौतिकी मे परास्नातक के छात्र है। उनकी रूची खगोलभौतिकी, सापेक्षतावाद, क्वांटम यांत्रिकी तथा विद्युतगतिकी मे है।
Admin and Founder of The Secrets of the Universe, He is a science student pursuing Master’s in Physics from India. He loves to study and write about Stellar Astrophysics, Relativity, Quantum Mechanics and Electrodynamics.