प्रश्न आपके, उत्तर हमारे

प्रश्न आपके, उत्तर हमारे

यह ‘प्रश्न आपके और उत्तर हमारे’ का पहला भाग है। यहाँ अब 4000 के क़रीब टिप्पणियाँ हो गयी हैं, जिस वजह से नया सवाल पूछना और पूछे हुए सवालों के उत्तर तक पहुँचना आपके लिए एक मुश्किल भरा काम हो सकता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए अब ‘प्रश्न आपके और उत्तर हमारे: भाग 2‘ को शुरू किया जा रहा है। आपसे अनुरोध है कि अब आप अपने सवाल वहीं पूँछे।

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1.
2. प्रश्न आपके, उत्तर हमारे: 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक के प्रश्नों के उत्तर

3,992 विचार “प्रश्न आपके, उत्तर हमारे&rdquo पर;

  1. जब कोई आकाशगंगा या आकाशगंगा के ग्रुप में टकराव तब क्या होता है?

    कया २ या अधिक आकाशगंगा मिलकर एक विराट आकाशगंगा का निर्माण करती है?

    या कुछ और होता है

    ओर जब ब्रह्माण्ड फैल रहा है आकाशगंगा एक दूसरे से दूर भाग रही है

    तब कोई आकाशगंगा कैसे टकरा सकती है

    विज्ञानिको का कहना है एंड्रोमेडा आकाशगंगा और हमारी आकाशगगा आपस में टकरा सकती है

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    1. 1.जब आकाशगंगाये टकराती है तो एक बड़ी आकाशगंगा बनती है।
      2. मोटे तौर पर आकाशगंगाये ब्रह्मांड के विस्तार के कारण एक दूसरे से दूर भाग रही है। लेकिन आकाशगंगा समूहो की आकाशगंगाये एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण मे बंधी हुयी होती है। इन्ही समूहो की आकाशगंगाओ मे टक्कर होती है।
      आज से ५ अरब वर्ष पश्चात एंडोमीडा और हमारी आकाशगंगा टकराकर एक विशाल आकाशगंगा बनायेंगी।
      आकाशगंगाओं का टकराना वास्तविकता मे टकराना नही होता है यह एक तरह से दो आकाशगंगाओ का विलय होता है।

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      1. जब दो विशाल आकाशगंगाओ का विलय होता है तब दोनों के केंद्र के ब्लैक होल की क्या प्रतिकिर्या होती है

        यादि दोनों ब्लैक होल आमने सामने हो क्या होता है ?

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  2. sir..
    शंगरी ला घाटी के बारे में जो बातें कहीं गयी हैं वो सच हैं या फिर अफवाह हैं
    मतलब यही की वो भूहीनता का क्षेत्र हैं और भूहीनता के प्रभाव क्षेत्र में आने वाली जगह पृथ्वी के वायुमंडल के 4th dimension se प्रभावित होते हैं और वो 3rd आयाम वाले किसी भी चीज से संपर्क तोड़ देते हैं जिससे वहाँ कोई भी चीज जाए तो वो गायब हो जाती हैं और वगेरह वगेरह

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  3. नमस्कार आशीष जी, 🙂
    आपका एक लेख है “सबसे प्राचीन तथा सबसे दूरस्थ ज्ञात “आकाशगंगा(GN-Z11)” मुझे इस लेख द्वारा ही ज्ञात हुआ इस आकाशगंगा के विषय में। प्रश्न इसी से सम्बंधित है।
    प्रश्न यह है की ‘
    1. यह आकाश गंगा हमसे 13.4 अरब प्रकाशवर्ष दूर है ,अर्थात इतनी ही प्राचीन भी है। इस दूरी के निरीक्षण के लिये हमने अपने सबसे बेहतरीन उपकरणो को उनकी क्षमता की सीमा तक प्रयोग किया है। अर्थात ‘हब्बल दूरबीन तथा स्पिट्जर दूरबीन ‘ का। जो की यहाँ तक देख सकती थी। अब हम जो नयी विशालकाय दूरबीन “जेम्स वेबर अंतरिक्ष वेधशाला” प्रक्षेपित करने जा रहे हैं , निश्चित ही उसकी क्षमता हब्बल से अधिक होगी , तो जैसा की यह आकाशगंगा 13.4 अरब वर्ष पुरानी , बिगबैंग से मात्र 40 करोड़ वर्ष वर्ष पश्चात की। तो क्या हम नयी विशालकाय दूरबीन “जेम्स वेबर अंतरिक्ष वेधशाला” द्वारा बिगबैंग की घटना को देख पाएंगे ?? क्योकि 40 करोड़ प्रकश वर्ष तो कोई अधिक दूरी नहीं होनी चाहिए नयी दूरबीन के लिए ?
    क्या हम बिगबैंग (महाविस्फोट ) देख पाएंगे ??
    2.”जेम्स वेबर अंतरिक्ष वेधशाला” कबतक प्रक्षेपित की जाएगी और कब से कार्य करने लगेगी ?
    सादर ..

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    1. thanks si

      2017-05-26 17:52 GMT+05:30 विज्ञान विश्व :

      > surendra commented: “सर जी ,यदि एक बार पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग
      > कर दिया जाए तो क्या फिर से पानी बनाया जा सकता है ?”
      >

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      1. औसतन एक सामान्य मनुष्य 20 से 20000 हर्ट्स तक सुन सकता है। यह सीमा अलग अलग मनुष्यों में भी अलग अलग हो सकती है। किसी के कान ज़्यादा अच्छे हैं तो 21000 हार्ट्स भी सुन सकता है। किसी के कान कम अच्छे हैं तो वो 18000 हार्ट्स तक ही सुन सकता है।

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    1. हिलियम के पास दो इलेक्ट्रान है और वे 1p कक्षा मे होते है। 1p कक्षा मे केवल दो इलेक्ट्रान ही हो सकते है, ये कक्षा भरी हुयी होने से हिलियम को किसी बाह्य इलेक्ट्रान की आवश्यकता नही है और उसकी संयोजकता शून्य है।

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    1. आपने जो पढ़ा है वह मंगल ग्रह से सम्बंधीत नही है। मंगल और पृथ्वी पर समय गति समान है।
      अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण वाले क्षेत्र या अत्यंत तेज गति से यात्रा पर संभव है कि किसी यात्री का एक वर्ष पृथ्वी के दस वर्ष के बराबर हो। लेकिन वह व्यक्ति केवल एक वर्ष ही महसूस करेगा। वह केवल 100 वर्ष (सामान्य आयु) ही जियेगा भले ही पृथ्वी पर कई सदियां बीत जाए।

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    2. सर क्या हम प्रकाश को नही देख सकते ?
      यदि नही तो वो क्या होता है जब हम किसी कमरे मे होते जिसमे लाल या अन्य रंग का
      बल्ब लगा हो तो वो कमरे की प्रकाश भी वैसी हो जाती है।

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      1. प्रकाश को देखना हमारे मस्तिष्क द्वारा उत्पन्न एक अनुभूती होती है। प्रकाश लाखों रंग के फोटान से बना होता है, ये फ़ोटान जब हमारी आंखो से टकराते है आंखो की प्रकाश संवेदी कोशीकाये उन्हे विद्युत संकेतो मे बदल कर मस्तिष्क को भेजती है जो उन्हे प्रकाश की अनूभूती मे परिवर्तित कर दिखाता है।

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  4. SIR…
    HUM log sapane क्यों देखते ?
    पता है सर आपको आज मैंने सपना देखा की आपने मुझे इस वेबसाइट (विज्ञान विश्व्) से ब्लाक कर दिया और फिर कुछ समय बाद फिर से अनब्लॉक कर दिया फिर mujhe lga की इसमें तो ब्लाक का option ही नहीं hota hoga… faltu ka dream h…

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    1. सपने वास्तव में निद्रावस्था में मस्तिष्क में होने वाली क्रियाओं का परिणाम है। कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें सपने नहीं दिखाई देते, लेकिन कुछ दूसरे लोगों का कहना है कि उन्हें बहुत सपने दिखाई देते हैं।

      वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार निद्रावस्था में हर व्यक्ति को रोजाना दो-तीन बार सपने आते हैं। सपने की घटनाएँ कुछ लोगों को याद रहती हैं, तो कुछ लोग सपने की घटनाओं को भूल जाते हैं। सपनों के विषय में लोगों के कई मत हैं।

      एक मत के अनुसार सोते समय व्यक्ति की जो मानसिक स्थिति होती हैं, उसी से संबंधित स्वप्न उसे दिखाई देते हैं। उदाहरण के लिए यदि व्यक्ति सोते समय भूखा है या प्यासा है, तो उसे भोजन और पानी के विषय में सपने दिखाई देंगे।

      एक दूसरे विचार के अनुसार जो इच्‍छाएँ हमारे जीवन में पूरी नहीं हो पाती हैं, वे सपनों में पूरी हो जाती हैं। हमारे मन की दबी भावनाएँ अक्सर सपनों में पूरी हो जाती हैं। सपनों के द्वारा मानसिक तनाव भी कम हो जाता है।

      जब हमें सपने दिखाई देते हैं, तब हमारी आँखों की गति तेज हो जाती है। मस्तिष्क से पैदा होने वाली तरंगों की बनावट में अंतर आ जाता है। शरीर में कुछ रासायनिक परिवर्तन होते है। इन सब परिवर्तनों के अध्ययन से निश्चित है कि सपने दिखाई देने का अपना महत्व है।

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    1. अर्ध सत्य है। टेस्ला ने वॉर्डनक्लिफ टावर बनाया था जिसमे जे पी मोर्गन का पैसा लगा था। ये भी सत्य है कि टेस्ला मुफ़्त बिजली देना चाहते थे। लेकिन असीमित बिजली अफवाह है।

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    1. विद्युत धारा वायु से भी प्रवाहित हो सकती है लेकिन वायु का प्रतिरोध और विरलता से सूचारू रूप से नही होगी। जब आसमान मे बिजली कड़कती है तो वह बिजली वायु से प्रवाहित होती है।
      विद्युत धारा के सुचारु रूप से प्रवाहित होने के लिये मुक्त इलेक्ट्रान चाहिये जो कि सुचालको(धातुओं मे) होते है, कुचालक मे मुक्त इलेक्ट्रान कम(शून्य भी ) होने से विद्युत अच्छी तरह से प्रवाहित नही हो पाती है।

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    1. मस्तिष्क बहुत से जीवो मे नही होता है, ऐसे जीवो के शरीर का नियंत्रण उन जीवों का वैकल्पिक तंत्रिका तंत्र करता है। ये तंत्रिका तंत्र DNA मे संरक्षित जानकारी के आधार पर निर्णय लेकर कार्य करता है। यही प्रक्रिया पेड़ पौधो मे भी होती है।
      केंचुये मे भी मस्तिष्क नही होता है लेकिन उसके पीठ पर एक सफ़ेद रंग का लंबा धागा उसे निंयत्रण करता है।

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    1. मंगल पर जीवन के कोई संकेत नही मिले है। सौर मंडल मे बृहस्पति के चंद्रमा युरोपा और शनि के चंद्रमा एन्सलेडस पर जीवन संभव है।

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  5. नमस्कार आशीष जी।
    इधर कुछ समय से व्रैप ड्राइव(wrap drive) की बहोत चर्चा सुनने में आ रही है। यहाँ तक कहा जा रहा है की व्रैप ड्राइव(wrap drive) द्वारा प्रकाश से भी तेज़ गति से अंतरिक्ष में यात्रा संभव है, अल्फ़ा सन्तरी तक इस से मात्र 14 दिन में पहुंचा जा सकता है। क्या यह संभव है ? आपसे करबद्ध प्रार्थना है, यदि आप इस विषय पर एक लेख लिख सकें। या इस विषय पर कुछ प्रकाश डाल सकते है क्या ?

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    1. वार्प ड्राईव अभी विज्ञान फ़तांशी मे है, कल्पना मे! अभी तक कोई भी ऐसी तकनीक/सिद्धांत नही है जो वार्प ड्राईब को तकनीकी और प्रायोगिक रूप से वास्तविकता मे बना सके।

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  6. सर अगर हम किसी मरे हुए जानवर के पास खड़े हो जिससे बहुत बेकार स्मेल आ रही हो तो हमें पलटी आने लगती है लेकिन अगर हम शराब पी ले तो हमें पलटी क्यों नहीं आती

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    1. शराब ज्ञान इन्द्रीयों की क्षमता को प्रभावित करती है। मस्तिष्क सुगंध स्पर्श , ध्वनि जैसी बातो को शराब के प्रभाव मे महसूस नही कर पाता है।

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  7. Good morning sir..
    Sir aapne ek baar btaya tha ki छिपकलियाँ apne पैरो ke niche निर्वात बनाती हैं जिससे वो दिवार में चिपकी रहती हैं
    लेकिन सर जो बहुत छोटी छोटी मकड़ी होती हैं वो तो अपने पैरो के नीचे निर्वात नहीं बना पाती हैं और वो हर समय मतलब चलते समय अपना जाल भी नहीं निकालती होंगी तो वो कैसे चिपकी रहती हैं

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  8. Sir… agar aapke saamne se koi car bohat tezz speed se niklti h to sir uske pahiye apne chalne ulti direction me dhire dhire ghumate huye kyo dikhaai dete aur agar hum ceiling fan ko bhi dekhe to vo bhi ulta aur dhire dhire ghumta huaa aur kabhi kabhi apne ghumne ki direction me hi aesa lagta h jese dhire ghum rha ho lekin ghumta bohat tezz h vo aesa kyu dikhaai deta

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  9. सर, मेरा प्रश्न ये है कि कहा जाता है कि फलां ग्रह के चांद और सूर्य का आकार इतना है या ये इतनी दूरी पर है। ब्रह्मांड में कितने सूर्य और चांद होते हैं।

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    1. सूर्य एक तारा है। हर तारे के कई ग्रह हो सकते है। हर ग्रह के कई चन्द्रमा हो सकते है।
      अरबो तारो को मिलाकर आकाशगंगा बनती है। ब्रह्मांड में अरबो आकासगंगाये है।

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    1. स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर से।
      ट्रान्सफार्मर का मुख्य उपयोग विद्युत शक्ति को अधिक वोल्टता या कम वोल्टता में बदलना है (जहाँ, जैसी आवश्यकता हो)। ऐसा करने से विद्युत उर्जा के उपयोग में सुविधा और दक्षता आती है। ध्यातव्य है कि आदर्श ट्रान्सफार्मर उर्जा या शक्ति उत्पन्न नहीं करता, न ही शक्ति का परिवर्तन (एम्प्लिफिकेशन) करता है, न ही आवृत्ति बदलता है।

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    1. टीवी, मोबाईल और रेडीयो तीनो रेडीयो तरंग का प्रयोग करते है। जब आप इन उपकरणो को पास मे लाते है तो वे एक दूसरे को प्रभावित करते है जिससे उनकी आवाज और चित्र मे विकृति आती है।

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    1. पृथ्वी की गहराई मे जाने पर तापमान बढ़ते जाता है। पृथ्वी के केंद्र के चारो ओर पिघले लोहे की परत है, उसके उप्पर चट्टाने पिघले लावे के रूप मे है। यह सब किसी मानव को पृथ्वी के केंद्र मे जाने से रोकते है।

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  10. सर नमस्ते, मुझे यह बताये कि सुर्य कि लाइट को हम किसमे बंद करके रख सकते है। और उस यंत्र का नाम भी बताईयेगा। और मुझे कैसे ज्ञात होगा कि आपने मेरे सवाल का जबाव दे दिया हैँ। धन्यवाद ।

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    1. आप स्वयं एक समय यात्री है, आप हर क्षण भविष्य मे यात्रा कर रहे है। अंतर केवल यह है कि हम अपनी मनमर्जी से भूतकाल या भविष्य मे यात्रा नही कर पाते है।

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    1. उपकरण छोटा कर बनाने मे खर्च अधिक आता है, कम जगह मे अधिक सुविधा देना मुश्किल होता है। डिजाईन और इंजीनियरींग मे समय और पैसे अधिक खर्च होते है।

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    1. आकाशगंगाओं के केंद्र के ब्लैक होल आकाशगंगा के जन्म के साथ ही बनते है। यह ब्लैक हो अब से १०-१२ अरब वर्ष पहले बना होगा।

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    1. किसी भी कंप्युटर या डीजिटल उपकरण(मोबाईल, स्मार्ट टीवी) को चलाने के लिये एक आपरेटींग सीस्टम चाहिये। यह हार्डवेयर एवं साफ्टवेयर के बीच सेतु का कार्य करता है। इसी की सहायता से ही कंप्यूटर में स्थापित प्रोग्राम चलते हैं। यह कंप्यूटर से जुड़े कई मौलिक कार्यों को संभालता है, जैसे की-बोर्ड से इनपुट लेना, डिस्प्ले स्क्रीन को आउटपुट भेजना, डाइरेक्टरी और फ़ाइलो को डिस्क/मेमोरी में सहेजना करना, इत्यादि। बड़े कंप्यूटरों में इसका काम और अधिक होता है।
      विंडोज अकेला आपरेटींग सीस्टम नही है, बहुत से आपरेटींग सीस्टम है, जैसे :लिनक्स, मैक ओएस एक्स, डॉस, आईबीएम ओएस/2 (IBM OS/2), यूनिक्स, विन्डोज, एन्ड्रोइड, iOS इत्यादि

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      1. निखिल, साफ़्टवेयर/हार्डवेयर/प्रोग्राम को अच्छे से समझने के लिये किसी कंप्युटर इंस्टीट्युट से एक तीन महिने का कोर्स कर लो।
        संक्षेप मे साफ़्टवेयर अर्थात ऐसे निर्देश जो किसी मशीन को मानव के आदेश को समझने के मदद करें। आप जब अपने मोबाईल पर कोई बटन दबा रहे है, उस बटन को दबाने से क्या होना चाहिये वह एक साफ़्टवेयर ही मशीन को समझाता है।
        जब आप अपने किसी मित्र से बात करते है तो किसी भाषा का प्रयोग करते है। साफ़्टवेयर यही काम आपके और मशीन के मध्य करता है।
        अब तकनीकी शब्दो मे :
        कंप्यूटर विज्ञान मे एक सॉफ्टवेयर सार्थक निर्देशों और ज़रूरी सूचनाओ का एक ऐसा तंत्र है जो कंप्यूटर के यन्त्रांश और दुसरे सॉफ्टवेयरो को आदेश देकर आपरेटर(मानव) का मनचाहा काम करता है। हार्डवेयर कंप्यूटर के हिस्सों को कहते हैं, जिन्हें हम अपनी आँखों से देख सकते हैं, छू सकते हैं अथवा औजारों से उनपर कार्य कर सकते हैं! ये वास्तविक पदार्थ है! इसके विपरीत सॉफ्टवेयर कोई पदार्थ नहीं है! ये वे सूचनाएं, आदेश अथवा तरीके हैं जिनके आधार पर कंप्यूटर का हार्डवेयर कार्य करता है! कंप्यूटर हार्डवेयर सॉफ्टवेयर से परिचित होते हैं अथवा सॉफ्टवेयर कंप्यूटर के हार्डवेयर से परिचित एवं उनपर आधारित होते हैं!

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      2. कम्प्यूटर वायरस या कम्प्यूटर विषाणु एक कंप्यूटर प्रोग्राम (computer program) है जो अपनी प्रतिलिपि कर सकता है और उपयोगकर्ता की अनुमति के बिना एक कंप्यूटर को संक्रमित कर सकता है और उपयोगकर्ता को इसका पता भी नहीं चलता है। विभिन्न प्रकार के मैलवेयर (malware) और एडवेयर (adware) प्रोग्राम्स के सन्दर्भ में भी “वायरस” शब्द का उपयोग सामान्य रूप से होता है, हालाँकि यह कभी-कभी ग़लती से भी होता है। मूल वायरस अनुलिपियों में परिवर्तन कर सकता है, या प्रतिलिपियाँ ख़ुद अपने आप में परिवर्तन कर सकती हैं, जैसा कि एक रूपांतरित वायरस (metamorphic virus) में होता है। एक वायरस एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में तभी फ़ैल सकता है जब इसका होस्ट एक असंक्रमित कंप्यूटर में लाया जाता है, उदाहरण के लिए एक उपयोगकर्ता के द्वारा इसे एक नेटवर्क या इन्टरनेट पर भेजने से, या इसे हटाये जाने योग्य माध्यम जैसे फ्लॉपी डिस्क (floppy disk), CD (CD), या USB ड्राइव (USB drive) पर लाने से. इसी के साथ वायरस एक ऐसे संचिका तंत्र या जाल संचिका प्रमाली (network file system) पर संक्रमित संचिकाओं के द्वारा दूसरे कम्पूटरों पर फ़ैल सकता है जो दूसरे कम्प्यूटरों पर भी खुल सकती हों.कभी कभी कंप्यूटर का वर्म(computer worm) और ट्रोजन होर्सेस (Trojan horses) के लिए भी भ्रम पूर्वक वायरस शब्द का उपयोग किया जाता है। एक वर्म अन्य कम्प्यूटरों में ख़ुद फैला सकता है इसे पोषी के एक भाग्य के रूप में स्थानांतरित होने की जरुरत नहीं होती है और एक ट्रोजन होर्स एक ऐसी फाईल है जो हानिरहित प्रतीत होती है। वर्म और ट्रोजन होर्स एक कम्यूटर सिस्टम के आंकडों, कार्यात्मक प्रदर्शन, या कार्य निष्पादन के दौरान नेटवर्किंग को नुकसान पहुंचा सकते हैं। सामान्य तौर पर, एक वर्म वास्तव में सिस्टम के हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर को नुकसान नहीं पहुंचाता, जबकि कम से कम सिद्धांत रूप में, एक ट्रोजन पेलोड, निष्पादन के दोरान किसी भी प्रकार का नुकसान पहुँचने में सक्षम होता है। जब प्रोग्राम नहीं चल रहा है तब कुछ भी नहीं दिखाई देता है लेकिन जैसे ही संक्रमित कोड चलता है, ट्रोजन होर्स प्रवेश कर जाता है। यही कारण है कि लोगों के लिए वायरस और अन्य मैलवेयर को खोजना बहुत ही कठिन होता है और इसीलिए उन्हें स्पायवेयर प्रोग्राम और पंजीकरण प्रक्रिया का उपयोग करना पड़ता है। आजकल अधिकांश व्यक्तिगत कंप्यूटर इंटरनेट और लोकर एरिया नेटवर्क से जुड़े हैं और लोकल एरिया नेटवर्क (local area network), दूषित कोड को फैलाने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाता है। आज का वायरस नेटवर्क सेवाओ का भी लाभ उठा सकता है जैसे वर्ल्ड वाइड वेब, ई मेल, त्वरित संदेश (Instant Messaging) और संचिका साझा (file sharing) प्रणालियां वायरसों और वर्म को फैलने में मदद करती हैं। इसके अलावा, कुछ स्रोत एक वैकल्पिक शब्दावली का उपयोग करते हैं, जिसमें एक वायरस स्व-अनुलिपि करने वाले मैलवेयर (malware) का एक रूप होता है। कुछ मेलवेयर, विनाशकारी प्रोग्रामों, संचिकाओं को डिलीट करने, या हार्ड डिस्क की पुनः फ़ॉर्मेटिंग करने के द्वारा कंप्यूटर को क्षति पहुचाने के लिए प्रोग्राम किए जाते हैं। अन्य मैलवेयर प्रोग्राम किसी क्षति के लिए नहीं बनाये जाते हैं, लेकिन साधारण रूप से अपने आप को अनुलिपित कर लेते हैं औए शायद कोई टेक्स्ट, वीडियो, या ऑडियो संदेश के द्वारा अपनी उपस्थिति को दर्शाते हैं। यहाँ तक की ये कम अशुभ मैलवेयर प्रोग्राम भी कंप्यूटर उपयोगकर्ता (computer user) के लिए समस्याएँ उत्पन्न कर सकते हैं।.वे आमतौर पर वैध कार्यक्रमों के द्वारा प्रयोग की जाने वाली कम्प्यूटर की स्मृति (computer memory) को अपने नियंत्रण में ले लेते हैं। इसके परिणामस्वरूप, वे अक्सर अनियमित व्यवहार का कारण होते हैं और सिस्टम को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अतिरिक्त, बहुत से मैलवेयर बग (bug) से ग्रस्त होते हैं, और ये बग सिस्टम को नुक्सान पंहुचा सकते हैं या डाटा क्षति (data loss) का कारण हो सकते हैं। कई सीआईडी प्रोग्राम ऐसे प्रोग्राम हैं जो उपयोगकर्ता द्वारा डाउनलोड किए गए हैं और हर बार पॉप अप किए जाते हैं। इसके परिणाम स्वरुप कंप्यूटर की गति बहुत कम हो जाती है लेकिन इसे ढूंढ़ना और समस्या को रोकना बहुत ही कठिन होता है।

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    1. वायु का प्रवाह अधिक दबाव वाले क्षेत्र से कम दबाव वाले क्षेत्र की ओर होता है। कम दबाव वाला क्षेत्र वायु के गर्म होने से निर्मित होता है। इस कम दबाव को भरने के लिये अधिक दबाव(ठंडे) क्षेत्र से वायु का प्रवाह प्रारंभ होता है।

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      1. सर
        मैंने देखि थी you tube पर बता रहा था की अगर आँखें देखो तो मुस्कराता हुआ face
        और अगर मुँह देखो तो उदास चेहरा
        लेकिन मुझे तो उसमे कोई फर्क ही नहीं पता चला

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  11. सर स्टीफ़न हाकिंग ने एलियन के बारे में अपनी किताब THE HISTRY OF THE TIME में बताया हे की एलियन हे
    क्या ये समभव हे
    की हमारे अलावा भी इस बर्मंड में कोई रहता है

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      1. सॉरी सर झूट बोला
        वेसे मेरे दोस्त ने बताया कई स्टीफ़न हाकिंग ने बताया है की
        मनुष्य एलियन को दुनड़ने की कोशिश तो कर रहा है पर ये मानव जाती के लिए भारी पड़ेगा
        तो इसका मतलब उन्हें यकीन हे की एलियन है

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      1. प्रद्युमन इन संस्थानो मे स्कालरशीप मिलती है। लेकिन वास्तविक खर्च के लिये आपको इन संस्थानो की वेबसाईट/कार्यालय से संपर्क करना होगा।

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    1. Lie Detector कुछ हद तक झुठ पकड़ लेती है। सामान्यत: झूठ बोलते समय हमारे रक्तचाप और दिल की धडकनो मे परिवर्तन आते है, यह मशीन इन परिवर्तनो के आधार पर झुठ पकड़ती है। लेकिन कुछ मानसिक रूप से सशक्त व्यक्ति इस मशीन को भी धोखा दे देते है।

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      1. स्टीफ़न हाकिंग

        इस चित्र मे आपको स्टीफ़न हाकिंग के चश्मे के आगे एक छोटा काला उपकरण दिख रहा होगा। यह उपकरण स्टीफ़न हाकिंग को अल्फाबेट दिखाता है। स्टीफ़न हाकिंग उन अक्षरो पर नजर डालते है, अब उपकरण उनकी आंखो की पुतली की हरकत से अक्षर पहचान लेता है, और शब्द बनाते जाता है।

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      2. स्टीफन हाकिंग ALS से पिड़ीत है, वे अपने शरीर की मांसपेशीयों को नियंत्रित नही कर पाते है। समय समय पर उन्हे सांस लेने वेंटीलेटर की आवश्यकता होती है, यह छेद वेंटीलेटर के लिये बनाया गया है।

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      3. सर क्या आप अपने पाठको के लिए (मेरे लिए भी) महान साइंटिस्ट (निकोला टेस्ला,अल्बर्ट आइन्स्टीन, स्टेफिन हाकिंग,थामस अल्वा एडिसिन,मेरी क्युरी) आदि के बारे में लेख लिख सकते हे प्लीज़
        अगर आपकी इच्छा हो तो

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    1. रात मे भी इंद्रधनुष बन सकता है, उसे मूनबौ या चंद्रधनुष कहते है। इसमे भी सभी रंग होते है लेकिन यह धुंधला होता है।

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    1. रिया, हर तरह का जीवन,मानव, पशु या वनस्पति का एक प्रमुख उद्देश्य संतति जनन है जिसे वह प्रजाति आगे बढ सके।
      प्रकृति ने संतति जनन के लिये हर प्रजाति के लिये एक समय निर्धारित कर रखा है। जब पौधो मे संतति जनन का समय आता है तब उसमे पुष्प खिलते है।
      लेकिन मानवो और प्राणियों मे संतति जनन की आयु मे पहुंचने के पश्चात के समय कुछ हार्मोन स्रावित होते है जोकि विपरित लिंगीयों की ओर आकर्षण को बढ़ाते है।
      किसी को देखकर जब दिल तेजी से धड़कता है, हाथों से पसीना छूटता है, पेट में गुदगुदी होती है, ये प्यार में पड़ने के लक्षण बताए जाते हैं। विज्ञान के मुताबिक ऐसी हालत के लिए कुछ हार्मोन जिम्मेदार हैं।
      जब हम प्रेम में होते हैं तो यौन इच्छा भी प्रबल होती है। इसके लिए टेस्टोस्टेरोन हार्मोन जिम्मेदार है। डेटिंग कर रहे महिलाओं और पुरुषों दोनों में इस हार्मोन का स्तर बढ़ा हुआ होता है।
      एक दूसरे के प्रति प्रबल आकर्षण के दौरान डोपामीन यानि खुशी के हार्मोन का असर होता है। यही वजह है कि प्रेम में पड़े लोग एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहते है।
      सेरोटोनिन हार्मोन मूड और भावनाओं के संतुलन के लिए जरूरी है। जब प्रेमियों का सेरोटोनिन स्तर सामान्य से कम होता है तो वे किसी और चीज के बारे में सोचते भी नहीं हैं।
      प्रेमी की आहट पर दिल का जोर जोर से धड़कना और घबराहट का एहसास एड्रीनेलिन हार्मोन का काम है। शुरुआत में इसका ज्यादा स्राव होता है। एड्रीनेलिन से भूख घट जाती है और शरीर ज्यादा सतर्क हो जाता है।
      शुरुआती 3-4 महीने गुजर जाने के बाद ऑक्सीटोसिन हार्मोन खास भूमिका निभाने लगता है। इस हार्मोन के उच्च स्राव के दौरान दोनों प्रेमियों के संपर्क में रहने पर उनके बीच संबंध प्रगाढ़ होने लगता है।

      कुल मिलाकर प्रेम की मुख्य भूमिका संतति जनन है और इसकी समस्त भावनायें हार्मोनो से नियंत्रित होती है।

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      1. लेकिन सर रिया ने लास्ट में लिखा हे
        मुझे भी हो गया हे
        दरअसल सर riya मेरी पड़ोसी है
        मेने ही इसे इस साईट के बारे में बताया था
        लेकिन ऐसे प्रश्न पूछने के लिए नही बताया था

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    1. उल्काये और क्षुद्रग्रह सौर मंडल के निर्माण के बाद का बचा हुआ मलबा है। कुछ उल्कायें किसी ग्रह से किसी बड़े क्षुद्रग्रह या धूमकेतुओं के टकराने से भी उछल कर अंतरिक्ष मे फ़ैल जाती है। इनकी गति भी इनके जन्म के समय से प्राप्त गति है, सौरमंडल के अन्य ग्रहों की गति के जैसे। इनकी गति किसी ग्रह के निकट जाने से उस ग्रह के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव से कम/ज्यादा होते रहती है।

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    1. डी एन ए जीवित कोशिकाओं के गुणसूत्रों में पाए जाने वाले तंतुनुमा अणु को डी-ऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल या डी एन ए कहते हैं। इसमें अनुवांशिक कूट निबद्ध रहता है। डी एन ए अणु की संरचना घुमावदार सीढ़ी की तरह होती है।

      डीएनए की एक अणु चार अलग-अलग रास वस्तुओं से बना है जिन्हें न्यूक्लियोटाइड कहते है। हर न्यूक्लियोटाइड एक नाइट्रोजन युक्त वस्तु है। इन चार न्यूक्लियोटाइडोन को अडेनिन, ग्वानिन, थाइमिन और साइटोसिन कहा जाता है। इन न्यूक्लियोटाइडोन से युक्त डिऑक्सीराइबोस नाम का एक शक्कर भी पाया जाता है। इन न्यूक्लियोटाइडोन को एक फॉस्फेट की अणु जोड़ती है। न्यूक्लियोटाइडोन के सम्बन्ध के अनुसार एक कोशिका के लिए अवश्य प्रोटीनों की निर्माण होता है। अतः डी इन ए हर एक जीवित कोशिका के लिए अनिवार्य है।

      डीएनए आमतौर पर क्रोमोसोम के रूप में होता है। एक कोशिका में गुणसूत्रों के सेट अपने जीनोम का निर्माण करता है; मानव जीनोम 46 गुणसूत्रों की व्यवस्था में डीएनए के लगभग 3 अरब आधार जोड़े है। जीन में आनुवंशिक जानकारी के प्रसारण की पूरक आधार बाँधना के माध्यम से हासिल की है।

      डी एन ए की रूपचित्र की खोज अंग्रेजी वैज्ञानिक जेम्स वॉटसन और फ्रान्सिस क्रिक के द्वारा सन १९५३ में किया गया था। इस खोज के लिए उन्हें सन १९६२ में नोबेल पुरस्कार सम्मानित किया गया।

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  12. सर बहुत से ग्रहों पर उल्काए गिरती हे तो सर हमारी धरती पे एसा क्या हे जो धरती पर ना तो कोई उल्काए आकर टकराती हे ना ही कोई पिंड ?

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    1. धरती पर भी उल्कायें और पिंड गिरते रहते है। आप रात्रि मे कई उल्काओं को गिरते देख सकते है जिन्हे आम भाषा मे तारा टूटना कहते है। महाराष्ट्र मे नाशिक के पास एक लोणार झील है जो एक क्षुद्रगह के गिरने से बनी है। समस्त विश्व मे ऐसे कई क्रेटर है।

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    1. नही Pradhumn, प्रश्नो से गुस्सा नही आता। बस कभी कभी उन लोगो पर गुस्सा आता है जो उल्टी सीधी कहानीयाँ लेकर आते है और समझाने पर/उत्तर देने पर भी अपनी बात पर अड़े रहते है।

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    1. फोटान की चमक हमारे मस्तिष्क की कारस्तानी है। जब फोटान हमारी आंखो पर फोटान पड़ते है आंखो के रोड और शंकु उन्हे विद्युत संकेत के रूप मे मस्तिष्क तक भेजते है। मस्तिष्क उन्हे चमक के रूप मे दिखाता है।

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      1. Sir .. radio waves ko hum sun noi sakte kyoki unki aavrati 10^6 Hz ki hoti h aur hamaare sunne ki capacity 20-20000 Hz tak ki hi h .. to sir mujhe kai logo ne btaya ki hum unhe sun nii sakte to maine puchha kyo nii sun sakte uske sunne se kya kaan kharaab(parde nast) ho jaayege to sir ye puri tarah khul ke kisi ne nii kahaa ki usse kaan ke parde nast ho jaayege bs itna hi kahaa ki unhe sun nii sakte ..
        agar sir unse kaan kharaab ho jaayege to hamaare upar se bohat saari radio waves niklti h … to phir ho jaane chaahiye

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    1. आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का (meteor) और साधारण बोलचाल में ‘टूटते हुए तारे’ अथवा ‘लूका’ कहते हैं। उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुँचता है उसे उल्कापिंड (meteorite) कहते हैं। प्रायः प्रत्येक रात्रि को उल्काएँ अनगिनत संख्या में देखी जा सकती हैं, किंतु इनमें से पृथ्वी पर गिरनेवाले पिंडों की संख्या अत्यंत अल्प होती है। वैज्ञानिक दृष्टि से इनका महत्व बहुत अधिक है क्योंकि एक तो ये अति दुर्लभ होते हैं, दूसरे आकाश में विचरते हुए विभिन्न ग्रहों इत्यादि के संगठन और संरचना (स्ट्रक्चर) के ज्ञान के प्रत्यक्ष स्रोत केवल ये ही पिंड हैं। इनके अध्ययन से हमें यह भी बोध होता है कि भूमंडलीय वातावरण में आकाश से आए हुए पदार्थ पर क्या-क्या प्रतिक्रियाएँ होती हैं।

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    1. मंगल का वायुमंडलीय दबाव कम है, आक्सीजन मात्रा अत्यंत कम है। सबसे खतरनाक ९८% कार्बन डाय आक्साईड है जोकि अत्याधिक जहरीला वातावरण है।

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    1. ब्लैक होल के पास समय की रफ़्तार धीमी हो जाती है। यदि आप ब्लैक होल की परिक्रमा लगा रहे है तो यदि आपका एक घंटा ब्लैक होल से दूर कई वर्षो के बराबर होगा।
      इसे समझने इंटरस्टेलर फ़िल्म देखें।

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    1. ऐसा माना जाता है कि सौर मंडल के जन्म के पश्चात आरंभिक वर्षो मे ये ग्रह किसी अन्य विशाल ग्रह से टकराये थे। वास्तविक कारण अज्ञात है।

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  13. सर जब में इस साईट पर प्रश्न लिखता हु तो कभी-कभार प्रश्न खुदबखुद गायब हो जाते है और सर कभी -कभी आप उनका उतेर भी नही देते
    सर इसका क्या कारण है

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    1. निखिल, हम लोग समय की कमी से चुने हुये प्रश्नो का ही उत्तर देते है। सामान्यत: उन प्रश्नो के उत्तर हम नही देते है जो कि पहले पुछे जा चुके है।

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  14. सर इसी अख़बार में एक और बात छापी गयी हे कई जर्मनी ने पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन बना ली है
    एवं इसका नाम हाइडरेल रखा है
    सर ये फेक है या सही

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  15. सर वेसे में राजस्थान (जयपुर) से हु इसलिए राजस्थान के एक अख़बार(राजस्थान पत्रिका) में मेने पढ़ा था की खगोलविदों ने पहली बार ब्लैक होल की तस्वीर ली है|
    और बताया जा रहा है की ये हमारी धरती से २६००० प्रकाश वर्ष दूर है
    एवं लिखा गया हे की इससे उन्हें ब्रमांड के रहस्य को जानने और उसका अस्तित्व जानने में मदद मिलेगी
    और ये हमारी आकाशगंगा के बीचो-बिच है
    क्या ये सही है

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    1. डी एन ए ही आनुवंशिक (hereditary) पदार्थ है। डी ए न ए (D N A) अणु की संरचना में चार कार्बनिक समाक्षार सम्मिलित होते हैं : दो प्यूरिन (purines), दो पिरिमिडीन (pyrimidines), एक चीनी-डिआक्सीरिबोज (Deoxyribose) और फासफ़ोरिक अम्ल (Phosphoric acid)। प्यूरिन में ऐडिनिन (Adenine) और ग्वानिन (Guanine) होते है और पिरिमिडीन में थाइमीन (Thymine) और साइटोसिन (Cytosine)। डी एन ए (D N A) के एक अणु में दो सूत्र होते हैं, जो एक दूसरे के चारों और सर्पिल रूप में वलयित (spirallyicoiiled) होते है। प्रत्येक डी एन ए (D N A) सूत्र में एक के पीछे एक चारों कार्बनिक समाक्षार इस क्रम से होते हैं-थाइमीन, साइटोसिन, ऐडिनीन और ग्वानिन, एवं वे परस्पर एक विशेष ढंग से जुड़े होते हैं।

      इन चार समाक्षारों और उनसे संबंधित शर्करा और फास्फोरिक अम्ल अणु का एक एकक टेट्रान्यूक्लीओटिड (Tetranucleotide) होता है और कई सहस्त्र टेट्रान्यूक्लीओटिडों का एक डी एन ए (D N A) अणु बनता है।

      विभिन्न प्राणियों के डी एन ए की विभिन्नता का कारण है – समाक्षारों के अनुक्रम में अंतर होना। डी एन ए और ऐसा ही एक दूसरा न्यूक्लीइक अम्ल आर एन ए (R N A) कार्बनिक समाक्षार की उपस्थिति के कारण पराबैंगनी को अधिकांश 2,600 एंगस्ट्रॉम के क्षेत्र में अंतर्लीन (absorb) करते हैं। इसी आधार पर डी एन ए का एक कोशिका संबंधी मात्रात्मक आगमन किया जाता है।

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    1. स्टैंडर्ड माडेल के अनुसार वे गोल होना चाहिये, जबकि स्ट्रिंग सिद्धांत के अनुसार किसी धागे के जैसे। सच क्या है हम वर्तमान मे नही जानते है।

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    1. छिपकली अपने पंजो के नीचे निर्वात बनाती है, इस निर्वार्त(vacuum) से वायु दबाव छीपकली के पंजो को दीवार से चिपका कर रखता है।

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    1. डॉस DOS (डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम) एक पुराना संगणक संचालन प्रणाली है जो कि विण्डोज़ संचालन प्रणाली के आने से पहले प्रचलन में था। बाद में इसको माइक्रोसॉफ्ट ने खरीद लिया तथा इसका नामकरण ऍमऍस-डॉस किया। अब यह प्रयोग नही होता है।

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      1. बाल (Hair) स्तनधारी प्राणियों के बाह्य चर्म का उद्वर्ध (outer growth) है। कीटों के शरीर पर जो तंतुमय उद्वर्ध होते हैं, उन्हें भी बाल कहते हैं। बाल कोमल से लेकर रुखड़ा, कड़ा (जैसे सूअर का) और नुकीला तक (जैसे साही का) होता है। प्रकृति ने ठंडे गर्म प्रभाव वाले क्षेत्रों में बसने बाले जीवों को बाल दिये हैं, जो जाडे की ॠतु में ठंड से रक्षा करते है और गर्मी मे अधिक ताप से सिर की रक्षा करते हैं। जब शरीर से न सहने वाली गर्मी पडती है, तो शरीर से पसीना बहकर निकलता है, वह बालों के कारण गर्मी से जल्दी नही सूखता है, किसी कठोर वस्तु से अचानक हुए हमला से भी बाल बचाव करते है।
        चमड़े के बाहर बाल का जो अंश रहता है, उसे कांड (shaft) कहते हैं। कांड के तीन भाग होते हैं : सबसे बाहर रहनेवाले भाग को क्यूटिकल (cuticle) कहते हैं। क्यूटिकल के नीचे एक कड़ा अस्तर रहता है, जिसे वल्कुट (cortex) कहते हैं तथा वल्कुट के नीचे के मध्य के भाग को मध्यांश (medulla) कहते हैं। चमड़े के अंदर रहनेवाले बाल के भाग को मूल (root) कहते है। बाल के बढ़ने से मूल धीरे धीरे कांड में बदलता जाता है। भिन्न-भिन्न जंतुओं में बाल की वृद्धि भिन्न-भिन्न दर से होती है।

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  16. सर यदि उर्जा का न ही विनाश किया जा सकता हे और न ही इसका निर्माण|सिर्फ एक रूप से दुसरे रूप में रूपांतरित किया जा सकता है|
    तो फिर प्रकृति में उपस्तिथ उर्जा जिसका हम उपयोग कर रहे हे वो उर्जा कहा से आई ????
    समझ नही आया सर प्लीज़ बताईए

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    1. ऊर्जा और पदार्थ एक ही वस्तु के दो रूप है। सूर्य के केंद्र मे हायड्रोजन के संलयन के दौरान हिलियम के निर्माण समय पदार्थ की कुछ मात्रा ऊर्जा मे परिवर्तित होती है। यह प्रक्रिया सारे तारों मे होती है।
      ब्रह्मांड का सारा पदार्थ बिग बैंग के समय निर्मित हुआ है। यह पदार्थ ऊर्जा मे परिवर्तित होते रहता है, कुछ दुर्लभ मामलो मे ऊर्जा भी पदार्थ मे परिवर्तित होती है।

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      1. तो फिर कोई चीज रंगीन केसे दिखाई देती है ?
        जेसा की सेब के परमाणु ने लाल रंग अवशोषित नही किया जब लेकिन बाकि सरे रंगों को तो अवशोषित किया हे ना
        तो इसका मतलब परमाणु रंगीन हुआ ??

        प्लीज़ सर मेरी कन्फ्यूजन दूर कीजिए ?
        थोड़ी सरल भाषा में समझाईए

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      2. प्रकाश फोटान से बना है। फोटानो का अवशोषण , परावर्तन या अपवर्तन परमाणु के इलेक्ट्रानो के व्यवहार से होता है। इसलिये कहा कि परमाणु का रंग नही होता है, रंग प्रकाश के व्यवहार से उत्पन्न भ्रम है। लेख एक दो बार फ़िर से पढो। जल्दीबाजी नही।

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      3. और सर हम यदि किसी सफेद चीज में हरे रंग मिलते है तो वो हर हो जाता है
        यानीं सफेद रंग को हरे रंग ने अवशोषित कर लिया

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  17. सर एक प्रश्न ……..
    सेब लाल होता हे लेकिन
    आपने बताया की हर चीज में परमाणु हे तो सेब में भी परमाणु होगा
    तो प्रश्न ये हे की सेब का लाल रंग लाल परमाणु की वजह से है या फिर अवशोषित लाल रंग (फोटोंस ) द्वारा????

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    1. निखिल तुमने लेख ढंग से नही पढ़ा। सेब के परमाणु लाल रंग की किरणो का अवशोषण नही करते है इसलिये वह लाल दिखता है। सेब को किसी अन्य प्रकाश मे देखोगे तो वह काला दिखेगा। कभी करके देखना।

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  18. सर इतनी जानकारी के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद ??
    सर जब आपकी दी हुई जानकारी में मेरे दोस्तों को बताता हु तो कई तो मेरे से जलते है और मेने कई दोस्तों को आपकी इस साईट के बारे में भी बताया
    सर यह तक की मेरे स्कुल सर भी दंग रह जाते हे कई 8th क्लास का लड़का इतनी बाते जनता हे
    सर बहुत -बहुत -बहुत धन्यवाद
    AND I LOVE YOU SIR सही में,में तो आपका FAN हो गया
    WE LOVE YOU SIR…………..WE LOVE YOU
    GOD BLESS YOU

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    1. 1. पदार्थ परमाणुओं से बना होता है, लेकिन परमाणु खोखले होते है, 99.9999999999996% से अधिक रिक्त स्थान। इनके नाभिक और इलेक्ट्रान के मध्य रिक्त स्थान होता है, फोटान इलेक्ट्रान से भी छोटे होते है।
      2. पदार्थ फोटान के साथ तीन तरह का व्यवहार करता है, परावर्तन अर्थात जिस दिशा से आया था उसी दिशा मे वापस भेजना(दर्पण), अपवर्तन अर्थात फ़ोटान की दिशा मे कुछ परिवर्तन (कांच, प्रिज्म), अवशोषण अर्थात सोख लेना

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      1. सर ये केसे संभव हो पाता हे की प्रिज्म श्वेत प्रकाश की किरण को सात रंगो में विभाजित कर देता है?
        तो क्या फोटोंस रंगीन होते हे जो कांच से टकराकर या अपवर्तित होकर सात रंगों में विभाजित हो जाते है ?
        और सर यदि ये इलेक्ट्रोन से भी छोटे होते हे तो फिर ये प्रिज्म से केसे अपवर्तित हो जाते है ???

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      2. सर माना की मेरे पास कांच का बना हुआ एक बाक्स हे जिसके उपर मेने पालिश कर दी
        एवं बक्से के अंदर एक टोर्च चालू की फिर जल्दी से बक्से को बंद कर दिया तो क्या उसके अंदर फोतोंस रहेंगे
        क्योकि दर्पण से प्रवर्तन होता है ?

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      3. फोटान रहेंगे लेकिन तय की गई दूरी के अनुसार उनका तरंग दैधर्य बढ़ता जायेया और वे आपको दिखाई नही देंगे, पहले वे अवरक्त किरण बनेंगे, उसके बाद रेडियो तरंग , उसके बाद माइक्रोवेव….

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  19. सर एक बात समझ में नही आ रही हे …..
    माना कि हमने एक अँधेरे कमरे में एक बल्ब चालू किया जिससे फोटोंस का प्रवाह चालू हो गया यानि फोटोंस कमरे में है तो फिर जब हम बल्ब को बंद करते हे तो फोटोंस कहा चले जाते है??????????????????????????????????????
    क्या ये द्रव्यमान संरक्षण के नियम को मात देते है क्या फोटोंस की उर्जा नष्ट हो जाती है??

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    1. फोटान बोसान कणो का प्रकार है जो स्थान नही घेरते है। पैकेट का अर्थ है कि ऊर्जा प्रवाह लगातार नही होता है, वे रूक रूक कर पल्स मे होता है।

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      1. सर यदि हम बहुत ज्यादा मात्रा में आक्सीजन देने वाले पेड़ के पास एक डिबे में हाइड्रोजन गैस लेके जाए और डिब्बा खोले तो क्या वो पानी बन जाएगा ??

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      2. हाइड्रोजन गैस के डिब्बे के पास एक हल्की सी चिंगारी ही उसमे ज्वलन प्रारंभ कर देगी। हायड्रोजन गैस जलकर पानी बनाती है।
        2H2+ O2 –> 2H2O

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    1. प्रदीप, ये साइट हिंदी के प्रश्नों के लिए है। इस साइट मे पाठ्यक्रम, होमवर्क के प्रश्नों का उत्तर नही दिया जाता है।

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    1. संतान का डीएनए माता पिता के आधे आधे डीएनए की कॉपी होता है। इसी डीएनए म् सारे शरीर के किस अंग, कोशिका का कार्य लिखा होता है। इसलिए हर कोशिका के पास डीएनए की कॉपी चाहिए। डीएनए अपनी कॉपी खुद बना सकता है।
      यदि वह कॉपी नही बना सके तो ना प्रजनन होगा ना ही शरीर का विकास।

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  20. सर यदि चुम्बकीय क्षेत्र दिखाई नही देता तो फिर दुनिया में कई जगह पर आसमान में वो लाल -हरी धरिया क्या होती है ?क्या ये चुम्बकीय क्षेत्र रेखाए हे या फिर कुछ और ????? प्लीज़ सर बताइए ना

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    1. तरल गतिकी में, बर्नौली का सिद्धान्त (Bernoulli’s principle) या ‘बर्नौली का प्रमेय निम्नवत है:

      किसी प्रवाह में, तरल का वेग बढ़ने पर पर तरल की स्थितिज उर्जा में कमी होती है या उस स्थान पर दाब में कमी हो जाती है। यह सिद्धान्त डच-स्विस गणितज्ञ डैनियल बर्नौली के नाम पर रखा गया है। इस सिद्धान्त की खोज उन्होंने ही की थी और १७३८ में अपनी ‘हाइड्रोडाय्नैमिका’ नामक पुस्तक में प्रकाशित किया था।
      माना कि:

      तरल असंपीड्य (इन्कम्प्रेसिबल) है,
      श्यानता शून्य है,
      स्थाई अवस्था प्राप्त हो गयी है तथा प्रवाह अघूर्णी िर्रोटेशनल) है, तो
      इस स्थिति में बर्नौली का समीकरण निम्नवत है:

      em=v^2 \ 2+gh+p \rho=const
      जहाँ:

      em – तरल के ईकाई द्रव्यमान की ऊर्जा
      rho – तरल का घनत्व
      v – संबन्धित स्थान पर तरल का वेग
      h – सम्बन्धित स्थान की किसी सन्दर्भ के सापेक्ष ऊँचाई
      g – गुरुत्वजनित त्वरण
      p- संबन्धित स्थान पर दाब

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    1. न्यूटन के गति के तीनों नियम, पारम्परिक रूप से, संक्षेप में निम्नलिखित हैं –

      प्रथम नियम: प्रत्येक पिंड तब तक अपनी विरामावस्था अथवा सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्था में रहता है जब तक कोई बाह्य बल उसे अन्यथा व्यवहार करने के लिए विवश नहीं करता। इसे जड़त्व का नियम भी कहा जाता है।[2][3][4]
      द्वितीय नियम: किसी भी पिंड की संवेग परिवर्तन की दर लगाये गये बल के समानुपाती होती है और उसकी (संवेग परिवर्तन की) दिशा वही होती है जो बल की होती है।
      तृतीय नियम: प्रत्येक क्रिया की सदैव बराबर एवं विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है।

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    1. आग मे जलना अर्थात आक्सीडाइजेशन। कोइ भी पदार्थ आग मे जलकर आक्साईड बनाता है। कार्बन जल कर कार्बन डाई आक्साईड, हाय्ड्रोजन जल कर H2O बनाता है।

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  21. इन्सान मरता क्यो हैं, मरने के बाद पुन: जिवित क्यो नहीं हो सकता, अगर हम मरने का कारण पता लगा सके तो शायद इन्सान पुन: जिवित हो सकता है!

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  22. सर प्लास्टिक को चिपकाने वाली फेवी क्विक में ऐसा क्या आता है जो वो प्लास्टिक को चिपका देती है ????????????????
    और खुद अंदर वल्र प्लास्टिक से नही चिपकती ???????????????????

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    1. ग्लु वातावरण की आक्सीजन से प्रतिक्रिया कर दोनो सतह को जोड़ देती है। ट्युब मे उसे आक्सीजन नही मिलती है इसलिये वह चिपकती नही है।

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    1. गुरुत्वाकर्षण बल बड़े पैमाने पर इकट्ठा होकर शक्तिशाली हो जाता है। हर वस्तु जो द्रव्यमान रखती है, गुरुत्वाकर्षण भी रखेगी। यह गुरुत्वाकर्षण उस वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करेगा। मेरा आपका गुरुत्वाकर्षण कमजोर होगा, लेकिन ग्रह, चंद्रमा तारे जैसे द्रव्यमान पर वह शक्तिशाली हो उठता है।

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  23. सर मेने भी दोस्तों से सुना हे की जापान में करीब ६० साल पहले कापा(kapa) नाम का जानवर पाया जाता था जो बच्चों को खा जाता था वह कछुए जेसा दिखता था
    क्या ये सही हे सर

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  24. सर मैंने कई लोगो से सुना है कि लगभग 1998 मे एक ऐसा जीव आया था जो आधा इंसान
    और आधा बंदर था। वो कभी भी कही भी चला जाता और इंसानो को ख़ा जाता था? क्या यह
    सही है कि अफवाह है?

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    1. गतिशील धातु से चुमकत्व का निर्माण होता है। पृथ्वी के केंद्र में घूर्णन करता द्रव लोहा है, वह चुम्बकत्व उतपन्न करता है।

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    1. प्लेनेट एक्स का अस्तित्व नही है। यह केवल एक अफ़वाह मात्र है।
      किसी समय नेपच्युन के परे एक विशाल ग्रह की कल्पना की गई थी , जो बाद मे पाया नही गया।

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    1. लेजर (विकिरण के उद्दीप्त उत्सर्जन द्वारा प्रकाश प्रवर्धन) (अंग्रेज़ी:लाइट एंप्लीफिकेशन बाई स्टीमुलेटेड एमिशन ऑफ रेडिएशन) का संक्षिप्त नाम है। प्रत्यक्ष वर्णक्रम की विद्युतचुम्बकीय तरंग, यानि प्रकाश उत्तेजित उत्सर्जन की प्रक्रिया द्वारा संवर्धित कर एक सीधी रेखा की किरण में बदल कर उत्सर्जित करने का तरीक होता है। इस प्रकार निकली प्रकाश किरण को भी लेज़र किरण ही कहा जाता है। ये किरण प्रायः आकाशीय रूप से कोहैरेन्ट (सरल रैखिक व एक स्रोतीय), संकरी अविचलित होती है, जिसे किसी लेन्स द्वारा परिवर्तित भी किया जा सकता है। ये किरणें संकरी वेवलेन्थ, विद्युतचुम्बकीय वर्णक्रम की एकवर्णीय प्रकाश किरणें होती है। एक पदार्थ (सामान्यत: एक गैस और क्रिस्टल) को ऊर्जा, जैसे प्रकाश या विद्युत से टकराने के बाद वह अणु को विद्युतचुम्बकीय विकिरण (एक्सरे, पराबैंगनी किरणें) उत्सर्जित करने के लिए उत्तेजित करता है जिसको बाद में संवर्धित किया जाता है और एक किरण के रूप में इसे छोड़ा जाता है। लेजर एक ऐसी तकनीक के रूप में विकसित हुई है जिसके सहारे आज आधुनिक जगत के अनेक कार्य सिद्ध होते हैं। लेज़र का आविष्कार लगभग ५० वर्ष पहले हुआ था। आधुनिक जगत में लेजर का प्रयोग हर जगह मिलता है – वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं, सुपरमार्केट और शॉपिंग मॉल्स से लेकर अस्पतालों तक में भी। मनोरंजन के संसार में डीवीडी के प्रकार्य में लेज़र ही सहायक होता है, सुरक्षा और सैन्य क्षेत्र में वायुयानों को गाइड करने में, तोप और बंदूकों को लक्ष्य लॉक करने में, आयुर्विज्ञान के क्षेत्र में दंत चिकित्सा और लेज़र से आंख के व अन्य शारीरिक ऑपरेशन, कार्यालयों के कार्य में लेज़र प्रिंटर द्वारा डाक्यूमेंट प्रिंटिंग, संचा क्षेत्र में ऑप्टिकल फाइबर केबलों तक में लेज़र ही चलती है। पिछले ५० वषों में लेजर ने अपनी उपयोगिता को व्यापक तौर पर सिद्ध कर दिखाया है।

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      1. निखिल, नाभिक मे प्रोटान की संख्या से तत्व का निर्धारण होता है। 1 प्रोटान – हायड्रोजन, 2 प्रोटान हिलियम , 3 प्रोटान लिथियम ….
        किसी तत्व के नाभिक मे न्युट्रान की संख्या से समस्थानिक का निर्धारण होता है। हायड्रोजन के तीन समस्थानिक है, 0 न्युट्रान -सामान्य हायड्रोजन, 1 न्युट्रान ड्युटेरियम, 2 न्युट्रान ट्रिटियम

        संलयन का अर्थ है दो छोटे तत्वो के परमाणु नाभिक के जुड़ने से भारी तत्व के परमाणु नाभिक का निर्माण
        दो हायड्रोजन के नाभिक जुड़कर एक नये तत्व हिलियम का नाभिक बनाते है।

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    1. जब जल नदियों से बहकर जाता है वह रास्ते से मिट्टी चट्टानो के लवण को साथ ले जाता है। अरबो करोड़ो वर्षो से चल रही इस प्रक्रिया ने सागर के पानी को नमकीन कर दिया है।

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  25. H2ओ जल है अगर इन्ह अलग कर दे तो ये गैस होगा अगर इन मे आग लगा दे तो लग जाइ गी पर जब इन अक जाग्ह कर तो इन मे अग क्यो नही लगती है सर बताओ

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    1. जलना अर्थात आक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया। कार्बन जल कर कार्बनडाय आक्साईड बनाता है। वैसे ही हायड्रोजन जल कर डाय हायड्रोजन आक्साईड अर्थात H2O बनाता है। अब हायड्रोजन आक्सीजन से प्रतिक्रिया कर चुका है, वह दोबारा आक्सीजन से प्रतिक्रिया कैसे करेगा ?

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    1. सभी जीवो में किसी ना किसी तरह का तंत्रिका तंत्र होता है जो उस जीव की जैविक प्रक्रियाओ को नियंत्रित करता है। उदाहरण के लिये केंचुओ के सामने के भाग मे दो नन्हे से बिंदु जैसे अंग होते है और उससे एक धागे जैसी रचना निकली होती है। अमीबा जैसे एक कोशीय जीव मे केंद्रक होता है। ये अंग मस्तिष्क जैसे विकसित नही होते लेकिन सभी आवश्यक कार्य करने मे सक्षम होते है।

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    1. उन तारो का प्रकाश पृथ्वी तक पहुंचत है तभी हम उन्हें देख पाते है. यहाँ बात और है की उनका प्रकाश हम तक पहुँचाने में कई वर्ष लगे होते है. जो छवि हमें दिखती है वे कई वर्ष पुरानी हो सकती है

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    1. बुलबुला हवा के चारो ओर किसी पदार्थ (साबुन का घोल इत्यादि) की पतली परत से बना होता है। इस पदार्थ और हवा के मध्य पृष्ठ तनाव उसे गोल आकार देता है। पानी की बुंद भी इसी पृष्ठ तनाव से गोल होती है।
      पृष्ठ तनाव (Surface tension) किसी द्रव के सतह या पृष्ट का एक विशिष्ट गुण है। दूसरे शब्दों मे, पृष्ठ-तनाव के कारण ही द्रवों का पृष्ट एक प्रकार की प्रत्यास्थता (एलास्टिक) का गुण प्रदर्शित करता है। पृष्ट तनाव के कारण ही पारे की बूँद, गोल आकार धारण कर लेती है न कि अन्य कोई रूप (जैसे घनाकार)। पृष्ठ तनाव के कारण द्रव अपने पृष्ठ (सतह) का क्षेत्रफल न्यूनतम करने की कोशिश करते हैं।

      तरल अणुओं के बीच लगने वाले बल (अन्तरा अणुक बल) सतह तनाव की इस घटना के लिए जिम्मेदार हैं। थोक तरल (एक निश्चित आयतन) में, प्रत्येक अणु समान रूप से हर दिशा में खींचा जाता है। जिसके परिणामस्वरूप तरल के भीतर के अणुओं पर शून्य बल लगता है, पर किनारे वाले तरल अणुओं पर केवल अन्दर के अणुओं से बल लागता है, जिसके परिणामस्वरूप सतह के अणुओं को अन्य (अन्दर के अणु) अणुओं भीतर खींचते हैं। यह सतहों पर कुछ आंतरिक दबाव बनाता है और तरल को कम से कम क्षेत्र में अनुबंधित करने के लिए प्रयास करता है।

      सतह तनाव तरल बूंदों के आकार के लिए जिम्मेदार है। हालांकि आसानी से विकृत हो जाने वाली पानी की बूंद, सतह परत के एकजुट बलों द्वारा एक गोलाकार आकार में खींच ली जाती है। परिणामस्वरूप गुरुत्वाकर्षण सहित साभी अन्य बलों के अभाव में लगभग सभी तरल पदार्थ की बूंदों पूरी तरह से गोलाकार होती है। गोलाकार आकृति के अनुसार आवश्यक सतह परत के तनाव को कम से कम minimize रखने का गुन होता है। (Laplace के समीकरण से)

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    1. यूनिवर्स अर्थात ब्रह्मांड जिसमे पृथ्वी, सूर्य, सौर मंडल, आकाशगंगा सभी का समावेश है। यह लगभग 93 अरब प्रकाश वर्ष चौड़ा है।

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    1. नही, अंतरिक्ष में हमेशा अन्धकार होता है। सूर्य और चन्द्रमा, तारे और अन्धकार एक साथ।
      पृथ्वी का वायुमंडल सूर्य या चंद्र प्रकाश को बिखेरता है जिससे हमें चारो ओर उजाला दिखता है।

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