
चंद्रमा की उत्पत्ति के बारे में एक नया शोध सामने आया है। इसका मानना है कि अरबों साल पहले एक बड़ा ग्रह पृथ्वी से टकराया था। इस टक्कर के फलस्वरूप चंद्रमा का जन्म हुआ। शोधकर्ता अपने इस सिद्धांत के पीछे अपोलो के अंतरिक्ष यात्रियों के ज़रिये चंद्रमा से लाए गए चट्टानों के टुकड़ों का हवाला दे रहे हैं। इन चट्टानी टुकड़ों पर ‘थिया‘ नाम के ग्रह की निशानियां दिखती हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि उनकी खोज पुख़्ता करती है कि चंद्रमा की उत्पत्ति टक्कर के बाद हुए भारी बदलाव का नतीजा थी।
ये अध्ययन एक साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। वैसे ये कोई नया सिद्धांत नहीं है। ये पहले से माना जाता रहा है कि चंद्रमा का उदय खगोलीय टक्कर के परिणाम स्वरूप हुआ था। हालांकि एक दौर ऐसा भी आया जब कुछ लोग कहने लगे कि ऐसी कोई टक्कर हुई ही नहीं। लेकिन वर्ष 1980 से आसपास से इस सिद्धांत को स्वीकृति मिली हुई है कि 4.5 अरब वर्ष पहले पृथ्वी और थिया के बीच हुई टक्कर ने चंद्रमा की उत्पत्ति की थी।
“हमें इन चट्टानों को पूरे चंद्रमा का प्रतिनिधि मानने के प्रति सावधानी बरतनी चाहिए। इस लिहाज से चंद्रमा की अलग-अलग चट्टानों का विश्लेषण भी जरूरी है तभी आगे कुछ पुष्टि की जानी चाहिए।”- डॉक्टर महेश आनंद
थिया का नाम ग्रीक पौराणिक कथाओं में मौजूद सीलीन की मां के नाम पर रखा गया था। सीलीन को चंद्रमा की मां कहा जाता है। समझा जाता है कि टक्कर होने के बाद थिया और धरती के टुकड़े एक दूसरे में समाहित हो गए और उनके मिलने से चंद्रमा की पैदाइश हुई।
शुरुआती विश्लेषण
ये सबसे आसान अवधारणा है जो कंप्यूटर सिमूलेशन से भी मेल खाती है। लेकिन इसकी सबसे बड़ी दिक्क़त ये है कि किसी ने भी थिया की मौजूदगी का प्रमाण चंद्रमा के चट्टानों में नहीं देखा है। चंद्रमा पर बेशक थिया के निशान मिले हैं लेकिन इसकी संरचना आमतौर पर पृथ्वी सरीखी है। अध्ययनकर्ताओं की टीम के अगुवा यूनिवर्सिटी ऑफ गॉटिंगेन के डा। डेनियल हेवाट्ज के अनुसार, अब तक किसी को इस टक्कर सिद्धांत के इतने दमदार सबूत नहीं मिले थे।उन्होंने कहा,
”पृथ्वी और चंद्रमा के बीच छोटे-छोटे अंतर हैं, जिसे हमने इस नमूनों में खोज निकाला है। ये टक्कर की अवधारणा को पुख्ता करता है।”
चंद्रमा और पृथ्वी
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हेलीडे उन वैज्ञानिकों में हैं, जो ये देखकर चकित हैं कि चंद्रमा की चट्टानों पर मिली थिया की सामग्री और पृथ्वी के बीच अंतर बहुत मामूली और सूक्ष्म हैं।
ओपन यूनिवर्सिटी के डॉक्टर महेश आनंद इस शोध को रोमांचकारी बताते हैं लेकिन वह ये भी कहते हैं,
“मौजूदा तथ्य चंद्रमा के लाए गए महज़ तीन चट्टानी नमूनों के आधार पर निकाला जा रहा है। हमें इन चट्टानों को पूरे चंद्रमा का प्रतिनिधि मानने के प्रति सावधानी बरतनी चाहिए। इस लिहाज से चंद्रमा की अलग-अलग चट्टानों का विश्लेषण भी ज़रूरी है तभी आगे कुछ पुष्टि की जानी चाहिए।”
कुछ और सिद्धांत बताते हैं कि चंद्रमा और पृथ्वी की संरचनाएं लगभग एक जैसी क्यों हैं। क्योंकि टक्कर से पहले पृथ्वी और अधिक गति से धूमती थी। एक और सिद्धांत ये है कि थिया आकार में कहीं ज्यादा बड़ा ग्रह था।
विवादित सिद्धांत
एक और विवादित सिद्धांत नीदरलैंड्स के ग्रोनिंजेन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर राव डी मेइजेर का है। उनके अनुसार, पृथ्वी की सतह के करीब 2900 किलोमीटर नीचे एक नाभिकीय विखंडन के फलस्वरूप पृथ्वी की धूल और पपड़ी अंतरिक्ष में उड़ी और इस मलबे ने इकट्ठा होकर चंद्रमा को जन्म दिया। उन्होंने कहा कि पृथ्वी और चंद्रमा की संरचना में अंतर के नए निष्कर्षों के बाद भी उनके दृष्टिकोण में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
वह कहते हैं,
“जिस अंतर के बारे में कहा जा रहा है कि वो बहुत मामूली है। हमें नहीं मालूम कि चंद्रमा का निर्माण किस तरह हुआ। ज़रूरत है कि हम चंद्रमा पर जाएं और उसकी सतह के काफी नीचे की चट्टानों को खोजें। जो अब तक अंतरिक्ष में आने वाली आंधियों और खगोलीय प्रभावों से प्रदूषित नहीं हुई हैं।”
श्रोत : बी बी सी हिंदी से साभार
वह ग्रह जिसके टकराने से चन्द्रमा का निर्माण हुआ है थिया‘,मंगल रहा होगा अथवा उसी के आकार का कोई अन्य पिंड होगा !
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चित्रों के माध्यम से सही से समझाया मुझे चन्द्रमा के निर्माण के बारे में कुछ इस तरह पता था -एक समय था जब चन्द्रमा और पृथ्वी एक ही थे i इन दोनों का निर्माण साढ़े चार अरब साल पुरानी एक जैसे चट्टानों से हुआ था i ये दोनों ही ऐसी अनेक समानताये लिए हुए है,जिनसे यह सिद्ध होता है कि चन्द्रमा मूल रूप से पृथ्वी का ही हिस्सा हैं i लेकिन यह पृथ्वी से छिटक कर दूर जा गिरा ,जब पृथ्वी एक अन्य ग्रह से टकरा गयी इस टकराव ने पृथ्वी की सतह को दूर तक फाड़ डाला i परीणाम-स्वरुप गैस,पिघला हुआ लावा तथा चट्टानी भाग पृथ्वी के अन्दर से छिटककर अंतरिक्ष में जा गिरा i सारे पदार्थ धीरे-धीरे ठंडी होती गयी और इसने एक गोले का रूप धारण कर लिया i
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अब बाकी चट्टानों का विश्लेषण होने तक नई थ्योरी को इंतजार तो करना ही होगा।
शानदार लेख। आभार।
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कल 09/जून/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !
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imagination is also an invention
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