यह ‘प्रश्न आपके और उत्तर हमारे’ का पहला भाग है। यहाँ अब 4000 के क़रीब टिप्पणियाँ हो गयी हैं, जिस वजह से नया सवाल पूछना और पूछे हुए सवालों के उत्तर तक पहुँचना आपके लिए एक मुश्किल भरा काम हो सकता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए अब ‘प्रश्न आपके और उत्तर हमारे: भाग 2‘ को शुरू किया जा रहा है। आपसे अनुरोध है कि अब आप अपने सवाल वहीं पूँछे।
अन्य संबंधित आर्काइव:
1. प्रश्न आपके उत्तर हमारे : सितंबर 1, 2013 से सितंबर 30,2013 तक के प्रश्न और उनके उत्तर
2. प्रश्न आपके, उत्तर हमारे: 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक के प्रश्नों के उत्तर
thanks ”ASHISH SIR” AAP BAHUT accha concept dete hai …. aaj mujhe malum hua ki intermediate me mujhe kitna galat concept diya ja raha hai ! inter me bataya gaya hai ki garm tea PRISTHATANAO ke karan achee lagte hai.. SIR ye SIKCHA MANTRI vagaira kya karte hai inko kucha aata jata nahi kya……………..
पसंद करेंपसंद करें
Lion, Tiger, penther, owl jaise prani andheri raat me dekh sakta hai kiun ?
पसंद करेंपसंद करें
आंखों में स्थित रेटिना में दो प्रकार की कोशिका होती हैं- एक फोटोरिसेप्टर कोशिका व दूसरी रॉड कोशिका।
रॉड कोशिका प्रकाश संवेदी होती हैं और कम प्रकाश में उपयोगी होती हैं। कोन कोशिका रंगों व चमकीलेपन के प्रति संवेदी होती हैं। बिल्ली में रॉड कोशिका की अपेक्षा कोन कोशिका की संख्या अधिक होती है। अंधेरे में जब बिल्ली अपनी आंखों को पूरा खोलती है तो सम्पूर्ण उपस्थित प्रकाश टेपटिम ल्यूसिडम नामक पर्त पर गिरता है, जो कि क्रिस्टल से बनी होती है। यह पर्त सभी दिशाओं में आंख के अंदर व बाहर प्रकाश उत्सर्जित करती है, जिससे बिल्ली पर्याप्त रूप से देख सकें और हमें प्रतीत होता है कि उसकी आंखें चमक रही हैं।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Sir.
Please
Kya aap mujhe bta skte hai ke him log earth ke ander rahte hai yaa for bahr.
Please response to me
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
पृथ्वी का आकार गेंद के जैसा है और हम उसकी सतह पर रहते है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
DNA ki khoj kisne ki thi real name
पसंद करेंपसंद करें
1860 मे स्विस रसायन शास्त्री जोहानन फ़्रेडरीक मिशेर (Swiss chemist called Johann Friedrich Miescher)
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
फ्रेडरिक मिशर 1869
पसंद करेंपसंद करें
Watson and krick ne
पसंद करेंपसंद करें
सबसे पहले फ्रेडरिक मिशर ने 1869 में DNA को एक मछली के शुक्राणु से निकाला। 1919 में फोयबस लेवेन ने दिखाया कि DNA फास्फेट-शुगर-बेस के क्रम में जुड़ने से बना है। इसके बाद DNA पर और भी कई जानकरियाँ अलग अलग वैज्ञानिकों से प्राप्त हुईं। बाद में मॉरीस विल्किन्स और रोज़लिंड फ्रैंकलिन की DNA की एक्स रे डिफ़्रैक्शन की तस्वीरों/आँकड़ों और उसके पहले अन्य कई वैज्ञानिकों के द्वारा किए गए कामों के आधार पर जेम्स वाटसन और फ्रांसिस क्रिक 1953 में डीएनए की आणविक संरचना का पहला सटीक मॉडल प्रस्तुत किया।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Pani Aur jal me kya Antar h
पसंद करेंपसंद करें
दोनो एक ही है।
पसंद करेंपसंद करें
Dr.watson and crick
पसंद करेंपसंद करें
Sir mujhe bataye
Ki. Bina tar ke ya wireless
Ke system se bidhut dhara ko ek sthan se dusre sthan
Bhejne ka yantra bana hai ya nahi
पसंद करेंपसंद करें
http://m.dw.com/hi/आसमान-से-आएगी-बेतार-बिजली/a-18313952
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Light off karte hai to prakash kaha jata hai
पसंद करेंपसंद करें
वह दीवारो, वायु जैसे पदार्थो द्वारा अवशोषित हो जाता है।
पसंद करेंपसंद करें
सिर ऐसि ठंडा हवा केसे देता ह
पसंद करेंपसंद करें
ठंडा करने की प्रक्रिया के दौरान वह आंतरिक हवा अंदर लेता हैं, बाष्पीकरण (एवापोरेशन) के माध्यम से इसे पारित करके उसे ठंडा करता हैं और वापस कमरे में फेंक देता है| हालांकि, इसका काम करने का अंदाज़ पुराने एयर कूलर्स के काम करने की प्रकिया से काफी विपरीत है| एयर कूलर्स बाहर की हवा अंदर लेते हैं, उसे पानी के माध्यम से ठंडा करते हैं, और फिर अंदर फेंक देते हैं| लेकिन आजकल के एयर कंडीशनर सिर्फ आंतरिक हवा पर काम करते हैं|
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Sir india me sbse phele raat kha hoti h
पसंद करेंपसंद करें
Kibithu Arunachal Pradesh
पसंद करेंLiked by 2 लोग
कैँसर चोट लगने के कितने समय बाद हो सकता है?
पसंद करेंपसंद करें
भगत सिंह जी, क्षमा किजीये, चिकित्सा क्षेत्र मे मेरा ज्ञान सीमित है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Aadami kaam karane ke baad kyo thak jata hai
पसंद करेंपसंद करें
Insulin me kaun si dhatu payi jati hai.
पसंद करेंपसंद करें
इन्सुलिन का रासायनिक सुत्र C257H383N65O77S6 है। इसमे कार्बन, हायड्रोजन, नाइट्रोजन, आक्सीजन और गंधक(सल्फर) होती है।
पसंद करेंपसंद करें
Pani ki boonde gol kyo hoti hai.
पसंद करेंपसंद करें
पानी जब बूंद के रूप में गिरता है तो पृष्ठतनाव के कारण पानी की बूंदे गोल आकार ले लेता है।
पृष्ठ तनाव (Surface tension) किसी द्रव के सतह या पृष्ट का एक विशिष्ट गुण है। इसी गुण के कारण किसी द्रव की सतह किसी दूसरी सतह की ओर आकर्षित होती है (जैसे किसी द्रव के दूसरे भाग की तरफ)। पृष्ट तनाव के कारण ही पारे की बूँद एक गोलकार रूप धारण कर लेती है न कि अन्य कोई रूप (जैसे घनाकार)।
पसंद करेंLiked by 2 लोग
Din aur rat hone ka kya karan hai
पसंद करेंपसंद करें
पृथ्वी एक कतिपय धुरी पर सदैव पश्चिम से पूर्व को घूमती रहती है। पृथ्वी की इसी गति को घूर्णन अथवा आवर्तन गति कहा जाता है। पृथ्वी अपनी गति पर जब एक पूरा चक्कर लगा लेती है तो एक दिन होता है। इसी से इस गति को दैनिक गति भी कहते हैं।
12 घंटे तक धरती का जो भाग सूर्य के सामने रहता है, तब वहां दिन होता है और शेष भाग में रात होती है।
पसंद करेंLiked by 2 लोग
Din aur rat hone ka ek karan h ,wo yr h ki humari prathvi gol h aor yah surya k charo or chakkar lagati h, chakkar lagate samay prathwi k jis bhag me surya ki roshni padti h us bhag me din ,aur jo opposite side pe jha roshni nhi pahuchti tab rat hoti h aur puri prathvi ek sath din aur ek sath raat nhi hoti kyuki yah proccess chalti rehti h……
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Din aur raat hone ka karan yahi hai ki jab prithvi surya ka chakkar lagati hai tab wo apne Axis per bhi ghoomti hai isliye jab uska aage ka part surya ke samse aata hai to piche wale part pe aandera ho jata hai aur jab prithvi ka piche wala bhaag ghoomte ghoomte surya ke aage aa jaata hai to prithvi ke aage wale bhaag per aandera ho jaata hai. Yahi karan se din aur raat hoti hai.
पसंद करेंपसंद करें
Kensar chot lagne SE nhi hota kensar ka karn h hamare sharir ki rog prati rodhk shamta Kam ho jati h or ye us jagah ko attack karta he Jo ki hamare sharir ka sub SE kamjor hesa hota h…,..
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
आषीष जी। क्या ये ब्रम्हाँण , जीवन, हम सब ब्रम्हाँण मेँ समय के साथ हो रही अव्यबस्था Biological mutetion का परिणाम है या ये सब निश्चित समय और क्रम मेँ चल रहा है?
पसंद करेंपसंद करें
Biological Mutation और ब्रह्मांड मे समय के साथ हो रही अव्यवस्था दो अलग प्रक्रिया हैं। यह entropy के नियम से संचालित होती है जिसके अनुसार समय के साथ अव्यवस्था बढ़ती है।
पसंद करेंLiked by 2 लोग
Sir aadami ka aakh kitane megapixel ka hota hai
पसंद करेंपसंद करें
https://vigyanvishwa.in/2016/10/11/humaneyemegapixel/
पसंद करेंLiked by 2 लोग
sir, weak neucliur force kya hota h? or isme ban ne wale alfa bita gama ka kya hota h?
पसंद करेंपसंद करें
इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिये क्वांटम भौतिकी के ये लेख पढ़े
पसंद करेंपसंद करें
Sir ek 500kg aur 2kg ki do wastu ko nirwat aur kishi madhayam me 500 Miter upar se girane par kya dono dasao me ye saman samay par niche aayega
पसंद करेंपसंद करें
हाँ, दोनो समान गति से नीचे गिरेंगी। इसे चंद्रमा पर देखा जा चूका है। इस प्रयोग को नासा ने पृथ्वी मे निर्वात उत्पन्न करके भी देखा है।
पसंद करेंपसंद करें
तरंग (wave) क्या है ? इसके बारे मेँ बिस्तार से बतायेँ
पसंद करेंपसंद करें
तरंग ऊर्जा के प्रवाह से उत्पन्न होती है। ऊर्जा के प्रवाह के लिये माध्यम चाहिये। ऊर्जा अपने प्रवाह के दौरान अपने माध्यम मे एक अव्यवस्था या दोलन उत्पन्न करता है जो तरंग के रूप मे होती है। ऊर्जा के प्रवाह का माध्यम काल-अंतराल(space-time) या पदार्थ (matter) हो सकता है। प्रकाश अपने प्रवाह के लिये काल-अंतराल का प्रयोग करता है, जबकि ध्वनि के पदार्थ चाहिये।
प्रकाश काल-अंतराल मे दोलन उत्पन्न करता है, ध्यान रहे काल-अंतराल एक कपड़े के जैसे है जिसमें प्रकाश दोलन उत्पन्न कर सकता है।
पसंद करेंपसंद करें
Sir mere bete ka Abhi 25th October ko right side brain ka operation hu tha jisme ki dr.ne right side ka koi 4″ bone nikalna pada to sir Kya aap batayenge wo bone dubara ban sakta hai bete ki age 13th years hai
पसंद करेंपसंद करें
विनोद जी, आपके बेटे के अच्छे स्वास्थ्य की हम कामना करते है। इस प्रश्न का उत्तर आपके बेटे का डाक्टर ही अच्छी तरह से पायेगा।
पसंद करेंपसंद करें
guru ji
बिग बैंग से पहले क्या था ?
पसंद करेंपसंद करें
इस प्रश्न का उत्तर कोई नहीं जानता!
पसंद करेंपसंद करें
prathvi kitne dino me soory ka aik chakkar lagati hai
पसंद करेंपसंद करें
365
पसंद करेंपसंद करें
Kyaa is bat ki koi sambawana he ke ham jan sakenge future main ke big bang se pehle kyaa tha.
पसंद करेंपसंद करें
वर्तमान ज्ञान के आधार पर अभी कुछ नही कहा जा सकता है कि समय यात्रा संभव होगी या नही।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
वायुमंडल के बिना आसमान का रंग कैसा होगा
पसंद करेंपसंद करें
काला
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
big bang ek aisi prakriya ko kha jata hai jiske hone pr prithwi, sury, ewam any grahon ka nirman hua hai. big bang ki kriya men ek vishal pind ka vidhwansh hua jiske phal swarup prithwi sury adi grah bne. is abhikriya ka pratipadn jarj lementrey ne kiya tha.
पसंद करेंपसंद करें
यह सवाल का जवाब Stephen hawking द्वारा दिया गया था उन्होंने कहा था कि big bang के पहले कुछ नहीं था ये मैंने Discovery science मे देखा था
पसंद करेंपसंद करें
STEEFAN HOKINGS KE ANUSAAR BIG BENG SE PAHLE ( AAP SAMZ SAKTE H KI SAB KUCHH EK SHUNY KI BHANTI THA ) AAP YAH BHII KAH SAKTE H KI IG BAN SE PAHLE SAB KUCHH SHUMY THA……
पसंद करेंपसंद करें
ओह !
श्यानता का सीधा अर्थ यदि कहे तो …श्यानता माने ..गाढ़ापन !
द्रव के प्रवाह से सम्बन्धित है ये ………
तरल में दो परतों के मध्य लगने वाले घर्षण बल को श्यान बल के नाम से जाना जाता है
जैसे .. शहद और पानी मे शहद अधिक श्यान है
ं
पसंद करेंपसंद करें
श्री मान जी
” ताप बढ़ने पर द्रव की श्यानता घटती है जबकि गैसों की श्यानता बढती है ”
उपरोक्त कथन की व्याख्या कर कारण को स्पष्ट करने का कष्ट कीजिये…..
धन्यवाद !
पसंद करेंपसंद करें
विजय जी, क्या आप “श्यानता” का अर्थ बतायेंगे? क्षमा किजीये इस शब्द का अर्थ मुझे समझ नहीं आ रहा है।
पसंद करेंपसंद करें
i think it means about viscosity.
पसंद करेंपसंद करें
SHYANTA MATLAV KI GARA PAN
पसंद करेंपसंद करें
KYA PRAKASH STHAN GHERATA HAI AGAR HAA TO KYO AGAR NAHI TO KYO NAHI
पसंद करेंपसंद करें
प्रकाश फोटान से बना है। फोटान बोसान कणों का एक प्रकार है। बोसान कण स्थान नहीं घेरते है। बोसान कणों की यह विशेषता उन्हें पदार्थ बनाने वाले फर्मियान कणों से अलग करती है।
पसंद करेंपसंद करें
PRAKASH STHAN NAHI GERTA
पसंद करेंपसंद करें
यदि वस्तु A [50
किलोग्राम] तथा वस्तु B[1 किलोग्राम]
को 500 मीटर से छोङा जाए
तो कौनसी वस्तु पहले गिरेगी ?
पसंद करेंपसंद करें
दोनो एक साथ जमीन पर पहुँचेंगी
पसंद करेंपसंद करें
Heera kis cheez main jata hai ! Point main ya once
पसंद करेंपसंद करें
हिरे को कैरट मे मापा जाता है। 1 carat (ct)=200 mg (0.2 g; 0.007055 oz)
पसंद करेंपसंद करें
Jis vastu ka bhar kam hota he wo hava jyada der tak teregi
पसंद करेंपसंद करें
बस्तु B (1 kg ) पहले जमीन पर गिरेगी
पसंद करेंपसंद करें
sir mere anuman se jis wastu ka aaytan kam hoga wah pehle giregi
पसंद करेंपसंद करें
दोनो वस्तुये समान गति से गिरती है।
पसंद करेंपसंद करें
Dono sath giregi
पसंद करेंपसंद करें
Dono vastu vaccum me ek sath giregi lekin air me bhari vastu pahle giregi kyoki bhari vastu par air ka pressure kam hoga
पसंद करेंपसंद करें
Aapne puchha ke kaun si vastu pahle giregi to Jo bhari hai wahi pahle giregi . ha yadi nirwat ki bat ho tab dono sath girengi.
पसंद करेंपसंद करें
Par sar kahi bhai ho bhari cheek hi pehle giregi
पसंद करेंपसंद करें
नही हर वस्तु भारी या हलकी समान गति से गिरेगी।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
no thanks sir,kyoki aapne mere qusetion ka answer nahi diya . sir me aap se naraj hu.sir jab hum lakhari ko pura jala dete h ,to coyala ban jata h,yani ki coyale me javlansil padarth jal jata h to phir coyale ko jalane par us me se thode se samya ke liye aage(fire) kayo nikalti h? please giveme answer.
पसंद करेंपसंद करें
राहुल,
लकड़ी मे कार्बन के अतिरिक्त और भी ज्वलनशील पदार्थ होते है। कोयला कार्बन का ही रूप है। ज्वलनशील प्रक्रिया मे सभी पदार्थ एक साथ नहीं जलते है, एक क्रम से जलते है, पहले लकड़ी के अन्य तेज ज्वलनशील पदार्थ जलते है और कोयला बचता है, कोयला जलने के बाद राख बचती है। राख मे मुख्यत धातु होती है, वह भी अत्यंत उच्च ताप पर जलेगी।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Sir smoke (lakadi ya sukhe patte) me hum sans (breathe) kyo nahi le pate hai
पसंद करेंपसंद करें
किसी भी कार्बनिक पदार्थ(लकड़ी, पत्ते, कोयला) के जलने पर मुख्यत: कार्बन डाय आक्साईड/कार्बन मोनाक्साईड मुक्त होती है। ये दोनो गैसों को हमारा शरीर ग्रहण नही कर पाता है। दोनो गैस जानलेवा भी हो सकती है।
पसंद करेंपसंद करें
chandrama ke aagman se prakirti me kya-kya parivartan hote hai
पसंद करेंपसंद करें
१.समुद्र मे ज्वार भाटा
२.पृथ्वी के अपनी धुरी के घूर्णन की स्थिर गति, चंद्रमा के ना रहने पर वह अनियमित हो जायेगी, मौसम मे बदलाव आयेगा और जीवन कठीन हो जायेगा।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Thanku sir aap ke ansr se hume bohat kuch janne ko milta hai
पसंद करेंपसंद करें
Sir please app bataiyega ki yesa kaunsa metal hai jo liquid hota hai aur heat karne pe solid hojata hai
पसंद करेंपसंद करें
ऐसी कोई धातु नही है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Sir ham aap se question puchhna chahte hai eska prosijar mujhe pata nahi hai
पसंद करेंपसंद करें
sir, aapne mere question ka answer nahi diya. ki chandrma ke purn or aadha hone ka kya karn h?
पसंद करेंपसंद करें
कया समुंदर मे से भारी चीजों को असानी से निकाला जा सकता हे जैसे कि कोई डूबा जहाज, यां कोई डूबी हुई पनडूबी,???
पसंद करेंपसंद करें
निकाला जा सकता है, लेकिन कुछ समस्यायें है
१. सटिकता से डुबो जहाज़ की जगह की जानकारी चाहिये
२. समुद्र की गहराई ज़्यादा नहीं होना चाहिये, २-३ किमी से ज़्यादा होने पर निकालना कठिन है क्योंकि इस गहराई पर मानव नहीं जा सकता, बहुत सी स्वास्थ्य संबंधी समस्याये आती हैं।
३. मशीन हर काम नहीं कर सकती है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Sir samundra ki gehrai lagbhag kitni h
पसंद करेंपसंद करें
सागर मे सबसे गहरी जगह मरियाना खाई है जिसकी गहराई 10,994 मीटर!
पसंद करेंपसंद करें
sir electric utpann karne ki gharelu aur saral vidhi kya ho sakti hi
पसंद करेंपसंद करें
सौर ऊर्जा के अतिरिक्त पवन ऊर्जा , जल ऊर्जा ही घरेलू रूप मे बनायी जा सकती है।
पसंद करेंLiked by 2 लोग
बादल फटना क्या है
पसंद करेंपसंद करें
बादल फटना, (अन्य नामः मेघस्फोट, मूसलाधार वृष्टि) बारिश का एक चरम रूप है। इस घटना में बारिश के साथ कभी कभी गरज के साथ ओले भी पड़ते हैं। सामान्यत: बादल फटने के कारण सिर्फ कुछ मिनट तक मूसलाधार बारिश होती है लेकिन इस दौरान इतना पानी बरसता है कि क्षेत्र में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। बादल फटने की घटना अमूमन पृथ्वी से १५ किलोमीटर की ऊंचाई पर घटती है। इसके कारण होने वाली वर्षा लगभग १०० मिलीमीटर प्रति घंटा की दर से होती है। कुछ ही मिनट में २ सेंटी मीटर से अधिक वर्षा हो जाती है, जिस कारण भारी तबाही होती है।
बादल फटने का अर्थ अचानक ही आए तूफ़ान और भीषण गर्जना के साथ तीव्र गति से होने वाली वर्षा से हैं।
जब वातावरण में अधिक नमी होती है और हवा का रुख़ कुछ ऐसा होता है कि बादल दबाव से ऊपर की ओर उठते हैं और पहाड़ से टकराते हैं।
इस स्थिति में तब पानी एक साथ बरसता है।
इन बादलों को ‘क्यूलोनिवस’ कहा जाता है।
मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा पहाड़ी क्षेत्रों में बादल अधिक फ़टते हैं।
सर्द-गर्म हवाओं के विपरीत दिशा में टकराना भी बादल फटने का मुख्य कारण माना जाता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रक्रिया में पानी असमान्य तेज़ी से गिरता है, जिसे ज़मीन सोख नहीं पाती।
वर्षा की गति बहुत तेज होती है, जो भूमि को नम नहीं बनाती, बल्कि मिट्टी को बहा देती है।
वर्षा की तीव्रता इतनी अधिक होती है कि वह दो फुट के नाले को पानी के 50 फुट के नाले में तब्दील कर देती है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
सर जी मेरा सबाल यह की मे रूस की पनडूबी को निकालना चाहता हूं जो करीब 12 बरष पहले समुंदर मे किसी कारण डूब गया था । मगर तब से लेकर आज तक मेरा अनुभव यह कहता हे कि इस पनडूबी को आज भी निकाला जा सकता हे जो कि समंदर के जल भरी हुई हे । सर जी मुझे ऐसा कयूं लगता हे कया ऐसा हो सकता हे अगर नही तो कयूं नहीं । मुझे साबित करने का एक मौका दिया जाये । कयूं इस घटना को आज तक मे भुला नही पाया । वह पिचर जो मेने टीवी पर देखी वह आज भी मेरे दिमाग मे हे । ओर मुझे ऐसा लगता हे कि पानी की गहराइयों मे से भारी से भारी समानों को बाहर निकाला जा सकता हे ।।????
पसंद करेंपसंद करें
इसे निकालने का ख़र्च उस वस्तु के मूल्य से कई गुना अधिक हो सकता है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
अफ़सोस ! आगे कुआं पीछे खांई ……
बेचारा विद्यार्थी माने तो माने किसकी ….?
मैं तो मान लूँगा श्री मान जी …किन्तु क्या होगा उन अध्ययनरत बालको का जिनका एक मात्र सहारा उपर्युक्त श्रोत ही है /
कुछ तो कहिये उन मासूमों के प्रति जिन्हें भारत का भविष्य कहा जाता है …!
क्या ऐसा ही विज्ञानं सीखेगे ये सब ….. दुविधा युक्त !
पसंद करेंपसंद करें
मै केवल यही कहूँगा कि g पर पृथ्वी के घूर्णन का प्रभाव नहीं पड़ता और यह वैज्ञानिक तथ्य है। रहा प्रश्न पाठ्यपुस्तक का वह अंतिम सत्य नहीं है, मै ऐसे कई उदाहरण दे सकता जिनमें पाठ्यपुस्तक मे ग़लत जानकारी दी गयी है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
guru ji
यदि सबकुछ उर्जा से बना है तो उर्जा क्या है या उर्जा कैसे बनी है ?
पसंद करेंपसंद करें
नीरज जी,
ऊर्जा ब्रह्मांड का अंतिम सत्य है, ऊर्जा ही ब्रह्मांड है। वह किसी अन्य वस्तु से नहीं बना है, समस्त पदार्थ ऊर्जा से बना है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
guru ji
तो इसका मतलब यह है की उर्जा की नाही शुरूवात हुई और नाही कभी
अंत होगा
पसंद करेंपसंद करें
जी हाँ। ऊर्जा अनादी है अनंत है!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Sir kya prakash ko bhi urja mana ja sakta hai agar ha to big bang theary galat hai aur nahi to prakash kaniya hai to aaj ki theary galat aisa kyon
पसंद करेंपसंद करें
प्रकाश ऊर्जा का ही एक रूप है। इसका बिगबैंग के सही या ग़लत होने से कोई मतलब नहीं है।
पसंद करेंपसंद करें
श्री मान जी
जरा इधर भी ध्यान दे ……
इण्टरमीडिएट भौतिकी भाग -१ ….. विनोद गोयल
आधुनिक भौतिकी भाग -१ …… अग्रवाल-त्यागी
माध्मिक भौतिकी भाग -१ …….. डॉ वी०के० अग्रवाल
इन सभी स्रोंतों ने तो पूरा सिद्ध कर रखा है कि पृथ्वी के घूर्णन के कारण भी ‘g ‘ के मान में परिवर्तन होता है !
कृपया बालक की मनोदशा को समझते हुए दुविधा को नष्ट करने का कष्ट करे !
धन्यवाद
पसंद करेंपसंद करें
विजय जी, आप मेरे द्वारा दिये लिंको पर भरोसा कर सकते है, ये सभी प्रमाणिक है। भारतीय पाठ्यक्रम की पुस्तकों की गुणवत्ता पर मै कुछ नहीं कहूँगा।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
AAP SAHI HAI LEKIN HUM ITNE AAGE NAHI KI INDIAN WRITER PAR BELIEF KARE
पसंद करेंपसंद करें
श्री मान जी
अगर प्रथ्वी अपनी अक्ष के परित : घूमना बंद कर दे तो विषुवत रेखा पर ” g ” के मान में क्या परिवर्तन होगा …? कारण भी स्पष्ट कर दीजियेगा !
धन्यवाद
पसंद करेंपसंद करें
g कमान पर कोई अंतर नहीं आयेगा क्योंकि वह द्रव्यमान पर निर्भर करता है पृथ्वी के घूर्णन पर नहीं।
Sent from my iPad
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
क्षमा कीजियेगा ……… किन्तु पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण ‘g ‘ के मान में निम्न परिवर्तन होता है …g’= g – r w ^2 cos^2 A जहाँ w = कोणीय वेग & A = अक्षांश अतः श्री मान जी कृपया मामले को गंभीरता से ले ! धन्यवाद्
पसंद करेंपसंद करें
विजय जी,
मै प्रश्नों का उत्तर पूरी गंभीरता से देता हुँ।
http://en.wikipedia.org/wiki/Standard_gravity देखे!
http://wiki.answers.com/Q/When_earth_stops_rotating_what_is_the_value_of_g#page1
http://www.physicsforums.com/showthread.php?t=346228
g के मान पर पृथ्वी के द्रव्यमान और पृथ्वी के केंद्र से दूरी के अतिरिक्त किसी अन्य कारक का प्रभाव नहीं पड़ता है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
g ke maan me parivartan hoga aur g ka maan mass par depend nahi katta
पसंद करेंपसंद करें
शैलेष आपकी जानकारी गलत है, g का मान द्रव्यमान पर निर्भर करता है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
sir,please give me answer my qustion . than i ask to a new qustion.
पसंद करेंपसंद करें
thanks sir, chand ke purn our aadha hone ka kya rahsya h ? karpya vistrith me batae.
पसंद करेंपसंद करें
Rahul g chand to pura hota he. Jitna bhag par suraj ke roshani padtee he hma utna he deekhai padta he .kabhi kabhi suraj ke roshni pure padte he to hma chand pura dekhai padta he. Ok g
पसंद करेंपसंद करें
गुरू जी,
जिस प्रकार पदार्थ और ऊर्जा एक ही हैं, क्या उसी प्रकार श्याम पदार्थ और श्याम ऊर्जा भी एक ही हैं ?
पसंद करेंपसंद करें
पदार्थ , श्याम पदार्थ , ऊर्जा , श्याम ऊर्जा ये सभी एक ही है, सभी ऊर्जा के भिन्न रूप है। इस ब्लाग पर ब्रह्मांड की संरचना पर कुछ लेख है, उन्हे पढ़े।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
सर जी काफी दिनों से एक सवाल मेरे दिमाग को परेशां करते आ रहा है पर उसका जवाब कही से न पाकर आपको लिख रहा हु | क्यूँकी हिंदी में जानकारी पाने का इस साईट के इलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है,मैंने २००५ में एक फिल्म देखा The six day जिसमे मरे हुए लोगो को उनके डीएनए और दिमाग का xray लेकर पुन जीवित किया जाता है और फिर वो इन्सान एक दुसरे शारीर में हमारे बिच होता है,फिल्म चाहे जैसा भी हो पर मनाब द्वारा किया गया एक बेहतरीन कल्पना है जो मुझे लगता है एक दिन सच हो सकता है,मेरा सवाल ये है की दिमाग के x-ray के बिना सिर्फ डीएनए से इन्शान की पूरी जनम से लेकर मृत्यु तक का मेमोरी प्राप्त किया जा सकता है ? क्या डीएनए में इन्सान का मेमोरी हो सकता है ? क्या माँ बाप गुण मेमोरी का हिस्सा हो सकता है ? क्योकि हम सब कुछ न कुछ माँ बाप के जैसे होते है | जैसे माँ बाप में से कोई किसी कार्य में जानकर है तो उनका पुत्र या पुत्री को वह कार्य सिखने में आसानी होती है, और उसे लगता है जैसे उसे पहले से उस कार्य को करने का अभ्यास हो | पीडी दर पीडी जो बिकाश हम देख रहे है वो क्या है ? उन्नत हो रहा है कौन अपने सिखने की क्षमता को बड़ा रहा है तो काया डीएनए में अभी तक बहुत कुछ रहस्य छुपा है ????
पसंद करेंपसंद करें
सैद्धांतिक रूप से DNA से प्रतिकृति बनाना संभव है लेकिन अभी हमारे पास तकनीक नहीं है। शायद भविष्य मे हो। DNA मे अभी भी कई रहस्य छुपे है।DNA मे आनुवाशिक स्मृति होती है जैसे नवजात शिशु दुग्ध पीना जानता है। लेकिन जो ज्ञान हम सीखते है जैसे पढ़ना लिखना या पेशेगत ज्ञान जैसी स्मृति DNA मे नहीं होती है, यह स्मृति मस्तिष्क मे होती है, इसे मृत्यु के पश्चात पुनर्जिवीत करना कठीन है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
समय का खोज किसने किया?
पसंद करेंपसंद करें
किसी एक व्यक्ति ने नहीं , इसे कई सभ्यताये सहस्त्र वर्षों से जानती है।
पसंद करेंपसंद करें
sir, dono parsno ke jvab digie ?
पसंद करेंपसंद करें
sir,kya hum parthvi ke purane vatavarn ke bare me jan sakte h yadi ha to kase?
पसंद करेंपसंद करें
कुछ बातें लिखीत इतिहास से जानते है। कुछ बातें ऐतिहासिक अवशेष से जैसे इमारतों के अवशेष जैसे पिरामीड, मक़बरे, भीत्ती चित्र , मृत अवशेष जैसे ममी, हड्डियों से जानते है।
बहुत सी बातें धरती की परतों मे छुपी होती है, हर परत एक विशेष काल का प्रतिनिधित्व करती है, उसमें उस काल के अवशेष होते है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
sir ap se ek saval since me bachapan ki pustako me kahi padha tha ki bartano par niche tambe ki kalaee ki jati he kya vo indhan ki bachat ke liye hoti he or hum bartan kis dhatu or kis tarah ke use kare ki kam indhan me jyada khana bane
पसंद करेंपसंद करें
ताम्बा अन्य धातुओ की तुलना में ऊष्मा का वहां बेहतर रूप से करता है। लेकिन अन्य धातुओ की ऊष्मा वहां क्षमता भी ताँबे से बहुत ज्यादा कम नहीं है। अन्य धातुओ के प्रयोग से अधिक अंतर नहीं आएगा।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
गुरूजी,
पूर्णत रिक्त स्थान ब्रह्मांड की सीमा से परे है l तो ब्रह्माण्ड में ऐसा कोई स्थान नहीं जहां कुछ भी ना हो। क्य़ा वैज्ञानिक प्रय़ोगशाला में पूर्णतः निर्वात उत्पन्न कर सकते हैं ?
पसंद करेंपसंद करें
वैज्ञानिक पुर्ण निर्वात का निर्माण नहीं कर पाये है लेकिन प्रयोग के लिये लगभग पुर्ण निर्वात ज़रूर बना पाये हैं।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
thanks.. sir, kya hum givasum se prapt DNA KE DVARA PHIR SE EK NEW JIV PRAPT KAR SHKTE H?
पसंद करेंपसंद करें
sir……. please kya me aap se physics ke alava kuch puch sakata hu?
पसंद करेंपसंद करें
हाँ लेकिन विज्ञान के दायरे मे।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
mass keval padarth ki property hai urja ki nahi jabki padarth aur urja ek hi cheej hai
sir isko explain kare please
पसंद करेंपसंद करें
द्रव्यमान ही ऊर्जा है, वह स्थिर ऊर्जा है। जबकि अन्य ऊर्जा के रूप जैसे ताप, प्रकाश गतिमान ऊर्जा के रूप है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
garm tea cold tea ki apeksha testy lagti hai??????
पसंद करेंपसंद करें
यह हर व्यक्ति के अपनी पसंद पर निर्भर है, स्वाद हर किसी के लिये लिये अलग होता है, उदाहरण के लिये मुझे ठंडी चाय पसंद है!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Apke jabab ke liye dhanyavad sir ji,
Lekin mere sawal ka abhipray yah tha ki agar mai ye janna chahoon ki “ek gram Gold” se kitani Energy prapt ho sakati hai, ya “ek gram Gold” ko banana me kitani energy ka istemaal hua hoga. ye Is Formulae (E=MC^2) se kaise pata kiya ja sakata hai.
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
guru ji
मेरा सवाल है की कोई ऐसे चीज है जिसकी ना कभी शुरुवात हुई और ना ही कभी अंत होगा ?
पसंद करेंपसंद करें
sir mera question ka answer dena plz
पसंद करेंपसंद करें
guru ji
यदि ऐसी कोई भी चीज, पार्टिकल या वस्तु नही है जिसकी कोई शुरूवात नही हुई और ना ही अंत होगा ? तो फिर ब्रह्माण्ड की शुरूवात कैसे हुई ?
पसंद करेंLiked by 2 लोग
एक अनुमान है कि एक अंतहीन चक्र मे ब्रह्मांड बनता और नष्ट होते रहता है।
पसंद करेंLiked by 2 लोग
Universe
पसंद करेंपसंद करें
Guru ji,
आइंस्टाइन के साधारण सापेक्षतावाद के अनुसार ब्रह्मांडीय स्थिरांक निर्वात के घनत्व तथा दबाव से जुड़ा है। दूसरे शब्दो मे श्याम ऊर्जा , निर्वात की ऊर्जा है। इस व्याख्या के अनुसार श्याम ऊर्जा अंतरिक्ष(निर्वात) का गुणधर्म है।
to kya koi sthaan puri tarah se khali nahi ho sakta? kyon ki, space ki koi seema nahi hai, aur big bang se ab tak universe jitna fail chuka hai, usake aage nirvaat hoga ,to syam urjaa bhi hoga. yadi esa hota hai to kya syam urjaa anant hai? to iska pai chart kaise sambhav hai?
पसंद करेंपसंद करें
पूर्णत रिक्त स्थान ब्रह्मांड की सीमा से परे है, वहाँ समय का भी अस्तित्व नहीं है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
सर करता सूर्य के केन्द्र में ,हाइड्रोजन , हीलियम जैसे है करता सर वैसे प्लाज्मा नामक कोई चीज है
पसंद करेंपसंद करें
प्लाज्मा पदार्थ की एक अवस्था है। जिस तरह गैस, द्रव औऱ ठोस अवस्था होती है उस तरह प्लाज्मा भी होती है। इस अवस्था मे पदार्थ के परमाणु के नाभिक और इलेक्ट्रान अलग हो जाते है।
पसंद करेंपसंद करें
Sir ji, Teen Din Ho Gaye, abhee tak mere comment ka aprooval bhee nahi hua, agar jabab nahi dena hai to mana kariye, ye lataka kar rakhane ka kya majara hai, nischit roop se mujhe aisi ummeed nahi thee.
पसंद करेंपसंद करें
सविनय,
थोड़ा इंतज़ार किया करो, मै अपनी नौकरी से बचे समय पर इस ब्लाग पर ध्यान देता हुँ।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
sir apne ek sawal ka galat jawab diya hai
ki garm chai thandi chai ke bajay jyada tasty kyu lagti hai
sahi jawab is tarah hai ki garm chai ka surface tension kam hota hai aur thandi chai ka surface tension jyada hota hai isliye garm chai acchi tarah se jeeb(toung) ke swad grantiyo pe fel jati hai
पसंद करेंपसंद करें
Sir Ji,
ek aur sawal hai jo ki lagbhag apke ek jabab ko dekh kar hi utpann ho gaya hai, kripaya mai sawal aur jabab dono hi niche copy / past kar raha hoon, kripaya isaka pahale avlokan kar len.
manorath
मार्च 24, 2013 को 6:37 अपराह्न पर
सर हम जानते हैँ कि आँक्सीजन दहन का पोषण करती हैँ और हाइड्रोजन 1 ज्वलनशील गैस हैँ तब जल जिसमेँ ये दोँनो गैस रहती हैँ मेँ आग क्योँ नहीँ लगती है?
आशीष श्रीवास्तव
मार्च 25, 2013 को 9:27 अपराह्न पर
क्योंकि हाइड्रोजन ही आक्सीजन में जलकर जल बनाता है। जल और कुछ नहीं बस जली हुयी हाइड्रोजन है।
To sir ji,
ab mera sawal ye hai ki agar “जल और कुछ नहीं बस जली हुयी हाइड्रोजन है।” to jab ham “Jal” ko garm karate hain, to yaha “Vasp” ban jati hai, matalab ki “ek ya ek se adhik Gas me convert ho jati hai” to ye kin gason me convert hoti hai, agar apka jabab “Hydrozen & Oxygen” hai to phir ye thandi hone par phir se “Jal” me kyon convert ho jati hai, jabki apka kahana hai ki “जल और कुछ नहीं बस जली हुयी हाइड्रोजन है।” jabki hum jante hain ki kisi bhee cheej ko jalane ke liye “ushma” ki jaroorat hoti hai, jo ki “Vasp” ko thandi hone ke prakriya me nahin mil pati, aur agar “Vasp” in dono gason ke alawa koi aur gas ya gason ka samooh hai to kripaya unaka naam aur prakriti batane ka kast kareyen, aur ye bhee batayen ki is puri prakriya ko ye kaise anjaam dete hain.
Dhanyavad,
Apka ek utsuk Pathak.
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
जल भाप के अणुओं मे आक्सीजन और हाइड्रोजन अलग नहीं होते है, वे जुडे होते है, जिससे ठंडा होने पर वापस जल बन जाते हैं। बर्फ से जल़ , जल से भाप बनना , भाप से जल, जल से बर्फ बनना भौतिक परिवर्तन है, इसमे अणु बनाने वाले आक्सीजन और हायड्रोजन के परमाणु अलग नही होते हैं।
हाइड्रोजन का जलकर आक्सीजन से मिलकर पानी बनना रासायनिक परिवर्तन है, ये ज़्यादा स्थायी होता है, आसानी से टूटता नहीं है, इसे तोड़ने विशेष प्रक्रिया चाहिये ।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Sir Ji,
Ek Sawal aur hai, Jo jyada muskil nahi hai,
Sir ji ek formula hai :-
E = MC^2
Jahan “E = Energy” , “M = Mass” & “C = Speed of Light”
Sir ji, Isme mera sawal ye hai ki in sabhee ki unit kya hogi, metalb ki “Mass” ki unit ka matlab kya hoga “Gram”, “Miligram” ya “Kilogram” Isi tarah se “Energy & Speed of Light” ka bhee unit kya hoga, Kripya kisi udaharan se samajhayen.
पसंद करेंपसंद करें
द्रव्यमान को भी ऊर्जा की ईकाइ मे मापा जा सकता है क्योंकि ऊर्जा और द्रव्यमान एक ही है बस स्वरूप अलग है। C एक स्थिरांक है जिसका मान प्रकाश गति के तुल्य है, इसकी इकाइ नहीं है।
यहाँ पर ऊर्जा और द्रव्यमान दोनो की इकाइ eV इलेक्ट्रान वोल्ट है। ध्यान दो कि इलेक्ट्रान प्रोटीन का द्रव्यमान eV मे मापा जाता है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Sir, ek bar phir se Namaskaar,
Sir ji ek shikayat hai ki maine ek sawal poocha tha, kuch din pahale, aur usake jabab me apane kaha tha ki usaka jabab apke agle lekh me milega, khair ye koi badi baat nahin hai, lekin shayad aap jante hi honge ki ek jigyaasoo man apne sawalo ke jabab pane ko kafi adheer hota hai, aur jyada intijaar karana sambhav nahi ho pata, so, kripaya apne lekh kuch jaldi likhane ka kast kareyen. Dhanyavad Sir Ji.
पसंद करेंपसंद करें
सविनय, मै अपने काम से बचे समय मे इस ब्लाग पर ध्यान देता हुँ इसलिये थोड़ी देर हो जाती है।
पसंद करेंपसंद करें
Sir ham kaise jan sakate hain ki ladaka hoga ki ladaki?
पसंद करेंपसंद करें
भारत मे लिंग जांच गैर कानूनी है।
गर्भावस्था के दौरान सोनोग्राफ़ी मे लिंग पता चल जाता है। चिकित्सक बता सकते है लेकिन कानूनन अपराध होने से लिंग बतायेंगे नही।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
सूर्य की किरणो को पृथ्वी तक आने मेँ कितना समय लगता है ??
पसंद करेंपसंद करें
लगभग ८मिनट
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
School ke bachcho ko samjhane ke liye animation , video , audio and photo study material kon si website me mil sakti hai plz bataiye
पसंद करेंपसंद करें
atom ka kaisa nature hai
पसंद करेंपसंद करें
तारिक , क्वांटम भौतिकी के लेखों मे आपके प्रश्न का उत्तर है।
पसंद करेंपसंद करें
sir ji ye schrodinger equation kya hai
sirf iska uddeshy bataie
पसंद करेंपसंद करें
गुरू जी नमस्कार
मेरा प्रश्न यह है कि क्या ब्लेक होल मेँ समय स्थिर रहता है।यदि हाँ तो क्योँ?
पसंद करेंपसंद करें
सापेक्षतावाद के लेखों मे इसका उत्तर आयेगा, थोड़ा इंतज़ार किजीये।
पसंद करेंपसंद करें
Nehi Black hole me समय isther nehi rhtaa . Because. hm black hole me jatee he to Black hole me samay ruk jaytaa he or hm futher me phuch jayta he .time ruk jayta he or hamaree speed tej ho jaytee he . That’s it
पसंद करेंपसंद करें
BLACK HOLE KE PASS TIME KI GATI SHLOW HOTI.
पसंद करेंपसंद करें
आशीष,
ये कहा जाता है कि अगर कोई व्यकि किसी यान में बैठ कर प्रकाश के बराबर वेग से गति करे तो उसके लिए समय, पृथ्वी पर मौजूद व्यक्ति को महसूस होने वाले समय से कम होगा.
मेरा सवाल है ‘प्रकाश के बराबर वेग’ से क्या तात्पर्य है?
मान लीजिये मैं अपने यान के साथ एक ऐसे स्थान पर स्थित हूँ जहां मेरे आस पास और कोई भी पिंड-ग्रह-नक्षत्र नहीं है.
इस जगह पर मैं अगर स्थिर हूँ या गतिशील हूँ इन दोनों स्थितियों में फर्क कैसे किया जा सकता है.
मेरा वेग चाहे कितना ही अधिक हो उसका कोई अस्तित्व कैसे होगा जब मेरे आस पास कोई ऐसा पिंड है ही नही जिसके सापेक्ष मैं अपने वेग का आंकलन कर सकूँ?
पसंद करेंLiked by 2 लोग
उत्तर लंबा है,सापेक्षतावाद पर जो लेखमाला आ रही है, उस मे आपको उत्तर मिल जायेगा!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
श्री मान जी
एक प्रश्न मेरे मष्तिष्क में भी हलचल पैदा करता है कि …..
रेडियो उत्सर्जन में ये जानकारी कैसे की जा सकती है की किस समय कौन सा कण उत्सर्जित होगा … अल्फ़ा ,बीटा ,…. आदि
कृपया मेरे जिज्ञासा शांत करने का कष्ट करें /
पसंद करेंपसंद करें
विजय जी, किस समय कौनसा कण उत्सर्जन होगा नहीं बताया सकता! अनिश्चितता का सिद्धांत Theory of uncertainty !
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Science ki history jaanane ke liye market mein kaun si book available hai kripya naam aur kitne ki padegi, batayen.
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
दुर्भाग्य से हिन्दी मे इस विषय पर अच्छी पुस्तक नही है। आप पुस्तक A short history of nearly everything लेखक Bill Bryson पढ़ सकते है, सरल अंग्रेज़ी मे है।
होमशाप पर ५००₹ की मिल जायेगी।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
आपका बहुत बहुत धन्यवाद ……….
पसंद करेंपसंद करें
sir ji meri samajh me ye nahi ata ki jab prakash sadao aik hi gati se chalta hai to schoolo me ye kyo bataya jat hai ki prakash ki alag alag madhyyam me alag alag gati hoti hai ap ye bataie ki prakash ki pratyek madhyyam me gati aik si kyu hoti hai
पसंद करेंपसंद करें
suryoday se pahle avam suryasta ke baad surya laal kyun dikhaye deta hai……………….???????????????????
पसंद करेंपसंद करें
सूर्य प्रकाश मे सभी रंगो का समावेश होता है। सूर्यास्त और सूर्योदय के समय सूर्य किरण एक कोण से पृथ्वी के वातावरण मे प्रवेश करती है, जिससे उन्हे ज्यादा दूरी तय करनी होती है। ज्यादा दूरी तय करने पर लाल रंग के अतिरिक्त अन्य रंगों की किरणे वातावरण के कणो से टकरा कर बिखर जाती है। ध्यान रहे कि लाल रंग कि किरणो की आवृत्ती सबसे कम होती है जिससे उनके बिखरने की संभावना अन्य रंगों से कम होती है। सूर्यास्त और सूर्योदय के समय हमारी आंखो तक केवल लाल रंग की किरण पहुँच पाती है जिससे सूर्य लाल रंग का दिखायी देता है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
guru ji, padarth sthaan gherta hai, sthaan ke abhaav me padarth ka astitva sambhav nahi. yah sthaan ya jagah aaya kahan se?
पसंद करेंपसंद करें
विपुल, सापेक्षतावाद पर जो लेख आ रहे है, उनमें तुम्हारे प्रश्न का उत्तर मिल जायेगा!
पसंद करेंपसंद करें
sir aapki current knowledge k liye thnx….sir BCA and MCA course ke kaun kaun se scope h
पसंद करेंपसंद करें
very good comment
पसंद करेंपसंद करें
आशीष,
ये कहा जाता है कि अगर कोई व्यकि किसी यान में बैठ कर प्रकाश के बराबर वेग से गति करे तो उसके लिए समय, पृथ्वी पर मौजूद व्यक्ति को महसूस होने वाले समय से कम होगा.
मेरा सवाल है ‘प्रकाश के बराबर वेग’ से क्या तात्पर्य है?
मान लीजिये मैं अपने यान के साथ एक ऐसे स्थान पर स्थित हूँ जहां मेरे आस पास और कोई भी पिंड-ग्रह-नक्षत्र नहीं है.
इस जगह पर मैं अगर स्थिर हूँ या गतिशील हूँ इन दोनों स्थितियों में फर्क कैसे किया जा सकता है.
मेरा वेग चाहे कितना ही अधिक हो उसका कोई अस्तित्व कैसे होगा जब मेरे आस पास कोई ऐसा पिंड है ही नही जिसके सापेक्ष मई मैं अपने वेग का आंकलन कर सकूँ?
पसंद करेंपसंद करें
Sir ji kya aap mere prashn ka uttar denge mujhe thik se nind bhi nahi aa pa rahi hai.
special relativity or general relativity ki paribhasa or niyam kya hai?
Ye mera priy visay hai…
पसंद करेंपसंद करें
आदरणीय सर ! क्या भविष्य मेँ कभी न खत्म होने वाली ऊर्जा स्रोत की खोज की जा सकती है?
पसंद करेंपसंद करें
नही, कभी खत्म ना होने वाली ऊर्जा उष्मा गतिकी के दूसरे नियम(Second Law of Thermodynamics) के विरूद्ध है|
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
aapne likha केवल ऋण तथा धन संख्या का योग शून्य होता है, भौतिक वस्तुओं का नहीं । mera sawal hai ki prakiti me negative bhautik vastu ki kya concept h!! means negative bhautik vastu kya h???
पसंद करेंपसंद करें
https://vigyan.wordpress.com/2011/05/23/anti-matter/ पढ़ें।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
सर हम जानते हैँ कि आँक्सीजन दहन का पोषण करती हैँ और हाइड्रोजन 1 ज्वलनशील गैस हैँ तब जल जिसमेँ ये दोँनो गैस रहती हैँ मेँ आग क्योँ नहीँ लगती है?
पसंद करेंपसंद करें
क्योंकि हाइड्रोजन ही आक्सीजन में जलकर जल बनाता है। जल और कुछ नहीं बस जली हुयी हाइड्रोजन है।
पसंद करेंपसंद करें
Sir ji kya ap mere prashn ka uttar denge…
sadharan sapesh or vishesh sapesh ki paribhasa hindi me denge mujhe english thik se nahi ati hai.
पसंद करेंपसंद करें
Electron ki chaaker lgane ki speed kya hoti hai
पसंद करेंपसंद करें
7.6 x 10^6 m/s
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
सरजीमुझे लगताहै कbigbeng कासीदांतगतहै । तारोके दूरफेलने काकारणये नहीकुछऔरहै । मुझे लगताहे कहमारापूरामांड एकबहतबड़ीगेलेसीहै । औरइसमांडकसारीगेलेसीउसीबड़ीगेलेसीम है ।ओरमांडके केम ि◌वशालपावरहै जोइसे िगतमान बनातीह
पसंद करेंपसंद करें
बिग बैंग के समर्थन में ढेर सारे प्रमाण है!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
महोदय में आइंस्टीन के नियम सापेक्षिकता का सिद्धान्त के बारे में विस्तार से जानना चाहता हु उदाहरण सहित तो बड़ी किपा होगी
पसंद करेंपसंद करें
नदीम,
सापेक्षतवद पर लेख श्रंखला प्रारंभ कर दी है, उत्तर मिल जायेंगे
पसंद करेंपसंद करें
Sir ji kya ap sadharan sapesh or vishesh sapesh ki paribhasa bata denge.
plz.plz.plz.
पसंद करेंपसंद करें
Ashish sir apne bataaya nahi ki sadharan sapesh or vishesh sapesh ki kya paribhas( deffinatio ) hai.
or ye neutrinos kya hai.
पसंद करेंपसंद करें
सापेक्षतवद पर लेख श्रंखला प्रारंभ कर दी है, उत्तर मिल जायेंगे
पसंद करेंपसंद करें
dimag me jo hum sochte hai wo kya hota hai. I mean wo konsi cheez hai jo hume sochne me sahayak hai.
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
अभी विज्ञान के पास इसका उत्तर नहीं है, वह भविष्य के गर्भ मे है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
nahi-nahi iska pata lagaya ja chuka mind me neurons paye jate jo ki ati- kam tivrta wali vidhut se karyart ote hai jisse hm soch pate hai
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
गुरूजी मैँ लेन्ज नियम के बारे मे पूर्ण जानकारी चाहता हू
पसंद करेंपसंद करें
सेल मेँ धारा क्यो कैथोड से एनोड की ओर होती है
पसंद करेंपसंद करें
विद्युत धारा अर्थात इलेक्ट्रानो का बहाव, इलेक्ट्रान ऋणावेशित होते है और वे धनावेशित एनोड की ओर प्रवाहित होंगे.
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
prathi par haam kaha rahte hai yadi haam prathvi ke upar rahate hai to prathvi ke cchor par jane ke baad niche nahi gir jayege
पसंद करेंपसंद करें
पृथ्वी गेंद के जैसे गोलाकार है, गोल वस्तु का छोर नही होता है इसलिये गीरेने की कोई संभावना नही है
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
PRATHAVI KA AAKAR GOL H JISKE KARN UASKA KOI CHOR NAHI H OR PRATHVI KA GRUTVA KARSHN BAL HAME NEECHE NAHI GIRNE DETA
पसंद करेंपसंद करें
क्या केवल सूर्य प्रकाश मेँ हि सात रंग होते हैँ?
पसंद करेंपसंद करें
sir ek sabse alag que. karna chahata hu. earth gol hai aur hum us par rahte hai. agar hum kisi tarah earth ke centre me chale jayen to us jagah par gravity 0 ho jayegi. kya hum fir wahan se wapas aa sakte hai ya nahi.
पसंद करेंपसंद करें
rasayanik samikaran santulit karna example sahit vistar se sajhao ?
पसंद करेंपसंद करें
अनिल, रसायन शास्त्र मेरा पसंदीदा विषय तो नही है लेकिन प्रयास करुंगा इसपर लिखने के लिये।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
गुरु जी,
Touchscreen कैसे काम करती है?
Capacitive Touch मे ऐसा क्या होता है , जिससे वो सिर्फ त्वचा के श्पर्श पर ही कार्य करता है?
इसकी सनरचना कैसी होती है?
पसंद करेंपसंद करें
Adhar bhut brahmaand ji mere hisab se sir ji sahi kah rhe h becouse jab hum kahte hai ki pindo ki gati dhiri ho rahi hai to isse ye tatperya ye nhi hai ki humare purwajo ne( adimanaw ne ) koi yantra se dekh ker anuman laga ker apne wanshajo ko bta diye ye to 1 audharna hai jise hum kewal earth ke time se matpte hai.
wese kai ese bhaotiki niyam hai jise hum kewal kalpana tak hi dekh sakte hai wastwik nahi.
or usi me se 1 maha visfot hai.
पसंद करेंपसंद करें
दोस्त, आपकी इस बात से शायद सर भी सहमत नहीं होंगे। आप जिसे अवधारणा कह रहे हैं। यदि सिर्फ यह अवधारणा होती। तो मैं इस विषय पर अपना समय बर्बाद नहीं करता। हमारे द्वारा सही-गलत तय करने से कुछ भी निर्धारित नहीं हो जाता। और जब कहा जाता है कि महा-विस्फोट के कुछ समय उपरांत ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति वर्तमान में ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति से कहीं बहुत अधिक थी। तो यह बिंदु गलत नहीं है। इसका भौतिकीय अर्थ निकलता है। इसे गहराई से समझने पर आपको समय के रूपों को समझने का मौका मिलेगा। मैं अभी भी इस बात पर अडिग हूँ, कि गति समय की प्रमुख शर्त है। न की गति, समय का एक रूप है। मैं समझ रहा हूँ कि आप किस ओर संकेत कर रहे हैं। आपने शायद सैद्धांतिक विज्ञान को अभी तक समझा नहीं है।
पसंद करेंपसंद करें
Brother mera matlab galat mat samjhna mujhe sir ki baat samjh me ai kyoki unhone bahut hi a6e tarike se samjhaya par apki baat meri samjh me nahi so maine apna vichar spasht kiya mai science ke baare me zyada nahi janta hu.
so wahi janne ke liye is blog par ata hu.
agar ap apna vichar sahi tarike samjhaenge to mahrbani hogi.
पसंद करेंपसंद करें
सर, आप गति के द्वारा ब्रह्माण्ड की उम्र और विशेष तत्वों की निर्धारित आयु को किस तरह से परिभाषित करेंगे ?? जैसा कि पूर्व में आपने समय की इकाइयाँ घंटे और वर्ष को गति द्वारा परिभाषित किया था।
तारिक जी, अभी हम केवल यही कहना चाहेंगे कि गति, समय की प्रमुख शर्त है। न की समय का दूसरा रूप..।
पसंद करेंपसंद करें
Adhar bhut brahmaand ji mere hisab se sir ji sahi kah rhe h becouse jab hum kahte hai ki pindo ki gati dhiri ho rahi hai to isse ye tatpeya nhi hai ki humare purwajo ne( adimanaw ne ) koi yantra se dekh ker anuman laga ker apne wanshajo ko bta diye ye to 1 audharna hai jise hum kewal earth ke time se matpte hai.
पसंद करेंपसंद करें
Ashish sir ji apne mere prashn ka uttar nahi diya sadharan sapesh or vishesh sapesh ki paribhasa btaenge hume…..
aj tak sirf main uske rules hi sunta aya hu kya uska deffenetion bta denge mere science teacher bhi sapesh ke bare me nahi jante hai.
agar ap meri help kar denge to apki ati kripa hogi……
पसंद करेंपसंद करें
रोहन, आपका प्रश्न अच्छा है लेकिन उत्तर काफी बड़ा होगा। थोड़ा इंतजार किजिये, मै इस पर एक लेख लेकर आता हूं!
पसंद करेंपसंद करें
आपका सोचना स्वाभाविक है, कि बाह्य बल की अनुपस्थिति में गति में त्वरण अथवा दिशा में परिवर्तन होना संभव ही नहीं है। गति अथवा उसकी दिशा में परिवर्तन, आरोपित बाह्य बल की उपस्थिति में होता है। इस तरह बाह्य बल गति के प्रथम नियम की प्रमुख शर्त है। समझने हेतू एक कल्पना है। माना, प्रत्येक पिंड, निकाय और निर्देशित तंत्र बाह्य बल की अनुपस्थिति में अस्तित्व रखते हों। तब किसी भी पिंड, निकाय अथवा निर्देशित तंत्र में परिवर्तन होने का सवाल ही नहीं उठता होगा। और इस तरह से किसी पिंड या निकाय का सम्बन्ध गलती से भी किसी अन्य दूसरे पिंड या निकाय से नहीं हो सकता। क्योंकि हमारे द्वारा यह निर्धारित ही नहीं हो पाएगा कि आखिर पिंड गतिशील है अथवा स्थिर-अवस्था में है। वास्तव में परिवर्तन की माप को ही भौतिकता कहा जाता है। इसके कारण ही किसी भौतिकीय संरचना में भौतिकता के गुण देखने को मिलते हैं। इसके लिए जरुरी है कम से कम एक बाह्य बल की उपस्थिति…
अधिकतर लोगों के द्वारा समझ लिया जाता है कि अत्यधिक ताप और दाब (अतिसूक्ष्म पिंड होने की दूसरी शर्त का कारक) के कारण महा-विस्फोट हुआ था। जबकि ताप और दाब महा-विस्फोट के बाद की प्रक्रिया का प्रमुख घटक था। इसी तरह महा-प्रसार में भी ताप और दाब कम होते- होते स्थिर हो जाएगा।
पसंद करेंपसंद करें
sir ji kya ap sadharan shapeksh or vishesh shapeksh ki paribhasa hume btaenge.
पसंद करेंपसंद करें
adhar bhut brahmaand ji maine 1 jagah padha hai ki maha visfot ki ghatna ke bad se ab tak pindo ki gati dhiri hoti ja rahi hai.
kalpna kijie agar pindo ki gati dhiri hoti ja rhi hai to shayad koi bal is per kary ker raha hoga.
becouse newton ke gati vishayak pratham niyam ke anusar use apni gati parivartit nhi kerni chahie kyo ki usr per koi bahe bal aropit nhi hota hai.
maine apna prashan isi adhar per pu6 tha.
aur sir ji apne jo kaha hai ki brahmaand ka vistar hone ke bad thanda hokr vistar hota jaega ya thanda hoker sthir ho jaega..
पसंद करेंपसंद करें
व्यवहार मेँ हम कहते हैँ कि तार मेँ शार्ट शर्किट हो गया है
to kya iske karan taar andar se toot jaata hai ya phir kuch aur hota hoga?
iske baare main bataiye.
ek aur sawal
kya photon ka mass hota hai?
पसंद करेंपसंद करें
Sir ji. mai ye pu6na chahta hu ki agar big bang ke bad agar sankuchan hoga to padarth prati padarth se jab takraenge to usme se jo urja paida hogi uska kya hoga kya jab dobara universe banega to usme kam aegi agar ha to humare universe ke banne ke purv bhi samay ka astitv hoga..
पसंद करेंपसंद करें
तारिक,
तुम्हारा प्रश्न बहुत अच्छा है। जब बिग बैंग से ब्रह्माण्ड बना था तब किसी अज्ञात कारण से पदार्थ की मात्रा प्रति-पदार्थ से ज्यादा थी। इस कारण पदार्थ और प्रति-पदार्थ के टकारने के बाद ऊर्जा बनी लेकिन कुछ पदार्थ बच गया। इसी शेष पदार्थ से वर्तमान ब्रह्माण्ड बना है। इस की खोज अब्दुस सलाम ने की थी और उन्हे नोबेल मीला था।
वर्तमान की जानकारी के अनुसार ब्रह्माण्ड का संकुचन नही मीलेगा, यह निरंतर विस्तार करते हुये ठंडा हो जायेगा। यह एक नयी खोज है, इसके पीछे श्याम ऊर्जा(डार्क एनर्जी) को माना जा रहा है। पिछले साल का नोबेल इसी खोज के लिये हुआ था।
समय का आस्तित्व ब्रह्माण्ड के आस्तित्व के साथ ही हुआ है, ब्रह्माण्ड के बिना समय का कोई अर्थ नही है। समय एक जटिल धारणा है। समय यह गति का एक दूसरा रूप है। जिसे हम एक दिन मानते है वह पृथ्वी का अपने अक्ष पर एक घूर्णन है। एक वर्ष पृथ्वी की सूर्य की परिक्रमा काल को कहते है। समय का आस्तित्व नही होता है, हम किसी गति को ही समय मानते है।
जब तुम घड़ी देखते हो तब एक मिनिट अर्थात कांटे का एक चक्कर लगाना है, यह गति है जिसे समय मान लीया जाता है। दूसरा उदाहरण जब तुम कहते हो कि दोपहर हो गयी या बारह बज गये, इसका अर्थ है कि सूर्य क्षितिज से गति करते हुये आकाश के मध्य आ गया है।
अर्थात समय के आस्तित्व के लिये गति आवश्यक है, गति ब्रह्माण्ड के रहने पर ही होगी। ब्रह्माण्ड के आस्तित्व के बिना समय होगा ही नही।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
मैं सर की बात को आंगे बढ़ाना चाहूँगा कि ब्रह्माण्ड के संकुचन को प्रमाणित ही नहीं किया जा सकता। क्योंकि प्रयोगों में सिद्धांत की अहम् भूमिका होती है। आपके लिए एक कल्पना प्रस्तुत है। यदि ब्रह्माण्ड के सभी अवयवों, पिंडों और निकायों में स्वतः संकुचन होने लगे। तो आप क्या कहना उचित समझेंगे ?? कि ब्रह्माण्ड का संकुचन हो रहा है ?? अथवा ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है ??
वास्तव में होता ये है कि स्वतंत्र संकुचन के कारण सापेक्षीय दुरी में वृद्धि होती है। फलस्वरूप आप को कहना ही होगा कि ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है। न कि ब्रह्माण्ड का संकुचन हो रहा है।
पसंद करेंपसंद करें
सर, समय केवल एक अवधारणा नहीं है। जो ब्रह्माण्ड के अस्तित्व के साथ ही अस्तित्व में आई। समय केवल एक अवधारणा तब होती। जब कुछ नहीं से कुछ होने की बात सामने आती। वर्तमान में जानकारी के अनुसार अतिसूक्ष्म पिंड में अचानक विस्फोट के कारण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति हुई है। तात्पर्य किसी न किसी भौतिकीय संरचना का अस्तित्व था।
इतना सब कहने का उद्देश्य सिर्फ इतना सा था कि समय, केवल गति का दूसरा रूप नहीं है। जबकि गति, समय की प्रमुख शर्त है। आपने जो उदाहरण प्रस्तुत किये हैं। वह बिलकुल सटीक हैं। परन्तु जब हम कहते हैं कि महा-विस्फोट के बाद से अब तक ब्रह्माण्ड के विस्तार में धीरे-धीरे कमी आई है। तो क्या हम यहाँ समय को नहीं दर्शा रहें है ?? हम किस आधार पर कहते हैं कि महा-विस्फोट की घटना इतने वर्ष पूर्व हुई थी ?? दरअसल हमारा संकेत उम्र(समय का रूप) की और था। इन्ही सब बिन्दुओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि समय केवल एक अवधारणा नहीं है। बल्कि गति, समय की प्रमुख शर्त है।
पसंद करेंपसंद करें
guru ji
मेरा सवाल है की कोई ऐसे चीज है जिसकी ना कभी शुरुवात हुई और ना ही कभी अंत होगा ?
पसंद करेंपसंद करें
शायद कोई ऐसी कोई चीज़ नहीं है!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
SIR JI,
HAM JANTE HAI KI E=MC.C AGAR HA KISI VASTU KE MASS KO VIDHUT URJA ME BADAL DE AUR USE LIGHT KE TARO KE MADHYAM SE EK STHAN SE DUSRE STHAN PAR BHEJ DE AUR FIR WAPAS MASS ME BADAL DE . TO IS TARAH HAM MASS KO EK STHAN SE DUSRE STHAN PAR LE JA SAKTE HAI. KYA YE POSSIBLE HAI?
पसंद करेंपसंद करें
Kya ap hume ye bata denge ki big bang se purw jab samay ka astitwa nahi tha tab big bang me lagi vastu ko kisne akattrit kiya jab ki kisi vastu ko hilne ke liye samay or gati ki awashkta hoti hai jab ki stephen hawking ka manna hai ki ishwar hai hi nhi…..!
पसंद करेंपसंद करें
यह एक अनुत्तरित प्रश्न है, इसका उत्तर अभी मेरे पास नही है। वैसे मै भी ईश्वर के अस्तित्व को नही मानता!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
guru gee prithvee gol kyo hai
पसंद करेंपसंद करें
गुरुत्वाकर्षण से। वैसे पृथ्वी पूर्णतया गोल नही है, वह ध्रुवो पर चपटी है।
कोई भी विशाल पिंड अपने गुरुत्व से पूर्ण गोलाकार होने का प्रयास करता है, लेकिन घूर्णन से वह अपने विषुवत पर बड़ा और ध्रुवो पर चपटा हो जाता है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
sir ji, india mein first ufo kaha dekha gaya.
पसंद करेंपसंद करें
दीवाली में छोटे-छोटे बल्बों की झालरें घरों में सजाई जाती हैं. यह छोटे-छोटे बल्ब थोड़ी-थोड़ी देर में जलते-बुझते रहते हैं. कुछ झालरों में तो कोई छोटी सी मशीन लगी होती है, जिस कारन वो अलग-अलग प्रकार से लुप-झुप करते रहते हैं. पर कुछ में कोई मशीन नहीं होती, उसमें एक विशेष बल्ब लगा होता है जिसे यहाँ ‘मास्टर बल्ब’ कहते हैं. मात्र उस मास्टर बल्ब के कारन ही पूरी झालर अपने आप कुछ सेकंड जलती है, फिर बुझ जाती है फिर जलती है और फिर बुझ जाती है. उस मास्टर बल्ब की संरचना सभी बल्बों से अलग होती है. क्या आप बता सकते हैं कि यह मास्टर बल्ब पूरी झालर को जलाने – बुझाने का कार्य कैसे करता है?
पसंद करेंपसंद करें
Anmol ji, ye jo master balb hota hai, ye ek simple bulb ki tajah hi hota hai, but antar itna hai ki is main filament to jodne ke liye ek visesh prakar ki dhatoo ke wire ka prayog hota hai. ye dhatoo garam karne par failti hai(extend hoti hai). Samany tapman par ye wire filament to power supply karti hai, then it got hot as par ohms law and also from the heat from the filament, then it extend and the contact to the filament get disconnected and bulb shut down, now it start to cool and touch the filament wire again and the above process follow again. to make it clear, this master bulb connected in the series to the entire circuit so it can block(cut) the follow of current.
hope this helps.
पसंद करेंLiked by 2 लोग
Pletinum pratirodh taapmaapi main sanyojak taaro[taambe se bane] ke pratirodh ko nirast karne ke liye theek vaise hi taar[taambe se bane] lagaye jaate hain jinke nichle sire aapas main jude hote hain.
yeh kaise ho sakta samjhaiye.
पसंद करेंपसंद करें
कोटर[अशुद्ध अर्द्धचालक(p-type) मेँ पाये जाते हैँ] क्या है?
क्या आप मेरा प्रश्न समझ चुके हैँ यदि हाँ तो कोटर के बारे मेँ विस्तार पूर्वक समझाइये
पसंद करेंपसंद करें
bhains(janwar) kala hi kyo hota hai ?
पसंद करेंपसंद करें
अनिल,
त्वचा का रंग एक रासायनिक पदार्थ मेलेनीन से तय होता है। भैंस की त्वचा मे यह अधिकता मे पाया जाता है, जिससे उसका रंग काला होता है। वैसे कुछ अल्बिनो (रंग हीन या सफेद) भैंसे भी होती है जिनमे मेलेनीन की कमी होती है।
इसी तरह से ही मानवो का रंग भी होता है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
tatvo ke wargikarn ke itias ko vistar se samjhao
पसंद करेंपसंद करें
कोटर[hole] क्या है विस्तार पूर्वक समझाइये
पसंद करेंपसंद करें
हर्षित, मै कोटर का तात्पर्य नही समझा, यदि आप का आशय ब्लैक होल (Black Hole) या श्याम वीवर से है तो इस लेंखो को पंढे.
https://vigyan.wordpress.com/2011/06/27/black-hole/
https://vigyan.wordpress.com/2011/07/04/blackhole1/
https://vigyan.wordpress.com/2011/07/11/bithofblackhole/
पसंद करेंपसंद करें
Bhai hole kuch nahi hota hai bas ek electron ki kami hai.
Jaha per ek electron kam hota hai vaha per ek vacancy create ho jati hai usko he hole kahte hain aur jab electron vaha aa jata hai to vo hole khatam ho jata hai.
पसंद करेंपसंद करें
sir, ye photon kya hai?
kisi bhi cheez ki sthiti ko ham x,y,z se darshate hai. ye us vasu ki vartman sthiti ko pradarshit karte hai. to kya hame us ki sahi aur vastvik sthiti ko janane ke liye ek aur direction samay ya time ki jarurat padegi?
पसंद करेंपसंद करें
इस लेख श्रंखला को पढें और इसे भी
पसंद करेंपसंद करें
So wad ka balb kitne samy me ak unit bijli khata hai?
पसंद करेंपसंद करें
एक घंटे मे 0.1 ईकाई, इस और 10 घंटे मे एक युनिट!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Par A. C. ka toh ausat maan sunya hota hai.
Toh aap mujhe yeh bataiye ki dhaara ka maan ek cycle main negative aur postive ka matlab kya hai?yadi isse disha pata chalti hai toh iska matlab ek baar electron aage aur ek baar electron peeche jaata hai, yeh kaise sambhav hai? yadi hum maan le toh parinaami visthapan sunya hoga tab dhaara kaise bahegi[ aavesh pravah ki dar ko hi hum dhaara kahte hain]
पसंद करेंपसंद करें
nirvat se praksh vayu me aata hai to uske chal me kya parivartan hoga
पसंद करेंपसंद करें
निर्वात से वायुमंडल मे आने पर प्रकाश गति मे 90 किमी/सेकंड की कमी आ जायेगी।
पसंद करेंपसंद करें
धन्यवाद योगेन्द्र जी आपने बहुत बहुत बहुत अच्छा समझाया।
Lekin sawal yeh hai ki
प्रत्यावर्ती धारा का मान एक बार धनात्मक व एक बार NEGATIVE होता है।
तो इस वाक्य का मतलब(अर्थ) क्या है?
इसे किस प्रकार समझा जाये?
गणितीय रुप से देखा जाये तो [ VE -VE =0 ]
इसका मतलब धारा शून्य है।
पसंद करेंपसंद करें
प्रत्यावर्ति विद्युत धारा सदिश है, इसलीये इसकी गणना के लिये दिशा का भी ध्यान रखना होगा. इसलिये धन और ऋण मिलकर शून्य नही होंगे, दिशा के साथ जोडने पर मूल्य दोगुणा हो जायेगा.
दूसरी बात यह है कि कोई भी भौतिक राशी धन या ऋण नही होती, ये तो हमने अपनी सुविधा के लिये चिह्न दिये है. इलेक्ट्रान को धन मानने पर हमे प्रोटान को ऋण मानना होगा क्योंकि उसका आवेश इलेक्ट्रान से विपरीत है.
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
human kya hai kya ham only ek chemical sanrachana ya phir or kuchh………….
पसंद करेंपसंद करें
वर्तमान विज्ञान के अनुसार हम एक रासायनिक संरचना मात्र है!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
हिंदी में इस तरह के चिट्ठे को पाकर मैं प्रफुल्लित हो गया। बहुत-बहुत ध्यन्यवाद इसके लिए आपको।
क्या आपने सोचा है की अंग्रेजी की जो बहुत ही अच्छी विज्ञान पुस्तकें हैं आमा आदमी के लिए उन्हें हिंदी में भी उपलब्ध करवाया जाए जैसे:
The Fabric of Reality – David Deutch
The Beginning of Infinity – David Desutch
The Fabric of the Cosmos – Brian Greene
Hyperspace – Michio Kaku
The Mind of God – Paul Davies
सूची बहुत ही लम्बी है…
आपके आलेखों को पढ़कर लगता है की अगर आप प्रयास करें तो इन पुस्तकों का हिंदी अनुवाद सार्थक होगा। लेकिन सबसे बड़ी समस्या होगी इनके लिए प्रकाशक ढूँढ पाना!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
धन्यवाद जी, प्रयास करुंगा!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
क्या vigyan.wordpress.com जैसी मैथ्स की कोई साईट है
पसंद करेंपसंद करें
मेरी जानकारी मे हिन्दी मे तो कोई साईट नही है|
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Sir , waiting for d answer of my quistion.please answer and help me.
पसंद करेंपसंद करें
आपके अनुसार प्रत्यावर्ती धारा मे इलेक्ट्रानो के बहाव कि दिशा कर चक्र मे विपरीत हो जाती है।
परन्तु जङत्व के कारण ऐसा सम्भव नही है यदि हम मान भी ले तो इसका मतलब कि प्रत्यावर्ती धारा मेँ इलेक्ट्रानो का परिणामी विस्थापन शून्य होता है(क्योँक एक बार इलेक्ट्रान आगे और एक बार इलेक्ट्रान पीछे जाता है ) तो फिर धारा कैसे प्रवाहित होगी?
कृपया विस्तार से बताइये।
मैँ इस सवाल से बहुत परेशान हूँ।
पसंद करेंपसंद करें
इलेक्ट्रानो के प्रवाह और जड़त्व का कोई संबंध नही है। ध्यान दे कि इलेक्ट्रान एक ऋणावेशित कण है और वे हमारे धनात्मक विभव की ओर प्रवाहित होंगे, इस प्रवाह की गति भी अत्याधिक होती है। एक चक्र के पश्चात ये विभव विपरित हो जाते है और इलेक्ट्रान के प्रभाव की दिशा भी बदल जाती है। विद्युत धारा का प्रवाह एक दिशा मे कुछ समय के लिये, दूसरी दिशा मे कुछ समय के लिये होता है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
दो तीन साल पहले मैं अत्यधिक कन्फ्यूज्ड था इस विद्युत् के सारे लफड़े को लेकर । तब काफी खोजने पर मुझे ये लिंक मिला था । इस पोर्टल दिए गए सभी आर्टिकल पढ़ें (ध्यान दें, सिर्फ एक-आध पढने से आप फिर कन्फ्यूज़ होंगे, इसलिए सम्बंधित सभी आलेख पढ़ें) । उम्मीद है कुछ मदद मिले जिज्ञासा शांत करने में । इस पोर्टल पर काफी मेहनत की गयी है विद्युत् सम्बन्धी जिज्ञासाओं को समझाने की ।
http://amasci.com/miscon/whatis.html
असल में हमारी स्कूलों में भी, ज्यादातर अध्यापक इतने कुशल नहीं होते जो इतना गहराई में जाकर बता दें । ना ही आजकल के सिस्टम में इतना समय होता है कि हर छोटे से छोटे टॉपिक को प्रेक्टिकली और थियरीटिकली समझा सकें, एक सेशन में उनको कोर्स पूरा करना ही होता है । आजकल तो वैसे मार्क्स डिपेंडेंट पढाई होती है न कि समझाईश वाली पढाई, बस टॉपिक याद करने होते हैं ना कि समझने ।
अग्रवाल जी के प्रश्न के लिए मेरा तो यही उत्तर होगा, (जो मैंने इस पोर्टल से सीखा), कि असल में इलेक्ट्रौन के मूवमेंट को जिस तरह हम चलने के सदृश समझ रहे हैं । वैसा नहीं है । चालक पदार्थ के इलेक्ट्रान उस पदार्थ से बहार आकर ना तो निकल जाते हैं ना उसमें पीछे से कोई दुसरे इलेक्ट्रान घुसते जाते हैं । असल में इलेक्ट्रान चलते नहीं है या आप ये माने की इलेक्ट्रान कुछ आवेश या उर्जा जैसा है । ये शब्दों के थोड़ी घलमेंल भी है । समझाने वाले ने यही कहा है कि इलेक्ट्रिसिटी शब्द जैसा कुछ है ही नहीं, इसको कोई शब्द देना थोडा कठिन है, इसको समझना ही पड़ेगा ।
असल में यह स्रोत से दिया गया एक दबाव-उर्जा-बल-धक्का है (कृपया इन्हें तकनीकी शब्दों के तरह न लें, मेरा मतलब बस धक्के से है) । जो एक जगह से इलेक्ट्रान के जरिये स्थानांतरित होता है । जैसे ध्वनि तरंगें, या पानी में तरंगे एक जगह से दूसरी जगह पर पहुँचती हैं । तो वे पानी या हवा के कणों को एक स्थान से दुसरे स्थान पर ले नहीं जाती । बस उर्जा ही इनके कन्धों पर सवार होकर अलग-अलग रूपों में स्थानांतरित होती है ।
——–
अगर मैं गलत जानकारी दे रहा हूँ तो आशीष सर से निवेदन है कि वो मुझे सही करें ।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
(…. पिछले कमेन्ट से जारी समझे)
विद्युत् या इलेक्ट्रान के बहाव के लिए सबसे सरल उदहारण समन्दर की लहरें हैं ।
ज्वार के प्रभाव से समुद्र में एक लहर उठती है । आप उसे देख भी पाते हैं । चलता हुयी भी दिखती है । तट पर अगर आप खड़े हैं तो आपके पास टकराने पर आपको दबाव या टक्कर भी महसूस होगी । यह क्या था ? बस एक उर्जा का चलन, स्थानांतरण । ये आपको जो चलता हुआ दिखा वो पानी नहीं था, पानी के कण नहीं थे । अगर ऐसा होता तो सारा समंदर कुछ ही देर में अपनी जगह बदल कर पास की धरती पर आता ही जाता और समन्दर अपनी जगह निरंतर बदलता जाता । पर ऐसा नहीं होता है । पानी के कण को आप इलेक्ट्रान के जैसे समझ लें । कण वहीँ रहता है उर्जा चलती है । समंदर में ये उर्जा ग्रहों के आकर्षण से पैदा हुए ज्वार से आई । बस उर्जा परिवर्तित हो रही है । विद्युत् भी इसी तरह एक जगह से, जहाँ से हम समझ रहे हैं कि पैदा हो रही है, पानी के बाँध से । तो वो पैदा तो हो नहीं रही बस एक उर्जा या धक्का निरंतर पम्प किया जा रहा है तार रूपी पाईप के जरिये । यही उर्जा-धक्का हमारे तक पहुँचता है । जैसे ये कंप्यूटर तक पहुँच रहा है जो इस उर्जा को प्रयोग कर रहा है, यहाँ से भी कोई इलेक्ट्रान जैसा कण निकाल कर आगे हवा में नहीं कूदने वाला है बस वह उर्जा-धक्का ही एक रूप से दुसरें में परिवर्तित हुआ जा रहा है ।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
वाह! धन्यवाद योगेन्द्र जी!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
प्रश्न संख्या २] बल की परिभाषा क्या है ? latest or still that one we read in 8/9 वह व्यवस्था जिसके द्वारा कार्य किया जाता है या कुछ और परिवर्तन आये है इस परिभाषा में , ? और यदि में इसमें कुछ संशोधन करना चाहू तो क्या प्रोसेस है ? अधिकारिक परिभाषा कहा देखि जा सकती है ?
पसंद करेंपसंद करें
हम जानते हैँ कि
प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान शून्य होता है क्योँ कि इसका मान एक बार धनात्मक व एक बार NEGATIVE होता है जबकि हम जानते हैँ आवेश प्रवाह को ही हम धारा कहते हैँ तो क्या प्रत्यावर्ती धारा मेँ एक बार आवेश आगे और एक बार आवेश पीछे जाता है?
इसे किस प्रकार समझा जा सकता है क्रपया बताइये
पसंद करेंपसंद करें
विद्युत धारा का अर्थ होता है इलेक्ट्रानो का बहाव! इलेक्ट्रानो का बहाव ही विद्युत आवेश के बहाव के रूप मे होता है। आप सही है कि प्रत्यावर्ती धारा मे इलेक्ट्रानो के बहाव कि दिशा कर चक्र मे विपरीत हो जाती है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
भगवान है या नहिँ अगर हैँ तो कहाँ कब और कैसे मिलेगा:-|
पसंद करेंपसंद करें
विज्ञान भगवान के अस्तित्व को ना तो नकारता है ना ही स्वीकार करता है!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
आशीष सर,
ऊपर एक प्रश्न वेब सर्वर्स के बारे में पूछा गया था | उसी के बारे में एक बात पूछना चाहता हूँ | हम जानते हैं इन्टरनेट का कोई मालिक नहीं पर कुछ नियामक संस्थाएं हैं | इन्टरनेट सर्विस प्रदाता हमें इन्टरनेट से जोड़ने के पैसे लेता है |
पर एक देश में, जैसे भारत में सूचना के प्रवेश का क्या कोई स्थायी सर्वर (या अड्डा या गेटवे) भी होता है जहाँ से हर सूचना जो देश में आती है और देश के बहार जाती है, जहाँ से इसे गुजरना ही होता है, जहाँ से सरकार सूचनाओं पर निगरानी करती है ? या कोई भी अपने सर्वर को इन्टरनेट से जोड़कर मनमाने तरीके से सूचनाएं आदान-प्रदान (देश के बाहर भेजना और देश के अन्दर लाना) कर सकता है | मसलन विकिलीक्स के पेजेज़ एक बार खुलने बंद हो गए थे तो वे किसने बंद करवाए, कहाँ पर ये लिंक फ़िल्टर किये गए, कैसे किये गए | जैसे चीन और कुछ अन्य देश करते हैं | कुछ सामग्रियों को हटाने के लिए सरकारें वेब पोर्टल या कम्पनी को निर्देश देती रही हैं | पर मैं ये जानना चाहता हूँ क्या हर देश में प्रवेश करने के लिए कोई सरकार नियंत्रित सर्वर है जो बाद में देश के सारे अन्य सर्वर्स को जोड़ता है ? जहाँ से सरकार जबरन किसी सुचना को नियंत्रित कर सकती है जैसे विकिलीक्स के मामले में हो रहा था | क्या बीएसएनएल इस गेटवे का काम करता है ?
पसंद करेंपसंद करें
हर देश मे अपने इंटरनेट नियामक होते है, जो इंटरनेट पर नियंत्रण रखने की कोशिश करते है। किसी भी देश मे इंटरनेट सुविधा देने वाली कंपनी को इन नियामको द्वारा बनाये नियमो का पालन करना होता है लेकिन किसी भी देश मे इंटरनेट को नियंत्रित करने वाला एक सर्वर नही होता है। हर इंटरनेट सुविधा देने वाली कंपनी के अपने सर्वर होते है जो नियमो के अंतर्गत कार्य करने के लिये बाध्य होते है। नियामक उन्हे किसी साइट , यु आर एल या पेज को बंद करने कह सकते है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
जानकारी के लिए धन्यवाद सर ।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
nirvat me roket urta kese he kyoki vaha par to koi bal kary nahi karata he
पसंद करेंपसंद करें
बल निर्वात मे भी उसी तरह कार्य करते है जैसे वे पृथ्वी पर कार्य करते है!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
kya eisa koi yantr hai jo pani se hidrozan ko alag kar energy main convert kare;;;;//?
पसंद करेंपसंद करें
हां ऐसे यंत्र है लेकिन वे उतने सफल नही है। ऐसा इसलिये कि पानी से हायड्रोजन अलग करने मे लगने वाली ऊर्जा हायड्रोजन को जलाने से मिलने वाली ऊर्जा से ज्यादा है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
बल की दिशा क्या होती है?
पसंद करेंपसंद करें
यह बल उत्पन्न करने वाले कारक की दिशा पर निर्भर है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
anti-matter kis she bani hai
पसंद करेंपसंद करें
https://vigyan.wordpress.com/2011/05/23/anti-matter/
पसंद करेंपसंद करें
Mera saval vigyan kya he vistar se bataye
पसंद करेंपसंद करें
यह ब्लाग ही विज्ञान केंद्रित है, आप प्रश्न पूछीये हम उत्तर देने का प्रयास करेंगे!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
आशीष जी , नमस्कार , मैंने आप से पृथ्वी की स्पीड के बारे में सवाल पुछा था, आपने जवाब भी दिया था , मगर आज मुझे वह जवाब नहीं मिल रहा है कृपया मेरी मदद करें ,[ और यह भी बताएं की पुराने जवाब कैसे ढूंड सकतें है ] धन्यवाद ,
पसंद करेंपसंद करें
MUJHE COMPUTER KE BARE MAI JANNA HAI.
पसंद करेंपसंद करें
कंप्युटर के बारे मे आप क्या जानना चाहते है?
पसंद करेंपसंद करें
विभिन्न पिंड एक दूसरे से कैसे प्रतिक्रिया करते है ?
पसंद करेंपसंद करें
https://vigyan.wordpress.com/2011/04/04/elementaryforce/
पसंद करेंपसंद करें
sir ji kya samay ke saath saath earth sun ke paas ja rhi h matlab unke beech ki duri kam ho rhi h ydi ha to kya 1 year m days ki sankhya kam ho rhi ya jayada ho rhi hai
?
पसंद करेंपसंद करें
समय के साथ पृथ्वी सूर्य के समीप हो रही है लेकिन यह गति बहुत धीमी है। इसमे अरबो वर्ष लगेंगे!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
सर क्या समय के साथ 2 दिन छोटे होते जा रहे हैँ मेरा मतलब है कि लाखोँ साल पहले एक वर्ष 365 दिन से अधिक होता था ?
पसंद करेंपसंद करें
इसका उल्टा सत्य है, समय के साथ दिन बड़े होते जा रहे है!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
सर मै एक गाँव से निकला छात्र हूँ मेरे गाँव मे बहुत से लोगोँ के भूत प्रेत कि बीमारी है और मै इन सब को नही मानता हुँ न तो भगवान और न भूत को तो मुझे ये बताओ कि ये बिमारी कोनसी है और इसका क्या ईलाज है
पसंद करेंपसंद करें
इनमे से अधिकतर बीमारीयां मानसीक होती है। मनो-चिकित्सक इनका इलाज कर सकते है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
SIR JI MAI AAPKE SAMNE EK BAHUT GHATIYA SAWAL POOCH RHA HU ISS KE sorry pr kya sceince GHOST OR BHOOT JESE BAATO KO MANTI H KYA ???
पसंद करेंपसंद करें
विज्ञान भूत प्रेत को नही मानता। कोई भी प्रश्न घटीया नही होता है!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Kya aap muje chemistry ke bare mai kuch batayege ?
पसंद करेंपसंद करें
आप पूछीये हम उत्तर देने का प्रयास करेंगे!
पसंद करेंपसंद करें
भाई, एक बात बताऍं कि जैसे हम भौगोलिक और आकाशीय पिण्ड खासतौर पर चंद्रमा से तिथियों, अमावस्या, पूर्णिमा आदि का निर्धारण कर सकते हैं क्या उसी तरह वारों का यथा सोमवार, बुधवार या शुक्रवार का निर्धारण भी किया जा सकता है क्या। मेरा सोचना है कि हर सातवें दिन कोई खगोलीय घटना नहीं होती है, जैसे पूर्णिमा/अमावस्या आदि लगभग नियमित अंतराल पर होते हैं, उस तरह सातवें/आठवें दिन के अंतराल पर कोई ऐसी घटना नहीं घटती है कि दिनों का/वार का निर्धारण संभव हो। अर्थात, मैं कहूँ कि आज मंगलवार है तो मैं इसे वैज्ञानिक रूप से या खगोलीय रूप से कैसे सिद्ध कर सकता हूँ। जैसे अमावस को कर सकता हूँ। जाहिर है कि यह सब पृथ्वी पर रहकर ही पूछा जा रहा है। कृपया, प्रकाश डालें।
पसंद करेंपसंद करें
मेरी जानकारी मे वारो का किसी आकाशीय/खगोलीय घटना से कोई संबध नही है। यह हो सकता है कि पूर्णिमा से अमावश्या(और उल्टा) की अवधि को दो भागो मे बांटने के लिये सप्ताह बना दिये गये हो और हर वार को एक आकाशीय पिंड से जोड़ दिया गया हो।
अब्राहमिक धर्मो (यहुदी, इस्लाम, ईसाई ) धर्मो मे सप्ताह के सात दिन , ईश्वर द्वारा छः दिनो मे ब्रह्माण्ड की रचना और सांतवे दिन आराम करने से है।
हिंदू धर्म मे यह परंपरा वैदिक काल से है।
लेकि सप्ताह मे सात दिन हर सभ्यता मे नही है, कुछ अपवाद भी है जैसे चीन जापान और कोरीया मे यह दस दिन का होता था।
इस लेख को देखें।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
bhartiya jyotish ke garit khand men dinon ke nirdharn ka aadhaar HORA ko bataya hai .jismen saur (surya ki gati par aadharit )diwas, saur mass, saur varsh, & chandra (chandra ki gati par aadharit) diwas, chandra mass, chandra varsh, batae hain. din + ratri = aho+ratri (din ko aho kahte hain.)aho ka HO + ratri ka RA = HORA. saur din men (1 din men) 1-1 ghante ki 24 HORA kramshh is grah kram men hoti hain …….surya, shukra, budh, chandra, shani, guru, mangal (yah sambhavtah grahon ka utpatti kram hai) is tarah pahli surya ki hora 24 ghanton men grahon ke is kram se 25th hora matlab agle din ki pahli hora chandra ki hogi isliye agla din chadrawar ya somwar hoga isi tah agli 25th hora mangal ki isliye agla din mangalwar hoga aue kramshah isi tarah dinon ka nirdharan ho raha hai ……
पसंद करेंपसंद करें
How many litres of liquid CCL4 must be measured out to contain 10^25 CCL4 molecule?
पसंद करेंपसंद करें
धन्यवाद
पसंद करेंपसंद करें
आधारभूत ब्रह्माण्ड जी, देरी से जवाब देने के माफ़ी चाहूँगा, दरअसल जिस प्रकार पानी आप पीते हैं मगर मुंह के द्वारा, इसी तरह कार्य तो उर्जा ही करती है लेकिन पदार्थ के द्वारा. वैसे मुझे लगता है की आपके सवाल का जवाब वैज्ञानिक के बजाय दार्शनिक रूप से ज्यादा अच्छी तरह बताया जा सकता है. दुर्भाग्यवश मैं दर्शन के बारे में ज्यादा नहीं जानता.
पसंद करेंपसंद करें
सर, मैं प्रश्न के उत्तर का इंतज़ार कर रहा हूँ। क्या आप मुझे मेरे प्रश्न का उत्तर देने वाले थे ?? आपके द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर मैने दे दिया है। मुझे इंतज़ार है…
पसंद करेंपसंद करें
आधारभूत ब्रह्माण्ड, आपके प्रश्न के जवाब के लिए आपसे एक प्रश्न, जब आप पानी पीते हैं तो पानी आप पीते हैं या आपका मुहँ ?
पसंद करेंपसंद करें
जितेन्द्र जी, मैं पानी पीता हूँ। और मुंह से पानी पीता हूँ।
पसंद करेंपसंद करें
सर, मैं एक बेबाकूफी भरा प्रश्न आपके सामने रखना चाहता हूँ। पर इस प्रश्न की अहमियत मेरे लिए बहुत है।
“कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं।” तो कार्य ऊर्जा करती है या फिर पदार्थ..??
पसंद करेंपसंद करें
Pankaj ji ye jo mail aapko prapt hui hai wo ek SPAM mail hai, is-se PHISHING bhi kehte hai.(pronounced as fishing, matlab kanta dal kar fish pakadna, ye mail ek tarah ka kanta hai,)
पसंद करेंपसंद करें
12 sept के दिन मेरे EMAIL ID पर एक मेल आया था जिसमे लिखा था कि British international lottery programme मे आपके EMAIL ID ने £5.5 USD जिता है। कृपया आप अपना नाम पता आदि लिखकर भेजा । पुन: एक मेल आया जिसमे लिखा था कि आपके लौटरी का पैसा WESTERN UNION पर डाल दिया गया है (Western union transfercode, amount, sendername, question and their answer भी दिया था) परन्तु आपका नाम एक्टीवेट नही किया गया है आप पहले ट्रांसफर चार्ज भेज दिजिए आपका नाम एक्टीवेट कर दिया जाएगा।
मुझे तो यह पूरा धोखा लगता है। क्या यह संम्भव है मै आपका राय जानन चाहता हूं
पसंद करेंपसंद करें
ashish jee kya aap mujhe Physics of the impossible ki ebook de sakte hai?
पसंद करेंपसंद करें
WHAT IS THE GOD
पसंद करेंपसंद करें
सर- फोटान कण क्या है? इसकी खोज किसने की थी
पसंद करेंपसंद करें
ese logo ke liye jinko gyan ki pyaas ho aur language ek problem ho unke liye kisi vardan se kum nahi he
i m running a software company AIS if any kind of help u want then please say, in fact just order me, i will try my best for this site. cause i want to do something like this.
पसंद करेंपसंद करें
sir, aisa kaun sa force hai jo gravity se bhi strong hai, jiske kaaran universe expand ho raha hai
पसंद करेंपसंद करें
गुरुत्वाकर्षण सबसे कमजोर बल है. श्याम ऊर्जा के कारण ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति में त्वरण आ रहा है. ज्यादा जानकारी के लिए देखें https://vigyan.wordpress.com/2006/11/02/darkenergy/
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
How many types of CFC and whats its age?
पसंद करेंपसंद करें
CFC ऐसे कार्बनिक यौगिक होते है जिनमे क्लोरीन, फ्लोरीन, हायड्रोजन और कार्बन होते है। सामान्यतः इन्हे फ्रीआन भी कहते है। इनके एकाधिक प्रकार है। खूले वातावरण मे ये अत्याधिक सक्रिय ( अल्पायु)होते है और विघटित होकर नये यौगिको का निर्माण करते है।
पसंद करेंपसंद करें
jamhai aane ka peeche kaha jata hai ki jub brain me oxygen ki kami hoti hai to ye humare shareer ki swat prakriya hoti hai jiss-se ek lambi gehri saans hum lete hai aur oxygen ki matra poori ho jati hai, aisa kuch maine kahin padha tha.
पसंद करेंपसंद करें
hame jamhai kyo aata hai plz sce.effect bataiye
पसंद करेंपसंद करें
जितेन्द्र गोस्वामीजी ने इसका सही उत्तर दिया है। जब हमारे मस्तिष्क मे आक्सीजन की कमी होती है तब उसकी पूर्ती के लिये हमारा शरीर स्वतः जम्हाई लेता है। एक और शोध के अनुसार जम्हाई लेने की प्रक्रिया मस्तिष्क को शीतल भी करती है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
agar kai solid chij pritvi se akash ki or urdadvadar tivra gati se pheki jaye to vah bramhand me pahuchegi ya nahi? agar ha to vah vapas laut kar prithvi par aayegi?
पसंद करेंपसंद करें
यदि पृथ्वी से कोई पिंड आकाश मे फेंका जाये तो वह पृथ्वी पर वापिस आयेगी, पृथ्वी का चक्कर लगायेगी या पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से छूटकर अंतरिक्ष मे चली जायेगी, उसकी फेंके जाने की गति पर निर्भर करता है।
इस विशेष गति को पलायन वेग कहते है,पृथ्वी का पलायन वेग 11.2 किलोमीटर प्रति सैकिंड या 40,320 किलोमीटर प्रति घंटा है। इस से अधिक वेग रखने से कोई भी यान हमारा ग्रह छोड़कर सौर मण्डल के दुसरे ग्रहों की ओर जा सकता है।
अगर पृथ्वी से चलें तो सूरज के गुरुत्वाकर्षक क्षेत्र से निकलने के लिए पलायन वेग 42.1 किलोमीटर प्रति सैकिंड है। अगर सूरज की ही सतह से चलें तो पलायन वेग 617.5 किलोमीटर प्रति सैकिंड है। अगर सही स्थान पर सही पलायन वेग से चलें तो सूरज के गुरुत्वाकर्षण की सीमाएँ तोड़कर कोई यान सौर मण्डल से बाहर निकल सकता है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
सूर्यग्रहण को नंगी आँखोँ से देखना मना होता है! क्योँ? बिस्तार से बताऐँ साथ हीँ CFC के बारे मेँ पूर्ण जानकारी चाहता हूँ।
पसंद करेंपसंद करें
सूर्यग्रहण ही नही सूर्य को किसी भी समय नंगी आंखो से देखना मना होता है। सूर्य से प्रकाश के अतिरिक्त पराबैंगनी किरणे निकलती है जो आंखो को क्षति पहुंचा सकती है और यह क्षति हमेशा के लिये हो सकती है। पराबैंगनी किरणे से कैंसर भी हो सकता है।
CFC यह क्लोरोफ्लोरो कार्बन है। इसे एअर कंडीशनर, फ्रिज जैसे उपकरणो मे प्रयोग किया जाता है। यह ओजोन को आक्सीजन के अणुओ मे तोड़ देता है। पृथ्वी के वायुमंडल मे ओजोन की एक परत है जो पृथ्वी के वातावरण मे पराबैंगनी किरणो को आने से रोकती है। CFC से इस परत को क्षति पहुंचती है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
i know sir possible velocity is c . but me ye poochna cahata hu ki kinhi bhi 2 objects ke beech badne wali duri ki adhiktam gati kya ho sakati hai. check ur fb frnd req pliz.
पसंद करेंपसंद करें
sir,what is the maximum possible speed of displacement ?
पसंद करेंपसंद करें
गोविन्द,
आप किसके विस्थापन की गति (speed of displacement)की बात कर रहे है?
सापेक्षतावाद के सिद्धांत के अनुसार प्रकाश की गति ही अधिकतम गति है, इसके तुल्य गति से कोई भी पिंड या वस्तु गति नही कर सकती है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Big bang क्या है? इसके बारे मेँ जो भी परिभाषाए या जानकारी दी जा रहीँ है वह केवल अनुमान है या प्रयोग से प्राप्त है? शिघ्र उतर देँ
पसंद करेंपसंद करें
Big Bang के बारे मे जानने के लिये महाविस्फोट का सिद्धांत देखें
यह प्रयोग और निरीक्षण पर आधारित सिद्धांत है और इसके समर्थन मे अनेक प्रमाण मौजूद है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
sir if v write our event in a dairy,does dairy has any impect on our events then wud d dairy start behaving fast or slow if our events r happening with speed of light. means how c effects time ? see my fb req too asish ji.
पसंद करेंपसंद करें
प्रश्न संख्या ३ ] einstien द्वारा बताये गए effect ” की भारी गृह \ पिंड पास से गुजरते हुए प्रकाश की किरण को अपनी और मोड़ देते है इसमें और refraction में क्या फर्क है .और यदि नहीं तो प्रकाश के मुड़ने की घटना [refraction] तो धरती पे आम है ?
पसंद करेंपसंद करें
प्रकाश किरण फोटानो से बनी होती है, ये फोटान दोहरा व्यवहार रखते है अर्थात कण तथा तरंग दोनो के रूप मे व्यवहार करते है।
गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से ये कण(फोटान) किसी भारी द्रव्यमान वाले पिंड के गुरुत्व से प्रकाश कण या प्रकाश किरण मुड़ जाती है। यह गुरुत्वाकर्षण का फोटान पर प्रभाव है।
लेकिन अपवर्तन(refraction) प्रकाश के तरंग व्यवहार के फलस्वरूप होता है, माध्यम मे परिवर्तन होने से प्रकाश किरण की तरंग के तरंग दैधर्य मे बदलाव आता है और उसकी दिशा बदल जाती है।
प्रकाश किरण पर गुरुत्विय प्रभाव तथा अपवर्तन दोनो अलग अलग प्रभाव से है और दोनो मे कोई समानता नही है।
पसंद करेंपसंद करें
प्रश्न संख्या २] बल की परिभाषा क्या है ? latest or still that one we read in 8/9 वह व्यवस्था जिसके द्वारा कार्य किया जाता है या कुछ और परिवर्तन आये है इस परिभाषा में , ? और यदि में इसमें कुछ संशोधन करना चाहू तो क्या प्रोसेस है ? अधिकारिक परिभाषा कहा देखि जा सकती है ?
पसंद करेंपसंद करें
मित्र , मेरा प्रयास आपको एक परिकल्पना के माध्यम से ये एहसास करवाना था की यदि प्रकृति ने हमें अर्थात हमारी चेतना को किसी घटना को याद रखने की शक्ति \गुण नहीं दिया होता . ये इस तरह से है की जैसा हम गंणित में करते है की माना की पेड़ की ऊंचाई x है ” – तो मेरे मित्र इस अवस्था में जब की हम किसी घटना को याद नहीं रख पाएंगे तो हमारे लिए भूतकाल का अस्तित्व ही नहीं होगा . हम सिर्फ वर्तमान को ही महसूस कर पाएंगे .तो मेरे कहने का मतलब है की क्या उस परिकल्पित अवस्था में हमारे सिधांत जो हमने समय ,सापेक्षता व अन्तराल के लिए बनाये है जरुर कुछ अलग होते उसमे भूतकाल जैसी कोई अवधारणा ही नहीं होती तो क्या भोतिकी के सारे सिधांत मूलतः हमारी चेतना पर ही सीधे निर्भर करते है ? अर्थात जो समय की आभासी नकारात्मक दिशा जो भूतकाल को प्रदर्शित करती है वो वास्तव में केवल हमारे मस्तिस्क और चेतना का बुना जाल है यथार्त नहीं |और इसीलिए जब हम समय से सम्बंधित किसी भी शोध के अंत में जाते है तो यही पाते है की भूतकाल में जाना संभव नहीं , यदि है तो केवल आभासी उपस्थिति मात्र घटनाओ को प्रभावित किये बिना |ये तो यही सिद्ध करती है की हम घूम कर वापस चेतना ,मस्तिष्क एवं एहसास पर ही आ गए .ashish ji please give some comment on this.
पसंद करेंपसंद करें
गोविंद जी,
भौतिक घटनाये वास्तविक होती है, उनका प्रभाव वास्तविक होता है, जबकि चेतना, मस्तिष्क या स्मृति वास्तविक घटनाओं के अतिरिक्त आभासी घटनाओं को भी दर्ज करती है। एक वास्तविक है, दूसरे मे कल्पना का मिश्रण भी है।
आप इन दोनो को एक जैसे नही देख सकते है। कुछ भौतिकी सिद्धांत या परिकल्पना जैसे समय यात्रा मे हम कल्पनाओं का सहारा लेते है क्योंकि हम उन्हे प्रायोगिक रूप से कर के देख नही सकते। लेकिन ये आभासी या कल्पना नही होती है, ज्ञात वैज्ञानिक सिद्धांतो के आधार पर वे संभव होती है।
हमारी चेतना एक टेप कैसेट के जैसी है जो वास्तविक हो जरूरी नही है लेकिन वैज्ञानिक सिद्धांत और उनके प्रभाव वास्तविक होते है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
sir ji time is also an imaginary .as it doesnt have any other phisical properties . its also a matter of feelings only.so a thing that is not purely phisical how we can use it as a base of all physical phenomenons.
पसंद करेंपसंद करें
यह सही है कि समय का अपना अस्तित्व नही होता है लेकिन वह वास्तविक भौतिक गति से जुड़ा होता है। समय हमेशा किसी ना किसी गति से जुड़ा हुआ होता है। जैसे एक दिन पृथ्वी के एक सम्पूर्ण घूर्णन से जुड़ा है, एक वर्ष पृथ्वी की सूर्य की परिक्रमा को दर्शाता है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
सर, मैं आप से एक भ्रान्ति के बारे में पूंछना चाहता हूँ। मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं इस विषय में अपने सर की बातों को नहीं समझ पा रहा हूँ। मैं अपनी राय को व्यक्त करके या अपने सर की सोच को बताकर। आपमें या आपके द्वारा दिए जाने वाले उत्तर में सोच या राय का प्रभाव नहीं देखना चाहता।
प्रश्न: क्या मैं मान सकता हूँ कि सर अल्बर्ट आइन्स्टीन की भूमिका परमाणु बम में थी..??
आप इसका उत्तर विस्तृत भी दे सकते हैं। और एक शब्द में भी.. क्योंकि हम दोनों को इस विषय की पूर्ण जानकारी है। पर मुझे लगता है कि सिर्फ सोच का प्रभाव हावी हो रहा है। मैं उत्तर के इंतज़ार में हूँ..।
पसंद करेंपसंद करें
दुर्भाग्य से इसका उत्तर हां है। आइन्स्टीन ने अमरीकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट को परमाणु बम बनाने की सलाह दी थी, वे चाहते थे कि जर्मनी (हिटलर) से पहले अमरीका परमाणु बम बना ले। आपको ज्ञात होगा कि आइन्स्टीन यहूदी थे तथा जर्मनी से भागकर अमरीका मे शरण ली थी। वे नही चाहते थे कि ऐसी विनाशकारी शक्ति हिटलर के हाथ लगे।
इसके अतिरिक्त परमाणु बम उनके कार्य E=mc2 पर ही आधारित है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
1. पदार्थ
2. प्रतिपदार्थ
3. ऋणात्मक पदार्थ
4. श्याम पदार्थ
की परिभाषाएँ क्या हैँ और इनमेँ मुख्य अन्तर और विशेषताएँ कौन कौन से हैँ?
इसीप्रकार
1. ऊर्जा
2. प्रति ऊर्जा
3. ऋणात्मक ऊर्जा
4. श्याम ऊर्जा
की परिभाषाएँ क्या हैँ और इनमेँ मुख्य अन्तर और विशेषताएँ कौन कौन से हैँ?
इनके अतिरिक्त क्या और किसी प्रकार के पदार्थ और ऊर्जा होते हैँ? यदि होते हैँ तो उनकी भी जानकारी दीजिए।
पसंद करेंपसंद करें
अनमोल,
इन सभी विषयो पर इस ब्लाग मे ढेरो लेख है। उन्हे देखो! इस पृष्ठ पारिभाषिक शब्दावली को भी देखो।
पसंद करेंपसंद करें
आयाम की परिभाषा?
द्रव्यमान की परिभाषा?
ऊर्जा की परिभाषा?
समय की परिभाषा?
पदार्थ की परिभाषा?
स्थान की परिभाषा?
उपरोक्त सभी की परिभाषाएँ कुछ सटीक और गहरी वैचारिक बिँदु से दीजिए।
पसंद करेंपसंद करें
अनमोल यह मंच परिभाषाओ के लिये नही है!इस पृष्ठ पारिभाषिक शब्दावली को भी देखो।
पसंद करेंपसंद करें
प्रकाश का वेग निरपेक्ष है, क्योँ?
प्रकाश एक स्थिर वेग (c) से ही गति क्योँ करता है?
पसंद करेंपसंद करें
क्योंकि यह एक तथ्य है, नियम है, प्रकाश का व्यव्हार है। इन नियमो के पिछे कोई कारण नही होता है। यह कुछ ऐसे है कि परमाणु एक विशिष्ट दिशा मे परिक्रमा क्यों करते है?
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
parantu aapne yah nahi bataya ki einstein ke kis equation ko hal karne par time travel ki possibility banati hai
पसंद करेंपसंद करें
K = s = 2
L = s,p = 2+6 = 8
M = s,p,d = 2+6+10 = 18
N = s,p,d,f =2+6+10+14 = 32
O = s,p,d,f = 2+6+10+14 = 32
P = s,p,d = 2+6+10 = 18
Q = s,p = 2+6=8
स्पष्ट है कि 2, 8, 18, 32 के बाद O, P, Q कक्षाओँ मेँ क्रमशः 32, 18 और 8 इलेक्ट्रान रहते हैँ। और इसी से 1 से लेकर 118 परमाणु क्रमांक वाले तत्वोँ मेँ इलेक्ट्रान वितरण समझाया जा सकता है।
अब यदि 118 परमाणु क्रमांक वाले तत्व से आगे के तत्वोँ की खोज होती है तो 119 और 120 परमाणु क्रमांक वाले तत्व के अन्तिम इलेक्ट्रान आठवीँ कक्षा यानी R कक्षा मेँ जायेँगे।
फिर 121 से आगे के लिए s,p,d,f से आगे g मेँ जाना पड़ेगा। g मेँ अधिकतम 18 इलेक्ट्रान होँगे। जिससे पाँचवेँ आवर्त यानी O कक्षा मेँ 32 से बढ़कर अधिकतम 50 इलेक्ट्रान हो जायेँगेँ, इसी प्रकार छठे आवर्त मेँ 18 से बढ़कर अधिकम 32 इलेक्ट्रान और सातवेँ मेँ 8 से बढ़कर अधिकतम 18 इलेक्ट्रान हो जायेँगे।
इस प्रकार परमाणु क्रमांक 121 से 151 तक के तत्वोँ मेँ इलेक्ट्रान वितरण समझाया जा सकेगा। और आठवेँ आवर्त मेँ 50 और तत्व रह सकेँगे।
पर यहाँ तक कोई आयेगा नहीँ। क्योँकि अधिक परमाणु क्रमांक वाले तत्व अस्थायी होते हैँ और शायद प्रयोगशाला मेँ जबरदस्ती बनाये जाते हैँ।
(किसी भी स्थिति मेँ अन्तिम कक्षा मेँ आठ से ज्यादा इलेक्ट्रान नहीँ हो सकते।)
पसंद करेंपसंद करें
और अन्तिम कक्षा मेँ दो से ज्यादा इलेक्ट्रान तभी हो सकते हैँ जब अन्तिम से पहले वाली सभी कक्षायेँ 2n^2 के अनुसार पूर्ण भरी होँ।
पसंद करेंपसंद करें
kramsh: K , L , M , N, kosh me electrano ki sakhya 2 , 8 , 18 , 32 hoti hai but N kosh ke baad ke kosho me electrano ka vitran samjhaia
पसंद करेंपसंद करें
अनिल, अभी तक किसी भी तत्व के परमाणु की किसी भी इलेक्ट्रान कक्षा मे 32 से ज्यादा इलेक्ट्रान नही पाये गयें है। शायद 32 इलेक्ट्रान किसी भी कक्षा मे इलेक्ट्रानो की अधिकतम संख्या है। O,P तथा Q कक्षा मे भी अधिकतम 32 इलेक्ट्रान ही हो सकते है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
EINSTEIN KI THEORY OF RELATIVITY SE THEORITICALY YE KAISE POSSIBLE HAI KI HUM BHOOT KAAL (PAST) MAI JAA SAKTE HAI
पसंद करेंपसंद करें
नारायण जी, इस लेख को पढे क्या समय यात्रा संभव है?
पसंद करेंपसंद करें
parantu aapne yah nahi bataya ki einstein ke kaun se equation ko hal karne se time travel ki possibility banati hai
पसंद करेंपसंद करें
EINSTEIN KI THEORY OF RELATIVITY SE THEORITICALY YE KAISE POSSIBLE HAI KI HUM BHOOT KAAL (PAST) MAI JAA SAKTE
पसंद करेंपसंद करें
kya 0 digri par pura pani barf ban jata hai spast kijie
पसंद करेंपसंद करें
0 डीग्री पर पानी बर्फ़ मे बदलना शुरू होता है लेकिन किसी पात्र के पूरे पानी को बर्फ़ मे बदलने के लिये उसे 0 से -5 डीग्री तक तापमान चाहीये होता है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
दोस्तों, मैंने कुछ समय पहले ही एक फिल्म देखकर ख़त्म की। उसका नाम तरंग था। यह फिल्म समान्तर ब्रह्माण्ड पर आधारित थी। आप देखेंगे कि फिल्म में पहले से ही समान्तर ब्रह्माण्ड की उपस्थिति को जायज ठहरा दिया गया है। फिल्म के मध्य में 11-आयाम की उपस्थिति को कुछ जरूरतों को समझने में आवश्यक बिंदु बतलाया गया है। उसी समय दोनों ब्रह्माण्ड की आपसी वार्ता में चल रही वार्ता को स्वपन कहा जाता है।
मैंने भी एक आर्टिकल में वर्तमान को स्वपन का दर्जा दिया था। जिसको जानने के लिए प्रश्न करने की आवश्यकता नहीं होती। जहाँ वर्तमान, ब्रह्माण्ड के स्वरुप अर्थात विशिष्ट संरचना को वर्गीकृत नहीं अपितु विश्लेषित करता हुआ मालूम पड़ता है। फिल्म के अंत में जो दिखाया गया है। तब ऐसा लगता है मानो हम ही एक निर्देशित तंत्र के रूप में ब्रह्माण्ड है। जिसकी प्रकृति ब्रह्माण्ड की प्रकृति के अनुरूप ही कार्य करती है। याद रहे यह कहना तब संभव होगा जबकि हम ब्रह्माण्ड की प्रकृति को जानते हों। फिल्म का मजा तब तक अधुरा रहेगा। जब तक आपको फिल्म देखते समय दो-चार ठहाके की हसी न आ जाए..। यह हसी एक रचनाकार के रूप में होगी। जो ब्रह्माण्ड की रचना को क्रमबद्ध संरक्षित करता गया होगा।
जरूर देखिये.. FREQUENCY
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
parmanu dravyaman aur mol ko spast karo plz. sir thanks
पसंद करेंपसंद करें
अनिल, हिग्स बोसान से संबधित लेखो को देखे!
पसंद करेंपसंद करें
आग की लौ हमेशा ऊपर की ओर ही क्योँ जाती है?
अगर माचिस की तीली को जलायेँ और उसे तेजी से ऊपर ले जायेँ तो क्या होगा और अगर तेजी से नीचे ले आयेँ तो क्या होगा?
(वायु के प्रतिरोध को नगण्य मानिये, अन्यथा तीली बुझ जायेगी। 🙂 अभी तीन चार बार कोशिश की पर वायु के प्रतिरोध के कारण तीली इतनी जल्दी बुझ जाती कि पता ही नहीँ चल पाता कि लौ बुझनेँ से पहले ऊपर की ओर थी या नीचे की ओर या यथावत ही थी।)
पसंद करेंपसंद करें
anmol jee kya einstein ke time pe lift thee bhi
पसंद करेंपसंद करें
1. According to Wikipedia The first reference to an elevator (lift) is in the works of the Roman architect Vitruvius, who reported that Archimedes built his first elevator probably in 236 BC.
2. In some literary sources of later historical periods, elevators were mentioned as cabs on a hemp rope and powered by hand or by animals. It is supposed that elevators of this type were installed in the Sinai monastery of Egypt.
3. On March 23, 1857 the first Otis passenger elevator was installed at 488 Broadway in New York City.
(And Einstein was born on 14 march, 1979.)
पसंद करेंपसंद करें
तीली की लौ गर्म गैसों का एक प्रवाह है , गर्म गैस हमेशा ऊपर की और जाती है.
पसंद करेंपसंद करें
यदि आप किसी लिफ्ट में दियसलाई की तीली को जलायें और वह लिफ्ट नीचे बिना किसी रोक के गिरने लगे यानि कि वह केवल पृथ्वी के गुरुत्वकर्षण के फ्री फॉल में हो तब दियसलाई की तीली की जलती लौ का क्या होगा।
(संभवतः यह आइन्स्टाइन का सुझाया एक प्रश्न है। जहाँ भी मैँनेँ यह प्रश्न पढ़ा था वहाँ इसका उत्तर नहीँ दिया गया था।)
पसंद करेंपसंद करें
KYAA ANTARISHK ME GATI BADHAI JA SAKTI HAI
पसंद करेंपसंद करें
आपका प्रश्न स्पष्ट नही है कि गति किसकी बढा़ना है! किसी यान की गति अंतरिक्ष मे ऐसे भी ज्यादा होती है क्योंकि कोई अवरोध नही होता है। पृथ्वी पर वायुं से, धरती या जल के घर्षण से गति कम होते जाती है। लेकिन अंतरिक्ष मे ऐसा कोई अवरोध ना होने से न्युटन का प्रथम नियम पूरी तरह कार्य करता है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Twin paradox kya hai?.. abhi tak yah ek puzzle kyon hai
पसंद करेंपसंद करें
इसे प्रायोगिक रूप से प्रमाणित करना असंभव है। इसके हल के लिये कई सुझाव है लेकिन कोई भी सर्वमान्य नही है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
kya kabhi twin paradox puzzle sulaghe paayega?
पसंद करेंपसंद करें
1. क्या प्रकाश तरंगो के तरंगदैर्घ्य मेँ परिवरर्तन किया जा सकता है? अगर हाँ तो किन पदार्थो से किस प्रकार?
पसंद करेंपसंद करें
जब भी प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम (जैसे निर्वात से वायु या वायु से जल, या वायु से कांच) मे जाता है तब उसके तरंगदैर्ध्य तथा गति मे परिवर्तन आता है। कारण इस समीकरण से समझा जा सकता है
तरंगदैर्ध्य(λ) x आवृति(Ν) = तरंगगति(v)
आवृति स्थिर रहती है, उसमे परिवर्तन नही आता है, लेकिन माध्यम के परिवर्तन से गति मे परिवर्तन होता है। गति के इस परिवर्तन के संतुलन के लिये तरंगदैर्ध्य मे परिवर्तन आवश्यक है।
पसंद करेंपसंद करें
kya aapko nahi lagta ham kabhi bhi univesre ki starting ka pata nahi laga payenge.
पसंद करेंपसंद करें
हम नही तो हमारी अगली पीढी़या ज़रूर पता लगा लेगी!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
अगर हम प्रकाश की गति कि विपरीत दिशा मेँ चलेँ तो हमारे सापेक्ष प्रकाश का वेग तो C से अधिक नहीँ हो जायेगा?
पसंद करेंपसंद करें
नही, प्रकाश गति की यही विशेषता है कि वह हर अवस्था मे स्थिर होता है
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
sir ji manav me dhawni ki samaniy dar kitne DB hoti ha
पसंद करेंपसंद करें
एक मीटर की दूरी पर मानव ध्वनी की तीव्रता लगभग 60 डेसिबल होती है.
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
kya parmanu ko sukshamdarshi se dekha ja sakta hai
पसंद करेंपसंद करें
प्रकाशीय सुक्ष्मदर्शी से परमाणु को देखा नही जा सकता है लेकिन इलेक्ट्रान सुक्ष्मदर्शी से उसकी स्पष्ट तो नही लेकिन धुंधली तस्वीर बनती है|
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
इंटरनेट पर भारी मात्रा मेँ डाटा मौजूद है। यह डाटा संग्रहीत कहाँ होता है?
उसकी संग्रहण क्षमता कितनी होगी?
इंटरनेट का क्या कोई मालिक भी है?
हमलोग जो इंटरनेट के पैसे सर्विस प्रदाता को देते हैँ वो पैसे कौन लेता है? (अन्त मेँ)
इंटरनेट पर साईट बनानेँ पर जो वार्षिक धन चुकाना पड़ता है तो यह धन कौन लेता है? उसे कौन अधिकार देता है ऐसा करनेँ का?
पसंद करेंपसंद करें
इंटरनेट पर भारी मात्रा मेँ डाटा मौजूद है। यह डाटा संग्रहीत कहाँ होता है?
उत्तर : हर वेब साईट का अपना सर्वर होता है, डाटा उसी सर्वर पर होता है. एक सर्वर पर एक से ज्यादा साईट भी हो सकती है. कुछ कम्पनियाँ इस काम के लिए सर्वर राकहती है जिन्हें होस्टिंग कंपनी कहते है. वैसे अपने नीजी सर्वर भी रखे जा सकते है, जैसे ब्लॉग वाणी का अपना सर्वर था.
उसकी संग्रहण क्षमता कितनी होगी?
उत्तर : सर्वर की क्षमता होस्टिंग कंपनी पर निर्भर है, कितनी भी हो सकी है.
इंटरनेट का क्या कोई मालिक भी है?
उत्तर : इंटरनेट एक जाल मात्र है, जिसने इन सर्वरों को जोड़ रखा है, इसका कोई मालिक नहीं है, अलबत्ता कुछ नियामक संस्थान है जो इसके सञ्चालन के नियम तय करते है.
हमलोग जो इंटरनेट के पैसे सर्विस प्रदाता को देते हैँ वो पैसे कौन लेता है? (अन्त मेँ)
उत्तर : सर्विस प्रदाता ही, क्योंकि वह आपके कंप्यूटर को जाल से जोड़ता है, उसी के पैसे लेता है.
इंटरनेट पर साईट बनानेँ पर जो वार्षिक धन चुकाना पड़ता है तो यह धन कौन लेता है? उसे कौन अधिकार देता है ऐसा करनेँ का?
उत्तर : होस्टींग कंपनी क्योंकि आपकी साईट उसके सर्वर पर है! आपको सर्वर का किराया देना होगा!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
फ्रिज मेँ जमी हुई बर्फ पिघलनेँ पर जो पानी बनता है उस पानी मेँ सफेद रंग का कोई पदार्थ आ जाता है जो पानी मेँ विलेय नहीँ नहीँ होता। जल की सतह मेँ बैठ जाता है। लगता है पानी गन्दा हो।
तो वो सफेद पदार्थ क्या है? क्योँ और कैसे बनता है?
पसंद करेंपसंद करें
जल में कुछ लवण मिले होते है , ये कुछ अवस्था मे अपने निर्माता धातु के कुछ यौगिको का निर्माण करते है, सफेद पदार्थ वही होता है.
पसंद करेंपसंद करें
स्ट्रिँग सिध्दान्त के अलावा और कौन कौन से सिध्दान्त हैँ जो एकीकृत सिध्दान्त होनेँ का दावा करते हैँ?
पसंद करेंपसंद करें
पूर्ण रूप से कोई नहीं !
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
बहुत दिन हुए कहाँ है आप,माफ़ कीजियेगा मंगल की खबर [तथा चित्रों ] का इंतज़ार है ,
पसंद करेंपसंद करें
फोटान, जो कि प्रकाश वेग से गतिमान होते हैँ, विशेष सापेक्षता के सिध्दान्त के अनुसार समय का प्रयोग करते हैँ या नहीँ? क्या फोटान पर भी समय शून्य होता है?
पसंद करेंपसंद करें
अनमोल, समय का स्वतंत्र अस्तित्व नही होता है, जहाँ गति है वहाँ समय है!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
पर विशेष सापेक्षता के सिद्धांत के अनुसार तो प्रकाश वेग से गतिमान होने पर समय की गति रुक जाती है?
पसंद करेंपसंद करें
area 51 me alien ho sakte hai..??
पसंद करेंपसंद करें
नहीं, Area 51, USA के आधुनिक विमान के जांच और निर्माण के लिये है। इस क्षेत्र के बारे मे अफवाहें ज्यादा है, तथ्य कम!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
sir aapki hindi mehnat ke liye salam. Mujhe dravman(Mass) ke baare mein bataye?saralta se
पसंद करेंपसंद करें
संदिप आप इसी साईट पर हिग्स बोसान से संबधित लेखों को देखिये, ये सभी द्रव्यमान से संबधित है।
पसंद करेंपसंद करें
main ek student hi hu …or apni puri life ko ek parrelal univers ko khojne main samrpit karta hu ….muje pata nahi main kis disha main ja raha hu par main jaha se eski surubat kar raha hu vo apko sab ko batata hu …………….ye to ham sabhi jante hai ki theoritical rup se eska astitv hai …….par maine mere asspass kuchh esa dekha jo muje use or adhik janne ke liye prerit kartra hai ….apne bhi dekha hoga …bhut pret ke bare main suna hoga …unme kuchh to sachhai hai …..ya sirf energy ka koi rup hia …ya koi duniya jo kisi or dimenssion me ho ….maine kuchh pata kiya
पसंद करेंपसंद करें
प्रश्न १. ऐसा माना जाता है की सूर्य का प्रकाश हम तक आने मैं लगभग 8 .5 मिनट लेता है, इस का मतलब की अगर अभी सूर्य ख़तम हो जाये तो हमे 8 .5 मिनट बाद पता चलेगा. अब आते मैं मुद्दे की बात पर, हमारे सबसे पास के तारे अल्फा सेंतुरी का प्रकाश हम तक लगभग ४ वर्ष मैं आता है, तो जो ब्रह्माण्ड हम आज देखते हैं वो तो जाने कितने लाख प्रकाश वर्ष बाद हम तक पहुंचा है, मतलब हम कई लाख वर्ष पहले के आकाशमंडल को देखते हैं, तो हम जो calculation करते है वो कैसे सही हो सकती है?
प्रश्न २. हमारे आंखे .4 mircon से .7 micron के वर्णक्रम के प्रकाश को देख सकती है, हम केवल २० हर्ट्ज़ से २० किलो हर्ट्ज़ के बीच की ध्वनि को ही सुन सकते हैं, इससे ऊपर और नीचे भी कितनी धवानियाँ और प्रकाश होंगे जिन्हें हम न तो देख सकते और न सुन सकते फिर हम इतनी लिमिटेड इन्द्रियों से कैसे इस दुनिया की थाह पाने की सोच सकते है?
प्रश्न ३. हमारे हम मैं जो विचार आते हैं उन्हें हम किस तरह परिभाषित कर सकते हैं? वो किसी प्रकार की ऊर्जा है ?
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
१. ब्रह्मांडीय स्तर पर की गणनाओ में खगोलीय पिंडो के द्वारा उत्सर्जित प्रकाश के पृथ्वी तक पहुँचाने में लगे समय का ध्यान रखा जाता है.
२. हमारी इन्द्रियाँ सक्षम नहीं लेकिन हमारे पास उपकरण तो है.
३. आपका प्रश्न अभी तक अनुत्तरीत है, विचार का प्रवाह हमारे मस्तिस्क में विद्युत् संकेतो के रूप में ही होता है लेकिन विचार कैसे बनते है, क्यों बनते है , अनुत्तरीत है.
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
आप पुनः ध्यान से पढ़िये। सापेक्षता के सिध्दान्त के अनुसार यह प्रश्न बिल्कुल सही है।
अगर आपनेँ सापेक्षता का सिध्दान्त पढ़ा है तो उसमेँ आपनेँ जुड़वा विरोधाभास (Twin Paradox) के बारे मेँ पढ़ा होगा। अगर नहीँ भी पढ़ा तो विकीपीडिया से पढ़ सकते हैँ। यह एक ऐसा विरोधाभास है जो आजतक हल नहीँ हुआ है। इस पहेली के हल के रुप मेँ कई सिध्दान्त हैँ पर सभी वैज्ञानिकोँ का किसी एक सिध्दान्त पर एक मत नहीँ है।
हमारा यह प्रश्न भी उसी विरोधाभास से सम्बन्धित है।
पसंद करेंपसंद करें
अच्छा तो आप ही साहू जी भी है और Einstein भी खैर…
चलिए देखते हैं, जब मैं आप से दूर जाता हूँ। तब आप देखेंगे कि मेरा आकर जिस अनुपात में घटता हुआ प्रतीत होता है। उसी अनुपात में आपका आकर भी घटता हुआ प्रतीत होता है। इसे कहते हैं सापेक्षता का सिद्धांत..
ठीक इसी तरह प्रकाश के वेग से गतिशील वस्तु या पिंड के आकर में कमी, द्रव्यमान अन्नत और समय अन्नत होता हुआ, प्रतीत होता है। इसे कहते हैं विशेष सापेक्षता का सिद्धांत..
क्या है ना जब हम भी प्रकाश के वेग से गतिशील हो जाएँगे तब ऐसा भी प्रतीत नहीं होगा। ऐसा सापेक्षीय गति होने पर ही संभव होगा। यहाँ समझने योग्य बिंदु यही है, कि दोनों परिस्थितियों में तो आकार कम प्रतीत हो रहा है तब प्रकाश के वेग का क्या अभिप्राय..??
प्रकाश के वेग से गतिशील पिंड में वास्तव में कमी, द्रव्यमान अन्नत और समय भी अन्नत होने लगता है। फिर प्रतीत होने वाली बात कैसे..?? वो ऐसे कि जब हम परिक्षण करने के लिए वहां पहुंचेंगे। तब आकार हमारे अनुपात में कम ही नहीं होगा। और जब हम अपनी अवस्था से ही परिक्षण करेंगे तब ही इस घटना को देखा जा सकता है।
अरे यह कैसे…??? ये तो गलत है जिसको करना संभव नहीं है। तो हम उन परिक्षण के परिणाम को क्यों माने..??
वो ऐसे कि जब पिंड प्रकाश के वेग से गतिशील होता है तब उसमे निर्पेक्षीय अनुपात में परिवर्तन होते हैं। और जब वस्तु या पिंड के सामान्य वेग के कारण वस्तु दूर जाती है। तब परिवर्तन होता नहीं है। सिर्फ सापेक्षीय प्रतीत होता है।
इसे ऐसा मान लिया जाता है मानो उस पिंड की अपनी अलग ही दुनिया बन गई है।
अब आप स्वयं के द्वारा बनाई गई परिस्थितियों में इस बात से अनुमान लगा सकते हैं कि आप सही हैं या नहीं..।
पसंद करेंपसंद करें
1. आधारभूत ब्रह्माण्ड! जी, आपका शुभ नाम क्या है?
2. क्या आपनें सापेक्षता के विशेष सिद्धांत का भली-भाँती अध्ययन किया है?
3. “ठीक इसी तरह प्रकाश के वेग से गतिशील वस्तु या पिंड के आकर में कमी, द्रव्यमान अन्नत और समय अन्नत होता हुआ, प्रतीत होता है। इसे कहते हैं विशेष सापेक्षता का सिद्धांत..”
अगर धरातल को स्थिर मान लें, तो धरातल के सापेक्ष के प्रकाश के निकटतम वेग से गतिमान रेलगाड़ी का अवलोकन यदि हम करते हैं तो द्रव्यमान में अधिकता, समय में कमी और आकार में भी कमी पायेंगे!” (जबकि यहाँ आपने समय को उन्नत होता बताया है.)
4. “जब पिंड प्रकाश के वेग से गतिशील होता है तब उसमे निर्पेक्षीय अनुपात में परिवर्तन होते हैं।” परिवर्तन निरपेक्ष कैसे हो सकता है? निरपेक्ष परिवर्तन का अर्थ हुआ की यात्री को रेलगाड़ी से बाहर की वस्तुवें जिस अनुपात में छोटी दिख रही हैं, उसी अनुपात में अंदर की वस्तुवें भी संकुचित दिखनी चाहिए. पर ऐसा नहीं होता!
5. अधिक जानकारी के लिए कृपया पहले इसे पढ़ लें! http://en.wikipedia.org/wiki/Special_relativity
6. “माना हम ट्रेन पर बैठे सुबह के दस बजे, और बैठते समय अपनी हाथ की घड़ी, स्टेशन की घड़ी से मिला ली! अब हमारी रेलगाड़ी 2,40,000 किमी./सेकंड के भीषण वेग से दौड रही है! फिर कुछ दूरी तय करने के बाद एक स्टेशन आया! हमारी रेलगाड़ी रुक गयी! स्टेशन पर देखा की ग्यारह बज गए थे, और अपनी हाथ घड़ी देखा तो उसमें दस बजकर 36 मिनट ही हुए थे. यहाँ तक ठीक है?” आपके अनुसार यहाँ क्या परिवर्तन होना चाहिए?
पसंद करेंपसंद करें
यह कहना मुश्किल होगा कि मैंने विशेष सापेक्षता के सिद्धांत का भली-भाँती अध्ययन किया है या नहीं..
मैंने बहुत साल पहले कक्षा-११वी. में ऐसा ही पड़ा था।
खैर.. आप इतना जान लें कि अन्नत समय होने का व्यवहारिक अर्थ घड़ी का सुस्त पड़ना भी होता है। यानि कि घड़ी का धीरे-धीरे चलना।
अन्नत का गणितीय में दो अर्थ निकाले जाते हैं। एक तो अधिकतम मान के लिए.. और दूसरा सर्वाधिक होने के लिए..।
इसी तरह भौतिकी में जिस स्थान से प्रकाश किरणें समान्तर आती हुई प्रतीत होती हैं। उसे भी अनंत कहते हैं। और जहाँ गुरुत्वाकर्षण बल समाप्त होता है। उसे भी अनंत कहते हैं।
पसंद करेंपसंद करें
आधारभूत ब्रह्माण्ड,
ग्यारहवीं में विशेष सापेक्षता का सिद्धांत! इन दिनों तो B.Sc. से पहले लोग सापेक्षता के सिद्धांत के बारे में जानते ही नहीं है, यदि उन्होंने स्कूल से बाहर निकलकर कुछ पढाई न की हो तो!
वैसे कहीं आप विद्या निकेतन इंटर कॉलेज, कानपुर के भौतिकी के अध्यापक तो नहीं हैं?
पसंद करेंपसंद करें
दीपक,
मुझे नहीँ लगता कि आइंस्टीन नेँ ऐसा कभी कहा था। भारतीयोँ की एक विशेषता है कि वे विदेशियोँ से अपनेँ आप को अधिक महान सिध्द करनेँ के लिए निरन्तर प्रयत्नशील रहते हैँ। जब भी कोई नई खोज होती है उसके कुछ ही दिनोँ बाद पता चलता है कि यह खोज हमारे धर्म ग्रन्थोँ मेँ पहले ही हो चुकी थी।:)
ऐसा सिध्द करनेँ के लिए अनेक भारतीय प्राचीन ग्रन्थोँ के श्लोकोँ के मनमानेँ अर्थ निकालते हैँ और आधुनिक वैज्ञानिक निष्कर्षोँ को उन ग्रन्थोँ मेँ पहले से होनेँ की बात कहते हैँ।
अन्य अन्धविश्वासी भारतीय उनकी बातोँ को बिना किसी गहरे विश्लेषण के मान लेते हैँ और फिर सभी से अपनेँ धर्म ग्रन्थोँ के महान होनेँ की डीँगेँ मारा करते हैँ।
पहले मैँ भी उनकी बातोँ के झाँसे मेँ आ गया था। (आशीष जी इसके गवाह हैँ:)) फिर कई लेखोँ, चर्चाओँ और अनुभवोँ के बाद पता चला कि ये भारतियोँ की आदत मेँ शुमार है। वे अपनेँ आप को महान सिध्द करनेँ के लिए कुछ भी लिख सकते हैँ। इसलिए मेरा सुझाव है कि बिना किसी गहरे विश्लेषण के इस प्रकार की किसी भारतीय बात पर विश्वास न किया करेँ।
अब आइंस्टीन तो दुनिया मेँ रहे नहीँ। कुछ भी यह कहकर लिख दो कि आइंस्टीन नेँ ऐसा कहा था। अब कौन पूछनेँ जायेगा?
हाँ यह बात अगर किसी विदेशी नेँ लिखी हो तो सच हो सकती है क्योँकि उसके पास गलत लिखनेँ का कारण नहीँ है। या फिर किसी विश्वसनीय श्रोत मेँ यह बात लिखी हो। क्या आप बता सकते हैँ कि आइन्स्टीन का यह कथन ऐसे किस श्रोत से है जिस पर विश्वास किया जा सके?
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
ANMOL SAHU JI, AAP KABHI BHI CHAR LOGON KO DEKH KAR YAH NAHI KAH SAKTE KI UNKE GROUP ME SABHI AISE HI HONGE. HAAN UNKE SWABHAV KO DEKH KAR GROUP KI PRAKRATI KO AWASHYA HI NIRDHARIT KIYA JAA SAKTA HAI.
YAHI GALTI KI JAATI HAIN BHAUTIK SWAROOP, BHAUTIKTA OR BHAUTIKTA KE ROOP KO SAMJHNE ME. SHRI MAN YADI AISA HONE LAGTA TO ELECTRON KI SANKHYA MERE GURON(RASHIYON) KI MAAP KE BARABAR HOTI.
पसंद करेंपसंद करें
बिलकुल सही कहा आशीष,
हमेशा कोई नयी वैज्ञानिक खोज के बाद में ही लोग अपने ग्रन्थ ले कर आ जाते हैं कि ये बात तो हमारे ग्रंथों में पहले से लिखी थी.
अगर उनमें इतने ही वैज्ञानिक तथ्य लिखें हुए हैं तो उन्हें खोज होने से पहले क्यूँ नहीं सामने लाते
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
aap bade hai or apko life ka jyada anubhab hai .. main apse ek or bhat janna chaunga ….ki einstin ne essa kyo kaha tha ki indian muniyo ka dimag 5% work karta hai jabki unka 3% parsent …
पसंद करेंपसंद करें
yaha kaise pata chalta hai ki dur se dikhne bale star alag alag hai ya ek hi hai …..matlab ki gravitational lance se hame uski ek se adhik image dikhti hai …………
पसंद करेंपसंद करें
तारो से निकलने वाले प्रकाश से उनकी दूरी और संरचना, घटक तत्व और उनकी मात्रा पता चल जाती है। दो छवियो मे ये सभी एक जैसे ही होंगे, इन सभी कारको के अध्यन से गुरुत्व्यिय लेंस से बनने वाली एकाधिक छवियों को पहचाना जा सकता है।
पसंद करेंपसंद करें
सर, मैं आप से जानना चाहता हूँ कि ब्रह्माण्ड के समूह वास्तविकता में हैं या सैद्धांतिक रूप में हैं…???
और इनकी उपस्थिति को किस आधार पर एक दुसरे से पृथक माना जाता है।
१. भिन्न- भिन्न ऊर्जा या शक्ति के आधार पर
२. गैलेक्सी के समूह से निर्मित ब्रह्माण्ड में आपसी दूरी अधिक होने के कारण
३. ब्रह्माण्ड के निर्माण की क्रिया ही भिन्न-भिन्न होने के कारण
४. या फिर मनुष्य के समूह, पेड़-पोधों के समूह या अन्य प्रजाति के समूह के संयोजित रूप को ही ब्रह्माण्ड कहते हैं..।
पसंद करेंपसंद करें
क्या आप अपने प्रश्न को विस्तार दे सकते है? मै आपका प्रश्न नही समझ पाया!
पसंद करेंपसंद करें
सर, मैं जानना चाहता हूँ कि ब्रह्माण्ड के समूह(MULTIVERSE) की अवधारणा व्यावहारिक रूप में संभव है या फिर सिद्धान्तिक रूप में.. ।
प्रश्न पूंछने का कारण : अभी तक मैं सुनते आया हूँ व्यापकता का दूसरा नाम ब्रह्माण्ड है। जिसके अंतर्गत सर्वस्व सम्मलित है। उसमे सम्मलित होने के लिए कुछ भी शेष नहीं रहता।
आगे प्रश्न यह है कि ब्रह्माण्ड के समूह(MULTIVERSE) की अवधारणा के होने का कारण इनमे से क्या हैं..??
१. ब्रह्माण्ड की भिन्न- भिन्न स्थिति में ऊर्जा या शक्ति का वितरण या उसके रूप के भिन्नता होना।
२. गैलेक्सी के समूह से निर्मित ब्रह्माण्ड में गैलेक्सी के समूहों का अपना अपना समुच्चय होना।जिससे की समुच्चय में आपसी दूरी अधिक होगी।
३. ब्रह्माण्ड के निर्माण की क्रिया में भिन्नता होना।
४. या फिर मनुष्य के समूह, पेड़-पोधों के समूह या अन्य प्रजाति के समूह के संयोजित रूप को ही सयोंजित ब्रह्माण्ड कहते हैं..। जहाँ मनुष्य के समूह, पेड़-पोधों के समूह या अन्य प्रजाति की अपनी अलग-अलग दुनिया है।
५. और यदि कहीं ब्रह्माण्ड का निर्माण वर्तमान में जारी है। तो इससे निर्मित ब्रह्माण्ड में संख्यात्मक विकास होना। ब्रह्माण्ड के समूह होने का कारण है।
या फिर ब्रह्माण्ड के समूह(MULTIVERSE) की अवधारणा का कुछ और ही कारण है।
पसंद करेंपसंद करें
वर्त्तमान ज्ञान के अनुसार समान्तर ब्रह्माण्ड (मल्टीवर्ष) अभी सैद्धांतिक रूप में ही है, वास्तविकता में हो सकता है या नहीं भी !
आपके प्रश्न का उत्तर छोटा नहीं है, मुझे इस पर एक पूरा लेख लिखना होगा! अभी इतना कह सकता हूँ कि मल्टीवर्ष इन सभी से अलग है. मल्टीवर्ष में एकाधिक ब्रह्माण्ड होते है और हर ब्रह्माण्ड में एक वास्तु की अलग अलग कापी होने की संभावना होती है. अर्थात यदि दो ब्रह्माण्ड है तो आप और मै एक नहीं है, हम दोनों कि एक कापी दूसरे समान्तर ब्रह्माण्ड में भी है.
मान लो कि आपने एक सिक्का उछाला तो एक ब्रहमांड में वह चित आयेगा, दूसरे में पट! अर्थात इस घटना के लिए दो परिणामो की संभावना है इसलिए दो समान्तर ब्रह्माण्ड होंगे. जितनी ज्यादा संभावनाए उतने समान्तर ब्रह्माण्ड. यह दिमाग को चकरा देना वाला अजीब सा सिद्धांत है लेकिन असंभव नहीं.
यह संभव है कि किसी समान्तर ब्रह्माण्ड में महात्मा गांधी की ह्त्या नहीं हुयी हो, जबकि हमारे ब्रह्माण्ड में उनकी ह्त्या हुयी है. ये दो ब्रह्माण्ड इसलिए कि महात्मा गांधी की हत्या होने या ना होने की दो संभावनाए है.
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
जी धन्यवाद..
मुझे अपने प्रश्न का उत्तर पहली पंक्ति से ही मिल गया है। “ब्रह्माण्ड के समूह” पर लेख का मैं इंतज़ार करूँगा। मुझमे इसको जानने की ललक है।
पसंद करेंपसंद करें
आयाम की परिभाषा क्या होगी?
मेरा मत है कि वास्तविक संसार मेँ तीन आयामोँ से कम आयाम संभव ही नहीँ है। शून्य आयामी बिन्दु, एक आयामी रेखा और द्विआयामी समतल सिर्फ गणित मेँ ही हो सकते हैँ बाह्य जगत मेँ नहीँ।
स्ट्रिँग सिध्दान्त की स्ट्रिँग को एक आयामी संरचना कैसे माना जा सकता है? अगर उसमेँ लम्बाई है तो उसकी और भी सूक्ष्म त्रिज्या भी होगी। एक आयाम का मतलब त्रिज्या शून्य। अब शून्य त्रिज्या का अर्थ क्या होगा? ऐसी कोई स्ट्रिँग हो ही नहीँ सकती।
आप ऐसी किसी वास्तविक वस्तु का नाम नहीँ बता सकते जो तीन से एक भी आयाम कम पर संभव हो।
क्या यह सही है?
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
अनमोल तुम्हारा प्रश्न स्ट्रिंग सिद्धांत को चुनौती दे रहा है. मानव मस्तिष्क केवल तीन आयामों (न कम न ज्यादा) समझ सकता है. वहीं मछली केवल दो ही आयाम देख सकती है, सोच सकती है.
स्ट्रिंग को एक आयामी कहा जाता है, वही मूलभूत कण जैसे क्वार्क को शून्य आयामी (शून्य, चौड़ाई, लम्बाई और उंचाई ), यही शून्य गणना में अनंत लाता है.
स्ट्रिंग सिद्धांत अभी प्रमाणित नहीं है, वह केवल गणितीय सिद्धांत है, प्रायोगिक धरातल पर उसका प्रमाणित होना अभी बाकी है.
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Vishisht ushma kya hoti he
पसंद करेंपसंद करें
जल की उष्माधारिता की तुलना में किसी पदार्थ की उष्माधारिता को उस पदार्थ की विशिष्ट उष्मा कहते हैं। अर्थात्, पदार्थ के किसी द्रव्यमान की किसी तापवृद्धि के लिए आवश्यक उष्मा की मात्रा तथा समान द्रव्यमान के जल की उसी तापवृद्धि के लिए आवश्यक उष्मा की निष्पत्ति को उस पदार्थ की विशिष्ट उष्मा कहते हैं। 1 ग्राम जल की 1° सें. तापवृद्धि के लिए आवश्यक उष्मा 1 एकक उष्मा होती है अत: एक ग्राम पदार्थ की उष्माधारिता उस पदार्थ की विशिष्ट उष्मा होती है।
यदि द्रव्यमान m की किसी वस्तु का ताप (T1) से (T2) तक बढ़ाने के लिए आवश्यक उष्मा की मात्रा मा (Q) हो तो पूर्वोक्त परिभाषा के अनुसार विशिष्ट उष्मा वि (S) निम्नलिखित सूत्र में प्राप्त होगी:
S = Q / (m . (T2-T1)) — (1)
किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा विशिष्ट उष्मा के गुणनफल को उस वस्तु की उष्माधारिता (हीत कैपेसिटी) कहते हैं। इसे उस वस्तु का ‘जल तुल्यांक’ भी कहते हैं।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Sir space mai kyu nhi ho sakte 3 say adhik dimension yadi space mai 3 say adhik dimension nhi ho sakte h kyuki maths k niyam ke anusar space mai infinite dimension aur space infinite structure ka h mana ki insaan 3 say adhik dimension say jayeda nhi soch sakta to iska Matlab yai nhi h ki ki 3 say adhik dimension nhi ho sakte…apna comments jaruru de
पसंद करेंपसंद करें
क्या आप बता सकते हैँ कि हाइजेनबर्ग नेँ अनिश्चितता का सिध्दान्त कैसे दिया? किस आधार पर दिया? उन्होँने इसके लिए क्या प्रयोग किया?
पसंद करेंपसंद करें
https://vigyan.wordpress.com/2011/11/09/stringtheory3/
पसंद करेंपसंद करें
इसमेँ अनिश्चितता का सिद्दान्त दिया हुआ है। हमनेँ अनिश्चितता का सिध्दान्त नहीँ पूछा है। हमारा प्रश्न है कि हाइजेनबर्ग को अनिश्चितता के सिध्दान्त की जानकारी कैसे हुई? उन्होनेँ यह नियम कैसे जाना?
पसंद करेंपसंद करें
ex.—jaise tum bike per bathe ho aur koi dusara drive kare aur phone e tumhari speed and place puche to agar tum speed batate ho tab tak place badal gayega or agar place bataoge to speed
liken this electron ke liye bhi..
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
आशीष जी नमस्कार ,
कई बार पहाड़ों पर हम बादलों क़े अन्दर गए /कई बार एयर बस भी बादलों क़े अन्दर से निकलती है, मेरा प्रश्न बादल तो एक कोहरे जैसा लगता है फिर बादल फटना ओर इतनी तबाही होना कैसे ओर क्या विज्ञान की मदद से पूर्व अनुमान नहीं लगाया जा सकता ?
पसंद करेंपसंद करें
मनोज,
बादल फटना वातावरण में आये अचानक बदलाव से होता है, अभी तक इसका पूर्वानुमान लगाना अभी तक संभव नहीं हो सका है. इसके पीछे के सभी कारको की जानकारी नहीं है.
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
आशीष, एक अटपटा विचार मन में आया तो उसे साझा कर रहा हूँ. किसी प्रकाश स्रोत (जैसे सूर्य) से तीन लाख किलोमीटर प्रति सैकंड की गति से किरणें-कण-तरंगें-फोटॉन निकल रहे हैं. उसके सामने एक लोहे का बक्सा खुला रखा है. यदि उस बक्से का ढक्कन बंद कर दिया जाये तो क्या यह कहा जा सकता है कि ढक्कन बंद करते समय उस अंतराल से गुज़र रहे किरणें-कण-तरंगें-फोटॉन (अर्थात प्रकाश) उस बक्से में बंद रह गए होंगे?
इसी से मिलता-जुलता प्रश्न: क्या कारण है कि सर्वोच्च संभव गति से चल रहे अति सूक्ष्म फोटॉन धातु की पतली सी शीट को भेद नहीं पाते, यहाँ तक कि लकड़ी के पतले बोर्ड को भी नहीं भेद पाते.
और यह भी: क्या फोटॉन भारहीन होते हैं? फोटॉन के पैकेट्स से हमारा क्या अभिप्राय है? यदि वे कण हैं तो निश्चित ही उनका भार अवश्य होगा, भले ही कितना ही नगण्य हो. ऐसे में किसी प्रकाश उत्सर्जित करनेवाली वस्तु (जैसे बल्ब) के द्रव्यमान में लम्बी अवधि में कमी आनी चाहिए (भले ही वह कितनी ही नगण्य क्यों न हो)?
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
1. सबसे पहले समस्त ब्रह्माण्ड मे सिर्फ दो ही चीजें है, पदार्थ और ऊर्जा।
2. आईन्सटाइन ने प्रमाणित किया कि पदार्थ और ऊर्जा एक ही है और इनका एक से दूसरे रूप मे परिवर्तन संभव है।
3. समस्त ब्रह्माण्ड दो तरह के कणो से बना है, फर्मीयान और बोसान। फर्मीयान कण पदार्थ बनाते है और बोसान कण ऊर्जा।
4. अधिकतर बोसान कण का द्रव्यमान नही होता है,इसमे फोटान भी है। फोटान बोसान का एक प्रकार है जो विद्युत-चुंबक बल का वाहक कण है।.
5. विद्युत बल्ब मे विद्युत ऊर्जा इलेक्ट्रान द्वारा अवशोषित होती है, और ये आवेशित इलेक्ट्रान अधिक ऊर्जा होने से गतिमान हो जाते है। विद्युत बल्ब का फिलामेंट की धातु इस तरह की होती है कि इलेक्ट्रान आपस मे टकराकर ऊर्जा उत्सर्जित करते है, यह ऊर्जा उष्णता/प्रकाश फोटान के रूप मे बाहर आती है। जो ऊर्जा आपने विद्युत रूप मे दी थी, वही उष्णता/प्रकाश रूप मे बाहर आयी। द्रव्यमान का क्षय नही हो रहा है। ध्यान रहे कि ऊर्जा के अविनाशिता के नियम के अनुसार ऊर्जा का निर्माण और विनाश असंभव है, केवल एक रूप से दूसरे रूप मे परिवर्तन संभव है।
6. किसी बक्से मे आप फोटानो को बंद नही कर सकते है, वे उस बक्से के पदार्थ द्वारा अवशोषित कर लिये जायेंगे। बक्सा आंशिक मात्रा मे उष्ण या आवेशित हो जायेगा।
7. फोटान कुछ और नही, बस ऊर्जा का संघनित रूप(packet) है।फोटान अपनी आवृत्ति के आधार पर दॄश्य प्रकाश/एक्स रे/उष्मा/गामा किरण जैसे एकाधिक रूप मे रह सकते है। जब हम पैकेट कहते है इसका अर्थ होता है कि प्रकाश किरण सतत नही होती है, विद्युत चुंबकिय ऊर्जा छोटे छोटे टुकड़ो मे अर्थात पैकेट अर्थात फोटान के रूप मे प्रवाहित होती है।
8. फोटान किस पदार्थ को भेद सकते है यह उसकी आवृत्ती/तरंग दैध्र्य पर निर्भर है। गामा किरण लगभग हर वस्तु को भेद सकती है। दृश्य प्रकास कुछ ही वस्तुओ को भेद सकती है। एक्स रे कुछ ज्यादा पदार्थो को भेद सकती है। यह सभी विद्युत-चुंबकिय विकिरण अर्थात फोटान ही है। बस आवृत्ति भिन्न है। लेजर भी फोटान ही है।
9. फोटान की आवृत्ति कुछ भी हो अर्थात प्रकाश/एक्स रे/गामा किरण/रेडीयो तरंग सभी की गति एक जैसे रहती है।
इस चित्र को भी देखे
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
धन्यवाद, आशीष.
ऐसे ही पढ़ते रहने से चीज़ें बेहतर समझ में आने लगेंगीं.
कणों के अवशोषण से आपका क्या तात्पर्य है? क्या यह कणों का ह्रास होना है? अवोशोषित हो चुके कणों का क्या होता है?
पसंद करेंपसंद करें
केवल बलवाहक कण ही अवशोषित किये जा सकते है, क्योंकि ये उर्जा के पैकेट मात्र होते है। ये बलवाहककण पदार्थ-कणो मे समा जाते है, अर्थात अवशोषित हो जाते है, फलस्वरूप पदार्थ कण की ऊर्जा बढ़ जाती है, पदार्थ कण या तो ज्यादा गतिमान हो जाते है, या उष्ण हो जाते है। पदार्थ कण द्वारा बल-वाहक-कण(बोसान) के अवशोषण द्वारा पदार्थ-कण(फर्मीयान) की प्रतिक्रिया बहुत से कारक पर निर्भर है, जैसे उसका प्रकार (धातु/अधातु), रंग इत्यादि।
पदार्थ कण विशेष स्थितियो मे अपनी ऊर्जा का उत्सर्जन बोसान कणो के रूप मे करते है।
कणो का ह्रास केवल पदार्थ कणो के ह्रास मे संभव है, यह रेडीयो सक्रिय पदार्थो मे होता है , जहां पर पदार्थ कण का कुछ भाग क्षय होकर ऊर्जा अर्थात बलवाहक कण और न्युट्रीनो मे परिवर्तित हो जाता है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
आशीष,
मैं इसी प्रश्न पर पुनः विचार कर रहा हूँ . यदि बक्से की भीतरी सतह पूर्ण रूप से परावर्तनशील (लगभग पूर्ण) है. तब क्या कुछ क्षण के लिए फोटोन बक्से में बंद होंगे?
पसंद करेंपसंद करें
आशीष जी ,नमस्कार ,कृपया यह बताये की आसमान में बिजली का निर्माण कैसे होता है ?
और इस बिजली से पृथ्वी क़े अलावा बाहर अन्तरिक्ष की ओर भी नुक्सान की सम्भावना होती है , तथा अगर वोल्ट में नापे तो कितना वोल्ट तक का करंट इसमें हो सकता है ?
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
आकाशीय बिजली प्राय: कपासीवर्षी (cumulonimbus) मेघों में उत्पन्न होती है। इन मेघों में अत्यंत प्रबल ऊर्ध्वगामी(ऊपर कि दिशा में ) पवनधाराएँ चलती हैं, जो लगभग ४०,००० फुट की ऊँचाई तक पहुँचती हैं। इनमें कुछ ऐसी क्रियाएँ होती हैं जिनके कारण इनमें विद्युत् आवेशों की उत्पत्ति तथा वियोजन होता रहता है। इस प्रक्रिया को आयोनाइजेशन कहते है।
बादलों में इनके ऊपरी स्तर धनावेषित तथा मध्य और निम्नस्तर ऋणावेषित होतें हैं। बादलों के निम्न स्तरों पर ऋणावेश उत्पन्न हो जाने के कारण नीचे पृथ्वी के तल पर प्रेरण(induction) द्वारा धनावेश उत्पन्न हो जाते हैं। बादलों के आगे बढ़ने के साथ ही पृथ्वी पर के ये धनावेश भी ठीक उसी प्रकार आगे बढ़ते जाते हैं। ऋणावेशों के द्वारा आकर्षित होकर भूतल के धनावेश पृथ्वी पर खड़ी सुचालक या अर्धचालक वस्तुओं पर ऊपर तक चढ़ जाते हैं। इस विधि से जब मेघों का विद्युतीकरण इस सीमा तक पहुँच जाता है कि पड़ोसी आवेशकेंद्रों के बीच विभव प्रवणता (वोल्टेज )विभंग मान(potential gradient – इस सीमा पर वायु सुचालक हो जाती है) तक पहुँच जाती है, तब विद्युत् का विसर्जन एक चमक के साथ गर्जन के के रूप में होता है। इसे तड़ित/बिजली कहते हैं।
इसका प्रभाव पृथ्वी के वायुमंडल तक ही रहता है, अंतरिक्ष में कोई प्रभाव नहीं होता क्योंकि वहां इसके बहाव के लिए कोई चालाक नहीं होता है.यह लगभग एक टेरा वाट तक हो सकती है। इसका करंट ३०,००० एम्पीयर तक हो सकता है. ध्यान रहे विद्युत् ऊर्जा को वोल्टेज में नहीं वाट या अम्पीयर में नापा जाता है,
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
गुरुजी, वास्तव मेँ तापमान क्या है? निर्वात मेँ तापमान क्या होगा? निर्वात मेँ तापमान कम ज्यादा कैसे होता है? परम शून्य से नीचे का तापमान भी होता है क्या? और किसी चीज को परम शून्य तक कैसे ठण्डा किया जा सकता है?
पसंद करेंपसंद करें
तापमान किसी भी पदार्थ कि उष्मता ऊर्जा का माप है. हर पदार्थ अपने आपको परम शून्य तापमान तक जाने का प्रयास करता है, इस प्रक्रिया में वह उष्मा का उत्सर्जन करता है, वही उस पदार्थ का तापमान होता है.
निर्वात में पदार्थ नहीं होता, तापमान होने का प्रश्न नहीं उठता.
परम शून्य पर सभी पदार्थ कण गति करना बंद कर देते है, तो उससे निचे तापमान संभव नहीं है. परम शून्य तक ठंडा करना भी संभव नहीं है, उसके आस पास तक ठंडा करने द्रव नाईट्रोजन का प्रयोग होता है.
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति