अपवर्तक (Refractor) दूरबीन

खगोल भौतिकी 3 : दूरबीनो की कार्यप्रणाली का परिचय


लेखिका:  सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar)

आज हम जानते है कि हमारे आसपास का विश्व कैसा दिखता है, हम जानते हैं कि हमारा ब्रह्मांड कितना सुंदर है, हमने तेजस्वी देदीप्यमान सुपरनोवा देखे है और हमारे पास ब्लैकहोल का सबसे पहला चित्र है। सब कुछ हमारी दूरबीनों की बदौलत! हम निर्विवादित रूप से कह सकते है कि खगोलशास्त्र और खगोलभौतिकी के क्षेत्र मे सबसे अधिक प्रयुक्त होने वाला उपकरण दूरबीन है। इस विषय मे रूचि रखने वाला कोई भी व्यक्ति कभी ना कभी किसी ना किसी दूरबीन का प्रयोग करेगा ही। प्रस्तुत है ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला का तृतीय लेख जो कि इस उपकरण को समर्पित है।

दूरबीनों ने हमे ब्रह्माण्ड मे अपने स्थान को जानने और पहचानने मे बहुत मदद की है। किसी समय समुद्री जहाजो के कप्तान और सागरी डाकू अपने साथ दूरबीन ले जाया करते थे जोकि उनकी देखने की क्षमता को चार गुणा बढ़ाते थे लेकिन दृश्यपटल काफ़ी संकरा हुआ करता था। लेकिन वर्तमान की आधुनिक दूरबीने बहुत सी दूरबीनो का एक विशालकाय समूह है जोकि अंतरिक्ष के हर कोने को देख सकती है। एक दूरबीन हमारी आंखो को विस्तार देती है और उन चिजो को भी देखने मे मदद करती है जिसे नंगी मानव आंखो से देखा नही जा सकता है।

तकनीकी रूप से एक दूरबीन एक ऐसा प्रकाशीय(optical) उपकरण है जो कि दूरस्थ वस्तुओं को लेंस तथा दर्पणो की सहायता से आवर्धित कर के दिखाता है। दूरबीन सामान्यत: प्रकाशीय दूरबीनों के लिये प्रयुक्त शब्द है लेकिन 17 वी सदी मे अपने अविष्कार के पश्चात यह उपकरण अनेक क्रांतिकारी परिवर्तनो के दौर से गुजरा है। जिसके फ़लस्वरूप वर्तमान दूरबीने ना केवल दृश्य प्रकाश मे काम करती है, बल्कि वे रेडीयो तरंग से लेकर गामा किरणो को भी देख सकती है। किसी दूरबीन का मुख्य कार्य दूरस्थ पिंड द्वारा उत्सर्जित प्रकाश या अन्य विकिरण को जमा करना और उस प्रकाश या विकिरण को एक जगह फ़ोकस करना है जिससे उसकी छवि को देखा जा सके, चित्र लिया जा सके या अध्ययन किया जा सके।

दूरबीनो का इतिहास

हैंस लिप्पर्शे (Hans Lippershey)
हैंस लिप्पर्शे (Hans Lippershey)

सबसे पहली दूरबीन हालैंड के एक चश्मो के निर्माता हैंस लिप्पर्शे(Hans Lippershey) ने बनाया थी और पेटेंट के लिये आवेदन किया था। लिप्पर्शे को पेटेट नही मिला लेकिन इस नई खोज की खबर सारे यूरोप मे जंगल की आग की तरह फ़ैल गई थी। लिप्पर्शे के डीजाईन मे एक उत्तल (convex) वस्तु लेंस और अवतल दृष्टि लेंस(concave eyepiece) था। हैंस का यह उपकरण किसी भी वस्तु को वास्तविक आकार से तीन गुना आवर्धित करने मे सक्षम था।

1609 मे जब हैंस लिप्पर्शे की दूरबीन की खबर गेलेलियो के पास पहुंची तो वे हैंस लिप्पर्शे के डीजाईन को देखे बगैर अपनी दूरबीन के निर्माण मे जुट गये। उन्होने अपनी दूरबीन मे बहुत से महत्वपूर्ण सुधार किये और उनकी दूरबीन मे उन्होने 20 गुणा आवर्धन प्राप्त करने मे सफ़लता पाई। इससे बड़ी बात यह थी कि गैलेलीयों दूरबीन का रूख आकाश की ओर करनेवाले प्रथम व्यक्ति थे जिसके फ़लस्वरूप उन्होने 1610 मे बृहस्पति के चार बड़े चंद्रमाओं को खोजने मे सफ़लता पाई। इन चार बड़े चंद्रमाओं को संयुक्त रूप से गैलेलीयन चंद्रमा कहा जाता है।

गैलेलीयो द्वारा निरीक्षण के बाद बनाया गया गैलेलीयन चंद्रमाओ का चित्र
गैलेलीयो द्वारा निरीक्षण के बाद बनाया गया गैलेलीयन चंद्रमाओ का चित्र

दूरबीनों के प्रकार

दूरबीनों के कई प्रकार है। दूरबीनो का वर्गीकरण लेंस और दर्पण की व्यवस्था के अनुसार, संवेदी विकिर्ण के अनुसार तथा वातावरण को झेल सकने की क्षमता जैसे कई तरिको से किया जाता है। लेकिन मुख्य रूप से दूरबीनो के तीन मुख्य प्रकार है, इन्ही तीन प्रकारो से सभी आधुनिक संस्करण बने है। ये तीन प्रकार निम्नलिखित है :

अपवर्तक (Refractor) दूरबीन – सबसे पहली निर्मित दूरबीन अपवर्तक दूरबीन थी। अपवर्तक दूरबीन मे एक लेंस के प्रयोग से प्रकाश को ग्रहण और फ़ोकस किया जाता है। इसमे कांच का लेंस दूरबीन के सामने होता है, जब प्रकाश इस लेंस से गुजरता है तब वह अपवर्तन से मुड़ता है। शुरुवाती खगोलशास्त्री इस तरह की दूरबीन का प्रयोग करते है क्योंकि इसका प्रयोग करना आसान है और रखरखाव मे अधिक मेहनत नही है।

 अपवर्तक (Refractor) दूरबीन

अपवर्तक (Refractor) दूरबीन

परावर्ती (Reflector) दूरबीन– परावर्ती दूरबीन मे एक दर्पण से प्रकाश को जमा कर फ़ोकस किया जाता है। सभी खगोलीय पिंड पृथ्वी से इतनी दूर है कि उनसे आने वाली सभी प्रकाश किरणे एक दूसरे के समानांतर होती है। इन समानांतर प्रकाशकिरणो को केंद्रीत करने के लिये पैराबोला के आकार का दर्पण बनाया जाता है। पैराबोला के आकार का दर्पण इन समानांतर प्रकाश किरणो को एक बिंदु पर केंद्रित करता है। सभी आधुनिक शोध दूरबीने और विशाल शौकिया दूरबीने इसी प्रकार की होती है क्योंकि अपने गुणो मे वे अपवर्तक से बेहतर होती है।

परावर्ती (Reflector) दूरबीन-
परावर्ती (Reflector) दूरबीन-

संयुक्त/केटेडीओप्ट्रीक(Compound/Catadioptric) दूरबीन – ये दूरबीन अपवर्ती और परावर्ती दूरबीन का मिश्रण होती है, ये दोनो दूरबीनो के लाभ लेती है।

संयुक्त/केटेडीओप्ट्रीक(Compound/Catadioptric) दूरबीन
संयुक्त/केटेडीओप्ट्रीक(Compound/Catadioptric) दूरबीन

दूरबीनो से संबधित मूलभूत शब्द

वस्तु लेंस(Objective Lens) – दूरबीन के सामने वाला लेंस वस्तु लेंस या प्राथमिक लेंस कहलाता है। यह दूरस्थ पिंड से प्रकाश जमा कर एक बिंदु पर फ़ोकस करता है।

अपर्चर (Aperture) – प्राथमिक दर्पण या लेंस का व्यास अपर्चर कहलाता है। अपर्चर जितना अधिक होगा छवि उतनी चमकदार होगी। एक अच्छे घरेलु दूरबीन का अपर्चन कम से कम 80 mm से 300 mm होना चाहीये। जबकी अरबो डालर के खर्च से बनी विशालकाय शोध दूरबीनो के अपर्चर 10 मिटर तक होते है।

फ़ोकस दूरी(Focal length) – जब प्रकाश किसी दर्पण या लेंस से गुजरता है तो उसे एक समतल सतह पर कुछ दूरी पर एक बिंदु पर केंद्रित किया जाता है। लेंस या दर्पण के केंद्र से इस बिंदु की दूरी को फ़ोकस दूरी कहा जाता है।

दृष्टि लेंस(Eyepiece) –दृष्टि लेंस एक छोटी ट्युब मे लेंस होते है जिससे दूरबीन के द्वारा फ़ोकस की गई छवि को आंखो से देखने मे सहायता करते है। आमतौर पर सभी दूरबीने दो क्षमता वाले लेसो के साथ आती है, कम आवर्धन और स्पष्ट छवि, तथा अधिक आवर्धन लेकिन धुंधली छवि वाले लेंस।

आवर्धन क्षमता(Magnifying Power) – यह दर्शाता है कि दूरबीन पिंड के दृश्य आकार को कितने गुणा अधिक विशाल कर दिखायेगी। इसकी गणना दूरबीन की फ़ोकस दूरी को दृष्टि लेंस की फ़ोकस दूरी से विभाजित कर की जाती है। इसलिये अधिक फ़ोकल दूरी वाले दृष्टि लेंस से आवर्धन कम होगा लेकिन छवि अधिक स्पष्ट और चमकदार होगी।

लेखिका का संदेश

आशा है कि इस लेख से आपको दूरबीनो के बारे मे जानने मे मदद मिली होगी। यदि आपको खगोल शास्त्र मे रुचि है तो आपको किसी दूरबीन से कम से कम एक बार आकाशीय पिंडॊ को देखना चाहीये। यह एक स्वप्निल अनुभव होगा और वह आपकी रुचि इस विषय मे अप्रत्याशित रूप से बढ़ायेगा।

इस शृंखला मे इससे पहले : विद्युत चुंबकीय (EM SPECTRUM) क्या है और वह खगोलभौतिकी (ASTROPHYSICS) मे महत्वपूर्ण उपकरण क्यों है ?

मूल लेख : AN INTRODUCTION TO THE BASIC CONCEPTS OF TELESCOPES

लेखक परिचय

सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar)
संपादक और लेखक : द सिक्रेट्स आफ़ युनिवर्स(‘The secrets of the universe’)

लेखिका भौतिकी मे परास्नातक कर रही है। उनकी रुचि ब्रह्मांड विज्ञान, कंडेस्ड मैटर भौतिकी तथा क्वांटम मेकेनिक्स मे है।

Editor at The Secrets of the Universe, She is a science student pursuing Master’s in Physics from India. Her interests include Cosmology, Condensed Matter Physics and Quantum Mechanics

2 विचार “खगोल भौतिकी 3 : दूरबीनो की कार्यप्रणाली का परिचय&rdquo पर;

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