
उत्तरी गोलार्ध मे सबसे आसानी से पहचाने जाना वाला तारामंडल – सप्तऋषि। इसे ग्रामीण क्षेत्रो मे ’बुढिया की खाट और तीन चोर’ भी कहा जाता है। कुछ लोगो को को इसमे हल की आकृति भी दिखायी देती है। कृतु जो कि सप्तऋषि तारामंडल के मातृ तारामंडल उर्षा मेजर का मुख्य तारा है इस चित्र मे उपर दायें स्थित है। कृतु तारे के साथ के तारे पुलहा की सरल रेखा मे ध्रुव तारा है।वशिष्ठ तारे के पास एक नन्हा तारा अरुंधती भी देखा जा सकता है। वशिष्ठ तारा एक युग्म तारा है, वशिष्ठ और अरुंधती दोनो एक दूसरे की परिक्रमा करते हैं।
इस चित्र मे कुछ मेजीयर पिंड(आकाशगंगा/निहारिकायें इत्यादि) एम 101, एम 40 ,एम 51,एम 97,एम 108,एम 109भी दर्शाये गये है।
रोचक जानकारी।
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लो जी, मैं तो डॉक्टर बन गया..
क्या साहित्यकार आउट ऑफ डेट हो गये हैं ?
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ह्म्म्म… सप्तर्षि तो नहीं, मुझे ओरायन ने हमेशा ही आकर्षित किया है. इसका कारण यह है कि सप्तर्षि बहुधा आकाश के एक कोने में दिखता है जबकि ओरायन अधिकतर सर के ऊपर या सामने और अधिक स्पष्ट दिखता है. आपकी पोस्ट सुन्दर है, इससे पता चल गया कि किस तारे का नाम किस ऋषि के नाम पर रखा गया है.
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अरुंधती को इंगित कीजिए!
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