परग्रही जीवन भाग 1 : क्या जीवन के लिये कार्बन और जल आवश्यक है ?


जब हम आकाश मे देखते है तो हम कल्पना ही नही कर पाते हैं कि ब्रह्मांड कितना विराट है। हमारे ब्रह्माण्ड मे एक अनुमान के अनुसार 100 अरब आकाशगंगायें है और हर आकाशगंगा मे लगभग 100 अरब तारें है। इनमे से अधिकतर तारों के पास ग्रंहो की उपस्थिति की संभावना है। तारों और उनके संभावित ग्रहों की यह एक चमत्कृत कर देने वाली संख्या है। इससे  प्रश्न उठता है कि

  1. क्या प्रकाश के एक नन्हे बिंदु की तरह दिखाई दे रहे इन तारों की परिक्रमा करते किसी ग्रह पर जीवन उपस्थित है ?
  2. यही हाँ, तो वह जीवन कैसा हो होगा ?
  3. क्या उन ग्रहों पर परग्रही सभ्यता का अस्तित्व है ?
  4. क्या उन सभ्यताओं मे पृथ्वी के तुल्य या विकसीत बुद्धिमान जीवन और तकनीक की उपस्थिति है ?
  5. यदी हाँ तो क्या हम कभी उनसे संपर्क कर पायेंगे ?

मानव बरसों से एलियन की खोज कर रहा है। कभी उसकी खोज के लिए दूरबीन की मदद ली जाती है, तो कभी अंतरिक्ष में दूरबीन और यान भेजकर उसे खोजा जाता है।

बहुत दिनों से धरती से रेडियो तरंगें भी भेजी जा रही हैं ताकि अंतरिक्ष में कोई मानवों जैसी बस्ती हो तो वो उन्हें सुनकर उनका उत्तर दे। मगर अब तक एलियन ने मानव के किसी भी संदेश का उत्तर नहीं दिया है। क़रीब सौ साल हो चुके जब से हम ब्रह्मांड में अपनी मौजूदगी के संदेश प्रसारित कर रहे हैं।

दुनिया की पहली सबसे बड़ी घटना जिसका बड़े पैमाने पर टीवी पर प्रसारण हुआ था, वो 1936 में बर्लिन में हुए ओलंपिक खेल थे। इस दौरान पैदा हुई रेडियो तरंगें अब तक करोड़ों किलोमीटर का सफ़र तय कर चुकी होंगी। मशहूर सीरियल ‘गेम ऑफ थ्रोन’ की रेडियो तरंगें अब तक हमारे सबसे क़रीबी सौर मंडल से भी आगे पहुंच चुकी होंगी। मगर, एलियन का उत्तर अब तक नहीं आया। आख़िर क्यों?

इसकी कई वजहें हो सकती हैं। हो सकता है कि जैसा हम सोच रहे हों, वैसे एलियन ब्रह्मांड में हों ही न। या इतनी दूर हों कि उन तक अभी धरती से निकले रेडियो संदेश पहुंचे ही न हों। या फिर ब्रह्मांड के किसी और कोने में जो जीवन हो, वो अभी कीटाणु के दर्जे से आगे न बढ़ा हो।

अंतरिक्ष में एलियन की खोज में जुटी संस्था एसईटीआई (सेटी) यानी ‘सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस’ से जुड़े सेथ शोस्टाक कहते हैं कि, “हमने एलियन के बहुत सारे रूप फ़िल्मों में देखे हैं। इसलिए उनकी एक ख़ास तस्वीर हमारे ज़हन में बन गई है। मगर हो सकता है कि अगर उनका संदेश आए भी तो वो वैसे न हों, जैसा हमने सोच रखा हो।”

सेती (SETI)

SETI
SETI

पृथ्वी के बाहर बुद्धिमान जीवन की तलाश के लिये 1960 के दशक के आरंभ मे SETI (Search for Extra-Terrestrial Intelligence) की स्थापना हुयी थी, जिसका उद्देशय इन बुद्धिमान सभ्यताओं द्वारा उत्सर्जित रेडीयो संकेतो का पता लगाना था। यह तय है कि सेती के समर्थकों को पूरा विश्वास था कि वे किसी दिन इन बुद्धिमान सभ्यताओं के संकेत पकड़ पाने मे सफ़ल होंगे। उदाहरण के लिये सेती की स्थापना के लिये सहायता करने वाले प्रसिद्ध खगोलशास्त्री फ़्रेंक ड्रेक ने कहा था कि इस क्षण हम पूरे विश्वास से कह सकते हैं कि किसी बुद्धिमान सभ्यता द्वारा उतसर्जित रेडियो तरंगे पृथ्वी पर आ रही है। प्रसिद्ध खगोलशास्त्री कार्ल सागन भी पृथ्वी बाह्य बुद्धिमान जीवन के प्रति आश्वस्त थे। उन्होने लिखा है कि आवश्यक समय और वातावरण के उपलब्ध होने पर जटिल जीवन का उद्भव अवश्य होगा। हमारे ही सौर मंडल मे मंगल या अन्य ग्रहो पर सरल सूक्ष्म जीवन की उपस्थिति इस धारणा प्रमाणित करेगी। कार्ल सागन ने फ़्रेंक ड्रेक के साथ लिखा था कि इस बात मे कोई शक नही है कि पृथ्वी की सभ्यता से विकसीत और बुद्धिमान सभ्यतायें ब्रह्माण्ड मे कहीं और उपस्थित है।

सेटी पिछले पचास सालों से अंतरिक्ष में एलियन को ढूंढ रही है। अब तक कोई कामयाबी नहीं मिली है।
शोस्टाक सलाह देते हैं कि हमें ब्रह्मांड में कहीं और एलियन खोजने करने की बजाय अपने भविष्य के बारे में सोचना चाहिए।
शोस्टाक के मुताबिक़ मानव आज बनावटी दिमाग़ वाली मशीनें तैयार करने में जुटा है। ऐसे में अगर ब्रह्मांड में कहीं एलियन होंगे भी तो वो तरक़्क़ी के मामले में मानव से काफ़ी आगे निकल चुके होंगे। ऐसे में हो ये भी सकता है कि किसी और ग्रह के जीवों ने बनावटी बुद्धि का विकास कर लिया हो। ऐसा भी हो सकता है कि ऐसी मशीनों ने आख़िर में अपने बनाने वालों को ही ख़त्म कर दिया हो। अब जैसे मानव ने ही जिस समय से पहला रोबोट बनाया है, तब से उसमें काफ़ी फेरबदल कर डाला है। आज रोबोट से एक से बढ़कर एक काम लिया जा रहा है। वो बुद्धिमानी के मामले में कई बार मानवों से आगे भी निकल गए हैं। तो ऐसा भी हो सकता है कि आगे चलकर ये रोबोट मानव के क़ाबू से ही बाहर निकल जाएं!

पूर्व अंतरिक्ष यात्री और लेखक स्टुअर्ट क्लार्क कहते हैं कि, “अगर ये बनावटी दिमाग़ वाली मशीनें इतनी तेज़ रफ़्तार हो जाएं कि मानव का आदेश मानने से इंकार कर दें, तो बहुत मुमकिन है कि आगे चलकर ये अपना राज क़ायम करने की कोशिश करें। ऐसी बहुत-सी कल्पनाएं मानव ने कर रखी हैं। इनकी मिसालें हम ‘द टर्मिनेटर’ जैसी फ़िल्मों से लेकर बर्सर्कर बुक्स तक में देख चुके हैं।

वैसे कुछ लोग ये भी कहते हैं कि मानवों जैसी सोच वाली मशीनें बनाना लगभग असंभव है। ऐसा होगा या नहीं – आज तो कहना मुश्किल है। पर, स्टुअर्ट क्लार्क कहते हैं कि ऐसी सोच से हम एलियन की अपनी खोज को एक दायरे में बांध देते हैं। एलियन खोजने वाली संस्था ‘सेटी’ कुछ रेडियो दूरबीनों की मदद से अंतरिक्ष में एलियन के संदेश सुनने की कोशिश करती है। ख़ास तौर से उन जगहों पर जहां अंतरिक्ष यानों ने नए ग्रह की संभावना जताई है। इन ग्रहों पर पानी और हवा होने की उम्मीद है। कठिनाई ये है कि मशीनी एलियन को रहने के लिए पानी और हवा की ज़रूरत ही नहीं।

शोस्टाक कहते हैं कि ये मशीनी एलियन ब्रह्मांड में कहीं भी हो सकते हैं। हां इन्हें ऊर्जा की बड़े पैमाने पर ज़रूरत होगी। इसलिए हमें अंतरिक्ष के उन कोनों में झांकना चाहिए जहां पर ऊर्जा के बड़े स्रोत होने की संभावना हो। शोस्टाक सलाह देते हैं कि इसके लिए सेटी को अपनी दूरबीनें धरती पर लगाने की बजाय अंतरिक्ष यानों के साथ अंतरिक्ष में भेजनी चाहिए। अब हर स्पेसक्राफ्ट भेजने वाला देश इसके लिए तैयार होगा, ये कहना ज़रा मुश्किल है।

फिलहाल तो सेटी रेडियो दूरबीनों की मदद से ही एलियन की खोज जारी रखेगा। हां, आगे चलकर ये विकल्प खोजा जा सकता है।

दूसरा तरीक़ा ये हो सकता है कि धरती से किसी ख़ास ग्रह या ब्रह्मांड के किसी ख़ास कोने की तरफ़ रेडियो संदेश भेजे जाएं। हालांकि स्टीफ़न हॉकिंग जैसे वैज्ञानिक इसका विरोध करते हैं। उन्हें डर है कि इससे धरती के लिए ख़तरा बढ़ जाएगा क्योंकि ये भी हो सकता है कि हमसे ताक़तवर जीव ब्रह्मांड में कहीं हों और उन्हें हमारे बारे में अब तक पता न हो। मगर रेडियो संदेश मिलते ही वो हमें खोजते हुए आ जाएं। ऐसे में मानवता का भविष्य ख़तरे में पड़ सकता है।

तो क्या हम कभी एलियन को खोज पाएंगे?

शोस्टाक और स्टुअर्ट क्लार्क कहते हैं कि न तो इससे इनकार किया जा सकता है। न ही पक्के तौर पर कहा जा सकता है कि हां, मानव एलियन को ढूंढ निकालेगा।
तब तक, हमें खोज तो जारी रखनी होगी।

सेती : इक्कीसवी सदी का दृष्टीकोण

सेती की स्थापना को 50 वर्ष से अधिक हो गये है। इसके परिणाम क्या हैं ?

  1. पृथ्वी बाह्य जीवन के कोई संकेत नही मिले है। इसका अर्थ यह नही है कि पृथ्वी के बाहर जीवन की उपस्थिती नही है लेकिन यह बुद्धिमान जीवन के प्रति हमारी समझ पर प्रश्न चिह्न अवश्य लगाता है। सेती की खोज के आधार पर हम मान सकते हैं कि हमारे निकट 50 प्रकाशवर्ष मे हमारी जैसी या हमसे बेहतर जैसी तकनीक वाली सभ्यता का अस्तित्व नही है। आशिंक खोजो के अनुसार हम इस निष्कर्ष को 4000 प्रकाशवर्ष तक बढ़ाते हुये कह सकते हैं कि हमारी जैसी तकनिकी रूप से विकसीत सभ्यता इस दूरी तक मौजूद नही है, तथा कार्दाशेव पैमाने पर वर्ग 1 तक विकसीत सभ्यता का अस्तित्व 40,000 प्रकाशवर्ष तक नही है।
  2. परग्रही जीवन के पृथ्वी पर आने के कोई प्रमाण नही है। उड़नतश्तरी, या यु एफ़ ओ के देखे जाने की खबरो के बावजूद किसी परग्रही सभ्यता के पृथ्वी पर आने के कोई भी विश्वनिय प्रमाण नही है।
  3. अन्य सौर मंडल हम से भिन्न है। 60 के दशक मे जब सेती ने कार्य प्रारंभ किया तब माना जाता था कि अधिकतर तारों के ग्रह होंगे तथा सभी सौर मंडल हमारे सौर मंडल से मिलते जुलते होंगे। यदि ऐसा है तो पृथ्वी के जैसे जीवनयोग्य ग्रहों की बहुतायत होगी। 2017 तक हमने लगभग 3000 से अधिक सौरबाह्य ग्रह खोज निकाले है, इसके अतिरिक्त ढेर सारे ग्रहों की संभावना के प्रमाण है। यह आंकड़े हमे एक आरंभिक निष्कर्ष निकालने मे मदद कर रहे है। हमारी सौर बाह्य ग्रह खोजने की तकनीक बहुत विकसीत नही है और ये निरीक्षण एक लंबे अरसे तक नही किये गये है। इसके बावजूद हमने यह पाया है कि अन्य सौर मंडल हमारे सौर मंडल से पूर्णत: भिन्न होते है जिनमे जीवन की संभावना कम होती है। उदहारण के लिये बृहस्पति के आकार के गैसीय ग्रहों को अपने मातृ तारे के निकट परिक्रमा या अत्याधिक दिर्घ वृत्ताकार कक्षा मे परिक्रमा करते पाया गया है। ये दोनो अवस्थाओं मे पृथ्वी, शुक्र या मंगल के जैसे चट्टानी ग्रहो पर जीवन की संभावना नगण्य हो जाती है।
  4. जीवन योग्य ग्रह होने के लिये आवश्यक शर्तो मे वृद्धि। प्रारंभ मे सेती के वैज्ञानिको ने किसी ग्रह पर जीवन की संभावना के लिये कुछ ही आवश्यक शर्ते रखी थी। लेकिन अब खगोल वैज्ञानिक मानते है कि किसी ग्रह पर बुद्धिमान और विकसीत जीवन के लिये हजारो आवश्यक शर्ते है। आधुनिक खोजो के साथ शर्तो की इस सूची मे विस्तार होते जा रहा है। इस सबसे कुछ खगोलशास्त्री मानने लगे हैं कि पृथ्वी जैसे ग्रह दुर्लभ है और ब्रह्मांड मे जटिल जीवन दुर्लभतम है।

परग्रही जीवन के प्रमाणो को पाने की हमारी असफ़लता और जीवन योग्य ग्रहों के दुर्लभ होने की संभावना ने अन्य ग्रहों पर बुद्धिमान जीवन होने की आशाओं पर दोहरा कुठाराघात किया है।

सेती की कार्यप्रणाली पर पुनर्विचार

तो क्या यह सारी कहानी का अंत है? सेती के अनुसार वे अभी हार मानने तैयार नही है। इन सभी अड़चनो और असफ़लताओं के बावजूद सेती वैज्ञानिक मानते हैं कि अब अन्य ग्रहों पर बुद्धिमान जीवन की संभावनायें पहले से बेहतर होते जा रही है और वे मानते है कि वे शीघ्र ही इसके प्रमाण पा लेंगे। उदाहरण के लिये रशीयन विज्ञान अकादमी के निदेशक आन्द्रेई फ़िन्केलेस्टीन(Andrei Finkelstein) ने हाल ही मे कहा था कि परग्रही जीवन निश्चित रूप से मौजूद है और इसे अगले दो दशको मे खोज लिया जायेगा।

वैज्ञानिको की इस आशावादिता का कारण है कि वे अब मानने लगे हैं कि जीवन भीषणतम परिस्थितियों मे भी पनप सकता है और फ़लफ़ूल सकता है। हाल ही मे एक्स्ट्रीमोफ़िलिक जीवो की खोज ने दर्शाया है कि सूक्ष्म जीवन ऐसी भीषण स्थितियों मे भी संभव है जिसे कुछ अरसा पहले तक असंभव माना जाता था। इसी के साथ सागर की तलहटी मे हायड्रोथर्मल छीद्रो के पास जटील जीवो की कालोनीयाँ पायी गई है। ये विचित्र जीव अत्याधिक तापमान , भीषण दबाव तथा सूर्य प्रकाश की नगण्य उपस्थिति मे जी रहे है। प्रकाश की अनुपस्थिति मे ये प्रकाश संश्लेषण नही कर पाते है लेकिन ऊर्जा के लिये वे इन ज्वालामुखी छीद्रो से आते रसायनो का प्रयोग करते है और स्थानिय खाद्य श्रृंखला का आधार निर्मित करते है।

यदि इतनी विषम परिस्थितियों मे भी पारंपरिक जीवन की उपस्थिति संभव है तो इसकी संभावना भी बढ़ जाती है कि ऐसा जीवन भी संभव होगा जो हमारे द्वारा अब तक ज्ञात जीवन से पुर्णत: भिन्न हो। इन प्रश्नो के उत्तर पाने की जिज्ञासा ने एक नये विज्ञान का जन्म दिया है जिसे हम खगोलजीवशास्त्र के रूप मे जानते है। यह नवीन विज्ञान अपारंपरिक जीवन के प्रमाणो को मान्य वैज्ञानिक सिद्धांतो के अनुसार खोजने का प्रयास कर रहा है। इस विज्ञान ने नये आइडीयों की एक लंबी सूची बनाई है कि जीवन कहाँ और कैसे पाया जा सकता है। इस लेख मे हम इस आइडीयों को दो श्रेणीयों मे बाटेंगे

  1. दुर्लभ जीवन(exotic life)
  2. विचित्र जीवन(weird life)

प्रथम श्रेणी दुर्लभ जीवन मे ऐसे जीवन का समावेश होता है जो ज्ञात जीवन से समानता रखते है लेकिन दूसरे जैविकअणुओं का प्रयोग करते है। उदाहरण के लिये वैज्ञानिक ऐसे सूक्ष्म जीवाणुओं का अध्ययन कर रहे है जो भिन्न तरह के अमिनो अम्ल के प्रयोग से DNA/RNA का आधार निर्मित करते है या ज्ञात जीनेटिक कोड से भिन्न कोड का प्रयोग करते है। अन्य कुछ शोधों मे कुछ अप्राकृतिक नाभिकिय अम्लो को DNA मे प्रविष्ट कराने का प्रयास किया गया है। यह दुर्लभ जीवन श्रेणी भी कार्बन पर ही निर्भर करती है और जल का प्रयोग विलायक के रूप मे करती है। इस तरह के जीवन की उपस्थिति के लिये भी सामान्य जीवन के जैसे ही परिस्थितियों की आवश्यकता होगी। यह खोज वैज्ञानिक खोजों के लिये महत्वपूर्ण अवश्य है लेकिन इससे जीवन की संभावनायुक्त स्थानो मे वृद्धि नही हो रही है। इस लेख मे हम इस श्रेणी की चर्चा नही करेंगे।

खगोलजीव विज्ञान का मूल “विचित्र जीवन” है, ऐसा जीवन जो ज्ञात जीवन से पूर्णत: भिन्न हो। इस दिशा मे खोज के सामने सबसे बड़ी चुनौति है कि यह हमे जीवन के लिये आवश्यक रसायन शास्त्र मे अब तक ज्ञात विज्ञान से भिन्न दिशा मे सोचना होगा। इस वैकल्पिक जीवरसायन शास्त्र मे को कुछ ऐसी जीवनप्रणालीयों के बारे मे सोचना होगा जो कार्बन आधारित ना हों तथा/या जल का विलायक के रूप मे प्रयोग ना करती हों।

  1. अकार्बनीक जीवन(Non Carbon Life) : अकार्बनीक जीवन के पीछे सबसे बड़ा आकर्षण यह है कि यह जीवन ऐसी परिस्थितियों मे भी विकसीत हो सकता है जो ज्ञात जीवन के लिये अत्याधिक भीषण है। उदाहरण के लिये बहुत से सिलीकान यौगिक कार्बन यौगिको की तुलना मे अत्याधिक तापमान भी झेल सकते है। इस तरह से सिलिकान आधारित जीवन ऐसे ग्रहों पर भी पनप सकता है जिन पर कार्बन आधारित पारंपरिक रूप से ज्ञात जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती है।
  2. जल के बिना आधारित जीवन(Non Water based life): ब्रह्माण्ड मे जल की बहुतायत है लेकिन द्रव जल की उपस्थिति दुर्लभ है। ऐसा इसलिये है कि किसी ग्रह पर द्रव जल की समुचित मात्रा की उपस्थिति के लिये एक दम सटिक परिस्तिथियाँ चाहिये तथा इन पर तापमान मे लंबे समय तक इतना विचलन नही आना चाहिये कि वह द्रव अवस्था मे ही रहे। दूसरी ओर ब्रह्मांड मे जल के अतिरिक्त अन्य द्रवों की उपस्थिति द्रव जल से अधिक हो सकती है। हमारे अपने सौर मंडल मे शनि के चंद्रमा टाइटन पर द्रव मिथेन और इथेन के महासागर है, शनि और बृहस्पति के वायुमंडल मे द्रव अमोनिया उपस्थित है, नेपच्युन के चंद्रमा ट्राइटन पर द्रव नाइट्रोजन के फ़व्वारे है। यह अवधारणा है कि ये सभी द्र्व जीवन के लिये द्रव जल के जैसे माध्यम हो सकते है।

इन दोनो को साथ मे मानने पर जीवन की अनेक नई संभावनायें उत्पन्न होती है। तो क्या यह विचित्र जीवन सेती के लिये नये द्वार खोल रहा है? इसका उत्तर भविष्य के गर्भ मे है। विचित्र जीवन अत्याधिक रूप से विवादास्पद और कल्पना आधारित है। इस विचित्र जीवन की संभावना के लिये हमे किन बातो का अध्ययन करना होगा ? किसी भी वैकल्पिक अवधारणा आधारित जीवन रासायनिक नियमो के अनुसारा संभव होना चाहिये, रसायन के नियम सार्वभौमिक है और वे हमे इस वैकल्पिक जीव रसायन की संभावना पर मार्ग दिखाने मे सक्षम है। इस लेख मे आगे हम कुछ मुख्य आइडीयो पर विचार करेंगे तथा उन्हे हम ज्ञात रासायनिक नियमों की कसौटी पर परखेंगे। हम कार्बन से प्रारंभ करेंगे और देखेंगे कि क्या कोई अन्य तत्व कार्बन का स्थान ले सकता है।

अगले भाग मे कार्बनिक जीवन पर चर्चा करेंगे…

लेख शृंखला

परग्रही जीवन भाग 1 : क्या जीवन के लिये कार्बन और जल आवश्यक है ?

परग्रही जीवन भाग 4 :बोरान आधारित जीवन

Advertisement

12 विचार “परग्रही जीवन भाग 1 : क्या जीवन के लिये कार्बन और जल आवश्यक है ?&rdquo पर;

  1. सर एक प्रशन हे
    लाखो साल पहले मनुष्य की उत्पत्ति हुई मनुष्य बंदर से थोडा अच्छा और अच्छा और अच्छा होता गया है
    तो सर क्या ये संबव है कई मनुष्य आज जिस रूप में है उस रूप से और अधिक बदल जाये
    तो सर वो रूप केसा होगा

    पसंद करें

  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन परमवीर – धन सिंह थापा और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर …. आभार।।

    पसंद करें

  3. मैं आपके लेखों की उत्सुकता प्रतिक्षा करता हूँ। आपके लेख इतनी सरल भाषा में होते हैं के आपके द्वारा सभी बिन्दुओ को समेटे वृहत लेख भी छोटे लगने लगते है। और अधिक पढ़ने और जानने की इक्षा होती है।
    आपका सादर धन्यवाद हमारे ज्ञानवर्धन के लिए।
    मेरी परग्रही जीवन पर विशेष रूचि है। अक्सर मैं सोचता था के जीवन हमारे(मनुष्यो) जैसा ही अनुकूल वातावरण में उत्पन्न हो सकता है , यह आवश्यक तो नहीं है। हो सकता है , परग्रहियों के लिए वही जीवन हो जैसा उनका वातावरण हो। किन्तु हमारी शोध पृथ्वी जैसा वातावरण की खोज में रहती थी , शायद अब इसमें बदलाव हो चूका है।
    इस श्रृंखला के अन्य भागों की प्रतीक्षा रहेगी।
    धन्यवाद।

    पसंद करें

इस लेख पर आपकी राय:(टिप्पणी माड़रेशन के कारण आपकी टिप्पणी/प्रश्न प्रकाशित होने मे समय लगेगा, कृपया धीरज रखें)

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s