1964 मे कार्दाशेव ने किसी परग्रही सभ्यता के तकनीकी विकास की क्षमता को मापने के लिये एक पैमाने को प्रस्तावित किया।
रशियन खगोल विज्ञानी निकोलाइ कार्दाशेव के अनुसार सभ्यता के विकास के विभिन्न चरणो को ऊर्जा की खपत के अनुसार श्रेणीबद्ध लिया जा सकता है। इन चरणो के आधार पर परग्रही सभ्यताओं का वर्गीकरण किया जा सकता है। भौतिकी के नियमो के अनुसार उन्होने संभव सभ्यताओं को तीन प्रकार मे बांटा, वर्ग I, वर्ग II तथा वर्ग III सभ्यतायें।
प्रसिद्ध रूसी खगोलभौतिक वैज्ञानिक निकोलाई कार्दाशेव ने इस पैमाने को कार्दाशेव स्केल नाम दिया।
ग्राफिक्स स्रोत : https://futurism.com
मूल ग्राफिक्स कॉपी राइट : https://futurism.com
लेख सामग्री : विज्ञान विश्व टीम
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Bahut Khooob Sir….
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क्या एसा भी भविष्य मे संभावना है कि मशीन ईश्वर का स्थान लेलेगा
क्या इंशान पुरी तरह से मशीनो का गुलाम हो जाएगा
मशीनो या यंञ के आने से क्या फिर से सत्य युग आ सकता है
जैसे वेदो पुराणो मे जो सत्य बताया गया है
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धार्मिक ग्रंथो पर हम टिप्पणी नही करते है। विज्ञान ईश्वर जैसी किसी शक्ति के अस्तित्व पर विश्वास नही करता है।
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जो सभ्यता द्रव्य उर्जा संबंध जान गयी| वह ज्यादा दिनों तक नही टिकने वाली| वर्ग I को प्राप्त करते करते यह सभ्यता काल कवलित हो जाने वाली है| आज हम परमाणु शस्त्रों की ढेर पर बैठे है| यह विचारणीय है कि, E=MC^2 से आज सूरज ज़मी पर उतर गया है| तो फिर वह तमाम हिरोशिमायों का दहन करेगा| क्योंकि, विज्ञान कितना भी विकास कर ले मानव के हृदय से लोभ मोह इर्ष्या आदि नही मिटने वाले|
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ऊर्जा के प्रयोग के स्तर से जब हम सबसे निचले पायदान पर हैं और तब पृथ्वी के तापमान में बढ़ोत्तरी से परेशां हैं तो अगले स्तर पर तो शायद पहुँच ही न पाएं।
क्या ये ऊर्जा का प्रयोग क्या समस्त प्राणी व् पादप जगत के लिए है अथवा मात्र मानव के लिए?
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ये केवल बुद्धिमान जीवन के लिए है। पृथ्वी के तापमान में वृद्धि जीवाश्म ईंधन जैसे तेल , कोयले के प्रयोग से है। सौर ऊर्जा, नाभिकीय ऊर्जा से तापमान वृद्घि नहीं होती है।
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मैने आपके प्रग्रही वाले सारे लेख पढ़े थे उसमें भी आपने यह जानकारी थी , आज दुबारा पढ़ के अच्छा लगा।
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Sir sbse phle apko bhot bhot dhanyawad. Vigyan viswa ke through bhot knowledge milti hai..
sir mai ek scientist bnana chahta hu. mai is world ko kuch new dena chaha hu. mujhe invention bhot ache lagte hai. mujhe physics bhot pasand hai. mai 12th me hu..aage kya kru? b.sc or b.tech.
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वैज्ञानिक बनने के लिये किसी अच्छे संस्थान BSc करें। प्रयास करें कि IISC , TIFR से B Sc हो सके। उसके पश्चात M Sc और PhD
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पहली बार अनेक ब्रह्मांड पढ़ने को मिला. तो क्या अनेकों ब्रह्मांडों की भी परिकल्पना है? और क्या ये अनेक ब्रह्मांड मिलकर कोई और महा-ब्रह्मांड जैसा कुछ बनाते हैं, और क्या उससे भी आगे की परिकल्पना है?
यह तो बड़ा रोचक है!
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समांतर ब्रह्मांड जिसमे हमारी समयरेखा से भिन्न समयरेखा होगी, स्वतंत्र ब्रह्मांड जैसे कई परिकल्पनायें है। कल्पनाओं की उड़ान की कोई सीमा नही है! 🙂
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शायद किसी ने ठीक ही कहा था “यह जानना की क्या परग्रही जीवन में बुद्धि है उतना आवश्यक नही जितना की यह जानना की क्या पृथ्वी के जीवन में बुद्धि है”
हम अपनी सोच को कुछ भी मोढ़ दे कर कल्पना की दुनिया में खो सकते हैं और शायद हमें इसका अधिकार है पर विश्व में फैली परेशानियों को भूल कर बाहर झाँकना उतना ही बुरा है जितना अपने घर की परेशानियों को छोड़ कर दूसरों के घरों में ताकना.
अभी हम इतने परिपक्व नही हुए हैं की परग्रही हमसे मिलने के बारे में सोचें.
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