निकोलस कोपरनिकस

निकोलस कोपरनिकस : महान खगोलशास्त्री


Nikolaus_Kopernikusविश्व के दो समकालीन महान खगोलशास्त्रियों का जन्मदिन फ़रवरी माह में है, निकोलस कोपरनिकस तथा गैलेलियो गैलीली। गैलिलियो (Galilio) से लगभग एक शताब्दी पहले 19 फ़रवरी 1473 को पोलैंड में निकोलस कोपरनिकस का जन्म हुआ था।

निकोलस कोपरनिकस पहले योरोपियन खगोलशास्त्री है (First European Astronaut) जिन्होने पृथ्वी को ब्रह्माण्ड के केन्द्र से बाहर किया। अर्थात हीलियोसेंट्रिज्म (Heliocentrizm) का सिद्धांत दिया जिसमे ब्रह्माण्ड  का केंद्र पृथ्वी ना होकर सूर्य था। इससे पहले पूरा योरोप अरस्तू के मॉडल पर विश्वास करता था, जिसमें पृथ्वी ब्रह्माण्ड का केन्द्र थी तथा सूर्य, तारे तथा दूसरे पिंड उसके गिर्द चक्कर लगा रहे थे। कोपरनिकस ने इसका खंडन किया।

सन 1530 में कोपरनिकस की पुस्तक “De Revolutionibus” प्रकाशित हुई, जिसमें उसने बताया कि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हुई एक दिन में चक्कर पूरा करती है, और एक साल में सूर्य की परिक्रमा पूरा करती है। कोपरनिकस ने तारों की स्थिति ज्ञात करने के लिए “प्रूटेनिक टेबिल्स (Prutenic Tables)” की रचना की जो अन्य खगोलविदों के बीच काफ़ी लोकप्रिय हुईं।

जीवन वृतांत

कोपरनिकस का ब्रह्मांड
कोपरनिकस का ब्रह्मांड
अरस्तु का ब्रह्माण्ड
अरस्तु का ब्रह्माण्ड

निकोलस कोपरनिकस का जन्म 19 फरवरी, 1473 को पौलैंड के विस्तुला नदी के किनारे बसे थोर्न में हुआ। उनके बचपन का नाम था कोपरनिक, जिसका अर्थ होता है विनम्र।

जब वह दस वर्ष के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई और उनका लालन-पालन उनके मामा लुक्स वाक्झेनरोड ने किया। चूंकि उनके मामा का संपर्क पोलैंड के ख्यातिप्राप्त लोगों से था इसलिए उन्हें पढ़ाई और स्कूल में प्रवेश में कभी दिक्कत नहीं हुई।

कोपरनिकस का ज्योतिष और गणित की ओर रुझान बढ़ा। उन्होंने तीन साल तक चिकित्सा , कला और खगोलशास्त्र का अध्ययन किया।

उन्होंने 1491 में तत्कालीन यूनिवर्सिटी ऑफ क्राकौ से मैट्रिक पास किया। पाडुआ विविद्यालय से उन्होंने चिकित्सा और दर्शनशास्त्र में डिग्री ली लेकिन उन्होंने अपना करियर खगोलशास्त्र में बनाया और 1499 में रोम विश्वविद्यालय में खगोलशास्त्र के अध्यापक के रूप मे कार्य प्रारंभ किया।

बाद में वे विश्वविद्यालय छोड़कर धर्म प्रचारक बन गए। युवावस्था से तीस वर्ष तक वे गणित का सहारा लेकर अपनी मान्यताओं को सिद्ध करने और उन्हें पूरी तरह सही करने की कोशिश करते रहे।

उनकी पुस्तक ‘ऑन द रिवोल्यूशन्स ऑफ द सेलेलिस्टयल स्फेयर’ का प्रकाशन उनकी मौत के बाद हुआ। उनके मन में इसे प्रकाशित करने की झिझक थी।  आखिरकार उनके एक गहरे मित्र टिडमान गाइसीयस ने इस पुस्तक को प्रकाशित करवाया। इस किताब को आधुनिक खगोलशास्त्र की शुरुआत माना जाता है।

उनकी खोज को विज्ञान जगत में मानक माना जाता है। उन्होंने यह निष्कर्ष बिना किसी यंत्र का उपयोग किये किया। वे घंटों नंगी आंख से अंतरिक्ष को निहारते रहते थे और गणितीय गणनाओं द्वारा सही निष्कर्ष प्राप्त करने की कोशिश करते थे।

खगोलशास्त्री होने के साथ-साथ कोपरनिकस गणितज्ञ, चिकित्सक, अनुवादक, कलाकार, न्यायाधीश, गवर्नर और अर्थशास्त्री भी थे। वे जहां लैटिन, जर्मन और पॉलिश धाराप्रवाह बोलते थे, वहीं ग्रीक और इटैलियन पर भी पूरा अधिकार रखते थे।

उनके अधिकतर शोध लैटिन में छपे हैं क्योंकि उस दौर यही यूरोप की भाषा थी। रोमन कैथोलिक चर्च और पोलैंड के रॉयल कोर्ट की भाषा भी लैटिन ही थी, हालांकि उन्होंने जर्मन में भी छिटपुट लिखा है।
1542 आते-आते वे एपोप्लेक्सी और पक्षाघात के शिकार हुए और 24 मई, 1543 को उनका निधन हो गया।

कोपरनिकस का योगदान

कोपरनिकस के अन्तरिक्ष के बारे में सात नियम जो उसकी किताब में अंकित हैं, इस प्रकार हैं :

  • सभी खगोलीय पिंड किसी एक निश्चित केन्द्र के परितः नहीं हैं।
  • पृथ्वी का केन्द्र ब्रह्माण्ड का केन्द्र नहीं है। वह केवल गुरुत्व व चंद्रमा का केन्द्र है।
  • सभी गोले (आकाशीय पिंड) सूर्ये के परितः चक्कर लगाते हैं। इस प्रकार सूर्ये ही ब्रह्माण्ड का केन्द्र है। (यह नियम असत्य है।)
  • पृथ्वी की सूर्य से दूरी, पृथ्वी की आकाश की सीमा से दूरी की तुलना में बहुत कम है।
  • आकाश में हम जो भी गतियां देखते हैं वह दरअसल पृथ्वी की गति के कारण होता है। (आंशिक रूप से सत्य)
  • जो भी हम सूर्य की गति देखते हैं, वह दरअसल पृथ्वी की गति होती है।
  • जो भी ग्रहों की गति हमें दिखाई देती है, उसके पीछे भी पृथ्वी की गति ही जिम्मेदार होती है।

विशेष बात यह है कि कोपरनिकस ने ये निष्कर्ष बिना किसी प्रकाशिक यंत्र के उपयोग के प्राप्त किए। वह घंटों नंगी आँखों से अन्तरिक्ष को निहारता रहते थे और गणितीय गणनाओं द्वारा सही निष्कर्ष प्राप्त करने की कोशिश करते थे। बाद में गैलिलियो ने जब दूरदर्शी का आविष्कार किया तो उसके निष्कर्षों की पुष्टि हुई।

खगोलशास्त्री होने के साथ साथ कोपरनिकस र्थशास्त्री भी थे। उन्होने मुद्रा के ऊपर शोध करते हुए ग्रेशम के प्रसिद्ध नियम को स्थापित किया, जिसके अनुसार ख़राब मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है। उसने मुद्रा के संख्यात्मक सिद्धांत का फार्मूला दिया। कोपरनिकस के सुझावों ने पोलैंड की सरकार को मुद्रा के स्थायित्व में काफ़ी सहायता दी।

 

विश्व  कोपरनिकस के योगदानों को शायद ही भुला पाये।

Nicolaus Copernicus

8 विचार “निकोलस कोपरनिकस : महान खगोलशास्त्री&rdquo पर;

  1. कोपरनिकस के बारे में प्रसिद्ध है कि उनका तत्कालीन धार्मिक पंडों से काफी विरोध रहा और संभवतः इस कारण से वे अपनी गवेषणाएं अपने जीवनकाल में सामने न ला सके!

    इसका इस लेख में कोई उल्लेख नही है

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