श्याम वीवर द्वारा गैस के निगलने से एक्रेरीशन डीस्क का निर्माण तथा एक्स रे का उत्सर्जन

ब्लैक होल की रहस्यमय दुनिया


कृष्ण विवर(श्याम विवर) अर्थात ब्लैक होल (Black hole) अत्यधिक घनत्व तथा द्रव्यमान वाले ऐसें पिंड होते हैं, जो आकार में बहुत छोटे होते हैं। इसके अंदर गुरुत्वाकर्षण इतना प्रबल होता है कि उसके चंगुल से प्रकाश की किरणों निकलना भी … पढ़ना जारी रखें ब्लैक होल की रहस्यमय दुनिया

सापेक्षतावाद के बारे मे जानने योग्य 12 तथ्य


आइंस्टाइन ने अपने सापेक्षतावाद सिद्धांत के द्वारा विश्व का अंतरिक्ष, समय, द्रव्यमान, ऊर्जा और गुरुत्वाकर्षण के प्रति दृष्टिकोण बदल कर रख दिया था। 1. आइंस्टाइन से पहले गति के को समझने के लिये आइजैक न्यूटन के नियमो का प्रयोग किया … पढ़ना जारी रखें सापेक्षतावाद के बारे मे जानने योग्य 12 तथ्य

अंतरिक्ष से संबधित 25 अजीबोगरिब तथ्य जो आपको चकित कर देंगे


1. अंतरिक्ष पुर्णत: निःशब्द है।

ध्वनि को यात्रा के लिये माध्यम चाहिये होता है और अंतरिक्ष मे कोई वातावरण नही होता है। इसलिये अंतरिक्ष मे पुर्णत सन्नाटा छाया रहता है। अंतरिक्ष यात्री एक दूसरे से संवाद करने के लिये रेडियो तरंगो का प्रयोग करते है।

2. एक ऐसा भी तारा है जिसकी सतह का तापमान केवल 27 डीग्री सेल्सीयस है।

हमारे सूर्य की सतह का तापमान अत्याधिक है, 5778 डीग्री सेल्सीयस! लेकिन एक तारा WISE 1828+2650 की सतह का तापमान 26.7 डीग्री सेल्सीयस है। यह एक भूरा वामन तारा (Brown Dwarf) है। तकनिकी तौर पर भूरे वामन तारे और ग्रह के मध्य होते है। इनका द्रव्यमान ग्रहो से काफ़ी ज्यादा लेकिन तारे से कम होता है। इनका द्र्व्यमान इतना नही होता कि द्रव्यमान से संकुचित होकर वह तारों के जैसे हायड्रोजन संलयन प्रारंभ कर चमकना प्रारंभ कर सके।

3.अंतरिक्ष की गंध गर्म धातु तथा भूनते हुये मांस के जैसी है।

बहुत सारे अंतरिक्ष यात्रीयो ने अंतरिक्ष की गंध गर्म धातु तथा भूनते हुये मांस के जैसी बतायी है।

4.मानव शनि के चंद्रमा टाइटन पर अपनी बांहो पर कृत्रिम पंख बांधकर फड़फड़ाते हुये उड़ सकता है।

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गुरुत्विय लेंस क्या होता है?


गुरुत्विय लेंस अंतरिक्ष में किसी बड़ी वस्तु के उस प्रभाव को कहते हैं जिसमें वह वस्तु अपने पास से गुज़रती हुई रोशनी की किरणों को मोड़कर एक लेंस जैसा काम करती है। भौतिकी  के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत की वजह से कोई भी वस्तु अपने इर्द-गिर्द के व्योम (“दिक्-काल” या स्पेस-टाइम) को मोड़ देती है और बड़ी वस्तुओं में यह मुड़ाव अधिक होता है। जिस तरह चश्मे,  दूरबीन के मुड़े हुए शीशे से गुज़रता हुआ प्रकाश भी मुड़ जाता है, उसी तरह गुरुत्वाकर्षण लेंस से गुज़रता हुआ प्रकाश भी मुड़ जाता है।

Gravitational-lensing-A1916 में अल्बर्ट आइंस्टीन ने सापेक्षता सिद्धांत की घोषणा की और उसे प्रकाशित किया। 1924 में एक ओरॅस्त ख़्वोलसन नाम के रूसी भौतिकविज्ञानी ने आइनस्टाइन के सापेक्षता सिद्धांत को समझकर भविष्यवाणी की कि ऐसे गुरुत्विय लेंस ब्रह्माण्ड में ज़रूर होंगे। 1936 में आइनस्टाइन ने भी अपने एक लेख में ऐसे लेंसों के मिलने की भविष्यवाणी की। कई दशकों पश्चात , 1979 में,  एक क्वासर की एक के बजाए दो-दो छवियाँ देखी गयी और इस की पुष्टि हुयी। उसके बाद काफ़ी दूरस्थ वस्तुओं की ऐसी छवियाँ देखी जा चुकी हैं जिनमें उन वस्तुओं और पृथ्वी के बीच कोई बहुत बड़ी अन्य वस्तु रखी हो जो पहली वस्तु से आ रही प्रकाश की किरणों पर लेंसों का काम करे और उसकी छवि को या तो मरोड़ दे या आसमान में उसकी एक से ज़्यादा छवि दिखाए।

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अर्ध-प्रकाशगति(149,896 किमी/सेकंड) से घूर्णन करता श्याम विवर


श्याम विवर(black hole) इस ब्रह्मांड की सबसे विचित्र संरचनाओं मे से एक है। वे ब्रह्माण्ड के ऐसे निरंकुश दानव है जो अपने आसपास फटकने वाले चंद्रमा, ग्रह, तारे और समूचे सौर मंडलो को निगल जाते है। इनकी पकड़ से प्रकाश … पढ़ना जारी रखें अर्ध-प्रकाशगति(149,896 किमी/सेकंड) से घूर्णन करता श्याम विवर

सापेक्षतावाद सिद्धांत : परिचय


einsteenअलबर्ट आइन्स्टाइन ने 1905 में “विशेष सापेक्षतावाद(Theory of Special Relativity)” तथा 1915 में “सामान्य सापेक्षतावाद(Theory of General Relativity)” के सिद्धांत को प्रस्तुत कर भौतिकी की नींव हीला दी थी। सामान्य सापेक्षतावाद के सिद्धांत के अनुसार न्युटन के गति के तीन नियम(Newtons laws of motion) पूरी तरह से सही नहीं है, जब किसी पिंड की गति प्रकाश गति के समीप पहुंचती है वे कार्य नहीं करते है। साधारण सापेक्षतावाद के सिद्धांत के अनुसार न्युटन का गुरुत्व का सिद्धांत भी पूरी तरह से सही नहीं है और वह अत्याधिक गुरुत्वाकर्षण वाले क्षेत्रो में कार्य नहीं करता है।

हम सापेक्षतावाद को विस्तार से आगे देखेंगे, अभी हम केवल न्युटन के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत तथा साधारण सापेक्षतावाद सिद्धांत के मध्य के अंतर को देखेंगे। ये दोनों सिद्धांत कमजोर गुरुत्वाकर्षण के लिए समान गणना करते है , यह एक सामान्य परिस्तिथी है जो हम रोजाना देखते और महसूस करते है। लेकिन निचे तीन उदाहरण दिए है जिसमे इन दोनों सिद्धांतो की गणनाओ में अंतर स्पष्ट हो जाता है। पढ़ना जारी रखें “सापेक्षतावाद सिद्धांत : परिचय”