आज से तकरीबन चार अरब वर्षों के बाद हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी (मिल्की वे) और एंड्रोमेडा आकाशगंगा आपस मे टकरा जाएगी लेकिन अफसोस तबतक हमारा सूर्य एक विशाल लाल तारा बन चुका होगा। न ही पृथ्वी और न ही सौर मंडल … पढ़ना जारी रखें जब एंड्रोमिडा आकाशगंगा हमारी आकाशगंगा से टकरायेगी
ध्वनि को यात्रा के लिये माध्यम चाहिये होता है और अंतरिक्ष मे कोई वातावरण नही होता है। इसलिये अंतरिक्ष मे पुर्णत सन्नाटा छाया रहता है। अंतरिक्ष यात्री एक दूसरे से संवाद करने के लिये रेडियो तरंगो का प्रयोग करते है।
2. एक ऐसा भी तारा है जिसकी सतह का तापमान केवल 27 डीग्री सेल्सीयस है।
हमारे सूर्य की सतह का तापमान अत्याधिक है, 5778 डीग्री सेल्सीयस! लेकिन एक तारा WISE 1828+2650 की सतह का तापमान 26.7 डीग्री सेल्सीयस है। यह एक भूरा वामन तारा (Brown Dwarf) है। तकनिकी तौर पर भूरे वामन तारे और ग्रह के मध्य होते है। इनका द्रव्यमान ग्रहो से काफ़ी ज्यादा लेकिन तारे से कम होता है। इनका द्र्व्यमान इतना नही होता कि द्रव्यमान से संकुचित होकर वह तारों के जैसे हायड्रोजन संलयन प्रारंभ कर चमकना प्रारंभ कर सके।
3.अंतरिक्ष की गंध गर्म धातु तथा भूनते हुये मांस के जैसी है।
बहुत सारे अंतरिक्ष यात्रीयो ने अंतरिक्ष की गंध गर्म धातु तथा भूनते हुये मांस के जैसी बतायी है।
4.मानव शनि के चंद्रमा टाइटन पर अपनी बांहो पर कृत्रिम पंख बांधकर फड़फड़ाते हुये उड़ सकता है।
सूर्य की मदाकिनी आकाशगंगा की मंदाकिनी भूजा मे स्थिति
पिछले सप्ताह तक किसी अन्य आकाशगंगा का परग्रही मुझसे मेरा पता पूछता तो मेरा उत्तर होता
आशीष श्रीवास्तव, B-3,गुनीना हेलिक्स, इलेक्ट्रानीक सीटी, बैंगलोर,कर्नाटक, भारत,पृथ्वी, सौर मंडल,व्याध भूजा, मंदाकिनी आकाशगंगा, स्थानीय आकाशगंगा समूह, कन्या बृहद आकाशगंगा समूह, ब्रह्माण्ड(Ashish Shrivastava, B3, Gunina Helix, Electronic City, Bangalore,Karnataka,India,Earth, Solar System, Orion Arm, Milky Way Galaxy, Local Group, Virgo Supercluster, Universe).
लेकिन इस ब्रह्माण्ड मे मेरे पते मे एक और मोहल्ला बढ़ गया है जोकि मेरे पते के अंतिम दो क्षेत्रो के मध्य है, जिसे लानीआकिया (Laniakea)कहा जा रहा है, जोकि आकाशगंगाओं का एक विशालकाय समूह है।
मैने जो अपना पता बताया है उसमे आप सौर मंडल तक तो परिचित ही होंगे। हमारा सूर्य मंदाकिनी आकाशगंगा मे उसकी व्याध भूजा(Orion arm) मे स्थित है। मंदाकिनी आकाशगंगा के कुछ भाग को आप रात्रि मे उत्तर से दक्षिण मे एक बड़े पट्टे के रूप मे देख सकते है। यह आकाशगंगा वस्तुतः एक स्पायरल के आकार की है और उसकी पांच से अधिक भूजाये है। सूर्य इसमे से एक भूजा व्याध भूजा के बाह्य भाग मे स्थित है।
मंदाकिनी आकाशगंगा कुछ एक दर्जन अन्य आकाशगंगाओं के साथ एक स्थानीय आकाशगंगा समूह(Local Group) बनाती है जिसमे मंदाकिनी (Milkyway)आकाशगंगा और देव्यानी (Andromeda)आकाशगंगा सबसे बड़ी है। यह आकाशगंगा समूह भी एक बड़े आकाशगंगा समूह जिसे कन्या आकाशगंगा समूह (Virgo Cluster)के नाम से जाना जाता है, का एक भाग है। कन्या आकाशगंगा समूह मे 1000 से ज्यादा आकाशगंगाये है और यह समूह दसीयो लाख प्रकाशवर्ष चौड़ा है। पढ़ना जारी रखें “लानीआकिया मे आपका स्वागत है : आपका नया ब्रह्माण्डिय पता”
ब्रह्माण्ड विज्ञान की मानक अवधारणाओं के अनुसार ब्रह्माण्ड का जन्म एक महाविस्फोट(Big Bang) मे लगभग 14 अरब वर्ष पहले हुआ था और उसके पश्चात उसका विस्तार हो रहा है। लेकिन इस विस्तार का कोई केण्द नही है, यह विस्तार हर दिशा मे समान है। महाविस्फोट को एक साधारण विस्फोट की तरह मानना सही नही है। ब्रह्माण्ड अंतरिक्ष मे किसी एक केन्द्र से विस्तारीत नही हो रहा है, समस्त ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है और यह विस्तार हर दिशा मे हर जगह एक ही गति से हो रहा है।
1929 मे एडवीन हब्बलने घोषणा की कि उन्होने हम से विभिन्न दूरीयों पर आकाशगंगाओं की गति की गणना की है और पाया है कि हर दिशा मे जो आकाशगंगा हमसे जितनी ज्यादा दूर है वह उतनी ज्यादा गति से दूर जा रही है। इस कथन से ऐसा लगता है कि हम ब्रह्माण्ड के केन्द्र मे है; लेकिन तथ्य यह है कि यदि ब्रह्माण्ड का विस्तार हर जगह समान गति से हो रहा हो तो हर निरीक्षण बिंदु से ऐसा प्रतीत होगा कि वह ब्रह्मांड के केन्द्र मे है और उसकी हर दिशा मे आकाशगंगाये उससे दूर जा रही है। पढ़ना जारी रखें “ब्रह्माण्ड का केन्द्र कहाँ है?”
ब्रह्माण्ड! कितना विशाल है यह ब्रह्माण्ड! हमारी कल्पना से कहीं अधिक!
चलीये अपने ब्रह्माण्ड की सैर पर। प्रारंभ करते है हमारी अपनी पृथ्वी से! अंतरिक्ष की गहराई मे एक खूबसूरत नीली गेंद। सभी चित्रो को पूर्णाकार मे देखने के लिए उनपर क्लीक कर के देंखे!