प्रश्न आपके, उत्तर हमारे

प्रश्न आपके, उत्तर हमारे

यह ‘प्रश्न आपके और उत्तर हमारे’ का पहला भाग है। यहाँ अब 4000 के क़रीब टिप्पणियाँ हो गयी हैं, जिस वजह से नया सवाल पूछना और पूछे हुए सवालों के उत्तर तक पहुँचना आपके लिए एक मुश्किल भरा काम हो सकता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए अब ‘प्रश्न आपके और उत्तर हमारे: भाग 2‘ को शुरू किया जा रहा है। आपसे अनुरोध है कि अब आप अपने सवाल वहीं पूँछे।

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1.
2. प्रश्न आपके, उत्तर हमारे: 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक के प्रश्नों के उत्तर

3,992 विचार “प्रश्न आपके, उत्तर हमारे&rdquo पर;

    1. इंजनियरिंग में प्रवेश के अंक हर राज्य या कालेज में अलग होते है। आप जिस कासलेज में प्रवेश लेना चाहते है उससे जानकारी लें।

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      1. पदार्थ में होनेवाला वह परिवर्त्तन जिसमे केवल उसकी भौतिक अवस्था में परिवर्त्तन होता है तथा उसके रासायनिक गुण व उसके रासायनिक अवस्था में कोई परिवर्त्तन नहीं होता है। यह भौतिक परिवर्त्तन(Physical Conversion) कहलाता है। जैसे – नमक का पानी में घुलना, शक़्कर का पानी में घुलना, पानी का जमना।

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    1. आर्कमिडीज के सिद्धांत के अनुसार जब किसी ठोस को किसी द्रव में डुबाते हैं, तो उसके भार में एक प्रत्यक्ष कमी आ जाती है। यह कमी ठोस द्वारा हटाये गए द्रव के भार के बराबर होती है। यदि वस्तु द्वारा हटाये गए द्रव का भार, वस्तु के भार के बराबर होता है, तो वस्तु द्रव में तैरती है। हटाए गए द्रव का भार, वस्तु के भार से कम होने पर, वस्तु पानी में डूब जाती है। इसे इस प्रकार भी समझा जा सकता है, यदि ठोस का घनत्व द्रव के घनत्व से कम है, तो ठोस द्रव में तैरेगा।
      जब कोई व्‍यक्ति मर जाता है तो उसके मृत शरीर में एंजाइम की क्रिया शुरू हो जाती है इस क्रिया के कारण शव फूूल जाता है तो शव अपने भार के बराबर पानी नहीं हटा पाता और यही कारण है कि शव पानी पर क्‍यों तैरता रहता है ।

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    1. तारो, नक्षत्रो की स्तिथि के वर्णन के लिये किसी उपकरण की आवश्यकता नही है हमारी आंखे काफ़ी है। “आज तक” या भारतीय समाचार चैनल की कहानीयों पर कोई टिप्पणी नही।

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    1. मानव शरीर अपने कार्य के लिये ग्लुकोज पर निर्भर करता है, ग्लुकोज को ऊर्जा मे परिवर्तित करने के लिये आक्सीजन की आवश्यकता होती है। ग्लुकोज और आक्सीजन जुड़े हुये है। आक्सीजन के विकल्प मे यदि कोई अन्य गैस का प्रयोग करने के लिये मानव शरीर की संरचना, खाद्य पदार्थ और ग्लुकोज पर निर्भरता भी हटानी होगी।
      पृथ्वी पर कुछ जीवन है जो आक्सीजन पर निर्भर है, उनकी खाद्य शृंखला ग्लुकोज पर र्निभर नही करती है।

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    1. कुचालक या विद्युतरोधी (Insulator) वे पदार्थ होते हैं जो तुलनात्मक रूप से विद्युत धारा के प्रवाह का विरोध करते हैं या जिनमें से होकर समान स्थितियों में बहुत कम धारा प्रवाहित होती है। लकड़ी (सूखी हुई), बैकेलाइट, एस्बेस्टस, चीनी मिट्टी, कागज, पीवीसी आदि कुचालकों के कुछ उदाहरण हैं। वैद्युत प्रौद्योगिकी में जिस तरह सुचालकों, अर्धचालकों एवं अतिचालकों के विविध उपयोग हैं, उसी प्रकार कुचालकों के भी विविध प्रकार से उपयोग किये जाते हैं। ये सुचालक तारों के उपर चढ़ाये जाते हैं; विद्युत मशीनों के वाइंडिंग में तारों की परतों के बीच उपयोग किये जाते हैं; उच्च वोल्टता की लाइनों को खम्भों या तावरों से आश्रय देने (लटकाने/झुलाने) आदि विविध कामों में प्रयुक्त होते हैं।

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    1. केप्लर के ग्रहीय गति के तीन नियम इस प्रकार हैं –

      सभी ग्रहों की कक्षा की कक्षा दीर्घवृत्ताकार होती है तथा सूर्य इस कक्षा के नाभिक (focus) पर होता है।ग्रह को सूर्य से जोड़ने वाली रेखा समान समयान्तराल में समान क्षेत्रफल तय करती है।ग्रह द्वारा सूर्य की परिक्रमा के आवर्त काल का वर्ग, अर्ध-दीर्घ-अक्ष (semi-major axis) के घन के समानुपाती होता है।

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      1. सूर्य, पृथ्वी और सारे ग्रह एक ही बादल से बने है। सारे ग्रह पृथ्वी समेत सूर्य के टूकड़े नही है, उन्हें एक ही बादल की संतान कह सकते हैं।

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    1. तापमान कम होने के लिए ऊष्मा विकिरित होना चाहिए। पानी की ऊपरी सतह की ऊष्मा विकीरीत हो जाती है और वह जम जाता है लेकिन यह सतह अब नीचे के पानी ऊष्मा के विकिरण को रोक देता है।

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    1. फोटान का निर्माण आपके आसपास होते रहता है, हर बल्ब , LED, टीवी सभी फोटान का निर्माण करते रहते है। लेजर किरणे भी शक्तिशाली फ़ोटान से बनी होती है जो लोहे की मोटी चादर को भी काट देती है।

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    1. चन्द्रमा आकार नहीं बदलता है। वह हमेशा गोल रहता है पृथ्वी से उसका केवल उजला भाग दिखता है जो कि उसके अपनी कक्षा पर घूर्णन से कम ज्यादा होता रहता है।

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    1. 1970 के दशक ने अमरीका के सुरक्षा विभाग द्वारा DARPANET के द्वारा। लेकिन विश्व व्यापी आम लोगो के लिए में 1991 मे WWW की खोज के बाद।
      इसके लिए कोई एक दिनांक नहीं है।

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    1. अस्थिमज्जा या ‘अस्थिमेरु’ (अंग्रेज़ी: Bone Marrow) शरीर की अस्थियों के बीच का वह मुलायम और स्पंजी भाग है, जहाँ रक्त का उत्पादन होता है। मज्जा रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करने वाली स्टेम कोशिकाओं से भरी होती हैं, जो श्वेत रक्त कोशिकाओं, लाल रक्त कोशिकाओं या प्लेटलेट्स में विकसित होती हैं।
      वयस्क मानव की बड़ी अस्थियों में मज्जा रक्त कोशिकाएं निर्माण करने में सहायक होता है। इसमें कुल शरीर भार का चार प्रतिशत समाहित रहता है, यानि लगभग 2.6 कि.ग्रा.।
      अस्थिमज्जा गूदे के समान मृदु ऊतक है, जो सब अस्थियों के स्पंजी भाग के अवकाशों में, लंबी अस्थिओं की मध्यनलिका की गुहा में और बड़े आकार की हेवर्सी नलिकाओं में पाया जाता है।
      भिन्न-भिन्न अस्थियों में और अणु के अनुसार उसके संघटन में अंतर होता है। विभिन्न प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएं हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा हैं, जो संक्रमण से लड़ने में प्रतिरक्षा प्रणाली की मदद करती हैं।
      लाल रक्त कोशिकाएं हमारे पूरे शरीर में ऑक्सीजन की आवा-जाही के लिए जिम्मेदार हैं। प्लेटलेट्स रक्तस्राव को रोकने के लिए रक्त का थक्का बनाते हैं।
      अस्थिमज्जा स्टेम कोशिकाओं का लगातार उत्पादन करती रहती हैं और ये हमारे शरीर की जरूरत के अनुसार ही अलग-अलग प्रकार की कोशिकाओं को विकसित करती हैं।
      मज्जा दो प्रकार की होती है- ‘पीली’ और ‘लाल’। पीली मज्जा का आधार तांतव ऊतक होता है, जिसमें रक्त वाहिकाएँ और कोशिकाएँ पाई जाती हैं, जिनमें अधिकांश वसा कोशिकाएँ होती हैं। कुछ लाल मज्जा के समान कोशिकाएँ मिलती हैं।
      लाल मज्जा का आधार संयोजी ऊतक होता है, जिसके ढाँचे के जाल में ‘रजतरागी’ तंतु और उससे संबंधित जीवाणुभक्षी कोशिकाएँ तथा कई प्रकार की रक्त कणिकाएँ और उनके पूर्वगामी रूप, कुछ वसा कोशिकाएँ तथा कुछ लिंफ पर्व होते हैं।

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    1. आग की गर्मी पदार्थ पर निर्भर है। बेंजीन की आग गर्म नही होती। आप हाथ में बेंजीन जला सकते है।
      आग का तापमान पदार्थ के ज्वलन बिंदु पर निर्भर है, हर पदार्थ का अलग होता है।

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    1. पृथ्वी के घूर्णन की दिशा पश्चिम से पूर्व है इसलिए सूर्य तथा अन्य पिंड पूर्व से उगकर पश्चिम अस्त होते दिखते है।

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    1. इस प्रश्न का उत्तर बहुत से कारको पर निर्भर है। यदि आंखो की तंत्रिकाओ को नुकसान हुआ है या रेटीना छतिग्रस्त हुआ है तो रोशनी वापस आना कठीन है। यदि लेंस मे समस्या है तो वापस आ सकती है।

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    1. पृथ्वी गोल है, आपक पृ्थ्वी के व्यास के तुल्य गहराई का छीद्र कर दूसरी ओर निकल सकते है। दोनो ओर गुरुत्वाकर्षण समान रहेगा , जबकी केंद्र मे शून्य रहेगा।

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    1. स्टीफ़न हाकिंग के आंखो की हरकत के आधार पर उनका ध्वनि यंत्र कार्य करता है। उनकी आंखो के सामने एक स्क्रिन पर अक्षर लगे होते है, स्टीफ़न हाकिंग उन अक्षरो की ओर अपनी आंखो को मोड़ते है जिसे एक कैमरा पकड़ लेता है, इसके बाद इन अक्षरो को ध्वनि मे परिवर्तित कर दिया जाता है।

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    1. आकाश मे दिखने वाले सभी तारे हमारी आकाशगंगा के ही है। किसी अन्य आकाशगंगा के तारो को देखा नही जा सकता है, अन्य आकाशगंगाये भी एक बड़े से तारे के रूप मे ही दिखती है।

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    1. पृथ्वी गोलाकार पिंड है, इसकी चारो ओर वायुमंडल है। पृथ्वी की सीमा वायुमंडल की सीमा तक है। हम वायुमंडल के नीचे लेकिन ठोस सतह के उपर रहते है। इस तरह से कह सकते है कि हम पृथ्वी के बीच मे रहते है।

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  1. sir me ye puchna chata hu kya mere ander bijli ban rahi he?? kyu ki me jite pahne agar kurchi par beth par uthta hu or kisi lohe ya eluminiyam ke chijo ya kisi inshan ko bhi chhuta hu to mujhe jhatka lagta he or agar me jish kurchi par beta thaa use bhi koi chhuta he to use bhi jhatka lagta he to ab me kya karu ye sab kis karan se ho raha he

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    1. आप जिस बिजली की बात कर रहे है उसे स्टैटिक बिजली कहते है। यह सभी मनुष्यो प्राणीयों मे बनती है। सामान्यत: शीत ऋतु और शुष्क मौसम मे यह प्रभाव अधिक होता है, सुती या उनी कपड़ो से भी यह प्रभाव होता है। इसका कोई अन्य उपाय नही है, बस आप पानी थोड़ा अधिक पीये।

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    1. मोबाईल फोन हल्का सा स्पार्क उत्पन्न कर सकते है जो पेट्रोलॉयम पदार्थ में आग लगा सकता है। लेकिन ऐसी घटनाएं दुर्लभ है।

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    1. पृथ्वी की गति आपको महसूस नही होती क्योंकि आपके साथ आपके आसपास की समस्त वस्तुये, वायु, पेड़ पौधे भी उसी गति से गतिमान है।

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  2. मेने पढ़ा हे की हाइड्रोगन गेस जलती हे ओर कोई भी वस्तु बिना ऑक्सीज़न के नही जलती अगर एसा हे तो पानी मे तो दोनों हे तो वो क्यू नही जलता

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    1. ज्वलन अर्थात किसी भी पदार्थ का आक्सीजन से प्रतिक्रिया कर उसका आक्साईड बनाना। जैसे कार्बन जल कर कार्बन डाय आक्साईड(CO2) बनाता है। पानी स्वयं जली हुयी हाइड्रोजन है, अर्थात डाय हायड्रोजन आक्साईड(H2O) है, जली हुयी वस्तु दोबारा नही जल सकती।

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  3. क्या जन्मजात अंधा व्यक्ती सपना देख सकता है ???
    अंधे व्यक्ती कि प्रयोगशाळा मी निंद कि जाचं करे तो रापिड आई मोव्ह्मेंट (REM) क्या होंगी

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    1. आज से 5 अरब वर्ष बाद जब सूर्य की हायड्रोजन समाप्त हो जायेगी, तब सूर्य इतना फ़ैल जाएगा कि पृथ्वी उसमे समां जायेगी।

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    1. जनरेटर से भी बल्ब सही तरिके से जलना चाहिये। यदि नही जल रहा है तो इसका अर्थ है कि जनरेटर मे कोई समस्या है और आपको वोल्टेज स्टेबलाइजर की आवश्यकता है।

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    1. जीव-रसायन(बायोकेमिस्ट्री) : रसायन-शास्त्र की वह शाखा, जिसमें इस बात का विवेचन होता है कि जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों के अंदर किस प्रकार की रासायनिक प्रक्रियाएँ होती है और उन प्रक्रियाओं का उनके जीवनक्रम पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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    1. पेट्रोल का बाष्पण बिंदु कम होता है। जब आप पेट्रोल को छुते है वह आपके शरीर की ऊर्जा लेकर बाष्पित होता है जिससे वह आपको ठंडा लगता है।

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    1. आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का (meteor) और साधारण बोलचाल में ‘टूटते हुए तारे’ अथवा ‘लूका’ कहते हैं। उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुँचता है उसे उल्कापिंड (meteorite) कहते हैं। प्रायः प्रत्येक रात्रि को उल्काएँ अनगिनत संख्या में देखी जा सकती हैं, किंतु इनमें से पृथ्वी पर गिरनेवाले पिंडों की संख्या अत्यंत अल्प होती है।

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    1. hex और octel भी मानव की मदद के लिये है, कंप्युटर के लिये नही।
      प्रारंभिक प्रोग्रामिंग (मशीन लैंगुयेज) मे सब कुछ टाईप करना होता था। कंप्युटर को निर्देश(instruction), डाटा को केवल 0,1 मे टाईप किया जाये तो समय अधिक लगेगा और गलती की संभावना अधिक है।
      इन सब को सरल करने हेक्स और आक्टेल का प्रयोग किया गया लेकिन कंप्युटर उन्हे पहले बाइनरी मे बदल कर ही समझता है।

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  4. पृथ्वी पर से आकाश को देखते है तो नीला और चॅन्र्दमा पर से आकाश को देखते है तो काला क्यो दिखता हैं। इसका कारण बताए।

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    1. पृथ्वी पर वायुमंडल है, प्रकाश किरणे जब पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरती है तो वायु के कण प्रकाश के निले रंग को बिखेर देते है जिससे पृथ्वी पर आकाश निला दिखता है।
      चंद्रमा पर वायुमंडल ना होने से आकाश काला दिखता है।

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    1. ब्रह्माण्ड का वीस्तार बड़े पैमाने अर्थात आकाशगंगाओं के मध्य हो रहा है। आकासगंगा के अंदर गुरुत्वाकर्षण प्रभावी है, जिससे तारो के मंध्य या ग्रहों के मध्य दूरी नहीं बढ़ रही है।

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  5. आशीष जी , यह “त्रि आयाम ” (third dimension) जो हमारा संसार है , और “चतुर्थ आयाम” (fourth dimension) जिसे समय कहते है , यह है क्या(3D,4D,5D ,6Dड अब तो 7D के विषय में सुना है ,क्या इनका भी आपस में कोई सम्बन्ध है ? ) ? इस विषय पर कृपया कुछ प्रकाश डालें ,आशा करता हूँ , आप कुछ बताएंगे (यदि कोई लेख लिख सकें इस विषय पर तो इस से बेहतर कुछ नहीं ) किन्तु प्राथना है आपसे कुछ न कुछ अवश्य बताएं , हॉलीवुड की फिल्म ” इंटरस्टेलर ” में भी चतुर्थ आयाम के बारे में बताया गया है , इसको समझने में सहायता करें …

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    1. राहुल, इस साईट पर स्ट्रिंग थ्योरी पर कुछ लेख है, उन लेखों में आयामो पर विस्तृत चर्चा है। सभी लेखों को पढ़ जाइये।

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      1. पृथ्वी अपने अक्ष पर झुकी न होती तो सूर्य का प्रकाश लम्बवत सारी पृथ्वी पर पड़ता। पृथ्वी पर सारे वर्ष एक जैसा ही मौसम रहता।

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    1. 1 : नाभिकीय संलयन में प्रचंड मात्रा में विकिरण निकालता है। इस विकिरण को सम्हालने योग्य पात्र(कंटेनर) नहीं बन पाया है।

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    1. आज से पांच अरब वर्ष बाद सूर्य की हायड्रोजन समाप्त हो जायेगी। उसके बाद सूर्य का आकार बढ़ने लगेगा और वह फ़ूलकर पृ्थ्वी की सीमा तक बड़ा हो जायेगा इस अवस्था को लाल दानव(red giant) कहते है। इसकेबाद वह अपनी बाहरी परतों को झाड़ देगा और छोटे आकार मे आ जायेगा, इस अवस्था को श्वेत वामन कहते है। उसके बाद धीमे धीमे शीतल होकर लुप्त हो जायेगा।

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    1. हम सभी समय यात्री है, वर्तमान से भविष्य मे यात्रा कर रहे है। सारे अंतरिक्षयात्री जब वापिस पृथ्वी आते है तो वे कुछ नैनो सेकंड भविष्य मे आते है अर्थात उनका समय पृथ्वी की तुलना मे धीमे व्यतित होता है। अर्थात भविष्य की समय यात्रा होती है।
      लेकिन भूतकाल की समय यात्रा या अपनी मनमर्जी से किसी विशेष समय की यात्रा के बारे मे वर्तमान मे कुछ भी कहना कठिन है।

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  6. सर पृथवी के मध्य में ऐसा कोनसा पदार्थ है जिसके कारण अपने निश्चित अक्स पर धूमती पर तथा पृथवी जिस रखा के सहारे सुर्य के चारो और चक्कर लगाती वह रेखा किस तत्व की है

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    1. पृथ्वी के मध्य में एक लोहे की गुठली है जिसके चारों और पिघला लोहा है।
      लेकिन यह पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूर्णन के लिए कारण नहीं है। पृथ्वी अपने अक्ष पर घूर्णन अपने जा के समय प्राप्त कोणीय संवेग के कारण कर रही है।
      पृथ्वी किसी रेखा के सहारे सूर्य की परिक्रमा नहीं कर रही है। वह अंतरिक्ष के निर्वात में सूर्य की परिक्रमा बिना किसी सहारे के सूर्य के गुरुत्वीय प्रभाव में कर रही है।

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  7. सर
    अगर टाइम मशीन का आविष्कार हो जाये तो क्या प्रकाश की गति से तेज दूसरे सौरमंडल में दूसरे ग्रह पर कम समय में पहुचना संभव है

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    1. कहा जाता है कि हेलो नाम था फोन का अविष्कार करने वाले वैज्ञानिक ग्राहम बेल की गर्लफ्रेंड का। बेल की गर्लफ्रेंड का पूरा नाम था मारग्रेट हैलो। बताया जाता है कि ग्राहम बेल अपनी गर्लफ्रेंड को हेलो कहकर बुलाया करते थे। जब उन्होंने फोन का अविष्कार किया तो पहला शब्द अपनी गर्लफ्रेंड के नाम पर लिया उसके बाद इस शब्द का इस्तेमाल लोग भी करने लगे।

      ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी के अनुसार हैलो शब्द पुराने जर्मन शब्द हाला, होला से बना है, जिसका इस्तेमाल नाविक करते थे। ये शब्द पुराने फ्रांसीसी या जर्मन शब्द ‘होला’ से निकला है। इसका मतलब होता है ‘कैसे हो’ यानी, हाल कैसा है जनाब का? अंग्रेज़ कवि चॉसर के ज़माने में यानी 1300 के बाद ये शब्द हालो (hallow)बन चुका था। इसके दो सौ साल बाद यानी शेक्सपियर के ज़माने में हालू (Halloo) बन गया। फिर ये शिकारियों और मल्लाहों के इस्तेमाल से कुछ और बदला और हालवा, हालूवा,होलो (hallloa, hallooa, hollo) बना।

      वैसे फोन पर हेलो बोलने की एक और कहानी है। कहा जाता है कि जब टेलीफोन का आविष्कार हुआ तो शुरुआत में लोग फोन पर पूछा करते थे ‘आर यू देयर?’ तब उन्हें यह विश्वास नहीं था कि उनकी आवाज दूसरी ओर पहुंच रही है !

      लेकिन अमेरिकी आविष्कारक टॉमस एडीसन को इतना लंबा वाक्य पसंद नहीं था। उन्होंने जब पहली बार फोन किया तो उन्हें उन्होंने कहा, हेलो।

      माना जाता है कि 1877 में टॉमस एडीसन ने पीट्सबर्ग की सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट एंड प्रिंटिंग टेलीग्राफ कंपनी के अध्यक्ष टीबीए स्मिथ को लिखा कि टेलीफोन पर स्वागत शब्द के रूप में हैलो का इस्तेमाल करना चाहिए। उनकी सलाह को सभी ने मान लिया। उन दिनों टेलीफोन एक्सचेंज में काम करने वाली ऑपरेटरों को ‘हेलो गर्ल्स’ कहा जाता था।

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    1. दूरसंचार (Telecommunication) शब्द का प्रयोग किसी विद्युत संकेत का किसी दूरार्ध क्षेत्र तक संचारित या प्रेषित करने के अर्थ में होता है। इसमे रेडियो, टीवी, फोन, इंटरनेट, मोबाईल का समावेश होता है।

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    1. दो भिन्न व्यक्तियों को एक ही रंग दो अलग शेड मे दिखायी दे सकता है। रंगो को पहचानने की क्षमता हमारी आंखो और मस्तिष्क की तंत्रिकाओ मे होती है और वे हर व्यक्ति के लिये भिन्न हो सकती है।

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    1. DNA मे डीआक्सीराइबोज शर्करा होती है जबकि RNA मे शर्करा राइबोज होती है। राइबोज तथा डीआक्सीराइबोज मे अंतर उनकी संरचना मे है, राइबोज मे एक अतिरिक्त -OH समूह होता है जिसमे -H एक दूसरी कार्बन परमाणु से जुड़ा होता है।
      DNA मे दोहरी स्टैंड वाली आण्रविक संरचना होती है जबकि RNA मे एक ही सटैंड वाली संरचना होती है।
      DNA क्षारीय वातरावरण मे स्थाई है जबकी RNA नही है।

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  8. आपने गहरे अंतरिक्ष का एक बहोत ही शानदार चित्र साँझा किया था , लिंक भेज रहा हूँ , इस चित्र का अकार वर्धन करने पर दिखाई देता है की प्रत्येक तारे के मध्य एक गृह नुमा कोई आकृति दिखाई देती है , यह क्या है ?
    क्या कोई त्रुटि है चित्र में ?
    क्योकि यह यदि किन्ही कुछ तारों में होता तो इसे गृह समझ जा सकता किन्तु यह लगभग सभी तारों में एक जैसा ही है , यह क्या है ?

    http://djer.roe.ac.uk/vsa/vvv/iipmooviewer-2.0-beta/vvvgps5.html

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    1. अधिकतर डीजीटल कैमरे अपने सेंसर को तेज प्रकाश से बचाने के लिये तीव्र प्रकाश के मध्य एक काला बिंदु डाल देते है, यह प्रभाव शायद उसी से उत्पन्न है।
      या यह चित्र बनाने मे आंकड़ो मे किसी त्रुटि से भी संभव है।

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      1. Water Ko garam Krne pr steam banker water khatam ho jata hai but oil Ko garam Krne pr oil nahi hota hai kyu….?

        जल का भाप में परिवर्तन भौतिक परिवर्तन है। तेल गर्म होने पर जलता है, वह रासायनिक परिवर्तन है।

        Matlb nahi samjha me….plzz thoda acche Se aur samjhayenge plzzzz it’s humble request…

        Sent from my Sony Xperia™ smartphone

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      2. पदार्थ में होने वाले परिवर्तनों को दो भागों में बांटा जा सकता है।

        1. भौतिक परिवर्तन 2. रासायनिक परिवर्तन

        भौतिक परिवर्तन

        पदार्थ में होने वाला वह परिवर्तन जिसमें केवल उसकी भौतिक अवस्था में परिवर्तन होता है तथा उसके रासायनिक गुण व अवस्था में कोई परिवर्तन नहीं होता है। भौतिक परिवर्तन कहलाता है।

        जैसे – शक्कर का पानी में घुलना, कांच का टुटना, पानी का जमना आदि।

        भौतिक परिवर्तन से पदार्थ के रंग, रूप, आकार, परिमाप में ही परिवर्तन होता है। इससे कोई नया पदार्थ नहीं बनता। अभिक्रिया को विपरित करने पर सामान्यतः पदार्थ की मुल अवस्था प्राप्त कि जा सकती है।

        रासायनिक परिवर्तन

        पदार्थ में होने वाला वह परिवर्तन जिसमें नया पदार्थ प्राप्त होता है जो मुल पदार्थ से रासायनिक व भौतिक गुणों में पूर्णतः भिन्न होता है। रासायनिक परिवर्तन कहलाता है।

        जैसे – लोहे पर जंग लगना, दुध का दही जमना, तेल का ज्वलन आदि।

        इस प्रकार के परिवर्तन स्थायी होते हैं।

        तथ्य
        मोमबत्ती का जलना रासायनिक व भौतिक दोनों ही प्रकार के परिवर्तन है। क्योंकि जो मोम जल चुका है वह उष्मा व प्रकाश में परिवर्तीत हो चुका है उसे पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता है। यह परिवर्तन स्थाई है। लेकिन जो मोम निचे बच गया है उसका रासायनिक संघटन मोमबत्ती के समान है। तथा उससे पुनः मोमबत्ती बनाई जा सकती है। अतः यह भौतिक परिवर्तन है।

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  9. क्या किसी देश के सेटेलाइट सिग्नल्स को हैक करके उस देश की संचार एवम नेविगेशन प्रणाली को बिलकुल ध्वस्त या अवरूद्ध किया जा सकता है? यदि किया जा सकता है तो कृपया बताएं ये किस प्रकार से व्यवहारिक है ,,,और इसमें कितनी सीमा तक संचार एवम नेविगेशन प्रणाली को अवरुद्ध किया जा सकता है ,
    कृपया इस सन्दर्भ जो बता सके जितना भी बता सके कृपा करके कुछ प्रकाश डालिये …

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    1. किसी भी देश की संचार प्रणाली के दो भाग होते है, एक भाग सेटेलाईट पर निर्भर होता है दूसरा आप्टीकल फ़ाइबर पर। सामान्यत: हर देश की संचार प्रणाली मे दोनो का मिश्रीत रूप होता है।
      सेटेलाईट से संचार मे जो सिगनल भेजे जाते है वे इन्क्रिप्टेड होते है, इस इनक्रिप्शन को तोड़ना आसान नही होता है।
      इन इन्क्रिप्शन को तोड़ने कुछ सिक्रेट कुंजी चाहिये होती है। यदि कोई हैकर इन कुंजीयो को प्राप्त करने की कोशीश करे तो उस सैटेलाईट के प्रबंधको तक संदेश पहुंच जाता है और वे उससे बचने के कदम उठा सकते है।
      लेकिन किसी आंतरिक लीक से कुंजीया हैकर के हाथ पड़ गयी तो संचार प्रणाली ध्वस्त हो सकती है जिससे उबरने मे कई दिन भी लग सकते है। वैसे इन सब आक्रमण से बचने के लिये वैकल्पिक सेटेलाईट भी होते है, सारे सैटेलाईट पर एक साथ हमला संभव नही होता है।

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  10. सर यदि कोई भी देश कोई अबिष्कार करता हे , तो उस देश को किस देश से अनुमति लेनी होती हे , की उसके द्वारा किया गया अबिष्कार सही हे ।
    विस्तार से उत्तर दे , और भी इसके बारे में बताये

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    1. किसी भी अविष्कार के लिये कोई अनुमति नही लेनी होती है। आविष्कार का श्रेय लेने के लिये उसे किसी भी पीअर रिव्युएड(Peer Reviewed) पत्रिका मे प्रकाशित करवाना होता है। यदि आविष्कार से आर्थिक लाभ चाहिये तो उसके लिये पेटेंट लेना होता है। हर देश मे पेटेंट कार्यालय होते है।

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    1. पृथ्वी का पर्यावरण संतुलन बिगड़ जायेगा। मौसम मे क्या क्या परिवर्तन होंगे कहना कठिन है लेकिन वर्षा चक्र बिगड़ने से बेमौसम बारिश , चक्रवात, तुफ़ान, बाढ , सूखा पड़ेगा।
      ये हानि इतनी अधिक होगी कि पृथ्वी को इससे उबरने मे लाखों वर्ष लगेंगे।

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    1. मै जीवन के आरंभीक काल मे ईश्वर पर विश्वास करता था। धीरे धीरे मेरे अध्य्यन का दायरा बढ़ते गया। धार्मिक ग्रंथ/पौराणिक ग्रंथ पढ़े, जिसमे वेद, उपनिषद, पुराण तथा अन्य ग्रंथो का समावेश था। चार्वाक दर्शन, सांख्य दर्शन पढ़े। बौद्ध दर्शन जैन दर्शन पढ़े जो नास्तिक धर्म है। उसके बाद अन्य धर्मो के ग्रंथ, ग्रीक, रोमन, चीनी मिथक, देवी देवताऒ के बारे मे भी पढ़ा। इस दौरान मे मै संशयवादी बन गया, ईश्वर जैसी किसी शक्ति पर प्रश्न उठाने लगा।

      इस दौरान वैज्ञानिक अध्ययन भी जारी रहा, भौतिक विज्ञान के नियम और उससे संचालित ब्रह्मांड के बारे मे जानना प्रारंभ किया। बस ईश्वर के होने पर जो प्रश्न चिह्न था वह हट गया और मै पूरा नास्तिक बन गया।

      मुझे नास्तिक किसी घटना या व्यक्ति ने नही बनाया, मुझे नास्तिक मेरे अध्ययन ने बनाया।

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    1. जलाना अर्थात आक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया
      कोयला अर्थात कार्बन को जलाओ कार्बन डाय आक्साईड बनती है। हायड्रोजन को जलाओ हायड्रोजन आक्साईड(पानी) बनता है। सोने को जलाने पर सोने का आक्साईड बनेगा।

      वैसे लोहे मे जंग लगना भी लोहे का जलना या लोहे का आकसाईड बनना होता है।

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    1. पृथ्वी पर पायी जाने वाली सबसे भारी गैसे जेनान(Xenon) है। आवर्त सारणी के अनुसार सबसे भारी गैस ununoctium है जो पृथ्वी पर नही पायी जाती है।

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  11. sir …mera prashn yah hai ki law of conservation of energy ke anusar energy na hi tyar ki ja skti hai aur na hi khatm. to fir sun me energy kaha se banti hai ….jaha tak ki mujhe pta hai jab hydrogen ka conversion helium me hota hai tab energy release hoti hai … to jab o energy light ke form me radiate kr di jati hai to fir jab helium ka conversion hydrogen me hota hai tab energy kaha se aati hai.

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    1. सूर्य की ऊर्जा हायड्रोजन से हिलियम के निर्माण से उत्सर्जित होती है। इस प्रक्रिया मे हायड्रोजन से हिलियम के निर्माण से समय कुछ द्रव्यमान ऊर्जा मे परिवर्तित होता है। निर्मित हिलियम का द्रव्यमान निर्माता हायड्रोजन के द्रव्यमान से किंचित कम होता है जोकि ऊर्जा मे परिवर्तित हो जाता है।

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    1. द्रव्यमान अर्थात पदार्थ की मात्रा।

      घनत्त्व (अंग्रेज़ी:Density) पदार्थ के इकाई आयतन में निहित द्रव्यमान को कहते हैं। यह सामान्य अनुभव है कि बराबर आयतन के विभिन्न पदार्थो का भार भिन्न-भिन्न होता है। यह भिन्नता पदार्थों के अणुओं या परमाणुओं के भार तथा पदार्थविशेष में उनकी संनिकटता पर निर्भर होती है, क्योंकि किसी विशेष पदार्थ के अणुओं तथा परमाणुओं का भार और उस पदार्थ में उनका रचनाक्रम लगभग निश्चित होता है। अत: पदार्थविशेष के निश्चित आयतन का भार भी निश्चित ही होता है। इकाई अयतन के पदार्थ की मात्रा को उस पदार्थ का घनत्व कहते हैं। यह पदार्थ की सघनता का द्योतक है तथा पदार्थ का विशेष गुण होता है। उपर्युक्त परिभाषा के अनुसार किसी वस्तु का घनत्व निम्नलिखित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है:
      घनत्व = द्रव्यमान / आयतन

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  12. आज से 450 करोड़ साल पहले, सुर्य मंडल में मंगल के
    आकार का एक ग्रह था जो कि पृथ्वी के साथ एक
    ही ग्रहपथ पर सुर्य की परिक्रमा करता
    था। मगर यह ग्रह किसी कारण धरती
    से टकराया और एक तो धरती मुड गई और दूसरा इस
    टक्कर के फलसरूप जो पृथ्वी का हिस्सा अलग
    हुआ उससे चाँद बन गया।
    kya ye sach hai

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    1. भूपेंद्र , वैज्ञानिक होने के लिए विज्ञानं में डीग्री चाहिए। सरकारी पदों में अलग अलग पदों के लिए अलग अलग अहर्ता होती है। ये जानकारी आपको रोजगार पत्रिकाओं में मिलेगी।

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  13. चुंबकीय शक्ति का अधिकतर भाग, अपनी ही
    धुरी पर लट्टू की तरह spin करने के कारण उत्पन
    होता है। इसलिए इस ब्रह्मांड में हर पदार्थ एक
    चुंबक है। परन्तु सभी पदार्थ चुंबकीय गुण नहीं
    दिखते हैं। क्योंकि अधिकतर पदार्थों के आधे
    इलेक्ट्रॉन एक दिशा में और आधे, दूसरी दिशा
    में घूमते हैं और एक दूसरे की चुंबकीय प्रभाव को
    निरस्त कर देते हैं। परन्तु कुछ पदार्थों में एक ही
    दिशा में spin करने वाले इलेक्ट्रॉन की संख्या
    अधिक होती है।
    kya ye sab sach hai

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    1. भूपेंद्र, यही कारण है कि वैज्ञानिक बनने के लिए डीग्री आवश्यक है। लोहे के तार से कुंडली बनाकर उसमें विद्युत् प्रवाहित कर चुम्बक बनाने के लिए वोल्टेज के अनुसार कुंडली की संख्या की गणना करनी होती है, इसमें तार की मोटाई, प्रतिरोध का ध्यान भी रखाना होता है। शॉर्ट सर्किट से बचने तार पर इंसुलेशन भी चाहिए।
      बिजली के प्रयोग किसी जानकार की देख रेख में ही करें, अकेले ना करें।

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  14. sir maine ek lohe ke taar ko kundlidaar modker usme dori ke dwara vidhut dhara parwahit ki lekit switch on karte hi ek dam se shot ho gya aur pure ghar ki bijli chali gai aisa kyo hua aur hum bijli se chumbak kaise bana sakte hai maine to padha tha ki yadi taar ko kundlinuma modker usme vidhut djara pervahit ki jaye to kundli me chumbakiye chhetra utpann ho jayga

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  15. सर, आपने बताया था कि प्रकाश फोटान कणो से मिलकर बना होता है,और वो पारदर्शी माध्यम से निकल जाता है,अपारदर्शी माध्यम द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है ।
    इस प्रकार तो प्रकाश का परावर्तन और अपवर्तन क्रिया कैसे होगी।

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    1. ऐसा कोई प्राणी नही है लेकिन सभी वनस्पति आक्सीजन लेती भी है और उत्सर्जित भी करती है।
      सूक्ष्म जीवो मे कुछ बैक्टेरिया आक्सीजन का उत्सर्जन करते है।

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    1. वैज्ञानिक बनने के लिये वैसे तो कोई शिक्षा आवश्यक नही है।
      लेकिन बी एस सी करने के लिये इसलिये कहा जाता है कि आपकी खोज को मान्यता मिलने मे आसानी हो।
      खोज के लिये आपको उपलब्ध सिद्धांतो और तकनीकी ज्ञान की जानकारी हो। ऐसा नही हो कि आप जिस खोज के पीछे पड़े हो वह पहले से ज्ञात हो।
      उपलब्ध ज्ञान आपकी खोज को आसान बनायेगा, इसलिये भी बी एस सी या औपचारिक शिक्षा आवश्यक है।

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    1. आपके घर मे जितने भी पंखे लगे है उसमे तारों की कुंडली मे विद्युत प्रवाह से वह चुंबक बन जाता है, अंतर केवल यह है कि उसमे लोहे की बजाये तांबे का तार होता है। लोहे के तार से भी वह प्रभाव उत्पन्न होगा।

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    1. सम्मोहन (Hypnosis) वह कला है जिसके द्वारा मनुष्य उस अर्धचेतनावस्था में लाया जा सकता है जो समाधि, या स्वप्नावस्था, से मिलती-जुलती होती है, किंतु सम्मोहित अवस्था में मनुष्य की कुछ या सब इंद्रियाँ उसके वश में रहती हैं। वह बोल, चल और लिख सकता है; हिसाब लगा सकता है तथा जाग्रतावस्था में उसके लिए जो कुछ संभव है, वह सब कुछ कर सकता है, किंतु यह सब कार्य वह सम्मोहनकर्ता के सुझाव पर करता है।

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    1. बादल भाप से बने होते है, उनकी सतह ठोस नही होती है। उस पर कोई ठहर नही सकता है। विमान यात्रा मे विमान बादलो के बीच से भी गुजरते है।

      यदि आपका आशय किसी वायुयान के एक स्थान पर ठहर कर मंडराने का है तो वह हेलीकाप्टर कर सकते है।

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    1. सौरभ, हमने अभी तक ब्रह्मांड की सीमा को नही देखा है इसलिये कह नही सकते की सबसे दूरी पर कौनसा तारा है। लेकिन सौर मंडल के सबसे समीप का तारा प्राक्सीमा सेंटारी है जो कि चार प्रकाशवर्ष दूर है।

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  16. कुछ दिनों पहले अमेरिकी सेना ने कंधार अफगानिस्तान के पहाड़ों की गुफाओं में एक प्राचीन 5000 साल पुराना विमान खोज निकाला है, मीडिया में ऐसी खबरें बहोत आई थी, इसमें क्या सच्चाई है?

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  17. सर,आपने एक प्रश्न के उत्तर मे बताया था कि, प्रकाश का कोई द्रब्यमान नही होता।
    लेकिन जब द्रब्यमान नही होता ,तो उसमे उर्जा कहाँ से होगी।जबकि प्रकाश मे तो उर्जा होती है।

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    1. आकाश, ऊर्जा और द्रव्यमान दो अलग अलग चीजे नही है, वे एक ही वस्तु के दो रूप है।
      ऊर्जा अर्थात कार्यरत द्रव्यमान या द्रव्यमान अर्थात स्थिर ऊर्जा।

      जब हम कहते है कि फोटान मे द्रव्यमान नही होता है, उसका अर्थ है कि उसमे स्थिर ऊर्जा नही है, सारी ऊर्जा कार्यरत है।

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      1. त्रिआयामी होलोग्राफी (अंग्रेज़ी:थ्री डी होलोग्राफ़ी) एक स्टेटिक किरण प्रादर्शी प्रदर्शन युक्ति होती है। यह शब्द यूनानी, ὅλος होलोस यानि पूर्ण + γραφή ग्राफ़ी यानि लेखन या आरेखन से निकला है। इस तकनीक में किसी वस्तु से निकलने वाले प्रकाश को रिकॉर्ड कर बाद में पुनर्निर्मित किया जाता है, जिससे उस वस्तु के रिकॉर्डिंग माध्यम के सापेक्ष छवि में वही स्थिति प्रतीत होती है, जैसी रिकॉर्डिंग के समय थी। ये छवि देखने वाले की स्थिति और ओरियन्टेशन के अनुसार वैसे ही बदलती प्रतीत होती है, जैसी कि उस वस्तु के उपस्थित होने पर होती। इस प्रकार अंइकित छवि एक त्रिआयामि चित्र प्रस्तुत करती है और होलोग्राम कहलाती है। होलोग्राम का आविष्कार ब्रिटिश-हंगेरीयन भौतिक विज्ञानी डैनिस गैबर ने सन १९४७ में किया था, जिसे सन् १९६० में और विकसित किया गया। इसके बाद इसे औद्योगिक उपयोग में लाया गया। इसका उपयोग पुस्तकों के कवर, क्रेडिट कार्ड आदि पर एक छोटी सी रूपहली चौकोर पट्टी के रूप में दिखाई देता है। इसे ही होलोग्राम कहा जाता है। यह देखने में त्रिआयामी छवि या त्रिबिंब प्रतीत होती है, किन्तु ये मूल रूप में द्विआयामी आकृति का ही होता है। इसके लिये जब दो द्विआयामी आकृतियों को एक दूसरे के ऊपर रखा जाता जाता है। तकनीकी भाषा में इसे सुपरइंपोजिशन कहते हैं। यह मानव आंख को गहराई का भ्रम भी देता है।

        नोकिया के एक मोबाइल फोन पर त्रिआयामी होलोग्राम
        होलोग्राम के निर्माण में अतिसूक्ष्म ब्यौरे अंकित होने आवश्यक होते हैं, अतः इसको लेजर प्रकाश के माध्यम से बनाया जाता है। लेजर किरणें एक विशेष तरंगदैर्घ्य की होती हैं। क्योंकि होलोग्राम को सामान्य प्रकाश में देखा जाता है, अतः ये विशेष तरंगदैर्घ्य वाली लेजर किरणें होलोग्राम को चमकीला बना देती हैं। होलोग्राम पर चित्र प्राप्त करने के लिए दो अलग अलग तरंगदैर्घ्य वाली लेजर किरणों को एक फोटोग्राफिक प्लेट पर अंकित किया जाता है। इससे पहले दोनों लेजर किरणें एक बीम स्प्रैडर से होकर निकलती हैं, जिससे प्लेट पर लेज़र किरणों का प्रकाश फ्लैशलाइट की भांति जाता है और चित्र अंकित हो जाता है। इससे एक ही जगह दो छवियां प्राप्त होती हैं। यानि एक ही आधार पर लेजर प्रकाश के माध्यम से दो विभिन्न आकृतियों को इस प्रकार अंकित किया जाता है, जिससे देखने वाले को होलोग्राम को अलग-अलग कोण से देखने पर अलग आकृति दिखाई देती हैं।
        मानव आंख द्वारा जब होलोग्राम को देखा जाता है तो वह दोनों छवियों को मिलाकर मस्तिष्क में संकेत भेजती हैं, जिससे मस्तिष्क को उसके त्रिआयामी होने का भ्रम होता है। होलोग्राम तैयार होने पर उसको चांदी की महीन प्लेटों पर मुद्रित किया जाता है। ये चांदी की पर्तें डिफ्लैक्टेड प्रकाश से बनाई जाती हैं। होलोग्राम की विशेषता ये है कि इसकी चोरी और नकल करना काफी जटिल है, अतः अपनी सुरक्षा और स्वयं को अन्य प्रतिद्वंदियों से अलग करने के लिए विभिन्न कम्पनियां अपना होलोग्राम प्रयोग कर रही हैं। होलोग्राम के प्रयोग से नकली उत्पाद की पहचान सरलता से की जा सकती है। भारत में होलोग्राम की एक बड़ी कंपनी होलोस्टिक इंडिया लिमिटेड है।
        नकली दवाओं की पहचान करने के लिए भारत की प्रमुख औषधि कंपनी ने ग्लैक्सो ने बुखार कम परने वाली औषधि क्रोसीन को एक त्री-आयामी होलोग्राम पैक में प्रस्तुत किया है। यह परिष्कृत थ्री-डी होलोग्राम भारत में पहला एवं एकमात्र पीड़ानाशक एंटी पायेरेटिक ब्रांड है। होलोग्राम का प्रयोग करने वाली प्रसिद्ध भारतीय कंपनियों में हिन्दुस्तान यूनीलीवर, फिलिप्स इंडिया, अशोक लेलैंड, किर्लोस्कर, हॉकिन्स जैसी कंपनियां शामिल है। इसके अलावा रेशम और सिंथेटिक कपड़ा उद्योग के लिए होलोग्राफिक धागों के उत्पादन की योजना भी प्रगति पर है1 होलोग्राम कम होता खर्चीला है और इसके रहते उत्पादों के साथ छेड़छाड़ की जाये तो बड़ी सरलता से उसका पता लग जाता है। इसकी मदद से उत्पाद की साख और विशिष्टता बनी रहती है। इसके अलावा मतदाता पहचान पत्र आदि में भी थ्री-डी होलोग्राम का प्रयोग किया जाता है। इसके लिये भारतीय निर्वाचन आयोग ने भी निर्देश जारी किये हैं। भारत के मतदाता पहचान पत्रों में भी होलोग्राम का प्रयोग होता है। इसके अलावा विद्युत आपूर्ति मीटरों पर बिजली की चोरी रोकने हेतु भी होलोग्राम का प्रयोग होता है

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    1. टेलीपैथी एक ऐसी काल्पनिक शक्ति है, जिससे दूर बैठे व्यक्ति की मानसिक स्थिति से सम्पर्क किया जा सकता है। यह विज्ञान का विषय नही है, इसे छद्म विज्ञान (झूठा विज्ञान) माना जाता है। विज्ञान ने टेलीपैथी के अस्तित्व के कोई प्रमाण नही पाये है।

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    1. हम जैसे-जैसे समुद्र के किनारे से ऊपर यानी ऊंचाई की ओर बढ़ते हैं, तब जगह के साथ ही तापमान धीरे-धीरे कम होता जाता है। नदियों, तालाबों और समुद्र का पानी भाप बनकर आसमान में वर्षा का बादल बनाता है और यही बादल पानी बरसाते हैं। लेकिन जब आसमान में तापमान कम हो जाता है तो वहां हवा में मौजूद नमी संघनित यानी पानी की छोटी-छोटी बूंदों के रूप में जम जाती है। और बरसात के रूप मे जमीन की ओर गिरती है।

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    1. स्थाई चुंबक की के बल को गतिशील ऊर्जा में छोटे पैमाने पर बदल सकते है लेकिन बड़े पैमाने पर यह व्यवहारिक नहीं होता है।

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    1. सर नाइट्रोजन गैस आत्याधिक ठंडा होता है तो सर उसका उपयोग चिप्स के पैकेटो मे
      क्यो होता है तथा वह चिप्स गीला क्यो नही होता?
      bhupendra commented: “sir aap telepathy ke baare me kitna jante hai vistaar
      me batao”

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      1. आप जिस वातावरण में रहते है उसका लगभग 80 प्रतिशत नाइट्रोजन है। सामान्य स्थिति में इसका तापमान हमारे आस पास के तापमान जितना ही होता है।

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    1. हम सभी तो समययात्री है, हर क्षण भविष्य में जा रहे है।
      वैसे भविष्य की समय यात्रा करने के लिए तेज गति से यात्रा या अधिक गुरूत्व वाले क्षेत्र में जाना होता है।
      हर अंतरिक्षयात्री जब अब अपनी यात्रा से लौटता है तो वह कुछ नैनो सेकण्ड भविष्य में लौटता हसि, उसकी घड़ी पृथ्वी की तुलना में अलप मात्रा में धीमी होती है।

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      1. सर 1/1=1 और किसी भी संख्या का उसी संख्या मे भाग देने पर 1 आता है । तो सर
        0/0=0 क्यो होता है जबकि 1/0=अनन्त होता है।तथा 1^0 या कोई और संख्या की घात 0
        होने पर 1 होता है।क्यों?
        आशीष श्रीवास्तव commented: “हम सभी तो समययात्री है, हर क्षण भविष्य में जा
        रहे है। वैसे भविष्य की समय यात्रा करने के लिए तेज गति à”

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      2. धन्यवाद सर ।
        सर सर्य पर लगातार संलयन की क्रिया हो रही है। जिससे लगातार ऊर्जा का उत्सर्जन
        हो रहा है। जिससे उसके द्रव्यमान मे भी कमी आ रही है। तो सर उसके
        गुरुत्वाकर्षण बल मे भी कमी आ रही होगी।तो सर गुरुत्वाकर्षण बल मे कमी आने के
        कारण पृथ्वी को उससे दूर जाना चाहिए तो पृथ्वी सूर्य के नजदीक क्यो जा रही है?

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    1. वार्प स्पीड स्टार ट्रेक धारावाहिक और फिल्मों में प्रकाश गति या उससे अधिक गति से चलने वाले यानो की गति की इकाई है।एक वार्प स्पीड अर्थात प्रकाश की गति के तुल्य।

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    1. पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण आपको पृथ्वी की ओर खींच रहा है। जब आप पृथ्वी पर खड़े है आपके द्वारा पृथ्वी पर लगाये बल के तुल्य बल पृथ्वी आप पर लगा रही है जिससे आप खड़े है अन्यथा गुरुत्वाकर्षण के फ़लस्वरूप आप जमीन पर गीर पड़ते।

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  18. सर, मेंने सुना है क़ि भारत के महान गणितज्ञ श्री रामानुजन ने उनके मृत्यु के समय अपने गुरु जी के गाड़ी के नंबर देख के उसमे गणित के तीन छुपे तहसयो के बारे मे बताया था।ओर आज तक उनमे से केवल का रहस्य ही सामने आया। क्या यह सच है?

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    1. रामानुजन जब अस्पताल मे भर्ती थे (मृत्यु का समय नही) उनके गुरु हार्डी उनसे मिलने गये थे। उनकी टैक्सी का नंबर 1729 था जो कि 13 से विभाज्य है। अंग्रेज 13 को अशुभ मानते है। जब हार्डी ने रामानुजन को यह बताया तो रामानुजन ने कहा कि 1729 एक अद्भूत नंबर है। यह सबसे छोटी संख्या है जिसे दो संख्याओं के घन के योग के रूप मे दो भिन्न तरिके से लिखा जा सकता है। चित्र मे देखे।

      इसके अलावा सब बकवास है, इसमे कोई रहस्य जैसी बात नही है।

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  19. आशीष जी बादल क्यों गरजते हैं? कुछ लोगो का उत्तर ये होता है कि बादल में बर्फ होती है जो आपस में टकराते रहते है जिससे गरजने की आवाज आती है। अगर ये कथन सहीं है तो मुझे एक बात बताईये उस बर्फ पर गुरुत्वाकर्षण बल कार्य क्यों नही करता है। बो बर्फ पृथ्वी पर क्यों नहीं गिरती?

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    1. बादलो में दो तरह के विद्युत् आवेश होते है धन और ऋण। जब दो भिन्न आवेश वाले बादल संपर्क में आते है तब तेज गरज के साथ विद्युत् आवेश विसर्जित होता है, इसके परिणाम स्वरूप बिजली भी गिर सकती है।

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  20. सर , जब हम बल्ब जलाते है तो तांबे के तार से या किसी भी सुचालक से इलेक्ट्रान ख़त्म नहीं होते क्यूँ कि विधुत का source उनकी पूर्ती करता रहता है जैंसे cell. मेरा सवाल है कि डाइनेमो में इलेक्ट्रान कैंसे उत्पन होते है?

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    1. सतपाल , विद्युत धारा का अर्थ है इलेक्ट्रान का ऋणात्मक ध्रुव से धनात्मक ध्रुव तक बहना। यह एक परिपथ(Circuit) है, इसमे इलेक्ट्रान खर्च नही होते है, बस एक परमाणु से दूसरे परमाणु मे कुदते जाते है।
      डायनेमो मे जो चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है , उससे इलेक्ट्रानो का बहना प्रारंभ होता है। किसी चुंबकिय क्षेत्र मे सुचालक के घूर्णन से विद्युत उत्पन्न होती है।

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  21. सर ,आपने कहा कि शक्करयुक्त खाद्य पदार्थ ‘वेकर्स’ की श्रेणी मे आते है।
    लेकिन पानी तो शक्कर युक्त पदार्थ नहीं है ।और यह नीदं न लगे इसके लिये भी यह अच्छा उपाय है।

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    1. भोजन के बाद अक्सर नींद आती है, लेकिन कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? हालांकि इस विषय पर विशेषज्ञों के भी कई अलग-अलग मत हैं, और इसके कई कारण हो सकते हैं।

      1 : भोजन और नींद का संबंध
      आप अकसर महसूस करते होंगे कि भोजन करने के बाद शरीर में भारीपन, सुस्ती या आपको नींद आने लगती है। बच्चे तो दूध पीते-पीते ही सो जाते हैं, वहीं बड़े भोजन के बाद कुछ समय आराम करते हैं। हालांकि यह पूरी तरह सामान्य है और इसको लेकर कई अगल-अलग तथ्य हैं, लेकिन कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? नहीं! तो चलिये आज आपको बताते हैं कि हमें भोजन करने के बाद क्यों आती है तेज नींद….

      2 : निद्रा लाने वाले भोज्य पदार्थ(‘स्लीपर्स’)
      हमारे जीवन में नींद और भोजन का गहरा संबंध होता है। दरअसल कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे होते हैं, जिनके सेवन के बाद हमें तेज नींद आती है। इन्हें हम ‘स्लीपर्स’ कहा जाता है। इनमें से प्रमुख खाद्य पदार्थ पनीर, चीज, सी-फूड, दालें आदि हैं। इनका सेवन करने पर हमारे शरीर की नसों में खिंचाव कम होता है, जिससे हमें मींठी नींद आने लगती है।

      3 : निद्रा दूर करने वाले पदार्थ(‘वेकर्स’)
      स्लीपर्स के विपरीत कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे हैं, जो खाने से हमारा दिमाग सक्रिय हो उठता है और हमें नींद नहीं आती। इन खाद्य पदार्थों को ‘वेकर्स’ कहा जाता है। ये खाद्य पदार्थ हैं, चाय, कॉफी, चॉकलेट, कोला, स्नैक्स, अधिक शक्करयुक्त खाद्य पदार्थ वेकर्स की श्रेणी में आते हैं।

      4 :क्यों होता है ऐसा
      दरअसल भोजन करने पर हमारी पाचन क्रिया शुरू हो जाती है। और इस क्रिया के लिए हमारे पेट को ज्यादा रक्त की जरूरत होती है। सामान्य परिस्थितियों में हृदय से आने वाले रक्त का 28 प्रतिशत लिवर को, 24 प्रतिशत लंग्स को, 15 प्रतिशत मांसपेशियों, 14 प्रतिशत दिमाग को तथा 19 प्रतिशत शरीर के अन्य भागों में जाता है। खाना खाने से कुछ समय के लिए दिमाग में रक्त की मात्रा कम हो जाती है जिस कारण उसकी क्रियाशीलता थोड़ी धीमी हो जाती है और सुस्ती और नींद का अनुभव होने लगता है।

      5 : हमारा मस्तिष्क और आंतें दो ऐसे अंग हैं, जिन्हें प्रभावी ढंग से काम करने के लिए ऊर्जा की बड़ी मात्रा की आवश्यकता होती है। और जब अधिक कैलोरी वाला भोजन किया जाता है तो मस्तिष्क ऊर्जा को पाचन की ओर स्थानांतरित करता है। इसके लिए वह लाल रक्त कोशिकाओं को भोजन तोड़ने शरीर में पोषक तत्वों ले जाने के लिए भेजता है। जिस कारण शरीर सुस्त पड़ जाता है और नींद आती है।
      6 :एडेनोसाइन के कारण
      होमियोस्टेटिक (homeostatic) नींद ड्राइव और बॉडी साइकिल (सरकाजियन) भी इसका एक बड़ा कारण हैं। दरअसल स्लीप ड्राइव मस्तिष्क के भीतर एक रसायन का क्रमिक निर्माण (एडेनोसाइन) के कारण होती है। तो जितनी देर इंसान जागा हुआ रहता है, एडेनोसाइन उसके भीतर सोने की उतनी इच्छा प्रेरित करता है। एडेनोसाइन रात को सोने के पहले व दोपहर को ज्यादा होता है। जिस कारण भी हमें खाने के बाद नींद आती है।

      7 :इंसुलिन
      खाने के बाद (विशेष रूप से मीठे खाद्य पदार्थ), अग्न्याशय इंसुलिन का उत्पादन करता है, जो रक्तधारा में मिल जाता है। इंसुलिन के स्तर में वृद्धि ट्रीप्टोफन (tryptophan) की कार्रवाई को तेज कर देता है, जो दिमाग में मौजूद एक आवश्यक अमीनो एसिड होता है और भोजन से ही मिलता है। जिस कारण भी दोपहर के भोजन के बाद नींद आती है।

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  22. सर आइंस्टीन के नियमानुसार कोई भी कण प्रकाश गति 3,00,000 km/sec से गति नहीं कर सकता । परंतु गति सापेक्षिक होती है यदि हमारे rocket 8km/sec से गति करते हैं तो rocket के लिए प्रकाश का वेग 3,00,008 km/sec होना चाहिए । क्या ये सही है यदि हाँ तो क्या इसे मापा गया है ?यदि यह संभव नहीं तो क्यों नहीं

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    1. आइंस्टाइन के विशेष सापेक्षतावाद के नियम(Theory of Special Relativity) के अनुसार प्रकाशगति हर निरीक्षक के लिये समान होती है। इसके अनुसार राकेट के यात्री तथा राकेट के बाहर स्थिर निरीक्षक दोनो के लिये प्रकाश गति एक समान अर्थात ३ लाख किमी /सेकंड ही होगी। इसे प्रायोगिक रूप से सिद्ध किया जा चूका है।
      आपके प्रश्न का उत्तर इस लेख मे है : https://vigyanvishwa.in/2013/05/13/relativity4/

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    1. हीरे को आक्सीजन की अनुपस्थिति में 4,600 ± 300 K (~4,330 °C or 7,820 °F), पर पिघला सकते है।
      ध्यान रहे हीरा कार्बन का रूप है आक्सीजान की उपस्थिति में साधारण तापमान में जलकर co2 बन जाएगा।

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      1. i m unable to read this email bcoz font in missing plz send it in mangal
        font.

        2016-07-07 19:11 GMT+05:30 “विज्ञान विश्व” :

        > आशीष श्रीवास्तव commented: “हीरे को आक्सीजन की अनुपस्थिति में 4,600 ± 300
        > K (~4,330 °C or 7,820 °F), पर पिघला सकते है। ध्यान रहे हीरा कार्बन का रूप à”
        >

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    1. १.फोटान का द्रव्यमान नही होता है।
      2.Stub icon यह लेख एक आधार है। आप इसे बढ़ाकर विकिपीडिया की सहायता कर सकते हैं।
      भौतिकी में गाउस का नियम (Gauss’s law) वह नियम है जो विद्युत आवेश के वितरण एवं उनके कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्र में संबंध स्थापित करता है। इस नियम के अनुसार,

      किसी बंद तल से निकलने वाला विद्युत फ्लक्स उस तल द्वारा घिरे हुए कुल विद्युत आवेश की मात्रा के समानुपाती होता है।
      इस नियम का प्रतिपादन सन् १८३५ में कार्ल फ्रेडरिक गाउस (Carl Friedrich Gauss) ने किया था किन्तु इसका प्रकाशन सन् १८६७ तक नहीं कर सके। यह नियम मैक्सवेल के चार समीकरणों में से एक है। गाउस का नियम, कूलाम्ब के नियम से निष्पादित (derive) किया जा सकता है। (इसका उलटा भी सत्य है – कुलाम्ब का नियम, गाउस के नियम से निकाला जा सकता है।)

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    1. रात के आकाश मे जितने भी तारे आपको दिखायी देते है वे सभी सूर्य है। इनकी संख्या 150 अरब से बहुत अधिक है, हम सही संख्या कभी नही जान पायेंगे।

      ये सभी सूर्य हमसे बहुत दूर है जिससे वे हमे तारो के रूप मे दिखाई देते है।

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    1. शरीर का तापमान रक्त द्वारा नियंत्रित होता है और सारे शरीर मे लगभग समान होता है। लेकिन यह तापमान हमारे मस्तिष्क मे थोड़ा अधिक (आंशिक) होता है।

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    1. मानव ही नही समस्त प्राणीजगत अपने मस्तिष्क का 100% उपयोग करता है। मस्तिष्क के हर भाग के निश्चित कार्य होते है और वह उस कार्य को करता है। यदि एक भाग भी कार्य करना बंद कर दे तो उस व्यक्ति का कोई अंग कार्य करना बंद कर देगा।

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    2. मानव अपने दिमाग का 100% प्रयोग करता है। यदि दिमाग का छोटा भाग भी काम ना करे तो मानव के शरीर का कोई एक या अनेक भाग काम नही करेगा।

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    1. किसी वस्तु में उपस्थित पदार्थ की मात्रा को द्रव्यमान जबकि किसी वस्तु पर पृथ्वी के लगाने वाले आकर्षण बल को भार कहते हैं। इसे (W=mg) से प्रकट किया जाता है, जहाँ m वस्तु का द्रव्यमान और g उस पर लगने वाला पृथ्वी का गुरुत्वीय त्वरण है। किसी वस्तु का द्रव्यमान प्रत्येक स्थान पर स्थिर रहता है, जबकि भार विभिन्न स्थानों पर g के मान में परिवर्तित होने के कारण बदलता रहता है।

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      1. 60 kg आपका द्रव्यमान है, भार नही। द्रव्यमान को किलोग्राम मे मापा जाता है, भार को न्युटन(newton) या kg ⋅ m/s2 मे मापा जाता है।

        पृथ्वी पर आपका भार 60 * 9.8 kg m/s2
        9.8 m/s2 पृथ्वी का गुरुत्विय त्वरण है।

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      2. ऐसी कोई भी प्रक्रिया जिसमे गुरुत्वाकर्षण के संदर्भ मे गणना करना हो भार की आवश्यकता होती है। भार = द्रव्यमान x गुरुत्विय त्वरण

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    1. पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा उसके गुरुत्वाकर्षण बल के कारण करती है।
      पृथ्वी की घूर्णन गति उसके जन्म के समय से है। पृथ्वी(सारे सौर मंडल) का जन्म एक घूर्णन करते हुये बादल से हुआ था जोकि अपने स्वयं के गुरुत्वाकर्षण से घूर्णन कर रहा था। इसी घूर्णन करते हुये बादल से पृथ्वी का जन्म हुआ और घूर्णन गति विरासत मे मिली।

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    1. समान द्रव्यमान वाले दोनो पिंड अपने मध्य के एक गुरुत्वाकर्षण केंद्र(Center of gravity) की परिक्रमा करेंगे। यदि हम कोई तीसरा पिंड रख दे तो वे तीनो अपने मध्य के नये गुरुत्वाकर्षण केंद्र(Center of gravity) की परिक्रमा करेंगे।
      गुरुत्वाकर्षण बल हर जगह प्रभावी होता है अंतरिक्ष मे भी, बस दूरी के साथ उसकी क्षमता कमजोर होते जाती है।

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    1. संजय ये दोनो विषय नये नही है, कई हजारो वर्ष से कई लोगो ने इन दोनो पर कार्य किया है। किसी एक व्यक्ति को भौतिकी या रसायन का जनक कहना अन्य वैज्ञानिको के साथ अन्याय होगा। फ़िर भी रसायन शास्त्र का जनक Antoine-Laurent Lavoisier को कहा जाता है, भौतिकी का जनक न्युटन, आइंस्टाइन और गैलीलियो को कह सकते है।

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    1. पानी मे लगभग सभी गैसे न्युनाधिक मात्रा मे घुली होती है। शुद्ध जल(Distilled Water) मे कोई भी गैस नही होती है। रासायनिक रूप से जल स्वयं हाइड्रोजन और आक्सीजन गैस से बना है।

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    1. पानी की मात्रा मे कोई अंतर नही आ रहा है, न कम हो रहा है ना बढ़ रहा है। लेकिन शुद्ध जल की मात्रा कम हो रही है क्योंकि पानी का अंधाधुंध प्रयोग और प्रदुषण से शुद्ध जल प्रदुषित हो रहा है।

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    1. इलेक्ट्रॉन वोल्ट (चिन्ह eV) ऊर्जा की इकाई है। यह गतिज ऊर्जा की वह मात्रा है, जो एक इलेक्ट्रॉन द्वारा निर्वात में एक वोल्ट का विभवांतर पार करने पर प्राप्त की जाती है। सरल शब्दों में, यह 1 वोल्ट तथा 1 एलेक्ट्रानिक आवेश (e) के गुणनफल के बराबर होती है, जहाँ एक वोल्ट = एक जूल प्रति कूलम्ब है।

      एक इलेक्ट्रॉन वोल्ट अति लघु मात्रा की ऊर्जा है:

      1 eV = 1.602 176 53 ×10^−19 जूल

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  23. आशीष श्रीवास्तव जी,
    मेरा नाम के.बी. व्यास है तथा मैं शारजाह में रहता हूँ | मेरी हॉबी है स्कूल के बच्चों को ज्ञान देना | मेरी हाल ही मैं शारजाह में इवेंट कम्पनी चलती थी जिसे मेंने बंद किया और भारत में अपना पब्लिकेशन खोला है, राजस्थान के जोधपुर शहर में | आपसे मिल कर अच्छा लगा | यहाँ के स्कूलों के लिए कुछ कर सकें तो बताइयेगा | आप भारत में कहाँ रहते हैं ?
    शुभकामनाएं
    के.बी.व्यास

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    1. सर आपके द्वारा भेजे गए कुछ संदेश चीनी भाषा मे आता है । मेरा मोबाइल भी
      इंडियन है फिर भी। इसके अलावा और भी संदेश आते है लेकिन वो हिन्दी या अंग्रेजी
      मे ही आता है। इसके कारण मे आपके संदेश नही पढ़ पाता हु। तो मे क्या करु की
      संदेश को मे पढ़ सकु

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    1. आकाशगंगा तारो से बनती है, आकाशगंगा मे किसी समय तारों की संख्या निश्चित होती है लेकिन नये तारे बनते रहते है, तारो की मृत्यु भी होती रहती है।
      हम तारों की कुल संख्या नही जानते है, इसका अर्थ यह नही है कि तारें अनगिनत है, वे एक निश्चित संख्या मे है।

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    1. लोहा स्वयं एक तत्व है यह किसी अन्य चीज से नही बनता है।
      लोहा या लोह (Iron) आवर्त सारणी के आठवें समूह का पहला तत्त्व है। धरती के गर्भ में और बाहर मिलाकर यह सर्वाधिक प्राप्य तत्व है (भार के अनुसार)। धरती के गर्भ में यह चौथा सबसे अधिक पाया जाने वाला तत्व है। इसके चार स्थायी समस्थानिक मिलते हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्या 54, 56, 57 और 58 है। लोह के चार रेडियोऐक्टिव समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 52, 53, 55 और 59) भी ज्ञात हैं, जो कृत्रिम रीति से बनाए गए हैं।

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    1. आसमान हमेशा रहता है, बस सूर्योदय के पश्चात प्रकाश के वायुमंडल मे होने वाले प्रकिर्णन से वह निला दिखायी देता है। प्रकाश की अनुपस्थिति मे वह काला दिखायी देता है।

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    1. काला रंग अर्थात प्रकाश की अनुपस्थिति। परछाई प्रकाश को रोक देने से बनती है, अर्थात प्रकाश अनुपस्थित है, अर्थात काला रंग।

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  24. यदि हम किसी वस्तु को गैस के गुब्बारे से लटकाकर छोड़ दे जो की वातावरण १५ घंटे के लिए एक ही जगह पर स्थिर रहे तो क्या १५ घंटे बाद पृथ्वी के घूर्णन की वजह से वह किसी और देश के ऊपर लटका हुआ मिलेगा ?

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    1. पृथ्वी वायुमण्डल के साथ घूर्णन करती है। पृथ्वी अर्थात जमीन और उसके साथ वायुमण्डल। गुब्बारा भी वायुमण्डल के साथ घूमेगा।

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    1. बादल पहाड़ से टकराते नही है, लेकिन पहाड़ बादलो का रास्ता रोक देते है जिससे बारीश होती है। विमान इतने बड़े नही होते कि वे बादलो का रास्ता रोक सके। बादलो मे से विमान आसानी से गुजर जाता है।

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      1. हवा , पृथ्वी का ही एक भाग है। पृथ्वी की सतह से उपर 100 किमी तक हवा का आवरण है। ये कहीं नही जाती है, केवल मौसमी कारको से (जैसे गर्मी) से प्रवाहित होती है, तब आप उसकी गति को महसूस करते है।

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    1. एन्ड्रोइड और iOS दोनो Unix(Linux) आधारित मोबाईल आपरेटिंग सीस्टम है। एन्ड्रोईड गूगल द्वारा विकसीत है, iOS एप्पल द्वारा विकसीत है।
      Window माइक्रोसाफ़्ट द्वारा विकसीत आपरेटींग सीस्टम है।
      इसमे सबसे ज्यादा सुरक्षित iOS है, दूसरे क्रमांक पर एंड्रोईड है। विंडोज सबसे असुरक्षित है।

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    1. DDR,DDR1,DDR2 तीनो कंप्युटर RAM के प्रकार है। सबसे पहले DDR आयी थी, उससे तेज गति से डाटा ट्रांसफर करने वाली DDR2 तथा वर्तमान मे सबसे तेज डाटा ट्रांसफ़र करने वाली DDR3 है।
      DDR1, DDR2 तथा DDR3 मे अंतर

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      1. सर अगर हम छोटे से विधुत स्त्रोत को (0.5v) किसी बंद निकाय में लम्बे समय
        तक(करीब 2-3 साल) रखे तो क्या वह निकाय पूर्ण तरह से प्रकाशमान हो
        जायेगा।अर्थात उसका प्रकाश एक बड़े तथा अधिक प्रकाशशील स्त्रोत के समान हो
        जायेगा?
        ब्रम्हांड में कई सारे प्रकाश स्त्रोत है उनका प्रकाश कहा जाता है?

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      2. प्रकाश फोटान कणो से बना होता है जोकि ऊर्जा का रूप है। फोटानो को बंद नही किया जा सकता है, पारदर्शी पदार्थ से वे आरपार चले जाते है, जबकि अपारदर्शी पदार्थ उन्हे अवशोषित कर लेते है। अपारदर्शी पदार्थ जब उन्हे अवशोषित कर लेते है तो वे फोटान ऊर्जा से उष्ण हो जाते है।
        इसलिये आप प्रकाश को किसी निकाय मे बंद नही कर पायेंगे।

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    1. इसे आभामंडल(hallo) कहते है। यह न केवल चंद्रमा के आसपास दिखाई देता है बल्कि सूर्य के आसपास भी दिखाई देता है। आभामण्डल एक प्रकाश संबंधित वायुमण्डलीय घटना है जिसके अंतर्गत सूर्य अथवा चंद्रमा के इर्दगिर्द एक अस्थाई प्रकाशकीय घेरा दृष्टिगोचर होता है। यह वायुमण्डलीय घटना कुछ विशेष प्रकार के बादलों के साथ जुड़ी हुई है

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    1. बरमूडा त्रिभुज में कुछ भी विशेष , कोई रहस्य नहीं है, सब अफवाह है। इस जगह होने वाली दुर्घटना का औसत किसी अन्य जगह से अधिक नही है। किसी भी ग्रह पर जाने का कोई शार्ट कट नहीं है, उन तक केवल अंतरिक्ष यान , रॉकेट से ही जा सकते है।

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      1. सर नाभिक में जो द्रव्यमान क्षय होता है उससे नाभिकीय बंधन ऊर्जा निर्मित होती
        है। तो सर नाभिक में द्रव्यमान को ऊर्जा में बदलने के लिए आवश्यक वेग कहा से
        मिलता है?

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    1. App बनाने के लिए आपको कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग आनी चाहिए। आप जावा के प्रयोग से एंड्राइड पर ऑब्जेक्ट सी के प्रयोग से ios के लिए एप्प बना सकते है।

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      1. मैंने कहा ना की आपको प्रोग्रामिंग सीखनी होगी। ये रही एंड्रॉइड एप्प बनाने के लिए उपयोगी साइट। लेकिन पहले प्रोग्रामिंग आना चाहिए, किसी कंप्यूटर इंस्टिट्यूट से या किसी शिक्षक से सीखिये।
        http://developer.android.com/training/basics/firstapp/index.html

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