
आइये आज बात करते हैं मनोरंजक गणित की।
गणित में एक संख्या 6174 है जिसे कापरेकर स्थिरांक (Kaprekar constant) कहते हैं; यह संख्या बड़ी मजेदार है। कैसे, वो भी देखिये
1- कोई भी चार अंक की संख्या लीजिये जिसके दो अंक भिन्न हों।
2- संख्या के अंको को आरोही (ascending) और अवरोही (descending) क्रम में लिखें।
3- इससे आपको दो संख्यायें मिलेंगी। अब बड़ी संख्या को छोटी से घटायें।
4- जो संख्या मिले इस पर पुनः 2 नंबर वाली प्रक्रिया दोहराएँ। इस प्रक्रिया को कापरेकर व्यवहार (Kaprekar’s routine)कहते हैं।
5- कुछ निश्चित चरणों के बाद आपको 6174 संख्या मिलेगी। इसके साथ प्रक्रिया क्रमांक 2 को अपनाने पर भी फिर यही संख्या मिलती है इसीलिये इसे कापरेकर स्थिरांक कहते हैं।
उदाहरण:
हमने संख्या ली 3141.
अब प्रक्रिया क्रमांक 2 को दोहराने पर ऐसे क्रम चलेगा
4311-1134=3177.
7731-1377=6354.
6543-3456=3087.
8730-0378=8352.
8532-2358=6174.
7641-1467=6174…
अब जरा ये भी जान लें कि ये कापरेकर आखिर हैं कौन?
दत्तात्रय रामचंद्र कापरेकर भारतीय गणितज्ञ थे और जैसा कि हमेशा होता है, ये भी देश में भारी उपेक्षा के शिकार रहे। प्रारम्भिक शिक्षा थाने और पुणे में तथा स्नातक मुंबई विश्वविद्यालय से प्राप्त करने वाले कापरेकर नासिक के एक विद्यालय में शिक्षक थे। भारत में उनको मान सम्मान तब मिला जब मार्टिन गार्डनर ने उनके बारे में 1975 में “साईंटिफिक अमेरिकन” में लिखा।
कापरेकर संख्या और डेमलो संख्या
अब कापरेकर संख्या और डेमलो संख्या की बात करते है। ये दोनों संख्याये भी हमारे कम चर्चित महाराष्ट्रियन गणितज्ञ कापरेकर जी की खोजी हुई हैं।
कापरेकर संख्या : किसी दिये हुये आधार पर (हम सामान्यतया 10 आधार वाली दशमलव प्रणाली का इस्तेमाल करते हैं ) कोई संख्या ( शून्य या उससे बड़ी) जिसके वर्ग को दो ऐसे गुणकों में विभाजित किया जा सके कि उन्हें जोड़कर हम पुनः प्रारम्भिक संख्या को प्राप्त कर सकें, ऐसी संख्या को कापरेकर संख्या कहते हैं|
कुछ उदाहरण देखिये:
संख्या | वर्ग | गुणको मे विभाजन |
---|---|---|
703 | 703² = 494209 | 494+209 = 703 |
2728 | 2728² = 7441984 | 744+1984 = 2728 |
5292 | 5292² = 28005264 | 28+005264 = 5292 |
857143 | 857143² = 734694122449 | 734694+122449 = 857143 |
कुछ और उदाहरण 55, 99, 297, 703, 999 आदि। विशेषकर 9, 99, 999, ……….. श्रेणी की सभी संख्याएँ कापरेकर संख्याएं हैं।
डेमलो संख्या : डेमलो संख्याएं Repunit संख्याओं के वर्ग का मान हैं| Repunit संख्याओं की एक विशेष श्रेणी को कहते हैं। इसका मतलब है Repeated Unit और Unit यानि इकाइ (1), तो Repunit संख्याएँ हैं 1, 11, 111, 1111, ………. और क्रमशः
इनके वर्ग से जो डेमलो(demlo) संख्यायें प्राप्त होती हैं वो भी बड़ी मनोरंजक हैं|
1² – 1
11² – 121
111² – 12321
1111² – 1234321
*डेमलो संख्या के नामकरण की भी कहानी है। डेमलो (Demlo) कोई रेलवे स्टेशन है जहाँ उन्हें इस संख्या का विचार आया था।
हर्षद संख्या
हर्षद संख्याओ का एक मजेदार गुण होता है, ये संख्याये अपने अंको के योग से भाज्य होती है। काप्रेकर ने इन्हे हर्षद संख्या अर्थात आनंददायक संख्या कहा था। उदाहरण के लिये संख्या लेते है 12। अब 1+2=3। संख्या 12 अपने अंको के योग 3 से भाज्य है अर्थात वह हर्षद संख्या है। इन संख्याओं को गणीतज्ञ Ivan M. Niven के नाम पर निवेन संख्या भी कहते है।
साभार : अवनीश सिंह
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ईतनी जानकारी का अर्थ किसी को लिखने से पहले पढना पढता है
आपका मूल उद्देश्य क्या है,सिर्फ ब्लाग चलाना तो नही हो सकता अवश्य ही आप कीसी विशेष उद्देशय को रखते है!
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विनय, मेरा उद्देश्य केवल हिंदी में विज्ञानं प्रसार है। मै पेशे से साफ्टवेयर क्षेत्र में हूँ।
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THANX
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मेरा सवाल है के अगर पृथ्वी के इनर कोर का तापमान सूर्य के बराबर है तो वहाँ परमाणु विस्फ़ोट क्यों नही होता क्या इस का कारण भरी तत्व है.
दूसरा सवाल ये के हम प्रकाश की गति को कैसे प्राप्त कर सकते है
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पृथ्वी की कोर में भारी तत्व है, उनके संलग्न के लिये तापमान केवल सुपरनोवा में संभव है!
प्रकाशगति प्राप्त करना वर्तमान विज्ञान के अन्ुसार असंभव है!
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संख्याओं का अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि सभी कापरेकर संख्याओं का बीजांक १ अथवा ९ है। १ और ९ की विशेषताओं को तो हम सभी जानते ही हैं।
एक धूमिल सी छवि दिमाग में बन रही है। शायद मैं इस संख्या से पहले से ही परिचित हूँ। और उस पुस्तक का नाम जादूई गणित था। जिसमे और भी गणितीय संख्याएँ दी गई थी।
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