यह ‘प्रश्न आपके और उत्तर हमारे’ का पहला भाग है। यहाँ अब 4000 के क़रीब टिप्पणियाँ हो गयी हैं, जिस वजह से नया सवाल पूछना और पूछे हुए सवालों के उत्तर तक पहुँचना आपके लिए एक मुश्किल भरा काम हो सकता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए अब ‘प्रश्न आपके और उत्तर हमारे: भाग 2‘ को शुरू किया जा रहा है। आपसे अनुरोध है कि अब आप अपने सवाल वहीं पूँछे।
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sir server kya hota hai
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कंप्यूटर के क्षेत्र में, सर्वर हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर का एक संयोग है जिसे क्लाइंट की सेवा के लिए डिज़ाइन किया गया है। जब केवल इस संज्ञा का प्रयोग होता है तब यह विशिष्ट रूप से किसी कंप्यूटर से संदर्भित होता है जो किसी सर्वर ऑपरेटिंग सिस्टम को चालू रख रहा हो सकता है, लेकिन साधारणतः इसका craig सेवा प्रदान करने में सक्षम किसी सॉफ्टवेयर या संबंधित हार्डवेयर के संदर्भ में होता है।
सर्वर शब्द का प्रयोग खास तौर पर इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी (सूचना प्रौद्योगिकी) के क्षेत्र में किया जाता है। अनगिनत सर्वर ब्रांडों वाले उत्पादों (जैसे हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर तथा/अथवा ऑपरेटिंग सिस्टम्स के सर्वर एडिशन) की उपलब्धता के बावजूद आज के बाज़ारों में Apple (ऐपल) और Microsoft (माइक्रोसॉफ्ट) की बहुलता है।
सर्वर ऍप्लिकेशन (अनुप्रयोग) के आधार पर, सर्वरों के लिए आवश्यक हार्डवेयर भिन्न-भिन्न होते हैं। एब्सोल्यूट CPU की गति साधारणतः किसी सर्वर के लिए उतनी महत्वपूर्ण नहीं होती है जितनी एक डेस्कटॉप मशीन के लिए होती है। एक ही नेटवर्क में अनगिनत उपयोगकर्ताओं को सेवा प्रदान करना सर्वर का काम होता है जिससे तेज नेटवर्क कनेक्शन और उच्च I/O थ्रूपुट (throughput) जैसी विभिन्न आवश्यकताएं सामने आतीं हैं। चूंकि सर्वरों को साधारणतः एक ही नेटवर्क पर एक्सेस किया जाता है इसलिए ये बिना किसी मॉनिटर या इनपुट डिवाइस के हेडलेस मोड में चालू रह सकते हैं। उन प्रक्रियाओं का प्रयोग नहीं होता है जो सर्वर की क्रियाशीलता के लिए जरूरी नहीं होते हैं। कई सर्वरों में ग्राफ़िकल यूज़र इंटरफ़ेस (GUI) नहीं होते हैं क्योंकि यह अनावश्यक होता है और इससे उन संसाधनों का भी क्षय होता है जो कहीं-न-कहीं आवंटित होते हैं। इसी तरह, ऑडियो और USB इंटरफ़ेस (अंतराफलक) भी अनुपस्थित रह सकते हैं।
सर्वर अक्सर बिना किसी रूकावट और उपलब्धता के कुछ समय के लिए चालू रहता है लेकिन यह उच्च कोटि का होना चाहिए जो हार्डवेयर की निर्भरता व स्थायित्व को अत्यंत महत्वपूर्ण बना सके.यद्यपि सर्वरों का गठन कंप्यूटर के उपयोगी हिस्सों से किया जा सकता है लेकिन मिशन-क्रिटिकल सर्वरों में उन विशिष्ट हार्डवेयर का प्रयोग होता है जो अपटाइम को बढ़ाने के लिए बहुत कम विफलता दर वाला होता है। उदाहरणस्वरूप, तीव्रतर व उच्चतम क्षमता वाले हार्डड्राइवों, गर्मी को कम करने वाले बड़े-बड़े कंप्यूटर के पंखों या पानी की मदद से ठंडा करने वाले उपकरणों और बिजली की बाधित होने की स्थिति में सर्वर की क्रियाशीलता को जारी रखने के लिए अबाधित बिजली की आपूर्तियों की मदद से सर्वरों का गठन हो सकता है। ये घटक तदनुसार अधिक मूल्य पर उच्च प्रदर्शन और निर्भरता प्रदान करते हैं। व्यापक रूप से हार्डवेयर अतिरिक्तता का प्रयोग किया जाता है जिसमें एक से अधिक हार्डवेयर को स्थापित किया जाता है, जैसे बिजली की आपूर्ति और हार्ड डिस्क. इन्हें इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है कि यदि एक विफल हुआ तो दूसरा अपने-आप उपलब्ध हो जाय. इसमें त्रुटियों का पता लगाने व उन्हें ठीक करने वाले ECC मेमोरी डिवाइसों का प्रयोग किया जाता है; लेकिन बिना ECC मेमोरी वाले डिवाइस डाटा में गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं।
सर्वर अक्सर रैक-माउंटेड (रैक पर रखे) होते हैं तथा इन्हें सुविधा और सुरक्षा की दृष्टि से शारीरिक पहुंच से दूर रखने के लिए सर्वर कक्षों में रखा जाता है।
कई सर्वरों में हार्डवेयर को शुरू करने तथा ऑपरेटिंग सिस्टम को लोड करने में बहुत समय लगता है। सर्वर अक्सर व्यापक पूर्व-बूट मेमोरी परीक्षण व सत्यापन करते हैं और तब दूरदराज के प्रबंधन सेवाओं को शुरू करते हैं। तब हार्ड ड्राइव कंट्रोलर्स सभी ड्राइवों को एक साथ शुरू न करके एक-एक करके शुरू करते हैं ताकि इससे बिजली की आपूर्ति पर कोई ओवरलोड न पड़े और तब जाकर ये RAID प्रणाली के पूर्व-जांच का कार्य शुरू करते हैं जिससे अतिरिक्तता का सही संचालन हो सके. यह कोई खास बात नहीं है कि एक मशीन को शुरू होने में कई मिनट लगते हैं, लेकिन इसे महीनों या सालों तक फिर से शुरू करने की आवश्यकता नहीं हो सकती है।
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सर ये बताइये धारा एक मूल राशि है लेकिन हम जानते है यदि आवेश नही प्रवाहित तो धारा नही प्रवाहित होगी इसका मतलब धारा आवेश पर निर्भर करती है तब तो धारा को व्युत्पन्न राशि होना चाहिए लेकिन यह मूल राशि है कैसे ?
हम जानते है कि मूल राशिया वे राशिया होती है जो किसी पर निर्भर नही करती लेकिन धारा कर रही है आवेश पर कैसे…?
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sir ky kya aap bta skte h ki maine gk me padha tha ki france me ek bhi machar nhi paaya jata aaisa kyu hwha kya technology h plz btaiye sit
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अफवाह है।
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Agr aag ko cordon dai oxsaid se bujhhaya jata hai to admi ke fukne se kyo aag jlta hai
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मानव जब श्वास लेता है तो उसमे २१% आक्सीजन होती है, जब वह श्वास छोड़ता है तो उसमे १७% आक्सीजन होती है। यह आक्सीजन जलने मे सहायता करती है।
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Charge ko na to utpann Kya ja sakta hai aur na hi ese nast kya ja sakta hai kese.
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Hame apni kalam exam samay kyu kisi ko nhi Deni chahiye.
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यह केवल अंध विश्वास है।
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sir kya kisi ke mobile no. se ye pata chal sakta hai ki vo kon sa phone use kar raha hai
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मोबाइल सर्विस कंपनी बता सकती है।
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sir kya aap bta skte h ki
japan ki aabadi kitni h
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Sir Tarang ek Baar me Kitna bhaar utha Sakta hai
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sir ye baat to aapne company par chhod di pr Maine to puchha tha ki kiya aap hi pata laga sakte hai akele
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नहीं, मोबाईल सर्विस कम्पनी ही बता सकती है।
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sir maan lo aapke pass mera mobile number hai aap mere mobile no. ko track karke meri location ya mera address wagere ya kuch aur mere baare me kitni information nikaal sakte ho aur kaise kaise
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आपके मोबाईल की कंपनी से आपकी स्थिति पता चल सकती है। मोबाईल अपने समीप के टावर से जुड़ा होता है, इस टावर की स्थिति से आपकी अनुमानित स्थिति पता चल जाती गई।
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सर लाइट पड़ने पर कौन सी धातु चमकती है
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,प्रकाश पढने पर सभी धातू चमकती है।
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sir kya aap robot bana sakte ho
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बहुत कुछ रोबोट की परिभाषा पर निर्भर है। अपने आप घर की सफ़ाई करने वाला उपकरण भी रोबोट है! छोटे अपने आप काम करने वाले उपकरण भी रोबोट होते है, जैसे दांतो की सफ़ाई करने वाला बिजली वाला टूथब्रश। ऐसे छोटे रोबोट बनाये जा सकते है लेकिन मनुष्य के जैसे कार्य करने वाला रोबोट बनाना कठीन है।
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Sir grutwakarsan upar kitni uchai tak hai?
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गुरुत्वाकर्षण की सीमा नहीं होती बस दूरी के साथ कमजोर होते जाता है।
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सर किसी भी वास्तु को घूमने के लिए ऊर्जा की आवशयकता होती है। तो पृथ्वी जो
वर्षो से सूर्य के चारो और घूम रही है उसे ऊर्जा कहाँ से मिलती है?
यदि ये प्रकति के मूल बालो से मिलती है तो कैसे?
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न्युटन के प्रथम नियम: प्रत्येक पिंड तब तक अपनी विरामावस्था अथवा सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्था में रहता है जब तक कोई बाह्य बल उसे अन्यथा व्यवहार करने के लिए विवश नहीं करता। इसे जड़त्व का नियम भी कहा जाता है।
इस नियम के अनुसार यदि कोई वस्तु गतिमान है तो उसे गति के लिये किसी ऊर्जा की आवश्यकता नही है। पृथ्वी सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाने के पीछे उसके जन्म के समय प्राप्त गति है।
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सर मुझे आपसे दो प्रश्न पूछने है-
(1). सर यह बादल की प्रकृति कैसी होती है अर्थात बादल का भौतिक रूप क्या है?
यदि यह गैस अवस्था में होता है तो वर्षा होने पर ओले कहां से आते हैं, यदि वह
ठोस अवस्था में होता है तो जब हम बादल को छूते हैं तो हमें गैस जैसा क्यों
प्रतीत होता है तथा उसे गुरुत्वाकर्षण बल क्यों नहीं खींच पाता?
(2). सर गुरुत्वाकर्षण बल दो द्रव्य कणों के मध्य क्यों लगता है? ऐसा क्या
होता है कि यह बल दो द्रव्य कणो के मध्य कार्यरत होता है?
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1) बादल गैसे रूप मे होते है। मौसमी कारको से उनमे संघनन होता है जिससे वह द्रव बुंदो मे परिवर्तित होकर बारीश कराते है। लेकिन यदि तापमान कम हो तो वह हिम या ओलो के रूप मे बरसता है।
2) गुरुत्वाकर्षण बल द्रव्यमान रखने वाले कणो का मूलभूत गुणधर्म है। मूलभूत गुणो के पीछे कारण नही होता है, वह उसका मूल स्वभाव जैसे होता है।
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सर तारो पर सबसे ज्यादा कौन सी गैस पायी जाती है
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हायड्रोजन, दूसरे नंबर पर हिलियम
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sir GPS kya hai aur kya mobile se GPS par number track kar sakte hai
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ग्लोबल पॉजिशनिंग प्रणाली (अंग्रेज़ी:ग्लोबल पोज़ीशनिंग सिस्टम), एक वैश्विक नौवहन उपग्रह प्रणाली होती है। इसका विकास संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग ने किया है। २७ अप्रैल, १९९५ से इस प्रणाली ने पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया था। वर्तमान समय में जी.पी.एस का प्रयोग बड़े पैमाने पर होने लगा है।[1] इस प्रणाली के प्रमुख प्रयोग नक्शा बनाने, जमीन का सर्वेक्षण करने, वाणिज्यिक कार्य, वैज्ञानिक प्रयोग, सर्विलैंस और ट्रेकिंग करने तथा जियोकैचिंग के लिये भी होते हैं। पहले पहल उपग्रह नौवहन प्रणाली ट्रांजिट का प्रयोग अमेरिकी नौसेना ने १९६० में किया था। आरंभिक चरण में जीपीएस प्रणाली का प्रयोग सेना के लिए किया जाता था, लेकिन बाद में इसका प्रयोग नागरिक कार्यो में भी होने लगा।
जीपीएस रिसीवर अपनी स्थिति का आकलन, पृथ्वी से ऊपर स्थित किये गए जीपीएस उपग्रहों के समूह द्वारा भेजे जाने वाले संकेतों के आधार पर करता है। प्रत्येक उपग्रह लगातार संदेश रूपी संकेत प्रसारित करता रहता है। रिसीवर प्रत्येक संदेश का ट्रांजिट समय भी दर्ज करता है और प्रत्येक उपग्रह से दूरी की गणना करता है। शोध और अध्ययन उपरांत ज्ञात हुआ है कि रिसीवर बेहतर गणना के लिए चार उपग्रहों का प्रयोग करता है। इससे उपयोक्ता की त्रिआयामी स्थिति (अक्षांश, देशांतर रेखा और उन्नतांश) के बारे में पता चल जाता है। एक बार जीपीएस प्रणाली द्वारा स्थिति का ज्ञात होने के बाद, जीपीएस उपकरण द्वारा दूसरी जानकारियां जैसे कि गति, ट्रेक, ट्रिप, दूरी, जगह से दूरी, वहां के सूर्यास्त और सूर्योदय के समय के बारे में भी जानकारी एकत्र कर लेता है।
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sir Jo kuch bhi prathvi pr hota hai uski real video settelite me record hoti rehti hai agar aisa sambhav hai to chori murder etc. ka to namonishaan nahi hona chahiye kyoki koi bhi fir galat karya nahi karega agar record nahi hota to kyo nahi
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कोई भी उपग्रह/सेटेलाईट इतना शक्तिशाली नही है कि सारी पृथ्वी या किसी विशेष जगह का संपुर्ण 24×7 विडियो रिकार्ड कर सके, यदि वे विडियो रिकार्ड हो भी जाये तो उसके संग्रहण के लिये जगह(storage) वर्तमान मे संभव नही है।
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Jab hamara body prakash ke weg se gatiman ho jata hai to body ka dravyaman zero kyon ho jata hai?
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शरीर के प्रकाश गति के गतिमान होने पर द्रव्यमान शून्य नही अनंत हो जायेगा।
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sir kya Jo data mobile/ computer se delete kar diya jata hai use fir se prapt kiya ja sakta hai kaise
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मोबाईल/कंप्युटर पर साधारण तरिके से डीलिट किया डाटा वापस प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिये कुछ टूल आते है जोकि मोबाईल और कंप्युटर के लिये अलग अलग होते है। ये टूल मुफ़्त नही होते है और कोई गारंटी नही देते है कि डाटा वापस मिल जायेगा।
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sir kya aap bata sakte hai ki ye Jo filmo me aisi pendriv hoti hai Jo computer me lagate hi computer me virus chhod kar computer ko kharab kr deti hai kya ye sach me aisa sambhav hai aur inme virus upload kaise karte hai or jis computer se upload karte hai WO kharab nahi hota
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फ़िल्मो मे कल्पना होती है, सब कुछ संभव होता है। वास्तविकता मे पेन ड्राइव से वायरस जाना संभव है भी और नही भी। यदि आपके कंप्युटर मे एंटी वायरस नही है या आपरेटींग सीस्टम अद्यतन नही है तो वायरस जा सकता है अन्यथा नही।
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sir kya hum android mobile se free website bana sakte hai aur kaise please sir
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वेबसाईट के लिये आपके पास स्व्यंं का या किराये(होस्टींग सर्विस प्रदाता द्वारा) पर एक सर्वर चाहिये जो वेबसाईट को होस्ट करेगा। रहा वेबसाईट बनाने का वह आप मोबाईल, लैपटाप या डेस्कटाप किसी से भी बना सकते है। अधिकतर होस्टींग सर्विस प्रदाता , वेबसाईट बनाने के टूल/सुविधाये भी प्रदान करते है।
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सर,किसी भी वस्तु को गति करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है तो पृथ्वी सूर्य के चारो ओर चक्कर कैसे लगा पाती है?
उसको ऊर्जा कहा से मिलती है?
क्या यह ऊर्जा उसे प्रकति के मूल बलो से मिलती है?
यदि हां तो कैसे मिलती है?
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न्युटन के प्रथम नियम: प्रत्येक पिंड तब तक अपनी विरामावस्था अथवा सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्था में रहता है जब तक कोई बाह्य बल उसे अन्यथा व्यवहार करने के लिए विवश नहीं करता। इसे जड़त्व का नियम भी कहा जाता है।
इस नियम के अनुसार यदि कोई वस्तु गतिमान है तो उसे गति के लिये किसी ऊर्जा की आवश्यकता नही है। पृथ्वी सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाने के पीछे उसके जन्म के समय प्राप्त गति है।
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kya pani se agg lg sakti h ager ha tho pliz mujhe btae kese kon sa rasaynik peyog se
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पानी से आग लगना संभव नही है, लेकिन यदि पानी को तोड़ कर आकसीजन और हायड्रोजन को अलग कर दे तो हायड्रोजन मे आग लग सकती है। लेकिन इस प्रक्रिया से कोई लाभ नही होगा क्योंकि पानी को तोड़कर हायड्रोजन जलाने से वापिस पानी बनेगा।
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SIR AISA KUCH HO SAKTA HAI JO BRAHMAND KE BAHAR HO
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जो भी कुछ है ,सब ब्रह्माण्ड के अंदर है, बाहर कुछ नही है।
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sbse jada gravity khan hoti h ek blackhole k ander ya ek atom k andar……ans. me wiht reason
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गुरुत्वाकर्षण पदार्थ के द्रव्यमान पर निर्भर है। ब्लैक होल का द्रव्यमान अत्याधिक होता है जबकि परमाणू का नगण्य इसलिये ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण अधिक होगा।
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sir ji,
kya app bata sakte hai ki
BINDU KI PARIBHASA
kya hoti hai??
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एक ऐसा क्षेत्रफल जिसकी लम्बाई चौड़ाई और ऊंचाई शून्य के समीप हो।
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फ्रिज में कौन सा गैस होता है
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HFC-134a (1,1,1,2-Tetrafluoroethane),
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sir water ka pH neutral (7) hi kyu hota ha
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जल ना तो अम्लीय है ना ही क्षारीय है, जल को एक मानक माना जाता है।
7 pH का अर्थ उदासीन अर्थात ना अम्लीय ना क्षारीय! यह मान जल को ध्यान मे रख कर ही रखा गया है।
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sir hamne jis chiz ko kabhi dekha nahi aur na hi kabhi socha hai usk sapne kion ate hai
adhik sochane se kaon si bimari ho sakti
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सपने वास्तव में निद्रावस्था में मस्तिष्क में होने वाली क्रियाओं का परिणाम है। कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें सपने नहीं दिखाई देते, लेकिन कुछ दूसरे लोगों का कहना है कि उन्हें बहुत सपने दिखाई देते हैं।
वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार निद्रावस्था में हर व्यक्ति को रोजाना दो-तीन बार सपने आते हैं। सपने की घटनाएँ कुछ लोगों को याद रहती हैं, तो कुछ लोग सपने की घटनाओं को भूल जाते हैं। सपनों के विषय में लोगों के कई मत हैं।
एक मत के अनुसार सोते समय व्यक्ति की जो मानसिक स्थिति होती हैं, उसी से संबंधित स्वप्न उसे दिखाई देते हैं। उदाहरण के लिए यदि व्यक्ति सोते समय भूखा है या प्यासा है, तो उसे भोजन और पानी के विषय में सपने दिखाई देंगे।
एक दूसरे विचार के अनुसार जो इच्छाएँ हमारे जीवन में पूरी नहीं हो पाती हैं, वे सपनों में पूरी हो जाती हैं। हमारे मन की दबी भावनाएँ अक्सर सपनों में पूरी हो जाती हैं। सपनों के द्वारा मानसिक तनाव भी कम हो जाता है।
जब हमें सपने दिखाई देते हैं, तब हमारी आँखों की गति तेज हो जाती है। मस्तिष्क से पैदा होने वाली तरंगों की बनावट में अंतर आ जाता है। शरीर में कुछ रासायनिक परिवर्तन होते है। इन सब परिवर्तनों के अध्ययन से निश्चित है कि सपने दिखाई देने का अपना महत्व है।
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To kya. Sapne dekhna achi bat hue ya buri
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बुरा तो हरगीज नही है, अच्छा है या नही कह नही सकते
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0 से 9 तक अंक की खोज किसने किसने की थी ?
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अंको की खोज का श्रेय किसी एक व्यक्ति , एक सभ्यता को नही दिया जा सकता है। इनकी खोज सारे विश्व मे अलग अलग सभ्यताये जैसे भारतीय, माया, अज्टेक, चीनी, इजीप्शियन , रोमन, सभ्यताओं ने अलग अलग समय पर स्वतंत्र रूप से किया है।
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Sir bhar ka matark kaya haihai plese reply me thanku
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N(newton) या kg.m/s^2
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Hello sir..
Sir bio se related ye question h
hm meat machli mansh sb kuc khate h wo digest yani pach jata h phr hamari food pipe mtlb aahar naal wo bhi mansh ki bani hoti h wo q nhi digest hoti h
sir plzz reply me…
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भोजन का पचन हमारे आमाशय मे होता है जिसमे भोजन को अम्ल(एसीड) की सहायता से पचाया जाता है। आमाशय की भीतरी परत इन अम्लो को सहन करने के लिये विशेष होती है, इस परत की कोशीकायें भी जल्दी जल्दी नविनिकृत होते रहती है।
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Surya she prtathvi tk prakash ane me kitna time lgta hehe.
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8 मिनट
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8 mint 20sec.
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8 minute 22 second
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sir padarth ko urja me badalana hum sabhi jaante hai lekin urja ko padarth me kaise parivartit kiya jata hai.
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लार्ज हेड्रान कोलाइडर जैसी प्रयोगशाला मे ऊर्जा को पदार्थ मे बदला जा चुका है।
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sir mera question ye hai ki big bang k baad energy matter me kaise badla.ya jab yadi universe me sirf energy ho to ye matter me kaise badla hoga.
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ऊर्जा और द्रव्यमान एक ही वस्तु के दो रूप है, इनका एक रूप से दूसरे रूप मे परिवर्तन होते रहता है। अत्याधिक तापमान और दबाव मे ऊर्जा द्रव्यमान मे परिवर्तित हो जाती है, बिग बैंग के बाद ऐसा ही हुआ था। वर्तमान मे वैज्ञानिक ऊर्जा से द्रव्यमान बना चुके है।
द्रव्यमान से ऊर्जा भी बनायी जाती है, सूर्य पर द्रव्यमान से ही ऊर्जा निर्मित होती है, हायड्रोजन बम मे भी द्रव्यमान से ऊर्जा निर्मित होती है।
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1. sir, mana agar main divaar ko dhakka de raha hun lekin vo apni jagah par hi hai to es sthiti me work zero hoga because w=f*d
par question ye hai ki mere dwara lagaya gaya bal ya urja aakhir kahan gaya?
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आप्सके द्वारा लगाया बल ऊष्मा के रूप में व्यर्थ गया। आपकी मांस पेशिया गर्म हुयी, पसीना निकला।
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हीलियम गैस भरी जाती है .
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Sury ko kis yantra se dekha jata h
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आप किसी भी दूरबीन से देख सकते है, बस आपको आंखो के बचाव के लिये पराबैंगनी फ़िल्टर लगाने होंगे।
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ALIEN KYA HOTE HAIN
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पृथ्वी के बाहर किसी अन्य ग्रह पर संभावित प्राणीयों को एलियन कहते है।
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sir mujhe aapki yah site bahut best lagi
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वायुयान के टायरों में कौन सी गैस भरी जाती है
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वायुयान के टायरों में नाइट्रोजन गैस भरी जाती है!
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प्रकास के कारन हमे दिन मे सभी वस्तु दीखाइ देती है .और रात मे नही
किंतु चमगादड को रात मे दिखाइ देता है .क्यो ???????
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चमगादड़ देखने के लिए प्रकाश का प्रयोग नहीं करता, वह ध्वनि तरंगो की सहायता से अपने मार्ग को महसूस करता है।
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Ha sir iss technic ko echo location
Kahte h
Iska prayog
Ben underwood
Human sonar ne apnaya o isliye q ki o janm se andhe the unhe aankho ka cancer hua tha
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तो फिर सर उल्लू को कैसे रात को दिखाई देता है
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देखने का काम आंखे करती है. दिखाई देने वाली वस्तुओं से आने वाले प्रकाश से हमारी आंख के पर्दे पर उनका उलटा चित्र बनता है, जो दिमाग में पहुंचकर सीधा हो जाता है और हमें वस्तुए दिखाई देने लगती है. आंख के पर्दे पर यह प्रकाश आंख की पुतली से होकर जाता है. पुतली का आकार कैमरे के प्रकाश क्षेत्र की तरह प्रकाश के अनुसार फ़ैल और सिकुड़ सकता है. अंधेरा होने पर प्रकाश ना आने से हमें दिखाई नहीं देता. लेकिन इस अंधेरे में भी धीरे-धीरे पुतली का आकार जब फ़ैल कर बड़ा हो जाता है तो हमें भी कुछ देर के बाद हल्का हल्का दिखाई देने लगता है.
उल्लू की आंखों की पुतलियां हमारी आंखों की पुतलियों की तुलना में बड़ी होती है.
इसके अलावा इनके फैलने की क्षमता भी अधिक होती है. इसलिए रात के समय हल्के से हल्का प्रकाश भी इनकी इन से हो कर के पर्दे तक पहुंच जाता है.
उल्लू की आंख का पर्दा लेंस से कुछ अधिक दूर होने से उस पर चित्र भी बड़ा बनता है.
उल्लू की आंख के लेंस में चित्र को फोकस करने की क्षमता भी होती है.
उल्लू की आंख को संवेदनशील बनाने वाली कोशिकाएं भी हमारी आंख की तुलना में लगभग 5 गुनी अधिक होती है.
इसके अतिरिक्त उल्लू की आंखों में प्रोटीन से बना लाल रंग का एक पदार्थ भी होता है जिससे उल्लू की आंखें रात के प्रकाश में अधिक संवेदनशील हो जाती है अपनी और की इन विशेषताओं के कारण उल्लू अंधेरे में भी देख सकता है
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Ashish Sir….. Aap se Meri Ek Swaal hai, kya is brambhand me sach me insaano ko chhod kar alien rahta hai? agar rahta hai toh kin kin grah o me moujood hai?
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एक तारे के अनेक ग्रह होते है। आकाशगंगा मे 200 अरब तारे है, और खरबो आकाशगंगाये है। ऐसे मे ब्रह्माण्ड मे एलीयन अवश्य होंगे। लेकिन कहाँ पर हम अभी नही जानते है।
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Sir samudra k paani ka rang neela ku dikhai deta h….
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इस लेख को देखें : https://vigyanvishwa.in/2016/01/07/cvraman/
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earth se sun ke dure kse pata lagaye gaye
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सूर्य के दूसरे ग्रह जैसे बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि को आँखों से देख सकते है। खगोल वैज्ञानिक ने इनके आकाश में गति को देख कर पाया क़ि वे सूर्य की परिक्रमा करते है। बाकि ग्रह युरेनस और नेपच्युन दूरबीन से देखे गए।
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Sir chetna kis ka swaroop hai, sabhi jeevo me chetna kaise aati hai
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अभी विज्ञान चेतना को समझ नही पाया है, शायद अगले कुछ दशको मे विज्ञान इसे समझ पाये।
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VGA KIYA HAI ?
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VGA – विडीयो ग्राफ़िक्स अरे(Video Graphics Array)। कंप्युटर मानीटर या किसी डिजिटल स्क्रीन मे चित्र बनाने के लिये बिंदुओं का प्रयोग होता है। इन बिंदुओ को आड़े और खड़े एक सारणी(Array) रूप मे रखा जाता है। उसे VGA कहते है।
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Kya sir koi esa durbin ha Jo earth se sabhi grah dikhai de, yadi ha to uska naam Kya ha
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आप ऐसी दूरबीन खरीद सकते है। amazon.in पर celestron, Meade की दूरबीन उपलब्ध है। कीमत थोड़ी अधिक है 10-20 हजार रुपये
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सर मैंने सिविल इंजीनियरिंग की है और मैं अपना हाइड्रोजन इलेक्ट्रिक पावर बनाना चाहता हूं मुझे इसके लिए क्या करना होगा कोई आसान सा तरीका बताएं मेरे यहां पर पानी भी है नाला भी है और बस मुझे थोड़ी सी सरकार की मदद चाहिए और आपकी मदद चाहिए ताकि मैं सरल तरीके से यह कार्य पूरा कर सकूं
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विनित, यह हम लोगो(विज्ञान विश्व टीम) का क्षेत्र नही है, हम शायद ही आपकी कोई मदद कर पाये।
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sir IQ kya hot a hai
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इंटेलिजेंस कोशेंट (Intelligence quotient / IQ) कई अलग मानकीकृत परीक्षणों से प्राप्त एक गणना है जिससे बुद्धि का आकलन किया जाता है। “IQ” पद की उत्पत्ति जर्मन शब्द Intelligenz-Quotient से हुई है जिसका पहली बार प्रयोग जर्मन मनोवैज्ञानिक विलियम स्टर्न ने 1912 में 20वीं सदी की शुरुआत में अल्फ्रेड बाईनेट और थेओडोर सिमोन द्वारा प्रस्तावित पद्धतियों के लिए किया, जो आधुनिक बच्चों के बौद्धिक परीक्षण के लिए अपनाया गया था। हालांकि “IQ” शब्द का उपयोग आमतौर पर अब भी होता है किन्तु, अब वेचस्लेर एडल्ट इंटेलिजेंस स्केल जैसी पद्धतियों का उपयोग आधुनिक बौद्धिक स्तर (IQ) परीक्षण में किया जाता है जो गौस्सियन बेल कर्व (Gaussian bell curve) किसी विषय के प्रति झुकाव पर नापे गये रैंक के आधार पर किया जाता है, जिसमें केन्द्रीय मान (औसत IQ)100 होता है और मानक विचलन 15 होता है। हालांकि विभिन्न परीक्षणों में मानक विचलन अलग-अलग हो सकते हैं।
बौद्धिक स्तर (IQ) की गणना को रुग्णता और मृत्यु दर[3], अभिभावकों की सामाजिक स्थिति और काफी हद तक पैतृक बौद्धिक स्तर (IQ) जैसे कारकों के साथ जोड़कर देखा जाता है। जबकि उसकी विरासत लगभग एक सदी से जांची जा चुकी है फिर भी इस बात को लेकर विवाद बना हुआ है कि उसकी कितनी विरासत ग्राह्य है और विरासत के तंत्र अभी भी बहस के विषय बने हुए हैं.
IQ की गणनाएं कई संदर्भों में प्रयुक्त की जाती है: शैक्षणिक उपलब्धियों अथवा विशेष जरूरतों से जुड़े भविष्यवक्ताओं, लोगों में IQ स्तर के अध्ययन तथा IQ के स्कोर तथा अन्य परिवर्तनों के बीच के सम्बंध का अध्ययन करने वाले समाज विज्ञानियों और किये गये कार्य और उससे हुई आय का भविष्यफल बताने वाले लोगों द्वारा किया जाता है।
कई समुदायों का औसत IQ स्कोर 20 वीं सदी के पहले दशकों में प्रति दशक तीन अंक के दर से बढ़ा है जिसमें से ज्यादातर वृद्धि IQ रेंज के उत्तरार्द्ध में हुई, जिसे फ्लीन इफेक्ट कहते हैं। यह विवाद का विषय है कि अंकों में यह परिवर्तन बौद्धिक क्षमता की वास्तविकता को दर्शाते हैं या फिर यह महज अतीत या वर्तमान के परीक्षण की सिलसिलेवार समस्याएं हैं।
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What is value of g on Sun ?
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सूर्य की सतह पर 274.13 m/s^2
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भविष्य मे सूर्य कैसे होगा ?
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Sir, me Janna chahta hu ki kisi prakash me 7 colors kese bante ha
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यह लेख देखें : https://vigyanvishwa.in/2014/08/11/colors/
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bijli keep chamkne ka karan
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यह लेख देखें : https://vigyanvishwa.in/2016/01/16/lightning/
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Sir,Asman ka rang nila kyu hota h ?
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पृथ्वी पर आकाश नीला दिखाई देता है। पर क्यों?
इस रहस्य का संबंध पृथ्वी के वायुमंडल से है। पृथ्वी अनेक गैसों के मिश्रण से बने वायुमंडल से घिरा हुआ है। इन गैसों के अलावा वायुमंडल में धूल के कण, पराग कण, आदि अन्य महीन पदार्थ भी होते हैं। गैसें स्वयं अणुओं से बनी होती हैं, जो अत्यंक्ष सूक्ष्म कण ही होते हैं। जब सूर्य का प्रकाश वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो वह इन कणों से टकराता है। वास्तव में सूर्य से आनेवाला प्रकाश अनेक तरंगों से बना होता है। इनमें से सात तरंगों को हमारी आंखें देख सकती हैं और इनका अलग-अलग रंग होता है, जो इस प्रकार है बैंगनी, आसमानी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल। इन तरंगों में से प्रत्येक का तरंग-दैर्घ्य भी अलग-अलग होता है। जहां बैंगनी का तरंग-दैर्घ्य सबसे छोटा होता है, लाल का सबसे अधिक।
जब प्रकाश किसी कण से टकराता है, तो या तो वह उस कण के आर-पार निकल जाता है, अथवा उसके द्वारा परावर्तित या छितरा दिया जाता है। उन्नीसवीं सदी में हुए जोन टिंडल नामक वैज्ञानिक ने दिखाया कि प्रकाश का कणों के आर-पार निकलना या उनके द्वारा परावर्तित या छितरा दिया जाना प्रकाश के तरंग-दैर्घ्य पर निर्भर करता है। दृश्य प्रकाश के अंशों में से नीला प्रकाश सर्वाधिक छितराया जाता है, जबकि लाल प्रकाश सबसे कम।
इसलिए सूर्य प्रकाश का लाल अंश तो बितना छितराए पृथ्वी तक पहुंच जाता है, पर नीला प्रकाश हवा में मौजूद गैस अणुओं, धूल कल, पराग आदि से छितरा दिया जाता है और बहुत देर तक हवा में ही बना रहता है। इसी छितराई हुई नीली रोशनी के कारण आकाश हमें नीला दिखाई देता है।
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सर जी
क्या कृत्रिम गुरूत्वाकर्षण बनाया जा सकता हैं
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अभी तक सफ़लता नही मिली है, शायद भविष्य मे ऐसी कोई तकनीक खोजी जा सके।
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what is einstein प्रकाश विधुत प्रभाव please explain????
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जब कोई पदार्थ (धातु एवं अधातु ठोस, द्रव एवं गैसें) किसी विद्युतचुम्बकीय विकिरण (जैसे एक्स-रे, दृष्य प्रकाश आदि) से उर्जा शोषित करने के बाद इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करता है तो इसे प्रकाश विद्युत प्रभाव (photoelectric effect) कहते हैं। इस क्रिया में जो एलेक्ट्रान निकलते हैं उन्हें “प्रकाश-इलेक्ट्रॉन” (photoelectrons) कहते हैं।

सन 1887 मे एच. हर्ट्स ने यह प्रयोग किया । इसमे कुछ धातुओ (जैसे-पोटैशियम,सीज़ियम,रूबीडियम आदि) की सतह पर उपयुक्त आवृति वाला प्रकाश डालने पर उसमे से इलेक्ट्रॉन निष्काषित होते है। इस परिघटना को प्रकाश विध्युत प्रभाव कहते है। इस प्रयोग से प्राप्त परिणाम इस प्रकार है –
(१) धातु की सतह से प्रकाशपुंज टकराते ही इलेक्ट्रॉन निष्काषित हो जाता है अर्थात प्रकाश पड़ने व इलेक्ट्रॉन निकलने मे कोई समय अंतराल नहीं होता है।
(२) निष्काषित इलेक्ट्रोनों की संख्या प्रकाश की तीव्रता के समानुपाती होती है।
(३) प्रत्येक धातु के लिए एक अभिलक्षणिक न्यूनतम आवृति होती है, जिसे देहली आवृति (threshold frequency) कहते है। देहली आवृति से कम आवृति पर प्रकाश विध्युत प्रभाव प्रदर्शित नही होता है। f ≥ fο आवृति पर निष्काषित इलेक्ट्रोनो की कुछ गतिज ऊर्जा होती है। गतिज ऊर्जा प्रयुक्त प्रकाश की आवृति के बढ़ने के साथ बढ़ती है।
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what is acid?
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अम्ल एक रासायनिक यौगिक है जो जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन (H+) देता है। इसका pH मान 7.0 से कम होता है। जोहान्स निकोलस ब्रोंसटेड और मार्टिन लॉरी द्वारा दी गई आधुनिक परिभाषा के अनुसार, अम्ल वह रासायनिक यौगिक है जो प्रतिकारक यौगिक (क्षार) को हाइड्रोजन आयन (H+) प्रदान करता है। जैसे- एसीटिक अम्ल (सिरका में) और सल्फ्यूरिक अम्ल (बैटरी में). अम्ल, ठोस, द्रव या गैस, किसी भी भौतिक अवस्था में पाए जा सकते हैं। वे शुद्ध रुप में या घोल के रूप में रह सकते हैं। जिस पदार्थ या यौगिक में अम्ल के गुण पाए जाते हैं वे (अम्लीय) कहलाते हैं।
मोटे हिसाब से अम्ल (ऐसिड) उन पदार्थों को कहते हैं जो पानी में घुलने पर खट्टे स्वाद के होते हैं (अम्ल = खट्टा), हल्दी से बनी रोली (कुंकम) को पीला कर देते हैं, अधिकांश धातुओं पर (जैसे जस्ते पर) अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करते हैं और क्षारक को उदासीन (न्यूट्रल) कर देते हैं। मोटे हिसाब से क्षारक (बेस) उन पदार्थों को कहते हैं जिनका विलयन चिकना-चिकना सा लगता है (जैसे बाजा डिग्री सोडे का विलयन), स्वाद कड़ुआ होता है, हल्दी को लाल कर देते हैं और अम्लों को उदासीन करते हैं। उदासीन करने का अर्थ है ऐसे पदार्थ (लवण) का बनाना जिसमें न अम्ल के गुण होते हैं, न क्षारक के।
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Neem ko jlane per konsi gas nikalti hai or ye atmosphere ke liye kaisa hai ?
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किसी भी पेड़ को जलने पर कार्बन डाई आक्साइड निकलती है एयर वह पर्यावरण के लिए हानिकारक है।
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sir, kya hum electron ko dekh skte hai?
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अप्रत्यक्ष रूप से देख सकते है। हमारी आँखे इतने छोटे कण को देखने में सक्षम नहीं है।
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full defenation of science
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विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो कि किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार कह सकते हैं कि किसी भी विषय का क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कह सकते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के ‘ज्ञान-भण्डार’ के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है।
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Sir, muje nhi pata tha question kaha post karna hai esliye mail kr rha hu…
Mera question ye hai ki..
Jese koi bhi ghav lgta hai ya skin pr cut lag jata hai to vah apne aap thik
hone me kuch din lagata hai leki kya science me kabhi esa bhi ho skta hai
ki ktna bhi bada ghav ya cut ho kucg seconds me hi sahi ho jaye? Kya esa
koshika kar skti hai?..
Please answer me?
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वर्तमान मे यह संभव नही है लेकिन शायद भविष्य मे ऐसी तकनीक विकसित हो सकती है जिससे घाव तुरंत भर जाएं।
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Kya amrit such me hota he ya bnaya ja Sakta he
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अमृत जैसी कोई चीज संभव नहीं है।
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sir yadi jahaj asnan udta hai to nichi kau nahi girta kya waha par uska bhar kam ho jata hai kya?
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हवाईजहाज ( Airplane )
हवाई जहाज हवा में उड़ने वाला एक यातायात का साधन होता है। जिसे एयरक्राफ्ट कहा जाता है जिसमे पंख और इंजन की अत्यधिक पॉवर और क्षमता होती है। इसको हवा में ठहरे रहने और उड़ने में अनेक चीजें कार्य करती है जिसमे से मुख्य है जोर / थ्रस्ट ( Thrust ) जो इसे आगे की तरफ बढ़ने में सहायक होती है। सभी एयरोप्लेन एक सामान नही होते बल्कि ये अलग अलग आकार, आकृति और पंखो के अनुसार आते है। किन्तु क्या आपने कभी सोचा है कि जिस हवा में एक छोटा सा तिनका तक नही रुक पाता वहाँ इतना भरी और बड़ा हवाईजहाज कैसे ठहर जाता है? साथ ही ये उड़ता कैसे है? आज हम आपको हवाईजहाज के उडने और उसके हवा में ठहरने के पीछे के सिद्धांत और राज के बारे में आपको कुछ बताने जा रहे है।
हवाईजहाज कैसे उड़ता है ( How Aero Plane Fly ) :
किसी भी जहाज के पीछे धक्का लगाने में और उसे उड़ाने में मुख्य 4 कारक होते है।
उठाना ( Lift ) : हवाई जहाज के पंखों की दो सतह होती है पहली ऊपर वाली सतह और दूसरी नीचे वाली सतह। दोनों जगहों पर कुछ दबाव होता है। लिफ्ट हवाईजहाज के पंखो के ऊपर वाले दबाव की वजह से पैदा होती है। ये दबाव पंखो के नीचे पड़ने वाले दबाव से कम होता है। इसी वजह से पंख ऊपर की तरफ उठ पाते है। हवाई जहाज के पंखो की खास बनावट की वजह से ही जहाज हवा में तेजी से और दूर तक उड़ पाता है जिसमे पंखों का ऊपर की तरफ उठाना बहुत आवश्यक होता है, लिफ्ट यही कार्य करती है और गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत दबाव लगाती है।
वजन और गुरुत्वाकर्षण ( Weight and Gravity ) : जैसाकि आपको पता ही होगा कि गुरुत्वाकर्षण सभी चीजों को लंबवत नीचे की तरफ खींचता है या धकेलता है। साथ ही वजह भी नीचे की तरफ ही दबाव डालता है इसीलिए गुरुत्वाकर्षण का केंद्र ( Center of Gravity ) नीचे की तरफ कार्य करता है।
– जोर ( Thrust ) : थ्रस्ट को आप धक्का बुला सकते हो जिसे एयरप्लेन के इंजन लगते है। इसकी वजह से ही हवाई जहाज हवा में आगे की तरफ बढ़ता है और उसके सामने लगने वाले दबाव को काटकर स्थिर रहता है।
खिंचाव ( Drag ) : थ्रस्ट के विपरीत लगने वाला ये दबाव जहाज को आगे बढ़ने से रोकता है। इसे आप जहाज पर लगने वाले घर्षण के रूप में देख सकते हो। ये दबाव जहाज के हवा में संतुलित रहने में भी मददगार होता है।
नोट : जैसे ही जहाज ऊपर उठने लगता है उसी वक़्त लिफ्ट और ड्रैग बनते है इसीलिए एरोडायनामिक दबाव कहा जाता है। एरोडायनामिक से अर्थ उस हवा की गति से बनने वाले दबाव से है।
आपने टेलीविज़न में देखा होगा कि हवाई जहाज तिरछा ( आगे का हिस्सा पीछे वाले हिस्से से थोडा ऊपर होता है ) उड़ता है। इसका कारण भी इसके उड़ने के पीछे के इन्ही 4 सिद्धांतों पर आधारित होता है। जब ये तिरछा होता है तो जहाज के आगे का पैना हिस्सा सामने से आने वाली हवा को काटकर उसे पीछे की तरफ धकेल देता है जो जहाज तिरछे होने की वजह से इसके शरीर से होती हुई पीछे निकल जाती है और इसे किसी तरह का नुकसान नही पहुंचा पाती। इसका एक फायदा ये भी है कि इसी हवा कि वजह से जहाज हवा में बना रहता है।
उड़ना ( Takeoff ) :
टेकऑफ हवाईजहाज के उड़ने का वो समय है जिस वक्त जहाज रनवे ( Runway ) से गुजरता हुआ हवा में लहराने के लिए तैयार होता है। टेकऑफ लैंडिंग ( Landing ) के विपरीत होता है। टेकऑफ दो प्रकार के होते है।
लंबवत ( Vertical ) : स्पेसक्राफ्ट, राकेट, हेलीकाप्टर इत्यादि
क्षितिज ( Horizontal ) : हवाई जहाज, जेट एयरोप्लेन इत्यादि
जब जहाज रनवे पर दौड़ता है तो उसका इंजन उसे आगे की तरफ धकेलता है और हवा उसे पंखों के चारों तरफ बहने लगती है जिसकी वजह से लिफ्ट बनती है। जैसे जैसे जहाज की गति बढती जाती है वैसे वैसे लिफ्ट भी बढती जाती है। जिस वक़्त लिफ्ट गुरुत्वाकर्षण बल से अधिक हो जाती है जहाज ऊपर उठने लगता है और जब जहाज हवा में पहंच जाता है तो उसपर इंजन का थ्रस्ट / जोर कार्य करने लगता है जिसकी वजह से जहाज उड़ने और आगे बढ़ने लगता है।
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Sir kya koi b airoplane hawa me khada reh skta h agr haan to kitni der or uske piche ka resion b bataye. Plzz
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कुछ सैन्य विमान हेलीकाप्टर जैसे उड़ सकते है, लैंड कर सकते है और हवा में स्थिर भी रह सकते है। इनका इंजन उड़न भरते समय नीचे की ओर होता है, ऊपर उठ जाने पर वह घूम कर पीछे की ओर हो जाता है।
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Sir,हम जब कार से दुर जाते है तो रिमोट से दरवाजे लोक करते है ये सर वायरलेस लोक मे क्या सिस्टम है, कृपया संरचना से बताये
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वायरलेस सिस्टम रेडियो के जैसे ही है। कार में रेडियो रिसीवर होता है जो रिमोट के रेडोयो संकेतो को पद कर लाक/अनलॉक करता है।
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jab zero ki khoj nahi hui thi tab kaise ravan ke das siro ko calculate kiya gya hoga
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गिनती के लिये शून्य की आवश्यकता नही है। आपने रोमन अंक देखे होंगे, उसमे शून्य नही होता है लेकिन दस, सौ, हजार सभी संख्याओ को लिखा जा सकता है।
शून्य ना होने पर गणना कठिन है लेकिन असंभव नही।
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सर
मेरी तो समझ मैं ही नहीं आ रहा की आप किसी भी सवाल का इतना सटीक जवाब कैसे दे देते हैं ?
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Light Ki discovery kisne Ki
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किसी ने नही, प्रकाश आदिकाल से ज्ञात है। लेकिन इस के गुणधर्म की व्याख्या मुख्यत: न्युटन, हायजेन्स, मैक्सवेल, आइंस्टाइन जैसे कई वैज्ञानिको ने की है।
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Kya yesa ho sakta ki bina wire ka light, fan ,tv, etc work kre
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संभव है, वायरलेस चार्जिंग तो अब भी उपलब्ध है।
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सर जी, हमारे मस्तिष्क में सोचने पर विचार करने पर आदि परिस्थितियों में न्यूरॉन्स के मध्य सूचनाओ का आदानप्रदान किसके द्वारा होता है मतलब क्या न्यूरोन्स के मध्य विद्युत चुम्बकीय तरंगे निकलती है जब हम सोचते हैं? कृपया स्पष्ट करें।
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आप सही है न्यूरॉन्स विद्युत् संकेत का ही प्रयोग कराटे गई।
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kya Time aur Gravity me koi sambandh hota hai, kya gravity ka jyada ya kam hona time ko affect karta hai?
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अधिक गुरुत्वाकर्षण समय की गति कम कर देता है।
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kya atom ke bich ki jagah se gurutvakarshan kam jyada hota hai?
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श्याम विवर और न्युट्रान तारो मे गुरुत्वाकर्षण परमाणुओ के मध्य की दूरी कम कर सकता है, अन्य स्थानो पर नही।
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Kk second me current side me kitni during tay karti h?
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विद्युत धारा की गति पदार्थ पर निर्भर है, वह प्रकाशगति की 55% से 99% तक हो सकती है।
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Water ek achha vilayak he lekin jab water ko milk me mila diya jaye to water usme mil jata he
To kiya water vilayak hone ke sath – sath vilay bhi he ya nhi
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आपके दूध मे पानी वाले उदाहरण मे पानी ही विलायक है। दूध वास्तविकता मे पानी मे कुछ अन्य रासायनिक पदार्थो (लेक्टोज) का विलयन है।
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ashish ji…vigyan ko padhane ke saral rachnatmak avam advitiya tarike kya ho sakte hain…
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बस आपको विज्ञान मे रूची चाहिये, आप स्वयं ही उसमे डूब जायेंगे।
विज्ञान को परीक्षा की दृष्टि से ना पंढे, उसे ज्ञान वृद्धि की दृष्टि से पढ़े, आनंद आने लगेगा।
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सर जी
सभी ग्रह सुर्य के परिक्रमा अण्ड़ाकार क्यों करते हैं गौलाकार क्यों नहीं
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न्युटन ने ज्ञात किया की सूर्य की परिक्रमा करते हुये ग्रहो की कक्षा वृत्ताकार, दिर्घवृत्ताकार(अंडाकार), पैराबोलाकार, हायपरबोलाकार मे से एक हो सकती है। गुरुत्वाकर्षण के समीकरणो के अनुसार किसी भी पिंड की कक्षा किसी कोन(शकुं की काट) के रूप मे ही हो सकती है।
इनमे केवल दिर्घवृत्ताकार कक्षा ही लंबे समय मे स्थायी हो सकती है, अन्य सभी कक्षाये स्थायी नही है।
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manushya ka dimag kitane percentage kam karata hai?
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100%(अधिकतम 10% मस्तिष्क के प्रयोग के दावे बकवास है)
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सर जी कोहरा कैसे फैलता है
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कोहरा साधारण बादल ही होते है, बस उनकी ऊंचाई काम होती है। सर्दियो में तापमान काम होने से ये बादल काम ऊंचाई पर आ जाते हैं।
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सर
आग बुझाने में कोनसी गैस का उपयोग किया जाता है ?
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मुख्यत: कार्बन डाय आक्साईड
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Hello sir
kya aap hame Yeh btayenge ki nasa(America ) ne 1969 ke bad koi bhi manav antriksha yan chandrama par kyun nahi utara
kya unhone waha Alien jaisa kuch mahsus kiya ya dekha tha??????,
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चंद्रमा पर अंतिम मानव दिसंबर 1972 मे गया है। 1969 से 1972 के मध्य चंद्रमा पर जाने वाले अभियान अपोलो 11,12,14,15,16,17 थे। कुल 12 मानवो ने चंद्रमा पर कदम रखा है। ये अभियान खतरनाक थे, लेकिन रूस और अमरीका के बीच चली होड़ मे एक दूसरे से आगे बढ़ने के लिये भेजे गये थे। एक बार मानव चंद्रमा पर पहुंच गया तो बाद मे किसी अभियान की आवश्यकता नही रही।
मानव अभियान महंगे होते है, यान को चंद्रमा तक जाकर वापिस भी लाना होता है। खतरे अलग होते है।
चंद्रमा या किसी अन्य पर शोध के लिये रोबोटिक यान भेजना अपेक्षाकृत सस्ता होता है और खतरे कम होते है इसलिये अब ऐसे अभियानो मे मानव की जगह रोबोट, रोबोटिक वाहन भेजे जाते है।
चंद्रमा पर एलियन वगैरह सब बकवास है इनका कोई आधार नही है।
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chand me धब्बे का क्या कारन है सर जी
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चाँद पर धब्बे वास्तविकता में गहरी खाइयां है। उन्हें पृथ्वी के सागरो जैसा मान सकते है, बस उनमे पानी नहीं है।
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jab oxygen ozone main convert Hoga too kya Hogan?????
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ऑक्सीजन हमेशा ओज़ोन में बदलतीरहती है और वायुमंडल के ऊपरी परत में जमा हो कर पराबैगनी किरणों को रोकते रहती है। ऑक्सीजन से ओज़ोन सुर ओज़ोन से ऑक्सीजन एक चक्र हैं और चलते रहता है।
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Earth par kitne percent fresh water hai
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3%
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2G किसके नाम पर पङा
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Second(2) Generation(G)
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hello sir
sir ek question merw dimaag mai kafi dino se pinch kr rha h
jab hm log मांस khate h to kyu diegest ho jata h or hamari food pipe joki totally मांस ki bani hoti h wo q nhi diegest hoti h sir plzzzz reply the ans…plzzzzzz
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खाना हमारे आमाशय में पचता है। यहाँ पर खाना पचाने के लिए उसमे अम्ल (acid) मिलाये जाते है। आमाशय की आंतरिक परते इस अम्ल को सहन करने के लिये बनी होती है तथा वे बहुत तेजी से बदली भी जाती है।
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Sir ek question hai
brahmand se tare kyon aur kaise tutakar niche gir jate hai?
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जिन्हें आप ‘टूटता तारा’ कह रहे है वे तारे नहीं उल्काएं है। छोटे पत्थर जो अंतरिक्ष में घूमते रहते है और पृथ्वी जे समीप आने पर गुरुत्वाकर्षण से उसके वायुमंडल में आ जाते है। वायुमंडल ने तेज घर्षण से वे जलने लगते है और टूटते तारे जैसे लगते हैं।
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सर ग्रहण का निश्चित समय तथा अनुमान कैसे लगाया जाता है इसके सूत्र या विधि बताईये रेड मून कैसे व्याख्या करे
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भौतिक विज्ञान की दृष्टि से जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढ़क जाता है, उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चाँद पृथ्वी की। कभी-कभी चाँद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है जिससे धरती पर साया फैल जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। यह घटना सदा सर्वदा अमावस्या को ही होती है।
कब और कैसे होता है ग्रहण:
सूर्य ग्रहण:
(1) जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है तो सूर्य की चमकती सतह चंद्रमा के कारण दिखाई नहीं पड़ती है।
(2) चंद्रमा की वजह से जब सूर्य ढकने लगता है तो इस स्थिति को सूर्यग्रहण कहते हैं।
(3) जब सूर्य का एक भाग छिप जाता है तो उसे आंशिक सूर्यग्रहण कहते हैं।
(4) जब सूर्य कुछ देर के लिए पूरी तरह से चंद्रमा के पीछे छिप जाता है तो उसे पूर्ण सूर्यग्रहण कहते हैं।
(5) पूर्ण सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या को ही होता है।
चंद्रग्रहण:
(1) जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो सूर्य की पूरी रोशनी चंद्रमा पर नहीं पड़ती है। इसे चंद्रग्रहण कहते हैं।
(2) जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सरल रेखा में होते हैं तो चंद्रग्रहण की स्थिति होती है।
(3) चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा की रात में ही होता है।
(4) एक साल में अधिकतम तीन बार पृथ्वी के उपछाया से चंद्रमा गुजरता है, तभी चंद्रग्रहण लगता है।
(5) सूर्यग्रहण की तरह ही चंद्रग्रहण भी आंशिक और पूर्ण हो सकता है।
खगोल शास्त्रियों नें गणित से निश्चित किया है कि 18 वर्ष 18 दिन की समयावधि में 41 सूर्य ग्रहण और 29 चन्द्रग्रहण होते हैं। एक वर्ष में 5 सूर्यग्रहण तथा 2 चन्द्रग्रहण तक हो सकते हैं। किन्तु एक वर्ष में 2 सूर्यग्रहण तो होने ही चाहिए। हाँ, यदि किसी वर्ष 2 ही ग्रहण हुए तो वो दोनो ही सूर्यग्रहण होंगे। यद्यपि वर्षभर में 7 ग्रहण तक संभाव्य हैं, तथापि 4 से अधिक ग्रहण बहुत कम ही देखने को मिलते हैं। प्रत्येक ग्रहण 18 वर्ष 11 दिन बीत जाने पर पुन: होता है। किन्तु वह अपने पहले के स्थान में ही हो यह निश्चित नहीं हैं, क्योंकि सम्पात बिन्दु निरन्तर चल रहे हैं।
साधारणतय सूर्यग्रहण की अपेक्षा चन्द्रग्रहण अधिक देखे जाते हैं, परन्तु सच्चाई यह है कि चन्द्र ग्रहण से कहीं अधिक सूर्यग्रहण होते हैं। 3 चन्द्रग्रहण पर 4 सूर्यग्रहण का अनुपात आता है। चन्द्रग्रहणों के अधिक देखे जाने का कारण यह होता है कि वे पृ्थ्वी के आधे से अधिक भाग में दिखलाई पडते हैं, जब कि सूर्यग्रहण पृ्थ्वी के बहुत बडे भाग में प्राय सौ मील से कम चौडे और दो से तीन हजार मील लम्बे भूभाग में दिखलाई पडते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि मध्यप्रदेश में खग्रास (जो सम्पूर्ण सूर्य बिम्ब को ढकने वाला होता है) ग्रहण हो तो गुजरात में खण्ड सूर्यग्रहण (जो सूर्य बिम्ब के अंश को ही ढंकता है) ही दिखलाई देगा और उत्तर भारत में वो दिखायी ही नहीं देगा।
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Sir
Jana Chahta Hai Ki Suraj Mai Saat Rang kyo Hote Hai
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इस लेख मे आपके प्रश्न का उत्तर है : https://vigyanvishwa.in/2014/08/11/colors/
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आशीष जी बहोत ख़ुशी हुई इतनी जानकारिय पढ़कर
१.
मेरा प्रश्न ये है की मेरे पिताजी को डिअबटीएस यनि मधुमेह के कारण आँखों में खून ( रेटिना में ) आने से दिखना काम हो गया . ..दोनों आँखों से ..
जिसके चलते ऑपरेशन करव्ने पर वो अब पूरी तरह अंधे हो चुके हैं …. दोनों आँखों के 3-3 ऑपरेशन अब तक हो चुके , पर कोई फायदा न हुआ है ,
तो क्या रेटिना रेप्लस हो सकता है . या कोई भी इलाज है जो उन्हें २ फ़ीट या ५ फ़ीट तक ही दिखा दे. किसी भी देश में इसका इलाज है संभव ?
२. हिंदुस्तान के बेस्ट ऑय हॉस्पिटल का पता दे सकते हैं आप ?
३. क्या ये संभव है की २५ साल के बाद की उम्र या किसी भी उम्र के व्यक्ति की किसी दवा से हाइट बढ़ सके ? टीवी में ऐड देखकर समझ नही आता की दुनिय को बेवकूफ बनाया जा रहा है या साइंस तरक्की कर चुकी
क्या आपका मोबाइल नंबर आप मुझे देंगे . मेरे ईमेल पर या यहीं ये आप पर निर्भर है
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देव,
1. आपके इस प्रश्न का उत्तर डाक्टर ही दे सकते है।
2.शंकर नेत्रालय़ चेन्नई,अगरवाल आइ हास्फिटल चेन्नई
3. 25 साल उम्र के बाद उंचाई नही बढ़ सकती है.
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Paryavaran kise kahte h?Paryavaran manav Jiven ko kis prakar prabhit karta h.
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हमारे आसपास जो भी है वह पर्यावरण है, जल, भूमी, वायु, वन, प्राणी। स्वस्थ जीवन के लिए इन सब में एक संतुलन चाहिए। उदाहरण के लिए यदि वायु में कार्बन डाय आक्साइड की मात्रा अधिक हो गयी , तो पृथ्वी के तापमान में बढ़ोत्तरी से जीवन नष्ट हो जायेगा। जल में अशुद्धि से भी वही होगा। वन में कमी से मौसम में बदलाव आएंगे।
किसी एक कारक में परिवर्तनसे जीवन कठीन छ्प जायेगा, नष्ट भी हो सकता है।
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itne bade bramand me shirf pathvi par kyo jivan diya ? our manushya ka rup kyo diya? our bharat me hi kyo paida kiya?
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1 पृथ्वी के बार जीवन संभव है, बस हम उसे खोज नहीं पाये है।
2 मनुष्य का रूप विकासवाद की अनेक संभावनाओ में से एक है, इसमे कोई विशेषता नहीं है।
3 पृथ्वी पर मनुष्य का विकास भारत में नहीं अफ्रीका में हुआ था।
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कौन ऐसा अधातु है जो विधुत का सुचालक होता है ।
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अत्याधिक लवण(नमक) के साथ जल, प्लाज्मा के रूप मे गैस
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सर…..क्या आप बता सकते हैं कि अगर हम किसी नए चीज का रिसर्च करना चाहते है तो सबसे पहले हमे क्या करना चाहिए।
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पढाई। पहले उस विषय में स्नातक और परास्नातक करे और पी एच डी के रूप में शोध।
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Hello sir,
मै यह जानना चाहता हूँ, कि किसी गैस को ठोस अवस्था मे बदला जा सकता है या नही अगर हा तो कैसे?
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गैस को ठोस मे बदलने के उपाय
1. उस पर अत्याधिक दबाव डालकर
2. उसका तापमान कम कर
3. उपाय 1 और 2 दोनो एक साथ
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ऐसा कौन सा मानव अंग है जो बुढ़ापे तक भी बढ़ती है, नाखून और बाल छोर कर
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कान
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sir naak bhadti h shyad
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सर मैंने एक पिक्चर मे देखा था की एक आदमी घर के बाहर बैठकर घर के अंदर कंप्यूटर से चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है जिससे घर मे कंप्यूटर पर एक सीडी भी चालू नही हो पाती है। क्या यह संभव है?
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कंप्युटर से चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करना संभव नही है।
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अपने देश मे NASA जैसा कोई रिसर्च सेंटर है या नही,अगर है तो उसका नाम क्या है।
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ISRO INDIAN SPACE RESEARCH ORGANISATION
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कया कारण है कि गाडो सुबह चालू करते समय देर से चालू होती है रसायन से संबधित
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सुबह इंजन का तापमान कम होता है जिससे ईंधन का दहन आसानी से प्रारंभ नही हो पाता है। बस यही कारण है।
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sir aapaki site ka naam kya hai
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विज्ञान विश्व , http://vigyanvishwa.in
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sir
big bang theory par prakash daale ya koi link suggest kare please sir but Hindi me
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इसी साइट पर कुछ लेख है देलहिये।
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Sir hum earth par rahte hai to kya hamare liye earth time nahi kyoki earth jab surya ka ek chakkar pura karti hai tab hum kehte hai ki sal pura hua ab agar soche ki earth ek sthan se nikli par bich me rukti hai to time age badhega hi nahi jaha din hai waha din hi rahega
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नीरज इस लेख को देखीये : https://vigyanvishwa.in/2012/05/28/time1/
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Ghar per Vidyut utpadan karne ke baare mein Jankari dijiye Sir
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घर पर विद्युत उत्पन्न करने आप सौर ऊर्जा प्लांट लगा सकते है।
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Sir mujhe earth PR jal chakra samjhaiye….
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जल-चक्र क्या है ?
जल की एक मुख्य विशेषता यह है कि यह अपनी अवस्था आसानी से बदल सकता है । यह ग्रह पर अपनी तीन अवस्थाओं, ठोस, द्रव तथा गैस के रूप में आसानी से प्राप्त हो जाता है । पृथ्वी पर जल की मात्रा सीमित है । जल का चक्र अपनी स्थिति बदलते हुए चलता रहता है जिसे हम जल चक्र अथवा जलविज्ञानीय चक्र कहते हैं । जलीय चक्र की प्रक्रिया जल-मंडल, एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ वातावरण तथा पृथ्वी की सतह का सारा जल मौजूद होता है । इस जलमंडल में जल की गति ही जल चक्र कहलाता है । यह संपूर्ण प्रक्रिया बहुत ही सरल है जिसे चित्र में 6 भागों में विभाजित किया गया है।
क- वाष्पीकरण/वाष्पोत्सर्जन
ख – द्रवण
ग – वर्षण
घ – अंतः-स्यंदन
ड – अपवाह
च – संग्रहण
जब वातावरण में जल वाष्प् द्रवित होकर बादलों का निर्माण करते है, इस प्रक्रिया को द्रवण कहते हैं । जब वायु काफी ठण्डी होती है तब जल वाष्प् वायु के कणों पर द्रवित होकर बादलों का निर्माण करता है । जब बादल बनते हैं तब वायु विश्व में चारो ओर ले जाकर जल वाष्प् को फैलाती है । अन्ततः बादल आर्द्रता को रोक नहीं पाते तथा वे हिम, वर्षा, ओले आदि के रूप में गिरते हैं ।
अगले तीन चरण – अंतःस्यंदन, अपवाह तथा वाष्पीकरण एक साथ होते हैं । अंतःस्यंदन की प्रक्रिया वर्षा के भूमि में रिसाव के कारण होती है । यदि वर्षा तेजी से होती है तो इससे भूमि पर अंतः स्यंदन की प्रक्रिया हो कर अपवाह हो जाता है । अपवाह जल स्तर पर होता है तथा नहरों, नदियों में प्रवाहित होते हुए बड़ी जल निकायों जैसे झीलों अथवा समुद्र में चला जाता है । अंतस्यांदित भू-जल भी इसी तरह प्रवाहित होता है क्योंकि यह नदियों का पुनर्भरण करता है तथा जल की बड़ी निकायों की ओर प्रवाहित हो जाता है । सूर्य की गर्मी से जल का वाष्पों में बदलने को वाष्पीकरण कहते है । सूर्य की रोशनी समुद्र तथा झीलों के जल को गर्म करती है तथा गैस में परिवर्तित करती है । गर्म वायु वातावरण में ऊपर उठकर द्रवण की प्रक्रिया से वाष्प् बन जाती है ।
जलीय चक्र निरंतर चलता है तथा स्रोतों को स्वच्छ रखता है । पृथ्वी पर इस प्रक्रिया के अभाव में जीवन असंभव हो जाएगा ।
जल प्रदूषण क्या है ?
जब झीलों, नहरों, नदियों, समुद्र तथा अन्य जल निकायों में विषैले पदार्थ प्रवेश करते हैं और यह इनमें घुल जाते है अथवा पानी में पड़े रहते हैं या नीचे इकट्ठे हो जाते हैं । जिसके परिणामस्वरूप जल प्रदूषित हो जाता है और इससे जल की गुणवत्ता में कमी आ जाती है तथा जलीय पारिस्थितिकी प्रणाली प्रभावित होती है । प्रदूषकों का भूमि में रिसन भी हो सकता है जिससे एकत्र भूमि-जल भी प्रभावित होता है । जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत निम्नलिखित है:
• घरेलू सीवेज :- जैसे- घरों से छोड़ा गया अपशिष्ट जल तथा सफाई सीवेज वाला जल
• कृषिअपवाह :- जैसे- कृषि क्षेत्रों का भू-जल जहाँ रासायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग हुआ हो ।
• औद्योगिकबहस्राव :- जैसे- उद्योगों में विनिर्माण कार्यों अथा रासायनिक प्रक्रियाओं का अपशिष्ट जल ।
जल प्रदूषण के प्रभाव
जल प्रदूषण से व्यक्ति ही नहीं अपितु पशु-पक्षी एवं मछली भी प्रभावित होते हैं । प्रदूषित जल पीने, पुनःसृजन कृषि तथा उद्योगों आदि के लिए भी उपयुक्त नहीं हैं । यह झीलों एवं नदियों की सुन्दरता को कम करता है । संदूषित जल, जलीय जीवन को समाप्त करता है तथा इसकी प्रजनन – शक्ति को क्षीण करता है ।
जल प्रदूषण का स्वास्थ्य पर प्रभाव
जलजनित रोग संक्रामक रोग होते हैं जो मुख्यतः संदूषित जल से फैलते हैं । हिपेटाईटिस, हैजा, पेचिश तथा टाइफाईड आम जलजनित रोग है, जिनसे उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के बहुसंख्यक लोग प्रभावित होते हैं । प्रदूषित जल के संपर्क से अतिसार, त्वचा संबंधी रोग, श्वास समस्यांए तथा अन्य रोग हो सकते है जो जल निकायों में मौजूद प्रदूषकों के कारण होते है । जल के स्थिर तथा अनुपचारित होने से मच्छर तथा अन्य कई परजीवी कीट आदि उत्पन्न होते है जो विशेषतः उष्णकटिबंधिय क्षेत्रों में कई बिमारियाँ फैलाते हैं ।

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सर, जब दूध को गर्म करते हे तब वह उबलने लगता हे और ऊपर उठता हे जबकि पानी गर्म करने पर उबलता नहीं ऐसा क्यू |
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जब पानी को गर्म करते है तो पानी से बनने वाली भाप आसानी से मुक्त हो जाती है। दूध को गर्म करने पर उसकी उपरी की सतह पर दूध की मलाई जमा होते जाती है, यह मलाई की परत भाप को मुक्त नही होने देती है, जिससे बनने वाली भाप इस मलाई की परत को उपर धकेलती है। इस प्रक्रिया को ही उफनना कहते है।
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Sir m yeh janna chahata hu ki aaj har chote se chote desh k pass parmanu bomb ki power h .ISI ke pas bhi parmanu bomb ki takat h and vo bar bar dusre desho pe hamala kar raha h and parmanu bomb ko estemal karne ki dhamki de raha h
To mera sawal yeh h ki kya duniya jald hi apne ant ki aur badh rahi h..q ki agar isi ne parmanu bomb ka estemal kiya to jahir tor pe baki desh bhi estemal karenge to kya duniya khatam ho jayegi.
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इसका एक लाभ भी है, परमाणु बम सबके के पास होने से इसके प्रयोग करने की हिम्मत कोई नही कर पाएगा। परमाणू बम के प्रभाव भयावह होते है, इसका प्रयोग ना ही हो तो बेहतर।
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sir abhi tak kitne grah gyaat hai
aur kya sbhi taro ke pass garh hote hai aur lagbhag kitne kitne
aur aakashganga aur mandaakini kise kehte hai
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अबी तक 1000 से ज्यादा ग्रह ज्ञात है। लगभग हर तारे के ग्रह होते है।
आकाशगंगा अर्थात अरबो तारो का समूह। ब्रह्माण्ड में अरबो आकाशगंगा है। हमारा सूर्य जिस आकाशगंगा में है उसे मंदाकिनी कहते है।
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Sir I want to know about the gases, sir gas ko liquid form me kaise change kar sake hai
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गैसे को शीतल कर या दबाव मे रखकर द्रव या ठोस रूप दिया जा सकता है। हमारे घरो मे जो खाना पकाने वाली गैस होती है वह सिलेंडर मे दबाव के अंदर द्रव रूप मे होती है।
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जब शुरुआत मे फोटोन कण बने और उसके बाद मे क्वार्क , इलेक्ट्रान, एन्टी इलेक्ट्रान बने परंतु उसके बाद मे यॆ कण आपस मे मिलकर पूर्णतया समाप्त हो जाते या यॆ खुद फोटोन के रुप मे ऊर्जा छोड़ जाते हें ??
अगर यॆ बाद मे बने तो मतलब यॆ फोटोन से बने और पूर्णतः ख़त्म हो जाते हें तो प्रोटोन और न्युट्रान बनाते हें तो ख़त्म कैसे हुवे और sir इनकी एनर्जी का क्या रहस्य हें ?????
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बिग बैंग के पश्चात पदार्थ (क्वार्क और इलेक्ट्रान) के साथ प्रतिपदार्थ(एन्टीमैटर : एन्टीक्वार्क, पाजीट्रान) दोनो बने। जब पदार्थ और प्रतिपदार्थ टकराते है तो वे ऊर्जा(फोटान) मे बदल जाते है। लेकिन वैज्ञानिको के अनुसार किसी अज्ञात कारण से पदार्थ की मात्रा प्रतिपादार्थ से ज्यादा थी। इसलिये पदार्थ और प्रतिपदार्थ के टकराने के बाद पदार्थ की मात्रा बच गयी और उससे ये ब्रह्मांड (आकाशगंगा, तारे, ग्रह, हम और आप) बने।
ये सारा पदार्थ और ऊर्जा बिग बैंग के उसी एक बिंदु से ही आये है।
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Puri Duniya( Earth ) me kittne parkaar ke Baas ke Podhe paaye jaate he..
plz reply
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https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_bamboo_species
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Sir nitrification or dnitrification kya hota h..
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नाइट्रीकरण(Nitrification) जैव रासायनिक क्रिया है, इसमें अमोनिया के आक्सीकरण से नाइट्राइट एवं नाइट्रेट बनते हैं। यह नाइट्रोजन चक्र की एक महत्वपूर्ण अवस्था है। सर्वप्रथम नाइट्राइट जीवाणु नाइट्रोसोमोनास एवं नाइट्रोकॉकस अमोनिया का ऑक्सीकरण नाइट्राइट (NO2) में करते हैं। उसके पश्चात नाइट्रेट जीवाणु-नाइट्रोबैक्टर नाइट्राइट का परिवर्तन नाइट्रेट में करते हैं। यह नाइट्रेट फिर पादपों द्वारा भूमि से जड़ों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है और इस प्रकार नाइट्रोजन आहार शृंखला में प्रवेश करता है।
नाइट्रीकरण की क्रिया दो समूह के जीवों द्वारा होती है, अमोनिया का आक्सीकरण करने वाले जीवाणु तथा अमोनिया का आक्सीकरण करने वाले आर्किया
Denitrification मे जीवाणुओ द्वारा नाइट्राइट/नाइट्रेट से नाइट्रोजन मुक्त होती है।

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क्या हम चाँद से चीन की दिवार देख सकते हैं !
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नहीं, ये केवल अफवाह है
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पदार्थ अर्धचालक कब होते है
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अर्धचालक (semiconductor) उन पदार्थों को कहते हैं जिनकी विद्युत चालकता सुचालकों (जैसे ताँबा) से कम किन्तु कुचालकों (जैसे काच) से अधिक होती है। (आपेक्षिक प्रतिरोध प्रायः 10^-5 से 10^8 ओम-मीटर के बीच) सिलिकॉन, जर्मेनियम, कैडमियम सल्फाइड, गैलियम आर्सेनाइड इत्यादि अर्धचालक पदार्थों के कुछ उदाहरण हैं। अर्धचालकों में चालन बैण्ड और संयोजक बैण्ड के बीच एक ‘बैण्ड गैप’ होता है जिसका मान 0 से 6 ईलेक्ट्रान-वोल्ट के बीच होता है। (Ge 0.7 eV, Si 1.1 eV, GaAs 1.4 eV, GaN 3.4 eV, AlN 6.2 eV).
ईलेक्ट्रानिक युक्तियाँ बनाने के लिए प्रयोग किए जाने वाले अधिकांश अर्धचालक आवर्त सारणी के समूह IV के तत्व (जैसे सिलिकॉन, जर्मेनियम), समूह III और V के यौगिक (जैसे, गैलियम आर्सेनाइड, गैलियम नाइट्राइड, इण्डियम एण्टीमोनाइड) antimonide), या समूह II और VI के यौगिक (कैडमियम टेलुराइड) हैं। अर्धचालक पदार्थ एकल क्रिस्टल के रूप में हो सकते हैं या बहुक्रिस्टली पाउडर के रूप में हो सकते हैं। वर्तमान समय में कार्बनिक अर्धचालक (organic semiconductors) भी बनाए जा चुके हैं जो प्रायः बहुचक्री एरोमटिक यौगिक होते हैं।
आधुनिक युग में प्रयुक्त तरह-तरह की युक्तियों (devices) के मूल में ये अर्धचालक पदार्थ ही हैं। इनसे पहले डायोड बनाया गया और फिर ट्रांजिस्टर। इसी का हाथ पकड़कर एलेक्ट्रानिक युग की यात्रा शुरू हुई। विद्युत और एलेक्ट्रानिकी में इनकी बहुत बड़ी भूमिका रही है। विज्ञान की जिस शाखा में अर्धचालकों का अध्ययन किया जाता है उसे ठोस अवस्था भौतिकी (सलिड स्टेट फिजिक्स) कहते हैं।
ताप बढ़ाने पर अर्धचालकों की विद्युत चालकता बढ़ती है, यह गुण चालकों के उल्टा है। अर्धचालकों में बहुत से अन्य उपयोगी गुण भी देखने को मिलते हैं, जैसे किसी एक दिशा में दूसरे दिशा की अपेक्षा आसानी से धारा प्रवाह (अर्थात् भिन्न-भिन्न दिशाओं में विद्युतचालकता का भिन्न-भिन्न होना)। इसके अलावा नियंत्रित मात्रा में अशुद्धियाँ डालकर (एक करोड़ में एक भाग या इससे मिलता-जुलता) अर्धचालकों की चालकता को कम या अधिक बनाया जा सकता है। इन अशुद्धियों को मिलाने की प्रक्रिया को ‘डोपन’ (doping) कहते हैं। डोपिंग करके ही एलेक्ट्रानिक युक्तियों (डायोड, ट्रांजिस्टर, आईसी आदि) का निर्माण किया जाता है। इनकी चालकता को बाहर से लगाए गए विद्युत क्षेत्र या प्रकाश के द्वारा भी परिवर्तित किया जा सकता है। यहाँ तक कि इनकी विद्युत चालकता को तानकर (tensile force) या दबाकर भी बदला जा सकता है।
अपने इन्हीं गुणों के कारण ये अर्धचालक प्रकाश एवं अन्य विद्युत संकेतों को आवर्धित (एम्प्लिफाई) करने वाली युक्तियाँ बनाने, विद्युत संकेतों से नियंत्रित स्विच (जैसे बीजेटी, मॉसफेट, एससीआर आदि) बनाने, तथा ऊर्जा परिवर्तक (देखें, शक्ति एलेक्ट्रानिकी) के रूप में काम करते हैं। अर्धचालकों के गुणों को समझने के लिए क्वाण्टम भौतिकी का सहारा लिया जाता है।
अर्धचालक युक्तियों के निर्माण में सिलिकॉन (Si) का सबसे अधिक प्रयोग होता है। अन्य पदार्थों की तुलना में इसके मुख्य गुण हैं कच्चे माल की कम लागत, निर्माण मे आसानी और व्यापक तापमान परिचालन सीमा। वर्तमान में अर्धचालक युक्तियों के निर्माण के लिये पहले सिलिकॉन को कम से कम 300mm की चौडाई के बउल के निर्माण से किया जाता है, ताकी इस से इतनी ही चौडी वेफर बन सके।
पहले जर्मेनियम (Ge) का प्रयोग व्यापक था, किन्तु इसके उष्ण अतिसंवेदनशीलता के करण सिलिकॉन ने इसकी जगह ले ली है। आज जर्मेनियम और सिलिकॉन के कुधातु का प्रयोग अकसर अतिवेगशाली युक्तियों के निर्माण मे होता है; आई बी एम एसे युक्तियों का प्रमुख उत्पादक है।
गैलिअम आर्सेनाइड (GaAs) का प्रयोग भी व्यापक है अतिवेगशाली युक्तियों के निर्माण में, मगर इस पदार्थ के चौडे बउल नही बन पाते, जिसके कारण सिलिकॉन की तुलना में गैलिअम आर्सेनाइड से अर्धचालक युक्तियों को बनाना मेहंगा पडता है।
अन्य पदार्थ जिनका प्रयोग या तो कम व्यापक है, या उन पर अनुसंधान हो रहा है:
सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) का प्रयोग नीले प्रकाश उत्सर्जक डायोड (एल-ई-डी, LED) के लिये हो रहा है। प्रतिकूल वातावरण, जैसे उच्च तापमान या अत्याधिक आयनित विकिरण, के होने पर इसके उपयोग पर अनुसंधान हो रहा है।
सिलिकॉन कार्बाइड से इंपैट डायोड (IMPATT) को भी बनाया गया है।
इंडियम के समास, जैसे इंडियम आर्सेनाइड, इंडियम एन्टिमोनाइड और इंडियम फॉस्फाइड, का भी प्रयोग एल-ई-डी और ठोस अवस्था लेसर डायोड मे हो रहा है।
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Abhi tak seince nai god kai bare me kitana pata kiya hai
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विज्ञान किसी परालौकिक शक्ति जैसे ईश्वर पर खोज नही करता है।
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सर जी,
क्या ऐसा हो सकता हैं कि बिंग बैंग और कुछ नहीं एक बहुत बड़े black hole में विस्फोट हो, जो कई सारे black holes के मिल जाने से बना हो , अर्थात black holes अन्तरिक्ष को recycling करने का काम करते हैं
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कुछ वैज्ञानिक इस संभावना से इंकार नही करते है। लेकिन अभी तक कोई प्रमाण नही है। ध्यान रहे कि हम ये सब कुछ वर्षो मे ही जान पाये है और ब्रह्मांड की आयु 13 अरब वर्ष है।
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सर जी,
क्या अन्तरिक्ष मे एक ही बिग बैंग हुआ? ऐसा भी तो हैं कि और भी बिग बैंग हुए हो कहीं बहुत दूर हमारी पहुँच से भी दूर ?
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उत्तर वही है, हम एक के बारे में जानते है। बाकि की संभावना से इंकार नहीं कर सकते।
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Inter net ka khoj kisne kiya
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इंटरनेट की खोज किसी एक व्यक्ति ने नही की है। लेकिन आप ब्राउजर या मोबाईल पर जो वर्ल्ड वाइड वेब के रूप मे इंटरनेट देखते है उसे टीम बर्नेस ली ने बनाया था।
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सर जी,
क्या black holes अमर होते हैं। क्या black holes को खत्म होते देखा गया हैं।
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ब्लैक होल अमर नही होते है, वे समाप्त होते है। लेकिन किसी ब्लैक होल को समाप्त होते देखा नही गया है, जोकि आश्चर्यजनक नही है क्योंकि ब्लैक होल की जनकारी हमे कुछ दशक पहले हुयी है जबकि ब्रह्माण्ड स्तर पर निरीक्षण करने मे लगने वाला समय लाखो वर्ष मे हो सकता है।
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सर,
यह लेख कब लिखा जायेगा, कृप्या बता सकते हैं।
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विजय, लेख का समय बताना कठिन है। मै अपने खाली समय मे इस वेब साईट पर समय देता हुं। लेकिन शीघ्र ही लिखुंगा, अगले कुछ सप्ताह मे ही।
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सर जी,
हमने प्रकाश की गति को कैसे नापा अर्थात ज्ञात किया
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विजय , इसका उत्तर लंबा है। इस पर एक लेख लिखना होगा।
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bulb futne p awaz kyu hoti h
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बल्ब में उच्च दबाव पर नाइट्रोजन भरी होती है, बल्ब के टूटने पर वो तेजी से बाहर निकलती है जिससे आवाज होती है। यह गुब्बारे के फूटने के जैसा ही है।
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ek car ek second me 20 meter chalati he usaki k.m. /ghanta me gati hogi
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72 km/hour
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ऐसा कौन सा मानव शरीर का अंग है जो कभी नही बढता है
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मानव आँखे
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sir aap ne bahut achha kam kiya sir
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सर जी,
1. क्या प्रकाश की गति ही समय की गति हैं।
2. क्या यह सत्य है कि किसी भारी द्रव्यमान की वस्तु के पास समय की गति कम होती हैं जैसे एक black hole के पास होती हैं
3. हमारी मृत्यु के कौन से कारक जिम्मेदार हैं
4. क्या हमारे क्लौन मे हमारा ज्ञान और यादें हो सकती हैं
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1. जब हम गति की बात करते है तो वह समय के सापेक्ष होती है। जैसे प्रकाश गति एक सेकंड(समय) मे तीन लाख किमी। दोनो सापेक्ष है एक नही है।
2. गुरुत्वाकर्षण समय की गति को धीमा कर देता है। पृथ्वी पर समय की गति अंतरिक्ष की तुलना मे कम है। हर अंतरिक्ष यात्री वास्तविकता मे समय यात्री होता है, नगण्य ही सही लेकिन वह कुछ नैनो सेकंड भविष्य मे रह कर आया हुआ होता है।
3. हमारे शरीर की कोशिकाओं का नविनिकरण बंद होने पर हमारी मृत्यु होती है।
4. आपकी संतान भी आपकी आधी क्लोन होती है, उसमे आपका ज्ञान और यादे नही होती है। उसी तरह क्लोन के पास भी हमारा ज्ञान और यादे नही होंगी। वह एक स्वतंत्र व्यक्तित्व होगा।
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सर जी,
non aerobic के कुछ उदाहरण दे सकते हैं क्या ?
यह जीव बिना ऑक्सीजन के जीवित कैसे रहते हैं।
और यदि कार्बन डाई ऑक्साईड से पुनः ऑक्सीजन बनाया जा सकता हैं तो हमें global warming से इतना डरते क्यो हैं हम तो कार्बन डाई ऑक्साइड़ को तो ऑक्सीजन मे बदल सकते हैं।
और धन्यवाद इस जानकारी के लिये
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1. कार्बन डाय आक्साईड ईंधन के दहन से उत्पन्न होती है जिससे ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। ईधन का दहन ऊर्जा उत्पादन के लिये होता है। कार्बन डाय आक्साईड से आक्सीजन बनाने के लिये भी ऊर्जा चाहिये, अर्थात ईधन का दहन! अर्थात कार्बन डाय आक्साईड से मुक्ति के लिये कार्बन डाय आक्साईड का निर्माण!
2. सबसे अच्छा उपाय है ऐसे ईंधन या ऊर्जा स्रोत का प्रयोग किया जाये तो कार्बन डाय आक्साईड उत्पन्न ही नही करे, यह स्रोत परमाणु ऊर्जा, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा हो सकती है।
3. हमे आक्सीजन ऊर्जा के उत्पादन के लिये चाहिये होती है, उदाहरण के लिये
C6H12O6 + 6O2 → 6CO2 + 6H2O (ग्लूकोज + आक्सीजन –> कार्बन डाय आक्साईड + जल)
Anaerobic जीव इसके लिये दूसरी प्रक्रिया का प्रयोग करते है।
उदाहरण
C6H12O6 + 2 ADP + 2 phosphate → 2 lactic acid + 2 ATP
Anaerobic जीव का उदाहरण Trichomonas vaginalis
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सर जी,
धरती पर प्रत्येक जीवित जीव सांस में ऑक्सीजन लेता हैं।
मछलियाँ पानी में सांस लेती है तो क्या मछलियाँ पानी से ऑक्सीजन और हाइड़्रोजन को अलग करती हैं। यदि हाँ तो क्या हमारे पास भी ऐसा कोई उपकरण हैं यदि हाँ तो फिर गौताखौर अपने साथ ऑक्सीजन टैक क्यौ ले जाते हैं और यदि नहीं तो पनडुबी में सैना के जवान 6-7 माह तक कैसे रहते हैं
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आक्सीजन की कुछ मात्रा पानी मे घूली रहती है। जल मे आप आक्सीजन प्रवाहित करो तो आक्सीजन जल मे घूल जाती है; ये आक्सीजन H2O अणु मे उपस्थित आक्सीजन नही है। ये घूलना अर्थात शक्कर या नमक के जल मे घूलने जैसा है।
मछलियो के गलफ़ड़े पानी मे घूली इस आक्सीजन को ग्रहण कर लेते है।
मानव शरीर मे ऐसा कोई अंग नही है इसलिये आक्सीजन टैंक ले जाते है।
मानव श्वसन मे आक्सीजन लेकर कार्बन डाय आक्साईड का उत्सर्जन करते है। पनडुब्बी मे इस कार्बन डाय आक्साईड से पुनः आक्सीजन बनायी जाती है। साथ मे आक्सीजन उत्पन्न करने के लिये उपकरण भी होते है। पनडुब्बी कुछ समय अंतराल पर सतह पर भी आती है।
पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणी आक्सीजन नही लेते है, कुछ जीव बिना आक्सीजन के भी जीवीत रहते है जिन्हे non aerobic जीव कहते है।
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सर! Kya भगवान थे, है
या न थे न है
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भगवन पर विस्वास निजी विचार होते है। विज्ञान प्रमाण पर विश्वास करता है और उसके पास ऐसी किसी शक्ति के अस्तित्व के प्रमाण नहीं है।
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श्रीवास्तव जी आपका जवाब नहीं आपकी जितनी प्रंशसा करे कम हैं
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chal,beg,ghati,duri,tap,usma kisa kahte hai
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1. प्रतिदिन के जीवन में और शुद्ध गतिकी में किसी वस्तु की चाल इसके वेग (इसकी स्थिति में परिवर्तन की दर) का परिमाण है; अतः यह एक अदिश राशि है। किसी वस्तु की औसत चाल उस वस्तु द्वारा चली गई कुल दूरी में लगने वाले समय से भाजित करने पर प्राप्त भागफल का मान है; ताक्षणिक चाल, औसत चाल का परिसिमा मान है जिसमें समयान्तराल शून्य की ओर अग्रसर हो।
2. भौतिकी में वेग का अर्थ किसी दिशा में चाल होता है। यह एक सदिश राशि है। एक वस्तु का वेग अलग-अलग दिशाओं में अलग अलग हो सकता है। किसी वस्तु के स्थिति बदलने की दर को वेग कहते हैं। चाल यदि दिशा के साथ लिखी जाए तो वो वेग के तुल्य ही होती है, उदाहरण के लिए 60 किमी/घण्टा उत्तर की तरफ। वेग गतिकी का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो यांत्रिकी की एक शाखा है जिसमे वस्तुओ के गति का अध्ययन किया जाता है।
वेग एक सदिश भौतिक मात्रा है ; दोनों परिमाण और दिशा इसे परिभाषित करने के लिए आवश्यक हैं। वेग के अदिश निरपेक्ष मूल्य ( परिमाण ) चाल को SI ( मैट्रिक ) प्रणाली में मीटर प्रति सेकेण्ड (मी/से॰) में मापा जाता है। उदाहरण के लिए , “5 मीटर प्रति सेकेण्ड” एक अदिश है, जबकि “5 मीटर प्रति सेकेण्ड पूर्वी दिशा में” सदिश राशि है।
3.गर्म या ठंढे होने की माप तापमान कहलाता है जिसे तापमापी यानि थर्मामीटर के द्वारा मापा जाता है। लेकिन तापमान केवल ऊष्मा की माप है, खुद ऊष्मीय ऊर्जा नहीं। इसको मापने के लिए कई प्रणालियां विकसित की गई हैं जिनमें सेल्सियस(Celsius), फॉरेन्हाइट(Farenhite) तथा केल्विन(Kelvin) प्रमुख हैं। इनके बीच का आपसी सम्बंध इनके व्यक्तिगत पृष्ठों पर देखा जा सकता है।
4.ऊष्मा या ऊष्मीय ऊर्जा ऊर्जा का एक रूप है जो ताप के कारण होता है। ऊर्जा के अन्य रूपों की तरह ऊष्मा का भी प्रवाह होता है। किसी पदार्थ के गर्म या ठंढे होने के कारण उसमें जो ऊर्जा होती है उसे उसकी ऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं। अन्य ऊर्जा की तरह इसका मात्रक भी जूल (Joule) होता है पर इसे कैलोरी (Calorie) में भी व्यक्त करते हैं।
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math ka khoj kisne ki aur kaise kiya gya.
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गणित की खोज किसी एक व्यक्ति ने नहीं की है। यह एक सतत विकास की प्रक्रिया है जो पाषाण युग से चलाती आयी है।
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worm hole kya hai ye kaise banata hai
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वर्मा होल काल-अंतराल (space time) के दो बिन्दुओ को जोड़ने वाले सैद्धांतिक शार्ट कट है। ये सैद्धांतिक रूप से सभंव है लेकिन इन्हें अभी तक देखा नहीं गया है न ही बनाया जा सका है।
यदि इन्हें खोज लिया गया तो प्रकाश गति से तेज यात्रा या समय यात्रा संभव होगी।
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श्रीमान
आकाशीय बिजली धरती पर ही क्यों गिरती है।
इसके पीछे क्या विज्ञान है।
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बिजली की दिशा बादलो के आवेश के विपरीत आवेश वाली वस्तु पर निर्भर करता है। सामान्यतया धरती का आवेश बादलो के आवेश के विपरीत होता है जिससे बिजली धरती पर गिरती है।
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सर क्या हम पृथ्वी के गुरुत्वी क्षेत्र को भूमि पर पैदल चल कर पार कर सकते है की नही? और नही तो क्यू?
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उसके लिये आपको 11 m/s से दौड़ना होगा! 🙂
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gaj(bijli ) kyun girte hai
gione ke baad kaha jaati hai
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आकाशीय बिजली प्राय: कपासीवर्षी (cumulonimbus) मेघों में उत्पन्न होती है। इन मेघों में अत्यंत प्रबल ऊर्ध्वगामी(ऊपर कि दिशा में ) पवनधाराएँ चलती हैं, जो लगभग ४०,००० फुट की ऊँचाई तक पहुँचती हैं। इनमें कुछ ऐसी क्रियाएँ होती हैं जिनके कारण इनमें विद्युत् आवेशों की उत्पत्ति तथा वियोजन होता रहता है। इस प्रक्रिया को आयोनाइजेशन कहते है।
बादलों में इनके ऊपरी स्तर धनावेषित तथा मध्य और निम्नस्तर ऋणावेषित होतें हैं। बादलों के निम्न स्तरों पर ऋणावेश उत्पन्न हो जाने के कारण नीचे पृथ्वी के तल पर प्रेरण(induction) द्वारा धनावेश उत्पन्न हो जाते हैं। बादलों के आगे बढ़ने के साथ ही पृथ्वी पर के ये धनावेश भी ठीक उसी प्रकार आगे बढ़ते जाते हैं। ऋणावेशों के द्वारा आकर्षित होकर भूतल के धनावेश पृथ्वी पर खड़ी सुचालक या अर्धचालक वस्तुओं पर ऊपर तक चढ़ जाते हैं। इस विधि से जब मेघों का विद्युतीकरण इस सीमा तक पहुँच जाता है कि पड़ोसी आवेशकेंद्रों के बीच विभव प्रवणता (वोल्टेज )विभंग मान(potential gradient – इस सीमा पर वायु सुचालक हो जाती है) तक पहुँच जाती है, तब विद्युत् का विसर्जन एक चमक के साथ गर्जन के के रूप में होता है। इसे तड़ित/बिजली कहते हैं।
इसका प्रभाव पृथ्वी के वायुमंडल तक ही रहता है, अंतरिक्ष में कोई प्रभाव नहीं होता क्योंकि वहां इसके बहाव के लिए कोई चालाक नहीं होता है.यह लगभग एक टेरा वाट तक हो सकती है। इसका करंट ३०,००० एम्पीयर तक हो सकता है. ध्यान रहे विद्युत् ऊर्जा को वोल्टेज में नहीं वाट या अम्पीयर में नापा जाता है,
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ole kaise bante hai
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बादलों से वर्षा की बूंदें जब धरती की और गिरती हैं, तो उन्हें कभी-कभी ठन्डे क्षेत्र से गुजरना पड़ता है l कम तापमान के कारण वर्षा की ये बूंदें जमकर बर्फ यानि हिमकणों में बदल जाती हैं l कभी-कभी ऐसा भी होता है कि इन गिरते हुए हिमकणों को वायुमंडल में वायु की तेज़ी से ऊपर उठती हुई कोई धारा ऊपर उठा ले जाती है, ये जमी हुई बूंदें जब उस क्षेत्र में पहुंच जाती हैं, जहां वर्षा की बूंदें पहले से ही बननी शुरू हुई थीं, तो इन हिमकणों में पानी के कण चिपकने लगते हैं l जब ये फिर निचे की और गिरती हैं, तो वायु के ठन्डे क्षेत्र से गुजरने पर जम जाती है, तो ये ओले के रूप में जमीन पर गिरने लगते हैं l यदि आप किसी ओले को काटकर ध्यानपूर्वक देखें, तो उसमें पारदर्शक और अध्परदर्शक बर्फ की कई सतहें दिखाई देंगीं l ये परतें पानी के बार-बार जमने से ही बनती हैं l
गिरते हुए ओलों का व्यास l सेंटीमीटर से लेकर 7-8 सेंटीमीटर तक होता हैं l इनका वज़न लगभग 500 ग्राम तक होता है l 6 जुलाई सन १९२८ को पॉटर नेब (Potter Neb) नामक स्थान पर एक बहुत बड़ा ओला गिरा, जिसका वज़न 717 ग्राम था l इसका व्यास 14 सेंटीमीटर (5.5 इंच) था l
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Prithavi ki golai kitni k.m. h
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पृथ्वी का व्यास 12750 किमी है।
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Sir mera ek sval hi apse kropya iska hul vistar she dijiye ga
Kya Tarpido fish she bidhoth utpen kiya ja skta hihi?
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तारपिडो मछली केवल शिकार के लिये या अपने बचाव के लिये अल्प समय(एक सेकंड) के लिये बिजली उत्पन्न कर सकती है। इससे किसी कार्य के बिजली उत्पन्न करना संभव नही है।
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sir manlo ki yadi surya achanak chamakna band kar de to earth ka kya hoga? surya jis force se prathbi ko bandhe rakhta hai uske khatm hone par earth ki gati kis taraf hogi? bo kahan giregi? ya sthir rahigi.
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इसका उत्तर कुछ ऐसा है, आप एक पत्थर को रस्सी से बांध कर घुमाये और अचानक रस्सी छोड़ दे। पत्थर एक दिशा मे सीधा जायेगा। बस सूर्य के अचानक नही रहने पर पृथ्वी की दिशा एक सीधी रेखा मे हो जायेगी।
यह सीधी रेखा पृथ्वी की कक्षा के लंबवत होगी।
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Sir population badhne se earth ka mass change hora h kya…matlab pratvi ka kull mass Jo lakho saal pehle tha aaj b vahi h naa
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नही, पृथ्वी का द्रव्यमान वही रहता है। जनसंख्या से उस पर कोई असर नही होता है क्योंकि हमारे शरीर का विकास पृथ्वी के तत्वो को ग्रहण करने से होता है मृत्यु के पश्चात शरीर उसी पृथ्वी मे मिल जाता है।
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parakart sankhya kya he ?
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गणित में 1,2,3,… इत्यादि संख्याओं को प्राकृतिक संख्याएँ (अंग्रेज़ी: natural numbers) कहते हैं। ये संख्याएँ वस्तुओं को गिनने (“मेज पर 6 किताबें हैं”) अथवा क्रम में रखने (“मैंने स्पर्धा में 5वाँ स्थान पाया”) के लिए प्रयुक्त होती हैं।
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ओले क्यों गिरते है
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नदियों, तालाबों और समुद्र का पानी भाप बनकर आसमान में वर्षा का बादल बनाता है और यही बादल पानी बरसाते हैं। लेकिन जब आसमान में तापमान शून्य से कई डिग्री कम हो जाता है तो वहां हवा में मौजूद नमी संघनित यानी पानी की छोटी-छोटी बूंदों के रूप में जम जाती है। इन जमी हुई बूंदों पर और पानी जमता जाता है। धीरे-धीरे ये बर्फ के गोलों का रूप धारण कर लेती हैं। जब ये गोले ज्यादा वजनी हो जाते हैं तो नीचे गिरने लगते हैं। गिरते समय रास्ते की गरम हवा से टकरा कर बूंदों में बदल जाते हैं। लेकिन अधिक मोटे गोले जो पूरी तरह नहीं पिघल पाते, वे बर्फ के गोलों के रूप में ही धरती पर गिरते हैं। इन्हें ही हम ओले कहते हैं।
कब गिरते हैं ओले
ओले अक्सर गर्मियों के मौसम में दोपहर के बाद गिरते हैं, सर्दियों में भी ओले गिरते देखे गए हैं। जब ओले गिरते हैं, तो बादलों में गड़गड़ाहट और बिजली की चमक बहुत अधिक होती है। ये ओले कहीं बहुत हल्की तो कहीं बहुत भारी भी हो सकती है। इसका कारण यह है कि बर्फ हवा से उड़ती हुई इधर-उधर जाती हैं और एक जगह पर इकट्ठा हो जाती है। गिरती हुई बर्फ हमेशा नर्म नहीं होती। यह छोटे-छोटे गोल आकार के रूप में भी गिरती है।
ओले गोल क्यों?
ओले हमेशा गोले ही होते हैं? पानी जब बूंद के रूप में गिरता है तो पृष्ठतनाव के कारण पानी की बूंदे गोल आकार ले लेता है, तुमने नल से टपकते हुए पानी की बूंदों को देखा होगा, ये बूंद गोल रूप में होता है। ठीक इसी तरह जब आसमान से पानी गिरता है तो वह बूंद के रूप में बर्फ बन जाता है। इनमें बर्फ की कई सतहें होती हैं। अभी तक सबसे बड़ा ओला एक किलोग्राम का आसमान से गिर चुका है।
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न्यूटन के कितने नियम हैं ?
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न्यूटन के गति नियम तीन भौतिक नियम हैं जो चिरसम्मत यांत्रिकी के आधार हैं। ये नियम किसी वस्तु पर लगने वाले बल और उससे उत्पन्न उस वस्तु की गति के बीच सम्बन्ध बताते हैं। इन्हें तीन सदियों में अनेक प्रकार से व्यक्त किया गया है।
न्यूटन के गति के तीनों नियम, पारम्परिक रूप से, संक्षेप में निम्नलिखित हैं –
प्रथम नियम: प्रत्येक पिंड तब तक अपनी विरामावस्था अथवा सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्था में रहता है जब तक कोई बाह्य बल उसे अन्यथा व्यवहार करने के लिए विवश नहीं करता। इसे जड़त्व का नियम भी कहा जाता है।
द्वितीय नियम: किसी भी पिंड की संवेग परिवर्तन की दर लगाये गये बल के समानुपाती होती है और उसकी (संवेग परिवर्तन की) दिशा वही होती है जो बल की होती है।
तृतीय नियम: प्रत्येक क्रिया की सदैव बराबर एवं विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है।
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sir arc welding ke bare me bataye
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इस लेख को देखें।
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Nafik or electron me quarks kese kam krte h
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https://vigyanvishwa.in/QP/ के लेखो में आपके प्रश्नो का उत्तर है।
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सर , ‘g’ के value मेँ variation के ज्ञात 4 कारण हो सकते हैँ जिनमेँ दो प्रमुख हैँ
1. पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना . earth ke rotation se centrifugal force ,force of gravity ke opposite direction me lagta hai (pseudo force).
2. पृथ्वी की सतह से दूरी.
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jb bhi energy ek form se dusre form me change hoti h to change hone ke akhiri stage ya antim chor pr kya changes hote hn..particle wave me kaise change ho skte hn? vaha kya hota hai?
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इस पन्ने पर दिये गये सभी लेखो को पढ़ीये, आपके प्रश्नो का उत्तर मिल जायेगा! https://vigyan.wordpress.com/qp/
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sir,
dhruo par jis prakar 6 mahina din hota hai aur 6 mahina raat hoti hai ?
surya ke sthan par agar chandma ko dekha jaye to saal ke kitne din chandrma dikhega aur kitne din nahi dikhega.
Plese must answer.
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सूर्य की जगह चंद्रमा को रख दे तो कोई फ़र्क नही पड़ेगा। क्योंकि दिन और रात की लंबाई का कारण पृथ्वी का अपने अक्ष पर झुके होना है।
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Neutron की खोज किसने की
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जेम्स चैडवीक 1932(James Chadwick,1932 )
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kya barsat ka pani jameen ke under chala jata hai ?
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बरसात के पानी का कुछ भाग जमीन के अंदर रिसकर जाता है।
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chand par kon sa pakshi abhi tak gaya hai
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कोई पक्षी चाँद पर नहीं गया है केवल मानव ही चाँद पर गए हैं।
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Electron ki khoj ka tarika kya hai,
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ट्रीनीटी महाविद्यालय कैम्ब्रिज के प्रोफेसर जे जे थामसन ने इलेक्ट्रान के अस्तित्व को प्रमाणित किया था जो कि सबसे छोटे परमाणु से भी हजार गुणा छोटा था। थामसन के इस प्रयोग मे उन्होने एक धातु के तार को गर्म किया जिससे उस तार से इल्केट्रान का उत्सर्जन प्रारंभ हो गया। इलेक्ट्रान पर ऋणात्मक आवेश होता है जिससे उन्हे विद्युत क्षेत्र द्वारा फास्फोरस की परत वाली स्क्रीन की ओर आकर्षित किया जा सकता है। जब ये इलेक्ट्रान स्क्रीन से टकराते थे, उस बिंदू पर प्रकाशिय चमक उत्पन्न करते थे। जल्दी ही यह पता चल गया कि ये इलेक्ट्रान परमाणु के अंदर से आ रहे थे। १९११ मे अर्नेसट रदरफोर्ड ने प्रमाणित किया कि परमाणु मे आंतरिक संरचना होती है, उनके अनुसार परमाणु मे धनात्मक आवेश वाले नन्हे केन्द्र के आसपास इलेक्ट्रान परिक्रमा करते है। रदरफोर्ड ने यह खोज रेडीयो सक्रिय पदार्थो द्वारा उत्सर्जित धनात्मक आवेश युक्त अल्फा कणो के अध्ययन के बाद की।

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water ka normal temperature kitna hot a h Jo hmlog use krte ? please reply sir
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20 से 26 सेल्सीयस
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bharmaand ki rachana ki aavshyakta kyun padi give me answer
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ब्रह्मांड की रचना प्रकृति ने नियमो के तहत हुयी है। लेकिन इसके पीछे के कारण को वर्तमान मे हम नही जानते है।
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sir koi aise eliment ka name bataaiye jo hawa me udta ho gais ko chhodkar
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कोई भी ठोस तत्व बिना किसी बाह्य बल के हवा ने नही उड़ सकता है।
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sir ye Jo surya ka Maas ghat raha hai ye kaha Ja raha hai .aur ye Jo surya ka dravamaan parkaas ke roop me earth par aa raha hai isse kya earth ka dravamaan ghat raha hai.
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आपके इस प्रश्न का उत्तर इस लेख मे दिया है : https://vigyanvishwa.in/2014/07/18/sunweightloss/
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Venus rotates backwards compared to the other planets, also likely due to an early asteroid hit which disturbed its original rotation.
Is it TRUE ???
do u think so, I mean an asteroid can disturbed planets’s original rotation?
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क्षुद्रग्रह तो नही लेकिन कोई बड़ा वामन ग्रह (Dwarf Planet) जैसे सेरस(Ceres) से टकराव से ऐसा हो सकता है। सौर मंडल के जन्म के बाद ऐसे ढेर सारे वामन ग्रह रहे होंगे, और वे अन्य ग्रहो से टकराते रहे होंगे।
पृथ्वी के चंद्रमा की उत्पत्ति भी पृथ्वी से किसी वामन ग्रह के टकराने के बाद हुयी है!
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Pirthvi konse aakar ki h
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मोसंबी के जैसे! ध्रुवो (poles)पर चपटी और विषुवत (equator)पर फैली हुयी!
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kya bhoot hote hai
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छोटा उत्तर : नही, भूत जैसी कोई चीज नही होती है।
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suraj bada hota hai ki star bada hota hai
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सूर्य भी एक मध्यम आकार का तारा है! अधिकतर तारे सूर्य से बडे है लेकिन सूर्य से छोटे तारे भी होते है।
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Sir jab ham koi sound sunte h to hamara kaan use vidhut sanket me kaise badalta h
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हमारे कानो मे ध्वनि की तरंगे कंपन उत्पन्न करती है। ये कंपन कर्णावर्त्त(cochlea) द्वारा ग्रहण किये जाते है। cochlea विशिष्ट तरह की कोशिकाओं से बना होता है जो कंपन को विद्युत संकेत मे परिवर्तित करती है।
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Sir yaha vidhut sanket ka matlab kya h…
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हमारा तंत्रिका तंत्र(Nervous System) जिसके द्वारा हमारे शरीर के अंग मस्तिष्क से संवाद करते है, वह विद्युत संकेत पर ही कार्य करता है। मस्तिष्क अंगो को संदेश विद्युत संकेतो के रूप मे देता है। ये विद्युत संकेत किसी इल्केट्रानिक उपकरण मे प्रयोग मे आनेवाले विद्युत संकेत के जैसे ही होते है।
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Sir Alfa kan k bare me thodi detail dijiye
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अल्फा कण वास्त्विकता मे कण नही होता है, वह हिलियम का नाभिक अर्थात दो प्रोटान, दो न्युट्रान से बना होता है। अल्फ़ा कण रेडीयो सक्रिय पदार्थ के विखंडण से उत्पन्न होता है।
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Electron nucleus ke charo aur chakkar kyu lagata hain???
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इस प्रश्न का उत्तर आसान नही था, इसके लिये यह लेख लिखा गया है। https://vigyanvishwa.in/2015/12/10/electronnucleus/
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तरंग किसे कहते है ? साधारण उदाहरण सहित
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तरंग (Wave) का अर्थ होता है – ‘लहर’। भौतिकी में तरंग का अभिप्राय अधिक व्यापक होता है जहां यह कई प्रकार के कंपन या दोलन को व्यक्त करता है। इसके अन्तर्गत यांत्रिक, विद्युतचुम्बकीय, ऊष्मीय इत्यादि कई प्रकार की तरंग-गति का अध्ययन किया जाता है।
किसी तरंग का गुण उसके इन मानकों द्वारा निर्धारित किया जाता है
1.तरंगदैर्घ्य (Wavelength) – कोई साइन-आकार की तरंग, जितनी दूरी के बाद अपने आप को पुनरावृत (repeat) करती है, उस दूरी को उस तरंग का तरंगदैर्घ्य (wavelength) कहते हैं। तरंगदैर्घ्य, तरंग के समान कला वाले दो क्रमागत बिन्दुओं की दूरी है। ये बिन्दु तरंगशीर्श (crests) हो सकते हैं, तरंगगर्त (troughs) या शून्य-पारण (zero crossing) बिन्दु हो सकते हैं। तरंग दैर्घ्य किसी तरंग की विशिष्टता है। इसे ग्रीक अक्षर ‘लैम्ब्डा’ (λ) द्वारा निरुपित किया जाता है। इसका SI मात्रक मीटर है।

2.वेग (speed)
3.आवृति (frequency) – कोई आवृत घटना (बार-बार दोहराई जाने वाली घटना), इकाई समय में जितनी बार घटित होती है उसे उस घटना की आवृत्ति (frequency) कहते हैं। आवृति को किसी साइनाकार (sinusoidal) तरंग के कला (phase) परिवर्तन की दर के रूप में भी समझ सकते हैं। आवृति की इकाई हर्त्ज (साकल्स प्रति सेकण्ड) होती है।
एक कम्पन पूरा करने में जितना समय लगता है उसे आवर्त काल (Time Period) कहते हैं।
4.आयाम (Amplitude)
तरंग के प्रकार
गति की दिशा तथा कम्पन की दिशा के सम्बन्ध के आधार पर
1.अनुप्रस्थ तरंग (transverse wave) – इसमें तरंग की गति की दिशा माध्यम के कम्पन की दिशा के लम्बवत होती है।
2.अनुदैर्घ्य तरंग (longitudenal wave) – इसमें तरंग की गति की दिशा माध्यम के कम्पन की दिशा के में ही होती है।
तरंग की प्रकृति के आधार पर
1.यांत्रिक तरंगे – जैसे ध्वनि, पराश्रव्य तरंग (ultrasonic waves), पराध्वनिक (supersonic), जल के सतह पर उठने वाली तरंग, आदि
2.विद्युतचुम्बकीय तरंग – जैसे प्रकाश, उष्मा एवं एक्स-रे आदि
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Daplar prabhav ke bare me explain karke btayiye.
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nine grah konsa hai
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वर्तमान मे केवल आठ ग्रह ही है, बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, नेपच्युन और युरेनस ।
प्लूटो को अब ग्रह नही माना जाता है।
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सर् .क्या जमिन के अंदर पाणी का निर्माण होता रहात है?
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नही, जमीन के अंदर पानी बारीश के पानी के जमीन मे रिसाव से जमा होता है।
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aane wale time me computer kaisa hoga kya computer aane wale time me insaan ke maind ke according kaam krega kya insaan jo sochega waisa computer krega kya hm jo sochege wo usi tareh se proses krega?
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इस लेख को देखें आपके प्रश्नो का उत्तर मिल जायेगा
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5 month ka bacha rota hai to aasu kyo nahi niklta haii
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सामान्यत: नवजात शिशुओं मे अश्रु ग्रंथी का विकास नही हुआ होता है। ये ३ सप्ताह से १२ सप्ताह के शिशुओं मे विकसीत होती है, लेकिन कुछ शिशुओं मे इसे पूरी तरह से बनने मे छह माह भी लग सकते है।
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सर, जैसा कि हम सब जानते हैं कि पृथ्वी 24 घंटे में अपने अछ पर एक घुर्णन पुरा करता है और 12 घंटे में आधा।
क्या जब हम एक हेलिकॉप्टर को भारत के किसी भाग में हवा में स्थिर रख दें तो 12 घंटे के पश्चात् वह स्वयं ही पृथ्वी के दुसरी ओर या फिर अमेरिका नहीं पहुंच जायेगी ? क्योंकि पृथ्वी से स्पर्श तो उसका रहेगा नहीं! क्या ये संभव है?
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पृथ्वी अपने वायुमंडल को लेकर घूर्णन करती है। जमीन पृथ्वी की सीमा नहीं है, पृथ्वी की सीमा वायुमंडल के समाप्त होंने तक है। इसलिए हेलिकॉप्टर भी पृथ्वी के साथ उसी स्थान पर रहेगा।
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sir mujhe ye btao ki antriksh pr kon kon ja chuka hai?
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ये लिंक देखे, सारे अंतरिक्ष यात्रीयों के नाम है : https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_astronauts_by_name
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यदि पृथ्वी पर पानी नही होता तो क्या होता ?
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आप नही होते ना मै! पृथ्वी पर जीवन ही नही होता।
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mitochondria ki khoj kisyear me hue
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Richard Altmann – 1840
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sir,kya aantrich me c2H5oH hai
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हाँ, वैज्ञानुको ने अंतरिक्ष मे एथाइल अल्कोहल के बादल खोजे है!
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sir, parmanu bhatti ke bare me btayiye??
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परमाणु भट्ठी या ‘न्यूक्लियर रिएक्टर’ (nuclear reactor) वह युक्ति है जिसके अन्दर नाभिकीय शृंखला अभिक्रियाएँ आरम्भ की जाती हैं तथा उन्हें नियंत्रित करते हुए जारी रखा जाता है।
इसमें नाभिकीय विखंडन की नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया के द्वारा उर्जा उत्पन्न की जाती है, जिसे अनेक लाभदायक कार्यों में उपयोग किया जाता है। एक आधुनिक रिएक्टर में निम्नलिखित मुख्य भाग होते हैं-
उपयोग
विद्युत उत्पादन के लिये
कुछ जलयानों को चलाने के लिये शक्ति प्रदान करने के लिये
अनुसंधान के लिये
नाभिकीय पनडुब्बियों के लिये
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Dravymaan sanrakshan ka niyam
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द्रव्य की अविनाशिता का नियम अथवा द्रव्यमान संरक्षण का नियम के अनुसार किसी बंद तंत्र (closed system) का द्रब्यमान अपरिवर्तित रहता है, चाहे उस तंत्र के अन्दर जो कोई भी प्रक्रिया चल रही हो। दूसरे शब्दों में, द्रब्य का न तो निर्माण संभव है न विनाश; केवल उसका स्वरूप बदला जा सकता है। अतः किसी बंद तंत्र में होने वाली किसी रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारकों का कुल द्रब्यमान, उत्पादों के कुल द्रब्यमान के बराबर होना ही चाहिये।
द्रव्यमान संरक्षण की यह ऐतिहासिक अवधारणा (कांसेप्ट) रसायन विज्ञान, यांत्रिकी, तथा द्रवगतिकी आदि क्षेत्रों में खूब प्रयोग होती है।
सापेक्षिकता का सिद्धान्त एवं क्वांटम यांत्रिकी के आने के बाद अब यह स्थापित हो गया है कि यह नियम पूर्णतः सत्य नहीं है बल्कि लगभग सत्य (या व्यावहारिक रूप से सत्य) मानी जा सकती है।
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aapka dhanyawaad sir mujhe isse kafi jakariyan prat hue hain va hoti rahengi.
thank you so much sir
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Raman prabhav kya hai.
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रमन प्रभाव के अनुसार प्रकाश की प्रकृति और स्वभाव में तब परिवर्तन होता है,जब वह किसी पारदर्शी माध्यम से गुजरता है। यह माध्यम ठोस, द्रव और गैसीय, कुछ भी हो सकता है। यह घटना तब घटती है, जब माध्यम के अणु प्रकाश ऊर्जा के कणों को छितरा या फैला देते हैं। यह उसी तरह होता है जैसे कैरम बोर्ड पर स्ट्राइकर गोटियों को छितरा देता है। फोटोन की ऊर्जा या प्रकाश की प्रकृति में होने वाले अतिसूक्ष्म परिवर्तनों से माध्यम की आंतरिक अणु संरचना का पता लगाया जा सकता है। रमन प्रभाव रासायनिक यौगिकों की आंतरिक संरचना समझने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
तरंग लम्बाइयों का यह परिवर्तन उनकी ऊर्जा में परिवर्तन के कारण होता है। ऊर्जा में बढ़ोतरी हो जाने से तरंग की लंबाई कम हो जाती है और ऊर्जा में कमी आने से तरंग की लम्बाई बढ़ जाती है। जब हम लाल रंग के प्रकाश से बैंगनी की ओर और उससे भी आगे पराबैंगनी की ओर बढ़ते हैं, तो ऊर्जा बढ़ती है और तरंग लम्बाई छोटी होती जाती है। यह ऊर्जा सदैव निश्चित मात्रा में ही घटती-बढ़ती है तथा इसके कारण हुआ तरंग-लम्बाई का परिवर्तन सदैव निश्चित मात्रा में होता है। अत: हम कह सकते हैं कि प्रकाश ऊर्जा-कणिकाओं का बना हुआ है। प्रकाश दो तरह के लक्षण दिखाता है। कुछ लक्षणों से वह तरंगों से बना जान पड़ता है और कुछ से ऊर्जा कणिकाओं से। आपकी खोज `रमण प्रभाव’ ने उसकी ऊर्जा के भीतर परमाणुओं की योजना समझने में भी सहायता की है, जिनमें से एक रंगी प्रकाश को गुज़ार कर रमण स्पेक्ट्रम प्राप्त किया जाता है। हर एक रासायनिक द्रव का रमण स्पेक्ट्रम उसका विशिष्ट होता है। किसी दूसरे पदार्थ का वैसा नहीं होता। हम किसी पदार्थ के रमण स्पेक्ट्रम पदार्थों को देख कर उसे पहचान सकते हैं। इस तरह रमण स्पेक्ट्रम पदार्थों को पहचानने और उनकी अन्तरंग परमाणु योजना का ज्ञान प्राप्त करने का महत्वपूर्ण साधन भी है।
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sir,Dhatuo me chamkane ki quality kyo hoti hai??????
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धातुओ के परमाणुओ मे इलेक्ट्रान ढीले ढाले होते है, अपेक्षाकृत स्वतंत्र होते है। इसी कारण से वे विद्युत धारा के सुचालक होते है। ये इलेक्ट्रान प्रकाश के फोटान का शोषण आसानी से कर लेते है और तपश्चात वे उस फोटान का उत्सर्जन कर देते है। प्रकाश का यह उत्सर्जन धात्विक चमक के रूप मे दिखायी देती है!
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sir,yadi earth ek aag ka gola tha to eart par pani kha se aaya chuki washpikaran hokar badal se pani barashta hai but pani earth par tha hi nahi????????
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राहुल, 1: पृथ्वी आग का गोला नहीं थी, वह गर्म गैस का गोला थी।
2: इन गर्म गैसों में सामान्य गैसो के अतिरिक्त अन्य ठोस पदार्थ जैसे धातु, सिलिका भी अत्यधिक तापमान के कारण गैस रूप में थे।
3: तापमान कम होने पर धातु और अन्य ठोस पदार्थ ने धरती बनाई और गैसो ने वायुमंडल।
4: इस नवजात धरती से कई धूमकेतु टकराये, पृथ्वी पर जल इन धूमकेतु से आया।
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Univarce ka nirman kaise hua????
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इस वेबसाईट पर बिग बैंग पर कुछ लेख है उन्हें देखे।
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sir aakash ka rang nila kyo hota hai jabki Lord railay ke anushar parkiran ki tivrata parposnal lemda inverse hota hai???????
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Click to access Akash%20Nila%20Kyon%20Hai%20.pdf
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sir Boss eystin cudanset kya hai???
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बोस-आइंस्टाइन द्राव या बोस-आइंस्टाइन संघनित (Bose–Einstein condensate (BEC)) पदार्थ की एक अवस्था जिसमें बोसॉन की तनु गैस को परम शून्य (0 K या −273.15 °C) के बहुत निकट के ताप तक ठण्डा कर दिया जाता है। इस स्थिति में अधिसंख्य बोसॉन निम्नतम क्वाण्टम अवस्था में होते हैं और क्वाण्टम प्रभाव स्थूल पैमाने पर भी दिखने लगते हैं। इन प्रभावों को ‘स्थूल क्वाण्टम परिघटना’ (macroscopic quantum phenomena) कहते हैं।
पदार्थ की इस अवस्था की सबसे पहले भविष्यवाणी १९२४-२५ में सत्येन्द्रनाथ बोस ने की थी। किन्तु बाद में किये गये प्रयोगों से जटिल अन्तरक्रिया का पता चला।
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Sir.. . Kya Kisi insaan ko ek jagah se dusri transport krna sambhav hai? Or kaise?
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वर्तमान में यह संभव नहीं है, तकनीक उपलब्ध नहीं है। लेकिन इसे असंभव भी नहीं कह सकते है क्योंकि विज्ञानं का कोई नियम इसे असंभव नहीं कहता है। शायद भविष्य में संभव हो।
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sir yadi prism me prakash dala jay to wah sat rango me bibhajit ho jata hai but khokhle prism se praksh ko gujara jay to nahi hoga aysa kyo??????
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प्रकाश को सात रंग में विभाजित करना कांच के द्वारा अपवर्तन से होता है, खोखले प्रिज्म में वायु होती है जिससे प्रकाश का विभाजन नहीं होता है।
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sir yadi prakash ek tarang hai to aantrichh me kaise chalti hai chuki aantrichh me nirvat hota hai???
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प्रकाश विद्युत चुंबकीय तरंग है, इसे किसी माध्यम की आवश्यकता नही होती है जिससे वह अंतरिक्ष के निर्वात मे भी यात्रा कर सकती है।
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sir aantrichh me gravitation force kyo nahi lagta hai?
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गुरुत्वाकर्षण बल दूरी के साथ कमजोर होते जाता है, अंतरिक्ष मे वह कमजोर होता है इसलिये उसका प्रभाव कम होता है!
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sir aadmi ka mind kab tak vikshit hota hai?
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सारे जीवन भर।
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क्या हम पानी के अंदर पानी मे मौजूद आॅक्सीजन का इस्तेमाल कर सकते है कोई मशीन ? सबमरीन मे कैसे होता है
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उसके लिये पानी को हायड्रोजन और आक्सीजन मे तोड़ना होगा। इस प्रक्रिया मे लगने वाली ऊर्जा अधिक होती है, प्रायोगिक नही होती है। पणडुब्बीया आक्सीजन लेने के लिये कुछ अंतराल(दिनो, सप्ताहो मे) मे सतह पर आती है।
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Which current is there in our home supplies? AC or DC?
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AC
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Pawan urga kaise kaam karta hai?
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बहती वायु से उत्पन्न की गई उर्जा को पवन ऊर्जा कहते हैं। वायु एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। पवन ऊर्जा बनाने के लिये हवादार जगहों पर पवन चक्कियों को लगाया जाता है, जिनके द्वारा वायु की गतिज उर्जा, यान्त्रिक उर्जा में परिवर्तित हो जाती है। इस यन्त्रिक ऊर्जा को जनित्र की मदद से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है।
पवन ऊर्जा (wind energy) का आशय वायु से गतिज ऊर्जा को लेकर उसे उपयोगी यांत्रिकी अथवा विद्युत ऊर्जा के रूप में परिवर्तित करना है।
सूर्य प्रति सेकंड पचास लाख टन पदार्थ को ऊर्जा में परिवर्तित करता है। इस ऊर्जा का जो थोड़ा सा अंश पृथ्वी पर पहुँचता है, वह यहाँ कई रूपों में प्राप्त होता है। सौर विकिरण सर्वप्रथम पृथ्वी की सतह या भूपृष्ठ द्वारा अवशोषित किया जाता है, तत्पश्चात वह विभिन्न रूपों में आसपास के वायुमंडल में स्थानांतरित हो जाता है। चूँकि पृथ्वी की सतह एक सामान या समतल नहीं है, अतः अवशोषित ऊर्जा की मात्रा भी स्थान व समय के अनुसार भिन्न भिन्न होती है। इसके परिणामस्वरूप तापक्रम, घनत्व तथा दबाव संबंधी विभिन्नताएं उत्पन्न होती है- जो फिर ऐसे बलों को उत्पन्न करती हैं, जो वायु को एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवाहित होने के लिए विवश कर देती हैं। गर्म होने से विस्तारित वायु, जो गर्म होने से हलकी हो जाती है, ऊपर की ओर उठती है तथा ऊपर की ठंडी वायु नीचे आकर उसका स्थान ले लेती है, इसके फलस्वरूप वायुमंडल में अर्द्ध-स्थायी पैटर्न उत्पन्न हो जाते हैं। वायु का चलन, सतह के असमान गर्म होने के कारण होता है।
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गोबर गैस कैसे बनती है इसमे क्या क्या लगता है पूरा शु रु से लेकर अन्त तक उदाहरण सहित बताइये
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गोबर गैस प्लांट की स्थापना के बाद इसे गोबर व पानी के घोल (1 : 1) से भर दिया जाता है और चलते हुए प्लांट से निकला गोबर (दस प्रतिशत) भी साथ ही डाल दिया जाता है। इसके बाद गैस की निकासी का पाइप बंद करके 10-15 दिन छोड़ दिया जाता है। जब गोबर की निकासी बाते स्थान से गोबर बाहर आना शुरू हो जाता है तो प्लांट में ताजा गोबर प्लांट के आकार के अनुसार सही मात्रा में हर रोज एक बार डालना शुरू कर दिया जाता है तथा गैस को आवश्यकतानुसार इस्तेमाल किया जा सकता है एवं निकलने वाले गोबर को उर्वरक के रूप में प्रयोग किया जा सकता है जो गुणवत्ता के हिसाब से गोबर की खाद के बराबर होता है।
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kya bhavishy me hum bhavishy dekhne me saksham honge..
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इसका उत्तर भी भविष्य मे है। लेकिन भविष्य जान लेने पर उसे बदला जा सकेगा और वह भविष्य नही रह पायेगा!
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MnSO4 me Mn ki oxidation number kitni hogi
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+2
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क्या हम भविष्य में प्रकाश की गति से चले वेसा यान बना सकते है? क्या ये संभव है? और ये सच है के प्रकाशवर्ष (light year) की गति से अंतरिक्ष में सफ़र करके वापस पृथ्वी पे आने से हम भविष्य में आ सकते है मतलब वह हमारी उम्र थम जायेगी और पृथ्वी पे सब बूढ़े हो जायेंगे।
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प्रकाशगति से तेज यान वर्तमान मे ज्ञात विज्ञान के नियमो और सिद्धांतो के अनुसार संभव नही है। लेकिन 1.यदि वर्म होल का अस्तित्व है तो ऐसा हो सकता है।
2. यदि किसी तरह हम अंतरिक्ष को मोड़ पाये तो प्रकाश गति से तेज यात्रा हो सकती है।
प्रकाश गति से यात्रा पर यान मे समय धीमा हो जायेगा और वापिस पृथ्वी पर आने पर यान से अधिक समय बीता हुआ होगा।
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nice an so usefull
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Sir ye pdarth ki 4 avastha plajma kya h
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भौतिकी और रसायन शास्त्र में, प्लाज्मा आंशिक रूप से आयनीकृत एक गैस है, जिसमें इलेक्ट्रॉनों का एक निश्चित अनुपात किसी परमाणु या अणु के साथ बंधे होने के बजाय स्वतंत्र होता है। प्लाज्मा में धनावेश और ऋणावेश की स्वतंत्र रूप से गमन करने की क्षमता प्लाज्मा को विद्युत चालक बनाती है जिसके परिणामस्वरूप यह दृढ़ता से विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों से प्रतिक्रिया कर पाता है।
प्लाज्मा के गुण ठोस, द्रव या गैस के गुणों से काफी विपरीत हैं और इसलिए इसे पदार्थ की एक भिन्न अवस्था माना जाता है। प्लाज्मा आमतौर पर, एक तटस्थ-गैस के बादलों का रूप ले लेता है, जैसे सितारों में। गैस की तरह प्लाज्मा का कोई निश्चित आकार या निश्चित आयतन नहीं होता जब तक इसे किसी पात्र में बंद न कर दिया जाए लेकिन गैस के विपरीत किसी चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव में यह एक फिलामेंट, पुंज या दोहरी परत जैसी संरचनाओं का निर्माण करता है।
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क्या मनुष्य गुरूत्वाकर्षण के विरुद्ध हवा मे उड़ सकता है महर्षी योगी के बारे मे कहते है वे ध्यान करते वक्त हवा मे उठ जाते थे इसे yogic flying कहते है युट्यूब पर विडियो भी है
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नही! महर्षी/योगी पर कोई टिप्पणी!
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कोई अपनी बेबसाइट बनाता है तो पैसे लगते तो वे बेबसाइट से इनकम कैसे कमाते है?
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वेबसाईट पर आने वाले विज्ञापनो से कमाई होती है! इस वेबसाईट पर कोई विज्ञापन नही है और कोई कमाई नही होती है, बस एक संतोष मिलता है!
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क्या आपको लगता है कि भविष्य मे टेलीपोर्शन की तकनीक विकसित हो जायेगी अगर सजीव वस्तुओ को टेलीपोर्ट किया तो क्या वो जिंदा बचेगी
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विज्ञान के नियम टेलीपोर्टेशन के रास्ते मे नही है। नियमो के अनुसार टेलीपोर्टेशन संभव है लेकिन तकनीक का निर्माण चुनौती है। वर्तमान मे केवल सफलता की उम्मीद कर सकते है। उत्तर भविष्य के गर्भ मे है।
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फिल्टर नील मिले पानी को एकदम सफेद कर देता है तो क्या वो समुद्री खारे पानी को भी शुद्ध कर सकता है और वो पानी को कैसे व किन प्रक्रियाओ से शुद्ध करता है
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फ़िल्टर समुद्र के पानी को भी शुद्ध कर सकता है लेकिन समुद्री पानी मे लवण अत्याधिक होने से फिल्टर जल्दी खराब हो जायेगा।
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क्या हम अंतरिक्ष यानो की गति राकेट का प्रयोग कर ५०००० किमी.घ. से बढ़ा नही सकते?
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अंतरिक्ष मे यान भेजने के लिये ईंधन चाहिये होता है। राकेट जितना अधिक भार अंतरिक्ष मे ले जायेगा उतना अधिक ईंधन जलायेगा। अब अंतरिक्ष मे गति देने के लिये राकेट भेजे तो उसके लिये अतिरिक्त ईंधन चाहिये। ईंधन का अपना भार होता है। इसलिये ज्यादा ईंधन वाले राकेट के लिये ज्यादा ईंधन भी जलाना पड़ेगा! मतलब कि एक चक्कर मे फंस गये, अधिक ईंधन भेजने और अधिक ईंधन!
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जब antimatter का प्रयोग होने लगेगा तब क्या ये मुश्किल आसान हो सकती है?
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एण्टीमैटर तकनीक सबसे बेहतर तकनीक होगी।
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अगर दुनिया की सारी अंतरिक्ष एजेंसीयो को उनकी क्षमता व उपलब्धी के आधार पर रैंक दिया जाय तो हमारी इसरो किस नम्बर पर रहेगी?
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1. ROSCOSMOS, 2. NASA 3, ESA, 4.JXA, 5.CSA, 6. ISRO
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क्या हर तरल पदार्थ मे पानी की कुछ मात्रा होती है जैसे मरकरी पेट्रोल
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पदार्थ की प्रमुख अवस्थाओ मे एक द्रव अवस्था है। पेट्रोल, पारा द्रव अवस्था मे होते है। इसका जल/पानी से कोई संबंध नही है।
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रेखीय वेग क्या है बताये
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रैखिक गति (Linear motion) या ऋजुरेखीय गति (rectilinear motion) वह गति है जिसमें पिण्ड का गतिपथ एक सरल रेखा हो। इस प्रकार की गति का गणितीय निरूपण केवल एक अवकाशीय विमा (spatial dimension) का उपयोग करते हुए किया जा सकता है। रैखिक गति सभी गतियों में सबसे सरल गति है।
रैखिक गति दो प्रकार की हो सकती है-
1.एकसमान रैखिक गति (uniform linear motion) – इसमें वेग अपरिवर्तित होता है, त्वरण शून्य होता है।
2.असमान रैखिक गति (non uniform linear motion) – इसमें वेग एकसमान नहीं रहता, त्वरण अशून्य होता है। यह भी दो प्रकार का हो सकता है-
(क) एकसमान त्वरण के अन्तर्गत रैखिक गति – शून्य वेग से छोड़ी गयी गेंद की गति असमान रैखिक गति है।
(ख) परिवर्ती त्वरण के अन्तर्गत रैखिक गति – जैसे, स्प्रिंग से लटके द्रव्यमान की गति। (यह गति सरल आवर्त गति भी है।)
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मनुष्य के दिमाग मे अन्य जीवो के मुकाबले क्या खास है
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मानव मस्तिष्क ज्यादा विकसित है। इसमे तंत्रिका कोशीका की मात्रा अन्य प्राणीयो से अधिक है।
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प्लुटोनियम को इंधन के रूप मे कैसे प्रयोग करते है?
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प्लुटोनियम रेडीयो सक्रिय पदार्थ है। इसका ईंधन के रूप मे प्रयोग परमाणु बिजलीघर के नाभिकिय रिएक्टर मे किया जाता है। इस प्रक्रिया मे प्लुटोनियम के केंद्र को न्युट्रान से टकराकर तोड़ा जाता है जिससे प्लुटोनियम का केंद्रक टूटकर दो छोटे तत्वो के केंद्रक बनाता है और इस प्रक्रिया मे ऊर्जा मुक्त होती है।
प्लुटोनियम के केंद्रक के टूटने पर कुछ न्युट्रान मुक्त होते है और वे आगे के केंद्रको को तोड़ते जाते है और एक शृंखला अभिक्रिया(Chain Reaction) प्रारंभ हो जाती है, इस प्रक्रिया को बोरान और कैडमियम की छडो से नियंत्रित करते है, वे न्युट्रान को अवशोषित कर लेते है। यदि इस प्रक्रिया को नियंत्रित नही करें तो परमाणु बिजलीघर परमाणु बम बन जायेगा क्योंकि परमाणु बम भी ऐसे ही कार्य करता है, बस उसमे न्युट्रानो को नियंत्रित नही करते है।
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मैने पड़ा था कि वायजेयर यान पर ईंधन के लिये १६ कि.ग्रा. प्लुटोनियम लदा है. क्या वहा पर वो ऐसे ही काम करता है
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वायेजर की विद्युत प्रणाली थोड़ी भिन्न है, उसे radioisotope thermoelectric generator (RTG, RITEG) कहते है। इस प्रक्रिया मे प्लुटोनियम न्युट्रान की बमबारी से तोड़ा नही जाता है, उसे प्राकृतिक रूप से टूटने देते है। इस स्थिति मे भी ऊर्जा उत्पन्न होती है को परमाणु भट्टी से कम लेकिन वायेजर जैसे यान के लिये काफी होती है।
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सर क्या टाइटन पर मनुष्य जीवित रह सकता है?
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नही, वहाँ पर मिथेन अत्याधिक है। लेकिन कृत्रिम आवास बनाकर रहा जा सकता है, मानव को वहाँ पर आवास से बाहर हमेशा स्पेस सुट पहने रहना होगा।
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sir LOGIC GATES ka prayog computar me bhi hota ha kya ? kaise
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कंप्युटर मे सूचनाओंं का संसाधन(process) करने के लिये LOGIC GATES का प्रयोग होता है। ये लाजीक गेट माइक्रोप्रोसेसर के ALU (Arithmatic and Logic Unit) का भाग होते है।
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ध्वनि – स्त्रोत तथा स्रोता का क्या मतलब है ?
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स्रोत जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है। स्रोता जो ध्वनि सुन रहा है।
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Mangal grah par hwa hai ki nhi
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मंगल पर वायुमण्डल है लेकिन कार्बन डाय आक्साइड अत्यधिक है ऑक्सीजन कम। मानव बिना गैस मास्क के जीवित नहीं रह सकता।
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How did this earth come into existance ?
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पृथ्वी और सौर मंडल(सूर्य तथा सभी ग्रह) एक साथ बने है। ये आज से 4.6 अरब वर्ष पहले एक गैस का विशालकाय घूमता हुआ बादल था। किसी अन्य तारे के गुरुत्वाकर्षण से इस घूर्णन करते हुये बादल मे हलचल हुयी और ये संपिडित, संकुचित होना प्रारंभ हुआ। इस बादल का केंद्र वाला भाग संकुचित होकर सूर्य बना। बाहर वाला भाग कई टूकड़ो मे बंट गया। इन टूकड़ो से बाकि ग्रह और उनके चंद्रमा बने।
पृथ्वी ग्रह का निर्माण लगभग 4.54 अरब वर्ष पूर्व हुआ था और इस घटना के एक अरब वर्ष पश्चात यहा जीवन का विकास शुरू हो गया था। तब से पृथ्वी के जैवमंडल ने यहां के वायु मण्डल में काफ़ी परिवर्तन किया है। समय बीतने के साथ ओजोन पर्त बनी जिसने पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के साथ मिलकर पृथ्वी पर आने वाले हानिकारक सौर विकरण को रोककर इसको रहने योग्य बनाया। पृथ्वी का द्रव्यमान 6.569×1021 टन है। पृथ्वी बृहस्पति जैसा गैसीय ग्रह न होकर एक पथरीला ग्रह है। पृथ्वी सभी चार सौर भौमिक ग्रहों में द्रव्यमान और आकार में सबसे बड़ी है। अन्य तीन भौमिक ग्रह हैं- बुध, शुक्र और मंगल। इन सभी ग्रहों में पृथ्वी का घनत्व, गुरुत्वाकर्षण, चुम्बकीय क्षेत्र और घूर्णन सबसे ज्यादा है।
एसा माना जाता है कि पृथ्वी सौर नीहारिका के अवशेषों से अन्य ग्रहों के साथ ही बनी। इसका अंदरूनी हिस्सा गर्मी से पिघला और लोहे जैसे भारी तत्व पृथ्वी के केन्द्र में पहुंच गए। लोहा व निकिल गर्मी से पिघल कर द्रव में बदल गए और इनके घूर्णन से पृथ्वी दो ध्रुवों वाले विशाल चुंबक में बदल गई। बाद में पृथ्वी में महाद्वीपीय विवर्तन या विचलन जैसी भूवैज्ञानिक क्रियाएं पैदा हुई। इसी प्रक्रिया से पृथ्वी पर महाद्वीप, महासागर और वायुमंडल आदि बने।
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MARS par kabhi paani (H2O ya fir kisi aur roop me) tha iss baat se aap kaha tak sehmat hain??
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मंगल पर पानी है। मंगल पर बहते पानी के प्रमाण मिल चुके है।
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Vo H2O hai????
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हाँ, H2O ही है!
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क्या वायु भी गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बँधा हुआ है ? यदि बँधा हुआ है तो किस तरह ?
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गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव हर उस वस्तु पर होता है जो द्रव्यमान रखता है। वायुमंडल की गैसो का द्रव्यमान होता है जिससे वे भी गुरुत्वाकर्षण से बंधी है। पृथ्वी की सीमा धरती नही है, जहाँ वायुमंडल खत्म होता है, वह पृथ्वी की असली सीमा है। जब पृथ्वी अपनी धूरी पर घूर्णन करती है तो यह वायुमंडल भी साथ मे घुमता है।
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चद्रंमा पर वायुमडंल क्यों नही पाया जाता है???
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चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण इतना नही है कि वह गैसो को बांध कर वायुमंडल बना सके!
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Sit earth pe kitne mahasagr hai
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5 आर्कटिक, अटलांटिक, अंटार्कटिक, प्रशांत, हिन्द
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अच्छा तरिका है ज्ञान का यह नेट
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सर,
क्या आप मेरे भौतिक विग्यान के आकिंक प्रश्नो का उत्तर देंगे ?
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यदि वे आपके पाठयक्रम का हिस्सा है, तो नही! उन्हे आपको स्वयं हल करना चाहिये!
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परमाणु रिएक्टर तथा परमाणु भट्टिया क्या है और इसका क्या कार्य है ?
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परमाणु रिएक्टर और परमाणु भट्टी एक ही है। इनका उपयोग नाभिकीय(परमाणु) विखंडन प्रक्रिया से विद्युत् निर्माण में होता है।
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सर मैंने सुना है कि किसी ग्रह से दो सूरज और दो चंद्रमा दिखाई देते है अगर वाकई ऐसा है तो ऐसा कैसे संभव है और इसके बारे में सारी जानकारी दीजिए
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मंगल ग्रह के दो चंद्रमा है, बृहस्पति और शनि के 60 से ज्यादा चंद्रमा है। युरेनस और नेपच्युन के भी पांच से अधिक चंद्रमा है। लेकिन सौर मंडल मे एक से अधिक सूर्य दिखायी देने वाला कोई ग्रह नही है। सौर मंडल के बाहर ऐसा ग्रह हो सकता है लेकिन इसकी पुख्ता जानकारी नही है।
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नाभिकीय विखण्डन क्या है ? कृपया उदाहरण भी दें ।
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वह प्रक्रिया जिसमे एक भारी नाभिक दो लगभग बराबर नाभिकों में टूट जाता हैं विखण्डन (fission) कहलाती हैं। इसी अभिक्रिया के आधार पर बहुत से परमाणु रिएक्टर या परमाणु भट्ठियाँ बनायी गयीं हैं जो विद्युत उर्जा का उत्पादन करतीं हैं।

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सर,
द्रव्यमान और भार मे क्या अतंर है कृपया उदाहरण के साथ बताए !
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किसी वस्तु में उपस्थित पदार्थ की मात्रा को द्रव्यमान जबकि किसी वस्तु पर गुरुत्वाकर्षण बल को भार कहते हैं। इसे (W=mg) से प्रकट किया जाता है, जहाँ m वस्तु का द्रव्यमान और g उस पर लगने वाला गुरुत्वीय त्वरण है। किसी वस्तु का द्रव्यमान प्रत्येक स्थान पर स्थिर रहता है, जबकि भार विभिन्न स्थानों पर g के मान में परिवर्तित होने के कारण बदलता रहता है।
सामन्यतःद्रव्यमान को किसी पिंड मे पदार्थ की मात्रा के रूप मे परिभषित किया जाता है। यदि आप द्रव्यमान को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से गुणा कर दें तब आपको उस वस्तु का पृथ्वी पर भार (Weight)प्राप्त होगा। ध्यान दें कि द्रव्यमान आपकी अंतरिक्ष मे स्थिति पर निर्भर नही करता है। चंद्रमा पर आपका द्रव्यमान आपके पृथ्वी के द्रव्यमान के समान ही होगा। लेकिन आपका भार चंद्रमा पर पृथ्वी की तुलना मे 1/6 रह जायेगा क्योंकि चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी की तुलना मे 1/6 है। वैसे ही पृथ्वी पर ही जैसे आप सतह से दूर जाते है, गुरुत्वाकर्षण कम होते जाता है अर्थात आपका भार भी कम होते जाता है।
अंतरिक्ष मे शून्य गुरुत्वाकर्षण मे भार शून्य होता है।
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sir kya app bata sakte hai ki scientist banne k liye kon kon se course jaroori hai aur kaise bane
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आप किस विषय मे वैज्ञानिक बनना चाहते है वह निश्चित करे। उसके पश्चात किसी अच्छे संस्थान से B Sc, MSc और PhD करे!
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Loha bina aag k kese pighlA sakte he??????
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लोहा बिना उष्मा के नही पिघल सकता है। लेकिन अम्ल या एसिड से गल सकता है। गलना और पिघलना दो भिन्न बाते है। पिघलने मे लोहा लोहा ही रहता है, यह भौतिक परिवर्तन है। गलने मे लोहे से कोई अन्य यौगिक बनेगा, यह रासायनिक परिवर्तन है।
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