आज से तकरीबन चार अरब वर्षों के बाद हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी (मिल्की वे) और एंड्रोमेडा आकाशगंगा आपस मे टकरा जाएगी लेकिन अफसोस तबतक हमारा सूर्य एक विशाल लाल तारा बन चुका होगा। न ही पृथ्वी और न ही सौर मंडल इस खगोलीय टकराव का साक्षी होगा। दो पड़ोसी आकाशगंगाओं का मिलन बड़ा दुर्लभ होता है और इसके प्रभाव बड़े पैमाने पर देखे जाते है। लेकिन यहां तो चार अरब वर्षो के बाद दो बड़े आकाशगंगा एक दूसरे से विलय करेंगी। एंड्रोमेडा आकाशगंगा जो की एक अण्डाकार आकाशगंगा है और हमारी मिल्की वे एक सर्पीली आकाशगंगा। शोधकर्ताओं द्वारा भविष्यवाणी की गई है की इस अद्भुत टकराव के बाद दोनों आकाशगंगाओं की वर्तमान संरचना बिल्कुल बदल जायेगी खासकर मिल्की वे की सर्पीली संरचना।

फ़िलहाल एंड्रोमेडा गैलेक्सी हमारी आकाशगंगा से 250 लाख प्रकाश वर्ष दूर है लेकिन गुरुत्वाकर्षण के पारस्परिक पुल के कारण एंड्रोमेडा लगभग 70 मील/110 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से हमारी आकाशगंगा के पास आ रहा है। इस दर से यदि अनुमान लगाया जाय तो यह टक्कर शुरू होने से लगभग चार अरब वर्ष शेष हैं। हालांकि जब मिल्की वे और एंड्रोमेडा एक-दूसरे से विलय करना आरंभ करेंगे तो उनके लिए पूरी तरह से एक दूसरे में विलीन हो जाने और एक नये विशाल अण्डाकार आकाशगंगा के रूप में निर्मित होने में एक या दो अरब साल और लगेंगे। इसके अलावा नासा के अनुसार, स्थानीय समूह की तीसरी सबसे बड़ी आकाशगंगा, त्रिकोणीय आकाशगंगा(M33) भी विलय की गई जोड़ी के चारों ओर अपनी कक्षा स्थापित करेंगी लेकिन अंततः बाद की तारीख में M33 भी उन दोनों एकीकृत होते आकाशगंगाओं के साथ विलय कर सकती है ऐसा वैज्ञानिकों को उम्मीद है।
एंड्रोमेडा आकाशगंगा में लगभग एक ट्रिलियन तारे हैं और हमारी आकाशगंगा में लगभग 300 अरब सितारें है। इसके बावजूद दोनों आकाशगंगाओं में बहुत बड़ी जगह खाली है इसलिए वैज्ञानिकों को लगता है की आपस मे तारों के टकराने की संभावना बहुत कम हो सकती है। स्पेस टेलिस्कोप साइंस इंस्टीट्यूट(Space Telescope Science Institute, Baltimore) के वैज्ञानिक टोनी सोहं(Tony Sohn) का कहना है
“जब हम कहते हैं की दो आकाशगंगाएं आपस मे टकराने जा रही है इसका मतलब है दोनों आकाशगंगाओं में उपस्थित डार्क मैटर का भी विलय होगा। डार्क मैटर अभी भी खगोलविज्ञानियों और कण भौतिकविदों के लिए अज्ञात क्षेत्र है लेकिन एक चीज सुनिश्चित है कि इन कणों को वर्तमान ब्रह्मांड में नहीं बनाया जा रहा है।”

इन आकाशगंगाओं का विलय दोनों आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद अतिसंवेदनशील बड़े ब्लैक होल को पास ले आयेगा। ये ब्लैक होल एक-दूसरे की ओर बढ़ेंगे और अंत में जब वे बहुत करीब होंगे तो वे एक-दूसरे के गुरुत्वाकर्षण पुल से बच नहीं सकते हैं। बड़े ब्लैकहोल का विलय एक बहुत ही हिंसक घटना है जो अंतरिक्ष-समय के फैब्रिक के माध्यम से भारी गुरुत्वाकर्षण लहरों को अंतरिक्ष मे प्रसारित करते है। इन गुरुत्वाकर्षण लहरों की तीव्रता बहुत शक्तिशाली होती है और यह भी संभव है की बहुत सारे सितारों को आकाशगंगा से ही बाहर फेंक सकती है। वैज्ञानिकों के अनुसार इन परिस्थितियों में हमारे सौर मंडल वर्तमान की तुलना में कही और नई कक्षा में स्थापित हो जाएगा।
ऐसा भी नही है की वैज्ञानिकों ने अबतक किसी आकाशगंगा की टकराव को नही देखा है। कोर्वस नक्षत्र(Corvus constellation) में एंटीना आकाशगंगाओ NGC-4038 and 4039 की टक्कर आजतक चल रही है। इन दोनों युवा आकाशगंगाओं का टकराव करीब 200 मिलियन वर्ष पहले शुरू हुआ था जो अबतक जारी है। ताजा आकड़ों के अनुसार इन आकाशगंगाओं और इनके घने क्षेत्रों के भीतर कई गोलाकार समूहों का गठन हो चुका है। इस टकराव में भी एक आकाशगंगा का आकार सर्पीली है इसलिये इस विलय को देखकर वैज्ञानिक, एंड्रोमेडा और मिल्की वे के साथ होने वाली टक्कर के बारे में उपयोगी अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकते हैं।
ब्रह्मांड में इस प्रकार के आकाशगंगाओं का टकराव एक सामान्य प्रक्रिया हैं क्योंकि स्थानीय स्तर पर, गुरुत्वाकर्षण पुल ब्रह्मांड के समग्र विस्तार से अधिक शक्तिशाली होता है दूसरे शब्दों में कहा जाय तो गुरुत्वाकर्षण बल संपूर्ण ब्रह्मांड के विस्तार पर हावी हो जाता है। हमसब जानते है की ब्रह्माण्ड विस्तार कर रहा है लेकिन किसी एक गुब्बारा पर कई डॉट्स आसपास हो और उसे फुलाया जाता है तब वे डॉट्स काफी बड़े हो जाते है। इन ब्रह्माण्डीय परिस्थितियों में गुरुत्वाकर्षण बड़े वस्तुओं के लिए जीत जाता है और वस्तुओं को एक-दूसरे के निकट ले आता है। वास्तव में हमारी आकाशगंगा और एंड्रोमेडा के बीच की दूरी बहुत करीब मानी जाता है यह इतनी करीब है की इनके गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव ब्रह्मांड के विस्तार पर हावी है। वास्तव में गुरुत्वाकर्षण को एक कमजोर बल माना जाता है लेकिन यह ब्रह्माण्ड का असली नायक है।
टोनी सोहं का कहना है
“जब एंड्रोमेडा हमारी आकाशगंगा तक पहुचेगा उससे पहले ही सूर्य एक लाल विशालकाय तारा बन चुका होगा और इस तारे की सतह ने पहले से ही पृथ्वी को अपने घेरे में ले लिया होगा। हम इस खगोलीय टकराव को रोक तो नही पायेंगे और न ही देख सकते है लेकिन कम्प्यूटर सिमुलेशन हमे इस टकराव की झलक दिखा रहे है और भविष्य में अधिक सटीकता से दिखाते ही रहेंगे।”

नोट: एंड्रोमेडा और मिल्की वे आकाशगंगाओं में स्थित तारों की संख्या पिछली शोध अध्ययन के अनुसार दर्शाये गए हो सकते है।
ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने अपने ताजा शोध अध्ययन में कहा है की एंड्रोमेडा और हमारी आकाशगंगा मिल्की वे दोनों का आकार लगभग समान ही है और दोनों का द्रव्यमान लगभग 800 बिलियन सौर द्रव्यमान के बराबर है। 2014 में शोधकर्ताओं ने अपने शोध अध्ययन में एंड्रोमेडा को मिल्की वे से तीन गुनी बड़ी बतायी थी लेकिन ताजा शोध ने इसे पूरी तरह से नकार दिया है। इस पूरे शोध पत्र को 14.2.2018/Monthly Notices of the Royal Astronomical Society के जर्नल में प्रकाशित किया गया है जिसे Astronomy Magazine में भी पढ़ा जा सकता है।
स्रोत: Astronomy magazine.
लेखिका परिचय

पलल्वी कुमारी, बी एस सी प्रथम वर्ष की छात्रा है। वर्तमान मे राम रतन सिंह कालेज मोकामा पटना मे अध्यनरत है।
सर इतनी बड़ी गणना कैसे की जाती है ! कि एंड्रोमेडा हमारी आकाशगंगा से 4 अरब वर्षों बाद टकरायेगी !
पसंद करेंपसंद करें
हम अपनी आकाशगंगा और एंड्रोमिडा आकाशगंगा के मध्य की दूरी और दोनो की गति को जानते है।
पसंद करेंपसंद करें
Good
पसंद करेंपसंद करें
Sir jab hum moon ki surface par khade hote hai to sky black dikhai deta h. To kya Taare bhi dikhai denge ya nahi
पसंद करेंपसंद करें
काले आसमान मे तारे भी दिखेंगे साथ मे सूर्य भी!
पसंद करेंपसंद करें
ये पल्लवी कुमारी को मै तीन साल से देख रहा हूँ ये अभी तक BSC फर्स्ट ईयर की छात्रा है और अभी तक उनका bSC कम्पलीट नही हुआ ये क्या माज़रा है भाई और जो भी ये पोस्ट लिखता है अच्छा लिखता है कभी कभी गलत भी लिखता है सो अच्छे पोस्ट के लिए धन्यवाद
पसंद करेंपसंद करें
एडमीन की गलती है, पल्लवी का परिचय अपडेट नही किया है! अगले लेखो मे अपडेटेड परिचय रहेगा!
पसंद करेंपसंद करें
आपका सवाल पूरी तरह से जायज है।मैंने जुलाई 2016 में मगध विश्वविद्यालय अंतर्गत RRS COLLEGE से Bsc में एडमिशन लिया था।सत्र के हिसाब से 2017 मई-जून में परीक्षाएं होनी चाहिए थी ताकि सभी छात्र द्वितीय वर्ष में प्रवेश कर सके लेकिन मगध यूनिवर्सिटी ऐसा नहीं कर सकी उसने प्रथम सत्र का एग्जाम फरवरी 2018 में लिया।आज 1 जून तक परीक्षाफल घोषित नहीं हुआ है हालांकि द्वितीय सत्र लिए नामांकन पिछले महीने ही किया जा चूका है। विस्तृत जानकारी/प्रमाणिकता के लिए आप मगध यूनिवर्सिटी के अधिकृत वेबसाइट पर जा सकते है। हां, इस लेख में परिचय/योग्यता हेतु द्वितीय वर्ष का उल्लेख किया जा सकता है।
यदि आपको किसी तथ्य या लेख में कोई गलती लगती हो तो आप उचित स्रोत/संदर्भ दे सकते है, हम अवश्य सुधार करेंगे। लेकिन स्रोत/संदर्भ विश्ववसनीय और लेटेस्ट होनी चाहिये।
पसंद करेंपसंद करें
Reblogged this on oshriradhekrishnabole.
पसंद करेंपसंद करें