भौतिकी के बिना खगोलभौतिकी का अस्तित्व नही है।(Without Physics, there's no Astrophysics)

खगोल भौतिकी 29 :खगोलभौतिकी वैज्ञानिक कैसे बने ?


लेखक : ऋषभ मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के उपान्त्य लेख मे हम सबसे अधिक पुछे जाने वाले प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे कि खगोलभौतिकी वैज्ञानिक कैसे बने ? यह प्रश्न दर्जनो छात्रों तथा शौकीया खगोलशास्त्र मे … पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 29 :खगोलभौतिकी वैज्ञानिक कैसे बने ?

खगोल भौतिकी 10 : मेघनाद साहा का समीकरण और महत्व


लेखिका याशिका घई(Yashika Ghai) ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के इस लेख मे हम आज एक आधारभूत गणितीय उपकरण की चर्चा करेंगे। इस उपकरण को साहा का समीकरण कहा जाता है। इस समीकरण ने खगोलभौतिकी की एक विशिष्ट शाखा … पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 10 : मेघनाद साहा का समीकरण और महत्व

हार्वर्ड वर्गीकरण प्रणाली(Harvard Classification System)

खगोल भौतिकी 9 : तारों का वर्णक्रम के आधार पर वर्गीकरण (SPECTRAL CLASSIFICATION)


लेखक : ऋषभ यह लेख ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला मे नंवा लेख है और अब तक की यात्रा रोचक रही है। हमने एक सरल प्रश्न से आरंभ किया था कि खगोलभौतिकी क्या है? इसके पश्चात हमने इस क्षेत्र … पढ़ना जारी रखें खगोल भौतिकी 9 : तारों का वर्णक्रम के आधार पर वर्गीकरण (SPECTRAL CLASSIFICATION)

वर्नेर हाइजेनबर्ग(Werner Heisenberg)

भौतिक विज्ञान को अनिश्चित कर देने वाले वर्नेर हाइजेनबर्ग


गणित में बेहद रूचि रखने वाले वर्नर हाइजेनबर्ग (Werner Heisenberg) भौतिकी की ओर अपने स्कूल के अंतिम दिनों में आकृष्ट हुए और फिर ऐसा कर गये जिसने प्रचलित भौतिकी की चूलें हिला दीं। वे कितने प्रतिभाशाली रहे होंगे और उनके … पढ़ना जारी रखें भौतिक विज्ञान को अनिश्चित कर देने वाले वर्नेर हाइजेनबर्ग

अनेक ब्रह्माण्ड(Multiverse)

एक ब्रह्माण्ड या अनेक ब्रह्माण्ड(Universe or Multiverse)


आज हम उस स्थिति में हैं कि अपने ब्रह्मांड की विशालता का मोटे तौर पर आकलन कर सकते हैं। हमारी विराट पृथ्वी सौरमंडल का एक साधारण आकार का ग्रह है, जो सूर्य नामक तारे के इर्दगिर्द परिक्रमा कर रही है। … पढ़ना जारी रखें एक ब्रह्माण्ड या अनेक ब्रह्माण्ड(Universe or Multiverse)

जब भी ट्रिगर दबाया जाता है, दोनो संभव परिणामो को समाविष्ट करने ब्रह्माण्ड का विभाजन हो जाता है और दो समांतर ब्रह्माण्ड बन जाते है।

क्वांटम आत्महत्या और श्रोडीन्गर की बिल्ली


 जब भी ट्रिगर दबाया जाता है, दोनो संभव परिणामो को समाविष्ट करने ब्रह्माण्ड का विभाजन हो जाता है और दो समांतर ब्रह्माण्ड बन जाते है।
जब भी ट्रिगर दबाया जाता है, दोनो संभव परिणामो को समाविष्ट करने ब्रह्माण्ड का विभाजन हो जाता है और दो समांतर ब्रह्माण्ड बन जाते है।

एक व्यक्ति अपने सर पर तनी बंदूक के साथ बैठा है। यह साधारण बंदूक नही है, यह एक क्वांटम सिद्धांत आधारित बंदूक है जो किसी क्वांटम कण के स्पिन को मापने मे सक्षम है। जब भी बंदूक का ट्रिगर दबाया जाता है, एक क्वांटम कण या क्वार्क का स्पिन मापा जाता है। स्पिन के मापन के आधार पर गोली चलेगी या नही चलेगी। यदि क्वार्क का स्पिन घड़ी के सुईयों की दिशा मे है तो बंदूक से गोली चलेगी। यदि क्वार्क का स्पिन घड़ी की सुईयों के विपरीत है तो गोली नही चलेगी, केवल ट्रिगर की क्लिक होगी।

घबराहट के साथ वह व्यक्ति एक गहरी सांस लेता है और ट्रिगर दबा देता है। बंदूक से केवल क्लिक ही होता है। वह फ़िर से ट्रिगर दबाता है, क्लिक, फिर से ट्रिगर, परिणाम वही क्लिक। वह व्यक्ति बार बार ट्रिगर दबाते रहेगा लेकिन परिणाम वही रहेगा, गोली नही चलेगी। हालांकि बंदूक सही तरह से कार्य कर रही है और उसमे गोलीयाँ भी भरी हुयी है, वह व्यक्ति कितनी ही बार ट्रिगर दबायेगा, बंदूक से गोली कभी नही चलेगी। वह यह प्रक्रिया अनंत तक दोहराता रहेगा और क्वांटम अमर रहेगा।
अब हम समय यात्रा कर इस प्रयोग के आरंभ मे वापस जाते है। वह व्यक्ति प्रथम बार ट्रिगर दबाता है, बंदूक मे क्वार्क की दिशा का मापन घड़ी की सुईयों की दिशा मे होता है। बंदूक से गोली चलती है। वह व्यक्ति अब मृत है।

लेकिन रूकिये! उस व्यक्ति ने प्रथम बार ट्रिगर दबाया था और उसके पश्चात अनंत बार ट्रिगर दबाया था और हम पहले से ही जानते हैं कि बंदूक से गोली नही चली थी। अब वह व्यक्ति मृत कैसे हो सकता है ? वह व्यक्ति नही जानता कि वह जीवित और मृत दोनो अवस्था मे है। जब भी वह ट्रिगर दबाता है, ब्रह्माण्ड का विभाजन हो जाता है और दो ब्रह्माण्ड बन जाते है। यह विभाजन होते रहता है, दोबारा , तीबारा, चौथी बार, जब भी वह व्यक्ति ट्रिगर दबाता है ब्रह्माण्ड का एक और विभाजन होता है।

इस वैचारिक प्रयोग (thought experiment) को क्वांटम आत्महत्या(quantum suicide) कहा जाता है। इसे प्रिंसटन विश्वविद्यालय(Princeton University) के सैद्धांतिक भौतिक वैज्ञानिक मैक्स टेगमार्क(Max Tegmark) ने 1997 मे प्रस्तावित किया था। वे अब एम आई टी(MIT) मे है। वैचारिक प्रयोग केवल मस्तिष्क मे किये जाते हैं। क्वांटम स्तर मानव द्वारा ब्रह्माण्ड मे खोजा गया पदार्थ का सूक्ष्मतर स्तर भाग है। यह इतना सूक्ष्म है कि इस स्तर पर पारंपरिक तौर पर वैज्ञानिक प्रयोग करना लगभग असंभव हो जाता है। पढ़ना जारी रखें “क्वांटम आत्महत्या और श्रोडीन्गर की बिल्ली”