कृतिका तारापुंज(The Pleiades)

खगोल भौतिकी 22 : तारापुंज(STAR CLUSTERS) : सक्षिप्त परिचय


लेखिका:  सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar)

अब तक हमने युग्म तारों, न्यूट्रान तारो , ब्लैक होल तथा भिन्न तारों की जीवनक्रम के साथ कई अन्य विषयों की चर्चा की है। अब समय है कि हम तारों से संबधिक एक और महत्वपूर्ण विषय की चर्चा करें, यह विषय है : तारा पुंज या तारा गुच्छ(Star Cluster).’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के बाइसवें लेख मे हम अब तक के ज्ञात भिन्न प्रकार के तारा समूहों की चर्चा करेंगे।

इस शृंखला के सभी लेखों को आप इस लिंक पर पढ़ सकते है।

तारा पुंज/तारा समूह क्या होते है ?

हमारे द्वारा देखे जा सकने वाले ब्रह्मांड मे 200 अरब से 2 ट्रिलियन आकाशगंगाये है। हमारी अपनी आकाशगंगा मंदाकिमी(Milky Way) मे ही लगभग 300 अरब तारे है। ब्रह्मांड मे कुल तारों की संख्या कल्पनातीत है। इन तारों मे से अधिकतर तारे अकेले बंजारो की तरह भटक रहे है। लेकिन इनमे से कुछ तारे अपने साथ किसी साथी तारे या एकाधिक तारों के साथ किसी परिवार के रूप मे विचर रहे है। लेकिन इन दोनो स्थितियों के अतिरिक्त ऐसे भी तारे है जो भिन्न भिन्न आकार और संख्याओं मे तारो के समूह मे है। ये तारों के समूह आपस मे गुरुत्वाकर्षण के बंधन मे बंधे हुये है और इन्हे ही तारा पुंज/तारा समूह (Star Cluster) कहते है। इन तारा समूहों के साथ जुड़ा सबसे अद्भूत तथ्य यह है कि इनके सभी तारों की सापेक्ष गति समान होती है, भले ही उनके आसपास के अन्य तारों की गति कुछ भी हो।

तारापुंजो के प्रकार

तारापुंजो के आकार, आकृति तथा आकाशगंगीय वितरण और संख्या के साथ उनके तारकीय पदार्थ के भौतिकीय गुणधर्मो के आधार पर तारापुंजो को दो भिन्न श्रेणीयों मे रखा जा ता है जो है आकाशगंगीय तारा समूह(Galactic Clusters) और गोलाकार तारा समूह(Globular clusters)।

आकाशगंगीय तारा समूह या खुले तारा समूह( Galactic/Open)

आकाशगंगीय तारा समूह को खुला तारा समूह भी कहते है। इनके सदस्य तारों को किसी दूरबीन की सहायता से आसानी से अलग अलग देखा जा सकता है जिससे इन्हे खुला तारा समूह कहा जाता है। ये सामान्यत: आकार मे छोटे होते है, इनके तारे एक चपटे आकार मे फ़ैले होते है और इनका वितरण आकाशगंगा के प्रतल मे या प्रतल के निकट मे ही होता है। एक अकेले खुले तारासमूह मे कुछ हजार तारे होते है जोकि एक विशाल तारकीय आण्विक बादल(Molecular Cloud) बनाते है। इन तारों की आयु तथा रासायनिक संरचना सामान्यत: एक जैसे होती है। इन समूह मे तारों की संख्या कुछ दर्जन से कुछ हजार तक होती है।

खूले तारा समूह केवल सर्पिल वक्राकार(spiral) तथा अनियमित(irregular) आकाशगगाओं मे ही पाये जाते है जिनमे सक्रिय रूप से नये तारे बन रहे हो। इन तारासमूहो मे तारे एक दूसरे से एक कमजोर गुरुत्वाकर्षण बंधन मे बंधे होते है। ये तारा समूह एक साथ आकाशगंगा केंद्र की परिक्रमा करते है और इन यात्रा के दौरान आकाशगंगा के अन्य पिंडो के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव से बिखरने भी लगते है। खूले तारा समूह तुलनात्मक रूप से नये बने हुये होते है। इसके तारे जनसंख्या वर्ग I मे आते है क्योंकि वे युवा और अधिक धात्विकता रखते है। इसके सबसे अधिक प्रसिद्ध उदाहरण हायेड्स(The Hyades) और कृतिका तारापुंज(The Pleiades) है।

कृतिका तारापुंज(The Pleiades)
कृतिका तारापुंज(The Pleiades)

गोलाकार(Globular) तारा समूह

आकाशगंगीय तारा समूह से हटकर गोलाकार तारासमूह मे कई हजार तारों से 10 लाख तारे गुरुत्वाकर्षण से मजबूती से बंधे गोलाकार रूप मे होते है। हमारी अपनी आकाशगंगा मंदाकिनी मे 200 गोलाकार तारा समूह है, ये तारा समूह आकाशगंगा के प्रतल को घेरे हुये प्रभामंडल(halo) मे है, इन तारा समूह मे आकाशगंगा के सबसे प्राचीन तारे है। आकाशगंगीय तारा समूह के तारों से भिन्न इन तारा समूह के तारे जनसंख्या वर्ग II के है और इनकी धात्विकता कम है और ये तारे अपने जीवन क्रम मे काफ़ी आगे का रास्ता तय किये हुये है।

हमारी आकाशगंगा मे गोलाकार तारासमूहों का वितरण
हमारी आकाशगंगा मे गोलाकार तारासमूहों का वितरण

गोलाकार तारा समूह मे मुक्त गैस और धूल की मात्रा नगण्य है, इन समूहो मे नये तारों का निर्माण नही होता है। इन गोलाकार तारा समूह के आंतरिक क्षेत्रो मे तारों का घनत्व अधिक होता है। आकाशगंगीय तारा समूहो से भिन्न गोलाकार तारा समूह के तारे मजबूत गुरुत्वाकर्षण से बंधे होने कारण अपनी यात्रा मे बिखरते नही है। इस तारा समूह के उदाहरण M56, M15 तथा ओमेगा सेंटारी( Omega Centauri) है।

ओमेगा सेंटारी( Omega Centauri)
ओमेगा सेंटारी( Omega Centauri)

कुछ अन्य प्रकार

इन दो आधारभूत वर्गो के अतिरिक्त ब्रह्माण्ड मे एक अन्य तारा समूह वर्ग विकास कर रहा है। इस तारा समूह को OB असोशिएशन कहा जारा है। इस तारा समूह मे OB तारे होते है, जो कि वर्णक्रम मे O वर्ग के तथा आरंभिक B वर्ग के होते है तथा ये एक हल्के व्यवस्थित समूह मे रहते है। इन तारो की आयु कम होती है जिससे वह अपने जीवनकाल मे अपने जन्म स्थान से अधिक दूर नही जा पाते है। लेकिन अपने संक्षिप्त जीवन काल मे वे पराबैंगनी विकिरण उत्सर्जन करते है। ये विकिरण अपने आसपास की अंतरतारकीय गैस के विशाल काय आण्विक बादल को आयोनाइज्ड कर देती है और HII क्षेत्र का निर्माण होता है।

Scorpius Centaurus Association ( an OB association)
Scorpius Centaurus Association ( an OB association)

2005 मे खगोलशास्त्रीयों ने निकटस्थ देव्यानी (Andromeda ) आकाशगंगा मे एन नये तरह के तारा समूह को खोजा था। ये तारा समूह गोलाकार तारा समूह से काफ़ी समानता रखता है। लेकिन तुलनात्मक रूप से इसका घनत्व कम है और आकार बहुत अधिक जोकि कई सौ प्रकाशवर्ष हो सकता है। देव्यानी(Andromeda ) आकाशगंगा मे ऐसे तीन तारा समूह देखे गये है जो कि M31WFS C1, M31WFS C2 तथा M31WFS C3 है।

यह भी पढ़े : तीन तरह के ब्लैक होल।

लेखिका का संदेश

समीप के खूले तारासमूह खगोलीय दूरी के मापन की विधियों को परिपक्व करने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। तारा समूहों की हमारे द्वारा ब्रह्मांड के अध्ययन मे महत्वपूर्ण भूमिका है। मूलभूत भौतिकी के इस बाइसवें लेख मे हमने आपको विभिन्न तारा समूहों के प्रकारों की जानकारी दी है, आशा है कि इस लेख ने आपकी जानकारी के दायरे को विस्तृत किया होगा।

मूल लेख : STAR CLUSTERS: AN INTRODUCTION

लेखक परिचय

सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar)
संपादक और लेखक : द सिक्रेट्स आफ़ युनिवर्स(‘The secrets of the universe’)

लेखिका भौतिकी मे परास्नातक कर रही है। उनकी रुचि ब्रह्मांड विज्ञान, कंडेस्ड मैटर भौतिकी तथा क्वांटम मेकेनिक्स मे है।

Editor at The Secrets of the Universe, She is a science student pursuing Master’s in Physics from India. Her interests include Cosmology, Condensed Matter Physics and Quantum Mechanics

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