उत्तरायण और दक्षिणायण

उत्तरायण और दक्षिणायन समान क्यों नही


उत्तरायण : 21 मार्च से 23 सितम्बर – 186 दिन
दक्षिणायन: 23 सितम्बर – 21 मार्च -179 दिन

प्रश्न : दोनो अयन की अवधि समान क्यो नही ?

उत्तर : उत्तर जानने से पहले हम कुछ आधारभूत जानकारी देखते है।


सबसे पहले पृथ्वी की सूर्य परिक्रमा कक्षा वृत्ताकार नही है, यह दीर्घवृत्ताकार है। जो कि केप्लर के पहले नियम के अनुसार है।

उत्तरायण और दक्षिणायण
उत्तरायण और दक्षिणायण

केप्लर का पहला नियम : सभी ग्रहों की कक्षा की कक्षा दीर्घवृत्ताकार होती है तथा सूर्य इस कक्षा के दो नाभिक मे से एक नाभिक (focus) पर होता है।

अब पृथ्वी की कक्षा मे गति भी समान नही होती है, यह गति सूर्य के समीप होने पर बढ़ जाती है और दूर रहने पर कम होती है। यह केप्लर के द्वितिय और तृतिय नियम के अनुसार है।

केप्लर का द्वितीय नियम: ग्रह को सूर्य से जोड़ने वाली रेखा समान समयान्तराल में समान क्षेत्रफल तय करती है।

केप्लर का तृतीय नियम : ग्रह द्वारा सूर्य की परिक्रमा के कक्षीय अवधि का वर्ग, अर्ध-दीर्घ-अक्ष (semi-major axis) के घन के समानुपाती होता है। दूसरा चित्र देखे। इसके अनुसार A1 और A2 दूरी को तय करने मे लगने वाला समय समान है।

चित्र १: केप्लेर के तीनो नियमों का दो ग्रहीय कक्षाओं के माध्यम से प्रदर्शन (1) कक्षाएँ दीर्घवृत्ताकार हैं एवं उनकी नाभियाँ पहले ग्रह के लिये (focal points) ƒ1 and ƒ2 पर हैं तथा दूसरे ग्रह के लिये ƒ1 and ƒ3 पर हैं। सूर्य नाभिक बिन्दु ƒ1 पर स्थित है। (2) ग्रह (१) के लिये दोनो छायांकित (shaded) सेक्टर A1 and A2 का क्षेत्रफल समान है तथा ग्रह (१) के लिये सेगमेन्ट A1 को पार करने में लगा समय उतना ही है जितना सेगमेन्ट A2 को पार करने में लगता है। (3) ग्रह (१) एवं ग्रह (२) को अपनी-अपनी कक्षा की परिक्रमा करने में लगे कुल समय a13/2 : a23/2 के अनुपात में हैं।
केप्लेर के तीनो नियमों का दो ग्रहीय कक्षाओं के माध्यम से प्रदर्शन (1) कक्षाएँ दीर्घवृत्ताकार हैं एवं उनकी नाभियाँ पहले ग्रह के लिये (focal points) ƒ1 and ƒ2 पर हैं तथा दूसरे ग्रह के लिये ƒ1 and ƒ3 पर हैं। सूर्य नाभिक बिन्दु ƒ1 पर स्थित है। (2) ग्रह (१) के लिये दोनो छायांकित (shaded) सेक्टर A1 and A2 का क्षेत्रफल समान है तथा ग्रह (१) के लिये सेगमेन्ट A1 को पार करने में लगा समय उतना ही है जितना सेगमेन्ट A2 को पार करने में लगता है। (3) ग्रह (१) एवं ग्रह (२) को अपनी-अपनी कक्षा की परिक्रमा करने में लगे कुल समय a13/2 : a23/2 के अनुपात में हैं।

पृथ्वी सूर्य के समीप की स्थिति वाली कक्षा मे 23 सितम्बर – 21 मार्च के मध्य रहती है और 3 जनवरी को सूर्य के सबसे निकट रहती है। इस अवधि मे पृथ्वी कक्षा की छोटी तो है ही साथ ही परिक्रमा गति भी अधिक है। इस दूरी को पृथ्वी केवल 179 दिन मे पूरी कर लेती है।

पृथ्वी सूर्य के अधिक दूरी वाली स्थिति मे 21 मार्च से 23 सितम्बर के मध्य रहती है और 3 जुलाई को सबसे अधिक दूरी पर होती है। इस अवधि मे पृथ्वी कक्षा की लंबी तो है ही साथ ही परिक्रमा गति भी कम है। इस दूरी को पृथ्वी 186 दिन मे पूरी कर लेती है।

8 विचार “उत्तरायण और दक्षिणायन समान क्यों नही&rdquo पर;

    1. डेसीबल एक लागरिथमीक पैमाना है, इसमे मूल्य अपने पिछले मूल्य से दस गुणा अधिक होता है। 1100dB की ध्वनि उत्पन्न करना संभव ही नही है, इसके लिये जितनी ऊर्जा चाहिये होगी वह किसी आकाशगंगा के समस्त पिंडॊ की कुल ऊर्जा से भी अधिक है।

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  1. सर,
    सूर्य 252 किमी./सेकन्ड की गति से नेबुला के चारों ओर घूमता है
    क्या सूर्य की इस गति का प्रथ्वी की अक्षीय व व्रत्तीय गतियों पर कोई प्रभाव पड़ता है

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