“अपडेट :4 जुलाई 2012″ स्टीफन हाकिंस अपनी शर्त हार चुके है। हिग्स बोसान खोज लिया गया है।“

कुछ वर्षो पहले के समाचारो के अनुसार अविख्यात ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी स्टीफन हाकिंग ने एक शर्त लगायी थी कि CERN का लार्ज हेड्रान कोलाइडर(LHC) हिग्स बोसान की खोज मे असफल रहेगा। हिग्स बोसान जिसे “ईश्वर कण(God particle)” भी कहा जाता है, को शुरुवाती ब्रह्माण्ड मे भारी कणो के द्रव्यमान के लिए उत्तरदायी माना जाता है।
स्टीफन हाकिंग के इस दावे ने भौतिक विज्ञान के क्षेत्र मे एक हलचल मचा दी थी। स्काटिश वैज्ञानिक पीटर हिग्स ने इसे निजी चुनौती के रूप से लिया क्योंकि यह कण उन्ही के नाम पर है। उन्के अनुसार यह स्टीफन हाकिंग की चुनौती “मृत राजकुमारी डायना की आलोचना” के जैसी है।
अधिकतर भौतिक विज्ञानी मानते है कि हिग्स बोसान का आस्तित्व है तथा इसका प्रायोगिक सत्यापन एक औपचारिकता मात्र है। यह औपचारिकता लार्ज हेड्रान कोलाइडर(LHC) को चलाने के पश्चात पूरी हो जायेगी और हिग्स बोसान खोज लिया जायेगा। अधिकतर वैज्ञानिक मानते है कि स्टीफ़न हाकिंग विवादास्पद और धारा के विपरीत विचारो के लिए जाने जाते है और यह(शर्त) भी उन्ही प्रयासो मे से एक है।
लेकिन हिग्स बोसान अभी तक नही पाया गया है। मार्च 31,2010 के पश्चात 70 खरब इलेक्ट्रान वोल्ट की अभूतपूर्व ऊर्जा स्तर तक पहुंचने के पश्चात एलएचसी ने जो आंकड़े उत्पन्न किये है, उसके विश्व भर मे फैले संगणको के नेटवर्क द्वारा विश्लेषण के पश्चात भी हिग्स बोसान की उपस्थिती के प्रमाण नही मीले हैं। 22 अगस्त 2011 को मुंबई के टाटा इन्सीट्युट आफ फंडामेंटल रीसर्च मे हुये “लेप्टान -फोटान पारस्परिक-क्रिया” केन्द्रित द्विवार्षिक अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी मे CERN के वैज्ञानिको ने एक रहस्योद्घाटन किया। CERN के वैज्ञानिको के अनुसार LHC ने 145 से 466 खरब इलेक्ट्रान वोल्ट की ऊर्जा स्तर पर प्रयोग किये है तथा हिग्स बोसान के आस्तित्व के नही होने की संभावना 95% है।
हिग्स बोसान की खोज एक सांख्यीकीय खोज है , जिसमे एक ऐसे कण को खोजना होता है, जो LHC के अंदर अत्यंत उच्च ऊर्जा पर प्रोटानो के टकराव से उत्पन्न हो सकता है। इस खोज मे इस टकराव से उत्पन्न कणो की ऊर्जा , कणो की दिशा की जांच के अतिरिक्त इन कणो के हिग्स बोसान कण के क्षय से उत्पन्न होने की संभावना जैसे कारको का ध्यान रखना होता है। इन सभी जांचों का परिणाम एक प्रायिकता(probability) होती है, जैसे 95% या 99%। परंपरागत रूप से किसी कण के आस्तित्व के प्रमाणन के लिए इस संभावना का 99.99997%* होना आवश्यक होता है।
मुंबई मे प्रकाशित परिणामो के अनुसार ये संभावना विपरीत है। इसके अनुसार 95% संभावना है कि LHC द्वारा प्रयुक्त ऊर्जा स्तर 145 -466 खरब इलेक्ट्रान वोल्ट के मध्य हिग्स बोसान का आस्तित्व नही है। लेकिन 5% संभावना है कि इन ऊर्जा स्तरो के मध्य यह कण कहीं छुपा हो सकता है। सबसे महत्वपूर्ण है कि 114 – 145 खरब इलेक्ट्रान वोल्ट की ऊर्जा स्तर इस कण के होने की संभावना को नकारा नही गया है, इस ऊर्जा स्तर पर फर्मी लैब प्रयोग कर रही है। लेकिन हिग्स बोसान के छिपने की जगह कम होते जा रही है। कम ऊर्जा स्तर को छोटे कण त्वरक जैसे फर्मीलैब के टेवाट्रान(Tevatron) या CERN के LEP से जांचा जा सकता है, लेकिन दोनो हिग्स बोसान की खोज मे असफल रहे है। शायद हिग्स बोसान का आस्तित्व ही नही है।
CERN इस वर्ष के अंत तक हिग्स बोसान की खोज मे लगा रहेगा और यदि कोई सकारात्मक परिणाम नही आये तो सारे विश्व के वैज्ञानिको का विरोध करते स्टीफन हाकिंग जीत जायेंगे। इस परिणाम मे अमरीकी कांग्रेस को CERN के प्रत्युत्तर सुपरकंडक्टींग सूपर कोलाइडर(Superconducting Super Collider) के रद्द करने के निर्णय पर खुशी होगी कि उसने करदाताओं के अरबो डालर को एक ऐसे कण की खोज मे व्यर्थ जाने से बचा लीया, जिसका आस्तित्व ही नही है।
लेकिन यदि हिग्स बोसान का आस्तित्व नही है तो ब्रह्माण्ड मे द्रव्यमान कहां से आया ? हिग्स बोसान मानक प्रतिकृति सिद्धांत(Standard Model) की निंव का एक मजबूत पत्थर है, इसके ना रहने पर यह सिद्धांत ही भरभराकर गिर पड़ेगा। हमे किसी नये सिद्धांत की खोज करनी पड़ेगी। 1967 के प्रसिद्ध शोधपत्र मे स्टीवन वेनबर्ग का विद्युत-चुंबकिय(Electro-Magnetic) तथा कमजोर नाभिकिय बलों(Weak Forces) के एकीकरण का सिद्धांत हिग्स बोसान द्वारा सममिती विखंडन तथा परिणाम स्वरूप विद्युतचुंबकिय बल के कमजोर बलो से पृथक्करण पर आधारीत था। इस शोधपत्र मे उन्होने मानक प्रतिकृति से आगे जाते हुये टेक्नीकलर (Technicolor)का सिद्धांत प्रस्तुत किया था जिसके अनुसार ब्रह्माण्ड की आदिम सममिती का विखंडन हिग्स बोसान के बीना भी संभव था। टेक्नीकलर सिद्धांत के सत्यापन के लिए आवश्यक ऊर्जा स्तर LHC द्वारा प्रयुक्त ऊर्जा स्तर से कहीं ज्यादा है। इस ऊर्जा स्तर को पाने के लिए धन राशी उपलब्ध होना वर्तमान विश्व अर्थ व्यव्स्था मे संभव नही लगता है।
==================================================================
श्रोत : आमीर डी एक्जेल के लेख पर आधारित
(*5 सीग्मा Sigma = 99.99997)
टाटा इन्सीट्युट आफ फंडामेंटल रीसर्च कण भौतिकी(Particle Physics) की खोजों मे एक जाना माना संस्थान है और हर भारतीय के गर्व करने योग्य संस्थान है।
A note for mad people
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Good discovery
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Kya god particle ke bina prithvi ka koi astitwa hai….?
पसंद करेंपसंद करें
हिग्स बोसान के बिना ब्रह्मांड का अस्तित्व ही नहीं होता।
पसंद करेंपसंद करें
Reblogged this on oshriradhekrishnabole.
पसंद करेंपसंद करें
this is a good summry for science
पसंद करेंपसंद करें
aap ki jankari me kuch galat aaya hai ..
sahi maay ne me to kuch aur hi chal raha hai .
kutch aaise result bhi aaye hai jisko media ke samne nahi rakha gaya hai…
पसंद करेंपसंद करें
निशांत जी,
यह पोष्ट पुरानी है। पोष्ट लिखे जाने के समय तक हिग्स बोसान पाये जाने की संभावना कम होते जा रही थी।
पसंद करेंपसंद करें
बढ़िया जानकारी। यह तो वही बात हो गयी खोदा पहाड़ निकली चुहिया।
पसंद करेंपसंद करें
Can I use your articles on our website http://www.dakhalandazi.com. We don’t make profit and by this way you may get a new readership. if any doubt please call me- mobile- 7499219770
पसंद करेंपसंद करें
आप इस साइट के लेखो का प्रयोग कर सकते है यदि आप इस लिन्क के नियमो का पालन करे।
पसंद करेंपसंद करें
bahut achchhi jankari dene ke liye dhanyad.
पसंद करेंपसंद करें
ज्ञानवर्धक
धन्यवाद
पसंद करेंपसंद करें
अच्छी जानकारी लेकिन कुछ या अधिक कम समझ आई। जल्द ही कोशिश करता हूँ इन बातों को समझने की।
पसंद करेंपसंद करें
ज्ञानवर्धक जानकारी
way4host
पसंद करेंपसंद करें
ज्ञानवर्धक! post ……… dhanyawaad
पसंद करेंपसंद करें
बहुत सही जानकारी ज्ञानवर्धक
धन्यवाद
पसंद करेंपसंद करें
ज्ञानवर्धक!
पसंद करेंपसंद करें