
पृथ्वी के काफी समीप लगभग 210 लाख प्रकाश वर्ष दूर एक नये सुपरनोवा विस्फोट को देखा गया है। 25 अगस्त 2011 को देखे गये इस सुपरनोवा के बारे मे खगोलविदो का मानना है कि इस सुपरनोवा को उन्होने “विस्फोट के कुछ ही घंटो बाद”* खोज निकाला है। यह आधुनिक दूरबीनों और संगणको के प्रयोग से यह दुर्लभ उपलब्धि प्राप्त हुयी है।
पृथ्वी के इतने समीप और इतनी जल्दी सुपरनोवा की खोज से खगोलविज्ञानी काफी उत्साहित है और उन्होने हर उपलब्ध दूरबीन को इस सुपरनोवा की ओर मोड़ दिया है, जिसमे हब्बल अंतरिक्ष वेधशाला भी शामील है।
इस सुपरनोवा को PTF 11kly नाम दिया गया है, यह विस्फोट पीनव्हील आकाशगंगा(Pinwheel Galaxy) मे हुआ है। यह आकाशगंगा “बीग डीप्पर(Big Dipper)” क्षेत्र मे है जिसे उर्षा मेजर(Ursa Major constellation) नक्षत्र मंडल भी कहा जाता है। इस सुपरनोवा की खोज पालोमर ट्राजीएन्ट फ़ैक्टरी सर्वे (PTF) ने की है। इस सर्वे का उद्देश्य किसी भी खगोलीय घटना को घटते समय ही पता लगाना है।
सप्तऋषि तारा मंडल उर्षा मेजर नक्षत्र का ही एक भाग है।
इस सुपरनोवा को देखने वाली वेधशाला बार्कले लैब के वैज्ञानिक पीटर नाट के अनुसार
“हमने इस सुपरनोवा को विस्फोट के तुरंत पश्चात* ही देख लिया है। PTF 11kly हर मिनिट के साथ चमकीला होते जा रहा है। PTF 11kly का निरिक्षण किसी जंगल की सैर के जैसे है।”
PTF सर्वे रात्री आकाश के निरिक्षण के लिए पालोमर वेधशाला दक्षिण कैलीफोर्निया स्थित एक 48 इंच की रोबोटिक सैमुअल आस्चिन दूरबीन(Samuel Oschin Telescope) का प्रयोग करता है। निरिक्षण के तुरंत पश्चात आंकड़ो को विश्लेषण के लिए 400 मील दूर NERSC की प्रयोगशाला मे भेजा जाता है। इस प्रयोगशाला ने इन आंकड़ो के प्राप्त होने के कुछ ही घंटो मे सुपरनोवा का पता लगा लिया था। PTF 11kly के पता चलने के तुरंत पश्चात स्वचालित प्रणाली ने पृथ्वी की सभी वेधशालाओं की दूरबीनो को इस सुपरनोवा की ओर मोड़ने के लिए आंकड़े भेज दिये थे।
स्वचालित PTF के द्वारा सुपरनोवा उम्मीदवार के पता लगाने के तीन घंटे पश्चात कैनरी द्विप स्पेन की वेधशालाओं ने सुपरनोवा के हस्ताक्षर वाला प्रकाश पकड़ लीया था। इस घटना के 12 घंटो के अंदर ही लीक वेधशाला कैलीफोर्नीया, केक वेधशाला हवाई द्विप ने पक्का कर दिया कि यह एक Ia वर्ग का सुपरनोवा है।
Ia वर्ग के सुपरनोवा विशेष होते है, इनका प्रयोग ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति मापने के लिए होता है। इस सुपरनोवा विस्फोट के निरिक्षण से हमे और गहरायी से इन रहस्यो को समझने मे सहायता प्राप्त होगी। अब सारे विश्व की वेधशालाओ की नजरे अगले कुछ सप्ताह इस सुपरनोवा पर गड़ी रहेंगी।
नोट : *यह सुपरनोवा पृथ्वी से 210 लाख प्रकाश वर्ष दूरी पर है अर्थात यह घटना 210 लाख प्रकाश वर्ष पहले हो चुकी है। इस सुपरनोवा से प्रकाश के पृथ्वी तक पहुंचने मे लगने वाले समय 210 लाख वर्ष के कारण हम इस घटना को वर्तमान मे देख रहे है। इस लेख मे “तुरंत पश्चात” अथवा “विस्फोट के कुछ ही घंटो बाद” का तात्पर्य यह है कि इस सुपरनोवा विस्फोट के “तुरंत पश्चात की घटना” देख रहे है। इसके पहले सुपरनोवा के विस्फोट के तुरंत पश्चात की घटनाओं का निरीक्षण संभव नही हो पाया था।
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अब स्पष्ट है -शुक्रिया!
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आशीष जी कभी कभी ऐसे वाक्यांश भ्रमित कर जाते हैं -जब यह ढाई करोड़ प्रकाश वर्ष दूर है तब विस्फोट होते ही इसे कैसे देखा जा सकता है -कृपया जनता जनार्दन के लिए भी व्याख्या करें !
“हमने इस सुपरनोवा को विस्फोट के तुरंत पश्चात ही देख लिया है।
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अरविंद जी,
फुटनोट लगा दिया है।
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आभार।
जब भी इस तरह के समाचार पढने को मिलते हैं, मन में एक डर सा कौंधता है कहीं अपने तारे का नम्बर न आ जाए। 🙂
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कसौटी पर शिखा वार्ष्णेय..
फेसबुक पर वक्त की बर्बादी से बचने का तरीका।
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जाकिर जी,
अपने तारे का भी नंबर आयेगा, बस 5 अरब वर्ष पश्चात ! तब तक इंतजार किजीए !
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