किसी ब्रह्मांडीय पिंड से आने वाला प्रकाश रंगो की विस्तृत श्रेणी मे आता है, जिसमे से हर रंग विद्युत चुंबकिय विकिरण की एक विशिष्ट तरंग से संबधित होता है। हब्बल अंतरिक्ष वेधशाला दृश्य प्रकाश की तरंगो के अतिरिक्त अन्य हजारों तरह की तरंगो जैसे अवरक्त, पराबैंगनी तरंगो को भी ग्रहण कर सकता है।
[इस लेख को पढ़ने से पहले इसका पहला भाग पढ़े।]
खगोलिय पिंड प्रकाश की भिन्न भिन्न तरंगो पर भिन्न रूप से दिखते हैं। हब्बल दूरबीन कुछ विशिष्ट फिल्टरो का प्रयोग कर अवांछित तरंगो को हटा देती है तथा वांछित तरंगो से ही चित्र लेती है।
फिल्टर कार्य कैसे करते है?

फिल्टर कार्य कैसे करते है, इसे समझने के लिये बाजू का चित्र देंखे। इस चित्र मे एक पीले रंग के कांच वाली खीड़की है। इस खीड़की के एक ओर पर पर यदि साधारण प्रकाश डाला जाये, तब दूसरी ओर केवल पीले रंग का प्रकाश दिखायी देता है। यह कैसे होता है?
कांच साधारण प्रकाश को पीले रंग मे नही बदल रहा है! कांच पीले रंग के अलावा बाकि सभी रंगो को अवशोषित कर ले रहा है और केवल पीले रंग हो पार होने दे रहा है, जिससे हम दूसरी ओर पीला रंग ही देख पा रहे है। यह सभी वस्तुओं के साथ होता है, लाल रंग का सेब , लाल रंग के अतिरिक्त सभी रंग के प्रकाश को अवशोषित कर लेता है, जिससे सेब हमे लाल दिखायी देता है। सफेद चूना कोई रंग अवशोषित नही करता इसलिए सफेद दिखायी देता है, वही श्यामपट सभी रंग को अवशोषित कर लेता है और काला दिखायी देता है। ध्यान दें सफेद अर्थात सभी रंगो की मौजूदगी तथा काला अर्थात सभी रंगों की अनुपस्थिति।
विभिन्न फिल्टरों के प्रयोग से लिए गये चित्र

फिल्टरो की इसी कार्यपद्धति का प्रयोग हब्बल दूरबीन करती है। वह हर अंतरिक्ष के पिंड का चित्र अलग अलग फिल्टर के साथ लेती है। यह इसलिए किया जाता है कि हर फ़िल्टर से ली गयी तस्वीर उस पिंड के विशिष्ट गुण को उभारती है। [बाजू की तस्वीर देंखे, इस तस्वीर मे आकाशगंगा एन जी सी 1512 की तस्वीर भिन्न फिल्टरो के प्रयोग से ली गयी है। ] जैसे अवरक्त(infrared) फिल्टर से ली गयी तस्वीर उस पिंड के विभिन्न भागों के तापमान के अंतर को दिखाती है। स्वाइन फ्लू के प्रकोप के दौरान पर इसी तकनीक के प्रयोग से किसी ज्वर से पिड़ीत व्यक्तियों का पता लगाया जा रहा था। एक्स रे फिल्टरों का प्रयोग कर श्याम विवरो की खोज की जाती है क्योंकि श्याम विवर एक्स रे का उत्सर्जन करते है। श्याम विवरो के अस्तित्व का प्रमाण भी सीग्नस एक्स 1(Cygnus X 1) की एक्स रे तस्वीर से मिला था।
निचे दी गये चित्र मे विभिन्न फिल्टरो से लिये गये आकाशगंगा एन जी सी 1512के चित्रो के विस्तार से दर्शाया गया है। ध्यान दिजीए कि एक ही पिंड के विभिन्न फिल्टरों से लिए गये चित्र कितने भिन्न हो सकते है।

अगले भाग मे
भाग 3 : प्राकृतिक, प्रतिनिधि तथा उन्नत रंग
Sir i think there is a mistakeसफेद चूना कोई रंग अवशोषित नही करता इसलिए सफेद दिखायी देता है, वही श्यामपट सभी रंग को अवशोषित कर लेता है और काला दिखायी देता है। ध्यान दें सफेद अर्थात सभी रंगो की मौजूदगी तथा काला अर्थात सभी रंगों की अनुपस्थिति। white color is absence of every color and black is presence.
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नही, काला अर्थात रंगों की अनुपस्थिति और सफेद अर्थात सभी रंगों की उपस्थिति।
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sir humaare surye ke sabse nikat kon Sa Tara hai aur kitni door
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प्रोक्सिमा सेन्टारी 4 प्रकाश वर्ष दूर।
भूपेंद्र अपने अपने प्रश्न सही जगह “प्रश्न आपके उत्तर हमारे” पर रखो, यहां आगे से उत्तर नहीं मिलेगा।
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sir kya aap ye bata sakte hair ki WiFi password kaise hack hota hai android phone se plz mujhe pata hai ki hacking galat hai par plz ek do method bata dejeeye
mujhe apne dost ka karna hai uske aur mere beech chhoti si bet lagi hai plz sir
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Wifi हैक करना गैर कानूनी है! मै इसे बता सकता हुं लेकिन बताउंगा नही!
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sir kya Hindi me aisi website hai jisme inter ke science ka pura silebus ho
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मेरी जानकारी मे नही।
भूपेन्द्र, आप अपने प्रश्न “प्रश्न आपके उत्तर हमारे” पर ही पुंछे, अन्य स्थानो पर आपके प्रश्नो का उत्तर नही दिया जायेगा।
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sir hydrojen bomb ki ki desho par hai
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1952: अमरीका ने पहली बार एच-बम का परीक्षण प्रशांत महासागर में स्थित मार्शल आइलैंड के एनेवीटेक एटोल पर किया।
1953: सोवियत संघ ने मध्य साइबेरिया में एच-बम का परीक्षण किया।
1957: ब्रिटेन ने एच-बम का अपना पहला परीक्षण प्रशांत महासागर के क्रिसमस आसलैंड पर किया।
1967: चीन ने एच-बम का अपना पहला परीक्षण शिनजियांग क्षेत्र के मलान में किया।
1968: फ्रांस ने थर्मोन्यूक्लियर बम का अपना पहला परीक्षण दक्षिणी प्रशांत महासागर में फैनगेटाफा एटोल के ऊपर किया।
1998: भारत ने राजस्थान के पोखरण में परीक्षण किया और थर्मोन्यूक्लियर बम फोड़ने करने का दावा किया।
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sir Drevo or gaso me vidhut dhara dhan tatha rin dono aayeno se behti hai kyo
aur yadi kisi nadi me bijli ka taar daal de to kya vidhut dhara puri nadi me fell jayegi
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द्रवो और गैसो से बिजली का उत्पादन अधिक नही होगा, इन मे मुक्त आयन बहुत कम होते है।
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sir aavesh kya hai aur vidhut dhara kaise behti hai aur usme aavesho ka parwah kyo hota hai
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आज से हजारों वर्ष पूर्व करीब 600 ई. पू. में यूनान के वैज्ञानिक थेल्स ने पाया कि जब अम्बर नामक पदार्थ को ऊन के किसी कपड़े से रगड़ा जाता है तो उसमें छोटी-छोटी वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करने का गुण आ जाता है। वह गुण जिसके कारण पदार्थ विद्युतमय होते हैं, ‘विद्युत’ (electricty) कहलाता है। जब आवेश किसी तार या चालक पदार्थ में बहता है तो उसे धारा विद्युत (current electricity) कहते हैं। आवेश दो प्रकार के – धनात्मक आवेश (+ve charge) व ऋणात्मक आवेश (-ve charge) होते हैं।
जिन पदार्थों से होकर विद्युत आवेश सरलता से प्रवाहित होता है, उन्हें चालक कहते हैं तथा वे पदार्थ जिनसे होकर आवेश का प्रवाह नहीं होता है, अचालक कहलाते हैं। लगभग सभी धातुएं, अम्ल क्षार, लवणों के जलीय विलयन, मानव शरीर आदि विद्युत चालक पदार्थों के उदाहरण हैं तथा लकड़ी, रबड़, कागज, अभ्रक, आदि अचालक पदार्थों के उदाहरण हैं।
आवेश के प्रवाह को विद्युत धारा कहते हैं। ठोस चालकों में आवेश का प्रवाह इलेक्ट्रॉनों के एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानांतरण के कारण होता है। जबकि द्रवों जैसे- अम्लों, क्षारों व लवणों के जलीय विलयनों तथा गैसों में यह प्रवाह आयनों की गति के कारण होता है। यदि किसी परिपथ में धारा एक ही दिशा में बहती है तो उसे दिष्ट धारा (Direct current) कहते हैं तथा यदि धारा की दिशा लगातार बदलती रहती है तो उसे ‘प्रत्यावर्ती धारा’ (alternating current) कहते हैं।
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kya badal rui ke jaisa nahi hota vistaar me bataiye
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ठण्ड में जो कोहरा होता है वह कम ऊंचाई वाले बादल होते हैं। बादल रुई जैसे दिखते है लेकिन कोहरे के जैसे होते है।
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humaare sormandal me aur bhi grah hone ki sambhaawna hai kya
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अत्यंत कम।
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sir aapne kon kon se course kiye hai
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मैं इंजीनियर हूँ। बी ई कंप्यूटर विज्ञान
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kya humara sareer parkash gati se yaatra kr sakta hai
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कोई भी वस्तु प्रकाश गति से नहीं चल सकती।
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aapne ek post me ye likha hai यदि हम अपने सबसे तेज रफ़्तार वाले यान न्यु
हारीजोंस की गति को देखे तो वह लगभग
50,000 किमी/घंटा से चल रहा है, इस गति से हमे
केप्लर-452b तक पहुचने मे 2.6 करोड़ वर्ष लग जायेंगे।
aur aapne abhi ye bataya tha ki humare pass keval 40 km/s ka yaan hai
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दोनों जानकारी सही है। वो न्यू हरीजोंस की जानकारी छह महीने पुरानी है ये नई है।
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badal me paani kaise jata hai
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समुद्र, तालाबो के पानी के भाप बनने से। यही भाप बादल बनती है।
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त्रीआयामी छवि ka kya MATLAB hai
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लम्बाई, चौड़ाई और गहराई। 3 D.
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sir aapne kaha tha ki Bharat se ek hi aadmi rakesh sharma abhi tak space me gye hai par Maine suna hai ki kalpna chavla aur other mahila bhi space me gai hai Bharat ki aur se
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कल्पना चावला का जन्म भारत मे हुआ था लेकिन वे अमरीकी नागरीक बन गयी थी। सुनिता विलियम्स के पिता भारत जन्मे थे लेकिन वे अमरीका चले गये थे और सुनिता अमरीका मे ही पैदा हुयी थी।
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sir ph.D kitni year ki hoti hai aur isme lagbhag kharcha kitna aata hai
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ये जानकारी आपको कालेज के प्रोफ़ेसर ही दे सकते है, मै शैक्षिक जगत से काफ़ी दूर हुं।
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hum insaano per abhi tak kitni tej udhane wala yaan hai MATLAB abhi tak aadmio ne kitne veg se chalne wala yaan banaya hai
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अमरीकी अंतरिक्ष यान जुनो, गति ४० किमी/सेकंड
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sir jab hum apni aankh per ungli se dabaaw daalte hai to hame do do vastue kyo dikhai deti hai
dusra ques. hame 2 aankho se do pratibimb kyo nahi dikhai dete
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भूपेंद्र, आपके इस प्रश्न का उत्तर पहले भी दे चुका हुं। हमारा मस्तिष्क दोनो आंखो से प्राप्त संकेतो से एक त्रीआयामी छवि बनाता है। जब आप एक आंख पर दबाव बनाते है तब आंखो से प्राप्त संकेतो को मस्तिष्क ठीक से मिला नही पाता और आपखो दो छवि दिखायी देती है।
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डाप्लर प्रभाव क्या है
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यह लेख देखें : डाप्लर प्रभाव तथा लाल विचलन
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sir Bharat aur NASA walo ki space me abhi tak kitni setelight hai.
kya setelight me insaan rehte hai vistaar me batao
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कुल मिलाकर अभी विश्व मे 2500 उपग्रह पृथ्वी की कक्षा मे है। केवल एक उपग्रह ISS(International Space Station) मे एक समय मे तीन अंतरिक्ष यात्री रहते है।
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sir surya ka dravyamaan aur playan veg kitna hota hai aur surya par gurutvye tvaran kitna hota hai
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सूर्य का द्रव्यमान : 1.989 × 10^30 kg
सूर्य का पलायन वेग 11.2 किमी/सेकंड
सूर्य पर g = 274. 2
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jab foton ka dravamaan sunya hota hai to WO gurutvakarshan se parbhavit kyo hot a hai
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फोटान(अन्य सभी परमाण्विक कण भी) दोहरा व्यवहार रखता है, एक कण के जैसे भी और ऊर्जा तरंग के जैसे भी। यह माना जाता है कि फोटान का द्रव्यमान नही होता है लेकिन वह गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित भी होता है। एक शून्य द्रव्यमान के कण को गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित नही होना चाहिये।
हम जानते हैं कि द्रव्यमान और ऊर्जा एक ही है। अर्थात ऊर्जा को दो तरह से देखा जा सकता है, स्थिर ऊर्जा(Energy at Rest) और कार्यरत ऊर्जा (Energy at Work)। इसमे से स्थिर ऊर्जा(Energy at Rest) का अर्थ ही द्रव्यमान होता है।
आपका यह कथन सही है “These sub physical vibrations convert in to physical mass at the time of formation of matter (opposite to the nuclear reaction).”
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sir TV remont ko kaise catch karta hai
aur dish signal kaise pakadta hai aur sabhi dish ek hi disha me kyo lage hote hai
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टी वी का रीमोट infrared (अवरक्त) किरणे उत्सर्जित करता है, टीवी मे अवरक्त किरणो का एक सेंसर लगा रहता है वो इन अवरक्त किरणो को पकड़ लेता है।
डिश एंटीना पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे भूस्थानिक कक्षा के उपग्रहो से रेडीयो संकेत पकड़ते है। भूस्थानिक कक्षा के उपग्रह पृथ्वी पर एक ही स्थान पर रहते है , उनकी परिक्रमा गति और पृथ्वी की घूर्णन गति समान होती है। डिश एंटीना की दिशा इन उपग्रहो की ओर होती है।
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sir prathvi ka aaytan aur paridhi kitni hai
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पृथ्वी का आयतन : 1.08321×1012 km3 (2.59876×10^11 cu mi)
परिधी : 40,075 km
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sir Maine padha hai ki koi bhi vastu rangeen nahi hoti unme rang surya ke parkaash ka hota hai to parkaash ki anupasthiti me raat me bhi kuchh vastuo me ham rang dekh sakte hai kyo
aur agar kisi vastu par bahut samay ya dino se parkaash nahi pada hai usme bhi hum rang dekh sakte hai kyo
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ये पढ़ो : https://vigyanvishwa.in/2014/08/11/colors/
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sir jab us vastu se parkash hi nahi nikalta hai to fir us vastu se wapas foton kaise nikalte hai please detail me samjhaiye
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फोटान का अर्थ दृश्य प्रकाश ही नही होता है। फोटान की आवृत्ति (Frequency) एक बड़े वर्णक्रम मे होती है, जिसका एक बहुत छोटा भाग हम देख पाते है, इसी भाग को दृश्य प्रकाश कहा जाता है। बाकि सारे स्पेक्ट्रम को हमारी आंखे नही देख पाती है।
यह आवश्यक नही है कि किसी पदार्थ द्वारा उत्सर्जित फोटान को आप प्रकाश रूप मे देखे, उसे आप उष्मा के रूप मे महसूस कर सकते है, या एक्स रे जैसे उपकरण से जांच सकते है।
आप के टीवी के रीमोट से अवरक्त(infrared) आवृत्ति मे फोटान निकलते है जिन्हे आप नही देख सकते लेकिन टीवी उन्हे पकड़ लेता है!
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sir Maine gk me aatma ka dravamaan padha hai kya vaastav me scientisto ne aatma ka mass maap rakha hai
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बकवास खबर है वह! कोरी अफ़वाह!
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sir jab kisi vastu par surya ka parkaash girta hai to vastu dwara photon avshosit kar liye jaate hai aur vastu ki energy badh jaati hai jisse vastu se electrono ka utsarjan hota hai yahi kirya prathvi par bahut adhik matra me hoti hai MATLAB prathvi par jitni bhi vastuo par parkash padta hai unse electrono nikalte hai ye itne saare electron jaate kaha hai.
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यह प्रश्न गलत है! वस्तु द्वारा फोटान के अवशोषण से उसकी ऊर्जा बढ़ जाती है, यहाँ तक ठीक है लेकिन उस वस्तु द्वारा इलेक्ट्रान का उत्सर्जन नही होता है, उस वस्तु द्वारा भी फोटान का ही उत्सर्जन होगा!
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sir kya b.tak karne ke baad bhi scientist ban sakte hai.
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B Tech से आप इंजीनियर बनेंगे, वैज्ञानिक नही! आप चाहे तो B Tech के बाद वैज्ञानिक बनने का प्रयास कर सकते है लेकिन वह रास्ता लंबा होगा!
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sir PhD karne ke baad turant hi ban jayenge ya fir koi forme wagehre dalna padega please mujhe scientist banne ka pura raasta bata do.
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जब आप PhD कर रहे होते है तब आप एक वैज्ञानिक ही होते है! इस समय आपको स्कालरशीप भी मिलती है!
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sir dravamaan or urja ko n to utpan kiya Ja sakta or n nast kiya Ja sakta hai to
fir ek orat ki kokh me bachcha kaise utpan hota hai kya us orat ka dravamaan ghat ta hai aur
agar usse urja prapt karke bachcha banta hai to jitni urja ko badalkar 1bachcha banta hai utni urja to manusya se itni jaldi utpan karna namumkin hai.
aur manusya ka bachcha ek manusya hi kyo hota hai ek anye animals kyo nahi isme science ka kya kehna hai
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1. हम जो भी कुछ भोजन करते है वह हमारे शरीर की मांस पेशीयो मे परिवर्तित होता है। यही प्रक्रिया किसी शिशु के माँ की कोख मे होती है। माता द्वारा किया गया भोजन शिशु के विकास मे सहायक होता है।
2. किसी शिशु का जन्म माता द्वारा उत्पन्न डिंब तथा पिता के शुक्राणु के मिलन से होता है। इस प्रक्रिया मे माता और पिता के गुणसुत्र मिलते है। ये गुणसुत्र ही शिशु की रूपरेखा तय करते है। यह प्रक्रिया सभी प्राणियो/वनस्पति मे होती है। हर प्राणी का गुणसुत्र भिन्न होता है। एक तरह से गुणसुत्र को आप किसी भी प्राणी का नक्शा कह सकते है।
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sir please answer me and help me
sir physics ke scientist banne ke liye kon kon se courses karne jaroori hai.aur
1.jaldi se jaldi kaise bane
ya 2. achche se achche kaise bane
aur ek aur baat
kya aap scientist hai nahi hai to kya aap scientist banna chahte hai
agar aap nahi banna chahte ho to kyo?
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भौतिक विज्ञान मे वैज्ञानिक बनने के लिये आपको पहले 12 वी गणित तथा भौतिकी लेकर करनी होगी। उसके बाद IISc, TIFR जैसे संस्थानो से BSc/BS , MSc/MS करना होगा। अंत मे PhD.
वैज्ञानिक बनने का शार्टकट नही है।
मै वैज्ञानिक नही हुं, एक इंजीनियर हुं। मेरे वैज्ञानिक नही बनने के पीछे नीजी कारण है और अब मेरे लिये समय निकल चुका है।
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maaf karna sir mera sawal ye tha ki surya ka ghat ta mass Ja kaha raha hai air kya earth ka mass ghat raha hai
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1. सूर्य के द्रव्यमान का कुछ भाग ऊर्जा मे परिवर्तित हो कर सौर मंडल मे फैल रहा है।
2. कुछ भाग सौर मंडल मे सौर वायु के रूप मे वितरित हो रहा है, इसका भी कुछ भाग सौर मंडल से बाहर आकाशगंगा मे फैल रहा है।
3. पृथ्वी का द्रव्यमान बढ़ रहा है। पृथ्वी पर हर क्षण अंतरिक्ष से धूल, उल्काये गिरती रहती है। यह मात्रा कम है लेकिन इससे किंचित मात्रा मे ही सही द्रव्यमान बढ़ रहा है।
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sir ye Jo surya ka mass ghat raha hai ye kaha Ja raha hai.
aur Jo surya ka parkaash earth par aata hai kya isse earth ka mass badh raha hai
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ये लेख देखें : https://vigyanvishwa.in/2014/07/18/sunweightloss/
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tarang kya hai
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तरंग (Wave) का अर्थ होता है – ‘लहर’। भौतिकी में तरंग का अभिप्राय अधिक व्यापक होता है जहां यह कई प्रकार के कंपन या दोलन को व्यक्त करता है। इसके अन्तर्गत यांत्रिक, विद्युतचुम्बकीय, ऊष्मीय इत्यादि कई प्रकार की तरंग-गति का अध्ययन किया जाता है।
किसी तरंग का गुण उसके इन मानकों द्वारा निर्धारित किया जाता है
1.तरंगदैर्घ्य (Wavelength) – कोई साइन-आकार की तरंग, जितनी दूरी के बाद अपने आप को पुनरावृत (repeat) करती है, उस दूरी को उस तरंग का तरंगदैर्घ्य (wavelength) कहते हैं। तरंगदैर्घ्य, तरंग के समान कला वाले दो क्रमागत बिन्दुओं की दूरी है। ये बिन्दु तरंगशीर्श (crests) हो सकते हैं, तरंगगर्त (troughs) या शून्य-पारण (zero crossing) बिन्दु हो सकते हैं। तरंग दैर्घ्य किसी तरंग की विशिष्टता है। इसे ग्रीक अक्षर ‘लैम्ब्डा’ (λ) द्वारा निरुपित किया जाता है। इसका SI मात्रक मीटर है।

2.वेग (speed)
3.आवृति (frequency) – कोई आवृत घटना (बार-बार दोहराई जाने वाली घटना), इकाई समय में जितनी बार घटित होती है उसे उस घटना की आवृत्ति (frequency) कहते हैं। आवृति को किसी साइनाकार (sinusoidal) तरंग के कला (phase) परिवर्तन की दर के रूप में भी समझ सकते हैं। आवृति की इकाई हर्त्ज (साकल्स प्रति सेकण्ड) होती है।
एक कम्पन पूरा करने में जितना समय लगता है उसे आवर्त काल (Time Period) कहते हैं।
4.आयाम (Amplitude)
तरंग के प्रकार
गति की दिशा तथा कम्पन की दिशा के सम्बन्ध के आधार पर
1.अनुप्रस्थ तरंग (transverse wave) – इसमें तरंग की गति की दिशा माध्यम के कम्पन की दिशा के लम्बवत होती है।
2.अनुदैर्घ्य तरंग (longitudenal wave) – इसमें तरंग की गति की दिशा माध्यम के कम्पन की दिशा के में ही होती है।
तरंग की प्रकृति के आधार पर
1.यांत्रिक तरंगे – जैसे ध्वनि, पराश्रव्य तरंग (ultrasonic waves), पराध्वनिक (supersonic), जल के सतह पर उठने वाली तरंग, आदि
2.विद्युतचुम्बकीय तरंग – जैसे प्रकाश, उष्मा एवं एक्स-रे आदि
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surya kya hai
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सूर्य अथवा सूरज सौरमंडल के केन्द्र में स्थित एक तारा है जिसके चारों तरफ पृथ्वी और सौरमंडल के अन्य अवयव घूमते हैं। सूर्य हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा पिंड है और उसका व्यास लगभग १३ लाख ९० हज़ार किलोमीटर है जो पृथ्वी से लगभग १०९ गुना अधिक है। ऊर्जा का यह शक्तिशाली भंडार मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का एक विशाल गोला है। परमाणु विलय की प्रक्रिया द्वारा सूर्य अपने केंद्र में ऊर्जा पैदा करता है। सूर्य से निकली ऊर्जा का छोटा सा भाग ही पृथ्वी पर पहुँचता है जिसमें से १५ प्रतिशत अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाता है, ३० प्रतिशत पानी को भाप बनाने में काम आता है और बहुत सी ऊर्जा पेड़-पौधे समुद्र सोख लेते हैं। इसकी मजबूत गुरुत्वाकर्षण शक्ति विभिन्न कक्षाओं में घूमते हुए पृथ्वी और अन्य ग्रहों को इसकी तरफ खींच कर रखती है।
सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग १४,९६,००,००० किलोमीटर या ९,२९,६०,००० मील है तथा सूर्य से पृथ्वी पर प्रकाश को आने में ८.३ मिनट का समय लगता है। इसी प्रकाशीय ऊर्जा से प्रकाश-संश्लेषण नामक एक महत्वपूर्ण जैव-रासायनिक अभिक्रिया होती है जो पृथ्वी पर जीवन का आधार है। यह पृथ्वी के जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है। सूर्य की सतह का निर्माण हाइड्रोजन, हिलियम, लोहा, निकेल, ऑक्सीजन, सिलिकन, सल्फर, मैग्निसियम, कार्बन, नियोन, कैल्सियम, क्रोमियम तत्वों से हुआ है। इनमें से हाइड्रोजन सूर्य के सतह की मात्रा का ७४ % तथा हिलियम २४ % है।
इस जलते हुए गैसीय पिंड को दूरदर्शी यंत्र से देखने पर इसकी सतह पर छोटे-बड़े धब्बे दिखलाई पड़ते हैं। इन्हें सौर कलंक कहा जाता है। ये कलंक अपने स्थान से सरकते हुए दिखाई पड़ते हैं। इससे वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि सूर्य पूरब से पश्चिम की ओर २७ दिनों में अपने अक्ष पर एक परिक्रमा करता है। जिस प्रकार पृथ्वी और अन्य ग्रह सूरज की परिक्रमा करते हैं उसी प्रकार सूरज भी आकाश गंगा के केन्द्र की परिक्रमा करता है। [[इसको परिक्रमा करनें में २२ से २५ करोड़ वर्ष लगते हैं, इसे एक निहारिका वर्ष भी कहते हैं। इसके परिक्रमा करने की गति २५१ किलोमीटर प्रति सेकेंड है।
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Reblogged this on oshriradhekrishnabole.
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hm salam karte hai apki is lagan ko apko tahe dil se salam
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केवल एक
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sir please muje ap ye bataiye ki photo or video cemara kis tarha kam karta he
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bahut achha work
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VERY NICE BLOG. THANX!
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Thanks for this work.
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nice Sir
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आज का आकर्षण बना है आपका ब्लोग है ज़ख्म पर और गर्भनाल पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
अवगत कराइयेगा । http://redrose-vandana.blogspot.com
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Ji aap ab apne agle lekho me relativity, quantum mechanics, theory of everything jaise siddhanto ke bare me likhiye. Ye bhi bataiye ki in siddhanto me abhi kya baki hai jo abhi tak gyat nahi hua hai.
.
Unsolved theory of physics ke bare me likhiye…
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Ji aap kuchh apne bare mein bhi bataye. Aap karte kya hain? Aapki age kya hai? Aap rahte kaha hain?
Aapki facebook id kya hai? Etc…
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Ji Dhanyawaad!
Aap bahut udarwadi kism ke insan hain. Main aapse aur aapke karyo se bahut adhik prabhavit hu.
Main chahta hu ki aap isi tarah apne karyo ke dvara sansar me jane jaye.
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aapse anurodh hai ki aap bhautiki ke un niyamo ke bare me bataiye jinki khoj abhi tak nahi hui hai. Theorical me…
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अनमोल जी,
मैने आपको एक विस्तृत मेल भेजा है!
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theory of everything by stephen hawking ke bare me bhi apna koi lekh deejiye. Ya phir book ko translate karke chapwa deejiye.
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Aur ha, agar aapko pata ho to ye bataiye ki book kaise chapwai jati hai? Kitne paise lagte hai? Etc
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aur ha.. Hame book ka title sonchne me dikkat ho rahi hai. Kya aap madad kar sakte hain?
Ye kuchh topics hain jinke bare me puri charcha us book me hogi…
Brahmand ki utpatti
bhavishya me jana sambhav hai
black hole theory
big bang theory
theory of relativity
quantum yug
moolbhoot bal
tare kaise bante hai, kaha bante hain.
Vedo me brahmand sambandhi wo bate jo aaj siddh ho chuki hain
einstein ki short biography
einstein ke jeevan se jude bahut se tathya…
Einstein related stories
Bhautik vigyan me abhi kaun kaun si theorical problem hai jo solve nahi hui hain.
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dekhiye, hame aapki site ke lekh bahut pasand aa gaye hain aur hum chahte hain ki ye lekh aam jan tak bhi pahuche.
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Isliye hum inhe pustak ke roop me chhpwana chahte hain.
Per us pustak me keval aapke hi lekh nahi honge. Brahmaand aur bhautiki sambandhi aur bhi jankariya hongi. Iske alawa us book me einstein ki short biography aur einstein se sambandhit sabhi jankariya bhi hongi.
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Matlab hum use eak puri tarah gyanvardhak roop dena chahte hain.
Aur haan, hum aapke lekho ko edit bhi kar sakte hain. Wo isliye kyunki maan liya aapne kisi topic pe jo jankari di hai, usi topic pe hame dusri jagah se aur jankari mil gayi. To ab dono ko jodna bhi to padega na… Ha per mool bhav nahi badalne denge…
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Aur jaha tak naam ki baat hai, prastavna me hum sabhi sahi bat likh denge ki ye matter kaha kaha se liya gaya hai. Aur aapka naam vishesh rahega kyunki aapka matter useme 50% se jyada rahega.
Ab aap bataiye, aapko koi aapatti to nahi hogi? Ye bhi bata deejiye ki usme kiska naam likhna hai ? Matlab aap akele likhte hain ya aur koi bhi shamil hai blog likhne me?
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Aur eak baat bata deejiye ki aap apni site me ye matter kaha se likhte hain? Wo isliye kyonki book me kuchh galat jankari na chhap jaye.
Aur kahi koi rachna kalpanik na ho…
Aur eak baat bata deejiye, ki bhautik vigyan sambandhi hindi me aur jankari aapki blog ke alawa hame aur kaha se mil sakti hai?
Dhanyawaad
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bahut achha aalekh hai….
agar main aapki is site ke lekho ki book banwkar chhapwa du, to aaapko koi aapatti to nahi hogi?
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आप इस साईट के लेखो को पुस्तक के रूप में छपवा सकते है, मेरी अपेक्षा यही है कि आप लेखक के रूप में मुझे तथा इस साईट को उचित श्रेय दे! आप इन लेखो के मूल लेखक होने का दावा नहीं करेंगे!
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बेहद श्रमसाध्य कार्य्।
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बहुत श्रम से तैयार किया है आपने यह आलेख।
आपकी इस लगन को सलाम करने को जी चाहता है।
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ब्लॉगसमीक्षा की 27वीं कड़ी!
क्या भारतीयों तक पहुँचेगी यह नई चेतना ?
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ji oewsome iske bad to bas aapse milna chahta hu
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ji mujhe bhautic vigyan par projects mile hain to mian enke bare likhna chahta hu to mujhe sare mettar hindi main chahiye ky a aap meri help kar sakte hain
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आप प्रश्न किजिये, उत्तर देने का प्रयास रहेगा.
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आप अवश्य मिल सकते है, मै बैगलोर मे रहता हु
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