श्याम पदार्थ की खोज आकाशगंगाओं के द्रव्यमान की गणनाओं मे त्रुटियों की व्याख्या मात्र नही है। अनुपस्थित द्रव्यमान समस्या ने ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के सभी प्रचलित सिद्धांतों पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिये हैं। श्याम पदार्थ का अस्तित्व ब्रह्माण्ड के भविष्य पर प्रभाव डालता है।
महाविस्फोट का सिद्धांत(The Big Bang Theory)
1950 के दशक के मध्य मे ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति का नया सिद्धांत सामने आया, जिसे महाविस्फोट का सिद्धांत(The Big Bang) नाम दिया गया। इस सिद्धांत के अनुसार ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति एक महा-विस्फोट के साथ हुयी। इस सिद्धांत के पीछे आकाशगंगाओं के प्रकाश मे पाया जाने वाला डाप्लर प्रभाव(Dopler Effect) का निरीक्षण था। इसके अनुसार किसी भी दिशा मे दूरबीन को निर्देशित करने पर भी आकाशगंगाओं के केन्द्र से आने वाले प्रकाश मे लाल विचलन(Red Shift) था। (आकाशगंगाओं के दोनो छोरो मे पाया जाने वाला डाप्लर प्रभाव आकाशगंगा का घूर्णन संकेत करता है।) हर दिशा से आकाशगंगाओं के केन्द्र के प्रकाश मे पाया जाने वाला लाल विचलन यह दर्शाता है कि वे हमसे दूर जा रही हैं। अर्थात हर दिशा मे ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है।
महाविस्फोट के सिद्धांत के अनुसार सारा पदार्थ किसी समय एक बिंदु पर संपिड़ीत था। एक महाविस्फोट ने सारे पदार्थ को समान रूप से हर दिशा मे वितरित कर दिया। जैसा कि आज हम देखते है ,गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से इस पदार्थ ने गुच्छो मे जमा होकर ग्रहों, तारों तथा आकाशगंगाओं का निर्माण किया। इस महाविस्फोट से जनित विस्तार गुरुत्वाकर्षण को पार पाने मे सफल था, इसका प्रभाव आज भी हम एक दूसरे से दूर जाती हुयी आकाशगंगाओं(लाल विचलन के रूप मे) मे देख सकते है। (महाविस्फोट के सिद्धांत के बारे मे विस्तार से पढे।)
ब्रह्मांडीय पिण्डो का निर्माण: महाविस्फोट के सिद्धांत के साथ यह समस्या है कि वह हर दिशा मे समान रूप से वितरित ब्रह्माण्ड मे तारों, आकाशगंगाओं जैसे ब्रह्मांडीय पिण्डों के निर्माण की व्याख्या नही कर पाता है। ब्रह्मांडीय पदार्थ ने गुच्छे के रूप मे जमा होना कैसे और क्यों प्रारंभ किया ? एक सपाट समान रूप से वितरित ब्रह्मांड मे हर कण पर हर दिशा मे समान रूप से गुरुत्वाकर्षण बल का प्रभाव होना चाहीये, जिससे ब्रम्हांड को यथास्थिति मे रहना चाहिये। लेकिन किसी अज्ञात कारण से शुरुवाती गुरुत्वाकर्षण के कारण पदार्थ का गुच्छो के रूप मे बंधना शुरू हुआ और आकाशगंगाओं का निर्माण हुआ। भौतिक विज्ञानियों के अनुसार श्याम पदार्थ -विम्प इसका हल है। विम्प साधारण बार्योनिक पदार्थ के साथ केवल गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा प्रतिक्रिया करता है जिससे भौतिक विज्ञानियों के अनुसार श्याम पदार्थ आकाशगंगा के निर्माण मे “बीज” का कार्य कर सकता है। आकाशगंगा के निर्माण का कोई पूर्ण सफल माडेल नही है लेकिन एक सफल माडेल के लिए आकाशगंगा के निर्माण के लिए बड़ी मात्रा मे नान-बार्योनिक श्याम पदार्थ का होना आवश्यक है।
ब्रह्मांड का भविष्य : बंद, खूला तथा सपाट

ब्रह्माण्ड के भविष्य के तीन परिदृश्य है।
- यदि ब्रह्माण्ड बंद है, गुरुत्वाकर्षण विस्तार की गति को पकड़ लेगा तथा ब्रह्माण्ड सिकुड़ना प्रारंभ हो जायेगा, अंत मे ब्रह्माण्ड एक बिंदु के रूप मे संपिड़ित हो जायेगा। यह महाविस्फोट तथा महासंकुंचन के अनंत चक्र की संभावना दर्शाता है।
- यदि ब्रम्हाण्ड खूला है, ब्रम्हांड का विस्तार अनंत काल तक जारी रहेगा। इस अवस्था मे गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव ब्रम्हाण्ड के विस्तार से कम ही रहेगा।
- यदि ब्रह्मांड सपाट है, गुरुत्वाकर्षण बल अंततः ब्रह्माण्ड के विस्तार को रोक देगा लेकिन उसे वापिस खींच नही पायेगा। इस ब्रम्हाण्ड का संक्रमण घनत्व १ होगा।
ब्रह्माण्ड के विस्तार का अनुपस्थित द्रव्यमान से क्या संबंध है ?
सरल उत्तर है, ज्यादा द्रव्यमान, ज्यादा गुरुत्वाकर्षण ! ब्रह्माण्ड के बंद, खुले या सपाट होने की संभावना उसके कुल द्रव्यमान पर निर्भर है। यहीं पर श्याम पदार्थ चित्र मे आता है। श्याम पदार्थ के बिना संक्रमण घनत्व 0.1 तथा 0.01 के मध्य है तथा ब्रह्माण्ड खुला है। यदि श्याम पदार्थ की मात्रा ज्यादा है, हम एक बंद ब्रह्माण्ड मे है। यदि श्याम पदार्थ की मात्रा संतुलित मात्रा मे है, हम सपाट ब्रह्माण्ड मे है। श्याम पदार्थ की मात्रा ब्रह्माण्ड के भविष्य को तय करेगी।
ढेर सारे सिद्धांत
वैज्ञानिक एक के बाद एक नया सिद्धांत प्रस्तुत कर रहे है। कुछ विम्प(WIMP) के बारे सशंकित है, कुछ मानते है कि माचो(MACHO) कभी भी ब्रह्माण्ड के 90% भाग के बराबर नही हो सकते है। कुछ वैज्ञानिक जैसे एच सी आर्प, जी बर्बेगे, एफ़ होयल तथा जयंत विष्णु नारळीकर के अनुसार श्याम पदार्थ के जैसी विसंगतियां महाविस्फोट के सिद्धांत को खारीज करती है।
अनुपस्थित द्रव्यमान समस्या मानव जाति के ब्रह्माण्ड मे विशिष्ट स्थान को चुनौती दे रही है। यदि नान-बार्योनिक पदार्थ का अस्तित्व है, तब हमारा विश्व और मनुष्य जाति ब्रह्माण्ड के केन्द्र से और भी दूर हो जायेगी। डा. सडौलेट के अनुसार
यह एक परम कोपरनिकस क्रांति होगी। हम न ज्ञात ब्रह्माण्ड के केन्द्र मे है, ना ही हम ब्रम्हाण्ड के अधिकतर पदार्थ से निर्मित है। हम केवल थोड़े अतिरिक्त नगण्य तथ्य है तथा ब्रह्माण्ड हमसे पूरी तरह भिन्न है।
श्याम पदार्थ की खोज, ब्रह्माण्ड मे हमारी स्थिति के दृष्टिकोण को बदल देगी। यदि वैज्ञानिक नान-बार्योनिक श्याम पदार्थ के अस्तित्व को प्रमाणित कर देते है, इसका अर्थ होगा कि हमारा विश्व और उस पर जीवन ब्रह्माण्ड के नगण्य तथा तुच्छ हिस्से से निर्मित है। यह खोज हमारे दैनिक कार्य कलाप को प्रभावित नही करेगी लेकिन यह सोचना कि सारा ब्रह्माण्ड किसी अदृश्य अज्ञात वस्तू से बना है कितना अजीब होगा ?
अगला भाग मे एक और रहस्य.. श्याम ऊर्जा
Nice article sir ji
👉
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Awesome!
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sir jab mandakini andromida se takraye gi tab kya sab kuch nasht ho jaega. ..ya kuch fark nhi padega ??
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आकाशगंगाओ मे तारो के मध्य बहुत अंतराल, खाली जगह होती है। दो आकाशगंगा के टकराने मे तारो के मध्य टकराव नही होता है, दोनो आकाशगंगा एक दूसरे मे विलिन होती है। इस मामले मे दोनो आकाशगंगा मिलकर एक बड़ी आकाशगंगा बनायेगी। यह वास्तविकता मे टक्कर नही होगी, यह दोनो आकाशगंगा का विलय होगा।
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awesome articles …..
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Humari Prathvi naganya bhag he is brahmand ka,to hum ye sari jaankari leker kya karne ke uddesya me hai?
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ज्ञान की जिज्ञासा मानव का मूल स्वभाव है, वह कभी खत्म नही होगी।
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sir samajh nahi ata ki galaxies ek dusre se door ja rahi hai ya paas.
yadi door ja rahi hai to hum devyani se takrayenge kyu or yadi paas aa rahi hai to kaise kyuki dark energy to unhe door karti hai.
kya aisa hai ki clusters khud sikud rahe hai jabki dusre clusters se door ja rahe hai ? yadi haan to kyu please ex..pln
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क्या इंसान का पुनर्जन्म सम्भव है? चूँकि आत्मा और कुछ नही बल्कि ऊर्जा ही होती है और ऊर्जा कभी नष्ट नही होती है इसलिये पुनर्जन्म तो होता है लेकिन क्या इसका कोई वैज्ञानिक कारण है ये नही मालूम।इसलिये कृप्या आप इस बारे मे बताने का कष्ट करेँ।
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विज्ञान, आत्मा, पुनर्जन्म पर विश्वास नहीं करता है, वह इन विषयों पर मौन है!
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अगर सारी आकाश गंगाएँ हम से दूर जा रही हे तो क्या प्रथ्वी ब्रह्माण्ड का केंद्र हे?नहीं क्यों?
अगर सब एक दुसरे से दूर जा रहे हें इस भीढ़ में आपस में क्यों नहीं टकराते।?
please answer sir
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आपके प्रश्न का उत्तर यहाँ है https://vigyan.wordpress.com/2013/09/13/centerofuniverse/
आकाशगंगाये आपस में टकराती भी है, हमारी अपनी आकाशगंगा मंदाकिनी भी कुछ लाखों वर्ष बाद एनड्रोमीडा आकाशगंगा से टकरायेगी!
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आकाशगंगाओं और उनके सिरों के बीच अनुपात के दृश्य में काले पदार्थ, हम कल्पना कर सकते हैं कि जब संचित सामग्री के कुछ हिस्सों आकाशगंगा का एक हिस्सा हो सकता है, ब्रह्मांड की विशालता में सब कुछ संभव है.
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डार्क मैटर पर विस्तृत सामग्री – इन दिनों यह चर्चा में है !
निशांत जी ने जिस बिंदु को इंगित किया है वह हिन्दी विज्ञान लेखन का एक विवादित पहलू रहा है …अब मुझे भी लगने लगा है कि बहुत से पारिभाषिक शब्दों को जस का तस रखना चहिये ..हाँ शब्द के पहली बार आते ही उसे ठीक से इक्स्प्लेंन कर दें बस!
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Great , informative post Ashish ji , Thanks.
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यह बात मैं पिछली कुछ पोस्टों से कहना चाह रहा था कि अब डार्क मैटर, डार्क एनर्जी, ब्लैक होल, बिंग बैंग जैसे शब्द इतने परिचित लगने लगे हैं कि उनका शुद्ध हिंदी अनुवाद पढ़ना कुछ अटपटा सा लगने लगा है.
श्रृंखला निस्संदेह उच्चस्तरीय और ज्ञानवर्धक है.
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