
फ़्रेंच वैज्ञानिक जीन पिअरे सावेज(Jean-Pierre Sauvage) , ब्रिटेन मे जन्मे फ़्रेजर स्टोडार्ट(Fraser Stoddart) तथा डच वैज्ञानिक बर्नार्ड फ़ेरिंगा(Bernard “Ben” Feringa) को 2016 का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। उन्हे यह पुरस्कार आण्विक पैमाने पर कार्य करने वाली नन्ही मशीनो के निर्माण के लिये दिया गया है।
तीनो वैज्ञानिक 80 लाख क्रोनर(930,000 अमरीकी डालर) की पुरस्कार राशि साझा करेंगे। स्विडिश अकादमी के अनुसार उन्हे यह पुरस्कार रासायनिक ऊर्जा प्रदान करने पर उसे यांत्रिक ऊर्जा मे परिवर्तित कर नियंत्रित गतिविधि कर सकने वाली आण्विक मशीनो के अभिकल्पन और निर्माण के लिये दिया जा रहा है। (“design and synthesis” of molecular machines with controllable movements, which can perform a task when energy is added)
अकादमी के अनुसार इन मशीनो के प्रयोग से नए पदार्थ, संवेदक(sensors) तथा ऊर्जा संग्राहक प्रणालीयो(Energy Storage System) का निर्माण संभव हो पायेगा।
71 वर्ष के सावेज स्टार्सबर्ग विश्वविद्यालय(University of Strasbourg) मे प्रोफ़ेसर है तथा फ़्रांस के राष्ट्रीय विज्ञान शोध केंद्र(National Center for Scientific Research) मे निदेशक है।
74 वर्ष के स्टोडार्ट नार्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय एवान्स्टन इलिनोइस( Northwestern University in Evanston) मे रसायन प्रोफ़ेसर है।
65 वर्ष के फ़ेरिंगा ग्रोनिन्जेन विश्वविद्यालय(University of Groningen) निदरलैंड मे रसायन के प्रोफ़ेसर है।
स्विडिश अकादमी के अनुसार सावेज ने 1983 मे दो वलय आकार के अणुओं को एक श्रृंखला के रूप मे जोड़ने मे सफ़लता प्राप्त कर एक बड़ी सफ़लता प्राप्त की थी।
अगले कदम के रूप मे स्टोडार्ट ने 1991 मे एक आण्विक अक्ष(Molecular axle) को एक आण्विक वलय(Molecular Ring) मे पिरोने मे सफ़लता प्राप्त की थी।
फ़ेरिंगा ने 1999 मे सबसे पहली आण्विक मोटर(Molecular Motar) बनाने मे सफ़लता प्राप्त की थी जब उन्होने एक आण्विक रोटर ब्लेड हो समान दिशा मे घुर्णन कराने मे सफ़लता प्राप्त की थी।
इस खोज के मायने मानवता के लिए क्या हैं ?
यह हमे भविष्य में किस स्तर तक लेके जायेगा , या इसका प्रयोग भविष्य में हम मानव किस प्रकार से कर सकते हैं ?
निश्चित रूप से यह आविष्कार ऐतिहासिक एवं आधुनिक मानव को एक नयी दिशा प्रदान करने वाली है ऊपरी बात तो कुछ कुछ समझ आ रही है इस आविष्कार की, किन्तु इसका “deep impect ” क्या होगा ?
आशीष जी ! यदि इस पर आप कोई लेख लिखकर थोड़ा प्रकाश डाले सकें तो आपका आभार होगा,
यह विषय भी बहोत ही रोचक लग रहा हैं , और आपके सरल स्पष्ट लेखों से कुछ ज्ञान शायद हमे भी मिल जाये ।
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