इसमें तो कोई दो राय नहीं कि सूर्य है तो जीवन है। ग्रहण के समय यही धधकता आग का गोला चांद के पीछे ढक जाता है और कुछ समय के लिए धरती पर अंधेरा छा जाता है। आइये जानें सूर्य से जुड़ी दिलचस्प बातें।
दुर्लभ ग्रहण : हम धरती से पूर्ण सूर्य ग्रहण देख पाते हैं क्योंकि चंद्रमा धरती के काफी पास है, और इसीलिए ग्रहण के वक्त वह सूर्य को पूरी तरह से ढक पाता है। लेकिन चंद्रमा हर साल 2 सेंटीमीटर की दर से धरती से दूर जा रहा है। इसका मतलब ये हुआ कि करीब 60 करोड़ साल में चंद्रमा धरती से इतनी दूर होगा कि धरती से पूर्ण सूर्यग्रहण नहीं दिख सकेंगे।आंशिक या पूर्ण : पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा की स्थिति के आधार पर एक साल में दो से पांच बार तक सूर्यग्रहण ल :ग सकता है। पृथ्वी के उत्तरी या दक्षिणी ध्रुवों से केवल आंशिक सूर्य ग्रहण ही देखा जा सकता है। यूरोप में 20 मार्च, 2015 को पूर्ण सूर्यग्रहण दिखा था, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में स्थित इंडोनेशिया जैसे देशों में 9 मार्च, 2016 को दिखेगा।आंखों को खतरा : आम तौर पर सूर्यग्रहण 5 मिनट से लेकर 12 मिनट तक चल सकता है। इस अनोखी प्राकृतिक घटना को कभी भी नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए। इसके लिए विशेष तरह के चश्मे या माध्यम हैं, जो आपकी आंखों को सूर्य की तेज किरणों से बचा सकते हैं।सारा द्रव्यमान समेटे : हमारे सौरमंडल का करीब 99.86 फीसदी द्रव्यमान केवल सूर्य में ही है। इसका मतलब यह हुआ कि बाकी 0.14 फीसदी में ही सभी ग्रह और आकाशीय पिंड समाए हैं। हमारी आकाशगंगा में सूर्य करीब 220 किलोमीटर प्रति सेंकड की गति से यात्रा करता है। पूरी आकाशगंगा का एक चक्कर लगाने में सूर्य को भी 22 से 25 करोड़ साल लगते हैं।दानवी गुरूत्वाकर्षण : सूर्य में धरती के आकार के लगभग 10 लाख पिंड समा सकते हैं। धरती पर 70 किलोग्राम वजन वाले इंसान का भार सूर्य की सतह पर करीब 1,960 किलोग्राम होगा। इसका कारण यह है कि सूर्य पर गुरूत्व बल धरती के मुकाबले करीब 28 गुना ज्यादा होता है। सूर्य की सतह पर एक दिन धरती के 25.38 दिनों के बराबर होता है।धरती को निगलने वाला : सूर्य बेहद गर्म गैसों से बना एक गोला है जिसके केन्द्र का तापमान 1.5 करोड़ डिग्री सेल्सियस है। सूर्य का निर्माण करने वाली करीब 72 प्रतिशत गैस हाइड्रोजन है, जबकि इसका 26 प्रतिशत हिस्सा हीलियम का है। हर सेंकड सूर्य पर करीब 40 लाख टन हाइड्रोजन जलता है। जब हाइड्रोजन का भंडार जल कर खत्म हो जाएगा तब हीलियम जलेगा।ध्रुवों की अदला बदली : वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि हर 11 साल में सूर्य के ध्रुव बदल जाते हैं। यानि उत्तरी ध्रुव, दक्षिणी ध्रुव बन जाता है और दक्षिणी ध्रुव उत्तरी। सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र में अंतिम अदला बदली 2013 के अंत में दर्ज हुई।ऑरोरा(ध्रुविय ज्योति/मेरु ज्योति) की छटाएं : सूर्य की सबसे दिलचस्प रोशनी ऑरोरा के रूप में नजर आती है। ऐसा तब होता है जब आवेशित कणों वाली सौर वायु धरती के चुंबकीय क्षेत्र से टकराती है। धरती के वातावरण में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन गैसों और प्लाज्मा कणों के टकराने से निकलने वाली ऊर्जा हरे से रंग की रोशनी जैसी दिखती है। ऑरोरा केवल धरती ही नहीं, बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेपच्यून और मंगल ग्रहों पर भी बनते हैं।
आज से 5 अरब वर्ष पश्चात। इस समय सूर्य का ईंधन समाप्त हो जायेगा और वह अपनी मौत से पहले फूलना प्रारम्भ करेगा। वह इतना फूल जायेगा कि पृथ्वी उसमे समां जायेगी।
sir yah kaise pata ki sun 5 arab saal me khatm ho jayega, kya kisi kaaran se usse pehle nhi ho sakta.
means ki sun me kitni hydrogen hai kitni helium hai .
aur ye kab tak kitni matra se jalegi or kab samapt hogi.
yah sab kaise pata chalta hai jabki na koi satellite sun par gaya hai na hi spcecraft.
किसी पिंड का द्रव्यमान जानने के लिये उसके द्वारा निकट के पिंड पर डाले जाने वाले गुरुत्वाकर्षण से गणना की जाती है। उस तारे की संरचना जानने के लिये उससे निकलने वाले प्रकाश के वर्णक्रम की जांच की जाती है, हर पदार्थ का वर्णक्रम अलग होता है, इसे रामण प्रभाव भी कहते है। इस वर्णक्रम से पता चल जाता है कि उस तारे मे कौनसे पदार्थ की कितनी मात्रा है।
उस तारे से उत्सर्जित उष्मा से उसमे हायड्रोजन के जलने की दर पता चलती है, उससे उस तारे की शेष आयु पता चलती है। हिलियम की मात्रा से अब तक जल चूकी हायड्रोजन की मात्रा और तारे की आयु ज्ञात होती है।
यह मैने सरल रूप मे लिखा है, वास्तविक गणना थोड़ी जटिल होती है।
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द्वारा प्रकाशित
आशीष श्रीवास्तव
सूचना प्रौद्योगिकी में 22 वर्षों से कार्यरत। विज्ञान पर शौकिया लेखन : विज्ञान आधारित ब्लाग 'विज्ञान विश्व' तथा खगोल शास्त्र को समर्पित 'अंतरिक्ष' । एक संशयवादी (Skeptic) व्यक्तित्व!
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Thankyou sir
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बहुत ही दिलचस्प और ज्ञान वर्धक बाते बताई गयी है इस लेख में.
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sir kiya sun kabhi prathbi ko nigal sakta hai yadi han to keun or kense
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आज से 5 अरब वर्ष पश्चात। इस समय सूर्य का ईंधन समाप्त हो जायेगा और वह अपनी मौत से पहले फूलना प्रारम्भ करेगा। वह इतना फूल जायेगा कि पृथ्वी उसमे समां जायेगी।
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जब पृथ्वी खत्म हो जायगा तब क्या होगा
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सूर्य अपने चुम्बकिय ध्रुवों अदला बदली करता है! यह जानकर काफी आश्चर्य हुआ| सूर्य के ध्रुव परिवर्तित क्यों होते है?
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इसके पीछे का वास्तविक कारण अभी तक अज्ञात है!
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सूर्य, आकाश गंगा के केन्द्र का चक्कर 251 कि.मी प्रति सेकण्ड की रफ्तार से कर रहा है तो पृथ्वी का सूर्य के चक्कर लगाने की रफ्तार कितनी होती होगी??
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108,000 km/h
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sir yah kaise pata ki sun 5 arab saal me khatm ho jayega, kya kisi kaaran se usse pehle nhi ho sakta.
means ki sun me kitni hydrogen hai kitni helium hai .
aur ye kab tak kitni matra se jalegi or kab samapt hogi.
yah sab kaise pata chalta hai jabki na koi satellite sun par gaya hai na hi spcecraft.
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किसी पिंड का द्रव्यमान जानने के लिये उसके द्वारा निकट के पिंड पर डाले जाने वाले गुरुत्वाकर्षण से गणना की जाती है। उस तारे की संरचना जानने के लिये उससे निकलने वाले प्रकाश के वर्णक्रम की जांच की जाती है, हर पदार्थ का वर्णक्रम अलग होता है, इसे रामण प्रभाव भी कहते है। इस वर्णक्रम से पता चल जाता है कि उस तारे मे कौनसे पदार्थ की कितनी मात्रा है।
उस तारे से उत्सर्जित उष्मा से उसमे हायड्रोजन के जलने की दर पता चलती है, उससे उस तारे की शेष आयु पता चलती है। हिलियम की मात्रा से अब तक जल चूकी हायड्रोजन की मात्रा और तारे की आयु ज्ञात होती है।
यह मैने सरल रूप मे लिखा है, वास्तविक गणना थोड़ी जटिल होती है।
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वाह, आश्चर्यजनक जानकारियाँ, ऐसी जानकारी पढ़कर बहुत उत्सुकता मन में आती है, धन्यवाद
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