
संभवतः खगोलवैज्ञानिको ने सौर मंडल मे महा-पृथ्वी(Super-Earth) के आकार का नया ग्रह खोज लिया है!
खगोल वैज्ञानिको ने अटाकामा लार्ज मिलिमिटर/सबमिलिमिटर अरे(Atacama Large Millimeter/submillimeter Array (ALMA)) से प्राप्त आंकड़ो के अनुसार अल्फा सेंटारी तारे की दिशा मे एक दूरस्थ पिंड खोजा है। यह पिंड सौर मंडल के बाहरी भाग मे प्रतित हो रहा है और उसकी दूरी के अनुसार यह पिंड महाकाय-पृथ्वी के आकार का दसंवा ग्रह हो सकता है।
अल्मा वेधशाला सामान्यत: शीतल गैस तथा धूल द्वारा उत्सर्जित अत्यंत सूक्ष्म माइक्रोवेव तरंगदैधर्य वाली विकिरण(short microwave wavelengths) के मापन मे सक्षम है। लेकिन हमारे सौर मंडल की सीमा पर स्थित पिंड भी इसी तरंगदैधर्य(wavelength) पर प्रकाश उत्सर्जित करते है और वे भी अत्यंत शीतल तथा दूरस्थ पिंड होते है जिन्हे अवरक्त(infrared) वेधशाला से ही देखा जा सकता है। 2014 मे अल्मा ने अल्फा सेंटारी( A तथा B)[α Centauri A and B]युग्म तारों की दिशा मे एक धूंधला पिंड देखा था। यह पिंड इस वर्ष मई 2015 मे भी देखा गया और इस बार वह ज्यादा स्पष्ट था। यह पिंड अल्फ़ा सेंटारी युग्म तारामंडल से कुछ ही आर्कसेकंड(arcseconds) की दूरी पर है इसलिये यह माना जा सकता है कि यह इसी तारामंडल का ही भाग हो सकता है तथा यह इस प्रणाली का एक और तारा/ग्रह अल्फा सेंटारी D हो सकता है। सेंटारी तारामंडल जो कि तीन तारो(A,B तथा प्राक्सीमा) से बना है हमसे चार प्रकाशवर्ष दूर है। इस दूरी पर इस पिंड की दीप्ती के अनुसार यह पिंड एक भूरा वामन(Brown Dwarf) तारा हो सकता है। लेकिन इस तरह का भूरा वामन तारा अवरक्त दूरबीनो से स्पष्ट दिखायी देना चाहिये और ऐसी स्थिति मे इसकी खोज काफ़ी पहले ही हो जानी चाहीये थी। इसका अर्थ यह है कि इसके अल्फ़ा सेंटारी D होने की संभावना कम है।

यह पिंड अल्फा सेंटारी तारामंडल का भाग नही लग रहा है, इसलिये यह पिंड सौरमंडल के निकट तथा अपेक्षाकृत रूप से छोटा होना चाहिये। लेकिन केवल दो निरीक्षणो से इस पिंड की कक्षा ज्ञात करना सरल नही है। वर्तमान मे हम केवल उसकी दूरी तथा आकार का अनुमान ही लगा सकते है। ऐसी स्थिति मे तीन संभावनाये बनती है।
- प्लूटो के आकार का सौर मंडल का वामन ग्रह
- पृथ्वी के जैसे सौर मंडल का ग्रह
- दूरस्थ नन्हा तारा

प्लूटो के आकार का सौर मंडल का वामन ग्रह
पहली संभावना है कि यह 100AU पर एक नेप्च्यून बाह्य( trans-Neptunian objects) सौर मंडल का ग्रह है जोकि 86 AU पर स्थित वामन ग्रह सेडना(Sedna) से भी दूर है। ऐसी स्थिति मे यह सौर मंडल का सबसे दूरी पर स्थित ज्ञात सदस्य होगा लेकिन इसका आकार प्लूटो से भी कम होगा।
पृथ्वी के जैसे सौर मंडल का ग्रह
दूसरी संभावना के अनुसार यह पिंड यह 300 AU की दूरी पर पृथ्वी से 1.5 गुणा बड़ा ग्रह होना चाहिये। इस पिंड के खोजकर्ता इस संभावना पर जोर दे रहे है। इस स्थिति मे यह सौर मंडल मे महा-पृथ्वी के आकार का पहला ग्रह होगा। नेप्च्यून बाह्य ग्रहो(trans-Neptunian objects) की खोज मे एक या दो महा-पृथ्वी(Super-Earth)आकार के ग्रह होने की अटकले लगायी जाती रही है, इसलिये यह स्थिति भी संभव है। लेकिन इस संभावना पर इस पिंड की स्थिति प्रश्नचिह्न खड़ा कर रही है। अल्फा सेंटारी तारामंडल सौर मंडल के प्रतल(क्रांतिवृत्त/ecliptic) से 42 डीग्री दूरी पर है। अधिकतर सौर मंडल के पिंड क्रांतिवृत्त से कुछ अंश की दूरी पर ही है, तथा सेडना की कक्षा भी केवल 12 अंश का झुकाव लिये हुये है। इस तथ्य को ध्यान मे रखते हुये इस तरह की झुकी हुयी कक्षा वाले महा-पृथ्वी आकार के ग्रह की संभावना नगण्य है।
दूरस्थ नन्हा तारा
एक तीसरी संभावना के अनुसार यह पिंड 20,000 AU दूरी पर स्थित एक शीतल भूरा वामन तारा हो सकता है। इस तरह का पिंड भी अवरक्त किरणो मे दिखायी देना चाहिये। इस संभावना के अनुसार प्रश्न उठता है कि अभी तक के आकाश के सर्वेक्षण मे इसे क्यों नही खोजा गया। अल्फ़ा सेंटारी तारामंडल से निकटता के अनुसार इसे खोजना आसान होना चाहिये था।
इन सभी संभावनाओं और अटकलो को विराम लगाने के लिये इस पिंड के और निरीक्षण करने होंगे तथा अधिक आंकड़े जुटाने होंगे। इस पिंड की गति पर नजर रख कर या अन्य तरंगदैधर्य पर इस पिंड के निरीक्षण से हम इसके आकार और दूरी के बारे मे जान सकते है। यह एक वामनग्रह हो या महाकाय पृथ्वी या एक नन्हा तारा, लेकिन यह स्पष्ट है कि हमारे सौर मंडल की बाह्य सीमा पर कोई तो है!
स्रोत : http://arxiv.org/abs/1512.02652
1.dharti par antriksh se dhool aur sun-energy aati hai kya aur kuchh bhi ata hai.
dharti se antriksh me kya kya jata hai.
2.graho par girne wali antriksh dhool kaha se aati hai.
3.dharti ka akaar dhire dhire badh raha hai ya ghat raha hai.
4.kehte hai janglo se barish hoti hai,pedon ka barish se kya connection hota hai.
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1. धूल शब्द मे सभी तत्व आ जाते है। ये तत्व धूल के अतिरिक्त उल्काओं के रूप मे भी आते है। धरती से भी अंतरिक्ष मे सौर वायु के प्रभाव मे विभिन्न गैसे जाती है। क्षुद्रग्रह से टक्कर की स्तिथि मे अन्य तत्व भी जा सकते है।
2. ये धूल सौर मंडल के निर्माण के समय से मौजूद है। सौर मंडल के ग्रह/चंद्रमाऒ के निर्माण के बाद का बचा हुआ मलबा॒
3. धरती का आकार बढ़ रहा है लेकिन बहुत ही धीमे या नगण्य मात्रा मे!
4. जंगल वातावरण मे नमी पैदा करते है जिससे उनके उपर बादल संघनित होकर बारीश करते है।
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Good knowledge for me
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चंद्रमा पर गुरुत्वाक्रषन का मान प्रथवी के ke गुरुत्वाक्रषन का कितना गुना होता है ?
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Reblogged this on oshriradhekrishnabole.
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