सारे ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक एकाकी मानव होना कैसा लगेगा? जब आपसे हजारो किमी तक कोई सजीव वस्तु, मानव ना हो?
मानव सभ्यता के इतिहास में केवल सात लोग ऐसे हैं जो हम सभी से अलग हैं। और ये हैं अपोलो के कमांड मॉड्यूल के चालक अंतरिक्ष यात्री जिन्होंने चंद्रमा की कक्षा में बिल्कुल एकाकी समय बिताया। इस दौरान उनके सहकर्मी अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की सतह पर चहलकदमी कर रहे थे। जब ये अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की कक्षा में दूसरी ओर थे तो इनका बाकी सहकर्मी अंतरिक्ष यात्री और धरती से भी सम्पर्क पूरी तरह कट गया
था। इससे पहले उनसे ज़्यादा, शायद ही कोई ऐसे एकाकीपन से होकर गुज़रा हो। इन सात लोगों में अब केवल पांच जीवित हैं। बीबीसी फ्यूचर के लिए रिचर्ड होलिंगम (विज्ञान पत्रकार, बीबीसी फ़्यूचर) को अपोलो 15 कमांड मॉड्यूल के चालक एल वोर्डन से मिलने का मौका मिला। पहली नज़र में वे किसी वेटरन अंतरिक्ष यात्री की तरह ही नज़र आए। उत्तरी इंग्लैंड के यार्कशायर के एक भीड़-भाड़ वाले रेस्तरां में उनसे मुलाकात हुई। वे अपने प्रशंसकों से घिरे थे।
वोर्डन जुलाई, 1971 में चंद्रमा की यात्रा पर गए थे। उनके साथ कमांडर डेव स्कॉट और लूनर मॉड्यूल पायलट जिम इरविन थे। अपनी इसी चंद्रमा यात्रा के दौरान उन्होंने अबतक के ‘सबसे एकाकी इंसान‘ होने का रिकॉर्ड बनाया। जब यह रिकॉर्ड बना तो उनके साथी अंतरिक्ष यात्री उनसे 3,600 किलोमीटर दूर चंद्रमा की सतह पर थे। रिचर्ड होलिंगम ने अपनी मुलाकात में अपोलो अभियान की क़ामयाबी के बारे में वोर्डन से बात की। वैसे उनका अपोलो 15 अभियान वैज्ञानिक रूप से काफ़ी मुश्किल और चुनौती भरा था। उनसे बातचीत के अंश। प्रश्न: कमांड मॉड्यूल पायलट को इतिहास याद नहीं रखता, ये कम ग्लैमरस काम है? हर किसी की नज़र उन अंतरिक्ष यात्रियों पर होती है जो चंद्रमा की सतह पर उतरते हैं, लेकिन उनका काम सतह से पत्थरों को चुनना होगा। वे उसे चुनते हैं और लेकर आते हैं, जिसका बाद में विश्लेषण होता है। लेकिन वैज्ञानिक तौर पर, आप कक्षा से कहीं ज़्यादा जानकारी जुटा पाते हैं। मसलन मैंने ढेर सारी तस्वीरें लीं। चंद्रमा के बाहरी सतह की क़रीब 25 फ़ीसदी हिस्से की तस्वीरें लीं। उसको मैप भी किया, काफी कुछ चीजें थीं। शायद पहली बार ऐसा किया गया था।
प्रश्न: जब यान से चंद्रमा की सतह पर लैंड करने वाला हिस्सा अलग हुआ तो आपके दिमाग में क्या चल रहा था? पहली चीज़ तो उन्हें गुडलक कहना ही था। मैंने यही सोचा कि वे ठीक से लैंड करें। दूसरी चीज़ ये महसूस हुई कि अब अंतरिक्ष यान में मैं अकेला रहूंगा, सारी जगह मेरी है। इस तरह तीन दिन अकेले मैंने अंतरिक्ष यान में बिताए। प्रश्न:एकाकीपन नहीं महसूस हुआ? अकेले होना और एकाकीपन महसूस करना दो अलग अलग चीज़ें हैं। मैं अकेला था, लेकिन एकाकीपन नहीं था। मैं एयरफ़ार्स का फ़ाइटर पायलट रह चुका था तो मुझे अधिकतर उड़ानों में अकेले ही रहने का अनुभव था। मुझे कोई मुश्किल नहीं हुई। मैं डेव और जिम से भी ज़्यादा बात नहीं की, हालांकि एक बार जब उनकी लैंडिंग साइट के उपर आया तो उन्हें हाय बोला था। ह्यूस्टन में भी बात नहीं की।
प्रश्न:आप अपने घर से क़रीब ढाई लाख मील की दूरी पर थे? हाँ मैं घर से दूर था, लेकिन मुझे जो बात सबसे अच्छी लग रही थी वो ये थी कि मैं चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगा रहा था। जब मैं चंद्रमा के पृष्ठभाग में पहुंचता तो खिड़की में मुझे उदय हो रही पृथ्वी नज़र आती, इसे देखना अचरज भरा था। इसके अलावा मुझे अंतरिक्ष को नए नज़रिए से देखने का मौका मिला। मैंने इतने तारे देखे कि मुझे वे प्रकाश की परत जैसे नज़र आते। वे अरबों तारे थे। हमारी आकाशगंगा में अरबों तारे हैं और ऐसी आकाशगंगायें भी अरबों हैं तो आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ब्रह्मांड कितना बड़ा है। प्रश्न:इस बात ने एकाकीपन के अहसास को बढ़ाया नहीं? कभी चंद्रमा के पृष्ठभाग की ओर जाइए, आपको पता चलेगा कि हम तो कुछ भी नहीं हैं।
प्रश्न:आपने कहा कि ह्यूस्टन से संपर्क नहीं करना चाहते थे आप, इसकी कोई ख़ास वजह? मैं नहीं चाहता था कि मेरे कानों में कोई निर्देश पड़े। मुझे काफी काम करने थे, तो मैं उन्हें पूरा कर रहा था। सबकुछ ठीक चल रहा था, इसलिए ज़रूरत भी नहीं हुई।
प्रश्न:आप कितने व्यस्त थे वहां? आपके दिमाग में पृथ्वी और ब्रह्मांड को लेकर क्या चल रहा था? ये मजेदार था। जब आप वहां होते हैं तब इतना कुछ होता है करने को कि आपके पास सोचने का वक़्त नहीं होता। मैं 20 घंटे काम करता था, केवल तीन से चार घंटे सोने को मिलता था। आपके पास इतना समय ही नहीं होता कि आप कुछ और सोच सकें।
प्रश्न:बिना बातचीत के कैसा लगता था? हो सकता है मेरे अनुभव से उन्हें सीख मिले। हालांकि सबके अपने अलग अनुभव होते हैं। मुझे जो सीख मिली वो ये है कि आपको अपने सह यात्रियों के साथ बहुत दोस्ताना नहीं होना चाहिए। इससे आपका ध्यान काम पर लगा रहता है। पेशेवर तरीके से काम करना चाहिए अच्छे तरीक़े से, लेकिन हम शानदार दोस्त नहीं थे, इसका मुझे फ़ायदा मिला था।
प्रश्न:हमें लगता था कि आप दोस्त होंगे? अपोलो 12 के अंतरिक्ष यात्री आपस में दोस्त थे। पेटे कोनराड अपने सहयात्रियों को भाईयों जैसा मानते थे। आपको उनको देखिए, हमेशा तीनों साथ नज़र आते थे। हम इसके ठीक विपरीत थे, हमारी ट्रेनिंग एक साथ जरूर हुई थी, लेकिन सोशल लाइफ़ में भी हमारी ज़्यादा मेल जोल नहीं थी। इसने हमें एक टीम के तौर पर प्रभावी बनाया।
प्रश्न:आपके सहयात्री डेव स्कॉट और जिम इरविन ने चंद्रमा पर अपने पांवों के निशान छोड़े, जो वहां लाखों साल तक मौजूद रहेंगे। आपने ने भी अपना कोई निशान वहां छोड़ा, शायद पेशाब? असल में जब हम चंद्रमा की कक्षा में थे तो पेशाब टैंक को चंद्रमा पर खाली किया था। हमें पेशाब को बाहर निकालने के लिए वॉल्व को खोल देना होता था और फ़िर अपनी कक्षा को बदल लेना होता था ताकि हम इसके रास्ते से हट जाएं। हो सकता है ये अभी भी वहां हों। हालांकि चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण इतना नहीं होता कि कोई कण कक्षा में रुक पाए, इसीलिए वहां कोई वायुमंडल नहीं है। इसलिए मेरा अनुमान है कि वहां अब कुछ नहीं बचा होगा।
स्रोत : http://www.bbc.com/future/story/20130401-the-loneliest-human-being का हिंदी भावानुवाद
can you explain the end of the INTERSTELLAR movie?
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Agar neekat bhavishya me surya ki urja agar manushya ki (Hwa,Paani aur Bhojan) in saari jaroorto ko poora kr deti hai to hum bhi brhamand me ailen ki bhanti vichran kar sakte hai……
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ye mana jana param aavashyak hi ki agar manushya ko hawa,paani aur bhojan ki aavashyakta na ho to vo kisi bhi paryavarn ya brhmand me apne jeevan ke antim samaya tak akele rh sakta hai…..
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कभी चंद्रमा के पृष्ठभाग की ओर जाइए, आपको पता चलेगा कि हम तो कुछ भी नहीं हैं।……….kya ye vhi baat h jo me soch rha hu…….the top secret………. Mtlb insan akela nhi h is duniya me
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चंद्रमा का पृष्ठभाग सपाट है, गहरी खाईया , पर्वत जैसी संरचना नही है। जबकि चंद्रमा के हमारी ओर वाले हिस्से मे खाईयाँ और पर्वत सब है।
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मैने कहीं पढ़ा था कि अंतरिक्ष यात्रा मे यात्रियों द्वारा प्रयोग किया गया पीने का पानी दुबारा फ्यूल सेल मे प्रयुक्त होता है| और फिर प्राप्त शुद्ध जल पीने के लिये प्रयोग किया जाता है| क्या यह सही है?
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जी हाँ यह सही है, उनका मुत्र भी शुद्ध कर दोबारा पीने के कार्य मे लाया जाता है!
०४-०४-२०१५ को अ ४:१५ पर विज्ञान विश्व ने लिखा :
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Reblogged this on oshriradhekrishnabole.
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