हाल ही मे एक हिन्दी फिल्म आयी है ’मिस्टर ए़क्स” जिसमे नायक अदृश्य हो सकता है। कहानीयों मे , फिल्मो मे अदृश्य होने का कथानक नया नही है, एच जी वेल्स की कहानी ’The invisible man(अदृश्य मानव)‘ मे अदृश्यता का कथानक है। 50 के दशक मे आयी हिंदी फिल्म ’मिस्टर एक्स इन बांबे’ , 80 के दशक की ’मिस्टर इंडीया’ या कुछ वर्षो पहले आयी फिल्म ’गायब’ इन सभी मे नायक अदृश्य हो सकता है। हालीवुड की फिल्म ’The Hollow Man’ मे भी यही कथानक है। इस लेख मे हम चर्चा करेंगे कि क्या अदृश्य मानव संभव है?
सबसे पहले हम समझने है कि प्रयास करते है कि हमारी आंखे किसी वस्तु को कैसे देखती है?
हमारी आंखे किसी वस्तु को कैसे देखती है?
हमारी आंखे किसी कैमरे की तरह होती है। आंखो मे एक लॆंस और एक पर्दा होता है। इस परदे पर हमारी आंखो द्वारा देखे जा सकने वाली किसी भी वस्तु की छवि बनती है। लेंस पारदर्शी होता है जिससे जब हम किसी भी वस्तु को देखते है तब उस उस वस्तु द्वारा परावर्तित प्रकाश की किरणे आंखो के लेंस द्वारा हमारी आंखो के पर्दे अर्थात रेटिना पर केंद्रित की जाती है। रेटीना अपारदर्शी होता है, जिससे उस पर छवि बनती है। इस रेटिना मे दो तरह की प्रकाश संवेदक तंत्रिकायें होती है जिन्हे शंकु और राड कहते है। ये तंत्रिकाये उन पर पड़ने वाली प्रकाश किरणो को महसूस कर उन संकेतो को हमारे मस्तिष्क तक पहुंचाती है जिससे हमारा मस्तिष्क उस छवि को देख पाता है।
इस सारी प्रक्रिया मे महत्वपुर्ण है पारदर्शी लेंस और अपारदर्शी रेटिना, लेंस प्रकाश को केद्रित कर रेटिना पर छवि बना रहा है।
कोई दृश्य वस्तु क्या होती है ?

किसी भी वस्तु के हमारी आंखो द्वारा देखे जा सकने के लिये आवश्यक है कि उस वस्तु से परावर्तित प्रकाश हमारी आंखो तक पहुंचे। यदि उस वस्तु के आरपार प्रकाश निकल जाये तो उस वस्तु को देखा नही जा सकेगा। अर्थात वह वस्तु अदृश्य होगी। किसी मानव के अदृश्य होने का अर्थ है कि प्रकाश उसके शरीर के भी आर पार चला जाना चाहिये। उसी स्थिति मे मानव अदृश्य हो पायेगा। लेकिन इसका अर्थ यह भी होगा कि मानव शरीर पारदर्शी होगा, अर्थात आंखो के अंदर का रेटिना भी पारदर्शी होगा।
जब रेटिना भी पारदर्शी होगा तो छवि कहाँ बनेगी? जब छवि ही नही बनेगी तो हम देख ही नही पायेंगे! अर्थात अदृश्य मानव अंधा होगा।
तो क्या मानव अदृश्य होने पर मानव देख भी पाये इसका कोई उपाय नही है ?
अब हम एक हालीवुड की फिल्म “The Predator” की चर्चा करते है। इसमे खलनायक परग्रही प्रिडेटर अदृश्य होता है। प्रिडेटर एक कवचनुमा एक पोशाक पहने हुये होता है जो उसे अदृश्य कर देती है। इस स्थिति मे प्रिडेटर भी मानवों को सामान्य रूप से नही देख सकता है लेकिन उसका कवच मानवो द्वारा उत्सर्जित उष्मा को ग्रहण कर उसके मस्तिष्क तक उष्मीय छवि पहुंचाता है, जिससे प्रिडेटर मानवो की उष्मीय छवि(Thermal Image) देख पाता है।
क्या कहा ? समझ मे नही आया! एक दूसरा उदाहरण लेते है!
जिसे हम प्रकाश कहते है, वह विद्युत चुंबकिय विकिरण है। यह विकिरण एक बड़े विशाल पट्टे मे फैला है जिसे प्रकाश वर्णक्रम(Spectrum) कहते है। दृश्य प्रकाश इसका एक बहुत छोटा भाग है। हमारी आंखे दृश्य प्रकाश को ही महसूस कर सकती है ; उसके अतिरिक्त प्रकाश के किसी भी भाग को नही।

मोटे तौर पर कह सकते है कि प्रकाश के रंग दो प्रकार के हो सकते है :
दृश्य प्रकाश के रंग : लाल और बैगनी रंग के मध्य के सभी रंग। इन्हे हम देख सकते है। इन रंगो के लांखो शेड है लेकिन मूल रूप से तीन ही रंग माने गये है,लाल, हरा और नीला।
दृश्य प्रकाश बाह्य रंग : इन्हे हम देख नही सकते है, हमारे आंखो का रेटिना इन्हे महसूस नही कर पाता है। यदि किसी तकनिक से हम इन किरणो को महसूस कर उसससे बनने वाली छवि को मस्तिष्क तक पहुचा सके तो हम अदृश्य होने पर भी देख पायेगें। इन रंगो का उदाहरण है पराबैंगनी किरण, अवरक्त किरण, एक्स किरण, गामा किरण।
प्रिडेटर अदृश्य अवस्था मे इसी तकनीक का प्रयोग करता है, दृश्य प्रकाश उसके आरपार जाता है इसलिये वह दृश्य प्रकाश मे देख नही सकता है। लेकिन उसके कवच के उपकरण मानव के उष्मीय विकिरण अर्थात अवरक्त किरणो (infrared) को महसूस कर उसकी छवि उसके मस्तिष्क तक पहुंचाती है। इसलिये फिल्म के एक दृश्य मे अर्नाल्ड अपने शरीर पर किचड़ पोत लेता है जिससे उसके शरीर की उष्मीय किरणे दब जाती है और प्रिडेटर अर्नाल्ड को देख नही पाता है।
इसी तकनीक के प्रयोग से विमानस्थलो पर भीड़ मे किसी भी बुखारग्रस्त व्यक्ति की पहचान की जाती है।
अदृश्य विमान(Stealth Aircraft) कैसे काम करते है?

अब चर्चा करते है कि अदृश्य विमान(Stealth Aircraft) कैसे काम करते है। आममान मे उड़ रहे किसी विमान का पता दो तरह से लगाया जाता है।
1. विमान स्थित ट्रांसपोंडर – इसमे विमान मे एक ट्रांसपोंडर लगा होता है जो विमान की स्थिति जमीन पर के वायु यातायात नियंत्रण केंद्रो तक भेजते रहते है। यह सभी यात्री तथा व्यव्सायिक विमानो मे लगे होते है।
२. जमीन पर के राडार : इसमे जमीन पर के राडार रेडीयो तरंगो को आसमान मे चारो ओर प्रसारित करते है। ये तरंगे विमान से टकरा कर वापिस आती है तब राडार इन्हे पुनः प्राप्त करता है। इस तरह राडार द्वारा ग्रहण की गयी विमान द्वारा परावर्तित रेडीयो तरंगो से विमान की स्थिति पता चल जाती है। सारी प्रक्रिया आंखो द्वारा किसी वस्तु को देखे जाने जैसे ही है। आंखो की जगह राडार है, प्रकाश की जगह रेडीयो तरंग।
स्टील्थ विमा्नो पर राडार को चकमा देने के लिये इस तरह की धातु और पेंट का प्रयोग किया जाता है कि वे राडार की रेडियो तरंगो को अवशोषित कर लेते है, उसे परावर्तित नही करते है। इस तरह वे राडार से अदृश्य हो जाते है।
लेकिन ध्यान रहे वे राडार से अदृश्य है, मानव आंखे उन्हे देख सकती है, बशर्ते वे मानव आंखो द्वारा देखे जाने की सीमा मे हों!
black hole absorbs light and become invisible
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यदि भगवान है और वह अदृश्य हो तो इसका मतलब है कि वह अंधा है।
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भगवान या धर्म पर कोई टिप्पणी नहीं।
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इलका मतलब आप में खोजकर्ता के गुण नही है..आप science को अपना नही सकते..
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धर्म और ईश्वर पर आस्था निजी होती है, मै उसे सार्वजनिक रूप से व्यक्त नही करता।
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Kya alian Hote Hai yadi ha to kaha rahte hai.
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एलीयन होते है लेकिन वह कहा रहते है, किसी को ज्ञात नही है। उनके पृथ्वी पर आने की संभावना भी खगोलिय दूरीयों को देखते हुये नगण्य है।
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“मूल रूप से तीन ही रंग माने गये है,लाल, हरा और नीला।” rong statment मूल रंगहै, ‘लाल, नीला, और पीला।’ यदि नीले में पीला मिल जाये, तब हरा बन जाता है।
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http://en.wikipedia.org/wiki/RGB_color_model
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namste sir,
kisi object ko dekne ke liye prakash (light) zaroori hai to sir night vision cameras and doorbeen kaise kaam karte hai ??
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hamari eyes keval unhi vastuo ko dekh pati he jiska prakash hamari eye me pahuch paye to kya hum yadi vastu se aa rahe prakash ki disa badal de to bhi hume vastu nahi dikhegi?
tab to hame kisi manav ke samne aur vastu k bich koi aisa madyam lade jo prash ki disa badal de tab vo nahi dikhega.
aur aise hi do logo ki bich bhi kar sakte he aur manav nahi dikhega
sir please mere vichar soch kar mujhe bataiyega
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cloak naam se ek term use hoti hai jise scientist use karte hai. iske video bhi youtube par available hai jisme specific material se bane things ko pardarshi se apardarshi hote hue dikhaya hai. https://www.youtube.com/watch?v=wxH1rmOTpFA
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kya men pyrene time jaisi ki
prachin kal me narad Adria ho ke ek place se dusre place pahuch jata tha
kya ye sambhab hi
please bataye
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वे सब कथाये है इतिहास नही
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कथाये मष्तिष्क में जन्म कहा से लेती है।
अगर सब कुछ कथा था तो उसमे स्वयं के नियमो के विरोधी बाते क्यू लिखी गयी।
क्या सम्पूर्ण दुनिया की हर एक कथा काल्पनिक है या वो सभी सत्य।
कथाओं का निर्माण मनोरंजन के लिए किया जाता है तो सभी कथाओं में आपसी संबंध क्यू है
जबकि सारी कथाएं एक ही पीढ़ी ने तो नहीं बनाई होगी।
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यह सामान्य है कि कथाओं , जनश्रुतियो मे बातों को बड़ा चढ़ाकर लिखा जाता है।
कवि भूषण के अनुसार जब शिवाजी के सेना चलती थी तो धुल के बादलों से आसमान ढंक जाती थी, धरती कांपती थी। क्या आप इसे सत्य मानेंगे या एक चारण कवि द्वारा अन्नदाता की चाटूकारिता ?
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बहुत ही अच्छी post है। तथ्यों से परिपूर्ण। कृपया जेट विमान के बारे मे भी bloag लिखे।
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IT WILL BE POSSIBLE
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