कोर्नार्ड सर्वेयर 3 के पास

अपोलो 12 : एक बडा कदम !


अपोलो 12 यह अपोलो कार्यक्रम का पांचवा और चन्द्रमा पर उतरने वाला दूसरा मानव अभियान था।

अंतरिक्ष यात्री दल

  • पीट कोर्नाड(Pete Conrad)-3 अंतरिक्ष यात्राये, कमांडर
  • रिचर्ड गोर्डान(Richard Gordon) – 2 अंतरिक्ष यात्राये, मुख्य नियंत्रण यान चालक
  • एलन बीन(Alan Bean)– एक अंतरिक्ष यात्रा चन्द्रयान चालक
कोर्नार्ड ,गोर्डान और बीन
कोर्नार्ड ,गोर्डान और बीन


वैकल्पिक यात्री दल

  • डेवीड स्काट(David Scott) -जेमिनी 8, अपोलो 9 और अपोलो 15 की उड़ान, कमांडर
  • अल्फ्रेड वार्डन(Alfred Worden) अपोलो 15 की उड़ान, नियत्रण यान चालक
  • जेम्स इरवीन( James Irwin) – अपोलो 15 की उड़ान , चन्द्र यान चालक

अभियान के मुख्य आंकडे

चन्द्रयान और मुख्य नियंत्रण यान का विच्छेद : 19 नवंबर 1960 सुबह 4  बजकर 16 मिनट 2 सेकंड
चन्द्रयान और मुख्य नियंत्रण यान का पुनः जुडना : 20 नवंबर 1960 शाम 5 बजकर 58 मिनट 20 सेकंड

यानबाह्य गतिविधीयाँ
यानबाह्य गतिविधी -1
शुरुवात : 19 नवंबर 1969 11बजकर 32 मिनट 35 सेकंड
कोर्नार्ड : चन्द्रमा पर उतरे : 11 बजकर 44 मिनट 22 सेकंड
वापिस चन्द्रयान मे : 15 बजकर 27 मिनट 17 सेकंड
बीन : चन्द्रमा पर उतरे : 12 बजकर 13 मिनट 50 सेकंड
वापिस चन्द्रयान मे : 15 बजकर 14 मिनट 18 सेकंड

अंत 19 नवंबर 15 बजकर 28 मिनट और 38 सेकंड

यान बाह्य गतिविधी काल : 3 घंटे 56 मिनट और 03 सेकंड

यानबाह्य गतिविधी -2
शुरुवात : 20 नवंबर 1969 -03 बजकर 54 मिनट 45 सेकंड

कोर्नार्ड : चन्द्रमा पर उतरे : 03 बजकर 59 मिनट 00 सेकंड
वापिस चन्द्रयान मे : 07 बजकर 42 मिनट 00 सेकंड

बीन : चन्द्रमा पर उतरे : 04 बजकर 06 मिनट 00 सेकंड
वापिस चन्द्रयान मे : 07 बजकर 30 मिनट 00 सेकंड

अंत 19 नवंबर 15 बजकर 28 मिनट और 38 सेकंड

यान बाह्य गतिविधी काल : 3 घंटे 49 मिनट और 15 सेकंड

कोर्नाड का चन्द्रमा पर कदम रखने के बाद का कथन

व्हूपी, नील के लिये यह एक छोटा कदम होगा, लेकिन मेरे लिये काफी बडा है।

अभियान की मुख्य बाते

इस यान के पृथ्वी से प्रक्षेपण के तुरंत बाद  सैटर्न 5 राकेट से एक बिजली टकरा गयी थी। चन्द्रयान के उपकरण कुछ क्षणो के लिये बंद हो गये थे और भूस्थित नियंत्रण कक्ष से उसका संपर्क टूट गया था। उसके बाद जब संपर्क स्थापित हुआ तब संकेत की गुणवत्ता काफी खराब थी और यान से प्राप्त जानकारी अपुर्ण और गलत प्रतित हो रही थी।

भूनियंत्रण कक्ष से निर्देश भेजा गया कि यान के संकेत भेजने वाले उपकरण की बिजली को बंद कर चालु किया जाये। यह प्रक्रिया करने के बाद यान और भूनियंत्रण कक्ष के बीच ठीक संपर्क स्थापित हो गया अन्यथा यह अभियान यही पर रोक देना पड़ता। इसके बाद यान की जांच की गयी और तीसरे चरण के SIVB को दागा गया और यान चन्द्रमा की ओर चल दिया।

अपोलो 12 अभियान चन्द्रमा पर तुफानो के समुद्र(Ocean of Storms) स्थल पर उतरा, जहां इसके पहले मानव रहित लुना 5, सर्वेयर 3 और रेंजर 7 उतर चुके थे। इस स्थल को अब स्टेटीओ काग्नीटम(Statio Cognitium) कहा जाता है।

बीन यान से उतरते हुये
बीन यान से उतरते हुये


यह अभियान चन्द्रमा पर अवतरण की अचुकता के लिये एक जांच था। अवरोह स्वचालित था जिसमे कोर्नाड ने कुछ छोटे परिवर्तन किये थे। अपोलो 11 अभियान अपनी निर्धारित जगह से काफी बाहर उतरा था, वह भी स्वचालित अवरोह को बंद कर , आर्मस्ट्रांग द्वारा नियंत्रण अपने हाथो मे लेने के बाद। लेकिन यह अभियान सही जगह पर ही उतरा। इस यान के 200 मीटर दूरी पर सर्वेयर 3 यान पडा था जो कि वहां पर अप्रैल 1967 पहुंचा था।

कोर्नार्ड सर्वेयर 3 के पास
कोर्नार्ड सर्वेयर 3 के पास


इस बार टीवी की तस्वीरो की गुणवत्ता मे सुधार के लिये एक रंगीन कैमरा ले जाया गया था। लेकिन दुर्घटनावश बीन ने कैमरा को सूर्य की ओर निर्देशीत कर दिया जिससे वह खराब हो गया और सीधा प्रसारण शुरू होते साथ ही टूट गया।

कोर्नाड और बीन ने सर्वेयर के कुछ टूकडे पृथ्वी पर लाने के लिये जमा किये। दोनो ने चन्द्रमा की सतह पर दो बार कुल चार घंटे बिताये। दोनो ने चन्द्रमा की मिट्टी और पत्त्थरो के टुकडे जमा किये। चन्द्रमा की भूमी पर सौर वायु, चुम्बकत्व, भू हलचलो को मापने के लिये उपकरण स्थापित किया और परिणामो को पृथ्वी पर भेजा। गलती से बीन कई खींची गयी तस्वीरो की फिल्मे चन्द्रमा पर ही छोड आये।

बीन नमुने जमा करते हुये
बीन नमुने जमा करते हुये


इस बार भी चन्द्रमा पर एक और प्लेट छोडी गयी जिसपर अंतरिक्ष यात्रीयो के हस्ताक्षर और संदेश लिखा था। इसके बाद चन्द्रयान चन्द्रमा की परिक्रमा कर रहे नियंत्रण यान से आकर जुड गया। इस दौरान चन्द्रयान ने अपना राकेट चन्द्रमा पर गीरा दिया था, जो चन्द्रमा की सतह पर 20 नवंबर 1969 को गीरा। इस राकेट के चन्द्रमा की सतह पर आघात के कंपन को भूकंप मापी यंत्र जो चन्द्रमा की सतह पर रखा गया था ने महसूस किये। ये कंपन अगले एक घंटे तक महसूस किये गये। यात्री चंद्रमा की कक्षा मे एक दिन और रहकर तस्वीरे लेते रहे।

चन्द्रमा पर छोडी गयी प्लेट
चन्द्रमा पर छोडी गयी प्लेट


चन्द्रयान पृथ्वी पर वापिस 24 नवंबर 1969 को 20 बजकर 58 मिनट पर प्रशांत महासागर मे गीर गया।

यह यान ‘वर्जीनीया एअर एन्ड स्पेश सेन्टर’ मे रखा है।

7 विचार “अपोलो 12 : एक बडा कदम !&rdquo पर;

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