वर्ष 2020 का रसायन नोबेल पुरस्कार दो महिला वैज्ञानिको इमैन्युयेल कारर्पेन्टीएर तथा जेनिफ़र डाडना को दिया गया है।
नोबेल कमेटी के अनुसार इस वर्ष का रसायन नोबेल जीवन के कोड को दोबारा लिखने के लिये है।
इमैन्युयेल कारर्पेन्टीएर (Emmanuelle Charpentier) तथा जेनिफ़र डाडना(Jennifer Doudna) ने जीन संपादन के लिये सबसे सटिक उपकरण या सरल शब्दो मे जिनेटीक कैंची की खोज की है जिसे CRISPR/Cas9 कहते है। इनके प्रयोग से वैज्ञानिक प्राणीयों , पौधो और सूक्ष्म जीवाणुओं के DNA मे अत्याधिक सटिकता से संपादन/बदलाव कर सकते है।
इमैन्युयेल कारर्पेन्टीएर मैक्स प्लैंक युनिट फ़ार द साईंस ओफ़ पैथोजेन्स बर्लीन जर्मनी के कार्य करती है। उनका जन्म 1968 मे फ़्रांस मे हुआ था, उन्होने 1995 मे फ़्रांस के पाश्चर इंस्टीट्युट से डाक्टरेट की है।
जेनिफ़र डाडना कैलीफ़ोर्निया विश्वविद्यालय बार्कले सं राज्य अमरीका मे कार्य करती है। उनका जन्म 1964 मे हुआ था और उन्होने हार्वर्ड मेडीकल स्कूल बोस्टन से 1989 मे डाक्टरेट की है।
जिनेटीक कैंची (Genetic scissors) जीवन के सूत्रो को दोबारा लिखने के उपकरण
इमैन्युयेल कारर्पेन्टीएर तथा जेनिफ़र डाडना ने जिनेटीक संपादन के लिये एक नया उपकरण खोजा है, इस उपकरण को CRISPR/Cas9 कहते है। इस उपकरण से प्राणी, वनस्पति, सूक्ष्म जीवों के डीएनए मे मनवांछित बदलाव अधिक सटिकता से किये जा सकते है। इस तकनीक ने जीव विज्ञान पर क्रांतिकारी प्रभाव छोड़ा है, जिसमे कैंसर जैसी व्याधियों की चिकित्सा की नई विधियां तथा वंशानुगत बिमारी की चिकित्सा का स्वपन पूरा हो सकता है।
वैज्ञानिको को जीवन के बारे मे अधिक जानने के लिये कोशिकाओं मे मौजूद जीन्स मे परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है। यह जीन्स मे परिवर्तन की प्रक्रिया समय लेने वाली कठीन और कभी कभी असंभव होती है। CRISPR/Cas9 कैंचीयों के प्रयोग से जीवन के इन सूत्रो मे परिवर्तन कुछ सप्ताह की अवधि मे संभव हो गई है।
रसायन नोबेल कमीटी के अध्यक्ष क्लेस गुस्ताफ़्सन (Claes Gustafsson) के अनुसार
इस जिनेटीक उपकरण मे हम सभी पर प्रभाव छोड़ने की असीम शक्ति है। इस ने मूलभूत विज्ञान मे क्रांति लाई है लेकिन इसके परिणाम स्वरूप नई उन्नत फ़सलों के साथ कई अद्भूत चिकित्सीय पद्धतियों का विकास हुआ है।
विज्ञान मे जैसा कि अक्सर होता है, इन जिनेटीक कैंचीयों की खोज अप्रत्याशित थी। इमैन्युयेल कारर्पेन्टीएर द्वारा स्ट्रेप्टोकोकस प्योजीन्स बैक्टेरीया के अध्ययन के समय उन्होने अब तक अज्ञात अणु tracrRNA पाया, यह बैक्टेरीया मानवता को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता है। इमैन्युयेल ने पाया कि इस बैक्टेरीया के प्राचिन प्रतिरोधी प्रणाली मे यह tracrRNA मौजूद होता है, CRISPR/Cas कैंची के प्रयोग से इस अणु को इस बैक्टेरीया के DNA से काटा जा सकता है।
इमैन्युयेल ने अपनी खोज 2011 मे प्रकाशित की थी। इसी वर्ष उन्होने जेनिफ़र डाडना के साथ कार्य करना आरंभ किया जोकि RNA के बारे मे जानकारी रखने वाली एक अनुभवी जैवरसायन शास्त्री है। उन दोनो ने मिलकर बैक्टेरीया के गुणसुत्रो को काटने वाली जिनेटीक कैंची एक टेस्ट ट्युब मे विकसित की तथा इस जिनेटीक कैची के आण्विक संरचना को इस तरह से सरलीकृत किया कि उन्हे प्रयोग मे लाना आसान हो गया।
इस क्रांतिकारी प्रयोग मे उन्होने जिनेटिक कैंची को दोबारा लिखा। अपने प्राकृतिक रूप मे यह कैंची वायरस के DNA को पहचान सकती है लेकिन कार्पेटीएअर तथा डाडना से सिद्ध किया कि इन कैंचियो को इस तरह से नियंत्रित किया जा सकता है कि वे DNA को पुर्वनिर्धारित स्थल से अधिक सटिकता से काट सकती है। जिस स्थान से DNA को काटा जाता है, उस स्थान पर जीवन के सूत्रों को दोबारा लिखा जा सकता है।
जबसे कारपेंटीएर और डाडना ने इस CRISPR/Cas9 जिनेटीक कैंची की खोज की है इनका प्रयोग अत्याधिक तीव्रता से होने लगा है। इस उपकरण के प्रयोग से अनेक मूलभूत खोज हुई है। वनस्पति वैज्ञानिक इस के प्रयोग से ऐसी फ़सलें बना रहे है जो कीडो, फ़फ़ूंद, बिमारीयो और अकाल से सुरक्षित रहे। चिकित्सा के क्षेत्र मे कैंसर जैसी बीमारीयों से लड़ने और बचाव के लिये नई चिकित्सा पद्धति विकसीत हो रही है। इसके साथ ही वंशानुगत बीमारीयों के उन्मूलन का सपना वास्तविकता मे साकार होने की आशा जागी है। ये जिनेटिक कैंचीयाँ जैव विज्ञान को एक नई उंचाई पर ले गई है और वे मानवता के लिये सबसे अधिक प्रभावशाली तकनीक साबित हो रही है।
यानी, अब जल्द ही जिनेटिक कट-पेस्ट मशीन भी आएगी ही. तब हम अर्द्ध-नारीश्वर या फिर नरसिंह जैसे रूपाकारों में भी सचमुच अवतरित होने लगेंगे. विज्ञान की जय हो! 🙂
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