शनि के शाही वलय


सभी गैस महाकाय ग्रहों के अपने वलय है लेकिन शनि के वलयों सबसे हटकर है, वे सबसे स्पष्ट, चमकदार, जटिल और शानदार वलय है। ये वलय इतने शाही और शानदार है किं शनि को सौर मंडल का आभूषण धारी ग्रह माना जाता है।


खोज

  • 1610 : गैलीलिओ गैलीली ने सर्वप्रथम शनि के वलयों को अपने द्वारा बनाई गई दूरबीन से देखा था। लेकिन वे अपनी आरंभिक दूरबीन से इनके संपूर्ण अध्ययन करने मे असमर्थ थे।
  • 1655 : क्रिश्च्नियन हायजेंस ने सबसे पहले इन वलयों को शनि के आसपास एक तश्तरी के रूप मे बताया था। उनकी दूरबीन गैलीलियो की दूरबीन से बेहतर थी।
  • 1675 : जिवोवानी डोमेनिको कैसीनी ने पाया था कि ये वलय कई वलयो से मिलकर बना है और उनके मध्य अंतराल भी है।

शोधयान

शनि के पास से चार अंतरिक्ष यान गुजरे है जिन्होने समीप से इन वलयों का अध्ययन किया है।

  1. सितंबर 1979 : पायोनियर 11 शनि से 20,900 किमी की दूरी पर पहुंचा और वलय ’F’ की खोज की।
  2. नवंबर 1980 : वायेजर 1 शनि से 64,200 किमी की दूरी तक पहुंचा और विस्तृत चित्र लिये। वायेजर 1 के चित्रों से वलय ‘G’ की खोज हुयी।
  3. अगस्त 1981 : वायेजर 2 शनि से 41,000 किमी दूरी तक पहुंचा और अधिक स्पष्ट चित्र लिये। इन चित्रो से कई नये नन्हे वलयों की खोज हुयी जिन्हे पहले देखा नही गया था।
  4. जुलाई 2004 : कैसीनी अंतरिक्षयान शनि की कक्षा मे पहुंचा। इस यान ने शनि और उसके वलयो की सबसे स्पष्ट और मनोहारी चित्र भेजे है। इस यान ने भी कई नन्हे वलयों को पाया है।


वलय कैसे बने ?

इन वलयो का निर्माण संभवत सौर मंडल के निर्माण के समय शनि के जन्म के दौरान ही हुआ है। इन वलयो के निर्माण संबधित दो भिन्न अवधारणायें है।

  1. ये वलय शनि के किसी चंद्रमा के टूटने से बने है जो शनि के समीप आने पर उसके गुरुत्वाकर्षण के दबाव मे टूट गया और उसके चारो ओर वलय के रूप मे बिखर गया।
  2.  शनि के वलय शनि के निर्माण के पश्चात बचा सौर निहारिका के मलबे से निर्मित है।

संरचना

ये वलय अनगिनत नन्हे कणो से निर्मित है जिनका आकार कुछ माइक्रोमीटर से लेकर कुछ मीटर तक है। ये कण मुख्यत: जल बर्फ़ से निर्मित है जिनमे अल्पमात्रा मे चट्टानी पदार्थ भी है।

वलयो के मध्य के अंतराल

शनि के वलयों के मध्य 14 मुख्य अंतराल है जिनमे से कुछ विस्तृत स्पष्ट अंतराल है जिन्हे डिवीजन कहते है अन्य छोटे अंतराल सब-डिविजन कहलाते है। ये अंतराल शनि से सैकडो हजारो किमी दूर है।
इन सब-डिविजनो के मध्य नन्हे वलय भी है जिन्हे रिंगलेट कहते है। इन रिंगलेटो के मध्य छोटे अंतराल है जिन्हे गैप कहते है।

अन्य तथ्य

  1. वलयो का नामकर उनकी खोज के क्रम मे अल्फ़ाबेटिक आधार पर किया गया है।
  2. कुछ वलयों को बनाने वाले कण उभार और खाईयो के रूप मे है जिनकी उंचाई दो किमी तक है।
  3. वलय A के अंतराल मे चार नन्हे चंद्रमा और दो बड़े चंद्रमा शनि की परिक्रमा करते है।
  4. ’चरवाहे’ चंद्रमा किसी वलय मे या उस वलय की सीमा के ठीक बाहर परिक्रमा करते है। पान (एन्के गैप), डाफ़्निस(कीलर गैप), एटलस (A वलय), प्रमेथिअस(F वलय) तथा पैंडोरा (F वलय) मे स्तिथ है। चरवाहे चंद्रमा संबधित वलयो को आकार देते है।
  5. शनि का आकार मे छठां सबसे बड़ा चंद्रमा एन्सलेडस पर हीम ज्वालामुखी अंतरिक्ष मे जल बाष्प के फ़व्वारे उत्सर्जित करते है। इस उत्सर्जित जल से ही E वलय बना है।

पोस्टर

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ग्राफिक्स स्रोत : https://futurism.com

मूल ग्राफिक्स कॉपी राइट : https://futurism.com

लेख सामग्री : विज्ञान विश्व टीम

 

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3 विचार “शनि के शाही वलय&rdquo पर;

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