फ़्रेडरिक विलियम हरशॅल(German: Friedrich Wilhelm Herschel) जर्मन-मूल के अंग्रेज खगोलविद् और संगीतकार थे । उन्होंने 1770 के दशक में खगोल विज्ञान को अपनाया, अपना स्वयं का दूरबीन व दर्पण बनाया, और यूरेनस ग्रह की खोज के लिए 1781 में प्रसिद्धि पाई । उन्होंने यूरेनस (1787) और शनि (1789) के दो-दो उपग्रहों को भी खोजा । अनेक युग्म-तारों(binary star), नीहारिकाओं(Neabule) और तारा समूहों(Star Cluster) को अवलोकित और सूचीबद्ध किया । 1801 में पेरिस का दौरा कर लाप्लास (Laplace)और नेपोलियन बोनापार्ट से मुलाकात की ।
1805 ई. में ब्रिटेन के खगोलज्ञ हर्शेल ने दूरबीन की सहायता से अंतरिक्ष का अध्ययन किया तो ज्ञात हुआ कि ब्रह्मांड मात्र सौरमण्डल तक ही सीमित नहीं है। सौरमण्डल आकाशगंगा का एक अंश मात्र है।
1816 में उन्हें नाइट की उपाधि प्रदान की गई । 1822 में उनकी मृत्यु हुई। उनके कार्य को उनके ही इकलौते पुत्र जॉन फ्रेडरिक विलियम हरशॅल ने कायम रखा ।
संक्षिप्त जीवन परिचय
विलियम हरशॅल (फ्रेडरिक) (1738-1822) का जन्म 15 नवम्बर 1738 को हनोवर, जर्मनी में हुआ । चौदह वर्ष की उम्र में वें एक स्थानीय रेजिमेंटल बैंड में शामिल हो गए। चार साल बाद उन्होंने अपने बैंड के साथ इंग्लैंड का दौरा किया । 1757 में इंग्लैंड आकर बस गए और एक संगीतकार के रूप में अपनी जीविका शुरु की । उन्होंने ओक्टागन चैपल, बाथ में सोलह वर्षों तक एक आर्गन वादक के रूप में कार्य किया । इस कार्यकाल के दौरान वें खगोल विज्ञान पर मोहित हो गए । 1772 में अपनी बहन कैरोलीन हरशॅल को इंग्लैंड ले आए । कैरोलीन ने खगोल विज्ञान में उनके साथ अपनी रुचि साझा की। दोनों ने एक साथ मिलकर काम किया । 1773 में हरशॅल ने दर्पण की घिसाई और दूरबीन निर्माण का काम शुरू किया । सन 1774 में पहली बड़ी दूरबीन बनी जो असल मे 1.8 मीटर की एक ग्रेगोरियन परावर्तक थी ।
गहन अंतरिक्ष का सर्वेक्षण

आगामी नौ वर्षों में हरशॅल ने तीव्रता से समूचे आकाश का सर्वेक्षण किया। उनका उद्देश्य दोहरे-तारों की जांच करना था । 1782, 1785 और 1821 में दोहरे-तारों की सूचीपत्र प्रकाशित की। उसमे कुल 848 तारें सूचीबद्ध किए गए । हरशॅल की दूरबीन शक्ति से पता चला कि मेसियर सूचीपत्र की नीहारिकाएं वास्तव में तारों के समूह थे । नीहारिकाओं के कैटलॉग 1802 (2,500 वस्तुओं) और 1820 (5,000 वस्तुओं) में प्रकाशित किए गए थे । यह बाद में बड़ी तादाद में न्यू जनरल कैटलॉग (एनजीसी) के रुप मे गठित हुआ जिसे 1888 में जोहान ड्रेयर द्वारा प्रकाशित किया गया था । एनजीसी के नामकरण आज भी व्यापक रूप से प्रयोग में लिए जाते है ।
युरेनस की खोज
एक अवलोकन के दौरान हरशॅल ने महसूस किया कि एक आकाशीय पिंड जिसे उन्होंने स्वयं अवलोकित किया, किसी भी तरह से तारा नहीं है बल्कि एक ग्रह है, और यह ग्रह था युरेनस । युरेनस की खोज ने हरशॅल और उसकी बहन व सहायक कैरोलीन को रातोंरात मशहूर कर दिया । हालांकि, हरशॅल नए ग्रह को अपने संरक्षक जॉर्ज-तृतीय के सम्मान में “जोर्जियम सीडस” नाम देना चाहते थे । लेकिन इसके पक्ष में खगोलीय समुदाय का साथ नहीं मिला । अंततः यह आकाश के पौराणिक देवता यूरेनस पर नामित किया गया । इस खोज के एवज में उनकों जॉर्ज-तृतीय द्वारा ‘निर्णायक खगोलविद’ नियुक्त किया गया। दोनों भाई-बहन को पेंशन प्रदान की गई । वह रॉयल सोसाइटी के एक फैलो के रूप में चुने गए साथ ही उन्हें नई दूरबीनों के निर्माण के लिए अनुदान भी प्रदान किया गया ।
विशेष कार्य

हरशॅल एक महान पर्यवेक्षणीय खगोल विज्ञानी थे । इन उपलब्धियों के कारण ही हरशॅल टेलीस्कोप को उनके नाम रखा गया है। दोहरे-तारों की जांच-पड़ताल ने हरशॅल को तारो के आचरण की सांख्यिकीय व्याख्या करने योग्य बना दिया था । उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि केवल एक सीध में होने मात्र से उनके युग्म में होने की कोइ गुंजाईस नहीं है बल्कि वें भौतिक रूप से द्वि-तारा प्रणाली में दृढ़ता से जड़े हुए है । उनकी कक्षाओं का निर्धारण न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम के सार्वभौमिक होने का प्रथम प्रमाण था । इन नियमों को हमारे अपने सौरमंडल के बाहर भी कार्य करते हुए देखा गया था । हरशॅल ने अंतरिक्ष के माध्यम से सूर्य की गति भी निर्धारित की थी।
हरशॅल ने ज्ञात नीहारिकाओं की संख्या में बेहद वृद्धि कर दी थी । मेसियर की 100 की प्रसिद्ध सूची में कैरोलिन ने 5000 और हरशॅल ने 1820 की बढ़त कर दी । उनका विचार कि नीहारिकाएं सुदूर तारों का जमावड़ा मात्र है, जिसे आज हम आकाशगंगा बुलाते है, अपने समय से एक सदी से भी आगे की सोच थी । हरशॅल ने महसूस किया कि मंदाकिनी एक चकतीनुमा तारकीय ब्रह्मांड का तल है। अलग-अलग दिशाओं में दिखने वाले तारों की संख्या की गिनती द्वारा उन्होंने इसक़ी रूपरेखा बनाई । इस तारकीय योजना को उन्होंने ‘आकाश का निर्माण’ की संज्ञा दी ।
हरशॅल ने एक नैदानिक उपकरण के रूप में खगोलीय स्पेक्ट्रोफोटोमेट्री के प्रयोग का बीड़ा उठाया और तारकीय वर्णक्रम के तरंग दैर्ध्य वितरण को मापने के लिए प्रिज्मों और तापमापी उपकरण का प्रयोग किया । उनके अन्य कामों में शामिल है : मंगल की घूर्णन अवधि के निर्धारण में सुधार करना, मंगल की ध्रुवीय टोपियों पर मौसम की विविधता की खोज, यूरेनस के उपग्रहों टाइटेनिया और ओबेरोन की खोज तथा शनि के उपग्रहों एंकेलेडस और मिनास की खोज ।
खगोलीय खोज संक्षेप
युरेनस | 13 मार्च 1781 |
ओबेरान (Oberon) | 11 जनवरी 1787 |
टाईटेनिया (Titania) | 11 जनवरी 1787 |
एन्सलेडस(Enceladus) | 28 अगस्त 1789 |
मिमास( Mimas) | 17 सितंबर 1789 |
सम्मान
मई 2009 में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा अंतरिक्ष में स्थापित की गई अब तक की सबसे बड़ी अवरक्त दूरबीन को हरशॅल की स्मृति में हरशॅल अंतरिक्ष वेधशाला नाम दिया गया है । युरेनस ग्रह का सूचक चिन्ह हरशॅल के सरनेम के पहले अक्षर पर है । चन्द्रमा पर एक क्रेटर और मंगल की एक घाटी उनके नाम पर रखी गई है, जबकि ‘2000 हरशॅल’ एक क्षुद्रग्रह है । इसके अलावा स्कूल, कॉलेज, भवन, पार्क, म्यूज़ियम, नगर, स्ट्रीट और दूरबीन आदि के नाम भी हरशॅल की याद में रखे गए है ।
- युरेनस का खगोलिय संकेत हरशॅल के आद्याक्षर H से बना है।
- म्यु सेफेई तारा (Mu Cephei) को हरशॅल का गार्नेट तारा(Herschel’s Garnet Star) कहा जाता है।
- चंद्रमा के एक क्रेटर का नाम हरशॅल है।
- मंगल के एक विशाल आघात बेसीन(impact basin) का नाम हरशॅल है।
- शनि के चंद्रमा मिमास पर एक महाकाय क्रेटर का नाम हरशॅल है।
- एक क्षुद्रग्रह का नाम 2000 हरशॅल है।
- ला पाल्मा(La Palma) पर स्थित दूरबीन का नाम द विलियम हरशॅल टेलिस्कोप(The William Herschel Telescope) है।
- अंतरिक्ष मे द हरशॅल अंतरिक्ष वेधशाला (The Herschel Space Observatory) को युरोपियन अंतरिक्ष संस्थान (European Space Agency) ने 14 मई 2009 को प्रक्षेपित किया। यह अपने तरह की सबसे बड़ी दूरबीन है।
स्रोत : जीवनपरिचय
क्या यूरेनस को ही हरशेल भी कहते हैं क्योंकि 2000 हरशेल एक क्षुद्रग्रह है और यूरेनस का आद्या अक्षर/ चिह्न खगोलीय शास्त्र में H है?
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हाँ, युरेनस को हर्शेल भी कहा जाता है लेकिन यह अब दुर्लभ है।
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आभार,जानकारी के लिए।स्वस्थ रहे और ऐसे हि ज्ञान बांटते रहे।
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1-sir solar panel ke upar jo kanch (sisa) lga hota h agar use nikal du to kya panel kam krega
2-sir koi aisi book hindi me ho jisme cell batry solar cel ya panel ke internal structure ke bare me likha ho to plz btaye
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nice sir very useful information
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