
वैज्ञानिको ने सूर्य के निकटस्थ तारे ’प्राक्सीमा सेंटारी’ की परिक्रमा करते जीवन की संभावना योग्य ग्रह की खोज की है। प्राक्सीमा सेंटारी एक लाल वामन तारा है जो कि सूर्य से केवल 4.24 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है।
जब भी सौर बाह्य ग्रहो की खोज मे पृथ्वी के आकार के छोटे ग्रहों की खोज होती है, एक सनसनी सी फ़ैल जाती है। पिछले कुछ सप्ताह से समाचारो मे लाल वामन तारे प्राक्सीमा सेंटारी की परिक्रमा करते एक पृथ्वी के जैसे ग्रह की खोज की अफ़वाहे सामने आ रही थी। खगोलशास्त्रीयों ने 24 अगस्त 2016 को इस खोज की पुष्टि कर दी है।
चिली की अंतरिक्ष वेधशाला ने प्राक्सीमा सेंटारी तारे की परिक्रमा करते हुये पृथ्वी के तुल्य द्रव्यमान वाले एक ग्रह की खोज की है। यह ग्रह हमारे खगोलिय पड़ोस मे है तथा केवल 4.24 प्रकाशवर्ष की दूरी पर है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि यदि परिस्थितियाँ अनूकूल रही तो इस ग्रह की कक्षा ऐसी है कि यह इतना उष्ण होगा कि इस ग्रह की सतह पर द्रव जल की उपस्थिति होना चाहीये।
यह ग्रह हल्के लाल रंग से प्रकाशित होता है तथा एक तीन तारों वाली प्रणाली के सबसे छोटे तारे की परिक्रमा करता है जिसका नाम प्राक्सीमा सेंटारी है। यह तारा प्रणाली नरतुरंग तारामंडल(Centaurus) की ओर देखी जा सकती है।
इस तारा प्रणाली का मुख्य तारा अल्फा सेंटारी एक लंबे समय से विज्ञान फतांशी लेखको की पसंद रहा है, इस तारे को मानवीय खगोलीय यात्राओं का पहला पड़ाव माना जाता रहा है, साथ ही इस तारे को भविष्य मे पृथ्वी पर जीवन संभव ना होने की स्थिति मे भविष्य की मानव सभ्यता के लिये बचाव केंद्र माना जाता रहा है।
हार्वर्ड स्मिथसन सेंटर फ़ार आस्ट्रोफिजिक्स(Harvard-Smithsonian Center for Astrophysics) के वैज्ञानिक अवी लोवेब(Avi Loeb) के अनुसार प्राक्सीमा सेंटारी तारे के पास एक चट्टानी जीवन योग्य ग्रह आज से पांच अरब वर्ष पश्चात सूर्य की मृत्यु की स्थिति मे मानव के लिये नये घर के लिये सबसे प्राकृतिक चुनाव रहेगा।

इस ग्रह की खोज की घोषणा से पहले ही “ब्रेकथ्रू स्टारशाट( Breakthrough Starshot)” परियोजना के वैज्ञानिको ने अल्फा सेंटारी तारा प्रणाली की ओर इस सदी के अंत से पहले नन्हे अंतरिक्ष यान भेजने की योजना बनाई है। लेकिन इस ग्रह से निकट भविष्य मे कोई सूचना आने की आशा ना रखें। प्रकाशगति की 20% गति से चलने वाले अंतरिक्ष यान को प्राक्सीमा सेंटारी तक पहुंचने मे ही 20 वर्ष लग जायेंगे, उसके पश्चात उससे पृथ्वी तक कोई सूचना पहुंचने मे 4.24 वर्ष लग जायेंगे।
खगोल विज्ञान मे रूची रखने वाले जानते होंगे कि अल्फ़ा सेंटारी तारा प्रणाली मे किसी ग्रह की खोज की यह पहली खबर नही है। 2012 मे कुछ वैज्ञानिको ने इस प्रणाली के सूर्य के जैसे तारे अल्फ़ा सेंटारी बी की परिक्रमा करते पृथ्वी के द्रव्यमान के तुल्य वाले ग्रह की खोज की घोषणा की थी। लेकिन बाद के निरीक्षणो के इस ग्रह के अस्तित्व की पुष्टि नही हो आयी थी। यह माना गया था कि प्राप्त आंकड़ो मे कोई त्रुटि थी तथा इस तारे की आंतरिक गतिविधियों ने वैज्ञानिको को भ्रमित कर दिया था।
लेकिन इस नई घोषणा से हमारे पड़ोस की यह तारा प्रणाली एक बार फ़िर से जीवन की संभावना योग्य प्रणाली मे आ गयी है और यह खोज इसके पहले वाली खोज से अधिक प्रामाणिक है।
54 रात्रियों तक एकत्रित आंकड़ो के अनुसार इस ग्रह के अस्तित्व के पुख्ता प्रमाण है। तथा यह आंकड़े कंप्युटर के निरीक्षण की सहायता के बिना भी ग्रह की उपस्थिति को दर्शा रहे है।
इस ग्रह को प्राक्सीमा बी नाम दिया गया है और इस खोज के पीछे पेल रेड डाट(धूंधला लाल बिंदु (Pale Red Dot) अभियान के वैज्ञानिक है। यह नाम कार्ल सागन द्वारा नामकरण किये गये पृथ्वी के प्रसिद्ध चित्र Pale Blue Dot से प्रभावित है।
वैज्ञानिको के अनुसार यह खोज आश्चर्य मे डालने वाली नही है। पिछले दशक मे हुयी सौर बाह्य ग्रहों की खोज ने प्रमाणित किया है कि प्राक्सीमा सेंटारी जैसे लाल वामन तारों के पास ग्रहों के होने की संभावना अधिक होती है और इन तारो की परिक्रमा करते ग्रह छोटे, चट्टानी तथा सतह पर द्रव जल की उपस्थिति के लिये पर्याप्त रूप से उष्ण होते है।

प्रास्कीमा बी की खोज

इसके पहले प्राक्सीमा सेंटारी तारे के पास ग्रह की खोज के प्रयासो से कोई नतिजे प्राप्त नही हुये थे लेकिन इस बात की पूरी संभावना थी कि इस तारे के पास कम से कम एक ग्रह तो होना ही चाहीये, जिसे विस्तृत खोज से पाया जा सकता है।
जब कोई ग्रह किसी तारे की परिक्रमा करता है तो उसका गुरुत्वाकर्षण अपने मातृ तारे को भी खिंचता है, जिससे तारे मे एक हल्की डगमगाहट देखने मिलती है। बड़े ग्रहों द्वारा उत्पन्न यह डगमगाहट स्पष्ट होती है। लेकिन पृथ्वी सदृश ग्रहो से उत्पन्न डगमगाहट को खोजना कठीन होता है और इसे पकड़ने के लिये लंबे निरीक्षणो की आवश्यकता होती है तथा अत्यंत सटिक और संवेदनशील उपकरणो की आवश्यकता होती है।
2000 से 2014 के मध्य मे किये गयें निरीक्षणो से प्राक्सीमा सेंटारी की कक्षा मे एक 11 दिनो के परिक्रमा काल वाले ग्रह की उपस्थिति के संकेत दिये थे लेकिन ये संकेत इतने सूक्ष्म थे कि कुछ भी पुख्ता कहना कठिन था। इन संकेतो की पुष्टि के लिये पेल रेड डाट की टीम ने पृथ्वी की सबसे शक्तिशाली वेधधाला High Accuracy Radial velocity Planet Searcher (HARPS) को इस लाल वामन तारे की ओर 2016 के प्रारंभ मे मोड़ा।
ला सिला चिली(La Silla, Chile) स्थित युरोपीयन दक्षिणी वेधशाला(European Southern Observatory) की दूरबीन HARPS ने इस तारे के प्रकाश का 54 रातों तक निरीक्षण किया और वैज्ञानिको ने आतुरता से आंकड़े जमा किया। वैज्ञानिको ने तुरंत ही उसी 11 दिनो के परिक्रमा काल वाले ग्रह की उपस्थिति के संकेत देखे। 20 रात्रियों के निरीक्षण के पश्चात वैज्ञानिक गिलेम अन्गाल्दा एस्चुडे (Guillem Anglada-Escudé) ने मानना प्रारंभ कर दिया कि यह ग्रह उपस्थित है, उसके पश्चात 10 रात्रियों के निरीक्षण के पश्चात उन्होने नेचर पत्रिका के लिये शोधपत्र लिखना प्रारंभ कर दिया जो कि 24 अगस्त 2016 को प्रकाशित हुआ।
क्वीन मेरी विश्वविद्यालय लंदन के अन्गाल्दा एस्चुडे कहते है कि हमलोगो ने इन आंकड़ो को पूरी तरह संशय मे रहते हुये देखा। हम नही चाहते थे कि हम कोई ऐसा दावा करे जो दो महिने पश्चात गलत प्रमाणित हो।
आंकड़ो के अनुसार यह नया ग्रह प्राक्सीमा बी पृथ्वी से 1.3 गुणा अधिक द्रव्यमान का है और इसका प्ररिक्रमा काल 11 दिन है। इस पर इसके मातृ तारे की इतनी रोशनी पड़ती है कि इसकी सतह पर द्रव जल संभव है।
तारा या ग्रह ?

अल्फा सेंटारी B ग्रह की खोज और उसकी पुष्टि ना हो पाने को ध्यान मे रखते हुये पेल रेड डाट टीम ने इस बार पूरी सावधानी बरती। उन्होने अपने आंकड़ो की दोबारा पुष्टी की साथ मे ही इस सदी के प्रारंभ मे किये गये आंकड़ो पर एक बार दोबारा देखा। उसके बाद उन्होने नये आंकड़ो को देखा। दोनो आंकड़े इस नये ग्रह की पुष्टि कर रहे थे।
इसके बाद सबसे महत्वपूर्ण था कि उन्हे इस संभावना को दूर करना था कि इन 11.2 दिनो की आवृत्ति वाले इन आंकड़ो के पीछे तारा स्वयं ना हो। यह कठिन कार्य था क्योंकि प्राक्सीमा सेण्टारी से समय समय पर सौर ज्वालायें उत्पन्न होते रहती है।
कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय बार्क्ले के लारेन वेस (Lauren Weiss ) के अनुसारकुछ जांच विधियाँ है जो बताती है कि इस तरह की गतिविधियाँ किसी तारे के कारण है या किसी ग्रह की उपस्थिति के कारण। टीम ने उन सभी जांच विधियों का प्रयोग किया और पाया कि यह किसी ग्रह की उपस्थिति के कारण ही है।
पेल रेड डाट द्वारा की गई अनेक जांच विधियों मे से एक विधि के अनुसार पृथ्वी से इस तारे के सतत निरिक्षण से किसी असामान्य तारकीय गतिविधी की जांच थी। लेकिन पृथ्वी पर उपस्थित अनेक वेधशालाओं के निरिक्षण ने ऐसी कोई तारकीय गतिविधि नही पाई जो इस 11.2 दिन वाली गतिविधि का कारण हो। यह जांच ग्रह की उपस्थिति की पुष्टि कर रही है।
इस बात के प्रमाण भी है कि प्राक्सीमा बी का एक साथी ग्रह भी है। यह साथी ग्रह महाकाय पृथ्वी के जैसा होगा और इसका परिक्रमा काल 200 दिन होगा। लेकिन इस ग्रह की पुष्टि के लिये अभी कार्य बाकी है।
संक्रमण विधि

ग्रह की पुष्टि के गलत संकेतो को दूर करने का एक अन्य उपाय उसी ग्रह की किसी अन्य ग्रह खोज विधि से खोज है। इसके लिये कनाडा के वैज्ञानिको के अपनी अधिकतर दूरबीनो को प्राक्सीमा बी की ओर कर दिया है, वे इस ग्रह की खोज संक्रमण विधि से करना चाहते है। इस विधि के अनुसार जब यह ग्रह पृथ्वी और प्राक्सीमा सेंटारी के मध्य से गुजरेगा तब उसके द्वारा प्राक्सीमा सेंटारी पर पड़ने वाले ग्रहण से इसके प्रकाश मे हल्की सी कमी आयेगी। इस कमी से इस ग्रह की पुष्टि की जा सकेगे।
लेकिन यह विधि कठीन है क्योंकि यह ग्रह पृथ्वी के आकार का है। इसके पहले इस आकार के ग्रह को संक्रमण विधि से देखा नही गया है। यदि इस विधि से इस ग्रह को देखा जा सका तो यह एक असाधारण सफ़लता होगी।
कोलंबिया विश्वविद्यालय के डेविड किपिंग(David Kipping) के अनुसार वैज्ञानिको ने संक्रमण विधि से प्राक्सीमा सेंटारी का निरिक्षण किया है और इन आंकड़ो ने ऐसा कुछ नही पाया है जो कहे कि इस ग्रह की उपस्थिति नही है।
HARPS द्वारा अन्य संवेदिनशील उपकरणो द्वारा अगले कुछ वर्षो मे इस ग्रह के निरीक्षण किये जायेंगे जो कि इस ग्रह की पुष्टि के लिये होंगे और निर्धारित करेंगे कि उपलब्ध संकेत ग्रह के है या तारे के असामान्य व्यवहार से है।
जीवन की संभावना

यह खोज उत्साहवर्धक है लेकिन खगोल वैज्ञानिको के लिये यह कहना कठिन है कि प्राक्सीमा बी ग्रह पर जीवन संभव है या नही। अभी वैज्ञानिको के पास इस ग्रह के बारे मे अधिक जानकारी नही है लेकिन उपलब्ध जानकारी के आधार पर इसे पृथ्वी का जुड़ंवा ग्रह या पृथ्वी के जैसा ग्रह नही कहा जा सकता है।
अन्गाल्दा एस्चुडे के अनुसार यह ग्रह उष्ण कक्षा मे है लेकिन इसका अर्थ नही है कि इसपर जीवन संभव है। हमे अन्य कई बातो पर भी विचार करना होगा।
प्रारंभ के लिये प्राक्सीमा सेंटारी सूर्य के जैसा नही है। इसका द्रव्यमान सूर्य का केवल 12% है लेकिन इसका चुंबकिय क्षेत्र सूर्य से 600 गुणा अधिक है। इस तारे द्वारा उत्सर्जित प्रकाश अपेक्षाकृत शीतल अवरक्त वर्णक्रम मे होता है। साथ ही यह तारा सूर्य के तुल्य एक्स रे का विकिरण करता है जिसका अर्थ है कि इस तारे के जीवन योग्य क्षेत्र मे जिसमे द्रव जल की उपस्थिति संभव है हमेशा एक्सरे से आवेशित ऊर्जावान कणो मे की चपेट मे रहेगा।
इसके अतिरिक्त इस लाल वामन तारे से असामान्य रूप से उत्सर्जित होने वाली दानवाकार सौर ज्वालायें भी है। यह तारा अपनी उम्र के कारण शीतल हो चुका है लेकिन इस तारे द्वारा समय समय पर उत्सर्जित पराबैगनी विकिरण इस ग्रह पर किसी भी नवजात जीवन को नष्ट करने पर्याप्त है।
यही नही इस तारे की गतिविधियाँ तथा एक्स रे की लगातार बौछार किसी भी ग्रह के वातावरण का क्षरण कर सकती है तथा किसी भी वातावरण के रासायनिक संरचना को ऐसे बदल सकती है कि सतह पर लगातार खतरनाक विकिरण की वर्षा होते रहेगी।
कार्नेल विश्वविद्यालय की लिसा काल्टेनेगर( Lisa Kaltenegger) के अनुसार लगातार पराबैंगनी विकिरण के कारण जमीन पर उपस्थित किसी भी जीवन को भूमी के अंदर, जल के नीचे या किसी अन्य उपाय द्वारा स्वयं को विकिरण से बचा कर जीवीत रखमा होगा।

इस सबका अर्थ यह नही है कि प्राक्सीमा बी पर जीवन का उद्भव संभव नही है, इसका अर्थ यह है कि यदि इस ग्रह पर जीवन है तो वह पृथ्वी से पूर्णत: भिन्न होगा।
अपडेट : 10 अक्टूबर 2016
अगस्त माह में वैज्ञानिको ने धरती जैसे एक ग्रह के खोज के बारे में जानकारी दी थी जो सौर-मंडल के सबसे करीबी अल्फा सेंटौरी तारा-समूह में से एक तारे प्रोक्सिमा सेंटौरी के गिर्द 74 लाख किलोमीटर की दूरी पर चक्कर काट रहा है. इसे प्रोक्सिमा-b नाम दिया गया. इसके धरती की तरह चट्टानी ग्रह होने और इसपर पानी के द्रव-अवस्था में होने का अनुमान था.
अब वैज्ञानिकों की नवीनतम गणनानुसार यह ग्रह वाकई पानी के समुद्र से ढंका हुआ है जिसपर ग्रह के वजन के 0.05 प्रतिशत से लेकर 50 प्रतिशत तक पानी हो सकता है. ज्ञातव्य है की धरती पर पानी की मात्रा उसके द्रव्यमान (Mass) के 0.02 प्रतिशत है.
एक चरम अवस्था (Extreme Condition) में यानी सबसे कम पानी होने की स्थिति में इस ग्रह पर धरती के जैसे समुद्र, मैदान और पहाड़ हो सकते हैं जबकि दूसरी चरम स्थिति में इस ग्रह पर 200 किलोमीटर गहरा समुद्र इसे घेरे होगा और नीचे चट्टानी कोर होगा, यानी यह जलीय ग्रह होगा. लेकिन दोनों ही स्थितियों में इस ग्रह के चारों तरफ वायुमंडल की उपस्थिति अवश्य होगी.
सन 2018 में प्रस्तावित जेम्स वेब आकाशीय दूरबीन के कक्षा में स्थापित होने के पश्चात् और बेहतर जानकारी मिल सकेगी, जिसमें वायुमंडल में मौजूद गैसों और उनके अनुपात के बारे में मिलनेवाली अहम् जानकारी भी शामिल है. छोटे आकार के नैनो सोलर-बोट्स भी उम्मीद है अगले 20 वर्षों में इस तारामंडल की तरफ भेजे जायेंगें जो प्रकाश की रफ़्तार के पांचवे भाग के बराबर गति से यात्रा करते हुए 20 वर्षों में इस दूरी को तय कर इस ग्रह तक पहुंचेगें।
sbase pehele dhanyawad sir pr kya sir koi bhi aliens sabhayata hum se kabhi mil payigi kirpya karke iska uttar de
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Hmmm, nyc. mujhe lagta h hmm jald hi alien se mil payege.
till 2025
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How scientist announced information that gathered from Above of distance than 1000 or more light years away?
Which types of technique they are using, Even light speed is constant so how it possible to mesure information at the such as long distance ?if they will reach after long years later.
Please गुरुजी tell me .I hope you understand what I am trying to say
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विनय , उत्तर लंबा है एक लेख लिखने होगा। इंतज़ार कीजये।
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Haan,, kaas ki aisa ho…..
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Reblogged this on oshriradhekrishnabole.
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आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ‘युगपुरुष श्रीकृष्ण से सजी ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है…. आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी….. आभार…
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Nice post thanks!
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लेख का शीर्षक देखते ही इसे पढ़ने से अपने आपको रोक नही पाया।
एक बात का सदा अफ़सोर रहेगा कि हमारे जीते जी शायद ही कोई ऐसी ग्रह मिल पाए जिस पर जीवों का वास हो।
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