
एक वैज्ञानिक जिसे समलैंगिक होने की वजह से सायनाइड की गोली खाकर जान देनी पड़ी, जिसने कंम्यूटर की आधारशिला रखी और द्वितीय विश्वयुद्ध दो साल पहले खत्म करवाने में मदद की| इस गुमनाम गणितज्ञ का नाम एलन ट्यूरिंग था।
एक ऐसा वैज्ञानिक जिसे आज अमेरिका के टेक्सस से लेकर भारत के बैंगलोर तक वैज्ञानिक उन्हें श्रद्धाजंलि देते हैं। बेहद ‘शर्मीले और मजाकिया’ ब्रिटिश गणितज्ञ को विज्ञान पत्रिका नेचर ने ‘मानव, मशीन और सैन्य क्षेत्र का सर्वश्रेष्ठ दिमाग’ कहा है। लेकिन कुछ साल पहले तक ऐसा नहीं था। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन ने तीन साल पहले स्वीकार किया था कि ब्रिटेन में एलन के साथ ‘भयानक दुर्व्यवहार’ किया गया।
23 जून 1912 को लंदन में जन्मे एलन की 41 साल की आयु में ही मौत हो गई थी। एलन ने सायनाइड से भरा सेब खाकर आत्महत्या की। ब्रिटेन के कानून ने 1952 में एलन को अश्लीलता का दोषी करार दिया था और दवा देकर उन्हें नपुंसक बनाए जाने की सजा सुनाई थी। एलन समलैंगिक थे और उस वक्त ब्रिटेन में समलैंकिता गैरकानूनी थी।
छोटी उम्र में ही एलन ने कई बड़े काम किए थे। आधुनिक कंप्यूटर की नींव रखी, कृत्रिम दिमाग के लिए मानक तय किए और द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मन सेना की पनडुब्बियों का कोड तोड़कर लाखों लोगों की जान बचाईं। 1936 में एलन ने युनिवर्सल ट्यूरिंग मशीन बनाने के लिए एक पेपर प्रकाशित किया था। इसे आधुनिक कंप्यूटर का ब्रेन कहा जाता है। आज के कंप्यूटर की तरह एलन उस जमाने में ऐसी मशीन बनाने की कोशिश में लगे थे जिसमें एक बार आंकड़ें फीड किए जाने के बाद कई तरह के काम लिए जा सकें।
गणितज्ञ जैक कोपलैंड कहते हैं,
”कंप्यूटर की खोज इतनी बड़ी चीज है कि इस पर बात करना भी अजीब लगता है। लेकिन मेरे खयाल से द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान कोड़ तोड़ना उनका महान काम था।”
कुछ साल पहले तक दुनिया को पता ही नहीं था कि अटलांटिक महासागर में तैनात जर्मन ऊ-बोट (पनडुब्बी) का गुप्त संदेश तोड़ने वाले एलन ही थे। कई इतिहासकार मानते हैं कि अगर एलन ने ये काम नहीं किया होता तो युद्ध कम से दो साल और खिंचता। लंबी दूरी तक दौड़ सकने वाले ट्यूरिंग को फूल की गंध से एलर्जी थी। इसीलिए वह दौड़ते वक्त मुंह में मास्क लगा रखते थे। ट्यूरिंग के बारे में कई किताबें लिखने वाले कोपलैड कहते हैं,
”ट्यूरिंग ऊ-बोट के ट्रैफिक में घुसने में कामयाब हो गए। जब एक बार संदेश पकड़ में आने लगे तो फिर ऊ-बोट की स्थिति भी पकड़ में आने लगी थी।”
इतनी उपलब्धियों के बाद भी ट्यूरिंग के काम से दुनिया तब तक अनजान रही जब तक वह जिंदा रहे।
जीवनवृत्त
जन्मतिथि : 23 जुन 1912 (मैडा वेले, लंदन, इंगलैंड)
मृत्यु : 7 जुन 1954(विल्म्स्लो, चेशायर, इंगलैंड)
राष्ट्रियता : ब्रिटिश
कर्मक्षेत्र : गणित, क्रिप्टोएनालीसीस, कंप्युटर विज्ञान, जीव विज्ञान
शिक्षा : किंग्स कालेज(कैंब्रिज विश्वविद्यालय), प्रिंसटन विश्वविद्यालय, प्रिंसटन इंस्टिट्युट फ़ार एड्वांस्ड स्टडी, सेंट माइकल स्कूल, शेर्बोर्न स्कूल
प्रमुख योगदान
द बामे :
यह एक विद्युतचुंबकीय उपकरण था जिसका प्रयोग द्वितिय विश्वयुद्ध के समय ब्रिटिश क्रिप्टोलाजीस्ट ने जर्मन एनिग्मा मशीन द्वारा कुटभाषित किये संदेशो को समझने के लिये किया था। एनिग्मा के क्रिप्टोएनालिसिस से पश्चिमी मित्र राष्ट्रो को द्वितिय विश्व युद्ध मे विरोधी धुरी राष्ट्रो द्वारा भेजे जा रहे गुप्त मार्श कोड रेडियो संचार को समझने मे सफ़लता मिली थी और उन्हे ढेर सारी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुयी थी। इन गुप्त संदेशो को एनिग्मा मशीन से कुटभाषित किया गया था।
ट्युरिंग मशीन :
एक ऐसी अमूर्त मशीन जो एक टेप पर लिखे गये संकेतो/चिह्नो को एक सारणी मे दिये गये नियमो के अनुसार कुशलतापुर्वक प्रयोग करती है। वस्तुत: यह एक उपकरण का गणितिय माडेल है। इतने सरल रूप मे व्याख्या के बावजूद एक ट्युरिंग मशीन किसी भी कंप्युटर अल्गोरिदम का अनुकरण कर सकती है। इस विषय पर टुयुरिंग के शोधपत्रों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर शोध की नींव माना जाता है।
ट्युरिंग टेस्ट :
यह एक ऐसी जांच पद्धति है जिसके द्वारा किसी मशीन की बुद्धिमान व्यवहार की क्षमता को किसी मानव व्यवहार से तुलना कर अलग किया जा सके। एलन ट्युरिंग ने प्रस्तावित किया कि कोई मानव मुल्याकंन कर्ता किसी मानव तथा मानव जैसे उत्तर देने मे सक्षम मशीन से प्राकृतिक भाषा मे संवाद करेगा, यदि मुल्यांकनकर्ता दोनो संवादो मे अंतर नही कर पाये तो इसका अर्थ होगा कि मशीन मे कृत्रिम बुद्धिमत्ता विकसीत कर ली है।
उद्धरण
- कभी कभी ऐसे व्यक्ति जिनके बारे मे लोग कुछ भी नही सोच सकते है ऐसा कार्य कर गुजरते है जो कोई सोच नही सकता है।
- हम भविष्य मे कुछ ही आगे देख पाते है लेकिन हम देख सकते है कि बहुत कुछ किया जाना बाकि है।
- यदि विश्वसनीय परिणाम प्राप्त करने हों तो काल-अंतराल के एक बड़े भाग का अण्वेषण करना होगा।
- किसी कंप्युटर को बुद्धिमान उस समय कह सकते है जब मानव को मानव होने का झांसा देने मे सफ़ल हो जाये।
- जो व्यक्ति कुछ भी कल्पना कर सकते है वे असंभव को भी संभव बना सकते है।
- यदि किसी मशीन से अचूक होने की आशा रखी जाये तो वह एकसाथ बुद्धिमान नही हो सकती है।
- वास्तविक प्रश्न “क्या मशीन सोच सकती है?” मै मानता हुं कि यह एक अर्थहीन प्रश्न है, जिसपर चर्चा व्यर्थ है।
क्रिस्टोफर मारकाम(Christopher Morcom)
शेरबोर्न स्कूल मे ट्युरिंग क्रिस्टोफ़र मारकाम से मिले, और वे भी एक अन्य प्रतिभाशाली तथा विज्ञान के प्रति जिज्ञासु छात्र थे। इन दोनो के मध्य एक महत्वपूर्ण मित्र संबंध बन गया।
ट्युरिंग के जीवन पर क्रिस्टोफ़र मारकाम का प्रभाव
ट्युरिंग तथा मारकाम के मध्य मित्रता ने ट्युरिंग की शोधो को एक दिशा दी। लेकिन इन मित्रता को मारकाम की मृत्यु ने विराम लगा दिया। फ़रवरी 1930 मे मारकाम की मृत्यु गाय के संक्रमित दुध पीने से उत्पन्न बोवाइन क्षय रोग से हो गयी।
दुखद मृत्यु
ट्युरिंग समलैंगिक थे। उस समय ब्रिटेन मे समलैंगिकता अपराध था,1952 मे ट्युरिंग पर मुकदमा चलाया गया। ट्युरिंग ने जेल जाने की बजाय रासायनिक बधियाकरण चुना जिसमे उन्हे ओइस्ट्रोजेन के इंजेक्शन दिये गये। अपने 42 वे जन्मदिन से 16 दिन पहले ट्युरिंग ने साइनाइड वाला सेब खाकर आत्महत्या कर ली।
ब्रिटिश सरकार द्वारा खेद जताना
2009 मे इंटरनेट पर चलाये गये एक अभियान के पश्चात ब्रिटिश प्रधानमंत्री गार्डन ब्राउन ने ट्युरिंग के साथ किये गये व्यवहार के लिये ब्रिटिश सरकार की ओर से सार्वजनिक माफ़ी मांगी। रानी एलिजाबेथ ने 2013 मे ट्युरिंग को शाही माफ़ी प्रदान की।
जीवन समयरेखा
- 1912 :जुन 23 जन्म : पैडींगटन लंदन
- 1926-31 शेर्बोर्न स्कूल
- 1930 मित्र क्रिस्टोफर मार्काम की मृत्यु
- 1931-34 किंग्सकालेज कैंब्रिज मे अध्ययन
- 1932-35 क्वांटम यांत्रिकी, प्रायिकता, लाजीक.फ़ेलो आफ़ किंग्स कालेज कैंब्रिज
- 1936 ट्युरिंग मशीन
- 1936-38 प्रिंसटन विश्वविद्यालय से PhD लाजिक, बिजगणित, संख्या सिद्धांत
- 1938-39 कैंब्रिज विश्वविद्यालय, जर्मन एन्जिग्मा मशीन का अध्ययन
- 1939-40 एनिग्मा मशीन का तोड़, द बामे
- 1939-42 यु बोट एनिग्माका तोड़, अटलांटिक युद्ध जितने मे महत्वपूर्ण भूमिका
- 1943-45 मुख्य एन्गलो-अमेरिकन क्रिप्टो सलाहकार, इलेक्ट्रानिक कार्य
- 1945 राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला लंदन
- 1946 कंप्युटर और साफ़्टवेयर मे कार्य
- 1947-48 प्रोग्रामिंग, न्युरल नेट तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता
- 1948 मेनचेस्टर विश्वविद्यालय मे कंप्युटर के प्रयोग से गणित के क्षेत्र मे प्रथम गंभीर कार्य
- 1950 मशीन की बुद्धिमता जांचने के लिये ट्युरिंग टेस्ट
- 1951 FRS चुने गये। जैविक विकास का अरैखिक सिद्धांत
- 1952 समलैंगिक संबधो के लिये गिरफ़्तार, सुरक्षा अनुमति रद्द
- 1953-54 जीव विज्ञान और भौतिकी के अधूरे कार्य जारी
- 1954 साइनाइड वाले सेब को खाकर आत्महत्या
प्रमुख पुरस्कार
जीवन पर बनी फ़िल्म
मार्टेन टील्डम द्वारा निर्देशित ऐतिहासिक ड्रामा फ़िल द इमिटेशन गेम।
अभिनेता बेनेडिक्ट कम्बरबैच – एलन ट्युरिंग, कीरा नाइटली – जान क्लार्क
14 नवंबर 2014 को ब्रिटेन मे , 28 नवंबर 2014 को अमरीका मे प्रदर्शित। इस फ़िल्म का कथानक एलन ट्युरिंग तथा सहकारीयो द्वारा ब्लेचली पार्क मे एनिग्मा कोड का तोड़ निकालने पर आधारित है।
एलन ट्युरिंग पर एक और लेख : एलन ट्युरिंग अमर है।
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लेख सामग्री : विज्ञान विश्व टीम
bahot hi achaa post
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सर यह जो मैसेज चाइनीस भाषा में आते हैं इसका कोई उपाय बताइए l आपने अभी जो
मैसेज भेजा है वह भी चाइनीस भाषा में ही आया हैl अतः उपाय शीघ्र बताएं l
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बेहद सम्मान उभरता है इस महान व्यक्ति के लिए मन में।
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