हम सभी जानते है कि वर्तमान मे ऊर्जा के प्राथमिक स्रोत का सीमित भंडार है। वर्तमान ऊर्जा स्रोत जीवाश्म आधारित है। कभी ना कभी निकट भविष्य मे पृथ्वी के तेल भंडार समाप्त हो जायेंगे और उस समय हम ऊर्जा के वैकल्पिक संसाधनो पर पुर्णत निर्भर हो जायेंगे। बहुत से देशो ने पारंपरिक सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा तथा जलऊर्जा को अपना लिया है , कुछ देश इससे अधिक साफ़सूथरी और अधिक कार्यकुशल ऊर्जा स्रोत की खोज मे लगे हुये है। इस लेख मे हम ऐसे ही कुछ वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की चर्चा करेंगे।
अंतरिक्ष आधारित सौर ऊर्जा
अवधारणा
पृथ्वी तक पहुंचने वाली सौर ऊर्जा का 50-60% भाग वायुमंडल द्वारा रोक दिया जाता है। अंतरिक्ष आधारित सौर ऊर्जा संयत्र मे उपग्रहो के समूहो के विशाल दर्पणो को अंतरिक्ष मे फैलाया जायेगा जोकि इस सौर विकिरण को सौर पैनलो पर केंद्रित करेंगे। ये सौर पैनल सौर ऊर्जा को माइक्रोवेव तरंगो मे परिवर्तित करेंगे, इन माइक्रोवेव तरंगो को पृथ्वी पर ऊर्जा ग्रहण करने वाले संयत्रों पर बीम किया जायेगा, इसमे यह ध्यान रखना होगा कि इस संवहन के दौरान न्यूनतम ऊर्जा ह्रास हो।
वस्तु स्थिति
मार्च 1915 मे जापान एअरोस्पेस एक्स्प्लोरेशन एजेंसी(JAXA) ने घोषणा की कि उन्होने 1.8 किलोवाट ऊर्जा को माइक्रोवेव मे परिवर्तित कर बेतार रूप से 50 मिटर तक बीम करने मे सफ़लता पायी है। यह प्रयोग दर्शाता है कि यह अवधारणा प्रायोगिक है।
मानव शक्ति
अवधारणा
कुछ विशेषज्ञ मानते है कि ऊर्जा उत्पन्न करने का सबसे सरल तरिका मानव शरीर ही है। वर्तमान उपकरण पुराने उपकरणो की तुलना मे कम ऊर्जा खपत करते है, मानव शरीर से केवल एक माइक्रोवाट ऊर्जा का उत्पादन बहुत से छोटे इलेक्ट्रानिक उपकरणो के लिये पर्याप्त होगा। ऊर्जा का यह उत्पादन मानव शरीर की गतिविधियों के द्वारा होगा, हमे केवल एक ऐसी प्रणाली पहननी होगी जो हमारे शरीर से उत्पन्न ऊर्जा को जमा करेगी।
वस्तुस्थिति
ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने घुटनो पर लगाने वाला एक ऐसा उपकरण बनाया है जो चलते समय इलेक्ट्रान जमा करता है। जैसे ही पहनने वाले का घूटना मुड़ता है इस उपकरण की चार धातुई पट्टीयाँ किसी गिटार के तार जैसे झंकृत होती है और विद्युत निर्माण करती है।
ज्वारीय ऊर्जा
अवधारणा
लहरो से उत्पन्न ऊर्जा तकनीकी रूप से वायु ऊर्जा है क्योंकि लहरो की उत्पत्ति सागरो के उपर से बहते वायु प्रवाह से होती है। इस ऊर्जा को सतह पर, सतह के नीचे, सागर किनारे, सागर मे तट के समीप या सागर मे तट से दूर संग्रहीत किया जा सकरा है। तरंग ऊर्जा को किलोवाट प्रति मीटर सागरीय तट मे मापा जाता है। सं रा अमरीका के सागरी तटो पर प्रति वर्ष 252 अरब किलोवाट/घंटा ऊर्जा उत्पन्न करने की क्षमता है।
वस्तुस्थिति
पांच देशो के पास ज्वारीय ऊर्जा उत्पन्न करने वाले विद्युत फ़ार्म है जिसमे उर्तगाल के पास विश्व का सबसे पहला व्यवसायिक ऊर्जा फ़ार्म है जिसकी स्थापना 2008 मे हुयी थी। इसकी क्षमता 2.25 मेगावाट है।
हायड्रोजन ऊर्जा
अवधारणा
एक रंगहीन, गंधहीन गैस के रूप मे ब्रह्मांड के कुल द्रव्यमान का 74% भाग हायड्रोजन से बना हुआ है। पृथ्वी पर यह गैस आक्सीजन, कार्बन और नाइट्रोजन के यौगिक के रूप मे ही पायी जाती है। हायड्रोजन के इंधन के रूप मे प्रयोग करने के लिये इसे अन्य तत्वो से अलग करना होगा। मुक्त हायड्रोजन के दहन से अत्याधिक ऊर्जा मुक्त होती है और कोई प्रदुषण नही होता है।
वस्तुस्थिति
हायड्रोजन से विद्युत बनाने वाले इंधन सेलो का प्रयोग वाहनो, विमानो, घरो और इमारतो मे वर्तमान मे हो रहा है। इस तकनीक के विकास के लिये टोयोटा, होंडा और ह्यंडै जैसी वाहन निर्माता कार्यरत है।
लावा ऊर्जा
अवधारणा
पृथ्वी के गर्भ मे उपलब्ध उष्ण लावा के प्रयोग से भाप उत्पन्न कर उससे टरबाइन द्वारा विद्युत उत्पन्न की जा सकती है। 2010 मे आइसलैंड , फ़िलिपन्स तथा एक सल्वाडोर मे भूगर्भीय उष्मा से 10,700 मेगावाट ऊर्जा उत्पन्न हुयी थी। इस अवधारणा पर ध्यान 2008 मे आइसलैंड डीप ड्रिलिन्ग प्रोजेक्ट द्वारा संयोगवश एक कम गहराई वाले लावा क्षेत्र के पाये जाने से गया, और उन्होने इसकी उष्मा से ऊर्जा निर्माण का निर्णय लिया।
वस्तुस्थिति
आइसलैंड का IDDP-1 लावा उष्मा से विद्युत उत्पन्न करने वाला पहला भूगर्भिय उष्मा विद्युत संयंत्र है जो पीघले लावा से सीधे सीधे उष्मा प्राप्त करता है। इसकी क्षमता 36 मेगावाट है।
नाभिकिय कचरे से ऊर्जा
अवधारणा
नाभिकिय ऊर्जा संयंत्रो मे विखंडन प्रक्रिया से ऊर्जा उत्पादन मे युरेनियम की कुल मात्रा का केवल 5% ही प्रयुक्त होता है, शेष मात्रा नाभिकिय कचरे के रूप मे व्यर्थ पड़ी रहती है। केवल अमरीका के नाभिकिय ऊर्जा संयत्रो मे 77,000 टन रेडियो सक्रिय कचरा पड़ा है। ’फ़ास्ट रिएक्टर’ नामक एक उपलब्ध तकनीक के प्रयोग से इस 95% नाभिकिय कचरे का ऊर्जा उत्पादन मे प्रयोग किया जा सकता है।
वस्तुस्थिति
जनरल इलेक्ट्रीक और हिताची ने Gen-IV ने एक फ़ास्ट रिएक्टर PRISM(Power Innovative Small Module) का डिजाइन किया है जो नाभिकिय कचरे से ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है। इस रिएक्टर से उत्पन्न कचरे की अर्ध आयु केवल 30 वर्ष होगी जोकि वर्तमान कचरे की हजारो वर्ष की अर्ध आयु से कम है।
अंत:स्थापित सौर ऊर्जा
अवधारणा
सौर खिड़कीया किसी भी खिड़की या काच की चादर को फोटोवाल्टिक विद्युत सेल मे बदल सकती है। ये विद्युत सेल प्रकाश के चुने हुये वर्णक्रम को विद्युत मे बदल सकते है। इस चुने हुये वर्णक्रम को हमारी आंखे नही देख सकती है लेकिन हमारे लिये दृश्य प्रकाश उसी तरह पार हो जायेगा, रोशनी उसी तरह रहेगी। इन सौर खिडकीयो का आकार विशाल खिड़कीयो से लेकर छोटे घरेलु उपकरण के आकार का हो सकता है।
वस्तुस्थिति
मिशीगन राज्य के शोधकर्ताओ ने पारदर्शी सौर पैनलो को बनाने मे सफ़लता पायी है। अब वे इसके व्यवसायिक उत्पादन के लिये उसके आकार को व्यवसायिक रूप से बड़े और घरेलु उपकरणो के लिये छोटा करने मे लगे हुये है। उनका प्रयास है कि इसकी किमत इतनी हो कि ये सभी की पहुंच मे हो।
शैवाल ऊर्जा
अवधारणा
शैवाल आश्चर्यजनक रूप से ऊर्जा युक्त तेलों से भरपूर होते है जिन्हे जिनेटीक रूप से परिवर्तित कर सीधे सीधे जैव तेल के उत्पादन के लिये प्रयुक्त कर सकते है। उद्योगो से उत्पन्न अपशिष्ट जल जो सामान्य वनस्पति के लिये हानिकारक होता है शैवाल की खेती के लिये उपयोगी पाया गया है। एक एकड़ मे शैवाल द्वारा मे 9,000 गैलन जैवइंधन तेल उत्पन्न किया जा सकता है।
वस्तुस्थिति
अलाबामा अमरीका मे विश्व का सर्वप्रथम शैवाल जैवइंधन की खेती हो रही है जो नागरी अपशिष्ट जल का प्रयोग करती है। इस प्रक्रिया द्वारा उत्सर्जित साफ़ जल को खाड़ी मे डाला जाता है।
उड़न पवन ऊर्जा
अवधारणा
इस विधि मे पवनचक्कीयों को जमीन से 1000-2000 फ़ीट उंचाई पर गुब्बारो की सहायता से उड़ान मे रखा जाता है। इस उंचाई पर वायु गति धरातल की तुलना मे 5-8 गुणा होती है। ये उड़न पवन टर्बाइन टावर वाले पवन टर्बाइन की तुलना मे दोगुनी विद्युत उत्पन्न करते है।
वस्तुस्थिति
अल्टेरोस एनर्जीस(Altaeros Energies) कंपनी ने प्रथम व्यवसायिक उड़ने वाला पवन टर्बाइन बनाया है जिसका नाम ब्युयांट एअर टर्बाइन (Buoyant Air Turbine) है और 35 फ़ुट लंबा उच्च कोटी के कपड़े से बने गुब्बारे के रूप मे है। यह 30 किलोवाट ऊर्जा उत्पन्न करने मे सक्षम है और एक बार स्थापित होने पर पुर्णत: स्वचालित है, यह अपने आप को वायु गति के आधार पर समायोजन कर लेता है, आपतकाल मे सुरक्षित स्थान पर उतर जाता है।
संलयन ऊर्जा
अवधारणा
संलयन ऊर्जा सूर्य तथा सभी तारो की ऊर्जा का स्रोत है। इस ऊर्जा स्रोत मे अनंत काल तक साफ़ सुथरी ऊर्जा देने की क्षमता है, इससे कोई ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन नही होता है, नाही विखंडन परमाणु ऊर्जा जैसे रेडियो सक्रिय प्रदुषण होने की संभावना होती है। नाभिकिय संलयन मे हायड्रोजन के समस्थानिक ड्युटेरियम तथा ट्रिटियम के परमाणूओं के संलयन से हिलियम बनती है और परमाणु विखंडन से चार गुना ऊर्जा उत्पन्न होती है।
वस्तुस्थिति
सात देशो के सहयोग से फ़्रांस मे बन रहा ITER (International Thermonuclear Experimental Reactor)बनाया जा रहा है, इसके 2027 तक पुर्ण होने की संभावना है। आशा है कि यह सबसे पहला व्यवसायिक संलयन ऊर्जा संयत्र होगा।
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ग्राफिक्स स्रोत : https://futurism.com
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लेख सामग्री : विज्ञान विश्व टीम
us vaqt saur urja ka hamare kshetra me bahut bada yogadan rahega
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sir ye kaise napte hai ki barish kitne inch hui.
jab padarth energy ban jata hai to uska matter kaha jata hai i mean energy dikhai kyu nahi deti.
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कितनी वर्षा हुई है यह नापने के लिए मौसम विज्ञानी रेन गॉग का उपयोग करते हैं। रेन गॉग यह बताता है कि एक निश्चित समय में कितनी वर्षा हुई है।

अधिकतर रेन गॉग में वर्षा मिलीमीटर में ही मापी जाती है। 1662 में क्रिस्टोफर व्रेन ने ब्रिटेन में पहला रेन गॉग बनाया था। रेन गॉग यंत्र में एक फनल होती है जिसमें वर्षा जल के इकट्ठा होने से कितनी वर्षा हुई है इसका पता लगाया जाता है।
हालाँकि रेन गॉग हमेशा बारिश का सही जानकारी दे यह जरूरी नहीं है क्योंकि कई बार बहुत तेज तूफान के साथ बारिश होने पर जानकारी लेना असंभव हो जाता है। ऐसे में यंत्र में ही टूट-फूट होने की आशंका रहती है। इसके साथ रेन गॉग किसी एक निश्चित स्थान की वर्षा को मापने में ही प्रयोग किया जा सकता है, बहुत ज्यादा बड़े इलाके की वर्षा रेन गॉग से नहीं मापी जा सकती है।
रेन गॉग को पेड़ और इमारत से दूर रखा जाता है ताकि वर्षा का मापन ठीक-ठीक हो सके। ओले या बर्फबारी के समय भी रेन गॉग से वर्षा का मापन नहीं हो पाता है।
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