खगोलविदों ने पहली बार पृथ्वी से करीब 450 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित एक तारे के पास बन रहे एक ग्रह की तस्वीर को कैमरे में कैद किया है।

अमेरिका के ऐरिजोना विश्वविद्यालय के रिसर्चर्स ने LKCA 15 के डिस्क की दरार में बन रहे एक ग्रह की तस्वीर को कैमरे में कैद किया है। पृथ्वी से डिस्क की अधिक दूरी और वहां के गैस तथा धूल से भरे वायुमंडल के बावजूद खगोलशास्त्रीयों ने बन रहे ग्रह की तस्वीर ली है।
LKCA 15 एक नया तारा है जिसके आसपास एक परिवर्तनीय डिस्क है, जो ग्रहों की जन्मभूमि है। अनुसंधान का नेतृत्व करने वाले ऐरिजोना विश्वविद्यालय के स्नातक के छात्र स्टेफ सेलम ने कहा, ‘पहली बार हम लोगों ने एक ऐसे ग्रह की तस्वीर ली है जो अब भी बन रहा है।’ इस अनुसंधान का प्रकाशन नेचर नामक जर्नल में हुआ है।
प्राग-ऐतिहासिक काल से ही मानवो ने सौर मंडल मे ग्रहो के जन्म की प्रक्रिया के बारे मे अटकले लगाना प्रारंभ क्र दी थी। अब खगोल वैज्ञानिको ने पहली बार सौर मंडल के बाहर किसी तारे के आस पार एक ग्रह को जन्म लेते देखा है, यह निरीक्षण हमे ग्रहों के जन्म की प्रक्रिया को समझने मे एक मील का पत्थर साबीत होगा।
यह एलीयन ग्रह जिसे LKCA 15 b नाम दिया गया है, पृथ्वी से 450 प्रकाशवर्ष दूर एक तारे(LKACA 15) की परिक्रमा करता है और एक बृहस्पति के आकार के ग्रह के जैसे विशालकाय गैस महाकाय बनने के मार्ग मे है।
स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालय के खगोलवैज्ञानिक केट फालेट्टे(Kate Follette) के अनुसार
” यह किसी तारे के पास किसी नवजात ग्रह(protoplanet) के निर्माण के निर्माण का सर्वप्रथम निरीक्षण है।”
केट फालेट्टे की यह शोध विज्ञान पत्रिका नेचर(Nature) मे प्रकाशित हुयी है। उनके शोध द्वारा LKACA 15b की एक डिजिटल तस्वीर बनायी गयी है, जिसमे यह नवजात ग्रह अत्याधिक उष्ण हायड्रोजन गैस के कारण चमक रहा है। इस निरीक्षण ने ग्रहो के निर्माण की वर्तमान अवधारणा को मान्यता दी है।
इस निरीक्षण मे अरीजोना विश्वविद्यालय के छात्र स्टेग सालम(Steph Sallum) द्वारा स्वतंत्र रूप भिन्न विधि का प्रयोग करते हुये से इसी तारे के निरीक्षण से प्राप्त आंकड़ो का भी समावेश है।
इस तारे का निर्माण एक संक्रमण डिस्क मे हो रहा है जो किसी डोनट के आकार की धुल तथा चट्टानी मलबे की डिस्क है और अपने मातृ तारे LKCA15 की परिक्रमा कर रही है। यदि आप चित्र मे देखे तो आपको मध्य के एक खाली जगह दिखायी देगी, यह खाली जगह किसी ग्रहो के निर्माण से उत्पन्न है जो उस जगह की धुल और गैस को जमा कर ग्रह के रूप मे संगठित हुयी है। खगोलशास्त्री लंबे समय से कह रहे थे कि किसी तारे की संक्रमण तश्तरी के मध्य मे अंतराल के निरीक्षण से नवजात ग्रह के बनने की प्रक्रिया को देखा जा सकता है, लेकिन ऐसा अवसर पाना बड़ी चुनौति रहा है।
फ़ालोट्टे तथा उनके सहयोगीयो ने एक दूसरा मार्ग चुना और उन्होने ग्रह निर्माण के हस्ताक्षर की तस्वीर लेने वाला एक उपकरण बनाया। बहस्पति के आकार के निर्माण की प्रक्रिया जिसमे एक चट्टानी/बर्फ़िले केंद्रक से गैस महाकाय बनता है, काफ़ी ऊर्जावान होती है। इस प्रक्रिया मे संक्रमण डिस्क से हायड्रोजन गैस नवजात ग्रह के केंद्रक पर गीरती है और किसी प्रकाशीय फ़्लुरोस्केन्ट बल्ब के जैसे दीप्तिवान हो जाती है। इस हायड्रोजन गैस से निकलने वाले प्रकाश की तरंग दैधर्य को H-Alpha कहते है। यदि इस तरंग दैधर्य वाले प्रकाश को पकड़ लिया जाये तो हम किसी नवजात ग्रह के निर्माण प्रक्रिया को भी पकड़ सकते है।
अरिजोना विश्वविद्यालय के चिली स्थित मैगलेन दूरबीन(Magellan Telescope in Chile) के प्रयोग से फ़ालेट्टे तथा उनके मार्गदर्शक प्रोफ़ेसर ब्रुस मैकिन्तोश ने अन्य सहयोगियो के साथ LkCa 15 b से उत्सर्जित होते हुये इस विशिष्ट प्रकाश का निरीक्षण किया।
फ़ालेट्टे कहते है कि
” वे आंकड़ो के संसाधन के बाद काफी रोमांचित थे लेकिन वे सजग थे। मुझे पता था कि मैने कुछ भिन्न खोज की है लेकिन इस क्षेत्र मे हमे ऐसे पिंड भी मील जाते है जो शंका की सीमा पर होते है। लेकिन हमे इस बात का संतोष है कि हमारी सारी जांचो ने इन आकंडो और खोज की पुष्टि की।”
इस खोज को पूरा करने के लिये वैज्ञानिको ने तस्विरो इस तारे से उत्सर्जित प्रकाश को कंप्युटर द्वारा हटाया, जिससे उन्हे इस तस्वीर मे नवजात तारे द्वारा उत्सर्जित धुंधला प्रकाश दिखायी दिया। यह नवजात ग्रह अपने मातृ तारे के काफ़ी समीप है, यदि वह अपने मातृ तारे के थोड़ा अधिक समीप होता तो वह मातृ तारे द्वारा उत्सर्जित प्रकाश से पूरी तरह दब जाता है।
किसी तारे और ग्रह के प्रकाश की चमक मे अंतर किसी सर्चलाईट तथा जुगनु की चमक मे अंतर के तुल्य होता है। किसी तारे के इतने समीप ग्रह से उत्पन्न धूंधले प्रकाश को पृथ्वी की वेधशाला मे मातृ तारे के प्रकाश से अलग करना बहुत कठिन और श्रमसाध्य कार्य होता है। लेकिन इस मामले मे वैज्ञानिको का ध्यान प्रकाश के एक विशिष्ट तरंग दैधर्य H-Alpha पर केंद्रित था तथा इस तरंग दैधर्य की उपस्थिति के संकेत मजबूत होने से वैज्ञानिक नवजात ग्रह की उपस्थिति तय करने मे सफ़ल हो गये।
इन तस्विरो को पृथ्वी के वातावरण से उत्पन्न प्रकाश विचलन को हटाने के लिये संसाधित किया गया। वर्तमान मे मैगलेन दूरबीन अकेली दूरबीन है जो H-Alpha तरंग दैधर्य की जांच मे सक्षम है। अब निकट भविष्य मे यह दूरबीन अन्य नवजात ग्रहों की खोज का केंद्र बन जायेगी।

प्रोफ़ेसर मैकिन्तोश जिन्होने हाल ही मे एक थोड़े अधिक उम्र के ग्रह 51 Eridani b की खोज की थी वे अन्य खगोलशास्त्रीयों को इस दूरबीन से नवजात ग्रहो की खोज करने की अनुमति देने के पक्ष मे है।
उनके अनुसार
“51 Eri b 200 लाख वर्ष उम्र का एक व्यस्क ग्रह है जो अभी तक अपने निर्माण की प्रक्रिया मे ग्रहण की गयी ऊर्जा का उत्सर्जन कर रहा है। जबकी केट का ग्रह शिशु है, अभी अपना विकास कर रहा है।”
यह टीम अभी LKCA 15 b का निरीक्षण जारी रखेगी जिससे ग्रहो के निर्माण की प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझा जा सके तथा इस प्रक्रिया द्वारा संक्रमण डिस्क पर छोड़े गये निशानो को पहचाना जा सके। यदि यह ग्रह इस संक्रमण डिस्क मे उत्पन्न अंतराल के लिये जिम्मेदार है तो इसका अर्थ होगा कि अन्य संक्रमण डिस्क मे इस तरह के अंतराल ग्रहो के जन्म के निशान है।
फ़ालेट्टे के अनुसार इस तरह की शोध से ग्रहो के जन्म की प्रक्रिया को समझा जा सकेगा और हमारे अपने सौर मंडल के जन्म के बारे मे हम अच्छे से जान पायेंगे। इससे यह भी पता चलेगा कि हमारे सौर मंडल का जन्म कोई अपवाद प्रक्रिया ना हो कर इस ब्रह्माण्ड मे चलने वाली एक सामान्य प्रक्रिया हओ।
sir, Entangled particles kya hote h. kya ye worm hole se connect hote h.
पसंद करेंपसंद करें
https://vigyanvishwa.in/2011/10/04/quantumteleportation/
पसंद करेंपसंद करें
sir, worm hole kya hote h.
पसंद करेंपसंद करें
वर्महोल का अस्तित्व प्रमाणीत नही है। लेकिन यह माना जाता है कि वे काल-अंतराल(time space) के दो बिंदुओ को जोड़ने वाला शार्टकट हो सकते है। इसे आईन्स्टाइन रोजेन ब्रिज भी कहते है।
पसंद करेंपसंद करें
nice article,
ye ghatna ab se 450 year pahle ki hogi.
पसंद करेंपसंद करें
प्रणाम
खगोल विज्ञान के विषय को इस लेख संग्रह के माध्यम से जनभाषा मे प्रस्तुत करने के लिए आपको कोटीशः धन्यबाद!
मान्यवर, क्या सभी 118 तत्व बिग बैंग विस्फोट के बाद ही अस्तित्व मे आ गये थे? या हाइड्रोजन से अन्य तत्व तारों की भट्ठी मे बाद मे बने?
पसंद करेंपसंद करें
बिग बैंग मे केवल हायड्रोजन बनी(शायद अत्यल्प मात्रा मे हिलियम)! हायड्रोजन से लेकर लोहे तक के तत्व तारों के केंद्रक की भट्टी मे बने। लोहे से भारी तत्व तारो की मृत्यु के समय होने वाले सुपरनोवा विस्फोटो मे! इसलिये आप देखेंगे कि हायड्रोजन की मात्रा सबसे अधिक है, जैसे जैसे परमाणू क्रमांक बढ़ता है, उस तत्व की मात्रा कम होते जाती है। जितना भारी तत्व उतनी कम मात्रा!
पसंद करेंपसंद करें
मान्यवर,
हमारे सौर मण्डल मे लगभग सभी भारी तत्व मौजुद हैं! इसका मतलब कि जहाँ हमारा सौर मंडल है! वहाँ पुर्व मे भी तारे बनते बिगड़ते रहें हैं| और उन तारों के अबशेष से यह सौर मंडल बना है?
हमारा सूर्य हाइड्रोजन से बना है! उसके बाद बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, चट्टानों से बनें हैं| और सौर मंडल के बाहरी ग्रह पुनः गैसों को बने हैं| आखीर यह विचित्र पैटर्न क्यों बना ह? मेरे विचार से भारी तत्वों को सौर मंडल के केन्द्र मे होना चाहिये, तत्पश्चात क्रमसः हल्के तत्वों का बाहर की ओर विस्तार होना चाहिये था| परंतु केन्द्र मे हल्का हाइड्रोजन फिर सभी भारी तत्व चट्टानी ग्रहों के रुप मे और अंत मे पुनः हल्के तत्वों के विशाल ग्रह गोले| ऐसा क्यों हुआ? कृपया मेरा भ्रम दूर करने कि कृपा करें!
पसंद करेंपसंद करें
यह माना जाता है कि हमारा सूर्य दूसरी पीढी का तारा है अर्थात यह पूर्व मे स्थित किसी तारे की मृत्यु के पश्चात अवशेषो से बना है। पहली पीढ़ी के तारो मे केवल हायड्रोजन और हिलियम होती है लेकिन सौर मंडल मे लगभग सभी तत्व उपस्थित है जो प्रमाणित करते है कि सूर्य के किसी अन्य तारे के अवशेषो से बना है।
जब किसी तारे की मृत्यु होती है तब उसमे एक विस्फोट होता है और उसके बाहरी तहे दूर तक फेंक दी जाती है। इस विस्फोट मे तत्वो के वितरण का कोई विशेष अनुपात नही है लेकिन केंद्र के पास भारी तत्व तथा दूर हल्के तत्व रहेंगे।
किसी वजह से ऐसे किसी मृत तारे का किसी अन्य गैसीय बादल मे विलय हुआ और किसी बाह्य तारे के गुरुत्वाकर्षण से सौर मंडल का निर्माण प्रारंभ हुआ। केंद्र मे 99% से अधिक पदार्थ ने सूर्य बनाया शेष 1 % मे अन्य सभी ग्रह। सूर्य की संरचना मे सभी तत्व है लेकिन अधिकता हायड्रोजन तथा हिलियम की है। पूराने मृत तारे के अवशेषो के भारी तत्वो से बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल बने, बाकी गैसीय दानव जैसे बृहस्पति, शनि, युरेनस , नेपच्युन पूराने मृत तारे के हल्के तत्व, नये गैसीय बादल के हल्के तत्वो से बने।
पसंद करेंपसंद करें
Reblogged this on oshriradhekrishnabole.
पसंद करेंपसंद करें
Sir Maine apse pahle bhi ye sawaal kiya that lekin apne jawaab nahi diya
Mera sawaal that ki big bang se pahle space tha ya nahi?
पसंद करेंपसंद करें
इमरान, अंतरिक्ष(space) , पदार्थ, समय का निर्माण बिग बैंग के साथ हुआ है। इसके पहले void(कुछ नही, शून्य, अपरिभाषित) था!
पसंद करेंपसंद करें
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन – गुरु पर्व और देव दीपावली की हार्दिक बधाई। में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर …. आभार।।
पसंद करेंपसंद करें