अफ़वाह : नवंबर ब्लैक आउट- पृथ्वी पर पंद्रह दिनो का अंधेरा
इंटरनेट पर एक अफ़वाह घूम रही है कि नवंबर 2015 पंद्रह दिन का ब्लैक आउट रहेगा। कुछ जगह सितंबर 2015 भी है। कुछ समाचार पत्रों ने इसे प्रकाशित भी कर दिया है, चित्रो मे समाचार पत्रो की क्लिप देखीये। इस अफ़वाह को विश्वसनीय बनाने नासा का नाम भी जोड़ा गया है।
अफवाह कुछ ऐसी है :
नयी दिल्ली। आप ये खबर कर भले ही चौंक जाए, लेकिन आपको बता दें कि 15 दिनों के लिए हमारी धरती अंधेरे में डूब जाएगी। ये बता कर हम आपको डराना नहीं चाहते ब्लकि आपको इस खबर से रुबरु करवाना चाहते हैं कि 15 नबंवर से 2015 से लेकर 29 नबंवर 2015 तक धरती अंधेरे में डूब जाएगी।
अमेरिका के स्पेस संगठन नासा के हवाले से यह खबर मीडिया में आयी है कि 15 नवंबर से 29 नवंबर तक दुनिया में अंधेरा रहेगा। खबर के मुताबिक 1 मिलियन साल बाद ऐसी घटना होती है। यानि दुनिया में जीवित प्राणियों के लिये ऐसा पहली बार होगा। ऐसे में इस दौरान पूरी धरती अंधेरे में गुम हो जाएगी। रविवार 15 नबंवर 2015 के दोपहर 3 बजे से लेकर सोमवार 30 नबंवर 2015 के 4 बजकर 15 मिनट तक अंधेरा रहेगा। इस घटना को एस्टॉनोमिकल ईयर के नाम से जाना जाएगा। आम भाषा में इसे नबंवर ब्लैक आउट के नाम से जानते हैं। ये घटना मंगलग्रह और बृहस्पति के कारण होती है। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की पूरी टीम इस घटना पर गहन अध्ययन कर रही है।
इंटरनेट पर अफ़वाह
इन सभी समाचारो मे यह नही बताया गया है कि यह घटना क्यों होगी। कुछ जगह किसी क्षुद्र ग्रह के टकराने का उल्लेख है, कुछ जगह किसी काल्पनिक ग्रह निबिरु या प्लेनेट एक्स का उल्लेख है।
यह खबर बकवास है और नासा का इससे कोई संबंध नही है। नासा इसका खंडन भी कर चुका है। ऐसी ख़बरें इंटरनेट पर हर साल आती रहती है, बस हर साल तारीख़ बदल जाती है।
आपको याद होगा कि कुछ दिनों पहले आकाश मे मंगल के चंद्रमा के समान विशाल दिखने के कारण रात्री आकाश मे दो चंद्रमा दिखने वाली अफ़वाह आयी थी, इसमे भी नासा का उल्लेख था।
क्या पृथ्वी पर पंद्रह दिनो का अंधकार संभव है ?
उत्तर है नही!
पृथ्वी पर अंधकार की कुछ संभावनाओं पर विचार किया जाये!
1. चंद्रमा द्वारा सूर्य ग्रहण
इस अवस्था मे पृथ्वी पर अंधकार हो सकता है लेकिन पूरी पृथ्वी पर नही। लगभग सौ किमी के पट्टे की चौड़ाई मे अंधकार हो सकता है वह भी दस मिनट से अधिक नही।
2. किसी अज्ञात ग्रह या धुमकेतु द्वारा सूर्यग्रहण
समाचार पत्र मे अफ़वाह
क्षुद्र ग्रह, धुमकेतु द्वारा सूर्य ग्रहण द्वारा सूर्य ग्रहण संभव नही है, यदि मान भी ले कि वे सूर्य ग्रहण कर सकते है तब भी उसकी अवधी मिनटो मे होगी। उनके द्वारा होने वाला सूर्य ग्रहण भी कुछ किमी से ज्यादा चौड़े पट्टे मे ही दिखेगा। संपूर्ण पृथ्वी पर अंधकार संभव ही नही है क्योंकि क्षुद्र ग्रह, धुमकेतु चंद्रमा से बहुत छोटे होते है। चंद्रमा ही कुछ सौ किमी के पट्टे मे मुश्किल से कुछ मिनट के लिये ही अंधकार उत्पन्न कर सकता है तो क्षुद्र ग्रह, धुमकेतु का तो प्रश्न ही नही है।
निबिरु या प्लेनेट X ? ऐसा कोई ग्रह नही है, ये ग्रह कुछ सरफ़िरे भय बेचने वाले लोगो के दिमाग मे ही है। वे लोग भय के बदले मे अपनी पुस्तके विडियो डीवीडी बेचते है। आपको याद होगा कि ऐसी अफ़वाहे 21 दिसंबर 2012 को पृथ्वी के अंत की भी फैलाई गयी थी। इन लोगो ने पुस्तके, बचने के तरिके विडीयो बेचकर खूब पैसा भी कमाया था। वे लोग फ़िर से आ गये है। मान ले कि यह घटना यदि नवंबर मे होना है तो यह प्लेनेट X या निबिरु को रात्री आकाश मे सबसे ज्यादा चमकदार पिंड के रुप मे दिखना चाहिये। नासा अकेली अंतरिक्ष संस्था नही है, यूरोपियन,रशीयन, जापानी, चीनी और अपनी इसरो भी है। इन सबके अतिरिक्त सैकड़ों शौक़िया खगोल शास्त्री भी है, वह सब भी इन सबको महिनो पहले देख सकते है। अब तक इन्हें किसी ने नही देखा क्योंकि ये है ही नही! जिसका अस्तित्व ही नही उसे देखना असंभव है।
3. पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूर्णन बंद होना।
समाचार पत्र मे अफ़वाह
पृथ्वी पर पंद्रह दिन का ब्लैक आउट होने के लिये पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूर्णन का रूकना आवश्यक होगा। इस स्थिति मे भी संपूर्ण ब्लैक आउट नही होगा, आधी पृथ्वी मे दिन आधी मे रात होगी। इस घटना के लिये लगने वाली ऊर्जा सूर्य द्वारा पूरे साल मे उत्पादित ऊर्जा से भी ज्यादा होगी। यही नही इतनी ऊर्जा घूर्णन के पुन: प्रारंभ करने लगेगी। ये ऊर्जा कहाँ से आयेगी ? इतनी ऊर्जा लगाकर पृथ्वी का घूर्णन कौन रोक सकता है ?
4. अचानक सूर्य का विलुप्त होना
यह इकलौती संभावना है जिससे पृथ्वी पर संपूर्ण अंधेरा छा सकता है लेकिन यह अंधेरा हमेशा के लिये होगा पंद्रह दिनो के लिये। सूर्य विलुप्त होकर पंद्रह दिनो बाद प्रकट हो, यह सपने मे ही संभव है, वास्तविकता मे नही।
अंत मे इंटरनेटी अफ़वाह पर ध्यान ना दे, बस थोड़ा सामान्य बुद्धि का प्रयोग करे, इन्हें अपने मित्रों से फ़ेसबुक व्हाटस एप्प पर या इमेल पर साझा ना करे। ये आती रहेंगी बस तारीखें बदलते रहेंगी।
हाँ। आज से लगभग पांच अरब वर्ष पश्चात सूर्य की हायड्रोजन समाप्त हो जायेगी। उस समय सूर्य फूलकर पृथ्वी तक आ जायेगा, इस अवस्था मे सूर्य पृथ्वी को निगल जायेगा।
Sir, there are difference between Astrology & Astronomy.
Astrology means Jyotish shastra,
Astronomy means Khagol science.
Is site pr jo bhi blog likhe jate h, wo sabhi Astronomy ke antrgat aayenge.
जी, हम दोनो के मध्य अंतर जानते है। ज्योतिष का अर्थ ज्योति वाले पिंडो(तारे ग्रह) से संबधित शास्त्र है। प्राचीन समय मे खगोलशास्त्र(Astronomy) तथा ज्योतिष(Astrology) मे अंतर नही था, बाद मे ज्योतिष को मानव के भविष्य से जोड़ दिया गया और दोनो मे अंतर आ गया।
Chalo achha huwa ye proof ho gaya,jab maine pahli bar apne friends se ye baat suni tabhi maine kah diya tha ki ye sambhav nahi hai kyuki maine aapke sites ke sare lekh pade hai aur mujhe astrology me interest hai lekin sab manane ko taiyar nahi hue
Dear sir
Namskar
माना सर की ये नवम्वर व्लैक आऊट वाली न्यूज वकवास है पर सवाल मेरा है कि क्या ऐसी घटना कभी होगी | और वाकइ मे क्या एसा भी होता है|
प्लीज,,,,,,,,,
Law of conservation of angular momentum. सौर मंडल का जन्म एक घूमते हुए गैस के बादल से हुआ है। इस गैस के बादल का कोणीय संवेग उससे बने सूर्य और ग्रहो के कुल कोणीय संवेग के बराबर होना चाहिए। इस नियम के पालन के कारण इस गैस के बदल से बना हर पिंड अपने अक्ष पर घूर्णन तथा इस गैस के बादल का केंद्र की परिक्रमा करता है। इस गैस के बादल के केंद्र पर सूर्य बना है।
क्या सारे ग्रह और हमारी ग्लैक्सी सभी एक ही दिशा में घूम रहे हैं.??
क्या यह ज्ञात करलिया गया है कि ग्रह एक निश्चित दिशा में ही क्यों घूमते हैं उसके विपरीत क्यों नहीं,
इस लेख पर आपकी राय:(टिप्पणी माड़रेशन के कारण आपकी टिप्पणी/प्रश्न प्रकाशित होने मे समय लगेगा, कृपया धीरज रखें) जवाब रद्द करें
द्वारा प्रकाशित
आशीष श्रीवास्तव
सूचना प्रौद्योगिकी में 22 वर्षों से कार्यरत। विज्ञान पर शौकिया लेखन : विज्ञान आधारित ब्लाग 'विज्ञान विश्व' तथा खगोल शास्त्र को समर्पित 'अंतरिक्ष' । एक संशयवादी (Skeptic) व्यक्तित्व!
आशीष श्रीवास्तव द्वारा सभी पोस्ट देखें
क्या पथ्वी कभी नष्ट होगी ?
पसंद करेंपसंद करें
हाँ। आज से लगभग पांच अरब वर्ष पश्चात सूर्य की हायड्रोजन समाप्त हो जायेगी। उस समय सूर्य फूलकर पृथ्वी तक आ जायेगा, इस अवस्था मे सूर्य पृथ्वी को निगल जायेगा।
पसंद करेंपसंद करें
esa 15 dino ka aandhera hona sambhav bhi nahi ha log esase kyo darte hai
yadi hoga to koi khas sabut kya hai.
पसंद करेंपसंद करें
Sir, there are difference between Astrology & Astronomy.
Astrology means Jyotish shastra,
Astronomy means Khagol science.
Is site pr jo bhi blog likhe jate h, wo sabhi Astronomy ke antrgat aayenge.
पसंद करेंपसंद करें
जी, हम दोनो के मध्य अंतर जानते है। ज्योतिष का अर्थ ज्योति वाले पिंडो(तारे ग्रह) से संबधित शास्त्र है। प्राचीन समय मे खगोलशास्त्र(Astronomy) तथा ज्योतिष(Astrology) मे अंतर नही था, बाद मे ज्योतिष को मानव के भविष्य से जोड़ दिया गया और दोनो मे अंतर आ गया।
पसंद करेंपसंद करें
अपवाह ही लगती है मानव ऐसे ही परेशान है लोग क्यू परेशान करते है.
पसंद करेंपसंद करें
Chalo achha huwa ye proof ho gaya,jab maine pahli bar apne friends se ye baat suni tabhi maine kah diya tha ki ye sambhav nahi hai kyuki maine aapke sites ke sare lekh pade hai aur mujhe astrology me interest hai lekin sab manane ko taiyar nahi hue
पसंद करेंपसंद करें
Dear sir
Namskar
माना सर की ये नवम्वर व्लैक आऊट वाली न्यूज वकवास है पर सवाल मेरा है कि क्या ऐसी घटना कभी होगी | और वाकइ मे क्या एसा भी होता है|
प्लीज,,,,,,,,,
पसंद करेंपसंद करें
ऐसा ना तो कभी हुआ है ना ही होने की संभावना है।
पसंद करेंपसंद करें
क्या यह सत्य है कि पन्द्रह दिन का रात होगा
पसंद करेंपसंद करें
नही, केवल अफ़वाह है।
पसंद करेंपसंद करें
Nahin
पसंद करेंपसंद करें
क्या आप यह बताएगे की प्रथ्वी के अपने धुरी पर घूमने का एक या मुख्य कारण क्या है
पसंद करेंपसंद करें
Law of conservation of angular momentum. सौर मंडल का जन्म एक घूमते हुए गैस के बादल से हुआ है। इस गैस के बादल का कोणीय संवेग उससे बने सूर्य और ग्रहो के कुल कोणीय संवेग के बराबर होना चाहिए। इस नियम के पालन के कारण इस गैस के बदल से बना हर पिंड अपने अक्ष पर घूर्णन तथा इस गैस के बादल का केंद्र की परिक्रमा करता है। इस गैस के बादल के केंद्र पर सूर्य बना है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
आशीष जी क्या ये गृह अपनी धुरी पर उलटे घुमते है या सूर्य के चारो और ?
पसंद करेंपसंद करें
अपनी धुरी पर। केवल कुछ क्षुद्र ग्रह् और कुछ धूमकेतु ही विपरीत दिशा में परिक्रमा करते है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
क्या ये सच है कि 15 दिनों के लिए हमारी धरती अंधेरे में डूब जाएगी। 15 नबंवर से 2015 से लेकर 29 नबंवर 2015 तक धरती अंधेरे में डूब जाएगी?
पसंद करेंपसंद करें
राजेश, आपने पोष्ट नही पढी लग रहा है । यह पोष्ट इसी अफ़वाह के खंडन के लिये है। ऐसा कुछ नही होने वाला है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
लोगों में भय फ़ैलाने के लिए या मजाक के लिए ,,शायद अफवाह फैलाई जाती हैं,,
पसंद करेंपसंद करें
To spread fear among the people or for fun,,,, are probably bitched
पसंद करेंपसंद करें
Reblogged this on oshriradhekrishnabole.
पसंद करेंपसंद करें
विज्ञानं और वैज्ञानिक विधा में अफवाह की कोई जगह नहीं होती है,
निहंगम
पसंद करेंपसंद करें
पत्रकारों (तथा संपादकों) ने सिद्ध कर दिया कि अधिकांश निरे मूर्ख होते हैं – कुछ भी वाट्सएप्पिया अफवाह नासा का हवाला देकर छाप देते हैं. हद है! 😦
पसंद करेंपसंद करें
तो आशीष जी क्या आप उन ग्रहों के नाम बता सकते है जो विपरीत दिशा में घुमते है ?
पसंद करेंपसंद करें
शुक्र, युरेनस और प्लूटो
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
जानकारी का बहुत बहुत धन्यवाद्
पसंद करेंपसंद करें
क्या सारे ग्रह और हमारी ग्लैक्सी सभी एक ही दिशा में घूम रहे हैं.??
क्या यह ज्ञात करलिया गया है कि ग्रह एक निश्चित दिशा में ही क्यों घूमते हैं उसके विपरीत क्यों नहीं,
पसंद करेंपसंद करें
नहीं सभी गृह एक दिशा में नहीं घूमते हैं।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
शुक्र और शनी बिपरित घूर्णन करते हैं
पसंद करेंपसंद करें
नही। दोनो अन्य ग्रहो के जैसे पश्चिम से पुर्व की ही दिशा मे घूर्णन करते है।
पसंद करेंपसंद करें