
अंतरिक्ष और खगोल भौतिकी मे रूची रखने वालो के लिये एक बेहतरीन समाचार है। हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी की पडोसी आकाशगंगा M82(Messier 82 ,NGC 3034, Cigar Galaxy या M82) मे 22 जनवरी को एक सुपरनोवा विस्फोट देखा गया है। इस सुपरनोवा विस्फोट की दीप्ति इतनी अधिक है कि इसे छोटी दूरबीन से भी देखा जा सकता है। M82 आकाशगंगा को उत्तरी गोलार्ध मे सूर्यास्त के पश्चात रात्री आकाश मे आसानी से देखा जा सकता है। यह एक टाईप -Ia सुपरनोवा विस्फोट है। खगोल वैज्ञानिको को इस तरह के सुपरनोवा विस्फोटो का इंतजार रहता है, और यह एक बेहतरीन अवसर है।

खगोल वैज्ञानिको के अनुसार वर्तमान मे इस सुपरनोवा की दीप्ति +11 से +12 तक है, इस कारण से इसे नंगी आंखो से नही देखा जा सकता है। इसे देखने के लिये आपको 4 ईंच की दूरबीन चाहीये होगी। हमसे लगभग 120 लाख प्रकाशवर्ष दूर यह सबसे दीप्तिमान और समीप का सुपरनोवा है, इसके पहले ऐसा नज़दीकी सुपरनोवा M81 आकाशगंगा मे 21 वर्ष पूर्व 1993 मे देखा गया था। M81, M82 तथा NGC 3077 एक दूसरे से बंधी हुयी आकाशगंगाये है।(नंगी आखो से आप +6 तक की दीप्तिमान तारे ही देख सकते है, यह मानक जितना कम होगा पिंड उतना ही ज्यादा चमकदार होगा। पौर्णिमा के चंद्रमा की दीप्ति –12.7 है।)

M82 एक चमकदार स्पायरल आकाशगंगा है और इसे बायनाकुलर से भी देखा जा सकता है। यह हमे एक सीगार नुमा आकार मे दिखायी देती है जिससे इसे सीगार आकाशगंगा भी कहते है। इसके केंद्र मे सुपरनोवा विस्फोट होते रहते है इसलिये इसका एक नाम स्टारबर्स्ट आकाशगंगा भी है। यह पृथ्वी के समीप है, इसकी दूरी 120 लाख प्रकाशवर्ष है, इसमे इसके पहले 2004 तथा 2008 मे भी सुपरनोवा विस्फोट देखा गया था लेकिन वे चमक मे इस नये सुपरनोवा विस्फोट की तुलना मे कहीं नही ठहरते है। आशा है कि यह सुपरनोवा आने वाले कुछ दिनो मे और भी दीप्तिमान होगा।

इस सुपरनोवा का नाम PSN J09554214+6940260 है, जो कि एक टाईप Ia सुपरनोवा है। टाईप Ia सुपरनोवा विस्फोट ब्रह्मांड मे होने वाली सबसे प्रलयंकारी घटनाओ मे से है। इस घटना के केंद्र मे एक अत्यंत घना श्वेत वामन(White Dwarf) तारा होता है जोकि आकार मे पृथ्वी के लेकिन द्रव्यमान मे सूर्य के समान होता है। यह श्वेत वामन तारा अपने किसी नज़दीकी तारे को अपने गुरुत्वाकर्षण मे जकड़कर उसका पदार्थ खींचते रहता है। इस प्रक्रिया मे श्वेत वामन तारे का द्रव्यमान बढ़ते जाता है।

जब इस श्वेत वामन तारे का द्रव्यमान “चंद्रशेखर सीमा” अर्थात सूर्य के द्रव्यमान का 1.4 गुणा से ज्यादा हो जाता है तब यह तारा अस्थिर हो जाता है। इसमे अचानक एक संपीड़न (Collapse) होता है और अत्याधिक उष्मा से इसमे भारी तत्वो की नाभिकिय संलयन (Nuclear Fusion) प्रक्रिया से एक महाविस्फोट होता है। पृथ्वी पर हमे यह प्रक्रिया आकाशगंगा मे एक नये तारे के उद्भव के रूप मे दिखायी देती है जो कि वास्तविकता मे एक तारे का जन्म ना होकर उसका अंत होता है। “नोवा(Nova)” शब्द का अर्थ नया होता है जोकि वास्तविकता के विपरीत है।

आप इस नये सुपरनोवा को देखने के लिये उत्सुक होंगे, इसके लिये आपकी सहायता के लिये उपर मानचित्र है। इससे आप M82 आकाशगंगा को आसानी से खोज पायेंगे। इससे आप सूर्यास्त के पश्चात पूर्ण रूप से अंधेरा होने के बाद देख सकते है। इसे खोजने के लिये सबसे पहले आपको “सप्तऋषि तारामंडल” खोजना होगा और उसके पश्चात आप इस चित्र की सहायता से M82 खोज सकते है।
Plz.. E=m(c)2 Ke Bare Me Thota Aor Jayada Bataye .
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सर क्या आयरन मैन रियल कभी भविष्य में बनाया जा सकेगा
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अवश्य ही!
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How we come to know about such incident in few days even they occur many light years far from us??
As M82 is 120 lacs light years away from us so light of explosion from there should take 120 lakhs year of time to reach the earth.
Please..sir I am waiting your response.
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धीरज, ये सुपरनोवा 120 लाख वर्ष पहले हुआ था, जिसे हम आज देख रहे है! सामान्यत: हम समय का पृथ्वी के संदर्भ मे उल्लेख करते है!
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Badiya jankari he sir
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बढ़िया। पर मेरे पास दूरबीन नहीं है 😞
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लेख पढ़ कर लगता है कि कोई काल्पनिक लोक देखा । पर सरल शब्दावली में और हिन्दी में ऐसी प़ाकृतिक घटनाओं केबारे में नई जानकारी पाना बड़ा सुखद है । लेख के लेखक श्रीवास्तव जी को बधाई ।
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