स्ट्रींग सिद्धांत यह कण भौतिकी का एक ऐसा सैद्धांतिक ढांचा है जो क्वांटम भौतिकी तथा साधारण सापेक्षतावाद के एकीकरण का प्रयास करता है। यह महाएकीकृत सिद्धांत(Theory of Everything) का सबसे प्रभावी उम्मीदवार सिद्धांत है जोकि सभी मूलभूत कणो और बलो की गणितीय व्याख्या कर सकता है। यह सिद्धांत अभी परिपूर्ण नही है और इसे प्रायोगिक रूप से जांचा नही जा सकता है लेकिन वर्तमान मे यह अकेला सिद्धांत है जो महाएकीकृत सिद्धांत होने का दावा करता है।
इस लेखमाला मे हम इस सिद्धांत को समझने का प्रयास करेंगे। इस लेख माला के विषय होंगे
- सैद्धांतिक भौतिकी और न्युटन
- सापेक्षतावाद और आइंस्टाइन
- क्वांटम भौतिकी और गुरुत्वाकर्षण
- स्ट्रिंग सिद्धांत क्यों ?
- स्ट्रिंग सिद्धांत क्या है?
- कितने स्ट्रिंग सिद्धांत है?
- क्या ये सभी स्ट्रिंग सिद्धांत एक दूसरे संबंधित है?
- क्या इससे ज्यादा मूलभूत सिद्धांत भी है?
- स्ट्रिंग सिद्धांत के अनसुलझे प्रश्न और आलोचना
सैद्धांतिक भौतिकी और न्युटन
सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी गणित का प्रयोग कर प्रकृति के कुछ पहलूओं की व्याख्या करते है। आइजैक न्युटन को पहला सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी माना जाता है, जबकि उनके समय मे उनके व्यवसाय को प्रकृति का दर्शनशास्त्र(natural philosophy) कहा जाता था।

न्युटन के युग के समय तक बीजगणित(algebra) और ज्यामिति(Geometry) के प्रयोग से वास्तुकला के अद्भूत भवनो का निर्माण हो चूका था जिनमे युरोप के महान चर्चो का भी समावेश है। लेकिन बीजगणित तथा ज्यामिति स्थिर वस्तु की व्याख्या करने मे ही सक्षम है। गतिवान वस्तुओं या अवस्था परिवर्तन करने वाली वस्तुओं की व्याख्या के लिए न्युटन ने कैलकुलस(Calculus) की खोज की थी।( महान गणीतज्ञ लिब्निज(Leibniz) ने न्युटन के साथ ही कैलकुलस की खोज की थी और इसकी खोज के श्रेय के लिये दोनो के मध्य कटु विवाद भी रहा था। लेकिन वर्तमान मे इसका श्रेय न्युटन को ही दिया जाता है। भारतीय गणितज्ञ माधवाचार्य ने कैलकुलस के प्रारंभिक स्वरूप की खोज 14 वी शताब्दी मे की थी।)
मानव को चमत्कृत करनेवाली गतिमान वस्तुओं के सूर्य, चंद्रमा, ग्रहों और तारों का समावेश रहा है। न्युटन की नयी गणितीय खोज कैलकुलस और गति के नियमो ने मिलकर गुरुत्वाकर्षण के एक गणितिय माडेल का निर्माण किया था जोकि ना केवल आकाश मे ग्रहों तारो की गति की व्याख्या करता था बल्कि दोलन तथा तोप के गोलो की गति की भी व्याख्या करता था।

वर्तमान की सैद्धांतिक भौतिकी ज्ञात गणित की सीमाओं के अंतर्गत कार्य करती है, जिसमे आवश्यकता के अनुसार नयी गणित का आविष्कार भी शामिल है जैसे न्युटन ने कैलकुलस का आविष्कार किया था।
न्युटन एक सैद्धांतिक भौतिक वैज्ञानिक होने के साथ ही प्रायोगिक वैज्ञानिक भी थे। उन्होने अपने स्वास्थ्य का ध्यान न रखते हुये कई बार लंबी अवधी मे कार्य किया था, जिससे कि वह समझ सके की प्रकृति का व्यवहार कैसा है और वे उसकी व्याख्या कर सकें। न्युटन के गति के नियम ऐसे नियम नही है कि प्रकृति उनके पालन करने के लिये बाध्य हो, वे प्रकृति के व्यवहार के निरीक्षण का परिणाम है और उस व्यवहार का गणितिय माडेल मात्र है। न्युटन के समय मे सिद्धांत और प्रयोग एक साथ ही चलते थे।
वर्तमान मे सिद्धांत(Theoritical) और निरीक्षण/प्रायोगिक(Observation/Experimental) भौतिक विज्ञान के दो भिन्न समुदाय है। प्रायोगिक विज्ञान और सैद्धांतिक विज्ञान दोनो ही न्युटन के काल की तुलना मे अधिक जटिल हैं। सैद्धांतिक वैज्ञानिक प्रकृति के व्यवहार को गणितीय नियमो और गणनाओं से समझने का प्रयास करते हैं जीनका वर्तमान तकनीक की सीमाओं के फलस्वरूप प्रयोगों के द्वारा निरीक्षण संभव नही है। ऐसे कई सैद्धांतिक वैज्ञानिक जो आज जीवित है, अपने कार्य के गणितीय माडेल के प्रायोगिक सत्यापन के लिए शायद जीवित नही रहेंगे। वर्तमान सैद्धांतिक वैज्ञानिको ने अपने कार्य की अनिश्चितता और संशयात्मक स्थिति के मध्य मे जीना सीख लीया है।
गति के नियम तथा गुरुत्वाकर्षण की खोज के लिए श्रेय न्युटन को दिया जाता है। उन्होने इन नियमो को अपनी महान पुस्तक Philosophiæ Naturalis Principia Mathematica(अंग्रेजी मे Mathematical Principles of Natural Philosophy, हिन्दी मे प्रकृति दर्शनशास्त्र के गणितिय नियम) मे प्रस्तुत किया है। इन नियमों को विश्व के सम्मुख लाने का श्रेय एडमंड हेली को जाता है, एडमंड हेली ने ही न्युटन को इस पुस्तक को लिखने के लिए प्रेरित किया था। एडमंड हेली को आज उस धुमकेतु के नाम से जाना जाता है जिसकी खोज उन्होने नही की थी। उन्होने केवल यह बताया था कि सन 1456,1531 तथा 1607 मे दिखायी दिया धूमकेतु एक ही है और वह 1758 मे वापिस आयेगा। इससे हेली की महानता कम नही होती, वे एक महान खगोल वैज्ञानिक थे और कई अन्य महत्वपूर्ण खोजें भी की थी। एक शाम राबर्ट हूक (कोशीका की खोज करने वाले वैज्ञानिक), खगोल वैज्ञानिक क्रिस्टोफर व्रेन तथा हेली लंदन मे शाम का खाना खा रहे थे। उनकी चर्चा ग्रहो की गति की ओर मुड़ गयी। उस समय तक ज्ञात था कि ग्रह सूर्य की परिक्रमा वृत्त मे ना कर दिर्घवृत्त(ellipse) मे करते है। लेकिन ऐसा क्यों है, किसी को ज्ञात नही था। राबर्ट हूक जोकि दूसरो के आइडीये का श्रेय लेने के लिए कुख्यात थे, ने दावा किया इसका कारण उन्हे ज्ञात है लेकिन वह उसे उस समय प्रकाशित नही करेंगे। हेली इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए आतुर थे।
उन्होने न्युटन से संपर्क किया। न्युटन को एक सनकी, चिड़चिड़ा व्यक्तित्व माना जाता है लेकिन आशा के विपरीत न्युटन हेली से मिलने तैयार हो गये। इस मुलाकात मे हेली ने न्युटन से पूछा कि ग्रहो की गति कैसी होती है। न्युटन के उत्तर दिया की वे दिर्घवृत्त मे परिक्रमा करते हैं। हेली जो कि खगोल वैज्ञानिक थे, इस उत्तर से चकित रह गये। उन्होने न्युटन से पुछा कि वे कैसे जानते है कि ग्रह दिर्घवृत्त मे परिक्रमा करते है। न्युटन का उत्तर था कि उन्होने इसकी गणना की है। हेली ने उन्हे अपनी गणना दिखाने कहा। अब न्युटन महाशय को यह पता नही कि उन्होने वह गणना का कागज कहां रखा है! यह कुछ ऐसा है कि आपने कैंसर का इलाज खोज लिया है लेकिन उस इलाज को कहीं रख के भूल गये। हेली ने हार नही मानी, उनके अनुरोध पर न्युटन ने फिर से गणना करने का निर्णय लिया। न्युटन ने इस बार पूरा समय लेते हुये दो वर्षो की मेहनत से अपनी महान पुस्तक Philosophiæ Naturalis Principia Mathematica लिखी। इसके प्रकाशन मे भी कई रोढे़ आये, एडमंड हेली ने इस पुस्तक के प्रकाशन का खर्च उठाया। इस अकेली पुस्तक ने ब्रह्माण्ड को देखने का पूरा नजरिया पलट कर रख दीया।
इस पुस्तक ना केवल गति के नियमो को प्रस्तुत करती है, बल्कि गुरुत्वाकर्षण की भी व्याख्या करती है। इसके नियम हर गतिशील पिंड की गति और पथ की व्याख्या करते है।
अगले भाग मे सापेक्षतावाद और आइंस्टाइन
intersting
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A GREAT THANKX TO U….
I LIKED UR BLOG VERY MUCH….
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Ham gav me rahne vale hai ttha hame hindi language hi samjh ata hai ap hame hindi me itne sare jankari de rahe hai. (Apka hardik abhinandan aur sadhanyavad )
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Reblogged this on oshriradhekrishnabole.
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Hindi bhasha me bahut badhiya blog h aapka. Jaari rakhe. Aapke prayas ko salam.
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न्युटन के जीवनी के बारे मेँ पूर्ण जानकारी चाहता हू।
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ऐसी जानकारी दे कर, आपने विज्ञान के प्रति हमारा आकर्षण बढ़ाया है
धन्यवाद
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bhaut -2 danyayad kab se bhukha tha
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न्यूटन सबसे बड़े वैज्ञानिक माने जाते हैं लेकिन शायद उनका व्यक्तिगत जीवन सुखी नहीं था। उन्होंने जीवन में उन्हें महत्व नहीं दिया जिन्हें मिलना चाहिये था।
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न्युटन एक महान वैज्ञानिक थे, लेकिन महान व्यक्ति नहीं थे। वे एक चीड़चीड़े, अहंकारी व्यक्ति थे, लिब्निज के साथ उनका व्यवहार तो निन्दा योग्य है। उनके व्यवहार के पीछे पारा का विषाक्त प्रभाव हो सकता है क्योंकि उन्होने लोहे को सोने में परिवर्तित करने में काफ़ी समय दिया था।
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Agali kadi ka intazar hai
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हेली का धूमकेतु अब हमारी जिन्दगी में तो नहीं दिखेगा, पर उनसे प्रभावित बहुत हूं। उनका न्यूटन के साथ परसिस्टेंस बहुत प्रेरक लगा। न्यूटन मुझे इण्टर्व्यू देते तो मैं भी उनकी किताब छपाने का पैसा निकाल देता! 🙂
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हमने भविष्य के लिए धन्यवाद दिया है…..
पटाखों के कानफोड़ धमाकों, फुलझड़ियों की सतरंगी झिलमिलाती छटाओं, और अंतरतम को मिठास से भर देने वाली मिठाइयों के बीच धन-धान्य के दीप, ज्ञान की मोमबत्तियां, सुख के उजाले और समृद्धि की किरणें इस दिवाली पर रोशन कर दें दुःखों की अमावस्या को, आपके जीवन में… दीपावली के इस पावन पर्व पर अनमोल की ओर से हार्दिक मंगलकामनाएं…
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स्ट्रिंग सिद्धान्त या महाएकीकृत सिद्धांत अब सिद्ध होना चाहता है। इन्तजार में हैं।
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दिनेश जी,
इस सिद्धान्त के साथ ये समस्या है, इसे सिद्ध नहीं किया जा सकता!
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Ashish ji,
maine sabse pahle string theory aur m theory ke bare me apki blog se hi jana tha.
Tab se inko vistrat janne ki bahut lalsa thi. Aaj apne string theory ke bare me samjhakar bahut sundar karya kiya hai.
Dhanyawaad
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अनमोल जी,
अभी स्ट्रीन्ग सिद्धान्त की भूमिका बन रही है,जो अगले २-३ लेखों में जारी रहेगी। मूल स्ट्रीन्ग सिद्धान्त उसके बाद आएगा।
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